अपनी इस गलती पर उसे फिर से गुस्सा आया क्योंकि ऐसी गलती अक्सर वह बार बार करती थी। पहले की ही तरह उसनें धीरे से बाथरूम का दरवाजा सिर्फ इतना भर खोली कि उसका चेहरा दिखाई दे,,,,, और फिर आदत के अनुसार अपनी छोटी वाली चाची को आवाज लगाने लगी जो की रसोई घर में चाय बना रही थी पूनम की आवाज सुनते ही वह समझ गई कि आज फिर से वह बाथरुम में टावल ले जाना भूल गई है। अक्सर वह पूनम को टावल दे दिया करती थी लेकिन आज उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था और वह मुस्कुरा कर रसोई घर से बाहर आई। वह आकर बाथरूम के दरवाजे पर खड़ी हो गई जिसमें से पूनम सिर्फ अपना चेहरा भर दिखा रही थी अपनी चाची को देखते ही वह बोली।
प्लीज प्लीज प्लीज,,,,, चाची मुझे टॉवेल दे दो मुझे स्कूल जाने में बहुत देर हो रही है।
नहीं आज तो मैं तुम्हें बिल्कुल भी टॉवल नहीं दूंगी तुम्हारी यह रोज की आदत हो गई है। ( इतना कहने के साथ ही वह बाकी लोगों को भी आवाज देकर बुलाने लगी।)
संध्या दीदी जल्दी आओ सुजाता देखो तो सही अगर तुम्हें आज असली फिल्म देखनी है तो जल्दी आ जाओ,,,,,, आज बहुत ही बेहतरीन फिल्म देखने को मिलेगी,,,,,,
( अपनी ऋतु चाची की बात सुनते ही पूनम के चेहरे पर बनावटी गुस्सा नजर आने लगा,,, और दूसरी तरफ रितु की आवाज सुनकर संध्या और सुजाता भी आ गई बाथरूम का दृश्य देखकर उन लोगों को समझते देर नहीं लगी कीयहां क्या चल रहा है। अपनी जेठानी और ननद को वहां आया देखकर रितु बोली।)
दीदी आज देखना तुम्हें असली फिल्म देखने को मिलेगी आज पूनम फिर से बाथरुम में टावल ले जाना भूल गई है। और आज पूनम खोल हम लोगों को अपने नंगे बदन का दर्शन कराएगी। ( अपने रीति चाची की बात सुनकर पूनम को गुस्सा आने लगा वह जानती थी कि आज यह लोग मजा लेना चाहते हैं और उसे स्कूल जाने के लिए देर भी हो रहा था,,, इसलिए वहां ऋतु चाची को छोड़कर अपनी संध्या चाची से बोली।)
प्लीज चाची आप दे दो ना मुझे बहुत देर हो रही है मजाक का समय नहीं है।
( पूनम की बात सुनकर संध्या मुस्कुराते हुए बोली।)
नहीं पूनम आज तो हम लोग तुम्हारी एक भी नहीं सुनने वाले और ना ही तुम्हारी कोई मदद करने वाले हैं।
क्या चाची आप भी,,,,,( पूनम बाथरूम के दरवाजे में से हल्का सा अपना चेहरा बाहर निकाल कर और बड़े ही मासूम बनकर पत्नी संध्या चाची से बोली,,,, लेकिन उसके इस मासूम पन का किसी पर भी कोई असर नहीं हुआ और उसकी संध्या चाची बोली।)
नहीं पूनम आज तुम्हारे किसी भी बात का हम पर कोई असर होने वाला नहीं है भलाई इसी में है कि आज तुम अपने नंगे पंन का दर्शन हमें करा ही दो हम भी तो देखें कि तुम जितनी बाहर से खूबसूरत लगती हो अंदर से कितनी खूबसूरत दीखती हो।,,,,,
क्या चाची आप लोग भी,,,, क्या तुम्हें अच्छा लगेगा अगर तुम मुझे ऐसी हालत में देखोगी तो,,,,,
हां मेरी रानी बिटिया हमें अच्छा लगेगा अब बिल्कुल भी देर मत करो और बाहर आ जाओ हम लोग भी तरस गए हैं तुम्हें नंगी देखने के लिए तुम्हारे खूबसूरत भरावदार नितंब को देखने के लिए।।
( पूनम को स्कूल जाने के लिए देर हो रहा था किसी भी वक्त उसकी सहेलियां घर पर आ सकती थी और जिस तरह की जीद आज उसकी दोनों चाची को नहीं लगा रखी थी उन्हीं के सू्र में उसकी सुजाता बुआ भी सुर लगा रही थी उन्हें भी आज उसे नंगी देखने का नशा चढ़ चुका था थक हारकर पूनम फिर से उन लोगों को समझाते हुए बोली।)
चाची क्यों ऐसी जिद कर रही हो क्या देखना चाहती हो मेरे पास भी वही है जो कि तुम लोगों के पास है फिर ऐसी जिद्द क्यों? ( पूनम बहुत ही भोलेपन में बोली)
हां मेरी पूनम रानी हम लोगों के पास जिस तरह के अंग है तुम्हारे पास भी वही सब है,,,, लेकिन अब तुम्हारे जैसी कड़क माल हम लोग नहीं रह गए हैं,,,,,( संध्या की इस बात पर उसकी रितु चाची हंसने लगी और साथ में उसकी सुजाता बुआ भी हंसने लगी,,,, पूनम समझ गई कि आज उसे लगता है कि इन लोगों के बीच उसे एकदम नंगी ही अपने कमरे में जाना होगा,,,,,, उसका कमरा बाथरूम के ठीक सामने ही तीन चार कदम की ही दूरी पर थे,,, लेकिन यह तीन चार कदम उसे मीलों से कम नहीं लग रहे थे। वह बिना कपड़ों के ही अपने कमरे में जाने के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर ली वह बाहर कदम बढ़ाने ही वाली थी और बाहर खड़ी उसकी चाची और बुआ उसे एकदम नंगी देखने का इंतजार ही कर रहे थे कि तभी उसे याद आया कि वह दुपट्टा ओढ़़ कर आई थी। यह ख्याल आते ही उसकी आंखों में चमक नजर आने लगी,,, और वह तुरंत पलटी और बाथरूम में जाकर दुपट्टे को अपनी चूचियों से होकर के लपेट ली जोकि दुपट्टा ज्यादा बढ़ा तो नहीं था लेकिन फिर भी उसके नितंबों को ढक ले रहा था। पूनम अपने दुपट्टे को इंसान से बांधकर बाथरुम के बाहर अपना कदम बाहर निकाली और उसे बाहर आता देखकर उसकी दोनों चाचियां और बुआ के चेहरे पर मुस्कान फेलने लगी,,, वह लोग केवल पूनम की नंगी टांग ही देखे थे और उन्हें लगने लगा था कि आज सचमुच पूनम को पूरी तरह से नंगी देखने का सुख प्राप्त कर लेंगी लेकिन तभी
पुनम अपने चेहरे पर विजयी मुस्कान लिए बाथरुम से बाहर आने लगी,,, उसके बदन को दुपट्टे से ढका हुआ देखकर उन लोगों के चेहरे उतर गए और उन लोगों का उतरा हुआ चेहरा देखकर पूनम जोर-जोर से उन्हें चिढ़ाते हुए हंसने लगी,,,,, क्योंकि उन लोगों को पूनम का जो अंग देखना था वह तो पूरी तरह से दुपट्टे से ढंका हुआ था,,, और बस चिकनी जांघे और गोरी लंबी टांगें ही नंगी नजर आ रही थी,,,, इसलिए उन लोगों के चेहरे पर निराशा फैल गई,,,,, लेकिन जैसे ही पूनम उन लोगों से आगे निकली,,,, कि तभी तीनो की नजर उसकी पीठ की तरफ से होती हुई कमर के नीचे की तरफ गई तो उन लोगों की आंखें पूनम के पीछे का नजारा देखकर फटी की फटी रह गई और वह लोग जोर जोर से हंसने लगी,,, उन लोगों को हंसता देखकर पूनम को कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर यह लोग हंस क्यों रही हैं। वह अपने कमरे के करीब पहुंच चुकी थी लेकिन उन लोगों को हंसता हुआ देखकर उसने नजर घुमाकर उन लोगों को देखी तो उन लोगों की नजर उसके पिछवाड़े पर टिकी हुई थी और वह लोग जोर जोर से हंस रही थी। जैसे ही पूनम की नजर नीचे की तरफ अपने नितंबों पर गई तो ऊसे अपनी गलती का एहसास होते ही वहां जल्दी से अपने कमरे में चली गई और जल्दी से दरवाजा बंद कर दी,, कमरे के अंदर पहुंचकर अपनी गलती पर उसे भी हंसना आ गया,,,, क्योंकि दुपट्टा का कपड़ा एकदम पतला था और उसका बदन पूरी तरह से पानी में भीगा हुआ था जिसकी वजह से जैसे ही वह दुपट्टे को अपने बदन पर लपेटी तो गीले बदन होने की वजह से वह दुपट्टे का पतला कपड़ा पूनम के नंगे बदन से एकदम चिपक सा गया,,,,, जो कि उसके भरावदार नितंबों को उभार कर प्रदर्शित करने लगा,,,,, जिसकी वजह से दुपट्टे से ढंकने के बावजूद भी उसके भरावदार नितंबों का उभार और कटाव एकदम साफ साफ गोरे रंग सहित नजर आ रहा था जिसको देखकर उसकी दोनों चाचिया और बुआ खिलखिलाकर हंस रही थी।
पूनम अपने कमरे में जा चुकी थी और अपनी ही बेवकूफी पर हंस रही थी। दरवाजे पर कुंडी लगाकर वह पूरी तरह से निश्चिंत हो गई अब वह कमरे में बिल्कुल अकेली थी।
उसे स्कूल जाने के लिए देर हो रही थी क्योंकि किसी भी वक्त उसकी सहेलियां घर पर आ सकती थी इसलिए वह तुरंत अपने बदन पर लिपटी हुई दुपट्टे को,,, जो कि उसका सारा भेद खुल चुका था उसे अपने बदन पर से हटा कर टेबल पर रख दी अब वह कमरे में बिल्कुल नंगी खड़ी थी। उसका गोरा बदन एकदम चमक रहा था लंबे लंबे घने बाल उसकी पीठ से चिपके हुए थे। उसमें से पानी की बूंदे किसी मोती के दाने की तरह फिसल कर नीचे गिर रही थी। पूनम के बाल थोड़ी ज्यादा ही लंबे थे इस वजह से आगे की तरफ भी उसकी दोनों चुचियों पर भी बल खा रहे थे। लेकिन चूचियों के गोलाई पर बालों की लट बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। चूचियों की छोटी-छोटी निप्पल अनार के दाने की तरह उभरी हुई अपनी खूबसूरती बिखेर रही थी। वह अपने बिस्तर के करीब गई और अपने बिस्तर को उलट पलट कर कुछ ढूंढने लगी,,,, उसके इस तरह से बिस्तर के नीचे ढूंढने से,,, वह थोड़ा झुक गई जिसकी वजह से इसकी तो भरी हुई गांड कुछ ज्यादा ही भरकर बाहर की तरफ दिखाई देने लगी चौकी बड़ी ही कामुकता से भरी हुई थी। इस वक्त वेदर को यह नजारा देख ले तो बिना कहे वह पूनम की कमर पकड़ कर उसकी गांड पर अपना लंड रगड़ने लगे। बिस्तर के नीचे से तभी उसने अपनी पैंटी निकाली और उसमें एक के बाद एक करके अपने दोनों पांव डालकर पहनने लगी,,,,,, धीरे-धीरे वह अपनी पैंटी को ऊपर की तरफ सरकाते हुए,,, जांघों तक ले आई और एक नजर उनसे अपनी जांघों के बीच की पतली दरार पर डाल कर मुस्कुरा दी,,,,, उसकी मुस्कुराहट में एक वजह थी क्योंकि उसकी पतली दरार के इर्द-गिर्द हल्के हल्के बाल आना शुरू हो गए थे। वह मुस्कुराते हुए पेंटिं को पहन ली और उस अनमोल खजाने समान पतली दरार को पेंटिं के अंदर छुपा ली। पेंटी को पहनने के बाद उसकी बुर वाली जगह हल्की-हल्की पैंटी के ऊपर से भी उपसी हुई नजर आ रही थी। पूनम उसे बिस्तर के नीचे से अपनी ब्रा भी निकाल कर पहनने लगी और कुछ ही देर में उसकी दोनों नारंगीया भी ब्रा के अंदर कैद हो गई। वह बार-बार दीवार पर लगी घड़ी की तरफ देखे जा रही थी क्योंकि उस स्कूल का समय हो रहा था और अभी तक वह पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाई थी किसी भी वक्त उसकी सहेलियां घर पर तो हो सकती थी और वह इसी जल्दबाजी में जल्दी-जल्दी अपने स्कूल का ड्रेस पहनने लगी। अभी वह स्कूल के कुर्ते को अपने सिर में डाल कर पहनना शुरू की थी कि तभी घर से बाहर उसकी सहेलियों की आवाज आने लगी जोंकि उसे ही पुकार रही थी।
पूनम,,,,, ओ,,,,,,,,,पूनम आज फिर देर से स्कूल पहुंचना है क्या जल्दी कर,,,, तैयार हुई कि नहीं,,,,,,
अरे,,,,,,, आई बस दो मिनट खड़ी रहे,,,,,, ( पूनम स्कूल के ड्रेस को पहनते हुए बोली,,,,,, )
हे भगवान लगता है आज फिर देर हो गई है जल्दी करो वरना सच में टीचर की डांट खाना पड़ेगा,,,( पूनम मन ही मन में बड़बड़ाते हुए अपनी सलवार आलमारी से निकाल कर कहने लगी सलवार कहने के बाद जल्दी-जल्दी अपने बालों को संवार कर वह तैयार हो गई,,,,। वह जल्दी से टेबल पर से स्कूल बैग उठाई और जाते जाते एक बार आईने में अपने चेहरे को देखने लगी और आईने में अपने चेहरे को देख कर मुस्कुरा दी क्योंकि बला की खूबसूरत लग रही थी वह,,,,,
दरवाजा खोलकर जल्दी बाहर आई ओर सैंडल पहन कर जैसे ही जाने को हुई कि पीछे से उसकी संध्या चाची आवाज़ लगाई,,,,
अरे कहां चली रुक,,,,, जब देखो तब सुपरफास्ट की तरह कहीं भी निकल जाती है।
क्या हुआ चाची स्कूल जाने में मुझे देर हो रही है।
अरे पगली स्कूल जाने से पहले कुछ नाश्ता तो कर ले क्या खाली पेट स्कूल जाएगी,,,,
नहीं चाहती मुझे देर हो रही है अगर नाश्ता करने बैठूंगी तो स्कूल में टीचर की डांट सुननी पड़ेगी,,,,
अच्छा रुक यह दुध तो पी ले,,,,, ( इतना कहकर वह खुद अपनी जगह से उठकर दूध का गिलास लेकर पूनम के पास आई और पूनम को दूध का गिलास थमाते हुए बोली।)
कुछ खाया पिया कर वरना ऐसे ही हड्डी कि तरह जाएगी,,,
चाची मुझे मोटी नहीं होना है मैं ऐसे ही ठीक हूं। ( दूध का गिलास जानते हुए बोली और एक ही सांस. में पूरा दूध पी गई,,,, दूध पीकर वह अपनी चाची को गिलास थमाते हुए बोली।)
तुम बहुत अच्छी हो चाची तुम मेरा कितना ख्याल रखती हो,,,,
अच्छा अब स्कूल जा तेरी सहेलियां इंतजार कर रही है। ( संध्या मुस्कुराते हुए बोली और पूनम संध्या को बाय बोल कर घर के बाहर आ गए जहां पर उसकी दोनों सहेलियां थोड़ा गुस्से में उसका इंतजार कर रही थी।)
यार तू हमेशा लेट हो जातीे हैं,,, करती क्या रहती है,,,,,,,,,,,,,,,, तू काम भी तो नहीं करती बस उठकर नहाने धोने में तुझे इतना समय बीत जाता है कि रोज तु हमसे इंतजार करवाती है और स्कूल में डांट सुनवाती है वह तो अलग,,,,,,
बस कर मेरी अम्मा इतना तो मेरी मां भी मुझे नहीं बोलती हे जितनां तू सुना दे रही है। ( इतना कहकर वह तीनों स्कूल की तरफ जाने लगे बेला और सुलेखा यह दोनों पूनम की सहेलियां थी जोकि उसके घर के बिल्कुल करीब ही रहती थी दोनों पूनम की हम उम्र होने के कारण,,, और एक ही क्लास में पढ़ने की वजह से पक्की सहेलियां बन चुकी थी। अक्षर वालों ने इसी तरह पर पूनम के घर पर आकर उसका इंतजार कर के तीनों साथ में ही स्कूल जाते थे।
यार कल के मैथ्स में तो मुझे कुछ भी समझ में ही नहीं आया ना जाने मुझे मैथ्स में क्यों इस तरह की परेशानी हो जाती है (चलते चलते बेला पूनम से बोली,,,,)
अरे तू चिंता मत कर मुझे सब कुछ आता है मैं तुझे समझा दूंगी तुझे तो आता है ना सुलेखा,,,,( ऊंची नीची पगडंडियों पर जल्दी जल्दी पैर बढ़ाते हुए पूनम बोली।)
नहीं यार मुझे भी कुछ समझ में नहीं आया था। ( सुलेखा चिंतित स्वर में बोली।)
चल कोई बात नहीं मैं तुम दोनों को समझा दूंगी और वैसे भी तुम दोनों पढ़ाई लिखाई में ज्यादा ध्यान देते हो नहीं इसलिए तुम लोगों को इस तरह की तकलीफे झेलनीं पड़ती है।
( तीनों आपस में बातें करते हुए ऊंची नीची पगडंडियों से होते हुए चली जा रही थी उस स्कूल के तरफ की सड़क कुछ खास ठीक नहीं थी रास्ता बहुत ही सच्चा था लेकिन रास्ते के अगल-बगल पेड़ पौधों की वजह से सड़क बहुत ही नयनरम्य लगती थी। और ऊंची नीची पगडंडियों पर पूनम जैसे जैसे अपने कदम रखतीे थी,,,, वैसे वैसे उसकी भरावदार नितंब ऊंची नीची सड़क की वजह से मटक जा रही थी। पूनम के पीछे आने वाले हर व्यक्ति की नजर वह चाहे बूढ़ा हो या जवान उन लोगों की नजर हमेशा पूनम की मटकती हुई गांड पर ही टिकी रहती थी।,,,, पूनम की दोनों सहेलियों को भी पूनम बहुत अच्छी लगती थी इसलिए तो वह हमेशा उसके साथ ही रहतेी थी। अक्सर यह सड़क लगभग सुनसान ही रहती थी हमेशा इक्का-दुक्का ही लोग आते-जाते नजर आते थे,,,, क्योंकि गांव भी ज्यादा बड़ा नहीं था।
ठंडी ठंडी हवा वातावरण को और भी ज्यादा खुशनुमा कर रही थी। शीतल पावन के साथ-साथ पूनम के रेशमी बाल भी हवा में लहरा रहे थे बार बार बालों की लटे गोरे गाल को चूमते हुए पूनम के साथ अठखेलिया कर रही थी। पूनम बार-बार अपनी उंगलियों का सहारा लेकर बालों के रेशमी लोगों को अपने कान के पीछे कर दे रही थी। पूनम की ये हरकत भी अपने आप में बड़ी हूं खूबसुरत थी। पूनम की इसी अदा पर तो सारा स्कुल फीदा था।
पूनम अपनी सहेलियों के साथ लंबे-लंबे कदम भरते हुए चली जा रही थी,,,, सड़क के आगे ही एक मोड़ आता था जहां पर एक लड़का खड़ा होकर किसी का इंतजार कर रहा था। पूनम उसकी तरफ गौर किए बिना ही आगे निकल गई लेकिन वह लड़का पूनम को देखता है और वही खड़ा रहा और फिर जब वह देखा कि पूनम और उसकी सहेली आगे निकल गई है तो वह भी पीछे पीछे चल दिया,,,,,
पूनम अक्सर उस लड़के को वहीं खड़ा पाती थी लेकिन कभी भी उसके बारे में अपनी सहेलियों से कुछ पूछ नहीं पाए उसका इस तरह से वहां खड़ा रहना बड़ा अजीब लगता था।
लेकिन आज उससे रहा नहीं गया तो वह अपनी सहेली से बोली।
यार बेला इस लड़के को अक्सर मैं यही खड़े हुए देखती हूं ऐसा लगता है जैसे किसी का इंतजार कर रहा हो,,,,,
हां यार मैं भी तो उसको यही रोज देखती हूं,,,,( सुलेखा भी पूनम के सुर में सुर मिलाते हुए बोली।)
यार यूनिफार्म तो अपने ही उस स्कूल की है लेकिन इस लड़के को कभी मैंने अपने स्कूल में देखी नहीं। ( पूनम कुछ ख्याल करते हुए बोली लेकिन इन सब की बातें सुनकर बेला मुस्कुरा रही थी और उस लड़के का राज खोलते हुए बोली,,,)
तू पूनम सच में इस लड़के को नहीं जानती,,,,,?
नहीं तो,,,,, मैं भला इसे जानकर क्या करूंगी।
यार पूनम क्या तुम सच में इस लड़के को नहीं जानती?( बेला आश्चर्य जताते हुए बोली।)
बिना तू पागल हो गई है क्या ऐसे क्यों पूछ रही है मैं गंगा इस लड़के को जानकर क्या करुंगी कि कौन है कहां से आता है क्या करता है?( पूनम थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली)
यार पूनम यह मनोज है मनोज इसके पीछे स्कूल की सारी लड़कियां दीवानी रहती है,। ( बेला चहकते हुए बोली।) तुझे पता है इस से दोस्ती करने के लिए लड़कियां आगे से चलकर उसके पास जातीे हैं।
अच्छा ऐसी क्या खास बात है,,ऊसमे,,,,
अरे यार देखी नहीं कितना हैंडसम है वो।
चल जाने दे अपने से क्या लेना-देना,,,, वहां खड़ा रहता है तो खड़े रहनै दो,,,, लेकिन एक बात समझ में नहीं आ रही है कि वह वहां खड़ा रह कर किसका इंतजार करता रहता है,,,,
( पूनम की बात सुनकर बेला जोर से हंसते हुए बोली।)
मैं बताऊं कि वहां क्यों खड़ा रहता है किसका इंतजार करता रहता है?
हां बता,,,,
लेकिन पहले वादा करो कि तुम मुझसे नाराज नहीं होगी और ना मुझ पर गुस्सा करोगी तभी मैं बताऊंगी।
चल अच्छा बता मैं तुझे कुछ नहीं कहूंगी,,,( कुछ सोच कर थोड़ी देर बाद बोली।)
वह लड़का उस मोड़ पर खड़ा होकर तेरा ही इंतजार करता रहता है।
( बेला की है बात सुनकर पूनम का दिल धक से कर गया,,,,)
जानती है तू पूनम वह तुझे बहुत पसंद करता है। तेरा दीवाना हो गया है वो,,,,,
( बेला की यह बात सुनकर पूनम की हालत खराब होने लगी उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि बेला क्या कह रही है लेकिन इस बात से उसे बहुत गुस्सा आया,,,,, वह गुस्सा करते हुए बेला से बोली,,,,,)
बेला तुझे कुछ पता भी है कि तू क्या कह रही है तू अच्छी तरह से जानती है कि इन सब बातों से मेरा कोई वास्ता नहीं है।
अरे मैं जानती हूं कि तेरा वास्ता नहीं है लेकिन लड़कों का क्या,,,,, उन्हें कैसे रोक सकती है तू,,,,,, वह तो तुझे मन ही मन चाहने लगा है। पागल हो गया है तेरी खूबसूरती को देखकर तभी तो पागलों की तरह उस मोड़ पर खड़ा होकर तेरा इंतजार करता रहता है।
तुझे यह सब कैसे मालूम,,,,,,, तुझे यह कैसे मालूम की वह मेरा ही इंतजार करता रहता है,,,, हो सकता है कि तुझे गलतफहमी हो रही हो। ( पूनम शंका जताते हुए बोली।)
पूनम तू सच में बुद्धू है । तू देखती नहीं है कि वह कैसे तुझे ही घूरता रहता है,,,, तेरा इंतजार करता रहता है,,, जैसे ही तू सड़क पर नजर आती है उसके चेहरे की खुशी बढ़ जाती है।
और जैसे ही तू आगे बढ़ती है कि वह भी पीछे पीछे चला आता है और तुझे यकीन नहीं आता तो देख लो पीछे मुड़कर वह आता ही होगा,,,,,
( बेला की इस बात पर वह अपनी नजरें पीछे घुमा कर देखी तो सच में वह पीछे-पीछे उसी को ही घूरता हुआ चला रहा था। पूनम को अब गुस्सा आने लगा था लेकिन वह अपने गुस्से को छिपाकर स्कूल की तरफ बढ़ी जा रही थी। उसे लड़कों का इस तरह से पीछे घूमना अच्छा नहीं लगता था। पूनम के चेहरे पर गुस्सा था और बेला उसके चेहरे की तरफ देखते हुए बोली।)
अब तो यकीन हो गया ना कि तुझे यह किसका दीवाना है।
( बेला कि ईस बात पर पूनम आंखें तरेरते हुए उसे देखने लगी वह कुछ उसे बोल पाती इससे पहले ही स्कूल आ गया। और वह कुछ बोल नहीं पाई।
गदराई हुई जवानी की मालकिन पूनम की संध्या चाची