पूनम की जिंदगी का यह पहला हस्तमैथुन था वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी आज उसे इस बात का आभास हुआ था कि फोन पर बात करने में कितना आनंद आता है इसीलिए लड़कियां हमेशा फोन पर बात करने के लिए मरती रहती थी,,,, फोन पर अश्लील बातें करना हमने सुना ना लड़कों के मुंह से गंदे गंदे शब्द लंड बुर चूची यह सब कितना आनंद देता है वह पूनम को आज पता चला था कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह भी दूसरी लड़कियों की तरह इस तरह से किसी लड़के से गंदी गंदी बातें करेगी और अपनी उंगली से अपनी बुर को कुरेदेगी,,,,,,यह अनुभव पूनम के लिए अद्भुत था और अविस्मरणीय था जिसे वह कभी अपनी जिंदगी में भुलने वाली नहीं थी क्योंकि यह पहला उसका चरमसुख था जिसे वो खुद अपने हाथों से अपनी उंगली का सहारा लेकर प्राप्त की थी,,,,,, मनोज से गंदी गंदी बातें करते हुए कब 3:00 बज गया था उसे पता ही नहीं चला था वाकई में इस तरह की बातों में समय कब गुजर जाता है पता ही नहीं चलता,,,,,,,पूनम को समझ में नहीं आ रहा था कि उसमें इतनी हिम्मत कहां से आ गई थी वह खुद अपनी बुर को इस तरह से अपनी हथेली में दबा रही थी क्योंकि इस तरह की हरकत उसने आज तक कभी भी नहीं की थी लेकिन मनोज की बातों में उसके शब्दों में इतना जादू था कि वह उस जादू के मोह में पूरी तरह से सम्मोहित हो चुकी थी जैसा जैसा वह कह रहा था वैसा वैशा वह कर रही थी,,,,, हालांकि मनोज के कहने केपहले ही वह उत्तेजना के अधीन होकर अपनी उंगली को अपनी पुर के अंदर प्रवेश कर आ चुकी थी यह उसका पहला मौका था जब वह अपनी नाजुक नाजुक उंगलियों को अपनी कोमल गुलाबी पत्तियों के बीच प्रवेश करी थी,,, उस पल को कभी वह भूल नहीं सकती,,, एक अजब सा रोमांच पूरे बदन को अपने आगोश में ले चुका था जैसे जैसे उसकी ऊंगली बुर के अंदर प्रवेश कर रही थी वैसे वैसे उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, हल्का मीठा दर्द भी उसे बेहद आनंदित कर रहा था,,,, और आखिरकार बाहर पहली मर्तबा सफलता प्राप्त करते हुए अपने चरम सुख पर बड़े आराम से पहुंच चुकी थी,,,,।
पुनम अपने कमरे में पोछा लगाते हुए
स्कूल से आने के बाद दोपहर के समय पूनम अपने कमरे में पोछा लगाते हो यही सब सोच रही थी,,,, आज स्कूल में उसकी मुलाकात मनोज से नहीं हुई थी इसलिए थोड़ी बेचैन थी,,, दोपहर का समय होने की वजह से सब अपने अपने कमरे में आराम कर रहे थे केवल वही जाग रही थी और अपने कमरे की सफाई कर रही थी,,,, ठंड का मौसम होने के बावजूद भी वह अपनी सलवार उतार कर एक तरफ रख दी थी और केवल पैंटी में ही अपने कमरे के अंदर पोछा लगा रही थी वह पूरी तरह से इत्मीनान थी कि उसके कमरे में कोई नहीं आने वाला और वैसे भी वह दरवाजे की कड़ी लगाकर घर की सफाई कर रही थी,,,, उसके मन में मनोज ही बसा हुआ था उसकी बातें उसके कानों में गूंज रही थी खास करके उसके मुंह से कही जाने वाली अश्लील बातें अभी भी उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,,,,,, वह पहुंचा लगाने में पूरी तरह से मशगूल हो गई थी,,, वह इतनी ज्यादा मशगूल हो गई थी कि,,, दरवाजा खुलने की आवाज भी उसके कानों तक नहीं पहुंच पाई,,,, लेकिन जैसे ही पीछे से उसे जोर से डराने की आवाज आई हो पूरी तरह से चौक गई और पीछे मुड़कर देखी तो उसकी आंखें हैरानी से चोरी हो गई और वह एकदम खुश होते हुए बोली,,,,,,।
Poonam
सूरज तू,,,,, हरामी डराता है मुझे,,,,(इतना कहने के साथ ही सुबह उठ कर खड़ी हुई और उसे मारने के लिए आगे बढ़कर अपने हाथ उठाने वाली थी कि बचाव में सूरज ने उसके हाथ कस के पकड़ लिए और वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी,,, पुनम मारने को कर रही थी और वह बचने की पूरी कोशिश कर रहा था,,,,इसी अफरा-तफरी में सूरज उसे पीछे से पकड़ लिया पर अपने दोनों हाथों का घेराव उसकी कमर के ऊपरी भाग पर कस लिया,,,।)
अब बोल मारेगी मुझे,,,, तेरी चुटिया खींच लूंगा,,,
हरामी मेरी चुटिया खींचेगा,,,, आज तो मैं तुझे नहीं छोडूंगी,,,,
(पूनम अपना हाथ छुड़ाने की और उसे मारने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन सूरज एक जवान लड़का था उसके बाजू में दम ज्यादा था इसलिए वह कस के पकड़े हुए था,,, लेकिन पूनम उसके हाथों से छूटने की भरपूर कोशिश कर रही थी और इसी कोशिश में उसकी मदमस्त गोरी गोरी नरम नरम गांड सूरज के लंड पर दबाव बना रही थी दोनों को अभी तक इस बात का आभास बिल्कुल भी नहीं था पूनम तो इस अफरातफरी में यह भी भूल गई थी कि वह सिर्फ पेंटी पहनी हुई थी और कुर्ती और सूरज को भी इस बात का आभास बिल्कुल भी नहीं था कि वह पूनम को जिस अवस्था में पकड़ा है वह केवल पैंटी में ही खड़ी थी,,, सामान्य तौर पर दोनों में इसी तरह से नोकझोंक हुआ करती थी,,,,, सूरज पूनम की बुआ का लड़का था,,, जिसकी पूनम से बहुत बनती थी दोनों चचेरे भाई-बहन थे लेकिन दोनों दोस्त जैसे ही थे दोनों में इसी तरह से मारपीट नोकझोंक हुआ करती थी,,,, अाज वह दो-तीन महीने बाद पूनम के घर आया था और उसे सरप्राइज देना चाहता था,,,,,,
Sandhya
पूनम पूरा जोर लगा रही थी उसकी पकड़ से छूटने के लिए और सूरज था कि उसे जोरो से पकडा हुआ था,,, पूरन की गोल गोल गांड ठीक सूरज के लंड पर रगड़ खा रही थी और मदमस्त जवानी से भरी हुई पूनम की गांड कि रगड को अपने लंड पर महसूस करते ही सूरज के बदन में गर्मी जाने लगी,,,, गांड का मनमोहक स्पर्श से वह वाकिफ हुआ तो उसे इस बात का अहसास हुआ कि वह एक तरह से पूनम को पीछे से अपनी बाहों में दबोचा हुआ था जैसे कि एक प्रेमी प्रेमिका को पकड़े होता है एक पत्नी को पति अपनी बाहों में इसी तरह से जकड़ कर प्यार करता है और उसी तरह से इसी मुद्रा में चुदाई भी करता है,,, यह एहसास सूरज के तन बदन में आग लगा गया,,,,,
पूनम अभी भी उसी तरह से सूरज की पकड़ से छूटने का प्रयास करते हुए अनजाने में भी अपनी कमर के नीचे के भाग को उसके पेंट के अग्रभाग पर रगड़ रही थी,,,,पूनम को अपनी हरकत का आभास तक नहीं था क्यों जाने में वह जिस तरह की हरकत कर रही है वह क्रिया काम क्रीड़ा करते समय की जाती है,,,,, लेकिन सूरज को अब इस बात का आभास हो चुका था लेकिन वह जानबूझकर पूनम को अपनी पकड़ से छूटने नहीं देना चाहता था क्योंकि उसके नरम नरम गांड का स्पर्श उसे पागल कर रही थी,,,,लेकिन अभी तक वह नहीं जानता था कि कमर के नीचे पूनम ने सिर्फ पेंटी पहनी हुई है अगर यह बात जान जाता तो शायद वह पूरी तरह से उत्तेजित होकर कुछ गलत हरकत कर देता,,,,सूरज की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वहीं पूनम पूरी तरह से सामान्य थी लेकिन बेहद आक्रमक थी,,, क्योंकि वह किसी भी तरह से सूरज से हारना नहीं चाहती थी,,,, सूरज पूनम का ही हम उम्र था इसलिए दूसरे लड़कों की तरह उसके मन में भी लड़कियों के प्रति एक आकर्षण बना रहता था और यही आकर्षण की बदौलत वह पूनम के घर आया करता था पूनम का आकर्षण उसे भी बहुत पहले से था वह मन ही मन पूनम को पाने की चाह रखता था हालांकि वह उसकी बहन थी चचेरी बहन लेकिन फिर भी उसके बीच से आकर्षण महसूस होने लगा था जबकि पूनम बिल्कुल सहज थी सूरज को वह सिर्फ एक भाई और दोस्त की तरह ही देखती थी,,,,लेकिन सूरज के मन में कुछ और चलता रहता था इसीलिए तो आए दिन वह पूनम से मिलने चला आता था,,,,।
Ritu
बहुत दम हो गया है तेरे में ना,,,, लगता है इस बार खूब मुर्गा चिकन खाया है,,,,
मुर्गा चिकन नहीं खाया हूं इस बार दूध बहुत पिया हूं,,,,
किसका पिया है रे गाय का या भैंस का,,,,
भैंस मुझे पसंद नहीं है क्योंकि वह मोटी होती है मैं तो गाय का दुध पिया हुं,,,,
तभी तु सारा जोर मुझ पर आजमा रहा है,,,,,,,(पूनम छूटने की कोशिश करते हुए बोली तो इस बार सूरज पूनम की गांड का स्पर्श पाकर मदहोशी में,, अपनी कमर को हल्का सा आगे करते हुए उसे और जोर से जकड़ लिया,,, पूनम की गर्म जवानी की वजह से सूरज के पेंट में उसका लंड अकड़ने लगा था,,, उत्तेजना के मारे फुलने लगा था धीरे-धीरे उसने तंबू सा बन गया था जो कि सूरज की इस हरकत की वजह से पूनम को अपनी गांड के बीच की दरार में कुछ चुभता हुआ महसूस होने लगा था लेकिन अफरा-तफरी में वह उस ओर ध्यान नहीं दे रही थी,,,,)
Sujataa
छोड़ दे हरामि मुझे काम करने दे,,,,, ऐसा नहीं कि अभी अभी आया हूं थोड़ा आराम कर लूं,,,,
अच्छा मुझे बातों में उलझा रही है ताकि मैं अपनी पकड़ ढीली कर दु और तू छुट जाए,,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता मैं तेरी बात में आने वाला नहीं हूं,,,,(और इतना कहकर वह अपनी पकड़ और मजबूत करने के लिए अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर उसकी टांग को पकड़ना चाहा तो पूनम की जांघ पकड़ा गई और जांघ पर हाथ रखते हैं सूरज के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, उसकी सांस ऊपर नीचे होने लगी क्योंकि उसे आभास हो गया था कि जैसे पूनम ने कमर के नीचे कुछ पहने नहीं है और यही तसल्ली के लिए वह अपनी नजरों को नीचे करके देखने लगा तो उसके होश उड़ गए वाकई में कमर के नीचे पूनम पूरी तरह से नंगी थी सिर्फ उसके बेशकीमती खजाने को छुपाने के लिए एक छोटी सी चड्डी डाल रखी थी,,,, अब तो सूरज की हालत खराब होने लगी पेंट में उसका लंड और ज्यादा बवाल करने लगा,,,, पूनम को और ज्यादा अपनी गांड के बीचो बीच कुछ धंसता हुआ महसूस होने लगा,,,, वह पीछे नजर करके देखना चाहती थी कि आखिरकार क्या चुभ रहा है,,,,,,, क्योंकि पूनम एकदम भोली भाली लड़की थी उसे इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि जिस तरह से सूरज ने उसको पकड़े हुआ है ऐसे हालात में उसकी गांड पर उसका क्या चीज चुभ सकता है,,, इसीलिए वह मासूमियत भरे स्वर में बोली,,,।
अरे छोड़ने से हरामी पेंट में क्या रखा है मुझे कितना तेज चुभ रहा है,,,,
पेंट में,,,अरे कुछ भी तो नहीं है मेरे पेंट में तुझे क्या चुभ रहा है,,,,
नहीं नहीं छोड़ मुझे कुछ चुभ रहा है,,,
चल रहने दे तू सिर्फ छूटने के लिए बकवास कर रही है,,,।
(सूरज समझ गया था कि वह किस बारे में बात कर रही हो और उसके भोलेपन को भी अच्छी तरह से समझ गया था वह समझ गया था कि पूनम को कुछ भी पता नहीं चलता,,,, नहीं तो वह चुभने वाली बात बोलती ही नही सूरज को मजा आ रहा था ऐसा नहीं था कि पूनम को इस तरह से वह पहले नहीं पकड़ा था वह पहले भी इस तरह से पकड़ चुका था लेकिन आज उसे इस बात का एहसास हो गया था कि पूनम की खूबसूरती उसकी जवानी कितनी रस छोड़ रही थी इसलिए वह इस रस को पी जाना चाहता था,, सूरज का दिल जोरों से धड़क रहा था उसका मन कर रहा था कि उसकी गोल-गोल गांड को अपनी हथेली में पकड़कर जोर-जोर से दबाए,,,,, लेकिन खुले तौर पर वह ऐसा करने से घबरा रहा था उसकी चिकनी मक्खन जैसी जांघ को वह अपनी हथेली से दबोचे हुए था,,, और ऐसा करने में उसे अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था,,,। सूरज यह बात अच्छी तरह से जानता था कि पूनम एकदम गोरी चिकनी लड़की है इसीलिए उसकी मक्खन जैसी जांघ फिसल रही थी,,,। वह अपने मन में पूनम की मक्खन जैसी जांघों को अपनी जीभ से चाट कर उसका स्वाद चखना चाहता था,,,,,,,
पूनम को आप इस बात का एहसास हो रहा था कि सूरज अपनी कमर को हल्के हल्के उसकी गांड पर दबा रहा था और ना जाने क्यों पूनम के बदन में खुमारी छाने लगी थी,,,, उसे कुछ गलत होता हुआ महसूस हो रहा था लेकिन ना जाने क्यों एक तरह से अच्छा भी लग रहा था आखिरकार पूनम भी एक जवान लड़की थी ऐसे में कोई जवान लड़का उसके बदन को उसके पूरे वजूद को अपनी बाहों में झगड़ा हुआ हो तो भला पूनम की जवानी पिघलती कैसे नहीं,,,,पूनम को धीरे-धीरे एहसास होने लगा था कि उसकी गांड के बीचो बीच जो चीज चुभ रही थी वह कुछ और नहीं सूरज के पेंट के अंदर वही चीज है जिस बारे में रात को मनोज बता रहा था कि उससे बात करके उसका खड़ा हो गया है,,,, इस बात को सोचकर पूनम अपने मन में सोचने लगी कि क्या सूरज का भी वहीं खड़ा हो गया है जो मनोज का खड़ा हो गया था इस बारे में सोचते ही उसकी बुर से काम रस बहने लगा,,, वह उत्तेजित होने लगी,,,,
उसे काफी समय हो गया था इसलिए वह अब छूटने का प्रयास जोर शोर पर कर दी थी उसे इस बात का डर था कि कोई वहां आ ना जाए और इस हालत में देखकर,,, उन दोनों के बारे में गलत ना सोच ले,,,,।
छोड़ सूरज छोड़ मुझे,,, कोई आ जाएगा,,,, मैं कपड़े भी नहीं पहनी हुंं,,,,
(पूनम किस बात पर जानबूझकर चौक ने का नाटक करते हुए बोला)
चल झूठी,,,
मैं झूठ नहीं कह रही हूं सूरज नीचे देख,,,,
(पूनम की बात सुनकर सूरज नीचे देख कर जानबूझकर चौक ने का नाटक करते हुए बोला,,,)
बाप रे पूनम यह क्या कमर के नीचे तूने सलवार नहीं पहनी है से छोटी सी चड्डी पहन कर घर में है,,,
(सूरज के मुंह से चड्डी शब्द सुनकर पूनम शर्म से पानी पानी हो गई और सूरज से बोली,,,)
चल अब छोड़ मुझे,,,,,
(इस बार सूरज ना चाहते हुए भी उसे अपनी पकड़ से आजाद कर दिया,,,,,,, पूनम शर्माते संकुचाते बिस्तर के पीछे जाकर खड़ी हो गई और सूरत से बोली,,,)
अब खड़ा क्या है कमरे से बाहर जा मुझे कपड़े पहनने दे,,,,(इतना कहते हुए पूनम की नजर उसके पेंट में बनी तंबू पर चली गई जो कि अच्छा खासा उभार लिए हुए था उस उभार को देख कर पूनम की हालत खराब होने के लिए पूनम की बात सुनकर सूरज जानबूझकर शर्मिंदगी का नाटक करते हुए बोला,,,)
तु मुझे पहले क्यों नहीं बताई,,,,
कैसे बचाती तूने कुछ सोचने समझने का मौका ही नहीं दिया और तुझे दिख नहीं रहा था कि मैं क्या पहनी हुं,,,
सॉरी यार सच में मुझे पता नहीं था,,,,,(अच्छा तो जल्दी से कपड़े पहन ली मैं तब से मामी लोग से मिलकर आता हूं,,, और हां तेरे लिए समोसे और फ्रूटी लेकर आया हूं वो रखी है,,,(उंगली से इशारा करते हुए उसकी उंगली का इशारा देखकर पूनम भी उधर नजर डाली तो वहां पर समोसे और फ्रूटी पड़ी हुई थी जो कि उसे बेहद पसंद थे,,, पूनम खुश हो गई और सूरज कमरे से बाहर चला गया जाते जाते दरवाजा बंद कर दिया,,,, उसकी जाते ही पूनम ने तुरंत बिस्तर से नीचे गिरी हुई सलवार उठाकर पहन ली,,, और जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोचने लगी बार-बार उसका ध्यान सूरज के पेंट में बने तंबू की तरफ जा रहा था उसे रात वाली बातें याद आ रही थी मनोज उससे कह रहा था कि इस तरह की बात करके उसका लंड खडा हो गया है हालांकि उसने आज तक अपनी आंखों से एक जवान खड़े लंड को नहीं देखी थी लेकिन फिर भी सूरज के पेंट में बने तंबू को देखकर वह कुछ कुछ समझने लगी थी,,,,, पूनम एकदम सोच में पड़ गए थी,, क्योंकि जिस तरह से सूरज ने उसे पीछे से दबोचे हुए था,,, उसकी गांड ठीक उसके पीछे रगड़ खा रही थी जहां का भाग उभरा हुआ था,,,, पूनम अपने मन में यह सोचने लगी कि क्या उसकी गांड के दबाव के कारण सूरज का लंड खड़ा हो गया,,, अपने मन में ही लंड शब्द कहकर पूनम को अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव होने लगा था,,,।सूरज का लंड के कर दो उसी औरत अधिक उत्तेजना का अनुभव होने लगा था क्योंकि सूरज उसका चचेरा भाई था ,,, और उसके बारे में उसने कभी भी गलत धारणा नहीं बांधी थी,,, जिस तरह से वह उसकी चिकनी जांघ को अपनी हथेली में लेकर दबाए हुए थापूनम को लगने लगा था कि सूरज को सब कुछ मालूम था वह जानबूझकर इस तरह की हरकत कर रहा था लेकिन इस बात से वह बहुत अचंभित थे कि सूरज उसका चचेरा भाई था और वह भला अपनी ही बहन के साथ इस तरह की हरकत कैसे कर सकता है,,,,कुछ देर तक पूनम अपनी मन नहीं विचार-विमर्श करती रही फिर वह अपने मन का बहन समझकर इस वर्ष अपना ध्यान हटाकर समोसे खाने में लग गई और दूसरी तरफ सूरज अपनी मामी से मिलने के लिए चला गया,,,
सबसे पहले वह अपनी संध्या चाची के कमरे में गया,,, जहां पर वह बिस्तर पर लेटी हुई थी जाग रही थी,,, सूरज को देखते ही,,।
अरे बेटा सूरज तू कब आया,,,
बस अभी अभी आ रहा हूं मामी,,,,(पांव छूकर नमस्कार किया)
जीते रहो बेटा,,,,,
(कुछ देर वहां बैठकर इधर-उधर की बातें करता रहा लेकिन उसके चेहरे पर नजर संध्या की गोलाईयों पर थी,,, क्योंकि वह जानता था कि घर में उसकी संध्या मामी की चुचीया खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी और बेहद आकर्षक है,,,,संध्या को इस बात का आभास तक नहीं होता था कि मासूम से दिखने वाला सूरज उसकी चुचियों को बेहद प्यासी नजरों से देखता है,,, थोड़ी देर तक वह बैठा रहा और फिर उठ कर चला गया,,, अपनी रितु मामी के पास,,,, रितु को भी वह प्यासी नजरों से ही देखा करता था,,,। पूनम के रूम में वह दोबारा नहीं किया वह इधर-उधर घूमता रहा,,,।