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Ajju Landwalia

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Update 43

गौतम - इतने दिनों से बस सोच रही हो आप.. हर्ज ही क्या है आपको रूपा और माधुरी के साथ रहने में? कब से वो दोनों आपको बुला रही हैं मगर आप है की जाना ही नहीं चाहती.. ऐसी छोड़ दो माँ.. हम कब तक इस घर में रहेंगे? आप जो चाहती थी वह होने वाला है आपको एक नया घर मिलने वाला है आप घर की मालकिन बनने वाली हो मगर पता नहीं क्यों आपने अपनेआप को रोका हुआ है.. एक बार फिर से सोच लो माँ.. रूपा और माधुरी दिल की बुरी नहीं है.. वह दोनों आपको अपनी बड़ी बहन की तरह रखने को तैयार है.. आप कहेंगी तो मैं भी उन दोनों से दूरी बनाकर रखूंगा.. आप इस तरह वहां जाने से इंकार मत कीजिए..

गौतम ने समझाते हुए अपनी मां सुमन को यह सब कहा तो सुमन पलटकर गौतम को जवाब देती हुई बोली..

सुमन - मैं नहीं जानती ग़ुगु मेरा रूपा और माधुरी के साथ नहीं रहने का फैसला सही है या गलत.. मगर मैं बस इतना जानती हूं कि मैं तुझे उन दोनों के साथ अब और नहीं देख सकती.. मैं किसी भी कीमत पर रूपा और माधुरी के साथ उस घर में नहीं रहूंगी और ना ही तुझे रहने दूंगी..

गौतम सुमन की बातें सुनकर घर से निकलते हुए उसे कहता है..
गौतम - जैसी आपकी इच्छा माँ.. अगर आप नहीं जाना चाहती तो कोई बात नहीं.. मैं आपके ऊपर यहां से चलने के लिए और दबाव नहीं डालूंगा.. आपके साथ मैं यहां भी आराम से रह सकता हूं.. मैं बस आपकी ख़ुशी के लिए आपको समझा रहा था..

ये कहते हुए गौतम घर से निकल जाता है और कार लेके आदिल के चाचा के घर के पास एक मोड़ पर आकर रजिया को फ़ोन करता है और उसे बहाना बनाकर घर से बुलाकर अपने साथ कार में बैठा कर कहीं जाने के लिए निकल पड़ता है..

गौतम के फोन पर आदिल का फोन आ जाता है जो उसे एक जगह मिलने के लिए कहता है..
गौतम आदिल की बताइ किसी जगह पहुंचता है तो देखा है कि आदिल अपने मामू की लड़की नरगिस के साथ खड़ा था.

शाम के 5:00 बजे का समय था और इस वक्त आदिल नरगिस के साथ एक पार्क के पास खड़ा था साथ ही उसके करीब उसके मामा की लड़की नरगिस भी खड़ी थी जो की बुर्के में थी. गौतम रजिया को लेकर उसी पार्क के पास आदिल की खड़ी जगह आ जाता है..

आदिल रज़िया को देखता है तो वो चौंक जाता है रज़िया आदिल को सलाम करती है और आदिल गौतम से कहता है..
आदिल - अबे रज़िया ही मिली थी तुझे?
गौतम - अब तेरी अम्मी को साथ से लाने से मना कर दिया तूने.. तो और किसको लाता? एंट्री चाहिए ना..
आदिल गाडी मैं बैठते हुए - ठीक है चल..

गौतम आदिल नरगिस सबको को गाडी में बैठा लेता है और चल देता है..

आदिल - मास्क तो ले लिये ना तूने?
गौतम - हाँ.. सब है..
नरगिस - मास्क लगाकर फ़िल्म देखेंगे?
आदिल - हाँ ख़ास फ़िल्म है मज़ा आएगा तुझे..
रज़िया - गौतम.. कोनसी फ़िल्म है..
गौतम - अभी पता नहीं.. जाकर पता चलेगा..
नरगिस - कहा जाना है? नया सिनेमाहॉल खुला है?
आदिल - नहीं.. पुराना है.. बहुत ख़ास है.. आसानी से टिकट नहीं मिलती.. बड़ी मुश्किल से मिली है..
रज़िया मुस्कुराते हुए - अच्छा? फ़िल्म देखते टाइम हमारे साथ कुछ ऐसा वैसा तो नहीं करोगे ना..
आदिल नरगिस की चूची पकड़ता हुआ - ज्यादा कुछ नहीं बस एक राउंड लेंगे..
नरगिस आदिल से अपनी चूची छुड़वाते हुए - क्या?
गौतम रज़िया की चुत पर हाथ लगाते हुए - ये..
रज़िया गौतम की तरफ बढ़कर उसके गाल चूमते हुए - सिर्फ एक बार ही लोगे?
गौतम रज़िया के होंठ चूमते हुए - तू एक राउंड ही संभाल लेना मुझे..
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आदिल - गौतम मेडिकल पर रोक कंडोम ले लेता हूँ..
गौतम - छोड़ यार.. ये तो तेरे घर की घोड़िया है इनके साथ भी क्या कंडोम लगा के करेंगे?
नरगिस आदिल से - नहीं.. मैं बिना कंडोम नहीं करने दूंगी..
आदिल - रोक ले यार तू.. ले आता हूँ..
गौतम मेडिकल पर ग़ाडी रोकता है और आदिल कंडोम लेने चला जाता है..

रज़िया गौतम के ऊपर चढ़कर उसके होंठो पर टूट पडती है और अपने होंठों से चूमने लगती है जिसे देखकर नरगिस कहती है..
नरगिस - रज़िया तू तो यही शुरु हो गई.. अरे जगह तो देख ले.. लोग है आस पास..
रज़िया kiss तोड़कर - क्या करू नरगिस.. जब पास में ऐसा हसीन लड़का हो तो कैसे सब्र करू..
आदिल कंडोम लेकर आ जाता है साथ अपने लिए सेक्स पावर की गोली भी ले लेता है..
रज़िया वापस सीट पर आ जाती है और गौतम गाडी को चला कर सीधा एक पुरानी ईमारत के पीछे की बेसमेंट में लगा देता है जहा कोई नहीं था सब सुनसान था..

नरगिस - यहां कोनसी मूवी चल रही है? कोई भी तो नहीं है..
रज़िया - हाँ.. यहां तो कोई नहीं है.. और ये इलाका भी बहुत सुनसान है..
आदिल - अरे ऊपर है सिनेमा हॉल..
नरगिस - इस बिल्डिंग में?
आदिल - हाँ..
रज़िया - झूठ मत बोलो आदिल भाई.. तुम दोनों हमें किसी फ्लेट में लेजाकर पेलने वाले लगते हो..
नरगिस - आदिल.. ये क्या मज़ाक़ है.. तुम्हे करना था तो वही कर लेते.. मैंने मना थोड़ी किया था..
गौतम गाडी से उतरते हुए - अरे ख़ुफ़िया फ़िल्म है.. चलो आ जाओ.. चलते है..

गौतम आदिल रजिया और नरगिस के साथ उस पुरानी बिल्डिंग के बेसमेंट में गाड़ी लगाकर आगे की तरफ आ जाता है और सीडीओ से चढ़ता हुआ तीसरी मंजिल पर पहुंचता है.. यहां तक सारा रास्ता सुनसान था और कोई भी नहीं था मगर जैसे ही वह एक दरवाजे से एंट्री लेकर अंदर घुसते हैं वहां बहुत चल पहला और शोर शराब सब कुछ था.. वहां लोगों की भीड़ लगी हुई थी और सब किसी न किसी के साथ थे.. सब ने मास्क लगाया हुआ था और यहां पर गौतम ने भी सबको मास्क लगाने के लिए कह दिया था..

वहां से एक दरवाजे पर एंट्री पॉइंट था जहां पर दो लोग खड़े हुए थे और पर कपल एंट्री कर रहे थे लोग अपनी टिकट दिखाकर अंदर हाल की तरफ जा रहे थे और अपनी-अपनी सीट पर बैठ रहे थे सामने एक बड़ा सा पर्दा था जैसे कि आमतौर पर सिनेमा हॉल में होता है..
इस हाल की खास बात यह थी कि यहां पर हर तरफ से एंटी और एग्जिट प्वाइंट बने हुए थे पूरा कमरा साउंड प्रूफ था जिससे कोई भी शोर बाहर नहीं जा सकता था. सामने का पर्दा भी बिल्कुल सिनेमा हॉल की तरह साफ सुथरा और क्लियर था जिस पर कुछ ही देर में कोई पिक्चर चलने वाली थी..

गौतम ने रजिया के साथ तो आदिल ने नरगिस के साथ एंट्री ली.. एंट्री लेकर चारों सबसे पीछे की सीट पर बैठ गए जो गौतम के फ्रेंड ने रिक्वेस्ट करके दिलवाई थी..

5:00 बजने वाले थे और 6:15 पर पिक्चर शुरू होने वाली थी जो की डेढ़ घंटे की थी.. आज पिक्चर का थीम incest पर था जिसमें पारिवारिक रिश्तों में व्यभिचार को दिखाते हुए अश्लीलता का प्रदर्शन किया जा रहा था..
फिल्म का पोस्टर देखने से ऐसा लगता था कि इसमें घर में होने होने वाले व्यभिचार को कामुकता के रंग में रंगकर परोसा गया है..

सीट पर बैठते ही गौतम ने नरगिस के गले में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसके होठों पर अपने होंठो रखते हुए उसके होठों को खींचते हुए इस तरह चुम्मा जैसे कि वह आदिल की गर्लफ्रेंड ना होकर उसकी अपनी गर्लफ्रेंड हो..
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नरगिस विरोध करना चाहती थी मगर एकदम से हुए इस हमले पर वह अपनी प्रतिक्रिया देने में असमर्थ थी और उसके होंठ गौतम के होठों के गुलाम बन गए. उसने अपने होठों के जाम गौतम को पिला दिए और जब गौतम उसके होठों को चुमकर चुत पर अपना हाथ रखता है तब नरगिस गौतम को रोक देती है और उसके साथ चुंबन को तोड़ लेती है..

आदिल ये सब देख रहा था मगर उसने गौतम को रोकने का कोई इरादा नहीं किया और ना ही उसने कोई कोशिश की.. वो बस सामने देखता हुआ पर्दे की तरफ देखने लगा..
रज़ीया ने गौतम को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसके होठों पर होंठ लगाती हुई बोली..
रज़िया - मैं हूँ ना.. गौतम.. मेरे साथ करो..
गौतम ने रज़िया को चुमा और चूमते हुए उसके बदन का जायजा लेने लगा. उसके बदन और गांड पर हाथ फिरता हुआ वह रजीया को चूमे जा रहा था कि सामने पर्दे पर पिक्चर शुरू हो चुकी थी..

हॉल के अंदर बैठे हुए सभी कपल एक दूसरे के साथ चुम्माचाटी और दूसरी तरह की कामुक हरकतो में लीन हो चुके थे वही सामने फ़िल्म की शुरुआत में दिखाया जा रहा था की एक 45 के करीब की खूबसूरत औरत एक 25 साल के लड़के के आगे घोड़ी बनी हुई थी और लड़का उसे चोद रहा था.
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फ्लिम में चुत और लंड का सम्पर्क दिखाते हुए उन दोनों के चेहरे भी दिखाए जाते है.. इसीके साथ सामने दिवार पर लटकी घड़ी में रात के 2 बजे का समय दिखाया जाता है और उसके पास एक तस्वीर दिखाई जाती है जिसमे एक 50 साल का आदमी का चेहरा था जिसकी फोटो पर माला चढ़ी हुई थी.. उसी तस्वीर के करीब बाजू में एक और बड़ी सी तस्वीर थी जिसमे वो आदमी इस वक़्त चुद रही उस औरत के साथ खड़ा था और जो लड़का औरत को चोद रहा था वो उन दोनों के पैर छू रहा था.. जिससे पता चलता है की इस वक़्त जो लड़का जिस औरत को चोद रहा है वो उसकी माँ है और उसके बाप की मौत हो चुकी है..

नरगिस और रज़िया को अब पता चल गया था की ये सेक्स मूवी है.. हाल में बैठे हुए कपल में से बहुत से कपल ने अपने कपड़े साइड में रख दिए थे और अपने लंड और साथ आई लड़की की चुत और चुचो को भी नंगा कर दिया था और सेक्स की शुरुआत कर दी थी..

आदिल सेक्स की गोली खा चुका था और इस वक्त उसने नरगिस को अपनी बाहों में लेकर चूमना शुरू कर दिया था इसी के साथ ही गौतम ने भी रजीया के साथ मुंह मारना शुरू कर दिया था और अपना लंड बाहर निकाल कर रजीया के मुंह में दे दिया था जिसे रजीया बड़ी जोर से चूसते हुए मुस्कुराकर गौतम को देख रही थी..

गौतम रजिया को लंड चूसते हुए नरगिस की चुत पर हाथ रखकर उसकी चुत मसल रहा था.. काजल की बाहों में नरगिस यह समझ नहीं पा रही थी कि उसकी चुत पर किसका हाथ है और वह गौतम को अपनी चुत पर हाथ लगाने से नहीं रोक रही थी.. आदिल में जब नरगिस को अपनी बाहों से थोड़ा ढीला छोड़ तब उसे पता चला कि उसकी चुत पर आदिल का नहीं बल्कि गौतम का हाथ था और उसने गौतम का हाथ हटाने की कोशिश की मगर गौतम ने नरगिस की चुत को कस के पकड़ लिया और मसल दिया जिससे नरगिस की आह निकल गई..

नरगिस की नजर जब गौतम के लंड पर गई तब उसकी आंखें खुली की खुली रह गई और लंड चुस्ती हुई रजिया को देखने के बाद में नरगिस की नजर गौतम के चेहरे पर पड़ी जिसपर एक कातिल मुस्कान छाई हुई थी..

गौतम का लंड देखने के बाद नरगिस ने गौतम के चेहरे पर मुस्कान देखी.. नरगिस भी मुस्कुराते हुए गौतम को देखने लगी और इस बार उसने अपनी चुत
से गौतम का हाथ हटाने का कोई इरादा नहीं किया और गौतम को अपनी चुत से छेड़खानी करने की इज़ाज़त दे दीं. गौतम एक हाथ से नरगिस की चुत मसल रहा था दूसरे से अपना लंड चुस्ती हुई रज़िया की चुत को मसल रहा था..
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आदिल भी नरगिस के होठों को चूमते हुए उसके बूब्स दबा रहा था और नरगिस के मज़े ले रहा था..

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फिल्म मैं आगे दिखाया गया कि वह लड़का उस औरत के साथ घर के हर कोने में रोमांस कर रहा था और रोमांस करते हुए औरत को खुश रख रहा था साथ ही उसके साथ भर भर के चुदाई का काम भी कर रहा था.. दोनों की चुदाई की धमाकेदार आवाजे हॉल के स्पीकर से इतनी देर आ रही थी की हॉल में कपल की चुदाई की आवाजे उसमे दब कर रह जा रही थी..

आदिल ने नरगिस की सलवार नीचे करके उसे घोड़ी बना लिया और गौतम की तरफ नरगिस का मुंह करके पीछे से कंडोम लगाकर चोदने लगा..
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गौतम के सामने जब नरगिस का चेहरा आया तो गौतम ने नरगिस के बाल पड़कर उसका चेहरा अपने लंड पर झुका दिया और नरगिस पीछे आदिल से चुदवाते हुए आगे रज़िया की तरह गौतम के लंड को चूसने लग गई..

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गौतम के लंड पर रज़िया और नरगिस दोनों का मुंह था और दोनों बड़े चाव से लंड चूसती हुई गौतम के आंड चाट रही थी..
गौतम ने सामने हाल में देखा तो परदे की रोशनी मैं उसे कई कपल चुदाई करते हुए नज़र आ रहे थे उसके पास भी जो कपल बैठा हुआ था सेक्स करने लगा था...

गौतम को अब चुत चोदनी थी उसने नरगिस के मुंह से अपना लंड निकाल लिया और रज़िया की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने लंड पर बैठा लिया..

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गौतम ने चुत पर लंड लगाते हुए झट से रज़िया की चुत में अपना लंड घुसा दिया.. रज़िया बहुत कामुक लड़की थी उस ने अपनी चुत में गाजर मूली बैगन बैलन लोकी सब घुसाईं हुई थी तो गौतम के लंड को अंदर जाने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई मगर जब आधे से ज्यादा लंड जाने लगा तो रज़िया की चीख निकल गई और गौतम ने उसे चोदना शुरु कर दिया..

रज़िया की सडक छाप कुतिया की तरह सिसकते हुए गौतम के लंड पर उछल रही थी और आदिल नरगिस के बाल पकड़ कर पीछे से उसकी चुत मार रहा था और अब वो झड़ने वाला था.. रज़िया भी गौतम का लंड लेते ही झड़ गई और अब उसकी चुत पूरी गीली थी जिससे लंड ऊपर नीचे होने में ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था.. चुदाई चरम पर थी चारो सम्भोग में सुख भोग रहे थे.. फ़िल्म भी अपनी गती से आगे बढ़ रही थी और चुदाई पर चुदाई हो रही थी हॉल में कपल खुलकर एक दूसरे को चोद रहे थे सबकी शर्म निकल चुकी थी..

आदिल भी झड़ गया और सीट पर बैठ गया.. गौतम ने रज़िया को लंड पर से उतार दिया और आगे सीट पर झुका कर पीछे से उसकी चुत मारने लगा.. इसके साथ उसने देखा की नरगिस भी सीट पर बैठकर आदिल का कंडोम बांध कर सीट के नीचे रख रही थी.. गौतम ने थोड़ी देर रज़िया को छोड़ तो वो काम के चरम पर पहुंचकर वापस झड़ गई..

गौतम ने रज़िया छोड़ दिया और नरगिस का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लिया.. नरगिस भी बिना कुछ कहे गौतम के ऊपर आ गई और बिना कंडोम की परवाह किये गौतम के लंड को सिसकारियों और कामुक आवाजो के साथ चुत में ले गई..
गौतम ने नरगिस को गोद में उठाकर चोदना शुरुआत कर दिया जिसे आस पास के कपल देखकर तालिया बजाते हुए शोर करने लगे... .

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फ़िल्म आधी ख़त्म हो चुकी थी और आदिल ने अब रज़िया का हाथ पकड़कर उसे सीट पर घुमा लिया और चुत में लंड डाल कर चोदने लगा रज़िया आदिल के लंड से आराम से चुद रही थी और गौतम को देख रही थी जो नरगिस को लोडे पर उछाल उछाल के चोद रहा था. नरगिस झड़ गई और हाफने लगी मगर गौतम चोदे जा रहा था.. और ताबड़तोड़ झटके माररहा था.

गौतम ने इशारे से आदिल को कुछ कहा तो वो रज़िया को छोड़कर गौतम के आगे आ गया और नरगिस के पीछे खड़ा हो गया.. गौतम ने चोदना रोका तो आदिल ने नरगिस की गांड के छेद पर अपना खड़ा लंड लगा के झटका मारा और अपना लंड नरगिस की गांड में पेल दिया..
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नरगिस गांड मरवा चुकी थी इससे उसकी गांड में लंड आराम से चला गया और अब वो आदिल और गोतम के बीच आगे पीछे दोनों तरफ से चुद रही थी उसकी चीखे आदिल के कानो में मिश्री बनकर पड़ रही थी.. नरगिस की हालात खराब थी वो दोनों से छोड़ने को कह रही थी मगर दोनों उसको आगे पीछे से चोदे जा रहे थे..
आदिल ने चुदाई के दौरान नरगिस को कौशल की बात बता दीं और गाली देते हुए कहा..
आदिल - मुझे धोखा देगी रंडी.. ले.. चुदाई खानी छिनाल.. लंड चाहिए ना तुझे.. चुद अब..
नरगिस पहले ही इतनी हार्ड चुदाई से थक चुकी थी और अब उसे दर्द हो रहा था वही आदिल की बात सुनकर वो शर्म से लाल हो चुकी थी और अब उसने दोनों से छोड़ने की अपील करना भी बंद कर दिया था..
रज़िया सीट पर बैठी हुई नरगिस की चुदाई देखकर घबरा गई थी और उसने अपनी चुत कपडे से पोंछकर वापस चुदने का इरादा छोड़ दिया रहा..
आदिल और गौतम के साथ नरगिस की चुदाई देखकर लोग तालिया बजाते हुए अपने अपने साथी के साथ मज़े ले रहे थे फ़िल्म में भी चुदाई का सीन चल रहा था जहा माँ रसोई में खाना बनाते हुए बेटे से चुद रही थी..
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आदिल वापस झड़ गया और नरगिस की गांड में खाली होकर सीट पर आ बैठा वही अब गौतम भी झड़ने वाला था उसने नरगिस को सीट पर पटक दिया और रज़िया के बाल पकड़कर उसके मुंह को नरगिस के मुंह के पास लाकर दोनों के मुंह के सामने अपना लंड हिलाते हुए उनके मुंह पर अपना वीर्य एक के बाद एक अपनी पिचकारी से कई धार छोड़कर झड़ गया..
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नरगिस शर्म और चुदाई से बेहाल थी वही रज़िया दो बार झड़कर संतुष्ट और खुशहाल हो चुकी थी..
फ़िल्म समाप्ति की और थी..
रज़िया ने मुंह में लेकर गौतम का लंड साफ किया और अपने मुंह अपने दुप्पटे से.. नरगिस भी उसी दुप्पटे से मुंह साफ करने लगी..

आदिल का गुस्सा शांत नहीं हुआ था वो दो बार झड़ चूका था और होली खाने से अब भी उसका लंड सख्त था उसने पहिसे नरगिस को सीट पर घोड़ी बना लिया और नरगिस शर्म के मारे बिना कुछ बोले सिसकती हुई वापस आदिल से गांड मरवाने लगी..

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थोडी देर बाद गौतम ने आदिल को नरगिस के पीछे से हटा दिया और अपना लंड नरगिस की गांड में घुसा दिया जिससे नर्गिस गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाते हुए गांड मराने लगी आदिल के दिल को सुकून मिल गया और उसने रज़िया को भी उसी तरह घोड़ी बना लिया..
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अगल बगल रज़िया और नरगिस एक जैसी पोज़ में घोड़ी बने हुए थे.. नरगिस की गांड में गौतम खलबली मचा रहा था और रज़िया की चुत में आदिल उतरा हुआ था मगर रज़िया को उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा था.. रज़िया अपने दाने को छेड़ती हुई वापस कामुक हो रही थी और आदिल से चुद रही थी वही नरगिस तो ऐसे फसी जैसे रज़िया गुंडों में..

नरगिस ने हाथ जोड़कर गौतम से छोड़ने को कहा तो गौतम को तरस आ गया और उसने नरगिस की गांड से लंड निकाल लिया.. आदिल भी रज़िया के साथ वापस झड़ गया था.

गौतम के लंड पर किसी की नज़र पड़ी तो उसने गौतम को देखकर कहा.. बड़े लंड वाल.. बड़े लंड वाला.. गौतम के आस पास की 3-4 लड़की जो अपने कपल के साथ थी गौतम का लंड देखकर गौतम पर टूट पड़ी और एक साथ उसके लंड को चूसने लगी..
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गोतम को अचानक समझ नहीं आया की ये क्या हुआ.. आदिल रज़िया और नरगिस भी ये सब देख रहे थे.. गौतम सामने 4-5 लड़किया बैठकर उसके लंडपर टूट बड़ी किसी ने उसके टट्टे चाटे किसी ने लंड किसी ने जांघ किसी ने झाट वाला हिस्सा.. गौतम कामुकता से वापस भरने गया था..

फ़िल्म ख़त्म होने ही वाली थी और एक एग्जिट point खुल चूका था जहा से अब कपल बाहर जाने लगे थे.. गौतम लड़कियों के चारे के मास्क उतारे तो उसे बेहद खूबसूरत खूबसूरत लड़किया अपने लंड दिखी जो रसीसजाडीया मालूम पडती थी..
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आदिल ने गौतम से इशारे ने निकलने को कहा तो गौतम ने उसे इशारे से जाने के लिए कहा और आदिल रज़िया को इशारा करके वहा से जाने लगा आदिल के पीछे पीछे रज़िया भी लचकती हुई निकल गई और नरगिस हॉल में लगी सीट का सहारा लेते लेते बाहर निकली उसकी आज हालात खराब हो चुकी थी.. गौतम का लंड बारी बारी से सबके मुंह में जा रहा था और गौतम को लगने लगा था की अब अगर वो नहीं निकला तो लाइट on हो सकती है और फिर उसका चेहरा कोई भी देख सकता है..

गौतम ने लंड हाथ में लिया और मुठियाते हुए सामने बैठी लड़कियों के ऊपर अपना माल छोड़ दिया और हाल से अपने जीन्स पहनते हुए भागकर निकल गया..

आदिल के दिल में सुकून भर गया था उसके सामने नरगिस शर्म से पानी पानी होकर अपनी गांड पकडे खड़ी थी और रज़िया हसते हुए गौतम के लंड से मिले सुकून को महसूस करते हुए..
हॉल से निकले सब लोग आगे पार्किंग में जारहे रहे और गौतम पीछे पार्किंग में आदिल के पास आ गया..

गौतम कार मैं बैठ गया और बाकी लोग भी बैठ गए आदिल वहां से निकल गया और रास्ते में एक चाय की दूकान पर गाडी रोककर चाय वाले से चार चाय देने को कहते हुए आदिल से नरगिस का हाल पूछने को कहा..
गौतम - लगता है नरगिस नाराज़ है..
आदिल हसते हुए - कौशल की याद आ रही होगी..
नरगिस चुप थी और शर्मिंदा भी..
रज़िया - कितना रगड़ के किया था तुम दोनों ने इसके साथ... मैं तो घबरा ही गई थी कही मुझे भी इसकी तरह ना चुदवाना पड़े..
चायवाला - आपकी चाय..
सबने चायवाले से अपना अपना कुल्हड़ लेके चाय पीना शुरु कर दिया.. नरगिस को समझ नहीं आ रहा था वो क्या करें.. वो चुपचाप चाय पी रही थी..
आदिल ने गौतम के कान में कुछ कहा और गौतम ने रज़िया के कान में.. रज़िया हस्ती हुई दोनों को देखने लगी..
सबने चाय पीकर कुल्हड़ बाहर फेंक दिया.. चायवाला आकर - भाईसाब आपकी 4 चाय के 60 हो गए..
गौतम आदिल को देखकर - मेरी पास तो नहीं है आदिल तू देदे..
आदिल - मेरी पास भी नहीं है यार.. रज़िया तू दे दे..
रज़िया - तुम्हारे पास नहीं है तो मेरी पास कय होंगे... मैं भी बिना पैसे आई थी..
गौतम - नरगिस तुम पैसे दे दो..
नरगिस शर्मिंदगी से - मेरी पास भी नहीं है..
आदिल नरगिस को बिना उसका पर्स लिए ही ले आया था इसलिए वो जानता था नरगिस के पास पैसे नहीं है.. वो गौतम और रज़िया के साथ मिलकर ये नाटक कर रहा था..
चायवाला - इतनी अच्छी कार है भाईसाहब आपके पास.. 60 रुपए तो होंगे ही..
गौतम - आज भूल गया पैसे लाना यार.. कुछ और हो सकता है..
चायवाला - क्या मतलब?
आदिल - अरे भाईसाब आप पीछे आओ ना..
चायवाला पीछे कार की खिड़की में देखता हुआ - क्या?
आदिल नरगिस के चुचे पकड़ कर - भाईसाब पैसे के बदले इसके चुचे चूस लो..
चायवाला हैरानी से चुप था..
आदिल - क्या हुआ भाईसाब? आओ अंदर बैठ जाओ.. चूस लो..
चायवाला कामुकता से भर गया और गाडी के अंदर बैठ गया..
आदिल ने नरगिस के चुचे कुर्ती से बाहर निकाल दिए और चायवाला झपट कर नरगिस के बोबे चूसने लगा.. आदिल और गौतम एक दूसरे को देखकर हसने लगे वही नरगिस चुपचाप शर्मिंदा बैठी हुई चायवाले को चुचे चूसा रही थी..
आदिल - भाईसाब सिगरेट मिलेगी..
चायवाला चुचे चूसता हुआ - अभी लाया भाईसाब..
चायवाला एक बड़ी एडवांस सिगरेट और लाइटर लेके आ गया और आदिल को दे कर वापस नरगिस के चुचे चूसने लगा..
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आदिल ने एक कश लेकर सिगरेट गौतम को दे दी..
गौतम सिगरेट के कश लेते हुए चायवाले से बोला - भाईसाहब नाम क्या है आपका..
चायवाला - विनोद कुमार..
गौतम - विनोद भाई एक चाय और पीला दो..
नरगिस विनोद को अब अपने चुचे से हटा कर चुचे कुर्ती में वापस डाल लेती है और मुंह मोड़कर बैठ जाती है..
चायवाला - महगाई का टाइम है भाईसाब.. बिना वैसे कैसे चलेगा..
रज़िया विनोद के लंड पर हाथ रखकर - विनोद भाई.. पीला दो ना..
चायवाला विनोद - लता हूँ बहन जी..
आदिल हसते हुए - क्या बात है.. रज़िया रंडी..
रज़िया नरगिस से - नरगिस.. चुप क्यों है..
गौतम - ये तो कौशल बताएगा..
आदिल हसते हुए - सही कहा..
थोड़ी देर बाद चायवाल चाय लेकर आता है और आदिल और गौतम चाय पिने लगते है वही नरगिस चाय नहीं लती और मुंह बनाके बैठ जाती है रज़िया चाय की चुस्की लेकर चाय तो अच्छी बनाई है..
गौतम - हाँ इनाम तो मिलना चाहिए विनोद को..
चायवाला विनोद - क्या भाईसाहब...
गौतम रज़िया से - रज़िया मुंह में लेके thanks बोल विनोद को..
रज़िया हैरानी से - क्या?
आदिल चाय पीते हुए - बोल दे रज़िया.. तेरा क्या जाएगा बेचारे का भला हो जाएगा..
रज़िया कार का दरवाजा खोलकर इधर उधर देखती है और फिर विनोद की जीप खोलकर उसका लंड मुंह मे लेकर 2-3 बार चुस्ती है और thanks you भैया बोल देती है..
विनोद कामुकता से भरा हुआ देखता रह जाता है और सबके जाने के बाद दूकान के पीछे जाकर मुठ मारता है..

गौतम आदिल रज़िया और नरगिस को ड्राप करके वापस जब घर आया तो रात के 9 बज रहे थे..

कहा था अब तक? और फ़ोन क्यों नहीं उठाया तूने मेरा?
माँ साइलेंट था फ़ोन पता नहीं चला..
मैं यहां अकेली थी ग़ुगु..
माँ.. पुलिस क्वाटर है.. आसपास पुलिस वाले है.. इतने कैमरा और सेक्विरिटी है.. आप फिर भी डरती हो..
मुझे नहीं पता तू मुझे छोडके मत जाया कर शाम के बाद..
गौतम सुमन को बाहों में लेटा हुआ - अच्छा ठीक है मेरी शहजादी.. अब नहीं जाऊँगा शाम के बाद घर से बाहर...
सुमन मुस्कुराते हुए - खाना खा ले.. कब से इंतजार कर रही थी..
गौतम - क्या बनाया है?
सुमन - प्याज के पराठे तेरे पसंद के..
गौतम के गाल को चूमता हुआ - क्या बात है माँ.. आज तो बहुत प्यार आ रहा है अपने बेटे पर..
सुमन खाना ड़ालते हुए - तू नरकज़ तो नहीं है ना ग़ुगु मेरी फैसले से..
गौतम खाना खाते हुए - नहीं माँ.. रूपा और माधुरी के साथ रहना या ना रहना आपकी मर्ज़ी है.. मैं इसमें आपसे क्यों नाराज़ हूंगा? चलो आप भी खाओ.. मैं जानता हूँ आपने भी नहीं खाया होगा..
सुमन भी उसी प्लेट में गौतम के साथ खाना खाने लगती है और कहती है - ग़ुगु.. तू बता रहा था तेरे एग्जाम शुरु है 3 दिन बाद.. तैयारी ठीक चल रही है ना..
गौतम सुमन को खाना खिलाते हुए - आप फ़िक्र मत करो.. आज तक फ़ैल हुआ हूँ जो अब हूंगा.. टॉप करना नहीं है.. फैला होना नहीं है.. पास हो जाऊंगा..
सुमन - आज से हम अलग अलग सोयेंगे ग़ुगु..
गौतम - क्यों?
सुमन - कल रात तो तू बहक ही गया था.. अगर मैं नहीं रोकती तो तू छोटे ग़ुगु को मेरे अंदर डाल दी देता..
गौतम खाने की प्लेट देते हुए - वो तो मै मज़ाक़ कर रहा था माँ.. आप भी ना... चलो जल्दी आओ माँ मैं वेट कर रहा हूँ बिस्तर में..
सुमन मुस्कुराते हुए दिल ही दिल में गौतम को जाते देखकर मचलने लगी थी..
उसने जल्दी से बर्तन धोकर गौतम के पास की राह ले ली और उसके पास चली गई..
पिछली रात की तरह आज भी गौतम ने सुमन के बदन से चड्डी और ब्रा के अलावा सारे कपडे उतार दिए.. और खूबसूरत भी सिर्फ चड्डी में आ गया और सुमन से लिपटा हुआ थोड़ी देर उससे इधर उधर की बात करके सो गया..



Bahut hi umda update he moms_bachha Bro,

Nargis ka bahut hi badhiya band bajaya gugu aur aadil ne...........

Maja aa gaya bro.......Keep rocking
 

Ajju Landwalia

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Update 44

अगले दिन दोपहर में..
लीला दरवाजा खोलकर - तू आ गया बेटा?
गौतम - बस आंटी आपका फ़ोन आते ही दौड़ा चला आया.. गाडी चालान जो सीखना था.. घर पर कोई नहीं है ना..
लीला - कोई नहीं है तू अंदर..
गौतम - कहा गये है सब?
लीला - नीरज के पापा शमा को लेके गाज़ियाबाद गए है कल नीरज और मैं भी जाने वाले है वही कोर्ट मैरिज करेंगे इन दोनों की..
गौतम - और नीरज आंटी?
लीला - अरे उसे मैंने सामान लेने भेज दिया है..
गौतम लीला को बाहों में उठा के कमरे के अंदर बिस्तर में ले जाता हुआ - आंटी आपकी सडक बहुत अच्छी है गाडी चलाने में मज़ा आ गया उस दिन..
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लीला बिस्तर में साडी उठाकर - आज सडक की सफाई की है बेटा.. और मज़ा आएगा.
गौतम पेंट खोलकर लंड चुत पर लगाने ही वाला था की नीरज आ गया और उसने ये सब देख लिया.
गौतम नीरज को देखकर लीला से - आंटी केसा गांडू बेटा पैदा किया है? हर बार गलत टाइम पर आता है..
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नीरज चौंकते हुए - साले तू फिर से मेरी माँ चोद रहा है..
गौतम - तो क्या जबरदस्ती चोद रहा हूँ गांडू? देख नहीं रहा कैसे तेरी माँ टागे खोलके पड़ी मेरी सामने चुदने के लिए..
लीला अपनी चुत को साडी से ढकती हुई नीरज से - तू इतनी जल्दी कैसे आ गया?
नीरज गुस्से से - जिस दुकान पे आपने भेजा था वो बंद है आज... और मुझे नहीं पता था मुझे दूकान पर भेजकर आप ये गुल खिलाओगी...
गौतम लीला की चुत से साडी ऊपर करके चुत चाटते हुए - अब खड़ा खड़ा क्या अपनी माँ की चुदाई देखेगा गांडू.. जा ना यहां से.. एक घंटे बाद आना..
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नीरज लीला से - माँ इसको बोलो यहाँ से चला जाए वरना मेरे हाथ से आज खून हो जाएगा इसका...
लीला सिसकी लेती हुई नीरज से - ये तो यही रहेगा.. तू जा चाय बना.. वरना ये शादी जो तू कर रहा है होने नहीं दूंगी..
नीरज लीला की बात सुनकर खड़ा खड़ा रोने लगता है.. और गौतम चुत चाटने के बाद उसमे अपने लंड पेल देता है और चोदता हुआ बोलता है..
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गौतम - अरे क्यों रो रहा है गांडू.. कोनसा तेरी माँ पहली बार चूद रही है...
लीला कामवासना से भरकर - अह्ह्ह इसे रौने दे बैठके... तू चोद मुझे बेटा...
गौतम मिशनरी में झटके मारता हुआ - मज़ा आ रहा है ना आंटी...
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लीला - हाँ.. बेटा.. आह्ह..
गौतम नीरज से - नीरज कमाल की चुत है तेरी माँ की... बहुत टाइट है यार.. उफ्फ्फ...
लीला - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह्ह... बेटा.. उम्म्म्म.. अह्ह्ह्ह..
लीला की सिस्कारिया कमरे में गूंजने लगी थी और उसी के साथ में लंड चुत के मिलन से मधुर छप छप की आवाज भी..

नीरज अपने कान पर हाथ लगाकर वही बैठा वो अपनी माँ को चुदते हुए देखकर रो रहा था और गौतम उसे देखकर लीला को जबरदस्त तरीके से चोदे जा रहा था..
गौतम ने मिशनरी के बाद घोड़ी बनाके लंड चुत में पेल दिया और पट पट की आवाज के साथ लीला को चोदने लगा और नीरज से बोला..
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गौतम - अबे क्या माल है तेरी माँ.. साले...
लीला - अह्ह्ह.. अह्ह्ह..
गौतम - आंटी आपको तो ब्लू फ़िल्म में होना चाहिए.. बहुत कमाओगी..
लीला - तू दिला दे काम बेटा.. फिल्मो में..
नीरज उठकर आंशू बहाते हुए बाहर जाने लगता है तभी गौतम उससे कहता है..
गौतम - चाय बनाने जा रहा है क्या?
नीरज पलट कर गुस्से से - तेरे लिए चाय बनाऊंगा क्या साले..
गौतम - अबे इतना गुस्सा क्यों है? शमा से चिकनी तो तेरी माँ लीला है.. एक बार चोद के देख शमा को भूल जाएगा..
लीला चुदते हुए सिसकियाँ लेकर - अह्ह्ह बेटा.. कैसी बातें कर रहा है.. आह्ह... अह्ह्ह्ह..
गौतम नीरज से - खड़ा क्या है गांडु? चाय बना रहा है या तेरी माँ को लंड पर बैठाके रसोई में ले जाऊ चाय बनवाने?
लीला - आह्ह... नीरज बना दे बेटा..
गौतम - हाँ.. चाय पीके चला जाऊंगा..
लीला झड़ते हुए - अह्ह्ह... अह्ह्ह...
नीरज रोते हुए रसोई में आकर चाय चढ़ा देता है और अपनी माँ के बारे में सोचने लगता है कि वो कितनी बड़ी वाली रांडी है..
गौतम लीला को उठाके चोदते हुए रसोई में ले आता है..

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गौतम नीरज से - भाई हां या ना बोलके बता तो देता.. चाय बना रहा है या नहीं..
फ़ालतू तेरी माँ को कमरे से रसोई में लेके आया..
नीरज रोते हुए - माँ मैं पापा को सब बता दूंगा.. आपके और इस कमीने के बारे में..
लीला चुदते हुए एक थप्पड़ नीरज के गाल पर जड़ देती है और कहती है - सूअर.. ना जाने कोनसी रंडी को उठा के यहां ले आया.. और मुझे धमका रहा है.. बता दे तेरे पापा को.. अरे उसके लंड में दम नहीं है तभी तो इसके लंड पर बैठी हुँ... तेरे लंड में दम था तो तू बैठा लेता मुझे अपने लंड पर..
गौतम लीला कि चुत में झड़ते हुए - अह्ह्ह्ह.. आंटी.. आह्ह... मज़ा आ गया...

नीरज चाय कप में डालकर रख देता है और गौतम लीला को गोद से उतार कर बिना लंड पेंट में डाले चाय पिने लगता है..
गौतम चाय पीता हुआ - तेरी मा तो तेरा लेने के लिए भी तैयार है.. साले डाल क्यों नहीं देता..
लीला साडी सही करते हुए - ये क्या डालेगा डरपोक..
नीरज गुस्से में आकर अपने आंसू पोंछता है और अपनी माँ लीला कि साडी उठा कर अपना लंड लीला की चुत में पेलते हुए कहता है..
नीरज - बहुत गर्मी है ना माँ तेरी चुत में.. अब से मैं तेरी सारी गर्मी दूर करूँगा..
गौतम हसते हुए चाय पीकर रसोई की सिंक में मूतने लगता है और नीरज लीला को चोदने लगता है.. गौतम चाय पीते हुए मूत कर लंड पेंट में डाल लेता है और नीरज और लीला को देखने लगता है..
नीरज रसोई की स्लीब पर लीला को झुकाते हुए लीला को चोद रहा था और अपनी माँ को रांड छिनाल जैसे उपमा से अलंकृत करता है..
गौतम - अब बोल भोस्डिके.. है शमा तेरी माँ के आगे कुछ?
नीरज लीला को चोदते हुए - शमा की बात मत कर मैं उससे प्यार करता हूँ.. और रही बात माँ की तो इसकी चुत की सारी गर्मी अब मैं निकालूँगा..
गौतम जाते हुए - सोने मत देना रात भर आंटी को..
नीरज - इसे तो लंड पर सुलाऊंगा..
लीला मज़े से गौतम को देखकर - बाए बेटा..
गौतम - बाए आंटी...

************

कुछ दिन बाद...

रूपा झील के पास करीम की रिक्शा में बैठी हुई सडक को देख रही थी.. गौतम एक बस से उतर कर रिक्शा के पास आ गया और टेक्सी में बैठ गया..
गौतम ने बिना कुछ बोले रूपा के होंठो को अपने होंठों से लगा लिया और चूमकर रूपा से बोला..
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गौतम - माफ़ कर दो.. देरी हो गई आने में..
रूपा - करीम.. रिक्शा कहीं ले चल..
करीम - आपा वही ले चलू जहा पहली बार लेकर गया था..
रूपा - हाँ.. ले चल..
गौतम - ज्यादा टाइम नहीं है मम्मी.. रूम ले लेते है किसी होटल में..
रूपा - टाइम क्यों नहीं है..
गौतम - अरे आते आते शाम हो जायेगी.. माँ ने मना किया है शाम के बाद बाहर रहने से.. उन्हें डर लगता है अकेले..
रूपा - हम जल्दी आ जाएंगे..
गौतम - तुम कह रही थी कुछ बात करनी है तुम्हे?
रूपा - वही बैठ कर बात करेंगे..
गौतम रूपा के बूब्स पकड़कर मसलते हुए उसके चेहरे पर चुम्मिया करते हुए - ठीक है..
रूपा गौतम के सर को अपनी गोद में खींच लेती है और अपना ब्लाउज के बटन खोलकर एक चूची गौतम के मुंह पर रख देती जिसे गौतम चूसने लगता है और रूपा साडी का पल्लू गौतम के सर पर डाल कर उसका चहेरा आँचल में छुपा लेती है और रिक्शा से बाहर देखकर इतनी ख़ुशी से मुस्कुराने लगती है जैसे उसे कोई खज़ाना मिल गया हो.. Tamanna-Boob-Sucked2
करीब सब बैक मीरर में देख रह था और उसे समझ नहीं आ रहा था की रूपा इतनी खुश क्यों है?
गौतम ने रूपा का दूसरा चुचा भी निकाल लिया और मुंह में लेकर पूरी काम भावना के साथ चुचक चूसते हुए चुचो को चाट चाट कर पिने लगा.. रूपा के बदन में झुनझुनाहट हो रही थी और वो प्यार से गौतम का सर सहला रही थी..
रूपा गौतम को प्यार भरी और ममता भरी आँखों से देखने लगी.. उसे गौतम आज जान से प्यारा लग रहा था उसका करण सिर्फ वही जानती थी..

उसी जगह वापस आने के बाद गौतम ने रूपा को अपनी गोद में बैठा लिया और उसके होंठों का रस लेते हुए बोला - अब बताओ ना मम्मी क्या कह रही थी तुम?
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रूपा फिर से गौतम के होंठ चूमते हुए - इतनी भी क्या जल्दी है पहले मुझे मेरे शैतान बच्चे के नजूक लबों को तो मन भरके चुम लेने दे..
गौतम चूमते हुए - सॉरी मम्मी.. मैं माँ को साथ रहने के लिए नहीं मना पाया..
रूपा - कोई बात नहीं नन्हे शैतान.. वैसे भी कल मैं वापस माधुरी के साथ उसी फ्लेट में रहने जा रही हूँ..
गौतम - क्यों?
रूपा पर्स से कुछ डॉक्यूमेंट निकालती हुई - हमने वो घर सुमन दीदी के नाम पर कर दिया है.. और अब मैं और माधुरी दोनों ये चाहते है की तू सुमन के साथ उस छोटे से पुलिसक्वाटर से निकलकर उस घर में रहे..
गौतम - पर इतनी मेहरबानी क्यों?
रूपा - कैसी मेहरबानी? उस घर की असली हक़दार तो सुमन दीदी ही है.. और अब तु इसे लेने से मना मत करना.. तुझे दीदी की कसम..
गौतम रूपा के ब्लाउज में हाथ डालकर - अच्छा ये सब छोडो.. प्यार करना शुरु करें?
रूपा मुस्कुराते हुए गौतम की जीन्स का हुक खोलकर चैन नीचे कर देती है और झट से उसका लंड मुंह में लेकर चूसने लगती है..
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गौतम रूपा के पर्स में से सिगरेट लाइटर निकलकर सिगरेट सुलगाते हुए एक दो कश लेकर अपना लंड चुस्ती रूपा को सिगरेट देते हुए कश लेने के लिए कहता है तो रूपा मना कर देती है और लंड चूसने में फिर से मग्न हो जाती है..
गौतम - क्या हुआ मम्मी?
रूपा - मैने सिगरेट छोड़ दी..
गौतम - क्यों?
रूपा - डॉक्टर ने कहा है..
गौतम - डॉक्टर ने क्यों मना किया है?
रूपा - बच्चे को परेशानी होती है..
गौतम - मुझे क्या परेशानी होगी?
रूपा मुंह से लंड निकालकर गौतम को देखते हुए - तुझे नहीं मेरे नन्हे शैतान.. तेरे होने वाले बच्चे को जो मेरे अंदर पल रहा है..
गौतम स्तब्ध भाव से - क्या..
रूपा - क्या नहीं हाँ.. मेरे होने वाले बच्चे के पापा जी..
गौतम - मैं पापा बनने वाला हूँ? बहनचोद.. तुमने बच्चे रोकने वाली पिल्स नहीं ली थी..
रूपा लंड वापस चूसते हुए - तू फ़िक्र मत कर.. मैं संभाल लुंगी.. और मैं ही नहीं माधुरी का भी यही हाल है वो डॉक्टर के पास गई है.. मुझे उस दिन जब हम बाबाजी के पास से आ रहे थे तब पता चला मै पेट से हूँ और माधुरी को आज सुबह..
गौतम मुस्कुराते हुए - यार.. सब माँ बनती है तुम दोनों सीधा दादी बनगी..
रूपा टांग खोलते हुए - अच्छा अब धीरे धीरे चोदना.. पहले वाला शैतान नहीं अब प्यारा वाला शैतान बनकर रहना पड़ेगा तुझे..
गौतम चुत में लंड घुसाकार धीरे धीरे पेलता हुआ - पर तुम जानती हो मम्मी..
रूपा चुदवाते हुए - मैंने कहा ना मैं सभाल लुंगी.. तुझे फ़िक्र करने की जरुरत नहीं है.. बस मिलने जरुर आना.. हम दोनों ने जगमोहन से भी रिश्ता तोड़ दिया है..
गौतम रूपा ब्लाउज खोलकर उसके कबूतर आजाद कर देता है और अपनी टीशर्ट उतारकर रूपा के छाती से अपना सीना सटा देता है और होंठों के करीब होंठ लाकर रूपा की साँसों को महसूस करते हुए उसी तरह चोदते हुए कहता है - मुझे जब भी मौका मिलेग मैं मिलने आऊंगा मम्मी.. छोटी माँ से भी कहना.. आप दोनों अपना और बच्चे का अब और ज्यादा ख्याल रखना..
रूपा चुत में झटके खाकर मुस्कुराते हुए गौतम के होंठों को चुम लेती है और कहती है - हाँ शैतान...
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रूपा और गौतम के मिलन में सिर्फ उनके बदन ही नहीं मिल रहे थे बल्कि उनकी आत्मा भी उनके शरीर से निकलकर एक दूसरे को का लेना चाहती थी और इसी उद्देश्य को अपने मन में लिए दोनों एक दूसरे को भोग रहे थे..
प्रेम की जितनी कला रूपा को आती थी वह अपनी कलाओं में गौतम को अपने शरीर का सुख दे रही थी..
गौतम घास में पीठ के बल लेटा हुआ था और रूपा उसके लंड पर बैठकर अपने कबूतरों को मसलती हुई और अपने चेहरे पर कामुकता के भाव लाती हुई इठलात हुई मुस्कुराती हुई गौतम को देखकर आंख मारती हुई और उसे छेढ़ती हुई गौतम के लंड को चुत में लेकर गांड हिलाती हुई सम्भोग और प्रेम के नए आयाम से परिचित करवा रही थी रूपा आज कई बार झड़ी थी उसी तरह जैसे पहली बार गौतम की चुदाई से झडी थी.. और आखिर में गौतम ने भी रूपा की चुत में झटके मारते हुए अपना पानी निकाल दिया..

गौतम - मम्मी...
रूपा - हाँ?
गौतम गांड पकड़ते हुए - प्लीज...
रूपा - अच्छा लेले.. आज गांड भी...
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गौतम - मम्मी यार गांड उची करो ना अपनी.. लंड आराम से घुस जाएगा गांड में..
रूपा - धीरे... आहिस्ता घुसाना..
गौतम - फ़िक्र मत करो ज्यादा तकलीफ नहीं दूंगा..
गौतम गांड में लंड का टोपा फंसा कर गांड मारते हुए - लगता है आपसे सच्चा प्यार हो गया है..
रूपा - आहहह ग़ुगु धीरे ना.. बच्चा..
गौतम धीरे धीरे गांड मारते हुए - पता है उस जब उस रात तुम्हे और माँ को साथ में देखा था तब मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था तुम पर मगर फिर माँ के चेहरे पर ख़ुशी देखी तो तुम पर प्यार आने लगा था ..
रूपा - तुम्हारे प्यार ने ही तो मुझे इस तरह झुका रखा है ग़ुगु.. अब तेरे अलावा मुझे कुछ नहीं चाहिए..
गौतम - बहुत टाइट है मम्मी.. बहुत मज़ा आ रहा है अपनी गांड मारने में.. मम्मी आपकी चुत जन्नत तो गांड स्वर्ग का द्वार है सच में.. मेरा निकलने वाला है..
रूपा - ग़ुगु मुंह में देदे..
गौतम - लो मम्मी... आहहह...

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रूपा लंड मुंह में लेकर चूसने लगती है.. और कुछ ही पलो में गौतम रूपा के मुंह में झड़ जाता है..

दोनों सम्भोग समाप्त हो चूका था और अब गौतम एक पेड़ के सहारे बैठा हुआ था वही रूपा भी गौतम की गोद में उसके सीने का सहारा लिए बैठी थी..
गौतम - पता है मम्मी जब पहली बार मैं तुमसे मिला था और तुमने वापस आने के लिए अपनी सोने की चैन मुझे दे दी थी तब मुझे लगा था कि तुम बेवकूफ हो.. मगर बाद में समझ आया कि तुम मेरे मोह में पड़ गई थी..
रूपा - मैं तुझे देखते ही समझ गई थी नन्हें शैतान.. कि तू जैसा भी हो दिल का बुरा नहीं है.. ऊपर से तेरी प्यारी सूरत मेरे मन में तेरे लिए ममता भी जगा रही थी..
गौतम अपने वॉलेट से एक मगलसूत्र निकालकर - ये वही चैन है मम्मी.. जो तुमने मुझे कोठे के उस कमरे में दी थी मैंने इसका मगलसूत्र बनवाया है.. अब मैं इसे अपने हाथों से तुम्हारे गले में पहनाना चाहता हूँ..
रूपा आँखों में आंसू लेकर - गौतम...

गौतम मगलसूत्र पहनाकर पास पड़ी कटीली झाडी के एक कांटे से अपना अंगूंठा लगाकर खून की दो बून्द निकाल लेता है और उस अंगूठे के खून से रूपा की मांग भरके कहता है - लो मम्मी अब से तुम पूरी तरह मेरी हुई..

रूपा की आँखों से ख़ुशी के आंसू निकल पड़ते है.. और वो गौतम को गले लगा कर अपने पुरे जीवन के सारे दुख दर्द पीड़ा को भुलाकर नए सपने आँखों में सजा लेती है.. और गौतम के गले लग कर ख़ुशी से रोने लगती है..





Bahut hi shandar update he moms_bachha Bro,

Madhuri aur Rupa dono hi pregnant he, gugu ki to mauj he, bin shadi ke hi baap banane wala he...........

Rupa se to mangalsutra pehna kar mang bhar kar shadi bhi kar li................

Keep rocking Bro
 

Ajju Landwalia

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Update 45

ये कब हुआ?
सुबह 5 बजे के करीब हुआ था भाई.. जब तक हॉस्पिटल लड़कर पहुचे अब्बू जा चुके थे..
गौतम - बुरा हुआ आदिल..

आदिल - हाँ भाई.. पता नहीं था अचानक से इतना सब हो जाएगा..

गौतम ने आदिल से बात करके शबाना की तरफ कदम बढ़ा फिया औऱ एक कोने उदास खड़ी शबाना का हाथ पकड़ कर संतावाना देना लगा..
शबाना उदास थी मगर इतनी भी नहीं वो गौतम के आगे फुट फुट के रोती..
उदास मत हो अम्मी.. मैं औऱ आदिल है आपका ख्याल रखने के लिए..
शबाना ने उदासी के परदे हटा कर एक नज़र गौतम को देखा औऱ फिर उसके गले से लगती हुई बोली..
शबाना - पता नहीं था ऐसे चले जाएंगे..
गौतम शबाना को गले से लगाकर - अब किसको पता होता है अम्मी.. आप उदास मत हो..
शबाना उदासी से - कल तक तो ठीक थे बेटा.. फिर एकदम से...
गौतम आदिल से - मैं तेरी अम्मी को घर लेकर जा यह हूँ.. यहां रहेगी तो उदास रहेंगी ... तू बाइक की चाबी रख ले.. कोई जरुरत हो तो फ़ोन कर देना..
आदिल - ठीक है भाई.. जैसे हॉस्पिटल से बॉडी मिलती है मैं भी घर आ जाऊँगा.. मैं सबको फ़ोन कर रहा हूँ..
गौतम - चलो अम्मी...
गौतम शबाना को लेकर हॉस्पिटल के बाहर आ जाता है औऱ एक रिक्शा पकड़ कर उसे घर ले आता है..

गौतम - अम्मी उदास मत हो..
शबाना - फारूक बहुत अच्छे इंसान थे बेटा..
गौतम - जानता हूँ अम्मी.. मगर अब होनी को कौन टाल सकता है? जो होना था सो हो गया.. अब आप खुदको उदास मत करो..
शबाना - कैसे ना करु बेटा.. 25 साल से साथ थे..
गौतम शबाना के करीब आकर उसे बाहो में भरकर उसके आंसू पोंछते हुए - अम्मी.. मैं जानता हूँ फारूक मिया एक अच्छे इंसान थे.. मगर अब आपको आगे देखना है.. औऱ जीना है..
शबाना गौतम के कंधे पर सर रखकर उदासी से - बेटा.. ये सब क्या हो गया.. अब हमारा क्या होगा?
गौतम शबाना को बिस्तर पर बैठाते हुए - कुछ नहीं होगा अम्मी.. मैं हूँ ना.. चलो अब मुस्कुरा दो.. जीना तो हसके चाहिए ना..
शबाना हलकी सी मुस्कान चेहरे पर ले आती है..

गौतम शबाना की जांघ पर हाथ रखकर - अम्मी आप चाहो तो मैं..
शबाना गौतम के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए - नहीं बेटा.. आज नहीं..
गौतम अपने होंठ शबाना के होंठों के करीब लाकर - किसीको पता नहीं चलेगा अम्मी.. मैं जानता हूँ आप बहुत उदास हो औऱ मैं आपकी उदासी नहीं देख सकता..
शबाना गौतम के होंठों पर एक हल्का सा चुम्बन करके - नहीं बेटा.. कम से काम मैं आज ऐसा कुछ नहीं कर सकती.. आज फारूक के खातिर मैं अपनी हद पार नहीं कर सकती..
गौतम खड़ा होता हुआ - ठीक है अम्मी जैसा तुम कहो.. अभी मैं जाता हूँ.. फारूक मिया को जब ले जाएंगे तब आऊंगा..
शबाना गौतम का हाथ पकड़ कर - थोड़ी देर रुक जा ना बेटा.. मैं तेरे लिए चाय बना देती हूँ..
गौतम वापस बैठता हुआ - रहने दो अम्मी.. आप यही मेरे साथ बैठी रहो...
गौतम शबाना को गोद में बैठाकर बाहों में भर लेटा है औऱ शबाना गौतम के गले में हाथ डालकर उदासी से उसके बाहों में कसी हुई बैठी रहती है..

कुछ देर बाद
दरवाजे पर दस्तक होती है..
आदिल गौतम से - भाई तेरी चाबी..
गौतम चाबी लेते हुए - सबको फ़ोन कर दिया?
आदिल - हाँ.. कर दिया.. सब आने वाले होंगे.. आस पड़ोस के लोग भी खबर लगते ही जमा हो जाएंगे..
गौतम - मैं घर जाके आता हूँ.. जब जाने का टाइम तो बता देना..
आदिल - ठीक है.. मैं फ़ोन कर दूंगा.. दोपहर तक ले जाएंगे..
गौतम - वैसे भाई समझ नहीं आया.. एक दम से ऐसा क्या हुआ की हार्ट फ़ैल हो गया.. लोगों को तो एक दो हार्ट अटैक आते पर वो बच जाते है..
आदिल झेपते हुए - पता नहीं..
गौतम - कुछ तो बात है.. चल बात में बात करेंगे इस बारे में.. अभी चलता हूँ..
आदिल - भाई एक काम है..
गौतम - बोल ना..
आदिल - यार वो असलम साला नहीं आ रहा.. रेशमा आपा अकेली आ रही है तू जाकर उनको ले आएगा?
गौतम - ये कोई कहने की बात है.. मैं पहले रेशमा को है ले आता हूँ.. तू बाकी काम देख ले..
आदिल - ठीक है भाई..

गौतम - हेलो रेशु...
रेशमा - गौतम...
गौतम -
कहा हो?
रेशमा - यहां से बस में बैठी हूँ.. आधे घंटे में पुरानाकांटा पहुंच जाउंगी.. फिर घर के दूसरी बस पकड़ूँगी.. डेढ़ घंटा लग जाएगा आने में..
गौतम - पुराना कांटा पहुँचो. मैं लेने आ रहा हूँ..
रेशमा - मैं आ जाउंगी गौतम..
गौतम - मैं आ रहा हूँ ना..
रेशमा - ठीक है..

रेशमा बस से उतरकर गौतम से - तू आ भी गया?
गौतम - सुबह का टाइम है ना.. खाली सडक थी.. चलो बैठो..
रेशमा - वैसे अब्बू ठीक तो है ना.. आदिल ने बताया था अटैक आया है उनको..
गौतम - औऱ कुछ नहीं बताया आदिल ने?
रेशमा - नहीं.. फिर फ़ोन काट दिया था..
गौतम रेशमा का हाथ पकड़कर - रेशु.. तेरे अब्बू का इंतेक़ाल हो गया.. हार्ट फ़ैल हो गया उनका..
रेशमा उदासी से - तू मज़ाक़ तो नहीं कर रहा ना baby.. मुझे ऐसा मज़ाक़ अच्छा नहीं लगता..
गौतम रेशमा के गले लगकर - मैं ऐसा मज़ाक़ नहीं करता..
रेशमा उदासी से गौतम को गले लगाकर - अचानक ऐसा क्या हुआ?
गौतम - मुझे नहीं पता रेशु.. सुबह फ़ोन आया तो पता चला.. हॉस्पिटल जाने पर पता चला.. चलो..
रेशमा गौतम के पीछे बैठकर - अब्बू को घर ले आये?
गौतम - हाँ..
गौतम रेशमा को घर छोड़ कर चला जाता है औऱ फिर दोपहर में फारूक के आखिरी मुकाम पर पहूँचने के बाद अगले दिन शाम को आदिल के साथ उसके घर की छत पर आकर बैठ जाता है..

गौतम - साले अब बता सच सच..
आदिल - क्या?
गौतम - फारूक मिया के साथ ऐसा क्या हुआ कि वो लम्बे है हो गए..
आदिल - भाई क्या बात कर रहा है..
गौतम - अबे गांडु मुझे मत सीखा तुझे अच्छे से जानता हूँ मैं.. सच बता.. वरना तू जानता है मुझे..
आदिल - भाई तू बताएगा नहीं किसी को..
गौतम - ऐसी बातें बटाइ जाती है क्या गांडु.. मुझे बस जानना है.. औऱ कुछ नहीं..
आदिल - ठीक है बताता हूँ..
गौतम - बोल..
आदिल - रात को अब्बू औऱ अम्मी सो रहे थे.. तब मैंने अम्मी के कमरे में चला गया..
गौतम - फिर?
आदिल - फिर क्या भाई.. मुझे लगा अम्मी ने अब्बू को नींद की गोली दे दी होगी पर वो भूल गई.. अब तूने जो लेप दिया था वो मैंने अम्मी की चुत पर लगाया था और सच में अम्मी की चुत सिकुड़ गई थी.. मैं करने लगा और अम्मी सिस्कारिया भरने लगी... अम्मी की सिस्कारिया सुनकर अब्बू जाग गए औऱ अचानक हमारी तरफ देखने लगे..
गौतम - तभी बहनचोद...
आदिल - हाँ.. जब अब्बू ने देखा तो अम्मी मेरे आगे घोड़ी बनी हुई थी नंगी.. वो देखकर अब्बू ने अपना दिल पकड़ लिया औऱ बेड से जमीन पर गिर गए..
गौतम एक पल के हंसा फिर हंसी रोक कर बोला - साले.. तभी मैं सोचु..
आदिल - किसीको बताना मत तू.. ना ही अम्मी से इस बारे में जिक्र करना..
गौतम - तू उसकी फ़िक्र मत कर.. मेरी बात सुन.. आज रात मैं यही रुक जाता हूँ.. शबाना औऱ रेशमा दोनों उदास है.. तू शबाना की उदासी दूर कर दे मैं रेशमा की उदासी दूर कर देता हूँ.. तेरे रास्ते का रोड़ा हट गया.. अब तू दिन रात शबाना के करीब रह सकता है..
आदिल - अब्बू था मेरा रंडी.. क्या बोले जा रहा है.
गौतम - भाई फारूक मिया को जाना था वो चले गए.. अब क्या?
आदिल - तो क्या एक दिन मातम भी नहीं मनाऊं?
गौतम - भाई कल पुरे दिन मातम ही तो बना रहा था. अब छोड़ उन बातों को.. नई शुरुआत कर.. तुझे दूकान औऱ तेरी अम्मीजान दोनों को संभालना है..
आदिल - ठीक है..
गौतम - मैं घर कॉल कर देता हूँ.. औऱ रेशमा को लेके ऊपर वाले कमरे में जाता हूँ तू नीचे शबाना को संभाल ले.. कोई बात हो तो फ़ोन कर देना..
आदिल - भाई चुपचाप करना..
गौतम - फ़िक्र मत कर..

गौतम रेशमा से - चल ना रेशु.. तू भी क्या उदास होके बैठ गई..
रेशमा - baby.. रहने दे ना.. अब्बू चले गए है..
गौतम - ठीक है कुछ नहीं करता पर मेरे साथ सो सकती है..
रेशमा गौतम के साथ कमरे में आते हुए - ठीक है baby..
गौतम रेशमा को लेके ऊपर कमरे के बेड पर बाहों में बाहे डाले लेट गया था औऱ नीचे कमरे आदिल शबाना के साथ बेड पर लेटा हुआ था..

आदिल - मुझे लगा था आपने गोली दे दी होगी अब्बू को..
शबाना - मैंने तो दूध में मिला दी थी.. पर मुझे क्या आता था तेरे अब्बू दूध ही नहीं पिएंगे.. औऱ मेरा ध्यान भी नहीं गया उसपर..
आदिल शबाना के ऊपर आते हुए - छोडो अम्मी.. अब से हमें किसीका डर नहीं है..
शबाना - नहीं आदिल अभी नहीं.. मैंने कल गौतम को भी मना कर दिया इसके लिए..
आदिल - तुमने मना कर दिया तो वो रेशमा के पास चला गया.. दोनों का चक्कर चल रहा है..
शबाना हैरानी से - कब से औऱ तुझे कैसे पता?
आदिल - तुम जानती हो असलम को.. किसी काम का नहीं है साला.. रेशमा को कितना परेशान करता है.. औऱ रेशमा गौतम को पसंद करती थी तो मैंने दोनों की सेटिंग करवा दी..
शबाना - अच्छा है.. कम से कम रेशमा खुश तो रहेंगी गौतम के साथ..
आदिल - अम्मी अब खोलो ना सलवार.. अब्बू की जगह मैं हूँ ना..
शबाना - ठीक है.. सलवार सरका दे नीचे औऱ धीरे धीरे कर ले.. उनको पता ना चले..
आदिल - तुम फ़िक्र मत करो अम्मी.. किसीको कुछ पता नहीं चलेगा..
आदिल सलवार सरका कर शबाना की चुत में लंड घुसा देता है औऱ धीरे धीरे चोदने लगता है चुत में लंड जाते ही शबाना भी फारूक को भूलकर आदिल को बाहों में भर लेती है औऱ चुदवाते हुए कहती है..
शबाना - बेटा अब तुझे ही सब संभालना होगा.
आदिल - फ़िक्र मत कर अम्मी.. मैं सब संभाल लूंगा..
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इधर शबाना की चुदाई शुरु हो गई थी उधर गौतम ने भी रेशमा को चुदने के लिए तैयार कर लिया था..
रेशमा सलवार खोलकर - इतनी नौटंकी करने की जरुरत नहीं है.. कर लो जो करना चाहते हो.. मैं तैयार हूँ..
गौतम मुंह बनाकर - तेरा मन नहीं है तो रहने दे.. मैं सब्र कर सकता हूँ..
रेशमा गौतम का लंड पकड़ कर चुत के मुहाने पर लगाती हुई - फिर पता नहीं कब मिलना होगा.. अब्बू तो चले गए.. उनके जाने में तुम्हारा क्या गुनाह.. लो आओ..
गौतम लंड घुसते हुए - शुक्रिया रेशु.. तू ऐसे माहौल में भी मेरे लिए इतना कर रही है.. मैं कभी नहीं भूलूंगा..
रेशमा सिसकती हुई - ग़ुगु आराम से ना.. चुत दीखते ही पता नहीं क्या हो जाता है तुम्हे..

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गौतम धीरे धीरे चोदते हुए - तुम्हारी टाइट है रेशु.. मैं क्या करू? तुम्हारी अम्मी तो अब आराम से झेल जाती है एक बार में..
रेशमा - तूने अम्मी के साथ भी किया है?
गौतम झूठमुठ कहानी बनाकर कहता है - मैं क्या करता? तेरी अम्मी पीछे ही पड़ गई थी मेरे.. एक दिन नंगी होकर मेरे ऊपर चढ़ गई.. अब मैं भी मर्द जात हूँ कितना कण्ट्रोल करता..
रेशमा सिसकियाँ भरते हुए - उनकी क्या गलती? पहली बार तुझे देखकर मेरा दिल आ गया तुझपर.. उनका भी आ गया होगा.. सालों से अब्बू औऱ अम्मी के बीच कुछ हुआ भी तो नहीं था.. उसके बाद तो तेरे पीछे पड़ गई होगी अम्मी..
गौतम - पड़ी थी मगर मैंने आदिल को सब बता दिया..
रेशमा हैरानी से - फिर?
गौतम चोदते हुए - फिर क्या? तेरी अम्मी को आदिल सँभालने लगा औऱ मेरी जान छूटी..
रेशमा - मतलब आदिल औऱ अम्मी के बीच..
गौतम रेशमा के बूब्स मसलकर - हाँ रेशु.. मुझे तो लगता है अब भी कमरे में दोनों साथ चुदाई कर रहे है.
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रेशमा चुत से लोडा निकालकर सलवार पहनती हुई - मुझे देखना है.
गौतम - रेशु पहले मुझे कर तो लेने दो..
रेशमा - बाद में कर लेना रात पड़ी है पूरी... पहले मुझे देखकर आना है मुझे.. क्या हो रहा है नीचे..
गौतम जीन्स पहनकर - क्या करोगी देखकर?
रेशमा - कुछ नहीं बस देखना है..
गौतम - चलो..

गौतम औऱ रेशमा नीचे आकर शबाना औऱ आदिल की चुदाई का नज़ारा खिड़की की दरार से देखकर एक दूसरे को देखते है.. आदिल शबाना को घोड़ी बनाये हुए था.
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गौतम दबी हुई आवाज में - बस देख लिया? अब चले..
रेशमा हैरान होकर - चल..
गौतम औऱ रेशमा वापस ऊपर कमरे में आ जाते है..
गौतम रेशमा को बाहों में भरते हुए - क्या हुआ?
रेशमा - कुछ नहीं.. बस यकीन नहीं हो रहा..
गौतम - छोडो ना.. रेशमा.. शबाना औऱ आदिल दोनों खुश है..
रेशमा गौतम को चूमकर - गांड चाहिए थी ना तुम्हे.. आज मार लो.. कुछ नहीं कहूँगी..
गौतम - सच?
रेशमा नंगी होकर बेड पर घोड़ी बन जाती थी औऱ सरसो का तेल गांड के छेद पर लगाकर गौतम के लंड पर भी लगा देती है.. गौतम लंड सेट करके धीरे धीरे अंदर डालने लगता है..
लंड का टोपा अंदर घुसने पर गौतम - दर्द तो नहीं हो रहा ना रेशु..
रेशमा - मैं सब दर्द सह लुंगी जानू तुम मेरी फ़िक्र मत करो.. घुसाओ.. अंदर..
गौतम लंड घुसाने लगता है औऱ बड़ी मसक्कत के बाढ़ आधा घुसा देता है औऱ आधे से ही धीरे धीरे रेशमा की गांड मारने लगता है..
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गौतम - thanks रेशु...
रेशमा कराहती हुई - तुम्हारे लिए कुछ भी जान..
गौतम थोड़ा औऱ लंड अंदर घुसा देता है औऱ रेशमा को स्पीड हलकी सी बढ़ा कर चोदने लगता है तभी आदिल का वीडियो कॉल आता है..
गौतम फोन उठाकर - बोल..
आदिल - क्या कर रहा है?
गौतम - रेशमा की गांड मार रहा था.. तू क्या कर रहा है?
रेशमा - कौन है...
गौतम - तेरा भाई..
आदिल - अम्मी की चुत मार रह था..
गौतम - बात करवा अम्मी से..
शबाना - बेटा..
गौतम रेशमा की गांड मारते हुए - अम्मी कल मुझे
मना कर दिया अब आदिल का ले रही हो.. रेशमा ने तुमको देख लिया अभी अभी.. वो सब जान गई है..
शबाना - बेटा कल सुबह बहुत उदास थी. अभी तो तू भी आजा.. मना नहीं करुँगी..
रेशमा - ग़ुगु आराम से..
शबाना - बेटा धीरे.. रेशमा नहीं सह पाएगी..
आदिल - भाई नीचे आजा साथ में करते है..
गौतम - सुन तू अम्मी को लेके आजा ऊपर.. मैं नहीं आ सकता अभी..
आदिल - ठीक है.. फ़ोन कट जाता है..

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गौतम - रेशमा.. थोड़ी गांड उठा यार फिर ठीक से अंदर जाएगा..
रेशमा - लो.. डाल दो.. कर दो मुझे बर्बाद..
गौतम कमर को ठीक से पकड़ कर झटके मारता हुआ - thanks रेशु..
गौतम रेशमा की गांड मार ही रहा था की दरवाजे किसीने बजा दिया..
गौतम - आ जाओ अंदर खुला ही है..
आदिल औऱ शबाना अंदर आते है औऱ शबाना गौतम औऱ रेशमा को देखकर कहती है - हाय.. आराम से.. तूने तो पूरा डाल दिया गांड में..
आदिल - भाई आपा को उस तरफ से कर.. मैं इस तरफ से अम्मी को करता हूँ..
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गौतम बेड के दाई तरफ रेशमा को लाकर चोदने लगता है औऱ आदिल शबाना को बाई तरफ लाकर चोदने लगता है..
रेशमा शबाना के होंठ चुम लेती है औऱ चुदवाते हुए शबाना को kiss करने लगती है..
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शबाना झड़ जाती है औऱ आदिल भी झड़ जाता है दोनों कमरे में एक तरफ रखी चेयर पर बैठ जाते है वही रेशमा सिस्कारी लेती हुई गांड मरवाने का कार्यक्रम चलू रखती है झड़ वो भी चुकी थी मगर गौतम के लिए अब भी गांड मरवा रही थी..

रेशमा की गांड का छेद अब अच्छी तरह खुल गया था जिसमे लंड आसानी से आ जा रहा था.. गौतम ने अब जोर के झटके मारने शुरु कर दिए औऱ रेशमा की आवाजे कमरे में घूंजने लगी.. रेशमा अपनी गांड पकड़कर गौतम से छुड़ाने लगी तो शबाना आगे आ गई औऱ गौतम से बोली - हाय कितना जोर कर रहा है बेटा तू..
गौतम ने रेशमा की गांड से लंड निकालकर उसे हटा दिया औऱ शबाना को घोड़ी बनाकर गांड में सीधा लंड अंदर तक डाल दिया..
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शबाना भी एक दम से गांड में पूरा लंड जाने उचक पड़ी लेकिन गौतम ने बाल पकड़ कर शबाना की गांड मारना शुरु कर दिया..
रेशमा अपनी गांड सहलाती हुई बेड से नीचे गिर पड़ी जिसे आदिल ने अपनी बाहों में उठा लिया.. दोनों नंगे ही थे..
आदिल का लंड वापस खड़ा हो चूका था उसने रेशमा को वापस बेड पर पटक कर टांग खोलते हुए कहा - आपा बड़े लंड से दर्द होता है तो छोटा ले लो..
ये कहते हुए आदिल ने रेशमा की गांड में लंड घुसा दिया जिससे वापस रेशमा गांड मरवाने लगी.. मगर वो आदिल को न देखकर सामने शबाना औऱ गौतम को देखने लगी जो उसकी आँखों के सामने गांड मराई का खेल खेल रहे थे..
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गौतम आदिल से - मादरचोद बोला था ना रेशमा मेरी है हाथ मत लगाना..
आदिल - माफ़ कर दे भाई पर.. एक बार तो लेकर रहूँगा रेशमा आपा की.. ये कहते हुए आदिल ने रेशमा को पलट दिया औऱ उसकी चुत मारने लगा.. कुछ ही देर में रेशमा वापस झड़ गई औऱ बेड से लचकती हुई नीचे उतर गई..
गौतम - गांडू इधर आ.. तेरी अम्मी का सैंडविच बनाते है..
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गौतम पीछे से शबाना की गांड मार रहा था औऱ अब्ब आदिल शबाना की चुत में घुस गया.. दोनों एक टाइम पर शबाना को चोद रहे थे औऱ शबाना खुलकर सिसकियाँ भरते हुए चुदवा रही थी..
आदिल - भाई आगे आ ना मुझे पीछे से करना है.
गौतम - शबाना तू ही पलट जा... औऱ शबाना को घुमा के अपनी तरफ कर लेटा है..
दोनों शबाना को एक साथ चोदते हुए मज़े लेते है..
शबाना आदिल औऱ गौतम के बीच ऐसे फसी हुई थी जैसे बर्गर में टिकिया..

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आदिल वापस झड़ गया औऱ शबाना का पानी भी फिर से निकल गया था मगर गौतम अब भी मजबूती से मोर्चा संभाले हुए खड़ा था..

उसने आखिर में रेशमा औऱ शबाना को एक साथ घुटनो पर बैठा दिया औऱ लंड चूसाने लगा..

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आदिल थोड़ी देर बाद बेड से खड़ा हुआ औऱ कमरे से बाहर चला गया..
रेशमा औऱ शबाना बिना एक दूसरे से शर्म किये गौतम के लंड को चूस औऱ चाट रहे थे..
आदिल बाहर से आया तो उसके हाथ में शराब की आधी खाली बोतल थी जिसमे से उसने दो पेग बना दिए औऱ एक पेग गौतम को देकर बोला - भाई कब झाड़ेगा? अम्मी औऱ आपा का मुंह दुखने लगा होगा अब तो..
गौतम पेग पीकर गिलास वापस देते हुए - यार लंड चूसते हुए कितनी अच्छी लगती है तेरी अम्मी औऱ बहन..
आदिल- अब झाड़ भी दे.. हमारा दो बार हो गया तू एक बार भी नहीं निकाला..
गौतम - ठीक है यार..
गौतम लंड शबाना के मुंह से निकलकर अपने हाथ में पकड़ लेटा है औऱ दोनों को सामने मुंह खोलकर बैठने को बोलता है फिर लंड मुठियाते हुए दोनों के मुंह पर अपने वीर्य की एक के बाद एक लम्बी लम्बी धार मारता है औऱ झड़ जाता है..
आदिल - तूने झाड़ा है या नहलाया है मेरी अम्मी और आपा को..
गौतम - छोड़ ना यार नींद आ रही है..
रेशमा औऱ शबाना मुंह साफ करके खड़ी हो जाती है शबाना गौतम से कहती - चल में सुलाने देती हूँ..
रेशमा - नहीं अम्मी मेरे साथ सोयेगा गौतम.. चल जानू में सुलाती हूँ तुझे लोरी सुनाके..
आदिल शबाना को पकड़कर - तू मुझे सुला दे ना अम्मी..
चारो उसी बेड पर एकदूसरे की बाहों में बाहे डाले औऱ एकदूसरे से लिपटकर नंगे लेट जाते है..
आदिल - असलम साला कल आया नहीं..
गौतम - रेशमा तू असलम से तलाक़ लेले..
रेशमा - फिर?
गौतम - फिर क्या? सलमा ने जैसे घर बदल कर अपने अब्बू के साथ रह रही है वैसे तू आदिल से निकाह करके अपने भाई के साथ रह.. और मैं तो तेरे साथ हूँ ही..
शबाना - घर बेच कर दूसरी जगह जाना पड़ेगा..
आदिल - इसमें हर्ज़ ही क्या है? यहां हमें सब जानते है..

गौतम - शबाना सलमा से बात कर.. वो मदद करेगी..
आदिल - आपा आप करोगी मुझसे निकाह?
रेशमा - कर लुंगी पर गौतम को नहीं छोडूंगी..
गौतम - पहला निकाह होगा जो अकेले में होगा..
आदिल - हाँ.. और हम जल्दी ही यहां से कहीं और चले जाएगे.. दूकान मैं संभाल ही लूंगा..



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पहाड़ी के पीछे नीचे की तरफ बड़े बाबा जी अपने ध्यान में मग्न थे और उनके पास ही बैरागी की आत्मा भी बैठी हुई उन्हें देख रही थी..

बैरागी जानता था कि बड़े बाबा जी ध्यान कर सकते में अब उतने समर्थ नहीं है उसनका ध्यान भटक रहा है...
जब से गौतम बड़े बाबा जी से मिला था उनका ध्यान डगमगाने लगा था और उनका मन त्रस्त हो चुका था उनके मन में तरह-तरह के ख्याल आने लगे थे और उथल-पुथल मचने लगी थी..

थोड़ी देर ध्यान में बैठने के बाद बड़े बाबा जी एकदम से अपनी आंख खोलकर सामने देखने लगे उनके चेहरे पर आने वाले हाव-भाव यह बताने में बिल्कुल सटीक थे कि उनका ध्यान डगमगा गया है और वह जो देखना चाहते थे वह नहीं देख पाए हैं..
बड़े बाबा जी का इस तरह आंख खोल कर सामने देखना और विचलित हाव-भाव देखकर बैरागी समझ गया था कि वीरेंद्र सिंह जो देखना चाहता है वह नहीं देख पाया है..

वीरेंद्र सिंह ने सामने देखकर एक नजर अपने पास में बैठे बैरागी को देखा और उसकी आंखों में देखते हुए वह समझ गया कि बैरागी को इस बात का अनुमान हो चुका है कि वीरेंद्र सिंह अब ध्यान करते वक्त अपना मन स्थिर नहीं रख पाता और विचलित हो जाता है..

बैरागी और वीरेंद्र सिंह एक दूसरे को देख रहे थे और मन ही मन वह दोनों जानते थे कि वीरेंद्र सिंह ध्यान में क्या देखने की कोशिश कर रहा था और वह क्यों ध्यान करते हुए विचलित हो रहा था बैरागी इस बात से भी पुणता परीचित था कि बड़े बाबा जी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह गौतम का पिछला जन्म देखने के लिए आतुर है और वह इस लिए ध्यान करने बैठे हैं मगर बार बार उनका उचट जाता है...

बैरागी - क्या हुआ हुकुम.. कुछ दिनों से आपका ध्यान बार बार उचट रहा है.. कोनसा ख्याल आपका मन अस्थिर कर रहा है?
वीरेंद्र सिंह - बहुत सारे ख्याल है बैरागी.. किस किस के बारे में बताऊ? मगर जो मेरी समस्या की जड़ में बैठा है वो ख्याल है की आखिरी गौतम पिछले जन्म में कौन था.. धुप सिंह ने किस बंजारन से प्रेम किया था?
बैरागी - इसका जवाब तो आप मुझसे भी पूछ सकते थे हुकुम.. व्यर्थ ही कब से अपने आपको इतनी पीड़ा देने का कार्य कर रहे थे...
वीरेंद्र सिंह आश्चर्य से - क्या तू जानता है बैरागी आखिर गौतम अपने पिछले जन्म में कौन था?
बैरागी - हां हुकुम... मैं जानता हूं गौतम अपने पिछले जन्म में कौन था और कहां था.. और मैं उससे मिल भी चूका हूं..
वीरेंद्र सिंह - तु उससे मिल चुका है.. मगर कहां बैरागी? क्या धूपसिंह का असली पुत्र महल के ही किसी भाग में है या महल के आसपास?
बैरागी - नहीं हुकुम... ना तो वह महल में है ना ही महल के आसपास.. वह आपकी जागीर की सीमा के भीतर आने वाले जंगल के मुहाने पर बसी हुई बंजारा बस्तियों का बशिंदा था जिसे जंगल में मैंने देखा था..
वीरेंद्र सिंह - तू उसे कब कैसे मिला बैरागी.. आखिर तूने उसे कहां देखा और क्या बात की?
बैरागी - मैं आपको सब बताता हूं हुकुम.. मैं आपसे कुछ भी नहीं छुपाना चाहता..
वीरेंद्र सिंह - बताओ बैरागी... जल्दी बताओ मैं बहुत आतुर हुआ जा रहा हूं यह सुनने के लिए की गौतम पिछले जन्म में कौन था? और कहां था? मेरी मुक्ति का मार्ग दिखाने वाले तुम अब मुझे बताओ कि मुझे इस जीवन से मुक्ति दिलाने वाला आखिर अपने पिछले जन्म में था कौन?

बैरागी - तो सुनिए हुकुम.. जब मैं अपने उद्देश्य के लिए निकला था तब आपकी जागीर में आने से पहले जंगल के रास्ते पर था.. जहां जंगल के मुहाने पर बसी हुई बस्तियां थी और मैं उनके पगडंडियों वाले मार्ग पर चलता हुआ आपके जागीर की सीमा के भीतर प्रवेश कर चुका था.. जब मैं उस बंजारा कबिले के पास पहुंचा तो मेरी मुलाकात काबिले के सरदार डाकी से हुई..

डाकी कबिले के पुराने सरदार लाखा को द्वन्द युद्ध में मारकर सरदार बना था औऱ लाखा की दोनों पुत्री मुन्नी औऱ शीला को अपनी दासी बनाकर उनका स्वामी... कबले की परम्परा के मुताबिक लाखा की पत्नी को भी डाकी की पत्नी बनना पड़ता मगर लाखा की पत्नी बहुत पहले चल बसी थी औऱ उस वक़्त की कोई पत्नी नहीं थी..

वीरेंद्र सिंह - ये सब मैं जानता हूँ बैरागी.. तू ये बता इन सब में से गौतम का पिछला जन्म कौन था? साफ-साफ बता? आखिर उस कबीले में कौन था जो गौतम का पिछला था..
बैरागी - हुकुम... गौतम का पिछला जन्म और कोई नहीं लाखा की बड़ी पुत्री मुन्नी का एकलौता बेटा हाक़िम था..
वीरेंद्र सिंह - हाक़िम?
बैरागी - हां हुकुम.. हाक़िम.. जब मैं कबीले के सरदार डाकी से मिलकर वापस आने के लिए निकला तब जंगल के रास्ते में एक पेड़ के नीचे मेरी मुलाक़ात हाक़िम से हुई..

गौतम आज इस जन्म में जितना आत्मविश्वास से भरा हुआ निडर निर्भीक और जांबाज है अपने पिछले जन्म में उतना ही कमजोर और डरपोक था..
नाजायज संतान होने के कारण उसे कई बार कबीले के ताने सुनने पड़े. और किसी ने उसका साथ नहीं दिया.. लाखा ने भी हाक़िम को कभी नहीं अपनाया.. हाक़िम पर बस उसकी माँ मुन्नी औऱ मौसी शीला ही अपने प्रेम की वर्षा करती थी.. और शीला की पुत्री उर्मि भी हाक़िम को अपने दिल में पसंद करती थी मगर जब सरदार बदला और नया सरदार बना तब हकीम का अपनी मां मुन्नी और मौसी शीला से भी मिलना कम हो गया हाक़िम से वो लोग छुप छुप कर मिलते थे..

डाकी ने हाक़िम को काबिले से निकाला दे दिया औऱ हाक़िम की माँ मुन्नी औऱ मौसी शीला को अपने साथ रखकर भोग विलास करने लगा..
हाक़िम कबीले से दूर जंगल में अपने दिन गुजरने लगा और यह सोचने लगा कि अगर वह कमजोर ना होता इतना डरपोक ना होता और लड़ना जानता तो वह डाकी से लड़कर अपनी माँ मुन्नी औऱ मौसी शीला को उसके चंगुल से आज़ाद करवा लेता.. उसे कबीला नहीं छोड़ना पड़ता उसे कबीले से नहीं निकाला जाता..

हाक़िम जब मुझसे मिला तब उसने अपना दिल खोल कर मेरे सामने रख दिया था हुकुम.. वह अपने मन की हर एक गहराइयों में छुपी हुई बातों को मेरे सामने प्रकट करके मुझे मदद की उम्मीद कर बैठा और मैंने भी उससे मदद करने का वादा किया था..

हुकुम अब आप जान गए हैं कि गौतम अपने पिछले जन्म में कौन था और क्या था अब समय आने वाला है कि आप उसे उसके पिछले जन्म में भेज कर अपनी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं.. मगर आप अच्छी तरह जानते हो कि वह यहां से अपने पिछले जन्म में जितनी भी चीज ले जाएं मगर वहां से एक ही चीज वापस ला सकता है.. अगर वो जड़ी बूटी के अलावा कुछ और लेकर आता है तो फिर आपकी और मेरी मुक्ति अगले बचे हुए 500 सालों तक नहीं हो पायेगी हुकुम..

वीरेंद्र सिंह - तू सही कह रहा है बैरागी.. गौतम अगर जड़ीबूटी के अलावा कुछ और लेकर आ गया तो मेरे साथ साथ तुझे भी मुक्ति मिले बिना ही रह जाएगी.. उसे वापस आने के लिए औऱ कार्य ठीक से करने के लिए कोई ठोस वजह देनी होगी और यह भी तय करना होगा कि वह सिर्फ जड़ीबूटी ही लेकर आए और कुछ नहीं..
बैरागी - वजह तो उसे मिलने वाली है हुकुम.. वह वापस जरूर आएगा मगर क्या वह जड़ी बूटी लेकर आएगा या कुछ और? यह सोचने का विषय है.. अगर आप उसे इस बात पर अडीग कर ले कि वह सिर्फ जड़ी-बूटी लेकर आएगा तब आपका कार्य सिद्ध हो सकता है और हमें मुक्ति मिल सकती है आप जल्दी से उसे इस कार्य के लिए सज्य करें वक्त आने वाला है जब हमें एक साथ मुक्ति मिलेगी और आपका जीवन इस पीड़ा से इस कष्ट से और बंधन से आजाद हो जाएगा..



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Bahut hi khubsurat update he moms_bachha Bro,

Gugu aur aadil ne milkar maa beti ka badiya se tabla bajaya raat bhar..........

Gugu ke pichle janm ka rahsasy ab khul chuka he.............

Bairagi aur bade ababji ab jald se jald use wapis samay me bhejna chahte he..........

Lekin abhi bhi sanshay he ki gugu kewal jadi buti lekar aayega ya kuch aur..........

Keep rocking Bro
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Bahut hee badhiya or shandaar update … yeh update bahut informative bhi tha …

Keep posting bro ..👊🏻 😎
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Waiting for next blockbuster update …
 

Napster

Well-Known Member
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Update 45

ये कब हुआ?
सुबह 5 बजे के करीब हुआ था भाई.. जब तक हॉस्पिटल लड़कर पहुचे अब्बू जा चुके थे..
गौतम - बुरा हुआ आदिल..

आदिल - हाँ भाई.. पता नहीं था अचानक से इतना सब हो जाएगा..

गौतम ने आदिल से बात करके शबाना की तरफ कदम बढ़ा फिया औऱ एक कोने उदास खड़ी शबाना का हाथ पकड़ कर संतावाना देना लगा..
शबाना उदास थी मगर इतनी भी नहीं वो गौतम के आगे फुट फुट के रोती..
उदास मत हो अम्मी.. मैं औऱ आदिल है आपका ख्याल रखने के लिए..
शबाना ने उदासी के परदे हटा कर एक नज़र गौतम को देखा औऱ फिर उसके गले से लगती हुई बोली..
शबाना - पता नहीं था ऐसे चले जाएंगे..
गौतम शबाना को गले से लगाकर - अब किसको पता होता है अम्मी.. आप उदास मत हो..
शबाना उदासी से - कल तक तो ठीक थे बेटा.. फिर एकदम से...
गौतम आदिल से - मैं तेरी अम्मी को घर लेकर जा यह हूँ.. यहां रहेगी तो उदास रहेंगी ... तू बाइक की चाबी रख ले.. कोई जरुरत हो तो फ़ोन कर देना..
आदिल - ठीक है भाई.. जैसे हॉस्पिटल से बॉडी मिलती है मैं भी घर आ जाऊँगा.. मैं सबको फ़ोन कर रहा हूँ..
गौतम - चलो अम्मी...
गौतम शबाना को लेकर हॉस्पिटल के बाहर आ जाता है औऱ एक रिक्शा पकड़ कर उसे घर ले आता है..

गौतम - अम्मी उदास मत हो..
शबाना - फारूक बहुत अच्छे इंसान थे बेटा..
गौतम - जानता हूँ अम्मी.. मगर अब होनी को कौन टाल सकता है? जो होना था सो हो गया.. अब आप खुदको उदास मत करो..
शबाना - कैसे ना करु बेटा.. 25 साल से साथ थे..
गौतम शबाना के करीब आकर उसे बाहो में भरकर उसके आंसू पोंछते हुए - अम्मी.. मैं जानता हूँ फारूक मिया एक अच्छे इंसान थे.. मगर अब आपको आगे देखना है.. औऱ जीना है..
शबाना गौतम के कंधे पर सर रखकर उदासी से - बेटा.. ये सब क्या हो गया.. अब हमारा क्या होगा?
गौतम शबाना को बिस्तर पर बैठाते हुए - कुछ नहीं होगा अम्मी.. मैं हूँ ना.. चलो अब मुस्कुरा दो.. जीना तो हसके चाहिए ना..
शबाना हलकी सी मुस्कान चेहरे पर ले आती है..

गौतम शबाना की जांघ पर हाथ रखकर - अम्मी आप चाहो तो मैं..
शबाना गौतम के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए - नहीं बेटा.. आज नहीं..
गौतम अपने होंठ शबाना के होंठों के करीब लाकर - किसीको पता नहीं चलेगा अम्मी.. मैं जानता हूँ आप बहुत उदास हो औऱ मैं आपकी उदासी नहीं देख सकता..
शबाना गौतम के होंठों पर एक हल्का सा चुम्बन करके - नहीं बेटा.. कम से काम मैं आज ऐसा कुछ नहीं कर सकती.. आज फारूक के खातिर मैं अपनी हद पार नहीं कर सकती..
गौतम खड़ा होता हुआ - ठीक है अम्मी जैसा तुम कहो.. अभी मैं जाता हूँ.. फारूक मिया को जब ले जाएंगे तब आऊंगा..
शबाना गौतम का हाथ पकड़ कर - थोड़ी देर रुक जा ना बेटा.. मैं तेरे लिए चाय बना देती हूँ..
गौतम वापस बैठता हुआ - रहने दो अम्मी.. आप यही मेरे साथ बैठी रहो...
गौतम शबाना को गोद में बैठाकर बाहों में भर लेटा है औऱ शबाना गौतम के गले में हाथ डालकर उदासी से उसके बाहों में कसी हुई बैठी रहती है..

कुछ देर बाद
दरवाजे पर दस्तक होती है..
आदिल गौतम से - भाई तेरी चाबी..
गौतम चाबी लेते हुए - सबको फ़ोन कर दिया?
आदिल - हाँ.. कर दिया.. सब आने वाले होंगे.. आस पड़ोस के लोग भी खबर लगते ही जमा हो जाएंगे..
गौतम - मैं घर जाके आता हूँ.. जब जाने का टाइम तो बता देना..
आदिल - ठीक है.. मैं फ़ोन कर दूंगा.. दोपहर तक ले जाएंगे..
गौतम - वैसे भाई समझ नहीं आया.. एक दम से ऐसा क्या हुआ की हार्ट फ़ैल हो गया.. लोगों को तो एक दो हार्ट अटैक आते पर वो बच जाते है..
आदिल झेपते हुए - पता नहीं..
गौतम - कुछ तो बात है.. चल बात में बात करेंगे इस बारे में.. अभी चलता हूँ..
आदिल - भाई एक काम है..
गौतम - बोल ना..
आदिल - यार वो असलम साला नहीं आ रहा.. रेशमा आपा अकेली आ रही है तू जाकर उनको ले आएगा?
गौतम - ये कोई कहने की बात है.. मैं पहले रेशमा को है ले आता हूँ.. तू बाकी काम देख ले..
आदिल - ठीक है भाई..

गौतम - हेलो रेशु...
रेशमा - गौतम...
गौतम -
कहा हो?
रेशमा - यहां से बस में बैठी हूँ.. आधे घंटे में पुरानाकांटा पहुंच जाउंगी.. फिर घर के दूसरी बस पकड़ूँगी.. डेढ़ घंटा लग जाएगा आने में..
गौतम - पुराना कांटा पहुँचो. मैं लेने आ रहा हूँ..
रेशमा - मैं आ जाउंगी गौतम..
गौतम - मैं आ रहा हूँ ना..
रेशमा - ठीक है..

रेशमा बस से उतरकर गौतम से - तू आ भी गया?
गौतम - सुबह का टाइम है ना.. खाली सडक थी.. चलो बैठो..
रेशमा - वैसे अब्बू ठीक तो है ना.. आदिल ने बताया था अटैक आया है उनको..
गौतम - औऱ कुछ नहीं बताया आदिल ने?
रेशमा - नहीं.. फिर फ़ोन काट दिया था..
गौतम रेशमा का हाथ पकड़कर - रेशु.. तेरे अब्बू का इंतेक़ाल हो गया.. हार्ट फ़ैल हो गया उनका..
रेशमा उदासी से - तू मज़ाक़ तो नहीं कर रहा ना baby.. मुझे ऐसा मज़ाक़ अच्छा नहीं लगता..
गौतम रेशमा के गले लगकर - मैं ऐसा मज़ाक़ नहीं करता..
रेशमा उदासी से गौतम को गले लगाकर - अचानक ऐसा क्या हुआ?
गौतम - मुझे नहीं पता रेशु.. सुबह फ़ोन आया तो पता चला.. हॉस्पिटल जाने पर पता चला.. चलो..
रेशमा गौतम के पीछे बैठकर - अब्बू को घर ले आये?
गौतम - हाँ..
गौतम रेशमा को घर छोड़ कर चला जाता है औऱ फिर दोपहर में फारूक के आखिरी मुकाम पर पहूँचने के बाद अगले दिन शाम को आदिल के साथ उसके घर की छत पर आकर बैठ जाता है..

गौतम - साले अब बता सच सच..
आदिल - क्या?
गौतम - फारूक मिया के साथ ऐसा क्या हुआ कि वो लम्बे है हो गए..
आदिल - भाई क्या बात कर रहा है..
गौतम - अबे गांडु मुझे मत सीखा तुझे अच्छे से जानता हूँ मैं.. सच बता.. वरना तू जानता है मुझे..
आदिल - भाई तू बताएगा नहीं किसी को..
गौतम - ऐसी बातें बटाइ जाती है क्या गांडु.. मुझे बस जानना है.. औऱ कुछ नहीं..
आदिल - ठीक है बताता हूँ..
गौतम - बोल..
आदिल - रात को अब्बू औऱ अम्मी सो रहे थे.. तब मैंने अम्मी के कमरे में चला गया..
गौतम - फिर?
आदिल - फिर क्या भाई.. मुझे लगा अम्मी ने अब्बू को नींद की गोली दे दी होगी पर वो भूल गई.. अब तूने जो लेप दिया था वो मैंने अम्मी की चुत पर लगाया था और सच में अम्मी की चुत सिकुड़ गई थी.. मैं करने लगा और अम्मी सिस्कारिया भरने लगी... अम्मी की सिस्कारिया सुनकर अब्बू जाग गए औऱ अचानक हमारी तरफ देखने लगे..
गौतम - तभी बहनचोद...
आदिल - हाँ.. जब अब्बू ने देखा तो अम्मी मेरे आगे घोड़ी बनी हुई थी नंगी.. वो देखकर अब्बू ने अपना दिल पकड़ लिया औऱ बेड से जमीन पर गिर गए..
गौतम एक पल के हंसा फिर हंसी रोक कर बोला - साले.. तभी मैं सोचु..
आदिल - किसीको बताना मत तू.. ना ही अम्मी से इस बारे में जिक्र करना..
गौतम - तू उसकी फ़िक्र मत कर.. मेरी बात सुन.. आज रात मैं यही रुक जाता हूँ.. शबाना औऱ रेशमा दोनों उदास है.. तू शबाना की उदासी दूर कर दे मैं रेशमा की उदासी दूर कर देता हूँ.. तेरे रास्ते का रोड़ा हट गया.. अब तू दिन रात शबाना के करीब रह सकता है..
आदिल - अब्बू था मेरा रंडी.. क्या बोले जा रहा है.
गौतम - भाई फारूक मिया को जाना था वो चले गए.. अब क्या?
आदिल - तो क्या एक दिन मातम भी नहीं मनाऊं?
गौतम - भाई कल पुरे दिन मातम ही तो बना रहा था. अब छोड़ उन बातों को.. नई शुरुआत कर.. तुझे दूकान औऱ तेरी अम्मीजान दोनों को संभालना है..
आदिल - ठीक है..
गौतम - मैं घर कॉल कर देता हूँ.. औऱ रेशमा को लेके ऊपर वाले कमरे में जाता हूँ तू नीचे शबाना को संभाल ले.. कोई बात हो तो फ़ोन कर देना..
आदिल - भाई चुपचाप करना..
गौतम - फ़िक्र मत कर..

गौतम रेशमा से - चल ना रेशु.. तू भी क्या उदास होके बैठ गई..
रेशमा - baby.. रहने दे ना.. अब्बू चले गए है..
गौतम - ठीक है कुछ नहीं करता पर मेरे साथ सो सकती है..
रेशमा गौतम के साथ कमरे में आते हुए - ठीक है baby..
गौतम रेशमा को लेके ऊपर कमरे के बेड पर बाहों में बाहे डाले लेट गया था औऱ नीचे कमरे आदिल शबाना के साथ बेड पर लेटा हुआ था..

आदिल - मुझे लगा था आपने गोली दे दी होगी अब्बू को..
शबाना - मैंने तो दूध में मिला दी थी.. पर मुझे क्या आता था तेरे अब्बू दूध ही नहीं पिएंगे.. औऱ मेरा ध्यान भी नहीं गया उसपर..
आदिल शबाना के ऊपर आते हुए - छोडो अम्मी.. अब से हमें किसीका डर नहीं है..
शबाना - नहीं आदिल अभी नहीं.. मैंने कल गौतम को भी मना कर दिया इसके लिए..
आदिल - तुमने मना कर दिया तो वो रेशमा के पास चला गया.. दोनों का चक्कर चल रहा है..
शबाना हैरानी से - कब से औऱ तुझे कैसे पता?
आदिल - तुम जानती हो असलम को.. किसी काम का नहीं है साला.. रेशमा को कितना परेशान करता है.. औऱ रेशमा गौतम को पसंद करती थी तो मैंने दोनों की सेटिंग करवा दी..
शबाना - अच्छा है.. कम से कम रेशमा खुश तो रहेंगी गौतम के साथ..
आदिल - अम्मी अब खोलो ना सलवार.. अब्बू की जगह मैं हूँ ना..
शबाना - ठीक है.. सलवार सरका दे नीचे औऱ धीरे धीरे कर ले.. उनको पता ना चले..
आदिल - तुम फ़िक्र मत करो अम्मी.. किसीको कुछ पता नहीं चलेगा..
आदिल सलवार सरका कर शबाना की चुत में लंड घुसा देता है औऱ धीरे धीरे चोदने लगता है चुत में लंड जाते ही शबाना भी फारूक को भूलकर आदिल को बाहों में भर लेती है औऱ चुदवाते हुए कहती है..
शबाना - बेटा अब तुझे ही सब संभालना होगा.
आदिल - फ़िक्र मत कर अम्मी.. मैं सब संभाल लूंगा..
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इधर शबाना की चुदाई शुरु हो गई थी उधर गौतम ने भी रेशमा को चुदने के लिए तैयार कर लिया था..
रेशमा सलवार खोलकर - इतनी नौटंकी करने की जरुरत नहीं है.. कर लो जो करना चाहते हो.. मैं तैयार हूँ..
गौतम मुंह बनाकर - तेरा मन नहीं है तो रहने दे.. मैं सब्र कर सकता हूँ..
रेशमा गौतम का लंड पकड़ कर चुत के मुहाने पर लगाती हुई - फिर पता नहीं कब मिलना होगा.. अब्बू तो चले गए.. उनके जाने में तुम्हारा क्या गुनाह.. लो आओ..
गौतम लंड घुसते हुए - शुक्रिया रेशु.. तू ऐसे माहौल में भी मेरे लिए इतना कर रही है.. मैं कभी नहीं भूलूंगा..
रेशमा सिसकती हुई - ग़ुगु आराम से ना.. चुत दीखते ही पता नहीं क्या हो जाता है तुम्हे..

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गौतम धीरे धीरे चोदते हुए - तुम्हारी टाइट है रेशु.. मैं क्या करू? तुम्हारी अम्मी तो अब आराम से झेल जाती है एक बार में..
रेशमा - तूने अम्मी के साथ भी किया है?
गौतम झूठमुठ कहानी बनाकर कहता है - मैं क्या करता? तेरी अम्मी पीछे ही पड़ गई थी मेरे.. एक दिन नंगी होकर मेरे ऊपर चढ़ गई.. अब मैं भी मर्द जात हूँ कितना कण्ट्रोल करता..
रेशमा सिसकियाँ भरते हुए - उनकी क्या गलती? पहली बार तुझे देखकर मेरा दिल आ गया तुझपर.. उनका भी आ गया होगा.. सालों से अब्बू औऱ अम्मी के बीच कुछ हुआ भी तो नहीं था.. उसके बाद तो तेरे पीछे पड़ गई होगी अम्मी..
गौतम - पड़ी थी मगर मैंने आदिल को सब बता दिया..
रेशमा हैरानी से - फिर?
गौतम चोदते हुए - फिर क्या? तेरी अम्मी को आदिल सँभालने लगा औऱ मेरी जान छूटी..
रेशमा - मतलब आदिल औऱ अम्मी के बीच..
गौतम रेशमा के बूब्स मसलकर - हाँ रेशु.. मुझे तो लगता है अब भी कमरे में दोनों साथ चुदाई कर रहे है.
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रेशमा चुत से लोडा निकालकर सलवार पहनती हुई - मुझे देखना है.
गौतम - रेशु पहले मुझे कर तो लेने दो..
रेशमा - बाद में कर लेना रात पड़ी है पूरी... पहले मुझे देखकर आना है मुझे.. क्या हो रहा है नीचे..
गौतम जीन्स पहनकर - क्या करोगी देखकर?
रेशमा - कुछ नहीं बस देखना है..
गौतम - चलो..

गौतम औऱ रेशमा नीचे आकर शबाना औऱ आदिल की चुदाई का नज़ारा खिड़की की दरार से देखकर एक दूसरे को देखते है.. आदिल शबाना को घोड़ी बनाये हुए था.
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गौतम दबी हुई आवाज में - बस देख लिया? अब चले..
रेशमा हैरान होकर - चल..
गौतम औऱ रेशमा वापस ऊपर कमरे में आ जाते है..
गौतम रेशमा को बाहों में भरते हुए - क्या हुआ?
रेशमा - कुछ नहीं.. बस यकीन नहीं हो रहा..
गौतम - छोडो ना.. रेशमा.. शबाना औऱ आदिल दोनों खुश है..
रेशमा गौतम को चूमकर - गांड चाहिए थी ना तुम्हे.. आज मार लो.. कुछ नहीं कहूँगी..
गौतम - सच?
रेशमा नंगी होकर बेड पर घोड़ी बन जाती थी औऱ सरसो का तेल गांड के छेद पर लगाकर गौतम के लंड पर भी लगा देती है.. गौतम लंड सेट करके धीरे धीरे अंदर डालने लगता है..
लंड का टोपा अंदर घुसने पर गौतम - दर्द तो नहीं हो रहा ना रेशु..
रेशमा - मैं सब दर्द सह लुंगी जानू तुम मेरी फ़िक्र मत करो.. घुसाओ.. अंदर..
गौतम लंड घुसाने लगता है औऱ बड़ी मसक्कत के बाढ़ आधा घुसा देता है औऱ आधे से ही धीरे धीरे रेशमा की गांड मारने लगता है..
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गौतम - thanks रेशु...
रेशमा कराहती हुई - तुम्हारे लिए कुछ भी जान..
गौतम थोड़ा औऱ लंड अंदर घुसा देता है औऱ रेशमा को स्पीड हलकी सी बढ़ा कर चोदने लगता है तभी आदिल का वीडियो कॉल आता है..
गौतम फोन उठाकर - बोल..
आदिल - क्या कर रहा है?
गौतम - रेशमा की गांड मार रहा था.. तू क्या कर रहा है?
रेशमा - कौन है...
गौतम - तेरा भाई..
आदिल - अम्मी की चुत मार रह था..
गौतम - बात करवा अम्मी से..
शबाना - बेटा..
गौतम रेशमा की गांड मारते हुए - अम्मी कल मुझे
मना कर दिया अब आदिल का ले रही हो.. रेशमा ने तुमको देख लिया अभी अभी.. वो सब जान गई है..
शबाना - बेटा कल सुबह बहुत उदास थी. अभी तो तू भी आजा.. मना नहीं करुँगी..
रेशमा - ग़ुगु आराम से..
शबाना - बेटा धीरे.. रेशमा नहीं सह पाएगी..
आदिल - भाई नीचे आजा साथ में करते है..
गौतम - सुन तू अम्मी को लेके आजा ऊपर.. मैं नहीं आ सकता अभी..
आदिल - ठीक है.. फ़ोन कट जाता है..

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गौतम - रेशमा.. थोड़ी गांड उठा यार फिर ठीक से अंदर जाएगा..
रेशमा - लो.. डाल दो.. कर दो मुझे बर्बाद..
गौतम कमर को ठीक से पकड़ कर झटके मारता हुआ - thanks रेशु..
गौतम रेशमा की गांड मार ही रहा था की दरवाजे किसीने बजा दिया..
गौतम - आ जाओ अंदर खुला ही है..
आदिल औऱ शबाना अंदर आते है औऱ शबाना गौतम औऱ रेशमा को देखकर कहती है - हाय.. आराम से.. तूने तो पूरा डाल दिया गांड में..
आदिल - भाई आपा को उस तरफ से कर.. मैं इस तरफ से अम्मी को करता हूँ..
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गौतम बेड के दाई तरफ रेशमा को लाकर चोदने लगता है औऱ आदिल शबाना को बाई तरफ लाकर चोदने लगता है..
रेशमा शबाना के होंठ चुम लेती है औऱ चुदवाते हुए शबाना को kiss करने लगती है..
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शबाना झड़ जाती है औऱ आदिल भी झड़ जाता है दोनों कमरे में एक तरफ रखी चेयर पर बैठ जाते है वही रेशमा सिस्कारी लेती हुई गांड मरवाने का कार्यक्रम चलू रखती है झड़ वो भी चुकी थी मगर गौतम के लिए अब भी गांड मरवा रही थी..

रेशमा की गांड का छेद अब अच्छी तरह खुल गया था जिसमे लंड आसानी से आ जा रहा था.. गौतम ने अब जोर के झटके मारने शुरु कर दिए औऱ रेशमा की आवाजे कमरे में घूंजने लगी.. रेशमा अपनी गांड पकड़कर गौतम से छुड़ाने लगी तो शबाना आगे आ गई औऱ गौतम से बोली - हाय कितना जोर कर रहा है बेटा तू..
गौतम ने रेशमा की गांड से लंड निकालकर उसे हटा दिया औऱ शबाना को घोड़ी बनाकर गांड में सीधा लंड अंदर तक डाल दिया..
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शबाना भी एक दम से गांड में पूरा लंड जाने उचक पड़ी लेकिन गौतम ने बाल पकड़ कर शबाना की गांड मारना शुरु कर दिया..
रेशमा अपनी गांड सहलाती हुई बेड से नीचे गिर पड़ी जिसे आदिल ने अपनी बाहों में उठा लिया.. दोनों नंगे ही थे..
आदिल का लंड वापस खड़ा हो चूका था उसने रेशमा को वापस बेड पर पटक कर टांग खोलते हुए कहा - आपा बड़े लंड से दर्द होता है तो छोटा ले लो..
ये कहते हुए आदिल ने रेशमा की गांड में लंड घुसा दिया जिससे वापस रेशमा गांड मरवाने लगी.. मगर वो आदिल को न देखकर सामने शबाना औऱ गौतम को देखने लगी जो उसकी आँखों के सामने गांड मराई का खेल खेल रहे थे..
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गौतम आदिल से - मादरचोद बोला था ना रेशमा मेरी है हाथ मत लगाना..
आदिल - माफ़ कर दे भाई पर.. एक बार तो लेकर रहूँगा रेशमा आपा की.. ये कहते हुए आदिल ने रेशमा को पलट दिया औऱ उसकी चुत मारने लगा.. कुछ ही देर में रेशमा वापस झड़ गई औऱ बेड से लचकती हुई नीचे उतर गई..
गौतम - गांडू इधर आ.. तेरी अम्मी का सैंडविच बनाते है..
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गौतम पीछे से शबाना की गांड मार रहा था औऱ अब्ब आदिल शबाना की चुत में घुस गया.. दोनों एक टाइम पर शबाना को चोद रहे थे औऱ शबाना खुलकर सिसकियाँ भरते हुए चुदवा रही थी..
आदिल - भाई आगे आ ना मुझे पीछे से करना है.
गौतम - शबाना तू ही पलट जा... औऱ शबाना को घुमा के अपनी तरफ कर लेटा है..
दोनों शबाना को एक साथ चोदते हुए मज़े लेते है..
शबाना आदिल औऱ गौतम के बीच ऐसे फसी हुई थी जैसे बर्गर में टिकिया..

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आदिल वापस झड़ गया औऱ शबाना का पानी भी फिर से निकल गया था मगर गौतम अब भी मजबूती से मोर्चा संभाले हुए खड़ा था..

उसने आखिर में रेशमा औऱ शबाना को एक साथ घुटनो पर बैठा दिया औऱ लंड चूसाने लगा..

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आदिल थोड़ी देर बाद बेड से खड़ा हुआ औऱ कमरे से बाहर चला गया..
रेशमा औऱ शबाना बिना एक दूसरे से शर्म किये गौतम के लंड को चूस औऱ चाट रहे थे..
आदिल बाहर से आया तो उसके हाथ में शराब की आधी खाली बोतल थी जिसमे से उसने दो पेग बना दिए औऱ एक पेग गौतम को देकर बोला - भाई कब झाड़ेगा? अम्मी औऱ आपा का मुंह दुखने लगा होगा अब तो..
गौतम पेग पीकर गिलास वापस देते हुए - यार लंड चूसते हुए कितनी अच्छी लगती है तेरी अम्मी औऱ बहन..
आदिल- अब झाड़ भी दे.. हमारा दो बार हो गया तू एक बार भी नहीं निकाला..
गौतम - ठीक है यार..
गौतम लंड शबाना के मुंह से निकलकर अपने हाथ में पकड़ लेटा है औऱ दोनों को सामने मुंह खोलकर बैठने को बोलता है फिर लंड मुठियाते हुए दोनों के मुंह पर अपने वीर्य की एक के बाद एक लम्बी लम्बी धार मारता है औऱ झड़ जाता है..
आदिल - तूने झाड़ा है या नहलाया है मेरी अम्मी और आपा को..
गौतम - छोड़ ना यार नींद आ रही है..
रेशमा औऱ शबाना मुंह साफ करके खड़ी हो जाती है शबाना गौतम से कहती - चल में सुलाने देती हूँ..
रेशमा - नहीं अम्मी मेरे साथ सोयेगा गौतम.. चल जानू में सुलाती हूँ तुझे लोरी सुनाके..
आदिल शबाना को पकड़कर - तू मुझे सुला दे ना अम्मी..
चारो उसी बेड पर एकदूसरे की बाहों में बाहे डाले औऱ एकदूसरे से लिपटकर नंगे लेट जाते है..
आदिल - असलम साला कल आया नहीं..
गौतम - रेशमा तू असलम से तलाक़ लेले..
रेशमा - फिर?
गौतम - फिर क्या? सलमा ने जैसे घर बदल कर अपने अब्बू के साथ रह रही है वैसे तू आदिल से निकाह करके अपने भाई के साथ रह.. और मैं तो तेरे साथ हूँ ही..
शबाना - घर बेच कर दूसरी जगह जाना पड़ेगा..
आदिल - इसमें हर्ज़ ही क्या है? यहां हमें सब जानते है..

गौतम - शबाना सलमा से बात कर.. वो मदद करेगी..
आदिल - आपा आप करोगी मुझसे निकाह?
रेशमा - कर लुंगी पर गौतम को नहीं छोडूंगी..
गौतम - पहला निकाह होगा जो अकेले में होगा..
आदिल - हाँ.. और हम जल्दी ही यहां से कहीं और चले जाएगे.. दूकान मैं संभाल ही लूंगा..



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पहाड़ी के पीछे नीचे की तरफ बड़े बाबा जी अपने ध्यान में मग्न थे और उनके पास ही बैरागी की आत्मा भी बैठी हुई उन्हें देख रही थी..

बैरागी जानता था कि बड़े बाबा जी ध्यान कर सकते में अब उतने समर्थ नहीं है उसनका ध्यान भटक रहा है...
जब से गौतम बड़े बाबा जी से मिला था उनका ध्यान डगमगाने लगा था और उनका मन त्रस्त हो चुका था उनके मन में तरह-तरह के ख्याल आने लगे थे और उथल-पुथल मचने लगी थी..

थोड़ी देर ध्यान में बैठने के बाद बड़े बाबा जी एकदम से अपनी आंख खोलकर सामने देखने लगे उनके चेहरे पर आने वाले हाव-भाव यह बताने में बिल्कुल सटीक थे कि उनका ध्यान डगमगा गया है और वह जो देखना चाहते थे वह नहीं देख पाए हैं..
बड़े बाबा जी का इस तरह आंख खोल कर सामने देखना और विचलित हाव-भाव देखकर बैरागी समझ गया था कि वीरेंद्र सिंह जो देखना चाहता है वह नहीं देख पाया है..

वीरेंद्र सिंह ने सामने देखकर एक नजर अपने पास में बैठे बैरागी को देखा और उसकी आंखों में देखते हुए वह समझ गया कि बैरागी को इस बात का अनुमान हो चुका है कि वीरेंद्र सिंह अब ध्यान करते वक्त अपना मन स्थिर नहीं रख पाता और विचलित हो जाता है..

बैरागी और वीरेंद्र सिंह एक दूसरे को देख रहे थे और मन ही मन वह दोनों जानते थे कि वीरेंद्र सिंह ध्यान में क्या देखने की कोशिश कर रहा था और वह क्यों ध्यान करते हुए विचलित हो रहा था बैरागी इस बात से भी पुणता परीचित था कि बड़े बाबा जी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह गौतम का पिछला जन्म देखने के लिए आतुर है और वह इस लिए ध्यान करने बैठे हैं मगर बार बार उनका उचट जाता है...

बैरागी - क्या हुआ हुकुम.. कुछ दिनों से आपका ध्यान बार बार उचट रहा है.. कोनसा ख्याल आपका मन अस्थिर कर रहा है?
वीरेंद्र सिंह - बहुत सारे ख्याल है बैरागी.. किस किस के बारे में बताऊ? मगर जो मेरी समस्या की जड़ में बैठा है वो ख्याल है की आखिरी गौतम पिछले जन्म में कौन था.. धुप सिंह ने किस बंजारन से प्रेम किया था?
बैरागी - इसका जवाब तो आप मुझसे भी पूछ सकते थे हुकुम.. व्यर्थ ही कब से अपने आपको इतनी पीड़ा देने का कार्य कर रहे थे...
वीरेंद्र सिंह आश्चर्य से - क्या तू जानता है बैरागी आखिर गौतम अपने पिछले जन्म में कौन था?
बैरागी - हां हुकुम... मैं जानता हूं गौतम अपने पिछले जन्म में कौन था और कहां था.. और मैं उससे मिल भी चूका हूं..
वीरेंद्र सिंह - तु उससे मिल चुका है.. मगर कहां बैरागी? क्या धूपसिंह का असली पुत्र महल के ही किसी भाग में है या महल के आसपास?
बैरागी - नहीं हुकुम... ना तो वह महल में है ना ही महल के आसपास.. वह आपकी जागीर की सीमा के भीतर आने वाले जंगल के मुहाने पर बसी हुई बंजारा बस्तियों का बशिंदा था जिसे जंगल में मैंने देखा था..
वीरेंद्र सिंह - तू उसे कब कैसे मिला बैरागी.. आखिर तूने उसे कहां देखा और क्या बात की?
बैरागी - मैं आपको सब बताता हूं हुकुम.. मैं आपसे कुछ भी नहीं छुपाना चाहता..
वीरेंद्र सिंह - बताओ बैरागी... जल्दी बताओ मैं बहुत आतुर हुआ जा रहा हूं यह सुनने के लिए की गौतम पिछले जन्म में कौन था? और कहां था? मेरी मुक्ति का मार्ग दिखाने वाले तुम अब मुझे बताओ कि मुझे इस जीवन से मुक्ति दिलाने वाला आखिर अपने पिछले जन्म में था कौन?

बैरागी - तो सुनिए हुकुम.. जब मैं अपने उद्देश्य के लिए निकला था तब आपकी जागीर में आने से पहले जंगल के रास्ते पर था.. जहां जंगल के मुहाने पर बसी हुई बस्तियां थी और मैं उनके पगडंडियों वाले मार्ग पर चलता हुआ आपके जागीर की सीमा के भीतर प्रवेश कर चुका था.. जब मैं उस बंजारा कबिले के पास पहुंचा तो मेरी मुलाकात काबिले के सरदार डाकी से हुई..

डाकी कबिले के पुराने सरदार लाखा को द्वन्द युद्ध में मारकर सरदार बना था औऱ लाखा की दोनों पुत्री मुन्नी औऱ शीला को अपनी दासी बनाकर उनका स्वामी... कबले की परम्परा के मुताबिक लाखा की पत्नी को भी डाकी की पत्नी बनना पड़ता मगर लाखा की पत्नी बहुत पहले चल बसी थी औऱ उस वक़्त की कोई पत्नी नहीं थी..

वीरेंद्र सिंह - ये सब मैं जानता हूँ बैरागी.. तू ये बता इन सब में से गौतम का पिछला जन्म कौन था? साफ-साफ बता? आखिर उस कबीले में कौन था जो गौतम का पिछला था..
बैरागी - हुकुम... गौतम का पिछला जन्म और कोई नहीं लाखा की बड़ी पुत्री मुन्नी का एकलौता बेटा हाक़िम था..
वीरेंद्र सिंह - हाक़िम?
बैरागी - हां हुकुम.. हाक़िम.. जब मैं कबीले के सरदार डाकी से मिलकर वापस आने के लिए निकला तब जंगल के रास्ते में एक पेड़ के नीचे मेरी मुलाक़ात हाक़िम से हुई..

गौतम आज इस जन्म में जितना आत्मविश्वास से भरा हुआ निडर निर्भीक और जांबाज है अपने पिछले जन्म में उतना ही कमजोर और डरपोक था..
नाजायज संतान होने के कारण उसे कई बार कबीले के ताने सुनने पड़े. और किसी ने उसका साथ नहीं दिया.. लाखा ने भी हाक़िम को कभी नहीं अपनाया.. हाक़िम पर बस उसकी माँ मुन्नी औऱ मौसी शीला ही अपने प्रेम की वर्षा करती थी.. और शीला की पुत्री उर्मि भी हाक़िम को अपने दिल में पसंद करती थी मगर जब सरदार बदला और नया सरदार बना तब हकीम का अपनी मां मुन्नी और मौसी शीला से भी मिलना कम हो गया हाक़िम से वो लोग छुप छुप कर मिलते थे..

डाकी ने हाक़िम को काबिले से निकाला दे दिया औऱ हाक़िम की माँ मुन्नी औऱ मौसी शीला को अपने साथ रखकर भोग विलास करने लगा..
हाक़िम कबीले से दूर जंगल में अपने दिन गुजरने लगा और यह सोचने लगा कि अगर वह कमजोर ना होता इतना डरपोक ना होता और लड़ना जानता तो वह डाकी से लड़कर अपनी माँ मुन्नी औऱ मौसी शीला को उसके चंगुल से आज़ाद करवा लेता.. उसे कबीला नहीं छोड़ना पड़ता उसे कबीले से नहीं निकाला जाता..

हाक़िम जब मुझसे मिला तब उसने अपना दिल खोल कर मेरे सामने रख दिया था हुकुम.. वह अपने मन की हर एक गहराइयों में छुपी हुई बातों को मेरे सामने प्रकट करके मुझे मदद की उम्मीद कर बैठा और मैंने भी उससे मदद करने का वादा किया था..

हुकुम अब आप जान गए हैं कि गौतम अपने पिछले जन्म में कौन था और क्या था अब समय आने वाला है कि आप उसे उसके पिछले जन्म में भेज कर अपनी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं.. मगर आप अच्छी तरह जानते हो कि वह यहां से अपने पिछले जन्म में जितनी भी चीज ले जाएं मगर वहां से एक ही चीज वापस ला सकता है.. अगर वो जड़ी बूटी के अलावा कुछ और लेकर आता है तो फिर आपकी और मेरी मुक्ति अगले बचे हुए 500 सालों तक नहीं हो पायेगी हुकुम..

वीरेंद्र सिंह - तू सही कह रहा है बैरागी.. गौतम अगर जड़ीबूटी के अलावा कुछ और लेकर आ गया तो मेरे साथ साथ तुझे भी मुक्ति मिले बिना ही रह जाएगी.. उसे वापस आने के लिए औऱ कार्य ठीक से करने के लिए कोई ठोस वजह देनी होगी और यह भी तय करना होगा कि वह सिर्फ जड़ीबूटी ही लेकर आए और कुछ नहीं..
बैरागी - वजह तो उसे मिलने वाली है हुकुम.. वह वापस जरूर आएगा मगर क्या वह जड़ी बूटी लेकर आएगा या कुछ और? यह सोचने का विषय है.. अगर आप उसे इस बात पर अडीग कर ले कि वह सिर्फ जड़ी-बूटी लेकर आएगा तब आपका कार्य सिद्ध हो सकता है और हमें मुक्ति मिल सकती है आप जल्दी से उसे इस कार्य के लिए सज्य करें वक्त आने वाला है जब हमें एक साथ मुक्ति मिलेगी और आपका जीवन इस पीड़ा से इस कष्ट से और बंधन से आजाद हो जाएगा..



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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
आदिल के अब्बा उसकी और उसके माँ की रासलीला देखकर अल्ला को प्यारे हो गये
रेशमा और गौतम तो शबाना और आदिल लग गये चुदाई के काम में
रेशमा तो गौतम के कहने पर असलम से तलाक भी लेने को तयार हो गई
इधर बाबाजी और बैरागी गौतम के पिछले जन्म की बातें कर वो कौन था ये जान कर अपने आप को मुक्ती का मार्ग धुंड रहें हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Acha

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urc4me

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Aadil ne to kaand kar diya. Gautam ne maa beti dono ko nipta diya. Dono uski rakhail ban gayi hai. Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
 
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