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moms_bachha

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Update 39

गौतम जब सुमन को लेकर वापस आने के लिए निकला तो आधे रास्ते में सुमन उससे कार चलाना सिखने की बात करने लगी औऱ गौतम गाडी हाईवे से नीचे उतार कर खड़ी रोड पर ले आया..

गौतम सुमन को गाडी चलाना सिखाने के लिए हाईवे के बगल वाली खाली सुनसान रोड पर ले आया था जहा सुमन गौतम की गोद में बैठकर गाडी चलाना सिख रही थी औऱ गौतम सुमन को धीरे धीरे गाडी चलाना सिखाते हुए उसे बदन का लुफ्त ले रहा था..

गौतम सुमन की कमर पकड़कर उसकी गांड को अच्छे से लंड पर टिकता हुआ - माँ ठीक से बैठो ना यार.. आप तो ऐसे डर रही हो जैसा मेरा लंड चला जाएगा आपकी चुत में..
सुमन स्टाइरिंग पकड़कर धीरे धीरे गाडी चलाते हुए - बेटा चुभ रहा है तेरा.. तूने लोअर क्यों नीचे सरका दिया है अपना..
गौतम - लोअर ही तो सरकाया है माँ.. कोनसी आपकी साडी उठा दी मैंने.. आप गाडी चलाने पर ध्यान दो.. देखो संभाल के ब्रैक औऱ क्लच दबाओ..
सुमन - बेटा मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा कब ब्रेक दबाना है औऱ कब क्लच दबाना है..
गौतम सुमन का ब्लाउज खोलकर उसकी ब्रा उतार देता है औऱ सुमन के दोनों चुचे अपने दोनों हाथों के पंजो में पकड़ लेता है औऱ सुमन से कहता है - देखो माँ मैं जब आपका राइट बोबा दबाउ तो आपको ब्रेक मारना है औऱ लेफ्ट बोबा दबाउ तो कल्च दबाना है..
औऱ जब दोनों बोबो एक साथ दबाउ तो हॉर्न दबाना है.. औऱ जब नीचे से गांड पर झटका मारु तो समझ जाना गाडी रोकनी है..
सुमन हसते हुए - गुगु मैं तेरी माँ हूँ बेटा.. औऱ तू मेरे ही मज़े ले रहा है.. बहुत शैतान है तू..
गौतम - अब आपको ही गाडी चलाना सीखना था मैं तो इसी तरह सिखाता हूँ.. नहीं सीखना तो बोलो..
सुमन - ठीक है बेटा.. तुझे जो दबाना है दबा.. पर आज मैं गाडी चलाना सिखकर रहूंगी.. तू मेरा गुरु मैं तेरी चेली..
गौतम - माँ थोड़ी देर के लिए भूल जाओ मैं आपका बेटा हूँ.. अब से मुझे गुरूजी कहना औऱ मैं आपको अपनी चेली समझ कर गाडी चलाना सिखाऊंगा..
सुमन - ठीक है गुरूजी.. आप जैसा बोलो..
गौतम जोर से सुमन का राइट बोबा दबा देता है औऱ सुमन ब्रेक मारने की जगह चिल्ला देती है..
गौतम - ब्रेक मारने की जगह चिल्ला क्यों रही है..
सुमन गौतम को देखती हुई - इतना जोर से क्यों दबाया तूने..
गौतम वापस बोबा दबाकर - गुरूजी से तू करके बात करती है.. कैसी चेली है?
सुमन वापस आह करते हुए - गुरूजी आप बहुत जोर से दबाते हो.. लाल हो गए मेरे चुचे..
गौतम लेफ्ट बोबा दबाते हुए - गुरूजी तो ऐसे ही दबाते है..
सुमन अहह करते हुए कल्च दबती है औऱ अब इसीलिए तरह गौतम हाईवे से सटे सुनसान रास्ते पर सुमन को गाडी चलाना सिखाने लगता है.. औऱ दोनों में बातें होती रहती है.. सुमन भी इस मीठी छेड़खानी का मज़ा लेटे हुए गौतम से गाडी चलाना सीखती है औऱ बार बार गौतम को देखकर उसे थोड़ा डांटते हुए कम छेड़खानी करने औऱ धीरे खेड़खानी करने को कहती रहती है.. मगर गौतम अपने ही हिसाब से सुमन के बदन से छेड़खानी कर मज़े लुटता रहता है..

करीब डेढ़ घंटे इसी तरह दोनों इधर उधर घूमते रहते है औऱ सुनसान जगह के काफी अंदर तक आ जाते है जहा देखने से जंगल सा नज़ारा दिखाई देता औऱ वहा उन दोनों को एक खंडर दिखाई देता है.. जिसके आस पास ना इंसान था ना जानवर.. दूर दूर तक लोगों का नमो निशान तक नहीं था.. गौतम ने जोर से सुमन की गांड पे लंड का झटका दिया तो गौतम का इशारा समझ कर सुमन ने गाडी रोक दी..
सुमन हैरानी से - इतनी सुनसान जगह पर ये खंडर..
गौतम - भूतिया खंडर है माँ.. एक दोस्त ने बताया था यहां के बारे में.. लोग यहां नहीं आते जाते औऱ दो किलोमीटर दूर से ही गुजर जाते है..
सुमन - बेटा मुझे भूतो से बहुत डर लगता है.. चल यहां से चलते है..
गौतम - रुको ना माँ.. कितनी खूबसूरत जगह है.. चलो ना देखते है इस खंडर को..
सुमन - बेटा पर भूत से डरना ही अच्छा है.. यहां से दूर चलते है..
गौतम - माँ आप भी ना.. फालतू ही डरती हो.. भूत जैसा कुछ नहीं होता है.. लोग तो अफवाह उड़ाते है उनसे ही डरते है. आप चलो देखते है इस खंडर को..
सुमन डरते हुए - पर बेटा..
गौतम उतरते हुए - आप भी ना माँ.. चलो उतरो.. मैं हूँ ना..
सुमन अपने कपडे पहन कर गाडी से उतर जाती है औऱ गौतम का हाथ कस कर पकड़ लेती है..
गौतम सुमन के साथ खंडर के अंदर आ जाता है औऱ सुमन डरते हुए कसके गौतम का हाथ पकड़कर उसके साथ चलती है..
सुमन - बेटा ये खंडर तो बहुत डरावना औऱ बड़ा है..
गौतम आगे चलते हुए - आज डरावना है माँ पहले के समय कितना सुन्दर रहा होगा..
सुमन डरते हुए - बस बेटा अब वापस चलते है.. औऱ नहीं देखना..
गौतम सुमन को बाहों में भरके - अभी तो कुछ देखा ही नहीं माँ.. देखो नीचे तहखना है ऊपर भी कमरे बने हुए है.. चलो सीढ़िओ से ऊपर चलते है..
सुमन - बेटा बहुत डर लग रहा है..
गौतम - क्यों बेवजह डरती हो माँ.. चलो ना अभी तो सिर्फ खंडर शुरू ही हुआ है..
गौतम सुमन को बाहों में भरके ऊपर सीढ़ियों की तरफ ले जाता है जहा ऊपर पहुंचने पर दोनों के कान में कुछ आवाजे सुनाई देती है.. जिससे सुमन डर जाती है औऱ गौतम से लिपट जाती है मगर गौतम धीरे धीरे आवाज की औऱ जाने लगता है सुमन भी मज़बूरी में गौतम के साथ जाने लगती है.. धीरे धीरे आवाज साफ होने लगती है औऱ उन दोनों को समझ आ जाता है की ये आवाजे कैसी है..
गौतम औऱ सुमन एक दूसरे को देखते है औऱ गौतम मुस्कुराते हुए आगे चलकर औऱ आवाजे सुनने लगता है अब सुमन को भी आवाजे सुनने की इच्छाहो रही थी.. ये आवाज खंडर के ऊपर पीछे बने आखिरी कमरे से आ रही थी.. जहा किसी की चुदाई का कार्यक्रम कर पुरे जोर के साथ चल रहा था.

गौतम औऱ सुमन उस कमरे के करीब आती है तो दोनों को दिखाई देता है कि एक 25 साल के करीब का लड़का एक 40-42 साल के करीब कि औऱत को चोद रहा था.. नीचे एक कपड़ा बिछाकार दोनों मस्ती से चुदाई कर रहे थे..
औरत चुदवाते हुए - जल्दी कर हरिया.. आज तेरा बाप शहर से वापस आने वाला है..
हरिया चोदते हुए - आ जाने दे मंजू.. कोनसा वो आके हम माँ बेटे के बारे में पता ही लगा लेगा..
मंजू - बेटा 5 साल से अपनी माँ को यहां लाकर चोद रहा है तू.. कभी कोई देख लेगा तो पता नहीं क्या होगा..
हरिया - 5 साल से कौन हमें देखने यहां आया है मंजू? तू क्यों इतना फालतू डरती है? तू अच्छे से जानती है मैं तेरी चुत के बिना औऱ तू मेरे लंड के बिना अब नहीं ज़ी सकते.. तो हर बार इतना क्यों डरती है..

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मंजू - घर में ही चोद लिया कर अपनी माँ को हरिया.. क्यों मुझे चोदने के लिए यहां लाता है बार बार?
हरिया - मंजू घर में जब भी तेरा घाघरा खोलता हूँ कोई ना कोई आ जाता है.. दादी भी घर में रहती है.. यहाँ जितना आराम औऱ सुकून से तुझे चोदने में मज़ा आता है उतना घर पर नहीं आता..
मंजू - शादी कि उम्र हो गई है तेरी.. अब अपनी माँ का पीछा छोड़ दे.. तेरी चाची बता रही थी उसके गाँव में एक अच्छी लड़की है.. मैंने तेरी बात चलाने के लिए कहा है.. अगर सब ठीक रहा तो लगे हाथ तेरा ब्याह इसी बरस हो जाएगा..
हरिया चुत मारता हुआ - मंजू तुझसे कितनी बार कहु मुझे सरला के अलवा किसी से ब्याह नहीं करना..
मंजू चुदते हुए - अरे अपनी उस विधवा भाभी से शादी करके तुझे क्या मिल जाएगा हरिया? तुझे अगर सरला पसंद है तो दो-चार बार चोदकर मज़े लेले.. मैं सब संभाल लुंगी.. पर शादी क्यों करता है.. तेरी चाची बता रही थी लड़की वाले दहेज़ में दुपहिया मोटर देने को त्यार है.. तू बस हाँ कर.. लड़की अठरा बरस की है हरिया.. अभी किसी ने हाथ नहीं लगाया उसे.. कच्ची कली है बिलकुल..
हरिया - क्यों चुदाई के समय सर ख़राब करती है मंजू? सरला को मैं पसंद नहीं करता बल्कि उससे प्यार करता हूँ.. जितना प्यार तुझसे करता हूँ उतना ही सरला से भी.. भईया की मौत के सदमे में भाभी जान देने वाली थी.. पर मैंने भाभी से शादी का वादा किया औऱ समझाया तब भाभी मानी.. मंजू मैं सिर्फ तुझे ही यहां लाकर नहीं चोदता.. सरला भी यहां मुझसे चुदवाती है..
मंजू - हरिया क्यों उस विधवा रांड के चक्कर में इतने अच्छे रिश्ते को लात मार रहा है.. एक बार फिर सोच ले.. मैं तेरी सगी माँ हूँ तेरा बुरा नहीं सोचूंगी..
हरिया एक जोरदार थप्पड़ मंजू के गाल पर जमाता हुआ - बहन की लोड़ी रांड वो नहीं तू है.. मुझसे पहले किस किस से चुद चुकी है तू.. भूल गई? मेरे दोस्तों को भी नहीं छोड़ा था तूने.. सरला तो सिर्फ भईया के बाद मेरे नीचे लेटी है पर तू तो साली कई लोगों के नीचे लेट चुकी है..
मंजू - एक औऱ थप्पड़ मार दे मगर मेरी बात समझ.. तू जवान मर्द है अपनी भाभी को रखैल बनाकर भी रखेगा तो कोई तुझपर सवाल नहीं उठायेगा..
हरिया मंजू के मुंह में लोडा देते हुए - समझ नहीं आता मंजू मेरे बाप ने तेरे जैसी लालची रांड से क्यों ब्याह किया? तेरी चुत अगर मेरी कमजोरी नहीं होती ना मंजू तो मैं कबका तुझे छोड़कर चला गया होता..

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मंजू लोडा चूसते हुए - लालची नहीं बेटा मैं तो बस तेरे भले के लिए बोल रही हूँ.. माँ जो हूँ तेरी..
हरिया मुंह में माल झाड़कर - मंजू ये माँ बेटे वाला रिश्ता गाँव में सबके सामने ठीक है.. अकेले में इस रिश्ते की दुहाई मत दिया कर मंजू.. चल अब कपडे पहन..
मंजू माल पीकर कपडे पहनकर - चल हरिया.. चलते है.
हरिया - चल मंजू..

हरिया औऱ मंजू को गौतम औऱ सुमन छुपकर देख सुन रहे थे.. जब वो दोनों जाने लगे तो गौतम ने चुपके से सुमन को खंडर के एक कोने में लेजाकर खड़ा कर दिया औऱ हरिया औऱ मंजू वहा से चले गए.. उनके जाने के बाद गौतम सुमन को उस कमरे में लाता हुआ बोला..
गौतम - देखा माँ? हर जगह कोई ना कोई बेटा अपनी माँ की चुदाई कर रहा है.. औऱ आप कहती है ऐसा कहीं कुछ नहीं होता.. यहां इतने सारे कंडोम औऱ चड्डीया पड़ी है जो सबूत है इस बात का की यहां हरिया औऱ मंजू ने सगा माँ बेटा होते हुए अपनी चुदाईयो को अंजाम दिया है.. अब आप अपनेआप को रोक रही हो? आप भी मेरे साथ सेक्स करना चाहती हो ये मैं अच्छे से जानता हूँ.. पर आप ना जाने क्यों अपनेआप को मेरे करीब आने से हर बार रोक लेती हो..

सुमन आंसू बहाते हुए - मुझे माफ़ कर दे बेटा पर मैं वो नहीं कर सकती.. मेरा मन उसके लिए गवाही नहीं देता.. तू चाहे तो यही मेरी आबरू लूट ले.. जो चाहता है कर ले मैं मना नहीं करुँगी.. ये कहते हुए सुमन ने साडी का पल्लू गिरा दिया..
गौतम - माँ मुझे अगर आपकी चुदाई इसी तरह करनी होती तो बहुत पहले कर चुका होता.. मुझे आपके बदन के साथ आपकी रूह भी चाहिए.. मुझे कुत्ते बिल्लियों वाली चुदाई नहीं करनी.. जब तक आप अपने हाथ से पकड़ कर मेरा लंड अपनी चुत में नहीं डलवाती.. तब तक मैं आपको नहीं चोदने वाला..
सुमन - मैं मजबूर हूँ बेटा..
गौतम - जब तक आपकी मज़बूरी ख़त्म नहीं हो जाती माँ मेरा लंड आपकी चुत का इंतजार कर लेगा..
ये कहकर गौतम वहा से जाने लगता है मगर सुमन गौतम का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लेती है औऱ उसे गले लगाकर कहती है..
सुमन - ग़ुगु मुझे माफ़ कर दे बेटा.. मैं बहुत बुरी माँ हूँ.. तूने मुझसे पहली बार कुछ माँगा औऱ वो भी मैं तुझे नहीं सकती..
गौतम सुमन के आंसू पोछकर - किसने कहा की आप नहीं दे सकती? आप जरुर देंगी.. मुझे यक़ीन है.. अब चलो माँ.. घर चलते है..
गौतम सुमन को खंडर से वापस गाडी में ले आया.. औऱ गाडी चलाते हुए हाईवे पर आ गया औऱ थोड़ी देर बाद दोनों अजमेर पहुंच चुके थे..

सुमन - नाराज है ग़ुगु?
गौतम गाडी चलाते हुए - नहीं तो..
सुमन - तो फिर इतनी देर से चुप क्यों हो?
गौतम - बस यूँही..
सुमन - मैं जानती हूँ ग़ुगु.. तु क्यों चुप है पर तू समझ.. मैं वो सब नहीं कर सकती.. मैंने इस चुत से तुझे पैदा किया है अब इसी चुत में तुझे वापस लेने का ख्याल मुझे बहुत गलत लगता है..
गौतम - कोई बात नहीं माँ.. मैं आपसे कुछ नहीं कह रहा..
सुमन - ग़ुगु वहा गाडी रोक..
गौतम - माँ वो मिट शॉप है..
सुमन - पता है रोक ना..
गौतम मिट शॉप के आगे गाडी रोकते हुए - यहां क्या करना है आपको?
सुमन मुस्कुराते हुए - दो मिनट रुक मैं आती हूँ..
सुमन गाडी उतर कर मिट शॉप में जाती है औऱ कुछ देर बाद एक काली पन्नी में कुछ लेकर वापस आ जाती है..
गौतम काली पन्नी देखकर - इसमें क्या है?
सुमन - चीकन... तुझे चिकन करी पसंद है ना.. आज अपने हाथों से बनाकर खिलाऊंगी अपने ग़ुगु को..
गौतम गाडी चलाते हुए - अच्छा तो इस तरह से आप मेरा मन बहलाना चाहती हो.. पर आपको बनाना कहा आता है?
सुमन - नहीं आता तो रूपा से पूछ लुंगी..
गौतम ठेके के सामने गाडी रोककर - मिट के साथ दारू तो जरुरी है माँ.. कोनसा ब्राड पीना पसंद करोगी?
सुमन मुस्कुराते हुए - जो मेरे ग़ुगु को पसंद हो..
गौतम जाकर एक शराब की बोतल ले आता है.. औऱ गाडी घर के आगे लगा देता है.. सुमन औऱ गौतम घर के अंदर चले जाते है शाम होने लगी थी.. गौतम ने गाडी रूपा से कहकर वापस भिजवा दी थी..

गौतम शराब के दो पेग बनाकर - लो माँ.. शुरू करो..
सुमन चिकन धोती हुई - रुक ग़ुगु.. इसे धो लिया है बस हल्का सा काट दूँ..
गौतम - फ़ोन में देखकर क्यों बना रही हो माँ? मुझे आता है मैं सिखाता हूँ आज आपको..
सुमन पेग उठाकर गौतम से चर्स करके पेग पीते हुए - अच्छा.. तो सीखा मुझे..
गौतम पेग ख़त्म करके - ठीक है माँ.. आओ यहां..
सुमन पेग ख़त्म करके - चलो सिखाओ..
गौतम - सबसे पहले गैस ऑन करके उसपर पतीला रखो.. फिर सरसो का तेल डालकर गर्म करो..
सुमन मुस्कुराते हुए - इतना तो मुझे भी आता है मेरे शहजादे..
गौतम दूसरा पेग बनाकर एक सुमन को देते हुआ - तेल गर्म होने पर उसमे कुछ खड़े मसाले डालकर थोड़ी सी देर बाद कटे हुए प्यार औऱ हरी मिर्च डाल दो.. फिर उसमें थोड़ा सा नमक डालो..
सुमन पेग आधा ख़त्म करके - उसके बाद ग़ुगु ज़ी?
गौतम दूसरा पेग ख़त्म करके सुमन को बाहों में भरकर - उसके बाद में.. आपके जैसी किसी हसीन औऱ खूबसूरत औरत को तब तक चुम्मो जब तक प्याज थोड़े पक नहीं जाते.. ये कहते हुए गौतम सुमन को चूमने लगता है..

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सुमन गौतम को होंठों से होंठ लगाकर चूमते हुए एक हाथ से कड़ची चलाती रहती है..
थोड़ी देर बाद गौतम से चुम्मा तोड़कर सुमन - तुम्हारे प्याज ने थोड़े पक गए गुगुजी.. अब आगे?
गौतम - अब पतिले में अदरक लसन का पेस्ट डालकर तब तक पकायेगे जब तक साड़ी ब्लाउज औऱ पेटीकोट नहीं खुल जाता.. ये कहकर गौतम सुमन की साडी ब्लाउज औऱ पेटीकोट उतार देता है औऱ सुमन को ब्रा पेंटी में खड़ा कर देता है..
सुमन अपना पेग ख़त्म करके - अब आगे क्या करना चाहिए ग़ुगु ज़ी?
गौतम - अब चीकन को पतिले में डाल देना चाहिए सुमन ज़ी..
सुमन मुस्कुराते हुए चीकन पतिले में डालकर कड़ची चलाती रहती है औऱ गौतम अब तीसरे पेग को बनाकर दोनों के सामने रख देता है..
सुमन नशे में - मुझे नंगा करके खुद कपडे पहन रखा है बेशर्म खोल तू भी.. सुमन भी गौतम के सारे कपडे उतार कर रसोई में वही रख देती है जहा सुमन की साडी ब्लाउज औऱ पेटीकोट रखा था.. गौतम भी अब चड्डी में आ चूका था..
गौतम कड़ची चलाते हुए - अब थोड़ा सा चिकन को भून लेंगे..
सुमन थोड़ी देर बाद एक सिगरेट जलाकर कश लेती हुई नशे में बोली - भूनने के बाद क्या करें ग़ुगु ज़ी..
गौतम सुमन से सिगरेट लेकर कश लेटे हुए सुमन के हाथ में कटोरी देकर बोला - अब सुमन ज़ी जो आपने कटोरी में दही औऱ मसाले डालकर मिक्सचर तैयार किया है उसे पतिले में डाल देंगे..
सुमन कटोरी में दही औऱ सभी मसालो का मिक्सचर डालकर कड़ची चलाते हुए बोली - अब ग़ुगु ज़ी..
गौतम एक सिगरेट का लम्बा कश लेकर सिगरेट सुमन को देते हुए तीसरा पेग ख़त्म करके घुटनो पर बैठकर सुमन की पेंटी नीचे करते हुए सुमन की चुत चाटकर - अब अपनी माँ की चुत तबतक चाटेगे जबतक माँ की चुत जड़ नहीं जाती..

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सुमन कड़ची चलाकर सिगरेट के कश लेटी हुई अपनी एक टांग उठाकर चुत खोल देती है औऱ गौतम से अपनी चुत चटवाने लगती है..
सुमन सिगरेट के कश लेटी हुई गौतम के बाल पकड़कर नशे में उससे अपनी चुत चटवाये जा रही थी औऱ दस पंद्रह मिनट बाद सुमन गौतम के मुंह में झड़ गई..

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गौतम चुत का पानी पीकर अपने पैरों पर खड़ा हो गया औऱ सुमन गौतम को देखकर नशे में कड़ची चलाते हुए बोली - अब क्या करना चाहिए ग़ुगु ज़ी..
गौतम पतिले को देखकर सुमन से बोला - अब सुमन ज़ी पतिले में मिट मसाला औऱ हरा धनिया डालकर धीमी आंच पर तब तक पकायेंगे जब तक मेरा लंड आपके मुंह में पानी नहीं छोड़ देता..
गौतम का इशारा पाकर सुमन मुस्कुराते हुए घुटनो पर आ गयी औऱ गौतम की चड्डी नीचे सरका कर उसका लंड मुंह में लेते हुए रंडियो की तरह चूसने लगी..

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गौतम ने कड़ची चला कर पतिले को ढक दिया औऱ एक सिगरेट जलाकर कश लेते हुए होनी माँ के बाल पकड़ कर उसके मुंह में झटके मारते हुए सुमन को अपना लंड चूसाने लगा..
सुमन ने बीच में तीसरा पेग भी ख़त्म कर लिया औऱ अब नशे में पूरी तरह उतर कर पूरी रांड जैसे गौतम के लंड के साथ साथ उसके आंड को भी चुसने लगी.. गौतम अपनी माँ का ये रूम देखकर मंतरमुग्ध हो गया था सुमन बिलकुल किसी रंडी की तरह गौतम के लंड के साथ साथ उसके टट्टे औऱ जांघो के आस पास की जगह को चूसने चाटने लगी थी..
करीब 20-25 मिनट बाद गौतम का माल सुमन के मुंह में झड़ गया जिसे सुमन पी गई औऱ अगला पेग बनाने लगी.. सुमन के पैर लड़खडाने लगे थे..

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गौतम ने उसे चौथा पेग बनाने से रोक दिया औऱ बाहों में भरता हुआ बोला - लो सुमन ज़ी त्यार है आपकी चिकन करी..
सुमन मुस्कुराते हुए नशे में - तू बहुत प्यारा है ग़ुगु.. आई लव यू..
गौतम एक बड़ी सी प्लेट पर चिकेन करी डालकर - गर्म है सुमन ज़ी थोड़ा ठंडा होने दो.. फिर बताना कैसी बनी है?
सुमन नशे में - तब तक एक पेग औऱ पीते है ग़ुगु..
गौतम - नहीं आपके ज्यादा हो गई है..
सुमन - नहीं हुई.. लो अपने हाथ से पिलाओ एक पेग..
गौतम शराब नहीं डालता औऱ सिर्फ पानी का पेग बनता है..
गौतम पानी का पेग पीलाते हुए - लो सुमन ज़ी पियो..
सुमन पेग पीकर समझ जाती है कि वो सादा पानी था औऱ कुछ नहीं..
सुमन नशे में ग़ुगु का लंड पकड़ कर - मज़ाक़ मत कर गौतम.. बना मेरा पेग मुझे पीना है..
गौतम - पहले ये खाओ.. लो ठंडा कर दिया..
सुमन चिकेन लग पीस उठाकर आधा गौतम को खिलाती है औऱ आधा खुद खा जाती है..
सुमन उंगलियां चाटते हुए - उफ्फ्फ... क्या मस्त बनी है चिकेनकरी ग़ुगु..
गौतम - पहले तो कितना नाटक करती थी. मैं ये नहीं खाती वो नहीं खाती.. घर में नहीं बनेगा.. औऱ अब देखो..
सुमन औऱ गौतम एक दूसरे को चिकेन करी खिलाते हुए हलकी फुलकी छेड छाड़ करते है औऱ खाने के बाद सुमन के जोर देने पर उसे गौतम एक छोटा सा पेग औऱ बना के पीला देता है..
सुमन नशे में गौतम के होंठ चूस कर - आई लव यू बच्चा.. आई लव यू..
गौतम सुमन को रूम में लाकर बेड पर बैठा देता है..
सुमन गौतम को बाहों में भरके नशे में बोलती है - देख तूने अपनी माँ के बोबे दबा दबा के कितने बड़े कर दिए है ग़ुगु.. मेरी ब्रा कितनी टाइट हो गई है.. अब तू ही मुझे नई ब्रा लाकर देगा..
गौतम मुस्कुराते हुए ब्रा उतारकर - ला दूंगा माँ.. अब अपने बच्चे को अपना दूध पीला दो..
सुमन अपना बोबा पकड़ कर गौतम के मुंह में देती हुई - ले बेटा.. पी ना अपनी माँ का दूध.. कौन रोकता है तुझे मेरा दूध पिने से? तेरे लिए ही तो है मेरा दूध.
गौतम बूब्स चूसता हुआ - आई लव यू माँ...
सुमन बोबा चूसाते हुए - आई लोब यू टू बेटा.. चूस मेरा बोबा.. खा जा इन दोनों बोबो को बेटा.. आह्ह..
गौतम बूब्स चूसकर सुमन को पीछे धकेल देता है औऱ बेड पर पीठ के बल गिरता हुआ उसके ऊपर आ जाता है औऱ सुमन के होंठ चूमकर कहता है - माँ ट्रुथ एंड डेयर खेलते है..
सुमन गौतम का चेहरा पकड़कर - ठीक है बेटा..
दोनों कि नज़र मिलती है सुमन कि हार हो जाती है..
गौतम -माँ बोलो ट्रुथ एंड डेयर?
सुमन मुस्कुराते हुए - ग़ुगु ट्रुथ.. पूछ क्या पूछना है तुझे..
गौतम जानता था सुमन पुरे नशे में है उसने सुमन से पूछा - आखिरी बार मामा से कब चुदवाया था?
सुमन नशे में थी उसे समझ नहीं आया था कि गौतम ने उसे कितना बड़ा सवाल पूछ लिया है सुमन नशे में ही बोल पड़ी - दो महीने पहले जब तेरे पापा ने तुझसे वो फ़ाइल मंगवाई थी ना.. इतना बोल कर सुमन को अहसास हुआ की गौतम ने क्या सवाल पूछा है औऱ उसने क्या जवाब दिया है.. सुमन का नशा हल्का हो गया था औऱ नज़र शर्म से नीचे..

गौतम सुमन का चेहरा उठाते हुए बोला - उस दिन आपकी अलमारी में कंडोम देखकर मुझे अजीब लगा था पर अब समझ आया.. उस दिन अलमारी में कंडोम क्यों औऱ किसके लिए रखा हुआ था.. आप चिंता मत करो माँ.. मैं किसी से भी आपके उस राज़ का जिक्र नहीं करूँगा..
सुमन बिस्तर से उठना चाहती थी मगर गौतम ने अब उसे अपनी बाहों में कसके जकड़ दिया था औऱ सुमन शर्म से लाल पड़ रही थी..
गौतम जानता था की सुमन अब कुछ नहीं बोलेगी इसलिए उसने सुमन से आगे अपनी बात कही - माँ शर्माओ मत.. शादी की रात जब आप छत पर मामा से बाटकर रही थी उस वक़्त में उस कमरे के अंदर ही था.. मैंने सारी बात सुन ली थी औऱ मुझे मालूम हो गया था की मेरी तरह ऋतू भी आपकी चुत से निकली है.. हम दोनों के बाप अलग अलग हो पर माँ एक ही है.. आपका ये राज़ किसी को नहीं पता लगेगा माँ.. मैं किसीको नहीं बताऊंगा..
सुमन नशे में - ग़ुगु मुझे माफ़ कर दे..
गौतम - किस बात के लिए माँ? आपने कोई गलती नहीं की.. आप एक खूबसूरत हसीन औरत हो.. अगर आपका ख्याल पापा नहीं रखते तो आपको पूरा हक़ है किसी से भी अपना रिश्ता बनाने का..
सुमन - ग़ुगु उस दिन तेरे मामा ज़ी आये थे.. मगर सालों से उनका हाल भी वैसा ही है.. जैसा तेरे पापा है.. अब वो भी एक मिनट में ही चित हो जाते है.. मैं नहीं जानती ग़ुगु तू मेरे बारे में क्या सोच रहा है ये जानने के बाद.. पर मैने औऱ किसी को अपने करीब नहीं आने दिया..
गौतम - मुझे सफाइ देने की जरुरत नहीं है माँ.. मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ.. ना ही कभी हो सकता हूँ.. मैं खुद चाहता हूँ आप खुश रहो.. मेरे साथ नहीं तो जिसके साथ आपका मन करें उसके साथ..

सुमन मुस्कुराते हुए नशे में लड़खड़ाती हुई उठकर अलमारी से वही कंडोम निकालकर उसमे से एक कंडोम फाड़कर गौतम के करीब आ जाती है औऱ गौतम के लंड को पकड़कर उसे कंडोम पहना देती है औऱ अपनी पेंटी उतारकर गौतम के ऊपर बैठते हुए उसका लंड अपनी चुत में घुसाने लगती है मगर गौतम का लंड टोपे से थोड़ा सा ज्यादा सुमन की चुत में घुसता है गौतम सुमन को रोक देता है औऱ बोलता है..
गौतम - रहने दो माँ.. आप अभी नशे में ही.. आप नहीं जानती आप क्या कर रही हो..
सुमन - मुझे मत रोक ग़ुगु.. मुझे बहुत पहले तुझे अपनी चुत दे देनी चाहिए थी.. तेरे जैसा सुन्दर संस्कारी औऱ सुशील बेटा कब से मेरी चुत के लिए तरस रहा है.. औऱ मैं तुझसे ही अपनी चुत बचा रही हूँ.. मुझे तो अब खुद पर शर्म आने लगी है.. तूने दिन में कहा था ना ले आज मैं खुद तेरा लंड पकड़कर अपनी चुत में डाल रही हूँ.. ले चोद ले अपनी माँ को ग़ुगु.. चोद दे ग़ुगु मुझे..
गौतम लंड पकड़कर उसपर से कंडोम उतार कर फेंकता हुआ - आप नशे में ये सब बोल रही हो माँ.. सो जाओ.. सुबह होने पर आपको पछतावा होगा अगर मैंने कुछ किया तो..
सुमन शराब की बोतल उठाकर पीते हुए - तेरी माँ को अब तेरा लंड चाहिए ग़ुगु.. अगर तू मुझे नहीं चोदेगा तो मैं तुझे चोद दूंगी..
गौतम हसता हुआ सुमन से शराब की बोतल लेकर साइड में रख देता है औऱ सुमन को चूमता हुआ बिस्तर में गिर जाता है औऱ एक हाथ से सुमन की चुत में उंगलि करने लगता है..
सुमन सिस्कारी लेटी हुआ गौतम को चूमने लगती है मगर कुछ देर बाद अपनी चुत से पानी का छिड़काव करके नशे में ही बिस्तर पर हलकी हलकी नींद में खोने लगती है.. गौतम सुमन को बच्चों की तरह सुला देता है औऱ सुमन को बाहों में भरके एक चादर ओढ़कर खुद भी उसीके साथ लेट जाता है..

गौतम का धागा लाल था वो समझ चूका था की अब सुमन की चुत उसके लिए तैयार है औऱ सुमन अब ज्यादा वक़्त नहीं लेगी उसे होनी चुत में एंट्री देने के लिए..

गौतम लेता हुआ था की ररूपा का फ़ोन आता है जिसपर रूपा औऱ माधुरी दोनों होती है औऱ गौतम दोनों से एक साथ बात जरता है.. गोयम बताता है कि कल वो सुमन के साथ बाबाजी के जाने वाला है औऱ वही सुमन से रूपा औऱ माधुरी मिलकर उसे साथ रहने के लिए मना सकती है.. बात करने के कुछ देर बाद गौतम भी सुमन की बाहों में सो जाता है..

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Rajpoot MS

I love my family and friends ....
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Update 37


वीरेंद्र सिंह को गजसिंह औऱ कर्मा डाकू का कोई नाम औऱ निशान नहीं मिला तो थक्कर महल लौट के आ गया..
जब वीरेंद्र सिंह महल आया तो उसके सिपाही भी उसकी बटाइ गई चीज पश्चिम की रेतीली जमीन से लेकर आ चुके थे..
दो दिन पहले सवान की पहली बारिश ने सैनिको के लम्बे इंतजार को समाप्त कर दिया था.. बैरागी को उसकी मगई चीज लाकर दे दी गई थी औऱ अब बैरागी अपने काम में लग गया था..
वीरेंद्र सिंह जागीर की सीमाओ पर चौकसी बढाकर बैरागी के कार्य के सफल होने की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा था..

रुक्मा अब पूरी तरफ सकुशल हो गई थी औऱ उसने अपने कश के बाहर खड़े समर से बहुत बार बहाने बहाने से बात करने की कोशिश की थी मगर समर अपनी असली जगह जानता था औऱ उसने राजकुमारी के प्रेम भरे आग्रह औऱ सन्देश का कोई जवाब नहीं दिया औऱ राजकुमारी को हर बार अपने दूर करते हुए अनदेखा कर दिया.. रुक्मा समर का ये व्यवहार समझ पाने में असमर्थ थी.. उसके मन में समर रमाया हुआ था रुक्मा किसी भी शर्त औऱ तर्क पर समर को पाना चाहती थी..

वैद्य ज़ी की आँख लगी तो रुक्मा चुपके से अपने बिस्तर से उठकर कश के बाहर आ गई औऱ इधर उधर देखकर कश के बाहर पहरेदारी पर तैनात समर के गले लगते हुए बोली..
रुक्मा - कल एक चिट्टी रखी थी मैंने तुम्हारे कमरबंध की गठरी में.. तुमने पढ़ी?
समर रुक्मा को अपने से अलग करता हुआ - माफ़ करिये राजकुमारी ज़ी.. मैं आपकी इच्छा पूर्ण नहीं कर सकता..
रुक्मा - मैं तुमसे तुम्हारा जवाब नहीं मांगा.. केवल अपने मन की बात तुम्हें बताइ है. मैं जानती हूं तुम मेरा प्रस्ताव स्वीकार क्यों नहीं कर रहे. तुम्हें इसी बात का भय है ना कि जब मेरे पिता को हमारे प्रेम का पता लगेगा तो क्या करेंगे? समर तुम उनकी चिंता मुझ पर छोड़ दो.. मैं तुमसे प्रेम करती हूं और अब तुम्हारे बिना जीवित नहीं रह सकती..
समर - राजकुमारी ज़ी आपकक्ष के भीतर जाइये.. यदि आपको यहां पर किसी ने मेरे साथ खड़ा हुआ देख लिया तो बिना करण ही लोग आपके और मेरे बारे में भ्रान्ति फैलाने लगेंगे..
रुक्मा - समर मैं तुमसे प्रेम करती हूं.. और मेरा प्रेम इतना कमजोर नहीं है कि किसी के कुछ भी कह देने से उसे हानि हो जाए.. मैंने तुमसे प्रेम किया है और मैं तुमसे वादा करती हूं कि मैं हमारे प्रेम के बीच आने वाली हर चुनौती को स्वीकार करके उस चुनौती का सामना कर सकती हूं और हमारे प्रेम को सुरक्षित रख सकती हूँ इसके लिए मुझे अपने पिता के विरोध में खड़ा होना पड़े तो मैं हो जाउंगी..
समर - किन्तु मैं आपसे प्रेम नहीं करता राजकुमारी.. आपको मेरे जैसे साधारण सिपाही के पास बार-बार आना शोभा नहीं देता..
रुक्मा - क्या शोभा देता है और क्या नहीं.. इसका फैसला तुम मत करो समर.. मैं तुमसे प्रेम करती हूं और बदले में तुम्हें भी मुझसे प्रेम करना पड़ेगा..मेरा प्रेम प्रस्ताव कोई आग्रह नहीं है जिसे तुम ठुकरा कर चले जाओगे.. मैं तुम्हारी राजकुमारी हूं.. औऱ तुम्हारी राजकुमार होने के नाते मेरा तुम पर आधीपत्य है.. तुम्हे मेरा हर आदेश मानना होगा औऱ मेरे कहे अनुसार ही आचरण भी करना होगा..
समर - रानी माँ के आने का समय हो गया है राजकुमारी.. अब आपको भीतर कश में जाना चाहिए..
रुक्मा फिर से समर के गले लगते हुए - मेरे पहले मिलन का भी समय आ चूका है समर.. मैं चाहती हूँ तुम मुझे भोगो.. औऱ मैं तुम्हे..
समर - कैसी बातें कर ही हो आप राजकुमारी.. मैं आपके योग्य नहीं.. अगर किसी को आपकी बातों का पता चला तो मेरा सर धड से अलग कर दिया जाएगा..आप अपने कश में जाइये..
रुक्मा - अभी के लिए मैं जाती हूँ समर.. तुम्हे जोखिम में डालना मेरा उद्देश्य नहीं है.. पर तुम याद रखना मैं तुम्हे अपनेआप से अलग नहीं होने दूंगी..
ये कहकर रुक्मा कश में चली जाती है...

समर के पहरेदारी का समय समाप्त होता है औऱ वो महल में एक जगह बैठकर आराम करने लगता है..
जयसिंह - क्या हुआ समर आज भी यही रुकने की मंशा है? तुम अपने घर क्यों नहीं जाते? तुम्हारी माँ तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही होगी..
समर - मैं बस जाने ही वाला था जयसिंह काका.. बस थोड़ा आराम करने यहां ठहर गया था..
जयसिंह - कोई समस्या है क्या समर.. पिछले 4-5 दिनों से तुम्हे देख रहा हूँ बहुत बुझे बुझे रहते हो..
समर उठते हुए - नहीं काका.. कुछ नहीं.. मैं तो बस यही सोच रहा था कि गजसिंह को कैसे पकड़ा जाए..
जयसिंह - उसकी चिंता तुम छोड़ दो समर.. इस बार उसके लगभग सभी साथी मारे गए है.. अब वो हमले की हिम्मत नहीं करेगा.. मुझे तो बस इस बात का आश्चर्य है कि इतने गुप्त रास्ते के बारे में उसे बताया किसने? जो भी हो.. तुमने अपनी बहादुरी साबित कर दी.. अकेले ही इतने दुश्मनों का खात्मा करना एक वीर योद्धा कि चरम सुक्ति है जिसे तुमने पा लिया है..
समर - आप आराम कीजिये.. अभी आपकी चोट के घाव नहीं भर पाए है.. आपका इतना चलना फिरना ठीक नहीं..
जयसिंह - तुम मेरी चिंता मत करो..
अब तुम जाओ समर..
समर - ठीक है काका..

समर जयसिंह के पास से उठकर अपने घर की तरफ चल देता है और रास्ते में यही सोचता रहता है कि वह घर जाकर अकेला क्या करेगा किस तरह रहेगा अब उसके घर में उसका इंतजार करने के लिए और कोई भी तो नहीं है अगर नियति उसके साथ यह खेल नहीं खेलती और जिस तरह से उसका परिवार पहले था वैसा ही चलता रहता तो कितना अच्छा होता..
समर की मां लता की सच्चाई अगर उससे हमेशा छुपी रहती तो कितना अच्छा होता समर कितनी आसानी से और चैन से जीवन जीता..
समर को लग रहा था कि उसकी मां लता को अपने किये का पछतावा हो रहा होगा औऱ वो शर्म से घर छोड़कर कहीं चली गई होगी, वह अब उससे कभी नहीं मिलेगी.. समर भी अपनी उदासी पर कायम था.. समर को अब लता पर उतना गुस्सा नहीं आ रहा था जितना उसे पहले आ रहा था वह जानता था कि लता ने अपनी जिंदगी बचाने के लिए और अपने जीवन को आसान बनाने के लिए बहुत सारे पाप किए हैं लेकिन उसका असली गुस्सा इस बात पर था कि उसने अपने ही बेटे को मारने की कोशिश की थी.
समर घर जाते हुए रास्ते में यही सोच रहा था कि उसकी मा लता कहां होगी कैसी होगी और किस हाल में होगी.. आखिर वह अकेली जाएगी भी कहां उसके सभी साथियों की मौत हो चुकी है और अब उसके पास कौन सा नया ठोर ठिकाना होगा.. क्या वो वापस अपनी असली जगह चली जाएगी या फिर अब भी कहीं उसका कोई परिचित या कोई साथी बचा होगा जिसके पास लता जाकर शरण लगी..
समर को कहीं ना कहीं अब लता की याद आने लगी थी और वह सोचने लगा था कि क्या वो लता को माफ कर सकता है क्या वो लता था के साथ एक नई शुरुआत कर सकता है और फिर से उसी तरह जिस तरह से वह पहले लता के साथ रहता आया था वापस रह सकता है? समर के दिमाग में बहुत सारी बातें चल रही थी और बहुत सारे ख्याल दौड़ रहे थे ख्यालों से उथल-पुथल होकर उसका सर चकरा रहा था और भारी होने लगा था रास्ते में ही उसने कई बार अपने आप को अलग-अलग बातों में उलझाया हुआ रखा था..

घर पहुंचने में जब कुछ ही फैसला रह गया तब समर यह सोचकर परेशान होने लगा था कि अब उसे कभी अपने घर में उसकी मां लता नजर नहीं आएगी और अब वो कभी लता से नहीं मिल पाएगा इसी के साथ समर लता के साथ बिताये हसीन पलों को और उन यादो को याद कर रहा था जो दोनों ने मां बेटे के तौर पर बिताये थे.. समर को रह रहकर अब लता की याद आने लगी थी और उससे भी ज्यादा समर को अब लता के साथ जंगल पहले सम्भोग का मनोरम दृश्य भी याद आने लगा था जिससे वो कामुकता से भरने लगा था.. समर और लता के बीच बने रिश्ते की नई शुरुआत जंगल के उस जगह से हुई थी जहां लता ने अपने बेटे समर की जान लेने की कोशिश की थी..

समर को लता के बदन का स्पर्श और उसकी कोमलता के साथ-साथ उसके बदन से उठती गंध का भी अहसास होने लगा था.. समर को उस वक़्त गुस्से में कुछ नहीं सुझा तो उसने अपनी माँ लता के साथ सम्भोग कर लिया लेकिन बाद में वही सब उसके दिमाग में चलने लगा.. उसे लगा था की वो लता उर्फ़ लीलावती को सजा दे रहा है मगर जिस तरह लता ने उसके साथ संभोग में भागीदारी निभाई थी उसे लता को किसी बात का पछतावा ना होने का अंदाजा समर को लग चुका था और को जानता था कि लता को उसके साथ संभोग में मजा आया था..

समर लता की तरफ आकर्षित हो चुका था और वह लता को वापस पाना चाहता था लेकिन लता के किए कुकर्मों की वजह से वह लता को ना तो ढूंढने जाने को तैयार था ना उसका मुंह वापस देखने को.. समर ने लता को भूलाने का तय कर लिया और अब आगे से समर ने लता के बारे में और कोई ख्याल नहीं सोचने का भी तय कर लिया..

समर घर की चौखट पर आ पहुंचा और दरवाजा खोलते हुए अंदर घुसा तो उसने देखा कि लता आँगन में पानी का बर्तन लिये खड़ी थी औऱ उसीको देखे जा रही थी.. जब समर आँगन में आया तो लता ने पानी देते हुए कहा..
लता - 5 दिनों से यहां तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही हूँ.. जागीरदार से ऐसी भी क्या निष्ठा औऱ जुड़ाव की घर आने की याद ही नहीं रही..
समर पानी का बर्तन लेकर फेंकते हुए - कहा था वापस अपना मुख मत दिखलाना.. क्यों आई हो तुम यहां?
लता प्यार समर के करीब आते हुए - सजा लेने.. मैं जानती हूँ मेरा कार्य क्षमा के योग्य नहीं है लेकिन तुम अपनी माँ को उसके कार्य की जो सजा देना चाहो, मुझे मंज़ूर है..
समर गुस्से में - अपने बेटे की जान लेने की कोशिश करने वाली माँ नहीं होती लीलावती.. अपना ये ढोंग मेरे आगे मत करो.. अगर तुम यहां से नहीं जाती तो मैं ही चला जाता हूँ..
यह कहकर जैसे ही समर घर के मुख्य द्वार की तरफ बढ़ा लीलावती भाग कर दरवाजा बंद करते हुए दरवाजे से चिपक गई औऱ समर से बोली - ऐसा मत कहो समर.. तुम्हारी माँ अब बदल चुकी है.. चाहे जो इंतिहान ले लो.. तुम कहो तो मैं ही बीरेंद्र सिंह को अपना सच बता दूंगी.. फिर मुझे जो सजा मिले मंज़ूर है.. लेकिन तुम इस तरह मुझे मत धुतकारो..

लता के भागने और दीवार से चिपकने के बीच उसकी ओढ़नी उसके माथे से और उसके आंचल से सरक गई थी जिससे उसके बदन के सुडोल उन्नत उभार, चिकनी नाभी औऱ गर्दन के आसपास लटकती जुल्फे दिख गई औऱ समर के तन बदन में फिर से लता को पाने की लहर दौड़ गई.. समर एक टक लता के बदन को देखने लगा औऱ लता को भी इस बात की खबर थी की समर उसपर मोहित होने लगा है..

लता - मेरा मरना अगर लिखा है तो मैं तुम्हारे हाथों से मरना पसंद करुँगी समर.. तुम ही मेरी जान लेलो.. अगर उससे मुझे माफ़ी मिलती है तो मुझे प्रसन्नता होगी..
समर अपना ध्यान लता के बदन से हटाते हुए - मेरे मार्ग से हटो लीलावती.. मैं तुम्हे औऱ नहीं देखना चाहता..
लता समर को देखकर अपनी चोली उतारते हुए - देखना तो तू चाहता है समर.. आज मैं खुलके दिखा देती हूँ..
लता अपनी चोली उतारकार समर के करीब आती है औऱ उसे अपनी बाहों में भरते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ लगा देती है औऱ समर भी लता के प्रभाव में बहक जाता है..

समर के मन में लता को पाने की दबी हुई इच्छा उसके बाहर आ जाती है और वह अपनी लीलावती की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचते हुए उठा लेता है और भीतर ले जाकर बिछोने पर पटक देता है..
समर लता के ऊपर आ जाता है और लता भी समर को अपने ऊपर खींच कर लेटा लेती है और उसके मुख से अपने मुख को लगाकर चुंबन शुरू कर देती है दोनों एक दूसरे को भी बेतहाशा चूमते हैं इस तरह की जैसे एक दूसरे को खा जाने की नियत रखते हो.. दोनों के मन में एक दूसरे को पाने की चाहत भरी हुई थी और इसी चाहत का असर था जो दोनों को अब एक दूसरे पर दिखाई दे रहा था दोनों ही एक दूसरे को अपनी अपनी बाहों में जकड़ कर ऐसे चूम रहे थे जैसे दोनों पिछले जन्म के बिछड़े प्रेमी हो..

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दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता समाप्त हो चुका था और अब जो रिश्ता बन चुका था वह एक प्रेमी और प्रेमिका का था जो एक घर में एक कमरे में एक बिछोने में एक दूसरे को अपने-अपने बदन की नुमाइश करते हुए जकड़े हुए थे..
लता ने बिना चुंबन को तोड़े हुए समर के बदन से उसके वस्त्र उतार फेक और अपना घाघरा भी खोलकर नीचे सरकार दिया जिससे दोनों अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ गए..

दोनों के मिलन की संक्रमानता पूरे कमरे में फैल रही थी और जिससे पूरा घर मादकता के वातावरण से भरा जा रहा था.. कभी लता समीर को अपने ऊपर खींचकर चूमती तो कभी समर लता को अपने ऊपर खींचकर चूमता.. दोनों एक दूसरे को चूमते हुए अब होठों के आसपास और गर्दन के हिस्से को भी चूमने लगे थे और समर जैसे कामुकता के शिखर पर पहुंचकर अपनी जीभ औऱ होंठ से लता के चेहरे और गर्दन को चूमता हुआ चाटने लगा था..

लता से भी अब ना रहा गया औऱ वो समर का लंड पकड़कर अपनी चुत में घुसाती हुई गांड उठा उठा के चुदवाने लगी.. अपनी माँ की काम कला से प्रभावित समर भी लता की चुत को अपने लंड से जोर जोर से पीटने लगा.. चुदाई की आवाजे चारो तरफ फैलने लगी थी..

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समर ने अपनी मां के चेहरे पर काम के प्रभाव में आ रहे ऐसे हाव भाव देखे की समर लीलावती पर पूरी तरह से मोहित हो गया और अब समर का दिल लीलावती पर पूरी तरह से आ गया..

समर ने लीलावती की चुत से लंड निकालकर उसे पलटने को कहा औऱ लीलावती ने बिना कुछ कहे पलटकर समर को देखते हुए एक हाथ से अपनी गांड खोलकर समर के आगे परोस दी.. समर ने लीलावती के चेहरे को देखते हुए उसकी चुत में वापस लंड पेल दिया औऱ लीलावती के बाल पकड़ कर चोदने लगा.. इस बार लीलावती की चुदाई के शोर में लीलावती की कामनीय सिस्कारी भी शामिल थी..

समर पीछे से अपनी मां लीलावती की ले रहा था और लीलावती अपने बेटे समर को पीछे से दे रही थी.. दोनों के मन में आपस में एक दूसरे के प्रति प्रेम लगाव आकर्षक और मोह वापस आ चुका था मगर उसने अब माँ बेटे का रूप ना लेकर एक प्रेमी और प्रेमिका का रूप लिया था..

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लीलावती झड़ चुकी थी मगर समर अब झड़ने वाला था और लीलावती घोड़ी बनाकर समर के आगे ऐसे चुदवा रही थी जैसे वो उसकी माँ नहीं कोई औऱ हो.. समर लीलावती की चुत में झड़ गया औऱ उसीके ऊपर गिर गया..

लीलावती समर के नीचे से निकलते हुए - तुझे भूक लगी होगी ना समर.. मैं भोजन पका देती हूँ..
समर ताने मारता हुआ - ज़हर तो नहीं मिलाओगी लीलावती?
लीलावती अपना घाघरा उठाते हुए - अब भी रूठें हुए हो अपनी माँ से.. सजा देना चाहते हो..
समर लीलावती का घाघरा छीनकर - सजा तो पूरी रात मिलेगी.. अभी जा पका दे भोजन.. औऱ ये वस्त्र रहने दे.. जब उतारने ही है तो पहनने की क्या आवश्यकता?
लीलावती हसते हुए चले जाती है..

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Gjb yar. Bro.... 👌👌👌👌bahut khub..... Lajawab..
❤️💙♥️💙♥️💙🌹.

Next. Kab tak
 
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अतीत और वर्तमान मे चल रही यह कहानी इस युग के आर्ट और कमर्शियल फिल्मों की बानगी पेश कर रहा है । बस , फर्क यह है इस कमर्शियल फिल्म , इस कमर्शियल कहानी मे सेक्स ; बल्कि यूं कहें पोर्न सेक्स ही भरपूर दिखाया गया है ।

वर्तमान की कहानी अतीत से जुड़ी हुई है । वर्तमान का गौतम नायक होकर भी अतीत का नायक नही लगा । वह
गुमनाम किरदार के रूप मे ही रहा । इस का कारण यह था कि धुप सिंह और लता के इस पुत्र के बारे मे अतीत मे कभी कोई जिक्र ही नही हुआ , कोई प्रसंग ही नही आया ।
तब सवाल यह खड़ा होता है कि गौतम की उस वक्त क्या भुमिका थी ? उसने अतीत मे क्या रोल निभाया था ?

इस कहानी की एक महत्वपूर्ण चीज यह है कि विरेंद्र सिंह और बैरागी के अलावा सिर्फ गौतम ही है जो प्रत्यक्ष रूप से अतीत से जुड़े हुए हैं । लेकिन कुछ लोग जैसे सुजाता , रूक्मा , गज सिंह , लता और समर की अकाल मृत्यु हुई थी , क्या इस वर्तमान समय के घटनाक्रम से जुड़ेंगे या जुड़ चुके हैं ?

गौतम साहब का किरदार क्या ही गजब का किरदार है । महिलाओं को शीशे मे उतारने मे इतनी तेज महारत है
कि लगता है वह वर्ल्ड रिकार्ड बना देंगे , गिनीज बुक मे अपना नाम दर्ज करा देंगे । इतनी स्पीड तो सूरज की रोशनी भी नही होती जितनी तेज वह लड़की पटा ले रहे है ।
फिल्म पुष्पा का डायलॉग - " झुकेगा नही साला " - की तरह - " सम्पर्क मे आई किसी लड़की को छोड़ेगा नही साला " - गौतम साहब पर सटीक बैठता है ।
भले ही रसगुल्ले का पिछवाड़ा रसमलाई द्वारा मार लिया गया हो ! भले ही मामी द्वारा उनकी मां को और उन्हे बार-बार बेइज्जत ही क्यों न होना पड़ा हो ! भले ही आरती द्वारा उनकी औकात दिखाने की बात ही क्यों न कही गई हो ! भले ही घर की सेविका , घर की बाई द्वारा उन्हे एक स्लैब की तरह ही क्यों न ट्रीट किया गया हो ! भले ही एक नगरबधू को गृहणी बनाने का काम ही क्यों न करना पड़े !
एवरी थिंग इज फेयर इन सेक्स । इस फिलॉसफी के साथ आगे चलना गौतम साहब का उद्देश्य है , कर्तव्य है , कर्मा है ।

खैर , अतीत का जब वर्णन आता है , राइटर साहब की लेखनी एक ऊंचे लेवल तक पहुंच जाती है । शब्दों का चुनाव , अलंकार का प्रयोग , मुहावरे का इस्तेमाल ; सबकुछ आला दर्जे का हो जाता है । यह वास्तव मे अद्भुत है ।
वर्तमान का जब वर्णन होता है तब कहानी का लेवल कुछ और हो जाता है । सेक्स और कामुकता ऐसी कि समंदर मे भी आग लगा दे । लेकिन यह गौर करने वाली बात है कि इस सेक्स की एक पृष्ठ भूमि होती है , एक हिस्ट्री होती है ।

सभी अपडेट बेहद ही शानदार थे ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
 
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