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moms_bachha

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Update 43

गौतम - इतने दिनों से बस सोच रही हो आप.. हर्ज ही क्या है आपको रूपा और माधुरी के साथ रहने में? कब से वो दोनों आपको बुला रही हैं मगर आप है की जाना ही नहीं चाहती.. ऐसी छोड़ दो माँ.. हम कब तक इस घर में रहेंगे? आप जो चाहती थी वह होने वाला है आपको एक नया घर मिलने वाला है आप घर की मालकिन बनने वाली हो मगर पता नहीं क्यों आपने अपनेआप को रोका हुआ है.. एक बार फिर से सोच लो माँ.. रूपा और माधुरी दिल की बुरी नहीं है.. वह दोनों आपको अपनी बड़ी बहन की तरह रखने को तैयार है.. आप कहेंगी तो मैं भी उन दोनों से दूरी बनाकर रखूंगा.. आप इस तरह वहां जाने से इंकार मत कीजिए..

गौतम ने समझाते हुए अपनी मां सुमन को यह सब कहा तो सुमन पलटकर गौतम को जवाब देती हुई बोली..

सुमन - मैं नहीं जानती ग़ुगु मेरा रूपा और माधुरी के साथ नहीं रहने का फैसला सही है या गलत.. मगर मैं बस इतना जानती हूं कि मैं तुझे उन दोनों के साथ अब और नहीं देख सकती.. मैं किसी भी कीमत पर रूपा और माधुरी के साथ उस घर में नहीं रहूंगी और ना ही तुझे रहने दूंगी..

गौतम सुमन की बातें सुनकर घर से निकलते हुए उसे कहता है..
गौतम - जैसी आपकी इच्छा माँ.. अगर आप नहीं जाना चाहती तो कोई बात नहीं.. मैं आपके ऊपर यहां से चलने के लिए और दबाव नहीं डालूंगा.. आपके साथ मैं यहां भी आराम से रह सकता हूं.. मैं बस आपकी ख़ुशी के लिए आपको समझा रहा था..

ये कहते हुए गौतम घर से निकल जाता है और कार लेके आदिल के चाचा के घर के पास एक मोड़ पर आकर रजिया को फ़ोन करता है और उसे बहाना बनाकर घर से बुलाकर अपने साथ कार में बैठा कर कहीं जाने के लिए निकल पड़ता है..

गौतम के फोन पर आदिल का फोन आ जाता है जो उसे एक जगह मिलने के लिए कहता है..
गौतम आदिल की बताइ किसी जगह पहुंचता है तो देखा है कि आदिल अपने मामू की लड़की नरगिस के साथ खड़ा था.

शाम के 5:00 बजे का समय था और इस वक्त आदिल नरगिस के साथ एक पार्क के पास खड़ा था साथ ही उसके करीब उसके मामा की लड़की नरगिस भी खड़ी थी जो की बुर्के में थी. गौतम रजिया को लेकर उसी पार्क के पास आदिल की खड़ी जगह आ जाता है..

आदिल रज़िया को देखता है तो वो चौंक जाता है रज़िया आदिल को सलाम करती है और आदिल गौतम से कहता है..
आदिल - अबे रज़िया ही मिली थी तुझे?
गौतम - अब तेरी अम्मी को साथ से लाने से मना कर दिया तूने.. तो और किसको लाता? एंट्री चाहिए ना..
आदिल गाडी मैं बैठते हुए - ठीक है चल..

गौतम आदिल नरगिस सबको को गाडी में बैठा लेता है और चल देता है..

आदिल - मास्क तो ले लिये ना तूने?
गौतम - हाँ.. सब है..
नरगिस - मास्क लगाकर फ़िल्म देखेंगे?
आदिल - हाँ ख़ास फ़िल्म है मज़ा आएगा तुझे..
रज़िया - गौतम.. कोनसी फ़िल्म है..
गौतम - अभी पता नहीं.. जाकर पता चलेगा..
नरगिस - कहा जाना है? नया सिनेमाहॉल खुला है?
आदिल - नहीं.. पुराना है.. बहुत ख़ास है.. आसानी से टिकट नहीं मिलती.. बड़ी मुश्किल से मिली है..
रज़िया मुस्कुराते हुए - अच्छा? फ़िल्म देखते टाइम हमारे साथ कुछ ऐसा वैसा तो नहीं करोगे ना..
आदिल नरगिस की चूची पकड़ता हुआ - ज्यादा कुछ नहीं बस एक राउंड लेंगे..
नरगिस आदिल से अपनी चूची छुड़वाते हुए - क्या?
गौतम रज़िया की चुत पर हाथ लगाते हुए - ये..
रज़िया गौतम की तरफ बढ़कर उसके गाल चूमते हुए - सिर्फ एक बार ही लोगे?
गौतम रज़िया के होंठ चूमते हुए - तू एक राउंड ही संभाल लेना मुझे..
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आदिल - गौतम मेडिकल पर रोक कंडोम ले लेता हूँ..
गौतम - छोड़ यार.. ये तो तेरे घर की घोड़िया है इनके साथ भी क्या कंडोम लगा के करेंगे?
नरगिस आदिल से - नहीं.. मैं बिना कंडोम नहीं करने दूंगी..
आदिल - रोक ले यार तू.. ले आता हूँ..
गौतम मेडिकल पर ग़ाडी रोकता है और आदिल कंडोम लेने चला जाता है..

रज़िया गौतम के ऊपर चढ़कर उसके होंठो पर टूट पडती है और अपने होंठों से चूमने लगती है जिसे देखकर नरगिस कहती है..
नरगिस - रज़िया तू तो यही शुरु हो गई.. अरे जगह तो देख ले.. लोग है आस पास..
रज़िया kiss तोड़कर - क्या करू नरगिस.. जब पास में ऐसा हसीन लड़का हो तो कैसे सब्र करू..
आदिल कंडोम लेकर आ जाता है साथ अपने लिए सेक्स पावर की गोली भी ले लेता है..
रज़िया वापस सीट पर आ जाती है और गौतम गाडी को चला कर सीधा एक पुरानी ईमारत के पीछे की बेसमेंट में लगा देता है जहा कोई नहीं था सब सुनसान था..

नरगिस - यहां कोनसी मूवी चल रही है? कोई भी तो नहीं है..
रज़िया - हाँ.. यहां तो कोई नहीं है.. और ये इलाका भी बहुत सुनसान है..
आदिल - अरे ऊपर है सिनेमा हॉल..
नरगिस - इस बिल्डिंग में?
आदिल - हाँ..
रज़िया - झूठ मत बोलो आदिल भाई.. तुम दोनों हमें किसी फ्लेट में लेजाकर पेलने वाले लगते हो..
नरगिस - आदिल.. ये क्या मज़ाक़ है.. तुम्हे करना था तो वही कर लेते.. मैंने मना थोड़ी किया था..
गौतम गाडी से उतरते हुए - अरे ख़ुफ़िया फ़िल्म है.. चलो आ जाओ.. चलते है..

गौतम आदिल रजिया और नरगिस के साथ उस पुरानी बिल्डिंग के बेसमेंट में गाड़ी लगाकर आगे की तरफ आ जाता है और सीडीओ से चढ़ता हुआ तीसरी मंजिल पर पहुंचता है.. यहां तक सारा रास्ता सुनसान था और कोई भी नहीं था मगर जैसे ही वह एक दरवाजे से एंट्री लेकर अंदर घुसते हैं वहां बहुत चल पहला और शोर शराब सब कुछ था.. वहां लोगों की भीड़ लगी हुई थी और सब किसी न किसी के साथ थे.. सब ने मास्क लगाया हुआ था और यहां पर गौतम ने भी सबको मास्क लगाने के लिए कह दिया था..

वहां से एक दरवाजे पर एंट्री पॉइंट था जहां पर दो लोग खड़े हुए थे और पर कपल एंट्री कर रहे थे लोग अपनी टिकट दिखाकर अंदर हाल की तरफ जा रहे थे और अपनी-अपनी सीट पर बैठ रहे थे सामने एक बड़ा सा पर्दा था जैसे कि आमतौर पर सिनेमा हॉल में होता है..
इस हाल की खास बात यह थी कि यहां पर हर तरफ से एंटी और एग्जिट प्वाइंट बने हुए थे पूरा कमरा साउंड प्रूफ था जिससे कोई भी शोर बाहर नहीं जा सकता था. सामने का पर्दा भी बिल्कुल सिनेमा हॉल की तरह साफ सुथरा और क्लियर था जिस पर कुछ ही देर में कोई पिक्चर चलने वाली थी..

गौतम ने रजिया के साथ तो आदिल ने नरगिस के साथ एंट्री ली.. एंट्री लेकर चारों सबसे पीछे की सीट पर बैठ गए जो गौतम के फ्रेंड ने रिक्वेस्ट करके दिलवाई थी..

5:00 बजने वाले थे और 6:15 पर पिक्चर शुरू होने वाली थी जो की डेढ़ घंटे की थी.. आज पिक्चर का थीम incest पर था जिसमें पारिवारिक रिश्तों में व्यभिचार को दिखाते हुए अश्लीलता का प्रदर्शन किया जा रहा था..
फिल्म का पोस्टर देखने से ऐसा लगता था कि इसमें घर में होने होने वाले व्यभिचार को कामुकता के रंग में रंगकर परोसा गया है..

सीट पर बैठते ही गौतम ने नरगिस के गले में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसके होठों पर अपने होंठो रखते हुए उसके होठों को खींचते हुए इस तरह चुम्मा जैसे कि वह आदिल की गर्लफ्रेंड ना होकर उसकी अपनी गर्लफ्रेंड हो..
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नरगिस विरोध करना चाहती थी मगर एकदम से हुए इस हमले पर वह अपनी प्रतिक्रिया देने में असमर्थ थी और उसके होंठ गौतम के होठों के गुलाम बन गए. उसने अपने होठों के जाम गौतम को पिला दिए और जब गौतम उसके होठों को चुमकर चुत पर अपना हाथ रखता है तब नरगिस गौतम को रोक देती है और उसके साथ चुंबन को तोड़ लेती है..

आदिल ये सब देख रहा था मगर उसने गौतम को रोकने का कोई इरादा नहीं किया और ना ही उसने कोई कोशिश की.. वो बस सामने देखता हुआ पर्दे की तरफ देखने लगा..
रज़ीया ने गौतम को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसके होठों पर होंठ लगाती हुई बोली..
रज़िया - मैं हूँ ना.. गौतम.. मेरे साथ करो..
गौतम ने रज़िया को चुमा और चूमते हुए उसके बदन का जायजा लेने लगा. उसके बदन और गांड पर हाथ फिरता हुआ वह रजीया को चूमे जा रहा था कि सामने पर्दे पर पिक्चर शुरू हो चुकी थी..

हॉल के अंदर बैठे हुए सभी कपल एक दूसरे के साथ चुम्माचाटी और दूसरी तरह की कामुक हरकतो में लीन हो चुके थे वही सामने फ़िल्म की शुरुआत में दिखाया जा रहा था की एक 45 के करीब की खूबसूरत औरत एक 25 साल के लड़के के आगे घोड़ी बनी हुई थी और लड़का उसे चोद रहा था.
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फ्लिम में चुत और लंड का सम्पर्क दिखाते हुए उन दोनों के चेहरे भी दिखाए जाते है.. इसीके साथ सामने दिवार पर लटकी घड़ी में रात के 2 बजे का समय दिखाया जाता है और उसके पास एक तस्वीर दिखाई जाती है जिसमे एक 50 साल का आदमी का चेहरा था जिसकी फोटो पर माला चढ़ी हुई थी.. उसी तस्वीर के करीब बाजू में एक और बड़ी सी तस्वीर थी जिसमे वो आदमी इस वक़्त चुद रही उस औरत के साथ खड़ा था और जो लड़का औरत को चोद रहा था वो उन दोनों के पैर छू रहा था.. जिससे पता चलता है की इस वक़्त जो लड़का जिस औरत को चोद रहा है वो उसकी माँ है और उसके बाप की मौत हो चुकी है..

नरगिस और रज़िया को अब पता चल गया था की ये सेक्स मूवी है.. हाल में बैठे हुए कपल में से बहुत से कपल ने अपने कपड़े साइड में रख दिए थे और अपने लंड और साथ आई लड़की की चुत और चुचो को भी नंगा कर दिया था और सेक्स की शुरुआत कर दी थी..

आदिल सेक्स की गोली खा चुका था और इस वक्त उसने नरगिस को अपनी बाहों में लेकर चूमना शुरू कर दिया था इसी के साथ ही गौतम ने भी रजीया के साथ मुंह मारना शुरू कर दिया था और अपना लंड बाहर निकाल कर रजीया के मुंह में दे दिया था जिसे रजीया बड़ी जोर से चूसते हुए मुस्कुराकर गौतम को देख रही थी..

गौतम रजिया को लंड चूसते हुए नरगिस की चुत पर हाथ रखकर उसकी चुत मसल रहा था.. काजल की बाहों में नरगिस यह समझ नहीं पा रही थी कि उसकी चुत पर किसका हाथ है और वह गौतम को अपनी चुत पर हाथ लगाने से नहीं रोक रही थी.. आदिल में जब नरगिस को अपनी बाहों से थोड़ा ढीला छोड़ तब उसे पता चला कि उसकी चुत पर आदिल का नहीं बल्कि गौतम का हाथ था और उसने गौतम का हाथ हटाने की कोशिश की मगर गौतम ने नरगिस की चुत को कस के पकड़ लिया और मसल दिया जिससे नरगिस की आह निकल गई..

नरगिस की नजर जब गौतम के लंड पर गई तब उसकी आंखें खुली की खुली रह गई और लंड चुस्ती हुई रजिया को देखने के बाद में नरगिस की नजर गौतम के चेहरे पर पड़ी जिसपर एक कातिल मुस्कान छाई हुई थी..

गौतम का लंड देखने के बाद नरगिस ने गौतम के चेहरे पर मुस्कान देखी.. नरगिस भी मुस्कुराते हुए गौतम को देखने लगी और इस बार उसने अपनी चुत
से गौतम का हाथ हटाने का कोई इरादा नहीं किया और गौतम को अपनी चुत से छेड़खानी करने की इज़ाज़त दे दीं. गौतम एक हाथ से नरगिस की चुत मसल रहा था दूसरे से अपना लंड चुस्ती हुई रज़िया की चुत को मसल रहा था..
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आदिल भी नरगिस के होठों को चूमते हुए उसके बूब्स दबा रहा था और नरगिस के मज़े ले रहा था..

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फिल्म मैं आगे दिखाया गया कि वह लड़का उस औरत के साथ घर के हर कोने में रोमांस कर रहा था और रोमांस करते हुए औरत को खुश रख रहा था साथ ही उसके साथ भर भर के चुदाई का काम भी कर रहा था.. दोनों की चुदाई की धमाकेदार आवाजे हॉल के स्पीकर से इतनी देर आ रही थी की हॉल में कपल की चुदाई की आवाजे उसमे दब कर रह जा रही थी..

आदिल ने नरगिस की सलवार नीचे करके उसे घोड़ी बना लिया और गौतम की तरफ नरगिस का मुंह करके पीछे से कंडोम लगाकर चोदने लगा..
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गौतम के सामने जब नरगिस का चेहरा आया तो गौतम ने नरगिस के बाल पड़कर उसका चेहरा अपने लंड पर झुका दिया और नरगिस पीछे आदिल से चुदवाते हुए आगे रज़िया की तरह गौतम के लंड को चूसने लग गई..

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गौतम के लंड पर रज़िया और नरगिस दोनों का मुंह था और दोनों बड़े चाव से लंड चूसती हुई गौतम के आंड चाट रही थी..
गौतम ने सामने हाल में देखा तो परदे की रोशनी मैं उसे कई कपल चुदाई करते हुए नज़र आ रहे थे उसके पास भी जो कपल बैठा हुआ था सेक्स करने लगा था...

गौतम को अब चुत चोदनी थी उसने नरगिस के मुंह से अपना लंड निकाल लिया और रज़िया की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने लंड पर बैठा लिया..

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गौतम ने चुत पर लंड लगाते हुए झट से रज़िया की चुत में अपना लंड घुसा दिया.. रज़िया बहुत कामुक लड़की थी उस ने अपनी चुत में गाजर मूली बैगन बैलन लोकी सब घुसाईं हुई थी तो गौतम के लंड को अंदर जाने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई मगर जब आधे से ज्यादा लंड जाने लगा तो रज़िया की चीख निकल गई और गौतम ने उसे चोदना शुरु कर दिया..

रज़िया की सडक छाप कुतिया की तरह सिसकते हुए गौतम के लंड पर उछल रही थी और आदिल नरगिस के बाल पकड़ कर पीछे से उसकी चुत मार रहा था और अब वो झड़ने वाला था.. रज़िया भी गौतम का लंड लेते ही झड़ गई और अब उसकी चुत पूरी गीली थी जिससे लंड ऊपर नीचे होने में ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था.. चुदाई चरम पर थी चारो सम्भोग में सुख भोग रहे थे.. फ़िल्म भी अपनी गती से आगे बढ़ रही थी और चुदाई पर चुदाई हो रही थी हॉल में कपल खुलकर एक दूसरे को चोद रहे थे सबकी शर्म निकल चुकी थी..

आदिल भी झड़ गया और सीट पर बैठ गया.. गौतम ने रज़िया को लंड पर से उतार दिया और आगे सीट पर झुका कर पीछे से उसकी चुत मारने लगा.. इसके साथ उसने देखा की नरगिस भी सीट पर बैठकर आदिल का कंडोम बांध कर सीट के नीचे रख रही थी.. गौतम ने थोड़ी देर रज़िया को छोड़ तो वो काम के चरम पर पहुंचकर वापस झड़ गई..

गौतम ने रज़िया छोड़ दिया और नरगिस का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लिया.. नरगिस भी बिना कुछ कहे गौतम के ऊपर आ गई और बिना कंडोम की परवाह किये गौतम के लंड को सिसकारियों और कामुक आवाजो के साथ चुत में ले गई..
गौतम ने नरगिस को गोद में उठाकर चोदना शुरुआत कर दिया जिसे आस पास के कपल देखकर तालिया बजाते हुए शोर करने लगे... .

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फ़िल्म आधी ख़त्म हो चुकी थी और आदिल ने अब रज़िया का हाथ पकड़कर उसे सीट पर घुमा लिया और चुत में लंड डाल कर चोदने लगा रज़िया आदिल के लंड से आराम से चुद रही थी और गौतम को देख रही थी जो नरगिस को लोडे पर उछाल उछाल के चोद रहा था. नरगिस झड़ गई और हाफने लगी मगर गौतम चोदे जा रहा था.. और ताबड़तोड़ झटके माररहा था.

गौतम ने इशारे से आदिल को कुछ कहा तो वो रज़िया को छोड़कर गौतम के आगे आ गया और नरगिस के पीछे खड़ा हो गया.. गौतम ने चोदना रोका तो आदिल ने नरगिस की गांड के छेद पर अपना खड़ा लंड लगा के झटका मारा और अपना लंड नरगिस की गांड में पेल दिया..
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नरगिस गांड मरवा चुकी थी इससे उसकी गांड में लंड आराम से चला गया और अब वो आदिल और गोतम के बीच आगे पीछे दोनों तरफ से चुद रही थी उसकी चीखे आदिल के कानो में मिश्री बनकर पड़ रही थी.. नरगिस की हालात खराब थी वो दोनों से छोड़ने को कह रही थी मगर दोनों उसको आगे पीछे से चोदे जा रहे थे..
आदिल ने चुदाई के दौरान नरगिस को कौशल की बात बता दीं और गाली देते हुए कहा..
आदिल - मुझे धोखा देगी रंडी.. ले.. चुदाई खानी छिनाल.. लंड चाहिए ना तुझे.. चुद अब..
नरगिस पहले ही इतनी हार्ड चुदाई से थक चुकी थी और अब उसे दर्द हो रहा था वही आदिल की बात सुनकर वो शर्म से लाल हो चुकी थी और अब उसने दोनों से छोड़ने की अपील करना भी बंद कर दिया था..
रज़िया सीट पर बैठी हुई नरगिस की चुदाई देखकर घबरा गई थी और उसने अपनी चुत कपडे से पोंछकर वापस चुदने का इरादा छोड़ दिया रहा..
आदिल और गौतम के साथ नरगिस की चुदाई देखकर लोग तालिया बजाते हुए अपने अपने साथी के साथ मज़े ले रहे थे फ़िल्म में भी चुदाई का सीन चल रहा था जहा माँ रसोई में खाना बनाते हुए बेटे से चुद रही थी..
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आदिल वापस झड़ गया और नरगिस की गांड में खाली होकर सीट पर आ बैठा वही अब गौतम भी झड़ने वाला था उसने नरगिस को सीट पर पटक दिया और रज़िया के बाल पकड़कर उसके मुंह को नरगिस के मुंह के पास लाकर दोनों के मुंह के सामने अपना लंड हिलाते हुए उनके मुंह पर अपना वीर्य एक के बाद एक अपनी पिचकारी से कई धार छोड़कर झड़ गया..
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नरगिस शर्म और चुदाई से बेहाल थी वही रज़िया दो बार झड़कर संतुष्ट और खुशहाल हो चुकी थी..
फ़िल्म समाप्ति की और थी..
रज़िया ने मुंह में लेकर गौतम का लंड साफ किया और अपने मुंह अपने दुप्पटे से.. नरगिस भी उसी दुप्पटे से मुंह साफ करने लगी..

आदिल का गुस्सा शांत नहीं हुआ था वो दो बार झड़ चूका था और होली खाने से अब भी उसका लंड सख्त था उसने पहिसे नरगिस को सीट पर घोड़ी बना लिया और नरगिस शर्म के मारे बिना कुछ बोले सिसकती हुई वापस आदिल से गांड मरवाने लगी..

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थोडी देर बाद गौतम ने आदिल को नरगिस के पीछे से हटा दिया और अपना लंड नरगिस की गांड में घुसा दिया जिससे नर्गिस गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाते हुए गांड मराने लगी आदिल के दिल को सुकून मिल गया और उसने रज़िया को भी उसी तरह घोड़ी बना लिया..
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अगल बगल रज़िया और नरगिस एक जैसी पोज़ में घोड़ी बने हुए थे.. नरगिस की गांड में गौतम खलबली मचा रहा था और रज़िया की चुत में आदिल उतरा हुआ था मगर रज़िया को उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा था.. रज़िया अपने दाने को छेड़ती हुई वापस कामुक हो रही थी और आदिल से चुद रही थी वही नरगिस तो ऐसे फसी जैसे रज़िया गुंडों में..

नरगिस ने हाथ जोड़कर गौतम से छोड़ने को कहा तो गौतम को तरस आ गया और उसने नरगिस की गांड से लंड निकाल लिया.. आदिल भी रज़िया के साथ वापस झड़ गया था.

गौतम के लंड पर किसी की नज़र पड़ी तो उसने गौतम को देखकर कहा.. बड़े लंड वाल.. बड़े लंड वाला.. गौतम के आस पास की 3-4 लड़की जो अपने कपल के साथ थी गौतम का लंड देखकर गौतम पर टूट पड़ी और एक साथ उसके लंड को चूसने लगी..
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गोतम को अचानक समझ नहीं आया की ये क्या हुआ.. आदिल रज़िया और नरगिस भी ये सब देख रहे थे.. गौतम सामने 4-5 लड़किया बैठकर उसके लंडपर टूट बड़ी किसी ने उसके टट्टे चाटे किसी ने लंड किसी ने जांघ किसी ने झाट वाला हिस्सा.. गौतम कामुकता से वापस भरने गया था..

फ़िल्म ख़त्म होने ही वाली थी और एक एग्जिट point खुल चूका था जहा से अब कपल बाहर जाने लगे थे.. गौतम लड़कियों के चारे के मास्क उतारे तो उसे बेहद खूबसूरत खूबसूरत लड़किया अपने लंड दिखी जो रसीसजाडीया मालूम पडती थी..
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आदिल ने गौतम से इशारे ने निकलने को कहा तो गौतम ने उसे इशारे से जाने के लिए कहा और आदिल रज़िया को इशारा करके वहा से जाने लगा आदिल के पीछे पीछे रज़िया भी लचकती हुई निकल गई और नरगिस हॉल में लगी सीट का सहारा लेते लेते बाहर निकली उसकी आज हालात खराब हो चुकी थी.. गौतम का लंड बारी बारी से सबके मुंह में जा रहा था और गौतम को लगने लगा था की अब अगर वो नहीं निकला तो लाइट on हो सकती है और फिर उसका चेहरा कोई भी देख सकता है..

गौतम ने लंड हाथ में लिया और मुठियाते हुए सामने बैठी लड़कियों के ऊपर अपना माल छोड़ दिया और हाल से अपने जीन्स पहनते हुए भागकर निकल गया..

आदिल के दिल में सुकून भर गया था उसके सामने नरगिस शर्म से पानी पानी होकर अपनी गांड पकडे खड़ी थी और रज़िया हसते हुए गौतम के लंड से मिले सुकून को महसूस करते हुए..
हॉल से निकले सब लोग आगे पार्किंग में जारहे रहे और गौतम पीछे पार्किंग में आदिल के पास आ गया..

गौतम कार मैं बैठ गया और बाकी लोग भी बैठ गए आदिल वहां से निकल गया और रास्ते में एक चाय की दूकान पर गाडी रोककर चाय वाले से चार चाय देने को कहते हुए आदिल से नरगिस का हाल पूछने को कहा..
गौतम - लगता है नरगिस नाराज़ है..
आदिल हसते हुए - कौशल की याद आ रही होगी..
नरगिस चुप थी और शर्मिंदा भी..
रज़िया - कितना रगड़ के किया था तुम दोनों ने इसके साथ... मैं तो घबरा ही गई थी कही मुझे भी इसकी तरह ना चुदवाना पड़े..
चायवाला - आपकी चाय..
सबने चायवाले से अपना अपना कुल्हड़ लेके चाय पीना शुरु कर दिया.. नरगिस को समझ नहीं आ रहा था वो क्या करें.. वो चुपचाप चाय पी रही थी..
आदिल ने गौतम के कान में कुछ कहा और गौतम ने रज़िया के कान में.. रज़िया हस्ती हुई दोनों को देखने लगी..
सबने चाय पीकर कुल्हड़ बाहर फेंक दिया.. चायवाला आकर - भाईसाब आपकी 4 चाय के 60 हो गए..
गौतम आदिल को देखकर - मेरी पास तो नहीं है आदिल तू देदे..
आदिल - मेरी पास भी नहीं है यार.. रज़िया तू दे दे..
रज़िया - तुम्हारे पास नहीं है तो मेरी पास कय होंगे... मैं भी बिना पैसे आई थी..
गौतम - नरगिस तुम पैसे दे दो..
नरगिस शर्मिंदगी से - मेरी पास भी नहीं है..
आदिल नरगिस को बिना उसका पर्स लिए ही ले आया था इसलिए वो जानता था नरगिस के पास पैसे नहीं है.. वो गौतम और रज़िया के साथ मिलकर ये नाटक कर रहा था..
चायवाला - इतनी अच्छी कार है भाईसाहब आपके पास.. 60 रुपए तो होंगे ही..
गौतम - आज भूल गया पैसे लाना यार.. कुछ और हो सकता है..
चायवाला - क्या मतलब?
आदिल - अरे भाईसाब आप पीछे आओ ना..
चायवाला पीछे कार की खिड़की में देखता हुआ - क्या?
आदिल नरगिस के चुचे पकड़ कर - भाईसाब पैसे के बदले इसके चुचे चूस लो..
चायवाला हैरानी से चुप था..
आदिल - क्या हुआ भाईसाब? आओ अंदर बैठ जाओ.. चूस लो..
चायवाला कामुकता से भर गया और गाडी के अंदर बैठ गया..
आदिल ने नरगिस के चुचे कुर्ती से बाहर निकाल दिए और चायवाला झपट कर नरगिस के बोबे चूसने लगा.. आदिल और गौतम एक दूसरे को देखकर हसने लगे वही नरगिस चुपचाप शर्मिंदा बैठी हुई चायवाले को चुचे चूसा रही थी..
आदिल - भाईसाब सिगरेट मिलेगी..
चायवाला चुचे चूसता हुआ - अभी लाया भाईसाब..
चायवाला एक बड़ी एडवांस सिगरेट और लाइटर लेके आ गया और आदिल को दे कर वापस नरगिस के चुचे चूसने लगा..
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आदिल ने एक कश लेकर सिगरेट गौतम को दे दी..
गौतम सिगरेट के कश लेते हुए चायवाले से बोला - भाईसाहब नाम क्या है आपका..
चायवाला - विनोद कुमार..
गौतम - विनोद भाई एक चाय और पीला दो..
नरगिस विनोद को अब अपने चुचे से हटा कर चुचे कुर्ती में वापस डाल लेती है और मुंह मोड़कर बैठ जाती है..
चायवाला - महगाई का टाइम है भाईसाब.. बिना वैसे कैसे चलेगा..
रज़िया विनोद के लंड पर हाथ रखकर - विनोद भाई.. पीला दो ना..
चायवाला विनोद - लता हूँ बहन जी..
आदिल हसते हुए - क्या बात है.. रज़िया रंडी..
रज़िया नरगिस से - नरगिस.. चुप क्यों है..
गौतम - ये तो कौशल बताएगा..
आदिल हसते हुए - सही कहा..
थोड़ी देर बाद चायवाल चाय लेकर आता है और आदिल और गौतम चाय पिने लगते है वही नरगिस चाय नहीं लती और मुंह बनाके बैठ जाती है रज़िया चाय की चुस्की लेकर चाय तो अच्छी बनाई है..
गौतम - हाँ इनाम तो मिलना चाहिए विनोद को..
चायवाला विनोद - क्या भाईसाहब...
गौतम रज़िया से - रज़िया मुंह में लेके thanks बोल विनोद को..
रज़िया हैरानी से - क्या?
आदिल चाय पीते हुए - बोल दे रज़िया.. तेरा क्या जाएगा बेचारे का भला हो जाएगा..
रज़िया कार का दरवाजा खोलकर इधर उधर देखती है और फिर विनोद की जीप खोलकर उसका लंड मुंह मे लेकर 2-3 बार चुस्ती है और thanks you भैया बोल देती है..
विनोद कामुकता से भरा हुआ देखता रह जाता है और सबके जाने के बाद दूकान के पीछे जाकर मुठ मारता है..

गौतम आदिल रज़िया और नरगिस को ड्राप करके वापस जब घर आया तो रात के 9 बज रहे थे..

कहा था अब तक? और फ़ोन क्यों नहीं उठाया तूने मेरा?
माँ साइलेंट था फ़ोन पता नहीं चला..
मैं यहां अकेली थी ग़ुगु..
माँ.. पुलिस क्वाटर है.. आसपास पुलिस वाले है.. इतने कैमरा और सेक्विरिटी है.. आप फिर भी डरती हो..
मुझे नहीं पता तू मुझे छोडके मत जाया कर शाम के बाद..
गौतम सुमन को बाहों में लेटा हुआ - अच्छा ठीक है मेरी शहजादी.. अब नहीं जाऊँगा शाम के बाद घर से बाहर...
सुमन मुस्कुराते हुए - खाना खा ले.. कब से इंतजार कर रही थी..
गौतम - क्या बनाया है?
सुमन - प्याज के पराठे तेरे पसंद के..
गौतम के गाल को चूमता हुआ - क्या बात है माँ.. आज तो बहुत प्यार आ रहा है अपने बेटे पर..
सुमन खाना ड़ालते हुए - तू नरकज़ तो नहीं है ना ग़ुगु मेरी फैसले से..
गौतम खाना खाते हुए - नहीं माँ.. रूपा और माधुरी के साथ रहना या ना रहना आपकी मर्ज़ी है.. मैं इसमें आपसे क्यों नाराज़ हूंगा? चलो आप भी खाओ.. मैं जानता हूँ आपने भी नहीं खाया होगा..
सुमन भी उसी प्लेट में गौतम के साथ खाना खाने लगती है और कहती है - ग़ुगु.. तू बता रहा था तेरे एग्जाम शुरु है 3 दिन बाद.. तैयारी ठीक चल रही है ना..
गौतम सुमन को खाना खिलाते हुए - आप फ़िक्र मत करो.. आज तक फ़ैल हुआ हूँ जो अब हूंगा.. टॉप करना नहीं है.. फैला होना नहीं है.. पास हो जाऊंगा..
सुमन - आज से हम अलग अलग सोयेंगे ग़ुगु..
गौतम - क्यों?
सुमन - कल रात तो तू बहक ही गया था.. अगर मैं नहीं रोकती तो तू छोटे ग़ुगु को मेरे अंदर डाल दी देता..
गौतम खाने की प्लेट देते हुए - वो तो मै मज़ाक़ कर रहा था माँ.. आप भी ना... चलो जल्दी आओ माँ मैं वेट कर रहा हूँ बिस्तर में..
सुमन मुस्कुराते हुए दिल ही दिल में गौतम को जाते देखकर मचलने लगी थी..
उसने जल्दी से बर्तन धोकर गौतम के पास की राह ले ली और उसके पास चली गई..
पिछली रात की तरह आज भी गौतम ने सुमन के बदन से चड्डी और ब्रा के अलावा सारे कपडे उतार दिए.. और खूबसूरत भी सिर्फ चड्डी में आ गया और सुमन से लिपटा हुआ थोड़ी देर उससे इधर उधर की बात करके सो गया..


 
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सुमन (43)


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अजमेर के पश्चिमी इलाके में बने पुलिस क्वाटर के छोटे से कमरे में गौतम रात को इतिहास की किताब पढ़ते हुए कब सो गया था उसे भी पता नहीं चला. सुबह जब उसकी माँ सुमन चाय का कप हाथ में लेकर आई और गौतम को अपना हाथ लगाकर नहीं जगा दिया तब तक गौतम की नींद नहीं खुली थी.

सुबह के साढ़े आठ बजे का समय हो चूका था और गौतम के पिता जगमोहन जो पुलिस में हेड कांस्टेबल थे अपनी वर्दी पहन के थाने के लिए निकल चुके थे, सुमन भी घर का सारा काम आज जल्दी निपटाकर बैठ गई थी और अब गौतम जिसे सुमन प्यार से ग़ुगु कहकर पुकारती थी जगाने आ गई गई और चाय का कप बेड के किनारे रख कर प्यार से गौतम को जगा रही थी..

गौतम - सोने दो ना माँ..

सुमन - बहुत सो चुके नवाबसाब.. अब उठो और जल्दी से त्यार हो जाओ. कल बताया था ना आज बाबाज़ी के थान पर जाना है माथा टेकने.

सुमन ने गौतम के गालो सहलाते हुए कहा और उसके बगल में जो किताब पड़ी थी उसे उठाकर साइड में स्टडी टेबल पर रख दिया.

गौतम - कब तक इन पाखंडी बाबाओ के चक्कर में रहोगी माँ. कुछ फ़ायदा नहीं है वहा जाने से, उन्हें तो बस चढावे के पैसो से मतलब है, अन्धविश्वास फैलाते है और लोगों को लुटते है.

गौतम ने तकिये को अपने सीने से लगाकर आँख बंद किये हुए ही ये बात सुमन से कही जिसके जवाब में सुमन ने गौतम के हाथों से वो तकिया खींच लिया और हाथ पकड़कर उठाते हुए बोली..

सुमन - मेरा अन्धविश्वास है तो अंधविश्वास ही सही. तुम अंदर मत जाना मैं जाकर बाबाजी को माथा टेक आउंगी. बाबाजी के कारण ही ये गृहस्थी खुशहाल चल रही है वरना ना जाने क्या होता? मेरी सुनी कोख भी तो उनके आशीर्वाद से हरी हुई थी डाक्टर तक ने जवाब दे दिया था कि मैं बाँझ ही रहूंगी पर बाबाजी के आशीर्वाद से मुझे मेरा ग़ुगु मिला और तेरे पापा जब ससपेंड हुए थे तब भी बाबाजी के करम से ही वापस उनकी बहाली हुई.

सुमन कि बातों से गौतम चिढ़ते हुए अंगड़ाई लेकर उठ गया और सुमन का हाथ पकड़ते हुए बोला..

गौतम - अच्छा ठीक है माँ आपको मानना है तो मानो पर कह देता हूँ मैं कभी ऐसे बाबा-वाबा के चक्कर में नहीं आऊंगा. आप तो वैसे भी इतनी भोली हो कि कोई भी आपको बेवकूफ बनाकर अपने उल्लू सीधा कर सकता है. गौतम ने चाय का कप लिया और एक सिप लेकर वापस कहा माँ.. सुबह सुबह आपके हाथो कि अदरक वाली चाय ना मिले तो सुबह सुबह जैसी नहीं लगती.

सुमन गौतम की बात सुनकर मुस्कुराते हुए उसके पास आई और एक प्यार से भरा हुआ ममतामई चुम्बन गौतम के गाल पर करके बोली - अब ये मस्का लगाना बंद कर और जल्दी से नाहधो कर त्यार होजा मैं नास्ता लगाती हूँ.

सुमन इतना कहकर कमरे से भर आ गई और गौतम चाय की चुस्की लेटे हुए खड़ा होकर खिड़की से बाहर सडक के दूसरी तरफ अपने काम से आते जाते लोगों को देखने लगा.. इतने मे गौतम की नज़र टेबल पर पड़े अपने फ़ोन पर चली गई जो साइलेंट पर था और कब से उसमे किसीका फ़ोन आ रहा था.

गौतम ने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ उसका दोस्त आदिल था जो हड़बड़ी में था.

आदिल - भोस्डिके रंडी.. कब से फ़ोन कर रहा हूँ गांड में डालके बैठा था क्या? उठाया क्यू नहीं? क्या कर रहा था?

गौतम - तेरी अम्मी चोद रहा था घोड़ी बनाके गांडु. वैसे सुबह सुबह क्यू फ़ोन कर रहा है? गांड देने का इरादा है क्या?

आदिल - मज़ाक़ मत कर, सुन एक बिहारन भाभी है मस्त सिर्फ 4 हज़ार में फुल नाईट सर्विस देने को त्यार है. आज रात दोनों भाई मचका देते है बता क्या बोलता है? बुक करू?

गौतम - पैसे कौन तेरा कबाड़ी बाप देगा मेरी रांडबाजी के लिए?

आदिल - अबे तुझे दो हज़ार का ही तो जुगाड़ करना है सोच ले. ऐसा माल बार बार नहीं मिलता. सिर्फ दो हज़ार की बात है.

गौतम - साले 5G के जमाने मैं कीपैड वाला 2G फ़ोन इस्तेमाल कर रहा हूँ और तू बोल रहा है 2 हज़ार की बात है.

आदिल - अबे इससे ज्यादा तो तेरा बाप एक दिन में ऊपर की कमाई कर लेता होगा. तू बहनचोद फिर भी ऐसे रो रहा है.

गौतम - भाई मेरा बाप जितना भी कमाता है अपनी गांड में छुपा के रखता है मुझे दो टाइम की रोटी के अलावा कुछ नहीं देता. सो रुपए भी मांगूगा तो दस सवाल पूछेगा. मेरे पास तो पैसे नहीं है फ्री दिलाये तो बता देना.

आदिल - फ्री में मेरा लंड लेले साले भिखारी. बहनचोद हर बार का तेरा यही रंडी रोना होता है.

गौतम - लंड है तेरे पास गांडु? साले हर बार बस पांच मिनट में जड़ जाता है और फिर चोदने की जगह बस हिलाके आ जाता है. मेरे पास तो नहीं है कुछ, भी तू करावाये तो बता देना.

आदिल - हां साले बचपन से अब तक मैने ही पाला है तुझे. चल देखता हूँ पैसे का जुगाड़ हो गया तो कॉल कर लूंगा.

गौतम - थोड़ा एक्स्ट्रा जुगाड़ करना भाई बहुत दिन हो गए नवाबवाले की बिरयानी भी खाके आएंगे.

आदिल - भोस्डिके अब ऊँगली पकड़ा दी तो कंधे पर चढ़कर कान में मत मूत. पैसे का जुगाड़ हो गया तो कॉल कर दूंगा वरना हिला के सोजाना अपनी फेवरेट tisca chopda पर साले आंटी लवर.

गौतम चाय पीकर कप टेबल पर रखते हुए आदिल से कहता है

गौतम - साले सुबह सुबह उसका नाम लेना जरुरी था क्या? मेरा नाग वैसे ही खड़ा होकर फुफकार रहा है अब तो हिलना ही पड़ेगा.

आदिल हँसते हुए - साले वहशी 50 साल की बुढ़िया है वो, तेरे जैसे बच्चे को निम्बू की तरह निचोड़ देगी.

गौतम - भाई 50 की उम्र में भी पूरी माल लगती है साली. ऐसी बुढ़िया के लिए तो ख़ुशी खुशी निम्बू की तरह नीचुड़ जाऊ, अपनी मर्ज़ी से अपनी इज़्ज़त लुटवा दूँ. चल अब रखता हूँ.

आदिल - भाई पूरा हवसी है तू. ठीक है मिलते है शाम को.

आदिल का फ़ोन कटने पर गौतम टॉवल के साथ बाथरूम चला गया और पहले अपनी पसंदीदा एक्ट्रेस tisca chopda को cum ट्रिब्यूट दिया और फिर नहाने लगा. सुमन नास्ता त्यार कर वापस गौतम के कमरे में आई और जब उसने देखा की गौतम अब तक नहीं नहाया है तो उसने बाथरूम का दरवाजा बजाते हुए गौतम से कहा.

सुमन - ग़ुगु.. ग़ुगु..

नहाते हुए ही गौतम ने अपनी माँ सुमन का जवाब दिया

गौतम - हां माँ..

सुमन - ग़ुगु और कितनी देर लगाएगा बाबू? जरा जल्दी कर ना. शाम से पहले वापस भी आना है.

गौतम - आ गया बस पांच मिनट और.

सुमन - अच्छा ठीक है मैं तेरे कपडे निकाल कर बेड पर रख देती हूँ तू जरा जल्दी कर.

सुमन ने बेड के सामने दिवार से सटी हुई एक पुरानी सी लड़की की अलमीरा का दरवाजा खोला और उसमे गौतम के कपडो को टटोलने लगी ज्यादातर लवर टीशर्ट ही उसे दिखी और नीचे कुछ जीन्स शर्ट भी नज़र आई सबकुछ इतना अव्यवस्थित था की सुमन को समझ नहीं आया वो कोनसे कपडे निकाले और कोनसे नहीं, इतने में उसकी नज़र नीचे इस्त्री किये हुए एक जोड़े पर पड़ी जो उसीने गौतम को दिलाई थी मगर गौतम ने एक भी बार उन कपड़ो को नहीं पहना था. सुमन ने वो डस्टी ऑफ ग्रे जीन्स और उसके साथ ही डार्क पिंक डेनिम शर्ट निकालकर बेड पर रख दी इतने में गौतम नहाकर तौलिया लपेटे बाहर आ गया और कपडे देखकर सुमन से कहने लगा..

गौतम - माँ ये पिंक शर्ट रहने दो लड़कियों वाला कलर लगता है.

सुमन - अच्छा? रंग में कब से लड़की और लड़का होने लगा? तेरे ऊपर गुलाबी रंग खिलता है इसलिए निकाला है चुपचाप पहन ले समझा?

सुमन इतना कहकर बाहर आ गयी और गौतम ने उन कपड़ो को पहनकर नीचे स्पोर्ट शूज डाल लिये और बाल बनाकर कमरे से बाहर निकलकर रसोई में आ गया.


कॉलेज के आखिरी साल में पढ़ रहे गौतम की उम्र करीब 20 साल थी, रंग सुमन के जैसा ही गोरा और नयननक्ष भी सुमन की तरह मनमोहक और आकर्षक थे कद करीब 6 फुट और बाल हलके से घूँघराले थे जो उसके चेहरे को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाने का काम कर रहे थे.. सुमन ने जब गौतम को उन कपड़ो में देखा तो देखती रह गई गौतम किसी फ़िल्मी हीरो से ज्यादा ही अच्छा लग रहा था.

सुमन ने नास्ते की प्लेट गौतम के आगे करते हुए कहा..

सुमन - लीजिये राजासाहब आपकी सल्तनत में आज ये बना है खाने को..

गौतम सुमन से नास्ते की प्लेट लेकर रसोई में बनी मार्बल की पट्टी पर उछलकर बैठ गया और सुमन की बात का जवाब देते हुए कहा..

गौतम - काहे का राजा माँ.. एक फ़ोन के लिए बोला था वो तो नहीं दिलाया अभी तक आपने? और आज भी नास्ते में पोहे बना दिए? कम से कम पराठे बना देती.

सुमन बर्तन साफ करती हुई - पराठे शाम को खा लेना और वैसे फ़ोन कितने तक का आएगा तुम्हारा?

गौतम खुश होकर - ज्यादा महँगा नहीं चाहिए बस 30-35 हज़ार तक दिला दो..

सुमन 30-35 हज़ार सुनकर चौंकते हुए बोली - इतना महंगा? बेटा इसके तो तेरे पापा से बात कर, मुझे तो चोरी करनी पड़ेगी या डाका डालना पड़ेगा तुझे उतना महँगा फ़ोन दिलाने के लिए. कोई 10-15 हज़ार वाला लेना हो तो दिला सकती हूँ..

गौतम - पापा से क्या बात करू? वो मुझे फ़ोन क्या चार्जर तक नहीं दिलाने वाले और 10-15 हज़ार वाले फ़ोन ज्यादा दिनो तक चलते नहीं है.

सुमन - फिर तो बेटू ज़ी इसी से काम चलाओ.

गौतम - माँ..

सुमन - हम्म?

गौतम - एक काम हो सकता है.

सुमन - क्या?

गौतम - आप इंस्टालमेंट पर फ़ोन दिला दो. हर मैंने 2-3 हज़ार तो आप पापा से जुगाड़ ही लोगी उसके लिए.

सुमन - बदले में मुझे क्या मिलेगा.

गौतम - बदले में मैं आपका एक अकाउंट बना दूंगा इंस्टा पर वहां आप रील्स में गाना गा कर लोगों को अपनी मीठी आवाज सुना सकती है जैसे किसी फंक्शन में आप गाती हो. लोग अगर ज्यादा फॉलो करेंगे तो उससे पैसे भी मिलते है और आप फेमस भी हो जाओगी.

सुमन - वो क्या होता है?

गौतम - एक ऐप होती है व्हाट्सप्प की तरह. बस ज्यादातर कुछ नहीं करना होता.

सुमन - चल ठीक है.. दिला दूंगी अब खुश?

गौतम - पक्का ना?

सुमन - हां पक्का, बाबाजी के से आते हुए ले लेंगे फ़ोन बस.

गौतम ख़ुशी से सुमन को गले लगाकर उसके गालो पर चुम्बन करते हुए कहता है..

गौतम - थैंक यू माँ.. यू आर बेस्ट.. ई लव यू..

सुमन शरमाते हुए - चल हट, बदमाश कहीं का. माँ को आई लव यू बोलता है.

गौतम - तो क्या हुआ सब बोलते है. इसमें क्या बुरा है.

सुमन गौतम की शर्ट का एक्स्ट्रा खुला हुआ बटन बंद करते हुए कहती है..

सुमन - हां हां अग्रेज की औलाद.. समझ गई मैं. मैंने ही तेरे पापा से ज़िद करके तुझे बड़ी वाली इंग्लिश मेडियम स्कूल में भिजवाया था. अब अंग्रेजो वाले लक्षण तो आयेंगे ही.

गौतम नास्ते की प्लेट रखते हुए मज़ाकिया ढंग से - अच्छा तो मैं अंग्रेजो की औलाद हूँ?

सुमन शरमाते हुए गुस्से में - चुप बेशर्म.. कुछ भी बोलता है. अब चल वरना आते आते पक्का शाम हो जायेगी, पाता नहीं कितनी भीड़ बैठी होगी बाबाजी के सामने.

गौतम - चलो तो..

सुमन - कमरे की खिड़की बंद है ना?

गौतम - हां

सुमन - ठीक है जाके बाइक स्टार्ट कर मैं ताला लगा के आती हूँ.

गौतम सुमन की बात मानकर घर के बाहर आ जाता है और घर के मुख्य दरवाजे के बाहर दाई तरफ खड़ी एक पुरानी स्प्लेंडर को स्टार्ट के सुमन का इंतजार करने लगता है वही सुमन घर के मुख्य दरवाजे पर डबल लॉक लगा कर गौतम के पीछे बैठ जाती है और दोनों शहर से बाहर एक पहाड़ी के ऊपर बने छोटे मगर बहुत पुराने मन्दिरनुमा ढांचे पर जाने के लिए निकल जाते है.. थोड़ी दूर जाकर ही गौतम पीछे बैठी सुमन से कहता है..

गौतम - माँ..

सुमन - हां.

गौतम - पेट्रोल ख़त्म होने वाला है.

सुमन - ठीक है आगे भरवा लेना.

गौतम सुमन की बात सुनकर चुपचाप गाडी चलाता है और आगे एक पेट्रोल पंप के सामने गाडी रोक लेता है

गौतम - माँ आप यही रुको मैं तेल डलवा के आता हूँ..

सुमन एक 500 का नोट देते हुए - ठीक है ले डलवा ला.

गौतम पैसे लेकर पम्प के सामने आ जाता है.

गौतम भईया - 100 का डाल दो..

गौतम 100 का तेल डलवा कर बाकी अपनी जेब में रख लेटा है और वापस सुमन के पास आ जाता है..

गौतम - माँ बैठो..

सुमन - हां रुक.

गौतम - माँ वापस भूक लगी है आगे कोटा कचोरी वाले के रोक लूँ? कचोरी खाके चलते है.

सुमन - अच्छा ठीक है मेरे भुक्कड़ बेटू.. सुमन ने गौतम के दोनों गालो को अपने एक हाथ से पिचकाते हुए प्यार से कहा और वापस बाइक पर बैठ गई.

गौतम थोड़ा आगे चलकर बाइक को किनारे लगा देता है और सुमन से 100 रुपए लेकर दो कचोरी ले आता है.

गौतम - कैसी है माँ कचोरी?

सुमन - अच्छी है पर थोड़ा जल्दी कर ग़ुगु बाबाजी के पहुंचना भी है.

गौतम - अब वो पाखंडी बाबा इतनी दूर अपनी दूकान खोलके बैठा है तो मैं क्या करू? समय तो लगता ही है जाने मैं.

सुमन - ग़ुगु तमीज से, क्या अनाप शनाप फालतू बात कर रहा है. पागल लड़का.

गौतम - पागल मैं नहीं हूँ. पागल आपके बाबाजी सबको बनाते है. चलो अब, पता नहीं आज कोनसा टोना टोटका बताएगा वो बाबा. क़ब्र में पैर है फिर भी ये सब कर रहा है.

सुमन गौतम के पीछे बैठ गयी और अपने हाथ को आगे लेजाकर गौतम को पकड़ते हुए उसकी गर्दन पर चुम लिया प्यार से वापस बोली.

सुमन - बड़े लोग सही कहकर गए है ज्यादा पढ़ाई लिखाई मति भ्र्स्ट कर देती है. तुझे किसी छोटे स्कूल ही भेजना चाहिए था.

गौतम ने इस बार कोई जवाब नहीं दिया और बाइक को चलाने लगा. इस बार उसने पहाड़ी के नीचे एक बरगद के बड़े से पेड़ के पास बाइक रोक दी जहाँ और भी बहुत सी गाड़िया खड़ी थी. थोड़ा आगे से टूटी फूटी सीढ़िया ऊपर की तरफ जा रही थी और ऊपर एक तरह का बड़ा सा हॉल बना हुआ था जिसके चारो तरफ पत्थर की दिवार और छत पर लोहे की पट्टीया लगी हुई थी देखने से मंदिरनुमा लगने वाला ये ढांचा अंदर से खाली था बस एक तरफ एक बूढा आदमी हाथ में लकड़ी की डंडी लिए आसान पर बैठा था और बहुत से लोग कतार लगाए सामने बैठे थे और बारी बारी से अपना दुखड़ा लेकर उस बूढ़े आदमी के सामने जाते थे.


गौतम - चलो अब सीढिया चढ़ो, बहुत शोक है ना बाबाजी के पास जाने का.

सुमन ने गौतम का हाथ पकड़ा और उसकी बात का जवाब देते हुए बोली - चलना तो तुझे भी पड़ेगा मेरे साथ बिगड़ैल शहजादे..

सुमन ये कहकर गौतम के साथ सीढिया चढ़ने लगी और एक के बाद एक 250 सीढ़िया चढ़कर उस ढाचे के सामने पहुंच गई..

गौतम - लो माँ पानी..

सुमन पानी की बोतल लेकर पानी के दो घूंट लगाती है और दो चार मिनट सांस लेकर बोतल वापस गौतम को दे देती है..

गौतम - जाओ जब फ्री हो जाओ बता देना मैं यही हूँ..

सुमन मज़ाकिया अंदाज़ में - जैसी आपकी आज्ञा. और उस ढाचे के अंदर जाकर उस कतार में बैठ गई. करीब 50 लोग सुमन से आगे कतार में थे और सब अपनी अपनी बात बूढ़े आदमी को बताते थे और बूढा आदमी उनकी समस्या का निवारण करने के लिए कोई ना कोई तरतीब पर्चे पर लिखकर सुझा देता था.


गौतम बाहर टहलता हुआ वहां से बाई तरफ आ गया और पहाड़ी पर से उतरने के बने हुए दूसरे कच्चे रास्ते पर थोड़ा नीचे जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया जहा से पीछे का जंगल साफ दिखाई देता था, वहां से गौतम हर बार की तरह जंगल के अंदर बने एक तलब को देखने लगा जहा नीलगाय और बाकी जानवर पानी पी रहे थे. उसका मन वहा जाकर उस तलब को पास से देखने का होता मगर जंगल में कौन जाए? कहीं कोई जानवर सामने आ गया तो क्या होगा? और अगर उसे कुछ हो गया तो उसकी माँ सुमन का क्या हाल होगा? कितना लाड करती है वो गौतम से. गौतम यही सब सोचते हुए उस पेड़ के नीचे बैठकर जंगल की खूबसूरती देखने रहा था मगर कुछ देर बाद उसे नीचे से किसी के ऊपर पहाड़ी पर आने की आवाज सुनाई दी उसने देखा एक बूढा सा दिखने वाला आदमी जिसके तन पर एक मैली धोती लिपटी थी वो ऊपर चले आ रहा था.

बूढ़े ने गौतम को देखा तो वो वही ठहर गया और गौतम से पिने के लिए पानी मांगा. गौतम ने बिना कुछ सोचे समझें उस बूढ़े को अपने पास रखी पानी की बोतल पकड़ा दी और वापस जंगल की और देखने लगा. बूढ़े ने थोड़ा सा पानी अपनी हथेली पर लेकर अपने सर पर छिड़का और फिर थोड़ा पानी पीकर बोतल रख दी.

बूढा - यहां बैठके किसे देख रहा है? कुछ चाहिए तो जा बाबाजी से बोल वो तुझे कोई ना कोई रास्ता बता देंगे.

गौतम - तुमसे मतलब? जिसे देखो वही बाबाजी कर रहा है यहा.

बूढा हसते हुए - अच्छा ठीक है, गुस्सा क्यू करता है सच कहु मुझे भी ये बाबा ढोंगी नज़र आता है.

गौतम - तुम्हे जो लगता है उससे मुझे क्या मतलब?जाके अपना काम करो.

बूढा - वही तो करने ऊपर आया हूँ. मैंने बहुत बार तुझे इस तरह यही पर इसी पेड़ के नीचे बैठकर जंगल को देखते हुए देखा है, आज सोचा आकर तुझसे कुछ बात करू की तू क्या देखता है और क्या तेरे मन में है?

गौतम ने एक नज़र बूढ़े को ऊपर से नीचे की तरफ देखा.. मैली कुचेली धोती को बदन पर लपेटे 70 साल का देखने वाला वो बूढा सर और दादी के सारे बाल सफ़ेद करवा चूका था जिनमे से आधे से ज्यादा झड़ भी चुके थे पैरों में पुरानी सी चप्पल जो मानो एक दूसरे से बिलकुल जुदा थी शायद अलग अलग साइज की भी होंगी. बूढ़े की ऐसी हालात और उसपर उसकी जटिल बातें गौतम के सर के ऊपर से ही जा रही थी गौतम को वो बूढा कोई सठयाया हुआ पागल मालूम पड़ता था.

गौतम - देख बुड्ढे ऐसी बात है 250 सीढ़ी चढ़कर आया हूँ पहले ही दिमाग खराब है तू और मत कर. जा यहां से.

बूढा- जाता हूँ लेकिन तूने मुझे पानी पिलाया है बदले में अगर तुझे कुछ चाहिए तो बता? मैं अभी दे देता हूँ.

गौतम बूढ़े की बात सुनके ओर ज्यादा झुंझला गया, एक तो बूढा फटीचर और फटेहाल ऊपर से बाते ऐसी की किसी सल्तनत का सुल्तान हो. गौतम ने गुस्से में आकर चिल्लाते हुए बूढ़े से कहा..

गौतम - ऐसा लोडा चाहिए जो हर औरत को दीवाना बना दे. देगा? चल भाग यहां से पागल बूढा, कब से सर खाये जा रहा है.

बूढ़े ने हँसते हुए गौतम से कहा - अच्छा अच्छा गुस्सा मत कर बच्चे, मैं चलता हूँ पर वहा उस पेड़ से थोड़े जामुन तोड़कर देदे इस उम्र में मुझसे नहीं तोड़े जाते..

गौतम का मन किया की उस बूढ़े को वापस कोई उल्टा जवाब दे दे मगर उसकी हालात और देखने से साफ दिखती बदन की हड्डिया देखकर गौतम को उसपर तरस आ गया और वो जाकर जामुन तोड़ लाया और उस बूढ़े को जो धोती के छोर को झोली बनाये खड़ा था दे देता है.

बुड्ढा - एक जामुन तू भी खा ले बेटा. इस पेड़ के जामुन बहुत स्वादिस्ट है.

इस बार गौतम बुड्ढे से बहस करने के मूंड में नहीं था उसने एक जामुन उसकी झोली से उठाया और पानी से धोकर अपने मुंह में डाल लिया. बुड्ढा ये देखकर मुस्कुराते हुए वापस नीचे चला गया और गौतम उस जामुन की गुठली को थूकते हुए वापस पहाड़ी के ऊपर आ गया जहा वही के एक पुराने आदमी ने गौतम से पूछा..

आदमी - वो बड़े बाबाजी क्या बात कर रहे थे तुमसे?

गौतम - पता नहीं क्या बकवास रहा था बुड्ढा. मुझे तो पागल-वागल लग रहा था.

आदमी - लड़के जबान संभाल के. जानता है वो कौन है? वो हमारे बाबाजी के बड़े भाई है, सालों से नीचे जंगल में रहते है उनकी वही कुटिया है. बाबाजी भी उनके चरण छूते है.

गौतम - जो भी हो मुझे उनसे क्या मतलब? हालात से भिखारी लग रहे थे.

आदमी - लड़के तू किस्मत वाला है जो बड़े बाबाजी ने तुझसे बात की है वरना लोग तरसते है उनसे मिलने के लिए. बाबा जी खुद भी कई-कई दिनो तक कई बार तो महीनों तक उनसे मिलने के लिए इंतजार करते है..

गौतम आदमी की बाते सुनकर वहा से जाता हुआ - लगता है यहां सारे लोग पागल है और फिर अपनेआप से बात करता हुआ गौतम वापस वही आ जाता है जहा उसने सुमन को छोड़ा था..


सुबह ग्यारह बजे कतार में बैठी सुमन की बारी आते आते दोपहर के डेढ़ बज गए..

सुमन हाथ जोड़कर - प्रणाम बाबाजी.

बुढ़ा - बोल बिटिया अब क्या चाहिए है?

सुमन - बाबाजी आपकी कृपा से एक प्यारासा बेटा मिला है पति की नोकरी वापस मिली है और गृहस्थी भी अच्छी चल रही है बस अब एक छोटे से घर की कमी है. सालों से सरकारी क्वाटर में गुजर हो रही है जहाँ ना सामान रखने की जगह है ना रहने की. आशीर्वाद दीजिये बाबाजी घर का कोई इंतज़ाम हो जाए.

बुढ़ा - घर का संजोग इस बरस के आखिर में बनता दिख रहा है बिटिया. तुझे दो काम करने होंगे, कर पाएगी?

सुमन - मैं करूंगी बाबाजी, जो आप कहोगे वैसा ही करुँगी. बस अपना खुदका एक छोटा सा घर बन जाए बाबाजी.

बुढ़ा - तो ठीक है मैं पर्चे पर दोनों काम लिख देता हूँ तू पढ़ने के बाद पर्चा बाहर आग में जाला देना.

सुमन - जैसा आप बोलो.

बुढ़ा पर्चा लिखते हुए - अगले छः माह तक ये दोनो काम तुझे बिना रुके करने होंगे..

बुढ़ा से पर्चा लेकर सुमन उठ जाती है बाहर आकर पर्चा पढ़ने लगती है.. पर्चे में पहला काम लिखा था की सुमन को हर पूर्णिमा लाल रंग के कपडे पहनने होंगे और दूसरा उसे पूर्णिमा वाले दिन ही अपने बेटे को अपना स्तनपान कराना होगा.

सुमन ने पर्चा पढ़कर यही एक जलती गोबर के उपलों की आग में डालकर स्वाह कर दिया और गौतम को देखने लगती है जो सामने ही एक पत्थर पर बैठा नीचे की तरफ देख रहा था.

सुमन - चले?

गौतम - शुक्र है पिछली बार की तरह शाम नहीं हुई.

सुमन - हां आज भीड़ थोड़ी कम थी.

दोनों एक साथ सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए बात करने लगते है..

गौतम - तो कितना चढ़ावा दिया आज बाबाज़ी को?

सुमन - बाबाजी कहा कुछ मांगते है लोग तो अपनी इच्छा से देते है जो देना है.

गौतम - तो आज क्या इच्छा थी आपकी?

सुमन - तू भी ना बहुत उल्टी सीधी बातें करने लगा है आजकल. कोई और बात नहीं सूझती तुझे? जब देखो हर चीज में दोष निकालता रहता है. कभी किसी चीज में कुछ अच्छा नहीं दीखता?

गौतम - मुझे तो अच्छा बुरा सब दीखता है. पर आपको बस सबमे अच्छा ही दीखता है. कभी किसी बुरी चीज नहीं दिखती.

सुमन - चल अब जल्दी घर चल, तेरे पापा का फ़ोन आया था उनको सुबह कुछ साथ में ले जाना था जो घर छूट गया तू थाने जाकर दे आना..

गौतम बाइक के किक मारते हुए - छूटा नहीं होगा जानबूझ कर छोड़ गए होंगे. उन्हें तो मज़ा आता मुझे घुमाने में.

सुमन - अच्छा? तू सबको अपना दुश्मन मानता है..

गौतम - लो अब इस कबाड को स्टार्ट कर लो.. एक न्यू बाइक लेने के लिए कहा था ये सेकंड हेंड खटारा लाकर दे दी.. बिना दस लात खाये स्टार्ट होने का नाम ही नहीं लेती.

सुमन - ग़ुगु प्यार से करो हो जायेगी, देखो हो गई ना.

गौतम - माँ अब चलो बैठो इससे पहले की ये वापस अपना दम तोड़ दे..

सुमन बाइक पर बैठकर - चल. गुस्से में तेरी ऐसे लाल होती है जैसे टमाटर. और भी प्यारा लगता है मेरा बच्चा.

गौतम और सुमन शहर की गलियों में दाखिल हो जाते है और गौतम एक दूकान के आगे गाडी रोक लेता है.

सुमन - क्या हुआ?

गौतम - क्या मतलब? याद नहीं आपने क्या कहा था फ़ोन दिलाओगी?

सुमन - अरे मैं तो वो भूल ही गई थी.

गौतम - पर मुझे सब याद है.

सुमन - अच्छा चल ले ले जो चाहिए.

गौतम - आप भी चलो..

दूकान में कई फ़ोन देखने और परखने के बाद गौतम ने एक फ़ोन पसंद किया और उसे कुछ डाउनपेमेंट देकर इनस्टॉलमेंट पर खरीद लिया..

सुमन - ज्यादा महंगा नहीं ले लिया? तेरे पापा को पता चलेगा तो तेरे साथ मुझे भी कच्चा चबा जाएंगे.

गौतम - उन्हें कीमत बताएगा कौन? आप कह देना 15 हज़ार का है. उनको कोनसा पता चलेगा?

सुमन - तू मुझसे पता नहीं क्या क्या करवाएगा? अगर उन्होंने झूठ पकड़ लिया तो शामत पक्की है. कहीं देखकर ना पहचान ले की फ़ोन 15 नहीं 35 का है.

गौतम - आप अगर इस तरह हड़बड़ाकर बताओगी तो उन्हें बिना देखे पता चल जाएगा. बिलकुल वैसे कहना जैसे बुआ कहती है.

सुमन - हम्म अब वही डायन बची है नक़ल करने के लिए?

गौतम - चलो अब खोलो इस ताज़महल का दरवाजा या मैं खुल जा सिम सिम बोलू?

सुमन चाबी निकालकर - तू ना पिटेगा मुझसे पक्का.

गौतम - अंदर चलकर पिट लेना वैसे भी गब्बर सिंह का दो बार फ़ोन आ चूका है आज ना जाने कोनसी फ़ाइल भूल गए जल्दी से दे आता हूँ..

सुमन दरवाजा खोलकर - जा अलमारी में नीचे की तरफ पड़ी होगी ले आ मैं तब तक तेरे लिए एक ग्लास निम्बू पानी बना देती हूँ.

गौतम अपने माँ पापा के कमरे में चला जाता है और अलमीरा खोलके फ़ाइल देखने लगता है. कपड़ो और बाकी चीज़ो से लबालब भरी अलमीरा में जब गौतम सामने की तरफ इधर उधर देखता है तो उसे फ़ाइल नहीं मिलती और उसे याद आता है की सुमन ने उसे नीचे की तरफ फ़ाइल होने की बात कही थी मगर जैसे ही वो झुकने लगता है तब तेह किये हुए तौलिये के बीच गौतम को कुछ काला सा दिखाई देता है जिसे वो जब हाथ बढ़ाकर निकालकर देखता है तो उसकी आँखे फटी रह जाती और वो झट से उस कंडोम के पैकेट को वापस उसी जगह रख देता है और नीचे से फ़ाइल लेकर वापस बाहर आ जाता है..

सुमन - मिल गई फ़ाइल? ले निम्बू पानी पिले गर्मी में थक गया होगा.

गौतम निम्बू पानी का ग्लास लेकर एक सांस में पी जाता है और बिना कुछ बोले फ़ाइल लेकर बाहर आ जाता है. बाइक स्टार्ट कर गौतम सीधे थाने की तरफ चल देता है जहा पहुंचकर वो अपने पिता जगमोहन के साथी रामपाल से मिलता है जो उसे फ़ाइल इंचार्ज मैडम को देने के लिए कहते हुए बाहर चला जाता है..

फ़ाइल लेकर गौतम इंचार्ज मैडम रजनी के चेम्बर के बाहर आकर खड़ा हो जाता है और डोर नॉक करता है..


बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है गौतम अपनी मां का लाडला बेटा है गौतम और आदिल की दोस्ती घनिष्ठ है लगता है बाबाजी ने गौतम ने जो मांगा था वो दे दिया है
 
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