Raja thakur
King
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Ye kya backchodi hai 2 saal me shadi ye aj ke ladko ke sath na insafi haiUpdate 47
सुबह के सात बज चुके थे औऱ जगमोहन बेड पर ओंधे मुंह पड़ा हुआ कराटे मार रहा था.. सुमन उठकर नहा चुकी थी औऱ चाय बनाकर गौतम के कमरे की तरफ बढ़ गई थी.. गौतम भी आज जल्दी ही उठ गया था औऱ नहा चूका था..
सुमन चाय बेड के ऊपर सिरहने रखती हुई - चाय पिले शहजादे..
गौतम बेड से उठकर सुमन का हाथ पकड़ते हुए - इस शहजादे को चाय नहीं तुम्हारी चुत चाहिए शहजादी..
सुमन मुस्कुराते हुए - शहजादी तो चुत देने के लिए कब से तैयार है पर सही मौका औऱ दस्तूर भी तो हो..
गौतम सुमन का हाथ चूमते हुए - इतना सब्र किया तो कुछ पल औऱ सही..
सुमन गौतम के बालो को हल्का सा इधर उधर करते हुए - अब चाय पीके जा यहां से.. वो लोग आने वाले ही होंगे..
गौतम सुमन को बाहों में भरके गाल पर चुम्बन करते हुए - जो हुकुम मेरी सहजादी..
सुमन वहा से बाहर आ जाती है औऱ गौतम चाय पीके अपनी बाइक उठाकर बाहर चला जाता है..
गोतम कहा है?
मुझे क्या पता? गया होगा अपने दोस्तों के पास..
सुमन तूने जानबूझकर उसे बाहर भेजा है ना..
मैं क्यों उसे भेजनें लगी? वो खुद ही अपनी मर्ज़ी से गया है..
जगमोहन चिढ़ते हुए - मैं भी कहा तुमसे बात करने बैठ गया.. चाय ला दो..
सुमन - बनाके रखी है छन्नी करके पिलो..
जगमोहन उठकर जाता है कमरे से बाहर निकलता है की दरवाजे पर दो औरत औऱ एक आदमी दिखाई देते है..
जगमोहन उन्हें देखकर - माँ..
जगमोहन की माँ हेमा - जग्गू...
बृजमोहन - जग्गू भईया..
जगमोहन - आओ अंदर आओ..
हेमा उस घर देखकर - घर तो बड़ा सुन्दर बनाया है तूने जग्गू?
जगमोहन - आओ ना माँ.. बैठो... अरे सुमन देखो.. माँ मानसी औऱ ब्रजमोहन आये है..
सुमन कमरे से बाहर आकर बेरुखी से देखते हुए..
मानसी - कैसी हो सुमन?
सुमन - जैसी 18 साल पहले थी..
हेमा - बहु हमारा गौतम कहा है? अब तो बहुत बड़ा हो गया होगा.. पिछली बार जब दो साल का था तब देखा था उसे.. उसके बाद तो उसे देखने को आँखे ही तरस गई..
सुमन - मेरा गौतम दोस्तों के साथ बाहर गया है..
मानसी - सुमन तुम गाँव क्यों नहीं आई इतने सालों में..
सुमन - वहां मेरे औऱ मेरे ग़ुगु के लिए अब बचा ही क्या है..
बृजमोहन - ऐसा क्यों कहती हो भाभी.. वहा आपका घर है..
सुमन - घर औऱ जमीने तो तुमने अपने भाई से छीनकर अपने पास रख ली थी याद है.. सुना है सारी जमीन साहूकार को बेच दी तुमने अपनी ऐयाशी पूरी करने के लिए..
हेमा - सुमन.. पुरानी बातों को भूल जाओ.. उनसे अब किसी का भला नहीं होने वाला.. बृजमोहन अब बदल चूका है..
सुमन - सब लुटा कर अब बदलने की क्या जरुरत.. घर औऱ खेत बाकी है उसे भी बेच देते..
जगमोहन - सुमन.. ऐसे बात करते है अपनी सास से.. इतने सालों बाद आये है.. जाओ चाय औऱ नाश्ता बना दो.. सबके लिए..
सुमन बिना कुछ बोले रसोई में चली जाती है औऱ चाय बनाने लगती है..
उसके साथ ही मानसी भी सुमन के पीछे पीछे रसोई में चली जाती है..
जगमोहन बृजमोहन औऱ हेमा के साथ हॉल में लगे बड़े से सोफे पर बैठ जाता है औऱ बातें करने लगता है..
मानसी - सुमन.. लाओ मैं चाय बना देती हूँ.
सुमन - रहने दो मानसी.. मेहमान हो.. मैं बना लुंगी..
मानसी - इतनी भी क्या नाराज़गी सुमन.. मैं कोई पराई तो नहीं हूँ..
सुमन - अपनी भी कहा थी तुम मानसी..
मानसी - मैं जानती हूँ सुमन तुम गुस्सा हो हमसे पर मेरी बस में ना ही कल कुछ था ना ही आज कुछ है..
सुमन - साफ साफ कहो मानसी.. यहां क्यों आई हो?
मानसी - अपने जमाई को लेने..
सुमन - कोनसा जमाई? वो रिश्ता वही तोड़ के मैं यहां आई थी..
मानसी - तुम्हारे मेरे तोड़ने से रिश्ते नहीं टूटते सुमन.. गाँव में पंचायत के लोगों के सामने वो रिश्ता बना था.. बात तय हुई थी..
सुमन - बच्चों की शादी को सरकार भी शादी नहीं मानती मानसी..
मानसी - मगर पंचायत मानती है.. औऱ तुम जानती हो हमारे यहां ये फैसले कितने कड़ाई से निभाये जाते है..
सुमन - निभाए जाते होंगे.. मगर अब नहीं.. मैं मेरे ग़ुगु को हरगिज़ उस गाँव में नहीं जाने दूंगी..
मानसी - जाना तो उसे पड़ेगा सुमन.. कुसुम अब 18 साल की दहलीज़ को लांघ चुकी है.. उसे गौतम को अपनाना ही होगा..
सुमन - ऐसा नहीं होगा मानसी.. गौतम उसी से शादी करेगा जिससे उसका मन होगा..
मानसी - पर उसकी शादी हो चुकी है सुमन.. याद है तुम्हींने मेरी कुसुम को गोद में उठाकर कहा था ये ग़ुगु की दुल्हन बनेगी.. तुम्हारी मर्ज़ी शामिल थी उसमे..
सुमन - तब तक बटवारा नहीं हुआ था मानसी.. मुझे अगर पता होता कि तुम मेरे साथ ऐसा करोगे तो कभी वो सब नहीं करती..
मानसी - मैंने तुम्हारे साथ कभी कुछ गलत नहीं किया सुमन.. तुम जानती हो मेरा दिल साफ है.. अब मैं अपनी बेटी के लिए उसके पति को माँगने आई हूँ.. गाँव आकर गौतम कुसुम को पंचायत के सामने अपना कर अपने साथ रख ले बस.. मैं औऱ कुछ नहीं चाहती..
सुमन - ऐसा नहीं होगा मानसी.. गौतम को भूल जाओ.. कुसुम के लिए कोई औऱ लड़का देख लो..
मानसी - एक बार जिस लड़की का विवाह हो जाता है उसका किसी औऱ के साथ विवाह नहीं करवाया जाता.. अगर गौतम खुद गाँव आकर कुसुम को अपना नहीं बनाता तो मैं पंचायत में गौतम के खिलाफ गुहार लगा दूंगी.. औऱ तुम जानती हो पंचायत के नियम कितने कड़े है..
सुमन - तुम्हे जो करना है करो मानसी.. मेरा गौतम उस गाँव में नहीं जाएगा..
मानसी - उसे आना पड़ेगा सुमन.. वरना पंचायत ने जगन के साथ जो किया था तुम अच्छे से जानती हो.. तुम्हारी ज़िद कहीं सब ख़त्म ना कर दे..
सुमन - धमकी दे रही हो..
मानसी - नहीं.. भीख मांग रही हूँ.. अपनी कुसुम के लिए तुम्हारे गौतम की.. मेरी बात मान जाओ सुमन.. मैंने कुसुम को बहुत सभालके पाला पोसा है.. वो गौतम का अच्छे से ख्याल रखेगी.. औऱ तुम्हे भी कोई शिकायत का मौका नहीं देगी.
सुमन - चाय बन गई है.. लो.. लेजाकर दे दो..
मानसी अपने पर्स में से एक तस्वीर निकालकर सुमन के सामने रख देती है औऱ चाय की ट्रे उठाकर रसोई से बाहर आ जाती है औऱ सबको चाय दे देती है.. सुमन की नज़र तस्वीर पर पडती है औऱ वो कुसुम की तस्वीर को देखने लगती है.. सुमन कुसुम को देखने लगती है और मन ही मन वो भी कुसुम को गौतम के लिए सही मानते हुए दोनों का बंधन होने की बात सोचने लगती है..
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सलामपुर गाँव में खेतो को पार करके जंगल के मुहाने पर कटीली झाड़ियों के पीछे दो सहेलियां पानी का मग्गा लेके टट्टी करने बैठी थी..
अरे कुसुम.. सुना आज तेरे मम्मी पापा तेरे दूल्हे से मिलने गए है.. कहीं झुमरी के दूल्हे की तरह तेरा दूल्हा भी काला कलूटा औऱ भद्दा निकला तो.. तू चाँद सी चितवन काया वाली औऱ वो अँधेरी काली रात..
कुसुम - नहीं.. मीना.. ऐसा मत बोल.. मैं मर ही जाउंगी अगर ऐसा हुआ तो.. दादी ने बताया था वो बचपन में बहुत प्यारे लगते थे.. अब भी शायद वैसे ही हो..
मीना - अच्छा.. औऱ फुलवा की जैसे शराबी औऱ जुवारी निकला तो..
कुसुम - तू औऱ कुछ नहीं बोल सकती क्या.. मेरी तो टट्टी भी बंद हो गई तेरी बातें सुनकर..
मीना हसते हुए - अरे तो मुझसे कह दे.. तेरी गांड में ऊँगली डालकर निकाल देती हूँ टट्टी..
कुसुम शरमाते हुए मग्गे से पानी हाथ में लेकर गांड धोती हुई - हट बेशर्म.. चल अब..
मीना भी गांड धोती हुई - हाय कैसे शर्माती है तू.. जब तेरा दूल्हा पटक पटक के चोदेगा ना तब सारी शर्म निकल जाएगी.. मेरे वक़्त तो तू भी बड़ा बोलती थी.. अब अपना वक़्त आया तो कैसे चुप है..
कुसुम खेत की पगदंडी से मीना के साथ वापस घर आती हुई - चुदाई में दर्द होता होगा ना मीना..
मीना - पहले पहल होता है फिर मज़ा आता है.. मन करता है बस चुदवाते ही रहो.. देख चुदाई की बात करके तेरे चुचक कैसे खड़े हो गए.. मिलन की रातों में जब तेरे ये नुकिले चुचक तीर की तरह तेरे दूल्हे के सीने में चुभेगे तो उसे मज़ा ही आ जाएगा..
कुसुम शरमाते हुए - धत..
मीना कुसुम के चुचे अचानक से मसलकर - शर्मा क्यों रही है सहेली.. अब तेरे खेत में हल चलाने वाला जल्दी ही आने वाला है.. तेरी छोटी सी चुत को वो बड़ा कर देगा..
कुसुम मुस्कुराते हुए - घर आ गया.. तू भी जा...
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पता नहीं आज ये फ़ोन क्यों नहीं उठा रहा..
रहने दो भईया.. आप तो उसे कल गाँव लेकर आ जाना.. कुसुम औऱ गौतम की रित निभाना है.. फिर जल्द ही दोनों का बंधन भी करवा देंगे..
मानसी - हाँ.. मेरा बहुत मन था गौतम को देखने का.. मगर आज नहीं तो कल सही.. जब वो गाँव आएगा तब देख लुंगी..
हेमा - अब चलना चाहिए.. कुसुम अकेली है.. शाम से पहले वापस पहुंचना है..
जगमोहन - माँ आप रुकिए मैं टेक्सी बुलवा देता हूँ..
सुमन - रहने दीजिये.. मैंने फ़ोन कर दिया था.. गौतम आने वाला होगा वही बस स्टेण्ड तक छोड़ आएगा..
मानसी ख़ुशी से - ये कितनी अच्छी बात है सुमन.. मतलब आज मैं अपने जमाई को देख सकती हूँ..
गौतम बाहर बाइक खड़ी करके अंदर आता है तो उसे देखकर हेमा मानसी औऱ बृजमोहन अपनी जगह से खड़े हो जाते है औऱ मानसी सुमन को देखकर कहती है..
मानसी - सुमन ये हमारा गौतम है ना?
सुमन - मानसी ये मेरा गौतम है..
मानसी सुमन की बात सुनकर आगे बढ़ती है औऱ गौतम को अपने गले से लगाकर - कितने प्यारा औऱ चाँद सा मुखड़ा है.. बिलकुल कोई शहजादा लगने लगा है.. माँ देखो ना..
हेमा आगे बढ़कर गौतम के चेहरे को चूमती हुई - हाँ सुमन.. मेरे पोते के जैसा सुन्दर और प्यारा तो कोई दूसरा ना होगा..
मानसी तस्वीर लेते हुए - अब तक हमसे छुपा के रखा था सुमन ने.. मगर आज देखो..
हेमा - बेटा मैं तेरी दादी..
गौतम पैर छूता है..
हेमा गले से लगाते हुए - अरे रहने दे ये सब.. तू तो मेरा अपना है.. तेरी माँ ने कब से तुझे हमसे छुपा के रखा था.. आज मिला है..
सुमन - ग़ुगु.. दादी औऱ चाचा चाची को बस स्टैंड तक छोड़ आ जरा..
गौतम सुमन की बात सुनकर उन सबको कार में बैठा कर बस स्टेण्ड छोड़कर आ जाता है.. तब तक जगमोहन घर से जा चूका था..
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मानसी - कुसुम.. कुसुम.. कहा गई ये लड़की?
कुसुम - माँ सहेली के पास गई थी.. कुछ काम था..
मानसी - कल रीत का सारा सामान तूने रख लिया है ना..
कुसुम - जी..
मानसी - ठीक है.. कल समय से तैयार रहना.. किसी सहेली के यहां ना चले जाना..
कुसुम - माँ..
मानसी - बोल..
कुसुम - वो माँ आप..
मानसी मुस्कुराते हुए - क्या बोल ना..
कुसुम - नहीं.. कुछ नहीं..
मानसी - तेरे दूल्हे से मिली या नहीं यही पूछना चाहती है ना मेरी लाडो..
कुसुम शरमाते हुए - माँ..
मानसी - तस्वीर देखेगी अपने होने वाले दूल्हे की?
कुसुम शरमाते हुए कुछ नहीं बोलती और चुपचाप खड़ी रहती है..
मानसी छेड़ते हुए - नहीं देखनी तो तेरी मर्ज़ी.. मुझे क्या
कुसुम - आप तस्वीर लेके आई हो..
मानसी कुसुम से मसखरी करते हुए - हाँ.. पर क्या फ़ायदा? ना शकल अच्छी है ना रंग अच्छा है गौतम का.. शहर में बिलकुल बेरंग हो गया है.. मुंह भी बांका है.. बोलता है तो लगता है दाँत ही गिर पड़ेंगे.. मैंने तो कहा ये रिश्ता तोड़ देते है पर तेरे पापा नहीं माने.. मेरी वैसे भी कहा चलती है..
कुसुम फ़िक्र से - इतना बुरी सूरत है..
हेमा आते हुए - अरे क्यों छेड़ती है कुसुम को.. देख कैसे चेहरा उतर गया है बेचारी का.. कुसुम ले ये देख तेरे दूल्हे की तस्वीर.. है ना चाँद का टुकड़ा..
कुसुम फ़ोन में तस्वीर देखकर देखती रह जाती है और ख़ुशी से शरमाते हुए अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से छुपा कर खड़ी हो जाती है..
मानसी - अरे शर्मा रही है.. माँ जी लगता है गौतम पसंद नहीं आया कुसुम को.. शादी के लिए मना कर देंते है..
कुसुम एक दम से - मैंने ऐसा कब कहा?
मानसी और हेमा एक साथ हँसते है..
कुसुम फ़ोन लेकर अपने कमरे में भाग जाती है और गौतम की तस्वीर देखती हुई उसे अपनी आँखों में बसाने लगती है.. कुसुम के मन में बहुत से ख्याल आ जा रहे थे जिनसे खुश होते और सोचके शरमाते हुए कुसुम गौतम की तस्वीर को अकेले में अपने होंठों से चुम के बार बार उसके साथ शादी होने और प्यार करने के सपने अपनी खुली आँखों से देख रही थी..
कुसुम के मन की सारी चिंता और फ़िक्र निकल चुकी थी जिसके जगह प्यार उमंग और भविष्य की सम्भावनाओं ने ले लिया था.. कुसुम बार बार गौतम की तस्वीर को कभी अपने सीने से लगाती तो कभी चूमती.. उसने अपने फ़ोन के स्क्रीन पर भी गौतम की तस्वीर लगा दी और सोचने लगी की वो गौतम को अपनी पलकों पर सजा कर रखेगी उसे बहुत खुश रखेगी और प्यार करेगी..
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क्या हुआ माँ? क्या कह रहे थे वो लोग?
सुमन कुसुम की तस्वीर गौतम को देकर - कल हम गाँव जाने वाले है.. रित निभाने..
गौतम बिना तस्वीर देखे - क्या रित? कोनसी रित औऱ ये तस्वीर किसकी है?
सुमन - ये तेरी दुल्हन की तस्वीर है ग़ुगु..
गौतम बिना तस्वीर देखे रखते हुए - मैं कोई शादी नहीं करने वाला..
सुमन - तेरी शादी हो चुकी है.. जब तू 2 साल का था..
गौतम - क्या बकवास कर रही हो माँ.. मेरी साथ फालतू मज़ाक़ करने की कोशिश भी मत करना.
सुमन - ये मज़ाक़ नहीं है ग़ुगु.. कुसुम तेरे चाचा चाची की एकलौती बेटी है..
गौतम - चाचा चाची की? पर हमारे यहां कजिन मेर्रिज कहा होती है?
सुमन - होती है.. तेरे पापा से पूछना बाकी बातें.. मुझे बहुत काम है..
गौतम - काम गया माँ चुदाने.. ये हो क्या रहा है? साफ साफ बताओगी?
सुमन - ग़ुगु जैसे साउथ इंडिया में कजिन मैरिज होती है वैसे ही हमारे गाँव औऱ आस पास के गाँव में भी होती है.. तेरे पापा जिस समाज से है वो लोग सकड़ो साल पहले साउथ इंडिया आकर यहां बसे थे.. बचपन में मैंने तेरी औऱ कुसुम की शादी करवा दी थी मगर फिर बटवारे में विवाद के कारण मैं तुझे गाँव से लेकर यहां आ गई.. अब हमें वापस जाना होगा औऱ तुझे कुसुम के साथ रित निभाकर उसके साथ बंधन करना होगा..
गौतम - मैं कुछ नहीं करने वाला.. औऱ उस शादी को मना कर दो..
सुमन - नहीं कर सकते ग़ुगु.. अगर हमने मना किया तो मानसी पंचयात में चली जायेगी फिर पंचायत हमारे खिलाफ फैसला कर देगी.. जैसे सालों पहले जगन के साथ किया.. शादी तोड़ने के अपराध में उसे जान देनी पड़ी थी..
गौतम - अब वक़्त बदल चूका है माँ.. क़ानून से काम होता है..
सुमन - पंचायत का क़ानून ही सबकुछ है वहा गौतम. वो लोग नियम के मामले में बहुत कठोर है.. तुझे कल चलना ही होगा..
गौतम - तुम चाहती हो मैं वहा जाऊ औऱ कुसुम के साथ रीत निभाऊ उसे अपनी पत्नी बनाऊ?
सुमन - हाँ.. मैं चाहती हूँ..
गौतम - तो ठीक है मैं कल जाऊँगा.. लेकिन आज तुमको वो सब करना होगा जो मैं कहूंगा..
सुमन अपनी साडी का पल्लू गिराते हुए - मैं तैयार हूँ गौतम..
गौतम सुमन साडी खोलने से रोकता हुआ - यहां नहीं सुमन..
सुमन - तो?
गौतम सुमन को अपने साथ घर से लेकर कहीं बाहर चला जाता है...
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Shaandar super hot erotic Mast UpdateUpdate 34
गौतम जैसे ही रूम के अंदर दाखिल होता हुआ जमीन पर गिरता है वह देखता है कि इस रूम में घनघोर अंधेरा था और कोई भी इस कमरे में नहीं था.
गौतम जैसे तैसे उठकर अपने आप को संभालते हुए पीछे मुड़कर बाहर जाने की तरफ होता है कि कोई औरत रूम के अंदर एक तरफ से आते हुए दरवाजे को बंद कर देती है औऱ अँधेरे में गौतम को कोई औऱ समझकर उसके हाथ में कंडोम देती हुई बेड पर अपनी साडी उठाकर घोड़ी बनती हुई गौतम से कहती है..
औरत - डायरेक्ट साहब.. आप भी कभी भी याद कर लेते है.. इंटरव्यू को बीच में छोड़कर ब्रेक लेके आई हूँ.. एक घंटे है जल्दी कीजिये..
कमरे में इतना अंधेरा था कि कोई एक दूसरे की शक्ल देखना तो दूर एक दूसरे को आसपास खड़ा हुआ भी देख कर नहीं पहचान सकता था कि वह कौन है.. सिर्फ लोग एकदूसरे की परछाई को ही देख सकते थे.. गौतम ने बिस्तर पर घोड़ी बनी हुई औरत की मोटी गांड देखी तो उसके लंड में अकड़न आने लगी.. उसे लगा कि मौका अच्छा है.. और गौतम मौके पर चौका मारे बिना नहीं रह सकता था..
गौतम ने जल्दी से जीन्स नीचे सरका कर बिना कंडोम पहने लंड पर थूक लगाया औऱ औरत के बाल पकड़ कर पीछे से उसकी चुत पर लोडा सेट करके एक जोरदार धक्का मार दिया..
जिससे गौतम का पूरा लंड औरत की चुत चिरता हुआ एक ही बार उसमें घुस गया मगर साथ में औरत की हालात भी खराब कर गया..
लंड घुसते ही औरत इतनी जोर से चीखी की गौतम घबरा गया.. होटल के रूम अगर साउंड प्रूफ नहीं होते तो औरत की आवाज होटल के बार खड़ी जनता को भी साफ साफ सुनाई दे जाती..
औरत चीखने के बाद दो तीन मिनट तकिये में मुंह देकर पड़ी रही फिर अपने फ़ोन की फ्लेशलाइट ऑन करके अपना चेहरा पीछे घूमती हुई गौतम को देखने लगी..
गौतम औऱ उस औरत ने फ्लेशलाइट में एकदूसरे की शकल देखी तो दोनों हैरानी से एकदूसरे को देखने लगे.. गौतम औरत का चेहरा देखकर हैरान औऱ रोमांचित हो उठा.. घोड़ी की जगह अब औरत पेट के बल बेड पर पड़ी हुई थी औऱ गौतम उसकी चुत में लंड डाले उसके ऊपर पड़ा हुआ था..
गौतम औरत का चहरा देखकर बोला..
गौतम - बिग फन ma'am...
औरत गौतम को ऊपर से धक्का देकर पलट जाती है औऱ एक जोरदार थप्पड़ गौतम को जमाती हुई कहती है - what the fuck who you are?
गौतम तप्पड़ खाने के बाद असंतुलित होकर वापस औरत पर गिर गया औऱ उसका लंड फिर से संयोगवश औरत की चुत में अपने आप घुस गया जिससे वापस औऱत की चिंख निकल गयी औऱ वो आह्ह.. करते हुए अपनी चुत में गौतम के तगड़े मोटे लंड को महसूस करती हुई सिसक उठी..
गौतम चुत की गर्माहट औऱ टाइटनेस महसूस करते हुए चोदे बिना नहीं रह सका औऱ चोदते हुए बोला - सॉरी ma'am.. गलती से चला गया.. मैं आपका बहुत बड़ा फन हूँ... आपकी सारी फिल्मे वेबसीरीज देखता हूँ.. आपकी तारे जमीन ओर तो मैंने 50 से ज्यादा बार देखी है..
औरत की चुत में गौतम के लंड से तहलका मच चूका था वो लंड की सख़्ती औऱ उसके घेराव को महसूस करते हुए कामुकता औऱ मादकता से भर चुकी थी.. गौतम बिना किसी का लाज शर्म या हया के उसी तरह औरत के ऊपर पड़ा हुआ उसे चोदने लगा था.
गौतम रोमांचित औऱ ख़ुशी से भरा हुआ था गौतम एक पल को भूल गया था की उसका शैतानी लंड औरत की गहराई में घुसा हुआ उसे चोद रहा है गौतम वापस बोला..
गौतम - tisca ma'am आप मेरी फेवरेट हो.. सच कहु तो आपके आगे करीना कटरीना दीपिका मुझे सब पानी कम चाय है...
(Tisca Chopra 51)
गौतम ने इतना कहा ही था की दरवाजे पर रिंग हुई..
Tisca ने गौतम को धक्का देकर बगल में गिरा दिया औऱ बेड से उठने लगी.. जैसे ही tisca उठी उसकी जांघ कापने लगी औऱ उसे चुत पर अजीब सा महसूस हुआ उसने हाथ लगाया औऱ देखा तो फ्लेशलाइट में उसे हल्का सा खून दिखा.. Tisca ने फलेश गौतम पर डाल कर गुस्से में एक नज़र गौतम को देखा फिर दरवाजा खोलने बढ़ गई.. गौतम डरकर बेड के पासअलमारी के अंदर छिप गया..
Tisca लंगड़ती हुई धीरे धीरे दरवाजे तक पहुंची औऱ लाइट ऑन करके दरवाजा खोलकर बाहर देखने लगी..
कमरे के बाहर एक आदमी खड़ा हुआ था जिसने दरवाजा खुलने पर tisca से कहा - tisca it's an emergency.. I have to go to the airport.. Sorry i bothered you & ruin your interview.. इतना कहकर आदमी वहा से चला गया..
Tisca ने दरवाजे के बाहर डु नोट डिस्टर्ब का sign लटका दिया औऱ दरवाजा बंद करके वापस लंगड़ती हुई अंदर आ गई.. Tisca ने टेबल पर वाटर बोतल से पानी गिलास में डाला औऱ पूरा गिलास पानी पीकर वही पड़े सिगरेट के पैकेट से सिगरेट निकालकर लाइटर से सुलगाते हुए दो - तीन कश लेकर बेड को देखने लगी जहा सफ़ेद चादर पर खून की 3-4 बून्द गिरी हुई थी. tisca ने अपनी चुत को लाइट के उजाले में देखा तो पाया की चुत पर हल्का सा खून लगा हुआ था औऱ उसकी चुत में अब कुलबुलाहत हो रही थी जो इस बात का संकेत थी कि उसे गौतम के लंड पसंद आ गया था..
Tisca ने मुस्कुराते हुए अपनी चुत को सहलाया औऱ सिगरेट के अगले कश मारते हुए कुछ सोचने लगी फिर अलमीरा के सामने आकर अलमीरा खोलते हुए गौतम को अंदर बैठा हुआ देखती है जो अब अपनी जीन्स ठीक से पहन चूका था.. लाइट के उजाले में tisca को गौतम बहुत खूबसूरत औऱ प्यारा सा लड़का लगा था लेकिन जो हरकत उसने अभी उसके साथ की थी उस वजह से tisca गौतम को गुस्से भरी आँखों से देख रही थी..
गौतम tisca को देखकर अलमीरा से बाहर आते हुए - sorry ma'am.. गलती से आपके रूम आ गया था.. वैसे आप टीवी पर जितनी खूबसूरत दिखती हो उससे कहीं ज्यादा रियल में हो.. मैं अपने फ्रेंड्स को बताऊंगा तो उन्हें यक़ीन ही नहीं होगा..
Tisca गौतम को चुपचाप खड़ी हुई देख सुन रही थी औऱ सिगरेट के कश खींचते हुए धुआँ छोड़े जा रही थी..
गौतम आगे फिर कहता है - आपकी न्यू मूवी आ रही है ना सावन की रात? मैंने ट्रेलर देखा था उसका.. मूवी बहुत अमेज़िंग लग रही है...अच्छा ma'am मैं जाता हूँ.. Sorry for troubling you..
गौतम इतना कहकर जाने के लिए पीछे मुड़ा ही था कि tisca ने गौतम के कान पकड़कर वापस अपनी तरफ घुमा लिया औऱ सिगरेट का आखिरी कश लेकर सिगरेट बुझाते हुए गौतम को धक्का देकर बेड पर गिरा दिया औऱ उसके ऊपर चढ़ती हुई गौतम की जीन्स को पकड़कर खोलने लगी.. जीन्स का बटन खोलने के बाद चैन नीचे करके जीन्स नीचे सरका कर tisca ने गौतम को देखा तो पाया कि गौतम चुपचाप tisca को ऐसे देख रहा था जैसे कोई सपना हो..
Tisca गौतम का लंड एक हाथ में पकड़कर सहलाती हुई हैरानी से उसके लंड को देख रही थी औऱ बार बार गौतम के चेहरे को देखकर दूसरे हाथ से गौतम के गाल बाल औऱ गले पर उंगलियां फिरा रही थी..
Tisca ने अच्छे से गौतम के लंड का जायजा लिया फिर मुस्कुराते हुए गौतम के होंठ पर अपने होंठ रखकर एक प्यार से भरा हुआ चुम्बन करके बोली..
Tisca - क्या age है तेरी?
गौतम ऐसे tisca को देख रहा था जैसे उसे साँप सूंघ गया हो..
Tisca ने वापस पूछा - 18 का तो है ना तु?
गौतम में इस बार हाँ में सर हिला दिया औऱ tisca ने गौतम के लंड पर अपना मुंह लगा दिया..
Tisca ने गौतम के लंड को मुंह में लेकर चूमते हुए चूसना शुरु कर दिया औऱ गौतम अपनी पसंदीदा मिल्फ हीरोइन के मुंह से blowjob का सुख अनुभव करके सातवे आसमान पर पहुंच चूका था..
Tisca लंड के साथ साथ दोनों बॉल्स भी मुंह में लेकर बड़ी आराम औऱ प्यार से चाट औऱ चूस रही थी.. इसके साथ ही वो बार बार प्यार औऱ काम वासना की निगाह से गौतम को देख रही थी जिससे गौतम भी अब लाज शर्म उतारने लगा था..
Tisca ने थोड़ी देर लंड चूसकर गौतम को पीछे धकेल दिया औऱ अपनी साडी उतारकर फेंकते हुए पटीकोत ऊपर करके गौतम के लंड के ऊपर बैठने लगी औऱ उसका लंड अपनी चुत में लेते हुए बोली..
Tisca - नाम क्या है तेरा?
गौतम - ma'am गौतम..
Tisca कुछ सोचकर - गौतम... निक नेम ग़ुगु... तू वही है ना जो हर सुबह औऱ शाम मुझे इंस्टा पर गुडमॉर्निंग baby गुडनाइट baby का massage सेंड करता है हार्ट के साथ?
गौतम - ज़ी.. ma'am बहुत बड़ा फन हूँ आपका..
Tisca मुस्कुराते हुए लंड पूरी तरह चुत में लेकर अपनी गांड हिलाते हुए - बड़ा कहा इतना छोटा सा तो है तू.. बस तेरा ये सामान बहुत बड़ा है.. पहली बार किसी इंडियन के पास इतना बड़ा औऱ मजबूत सामान देखा है.. वो भी किसी बच्चे के पास..
गौतमआहे भरते हुए - बीस साल का हूँ ma'am.. बच्चा नहीं हूँ..
Tisca - मैं 51 की हूँ.. मेरे सामने तो छोटा सा baby ही है तू..
गौतम नीचे से झटके मारते हुए - आपको देखकर लगता नहीं की आप 51 साल की हो.. ऐसा लगता है आप अभी भी 25 की हो..
Tisca सिसकियाँ लेते हुए अपने ब्लाउज के बटन खोलती हुई - मेरे साथ फल्ट कर रहा है? तेरे सामान के साथ साथ तुझे भी अपनी चुत में अंदर डाल लुंगी.. समझा baby?
गौतम - ma'am सच में.. आप बहुत प्यारी लगती हो मुझे.. आप इतनी बड़ी एक्ट्रेस हो.. मेरा ड्रीम था आपसे मिलना.. मगर ऐसे मुलाक़ात होगी कभी सोचा नहीं था..
Tisca ब्लाउज बेड के एक तरफ पटक कर - कैसी बड़ी एक्ट्रेस baby... हर दिन किसी ना किसी डायरेक्ट प्रोडूसर का बिस्तर गर्म करना पड़ता है तब जाकर छोटा मोटा रोल मिलता.. हमारे जैसी एक्ट्रेस कॉलगर्ल के जैसी होती है.. किसी भी फंक्शन या इवेंट में आधी नंगी होकर पब्लिक को सेड़ूस करती है ताकि पब्लिक में डीमाड बनी रहे औऱ फिर किसी ना किसी मर्द के बिस्तर में जाकर उसे खुश करती है ताकि छोटा मोटा रोल या कोई काम मिल सके..
गौतम - ma'am मुझे नहीं मालूम था आपकी लाइफ इतनी हार्ड है.. मैंने तो आजतक आपको टीवी पर देखा है या न्यूज़ पेपर में पढ़ा है..
Tisca मुस्कुराते हुए - रोज़ किसी ना किसी को देती हूँ आज देने की जगह तेरी लुंगी...
गौतम tisca का हाथ पकड़ कर साइड में गिरा देता है औऱ मिशनरी में उसके ऊपर आता हुआ लंड का धीमा झटका मारके कहता है - नहीं ma'am.. आज भी आपको देनी ही पड़ेगी..
औऱ फिर मिशनरी में tisca की चुत को तबाह करने के मिशन पर लग जाता है, अपने झटको की रफ़्तार तेज़ करते हुए गौतम tisca को ताबड़तोड़ चोदने लगता है जिससे tisca की चुदाई की आवाज के साथ साथ उसकी सिस्कारिया भी पुरे कमरे में जोर जोर से गूंजने लगी थी..
इधर tisca के चुदने की शुरुआत हो चुकी थी उधर वसीम औऱ चेतन का एक राउंड कम्पलीट हो चूका था औऱ अब दूसरे राउंड में चेतन वसीम का लंड मुंह में लेकर चूस रहा था..
चेतन ने वसीम औऱ वसीम ने चेतन की गांड चोद कर गुलाब के जैसी खिला दी थी औऱ दोनों में आपसी समझ औऱ कामइच्छा भी पनपने लगी थी..
गौतम बिस्तर पर tisca को खिसका खिसका के चोद रहा था औऱ tisca किसी सस्ती रांड के जेसी टांगे चौड़ी करके गौतम के लंड के जोरदार झटके खाती हुई चिल्ला रही थी..
गौतम tisca को ऐसे चोद रहा था जैसे वो 50 साल की औरत नहीं बल्कि बाली उम्र की जवान कमसिन कली हो..
गौतम ने tisca की गांड पकड़कर डोमिनट करते हुए उसे घोड़ी बना लिया औऱ बाल पकड़ कर घोड़ी की सवारी करने लगा..
Tisca लंड के आगे बेबस लाचार औऱ बेचारी सी बनाकर गौतम के झटके खाते हुए अह्ह्ह्ह... उह्ह्ह... की आवाजे निकालने के सिवा कुछ औऱ नहीं कर सकती थी..
गौतम tisca को घोड़ी बनाकर उसकी चुत में लोडा घुसाकर धक्के पर धक्के लगा रहा था जिसके कारण थप थप औऱ घप घप की मधुर आवाज दोनों के कानो में पड़ रही थी..
गौतम ने चोदते हुए tisca कि ब्रा का हुक खोल दिया जिससे अब tisca पूरी तरह नंगी हो चुकी थी..
गौतम ने बाल छोड़कर अब दोनों हाथों से tisca कि कमर को थाम लिया औऱ पूरे जोर से झटके मारने लगा जिससे tisca की पूरी ताकत के साथ चिल्लाती हुई पीछे गौतम को देखकर उसका हाथ पकड़ते हुए अपने आप को छुड़वाने लगी मगर गौतम ने झटके पर झटके मारकर tisca की चुत का जाइका लेने में कोई कसर नहीं छोडी..
Tisca बेबसी औऱ लाचारी से अपनी 51 साल पुरानी महल जैसी चुत को खंडर बनते हुए देख रही थी औऱ उसका दर्द महसूस करते हुए जो सुख मिल रहा था उसे भोग रही थी.. उसे लुटने में भी मज़ा आ रहा था..
गौतम ने चोदते चोदते tisca की कमर को अच्छे से पकड़ कर उठा लिया औऱ दिवार से चिपका कर छिपकली वाले पोज़ में पीछे से झटके मारते हुए चोदने लगा..
Tisca के पैरों में कम्पन था मगर गौतम उसकी कमर को अभी भी थामें हुए था औऱ अच्छे से सटा कर tisca को पेल रहा था.. Tisca अब झड़ने लगी थी औऱ झड़ने के साथ ही उसने मूत भी दिया था मगर गौतम को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा वो बस चोदे जा रहा था..
दोनों की चुदाई पिछले आधे घंटे से चल रही थी औऱ Tisca आंनद के अथाह सागर में डूबती हुई गौतम की चुदाई का स्वाद लेते हुए उसपर मोहित हो चुकी थी.. गौतम ने छिपकली बनाकर चोदते हुए tisca के पैर उठा दिए औऱ अब दिवार से स्टाकार tisca को चोदने लगा.. Tisca किसी बेजान खिलोने से गौतम के आगे बेबस होकर चुदवाए जा रही थी जिसमे मज़ा उसे भी आ रहा था.. गौतम में अब tisca को पलटकर अपनी तरफ घुमा लिया औऱ उछाल उछाल कर चोदने लगा
गौतम के हर झटके पर tisca का बदन ऐसे हिल रहा था जैसे हवा की आंधी में पत्ते हिलते है.. Tisca अब गौतम को कसके पकड़ रही थी औऱ वापस कामुक निगाह से गौतम को देखकर अपनी चुदाई का मज़ा ले रही थी..
गौतम tisca को उछाल उछाल कर चोदता हुआ अपने चरम पर आने लगा था औऱ वो tisca को अब अपने ऊपर लेटाने के लिए खुद बेड पर गिर गया था औऱ tisca गौतम के ऊपर थी..
Tisca की चूत का चोबारा बन चूका था मगर उसे मिलते सुख के करण उसे इसका अंदाजा नहीं था.. Tisca ने गौतम के लंड पर अपनी चुत रगढ़ते हुए गांड हिलाना शुरु कर दिया औऱ जोर जोर गौतम के लंड को अपनी चुत में आगे पीछे करने लगी जिससे अब दोनों को झड़ने में ज्यादातर वक़्त नहीं लगा औऱ गौतम बिना कंडोम tisca की चुत में झड़ गया औऱ tisca भी गौतम के बाद झड़ गई..
गौतम औऱ tisca यूँ ही बहुत देर तक बिना कुछ बोले एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे फिर tisca का फ़ोन बजा तो उसने फ़ोन उठाकर बात करना शुरु किया..
Tisca - हेलो..
एक आदमी - where are you? interview is pending.. They asking for you..
Tisca - i don't feel well.. can you postpone this till the night..
आदमी - are you okey?
Tisca - i am okey.. I just want some time.. You know? Please do it for me..
आदमी - okey tisca.. I'll manage..
Tisca फ़ोन काट कर साइड में रख देती है औऱ एक नज़र गौतम पर डाल कर कहती है..
Tisca मुस्कुराते हुए - कुछ चाहिए तुम्हे?
गौतम भोलेपन से - जो चाहिए था आपने दे दिया ma'am.. अच्छा मैं अब जाता हूँ..
Tisca गौतम के सीने के ऊपर अपनी छाती टिकाकर - लेटे रहो चुपचाप.. बाद में जाना.. And Give me your contact नंबर baby..
गौतम tisca के फ़ोन में अपना नंबर सेव करते हुए - सॉरी ma'am.. आपको दर्द हुआ..
Tisca - अच्छा ये बताओ मैं सच में तुम्हारी फेवरेट हूँ या बस ऐसे ही बोल रहे थे?
गौतम - no ma'am.. Seriously.. मैं बहुत बड़ा fan हूँ आपका.. मेरे सब दोस्तों को भी पता है.
Tisca - thanks baby.. तूने बहुत थका दिया मुझे.. मैं थोड़ी देर सो जाऊ ऐसे ही तेरे ऊपर?
गौतम - ज़ी ma'am.. You don't need to take my permission..
Tisca गौतम के होंठ चूमते हुए - such a good boy.. मैं washroom होके आती हूँ.. जाना नहीं.. Okey?
गौतम हाँ में सर हिलाता है औऱ tisca लंगड़ती हुई बाथरूम में चली जाती है..
सुमन फोन पर - कहा है ग़ुगु? आज वापस भी जाना है..
गौतम - माँ चिंटू भईया के साथ हूँ.. आज जाने का मन नहीं है कल सुबह चलते है वापस..
सुमन - तू भी ना.. चल ठीक है..
गौतम - बाय माँ..
सुमन - बाय बच्चा..
गौतम आदिल को फ़ोन करता है..
आदिल - बोल रंडी..
गौतम - अबे रंडी होगी माँ..
आदिल आह्ह करते हुए - वो तो है ही..
गौतम अटपटी आवाज सुनकर - अबे क्या कर रहा है गांडु? ये आवाज कैसी है?
आदिल - भाई अम्मी को पेल रहा हूँ..
गौतम - शबाना मान गई? क्या बात है यार.. झंडे गाड दिए तूने तो...
आदिल - झंडे तो तूने गाड़े थे रंडी.. अम्मी बता रही थी कैसे कैसे चोद के गया था तू.. बहुत तारीफ़ करती है तेरी.
गौतम हसते हुए - भाई तेरी अम्मी है ही चोदने लायक़ तो क्या करता? बहुत प्यार से चुदवा रही थी..
आदिल - वापस कब आ रहा है भाई?
गौतम - कल आऊंगा यार..
आदिल - अच्छा अम्मी को बात करनी है तुझसे.. ले बात कर.
शबाना - हेलो.. गौतम?
गौतम - हाँ अम्मी.. कैसी हो?
शबाना - बस बेटा.. अच्छी हूँ.. तुझे याद नहीं आती मेरी?
गौतम - याद तो बहुत आती है अम्मी पर क्या करू? मज़बूरी है.. वैसे आदिल ज्यादा तंग तो नहीं करता ना..
शबाना - क्या बताऊ बेटा.. ये तो इसके अब्बू के दूकान जाने के बाद फ़ौरन मेरी चुत में घुस जाता है औऱ फिर शाम तक घुसा ही रहता है.. पिछले 7 दिनों में 17 बार चोद चूका है फिर भी इसे आराम नहीं है..
आदिल - भाई अम्मी की चुत है 17 नहीं 70 बार भी चोद लु तब भी मन नहीं भरेगा..
गौतम हसते हुए - ये तो सच कहा तूने भाई.. मैं वापस आता हूँ फिर दोनों सैंडविच बनाकर तेरी अम्मी को साथ में चोदेगे.. क्यों अम्मी चुदेगी ना हम दोनों से साथ में?
शबाना - मेरी चुत को लंड की लत लगा दी तुने.. तुम जो बोलोगे मुझे करना ही पड़ेगा ना..
आदिल - अच्छा भाई फ़ोन रखता हूँ.. पहला राउंड है आज का..
गौतम - अरे रुक लोडे.. तुझे कुछ बताना है?
आदिल - क्या भाई?
गौतम - तुझे पता है मेरी फेवरेट..
आदिल - tisca chopra..
गौतम - हाँ.. अभी अभी उसे पेला है..
आदिल - चल ना रंडी.. सुबह सुबह में ही मिला हूँ तुझे? किसी औऱ को चुतीया बनाना..
गौतम - मत माने गांडु.. तेरी मर्ज़ी..
आदिल - कैसे मानु भोस्डिके? कोई सबूत है तेरे पास?
गौतम - अभी वीडियो कॉल पे तेरी बात करवाता हूँ रुक जा..
आदिल - ठीक है मैं इंतजार कर रहा हूँ.. देखता हूँ तू ने ली है या किसी औऱ को पेल के बकचोदी कर रहा है..
गौतम फ़ोन काट कर एक तरफ रख देता है औऱ tisca बाथरूम से वापस आकर गौतम के ऊपर चढ़कर उसे बाहों में भरके सोने लगती है..
गौतम - ma'am..
Tisca मुस्कुराते हुए - हम्म्म..
गौतम - ma'am.. मेरे एक फ़्रेंड को आप हेलो बोल दोगी तो सबको मैं बता सकता हूँ आप मुझसे मिली थी..
Tisca गौतम के गाल सहलाते हुए - बात कराओ..
गौतम वीडियो कॉल करता है..
आदिल - हेलो..
गौतम - ma'am..
Tisca फ़ोन लेकर - हेलो..
आदिल हैरानी से - हेलो.. आप..
Tisca - हाउ आर यू?
आदिल हाथ हिलाते हुए - मैं ठीक हूँ मैडम..
गौतम - अब तो यकीन आया?
आदिल - हाँ भाई..
गौतम - चल अब फ़ोन रख.. टाइम नहीं है मेरे पास..
आदिल - भाई सेल्फी लेकर आना..
गौतम - हां हां ठीक है.. फ़ोन काट देता है.. Thanks ma'am..
Tisca smile करती हुई - your welcome baby..
Tisca गौतम के सीने के ऊपर आराम करती हुई नींद में खो जाती है औऱ गौतम भी चेतन से बात करके उसी तरह सो जाता है..
गौतम की जब आँख खुलती है वो देखता है की वो अकेला बिस्तर पर नंगा लेटा हुआ था औऱ tisca आईने के सामने एक फ्रॉक पहनकर सिगरेट के कश लेते हुए तैयार हो रही थी. Tisca ने जब मुड़कर गौतम को देखा तो tisca बोली..
Tisca - उठ गए baby.. नींद कैसी आई?
गौतम - बहुत गहरी.. शाम हो गई?
Tisca सिगरेट पीती हुई - हाँ.. 5 घंटे सो कर उठे हो.. कुछ लोगे.. चाय कॉफ़ी जूस?
गौतम उठकर tisca को बाहों में भरते हुए - चुत ma'am... चुत दे दो एक बार औऱ..
Tisca हसते हुए - आधे घंटे बाद इंटरव्यू है.. दोपहर से बैठे है वो लोग..
गौतम tisca से सिगरेट छीनकर फेंक देता है औऱ tisca को उठाकर बिस्तर पर पटकते हुए - मैं ज्यादा टाइम नहीं लूंगा ma'am.. Promise..
Tisca अपनी फ्रॉक उठाकर पेंटी खिसकाते हुए - मुंबई बुलाऊंगी तो आओगे ना तुम?
गौतम चुत में लंड घुसते हुए - आप मांगोलिया बुलाओगी तब भी दौड़ा चला आऊंगा.. Ma'am..
Tisca चुदवाते हुए - baby.. स्लोली.. दोपहर से तेरे कारण स्वलिंग हो रही है.. कितना हार्ड किया था तुने.. अब प्यार से करो वरना नहीं करने दूंगी..
गौतम - सॉरी ma'am.. मेरे कारण आपकी फुद्दी सूज गई.. Ma'am.. मुझे सेल्फी चाहिए आप दोगी ना..
Tisca हसते हुए - फ़ोन रख बुद्धू.. ऐसी हालात में सेल्फी लेगा क्या..
गौतम प्यार से चोदते हुए - सॉरी ma'am..
Tisca गौतम को kiss करते हुए - किसने नाजुक लब है तेरे..
गौतम - बच्चों जैसे ना? मेरी gf भी यही कहती है..
Tisca - बच्चा ही तो है तू.. वरना जो काम तुमने दोपहर में किया था अगर तेरी जगह कोई बड़ा होता तो जेल में डलवा देती.. अब जल्दी कर इंटरव्यू है औऱ फिर फ्लाइट भी..
गौतम मुस्कुराते हुए - ma'am एक बात बताऊ.. आपको बुरा तो नहीं लगेगा..
Tisca - बोल ना..
गौतम - आपके नाम पर बहुत मुट्ठी मारी है मैंने.. मेरे बाथरूम की दिवार का कलर बदल गया मेरे मुठ से.. मेरा ड्रीम था आपके साथ ये सब करने का..
Tisca हस्ती हुई - अब तो ड्रीम पूरा हो गया अब तो मास्टर्बशन नहीं करेगा ना.. मुझे याद करके..
गौतम - पक्का नहीं कह सकता ma'am.. याद आ गई तो करना भी पड़ सकता है..
Tisca - जब भी करें मुझे massage करके बता जरुर देना.. अब जल्दी कर.. मेरा तो हो भी गया लगता है..
गौतम - ma'am.. एक रिक्वेस्ट है...
Tisca - अब क्या रह गया baby?
गौतम धीरे धीरे चोदते हुए - ma'am.. Blowjob..
Tisca - नहीं baby.. लिपस्टिक खराब हो जायेगी.. बहुत टाइम लगेगा.. तू चुत से काम चला ले..
गौतम बच्चों सा मुंह बनाके - प्लीज ना..
Tisca एक नज़र गुस्से से देखकर - अच्छा ला..
गौतम बेड पर खड़ा हो जाता है औऱ tisca घुटनो पर बैठके लोडा चूसने लगती है..
गौतम - उफ्फ्फ.. Ma'am.. आपके ऊपरी होंठ तो नीचे के होंठों से भी मज़ेदार है.. कितना अच्छा blowjob देती हो आप..
Tisca पूरी मेहनत के साथ लंड चुस्ती है औऱ कुछ देर में गौतम का वीर्यपान कर लेती है..
Tisca - baby अब चल.. जा यहां से.. मुझे भी जाना है.. औऱ contact में रहना..
गौतम कपडे पहनकर प्यार से - जाने से पहले ma'am एक लव बाईट मिलेगी..
Tisca मुस्कुराते हुए गौतम की शर्ट हटाकर उसके निप्पल्स को मुंह में लेती हुई पहले चाटती औऱ चुस्ती है औऱ फिर दाँत से खींचती हुई निप्पल्स के बगल में एक lovebite कर देती है औऱ फिर कहती है..
Tisca अपनी लिपस्टिक ठीक करके - चल अब मैं निकलती हूँ.. बाय gugu baby..
गौतम भी जाते हुए - बाय ma'am...
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सुबह के सात बज चुके थे औऱ जगमोहन बेड पर ओंधे मुंह पड़ा हुआ कराटे मार रहा था.. सुमन उठकर नहा चुकी थी औऱ चाय बनाकर गौतम के कमरे की तरफ बढ़ गई थी.. गौतम भी आज जल्दी ही उठ गया था औऱ नहा चूका था..
सुमन चाय बेड के ऊपर सिरहने रखती हुई - चाय पिले शहजादे..
गौतम बेड से उठकर सुमन का हाथ पकड़ते हुए - इस शहजादे को चाय नहीं तुम्हारी चुत चाहिए शहजादी..
सुमन मुस्कुराते हुए - शहजादी तो चुत देने के लिए कब से तैयार है पर सही मौका औऱ दस्तूर भी तो हो..
गौतम सुमन का हाथ चूमते हुए - इतना सब्र किया तो कुछ पल औऱ सही..
सुमन गौतम के बालो को हल्का सा इधर उधर करते हुए - अब चाय पीके जा यहां से.. वो लोग आने वाले ही होंगे..
गौतम सुमन को बाहों में भरके गाल पर चुम्बन करते हुए - जो हुकुम मेरी सहजादी..
सुमन वहा से बाहर आ जाती है औऱ गौतम चाय पीके अपनी बाइक उठाकर बाहर चला जाता है..
गोतम कहा है?
मुझे क्या पता? गया होगा अपने दोस्तों के पास..
सुमन तूने जानबूझकर उसे बाहर भेजा है ना..
मैं क्यों उसे भेजनें लगी? वो खुद ही अपनी मर्ज़ी से गया है..
जगमोहन चिढ़ते हुए - मैं भी कहा तुमसे बात करने बैठ गया.. चाय ला दो..
सुमन - बनाके रखी है छन्नी करके पिलो..
जगमोहन उठकर जाता है कमरे से बाहर निकलता है की दरवाजे पर दो औरत औऱ एक आदमी दिखाई देते है..
जगमोहन उन्हें देखकर - माँ..
जगमोहन की माँ हेमा - जग्गू...
बृजमोहन - जग्गू भईया..
जगमोहन - आओ अंदर आओ..
हेमा उस घर देखकर - घर तो बड़ा सुन्दर बनाया है तूने जग्गू?
जगमोहन - आओ ना माँ.. बैठो... अरे सुमन देखो.. माँ मानसी औऱ ब्रजमोहन आये है..
सुमन कमरे से बाहर आकर बेरुखी से देखते हुए..
मानसी - कैसी हो सुमन?
सुमन - जैसी 18 साल पहले थी..
हेमा - बहु हमारा गौतम कहा है? अब तो बहुत बड़ा हो गया होगा.. पिछली बार जब दो साल का था तब देखा था उसे.. उसके बाद तो उसे देखने को आँखे ही तरस गई..
सुमन - मेरा गौतम दोस्तों के साथ बाहर गया है..
मानसी - सुमन तुम गाँव क्यों नहीं आई इतने सालों में..
सुमन - वहां मेरे औऱ मेरे ग़ुगु के लिए अब बचा ही क्या है..
बृजमोहन - ऐसा क्यों कहती हो भाभी.. वहा आपका घर है..
सुमन - घर औऱ जमीने तो तुमने अपने भाई से छीनकर अपने पास रख ली थी याद है.. सुना है सारी जमीन साहूकार को बेच दी तुमने अपनी ऐयाशी पूरी करने के लिए..
हेमा - सुमन.. पुरानी बातों को भूल जाओ.. उनसे अब किसी का भला नहीं होने वाला.. बृजमोहन अब बदल चूका है..
सुमन - सब लुटा कर अब बदलने की क्या जरुरत.. घर औऱ खेत बाकी है उसे भी बेच देते..
जगमोहन - सुमन.. ऐसे बात करते है अपनी सास से.. इतने सालों बाद आये है.. जाओ चाय औऱ नाश्ता बना दो.. सबके लिए..
सुमन बिना कुछ बोले रसोई में चली जाती है औऱ चाय बनाने लगती है..
उसके साथ ही मानसी भी सुमन के पीछे पीछे रसोई में चली जाती है..
जगमोहन बृजमोहन औऱ हेमा के साथ हॉल में लगे बड़े से सोफे पर बैठ जाता है औऱ बातें करने लगता है..
मानसी - सुमन.. लाओ मैं चाय बना देती हूँ.
सुमन - रहने दो मानसी.. मेहमान हो.. मैं बना लुंगी..
मानसी - इतनी भी क्या नाराज़गी सुमन.. मैं कोई पराई तो नहीं हूँ..
सुमन - अपनी भी कहा थी तुम मानसी..
मानसी - मैं जानती हूँ सुमन तुम गुस्सा हो हमसे पर मेरी बस में ना ही कल कुछ था ना ही आज कुछ है..
सुमन - साफ साफ कहो मानसी.. यहां क्यों आई हो?
मानसी - अपने जमाई को लेने..
सुमन - कोनसा जमाई? वो रिश्ता वही तोड़ के मैं यहां आई थी..
मानसी - तुम्हारे मेरे तोड़ने से रिश्ते नहीं टूटते सुमन.. गाँव में पंचायत के लोगों के सामने वो रिश्ता बना था.. बात तय हुई थी..
सुमन - बच्चों की शादी को सरकार भी शादी नहीं मानती मानसी..
मानसी - मगर पंचायत मानती है.. औऱ तुम जानती हो हमारे यहां ये फैसले कितने कड़ाई से निभाये जाते है..
सुमन - निभाए जाते होंगे.. मगर अब नहीं.. मैं मेरे ग़ुगु को हरगिज़ उस गाँव में नहीं जाने दूंगी..
मानसी - जाना तो उसे पड़ेगा सुमन.. कुसुम अब 18 साल की दहलीज़ को लांघ चुकी है.. उसे गौतम को अपनाना ही होगा..
सुमन - ऐसा नहीं होगा मानसी.. गौतम उसी से शादी करेगा जिससे उसका मन होगा..
मानसी - पर उसकी शादी हो चुकी है सुमन.. याद है तुम्हींने मेरी कुसुम को गोद में उठाकर कहा था ये ग़ुगु की दुल्हन बनेगी.. तुम्हारी मर्ज़ी शामिल थी उसमे..
सुमन - तब तक बटवारा नहीं हुआ था मानसी.. मुझे अगर पता होता कि तुम मेरे साथ ऐसा करोगे तो कभी वो सब नहीं करती..
मानसी - मैंने तुम्हारे साथ कभी कुछ गलत नहीं किया सुमन.. तुम जानती हो मेरा दिल साफ है.. अब मैं अपनी बेटी के लिए उसके पति को माँगने आई हूँ.. गाँव आकर गौतम कुसुम को पंचायत के सामने अपना कर अपने साथ रख ले बस.. मैं औऱ कुछ नहीं चाहती..
सुमन - ऐसा नहीं होगा मानसी.. गौतम को भूल जाओ.. कुसुम के लिए कोई औऱ लड़का देख लो..
मानसी - एक बार जिस लड़की का विवाह हो जाता है उसका किसी औऱ के साथ विवाह नहीं करवाया जाता.. अगर गौतम खुद गाँव आकर कुसुम को अपना नहीं बनाता तो मैं पंचायत में गौतम के खिलाफ गुहार लगा दूंगी.. औऱ तुम जानती हो पंचायत के नियम कितने कड़े है..
सुमन - तुम्हे जो करना है करो मानसी.. मेरा गौतम उस गाँव में नहीं जाएगा..
मानसी - उसे आना पड़ेगा सुमन.. वरना पंचायत ने जगन के साथ जो किया था तुम अच्छे से जानती हो.. तुम्हारी ज़िद कहीं सब ख़त्म ना कर दे..
सुमन - धमकी दे रही हो..
मानसी - नहीं.. भीख मांग रही हूँ.. अपनी कुसुम के लिए तुम्हारे गौतम की.. मेरी बात मान जाओ सुमन.. मैंने कुसुम को बहुत सभालके पाला पोसा है.. वो गौतम का अच्छे से ख्याल रखेगी.. औऱ तुम्हे भी कोई शिकायत का मौका नहीं देगी.
सुमन - चाय बन गई है.. लो.. लेजाकर दे दो..
मानसी अपने पर्स में से एक तस्वीर निकालकर सुमन के सामने रख देती है औऱ चाय की ट्रे उठाकर रसोई से बाहर आ जाती है औऱ सबको चाय दे देती है.. सुमन की नज़र तस्वीर पर पडती है औऱ वो कुसुम की तस्वीर को देखने लगती है.. सुमन कुसुम को देखने लगती है और मन ही मन वो भी कुसुम को गौतम के लिए सही मानते हुए दोनों का बंधन होने की बात सोचने लगती है..
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सलामपुर गाँव में खेतो को पार करके जंगल के मुहाने पर कटीली झाड़ियों के पीछे दो सहेलियां पानी का मग्गा लेके टट्टी करने बैठी थी..
अरे कुसुम.. सुना आज तेरे मम्मी पापा तेरे दूल्हे से मिलने गए है.. कहीं झुमरी के दूल्हे की तरह तेरा दूल्हा भी काला कलूटा औऱ भद्दा निकला तो.. तू चाँद सी चितवन काया वाली औऱ वो अँधेरी काली रात..
कुसुम - नहीं.. मीना.. ऐसा मत बोल.. मैं मर ही जाउंगी अगर ऐसा हुआ तो.. दादी ने बताया था वो बचपन में बहुत प्यारे लगते थे.. अब भी शायद वैसे ही हो..
मीना - अच्छा.. औऱ फुलवा की जैसे शराबी औऱ जुवारी निकला तो..
कुसुम - तू औऱ कुछ नहीं बोल सकती क्या.. मेरी तो टट्टी भी बंद हो गई तेरी बातें सुनकर..
मीना हसते हुए - अरे तो मुझसे कह दे.. तेरी गांड में ऊँगली डालकर निकाल देती हूँ टट्टी..
कुसुम शरमाते हुए मग्गे से पानी हाथ में लेकर गांड धोती हुई - हट बेशर्म.. चल अब..
मीना भी गांड धोती हुई - हाय कैसे शर्माती है तू.. जब तेरा दूल्हा पटक पटक के चोदेगा ना तब सारी शर्म निकल जाएगी.. मेरे वक़्त तो तू भी बड़ा बोलती थी.. अब अपना वक़्त आया तो कैसे चुप है..
कुसुम खेत की पगदंडी से मीना के साथ वापस घर आती हुई - चुदाई में दर्द होता होगा ना मीना..
मीना - पहले पहल होता है फिर मज़ा आता है.. मन करता है बस चुदवाते ही रहो.. देख चुदाई की बात करके तेरे चुचक कैसे खड़े हो गए.. मिलन की रातों में जब तेरे ये नुकिले चुचक तीर की तरह तेरे दूल्हे के सीने में चुभेगे तो उसे मज़ा ही आ जाएगा..
कुसुम शरमाते हुए - धत..
मीना कुसुम के चुचे अचानक से मसलकर - शर्मा क्यों रही है सहेली.. अब तेरे खेत में हल चलाने वाला जल्दी ही आने वाला है.. तेरी छोटी सी चुत को वो बड़ा कर देगा..
कुसुम मुस्कुराते हुए - घर आ गया.. तू भी जा...
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पता नहीं आज ये फ़ोन क्यों नहीं उठा रहा..
रहने दो भईया.. आप तो उसे कल गाँव लेकर आ जाना.. कुसुम औऱ गौतम की रित निभाना है.. फिर जल्द ही दोनों का बंधन भी करवा देंगे..
मानसी - हाँ.. मेरा बहुत मन था गौतम को देखने का.. मगर आज नहीं तो कल सही.. जब वो गाँव आएगा तब देख लुंगी..
हेमा - अब चलना चाहिए.. कुसुम अकेली है.. शाम से पहले वापस पहुंचना है..
जगमोहन - माँ आप रुकिए मैं टेक्सी बुलवा देता हूँ..
सुमन - रहने दीजिये.. मैंने फ़ोन कर दिया था.. गौतम आने वाला होगा वही बस स्टेण्ड तक छोड़ आएगा..
मानसी ख़ुशी से - ये कितनी अच्छी बात है सुमन.. मतलब आज मैं अपने जमाई को देख सकती हूँ..
गौतम बाहर बाइक खड़ी करके अंदर आता है तो उसे देखकर हेमा मानसी औऱ बृजमोहन अपनी जगह से खड़े हो जाते है औऱ मानसी सुमन को देखकर कहती है..
मानसी - सुमन ये हमारा गौतम है ना?
सुमन - मानसी ये मेरा गौतम है..
मानसी सुमन की बात सुनकर आगे बढ़ती है औऱ गौतम को अपने गले से लगाकर - कितने प्यारा औऱ चाँद सा मुखड़ा है.. बिलकुल कोई शहजादा लगने लगा है.. माँ देखो ना..
हेमा आगे बढ़कर गौतम के चेहरे को चूमती हुई - हाँ सुमन.. मेरे पोते के जैसा सुन्दर और प्यारा तो कोई दूसरा ना होगा..
मानसी तस्वीर लेते हुए - अब तक हमसे छुपा के रखा था सुमन ने.. मगर आज देखो..
हेमा - बेटा मैं तेरी दादी..
गौतम पैर छूता है..
हेमा गले से लगाते हुए - अरे रहने दे ये सब.. तू तो मेरा अपना है.. तेरी माँ ने कब से तुझे हमसे छुपा के रखा था.. आज मिला है..
सुमन - ग़ुगु.. दादी औऱ चाचा चाची को बस स्टैंड तक छोड़ आ जरा..
गौतम सुमन की बात सुनकर उन सबको कार में बैठा कर बस स्टेण्ड छोड़कर आ जाता है.. तब तक जगमोहन घर से जा चूका था..
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मानसी - कुसुम.. कुसुम.. कहा गई ये लड़की?
कुसुम - माँ सहेली के पास गई थी.. कुछ काम था..
मानसी - कल रीत का सारा सामान तूने रख लिया है ना..
कुसुम - जी..
मानसी - ठीक है.. कल समय से तैयार रहना.. किसी सहेली के यहां ना चले जाना..
कुसुम - माँ..
मानसी - बोल..
कुसुम - वो माँ आप..
मानसी मुस्कुराते हुए - क्या बोल ना..
कुसुम - नहीं.. कुछ नहीं..
मानसी - तेरे दूल्हे से मिली या नहीं यही पूछना चाहती है ना मेरी लाडो..
कुसुम शरमाते हुए - माँ..
मानसी - तस्वीर देखेगी अपने होने वाले दूल्हे की?
कुसुम शरमाते हुए कुछ नहीं बोलती और चुपचाप खड़ी रहती है..
मानसी छेड़ते हुए - नहीं देखनी तो तेरी मर्ज़ी.. मुझे क्या
कुसुम - आप तस्वीर लेके आई हो..
मानसी कुसुम से मसखरी करते हुए - हाँ.. पर क्या फ़ायदा? ना शकल अच्छी है ना रंग अच्छा है गौतम का.. शहर में बिलकुल बेरंग हो गया है.. मुंह भी बांका है.. बोलता है तो लगता है दाँत ही गिर पड़ेंगे.. मैंने तो कहा ये रिश्ता तोड़ देते है पर तेरे पापा नहीं माने.. मेरी वैसे भी कहा चलती है..
कुसुम फ़िक्र से - इतना बुरी सूरत है..
हेमा आते हुए - अरे क्यों छेड़ती है कुसुम को.. देख कैसे चेहरा उतर गया है बेचारी का.. कुसुम ले ये देख तेरे दूल्हे की तस्वीर.. है ना चाँद का टुकड़ा..
कुसुम फ़ोन में तस्वीर देखकर देखती रह जाती है और ख़ुशी से शरमाते हुए अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से छुपा कर खड़ी हो जाती है..
मानसी - अरे शर्मा रही है.. माँ जी लगता है गौतम पसंद नहीं आया कुसुम को.. शादी के लिए मना कर देंते है..
कुसुम एक दम से - मैंने ऐसा कब कहा?
मानसी और हेमा एक साथ हँसते है..
कुसुम फ़ोन लेकर अपने कमरे में भाग जाती है और गौतम की तस्वीर देखती हुई उसे अपनी आँखों में बसाने लगती है.. कुसुम के मन में बहुत से ख्याल आ जा रहे थे जिनसे खुश होते और सोचके शरमाते हुए कुसुम गौतम की तस्वीर को अकेले में अपने होंठों से चुम के बार बार उसके साथ शादी होने और प्यार करने के सपने अपनी खुली आँखों से देख रही थी..
कुसुम के मन की सारी चिंता और फ़िक्र निकल चुकी थी जिसके जगह प्यार उमंग और भविष्य की सम्भावनाओं ने ले लिया था.. कुसुम बार बार गौतम की तस्वीर को कभी अपने सीने से लगाती तो कभी चूमती.. उसने अपने फ़ोन के स्क्रीन पर भी गौतम की तस्वीर लगा दी और सोचने लगी की वो गौतम को अपनी पलकों पर सजा कर रखेगी उसे बहुत खुश रखेगी और प्यार करेगी..
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क्या हुआ माँ? क्या कह रहे थे वो लोग?
सुमन कुसुम की तस्वीर गौतम को देकर - कल हम गाँव जाने वाले है.. रित निभाने..
गौतम बिना तस्वीर देखे - क्या रित? कोनसी रित औऱ ये तस्वीर किसकी है?
सुमन - ये तेरी दुल्हन की तस्वीर है ग़ुगु..
गौतम बिना तस्वीर देखे रखते हुए - मैं कोई शादी नहीं करने वाला..
सुमन - तेरी शादी हो चुकी है.. जब तू 2 साल का था..
गौतम - क्या बकवास कर रही हो माँ.. मेरी साथ फालतू मज़ाक़ करने की कोशिश भी मत करना.
सुमन - ये मज़ाक़ नहीं है ग़ुगु.. कुसुम तेरे चाचा चाची की एकलौती बेटी है..
गौतम - चाचा चाची की? पर हमारे यहां कजिन मेर्रिज कहा होती है?
सुमन - होती है.. तेरे पापा से पूछना बाकी बातें.. मुझे बहुत काम है..
गौतम - काम गया माँ चुदाने.. ये हो क्या रहा है? साफ साफ बताओगी?
सुमन - ग़ुगु जैसे साउथ इंडिया में कजिन मैरिज होती है वैसे ही हमारे गाँव औऱ आस पास के गाँव में भी होती है.. तेरे पापा जिस समाज से है वो लोग सकड़ो साल पहले साउथ इंडिया आकर यहां बसे थे.. बचपन में मैंने तेरी औऱ कुसुम की शादी करवा दी थी मगर फिर बटवारे में विवाद के कारण मैं तुझे गाँव से लेकर यहां आ गई.. अब हमें वापस जाना होगा औऱ तुझे कुसुम के साथ रित निभाकर उसके साथ बंधन करना होगा..
गौतम - मैं कुछ नहीं करने वाला.. औऱ उस शादी को मना कर दो..
सुमन - नहीं कर सकते ग़ुगु.. अगर हमने मना किया तो मानसी पंचयात में चली जायेगी फिर पंचायत हमारे खिलाफ फैसला कर देगी.. जैसे सालों पहले जगन के साथ किया.. शादी तोड़ने के अपराध में उसे जान देनी पड़ी थी..
गौतम - अब वक़्त बदल चूका है माँ.. क़ानून से काम होता है..
सुमन - पंचायत का क़ानून ही सबकुछ है वहा गौतम. वो लोग नियम के मामले में बहुत कठोर है.. तुझे कल चलना ही होगा..
गौतम - तुम चाहती हो मैं वहा जाऊ औऱ कुसुम के साथ रीत निभाऊ उसे अपनी पत्नी बनाऊ?
सुमन - हाँ.. मैं चाहती हूँ..
गौतम - तो ठीक है मैं कल जाऊँगा.. लेकिन आज तुमको वो सब करना pdate होगा जो मैं कहूंगा..
सुमन अपनी साडी का पल्लू गिराते हुए - मैं तैयार हूँ गौतम..
गौतम सुमन साडी खोलने से रोकता हुआ - यहां नहीं सुमन..
सुमन - तो?
गौतम सुमन को अपने साथ घर से लेकर कहीं बाहर चला जाता है...
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Update 47
सुबह के सात बज चुके थे औऱ जगमोहन बेड पर ओंधे मुंह पड़ा हुआ कराटे मार रहा था.. सुमन उठकर नहा चुकी थी औऱ चाय बनाकर गौतम के कमरे की तरफ बढ़ गई थी.. गौतम भी आज जल्दी ही उठ गया था औऱ नहा चूका था..
सुमन चाय बेड के ऊपर सिरहने रखती हुई - चाय पिले शहजादे..
गौतम बेड से उठकर सुमन का हाथ पकड़ते हुए - इस शहजादे को चाय नहीं तुम्हारी चुत चाहिए शहजादी..
सुमन मुस्कुराते हुए - शहजादी तो चुत देने के लिए कब से तैयार है पर सही मौका औऱ दस्तूर भी तो हो..
गौतम सुमन का हाथ चूमते हुए - इतना सब्र किया तो कुछ पल औऱ सही..
सुमन गौतम के बालो को हल्का सा इधर उधर करते हुए - अब चाय पीके जा यहां से.. वो लोग आने वाले ही होंगे..
गौतम सुमन को बाहों में भरके गाल पर चुम्बन करते हुए - जो हुकुम मेरी सहजादी..
सुमन वहा से बाहर आ जाती है औऱ गौतम चाय पीके अपनी बाइक उठाकर बाहर चला जाता है..
गोतम कहा है?
मुझे क्या पता? गया होगा अपने दोस्तों के पास..
सुमन तूने जानबूझकर उसे बाहर भेजा है ना..
मैं क्यों उसे भेजनें लगी? वो खुद ही अपनी मर्ज़ी से गया है..
जगमोहन चिढ़ते हुए - मैं भी कहा तुमसे बात करने बैठ गया.. चाय ला दो..
सुमन - बनाके रखी है छन्नी करके पिलो..
जगमोहन उठकर जाता है कमरे से बाहर निकलता है की दरवाजे पर दो औरत औऱ एक आदमी दिखाई देते है..
जगमोहन उन्हें देखकर - माँ..
जगमोहन की माँ हेमा - जग्गू...
बृजमोहन - जग्गू भईया..
जगमोहन - आओ अंदर आओ..
हेमा उस घर देखकर - घर तो बड़ा सुन्दर बनाया है तूने जग्गू?
जगमोहन - आओ ना माँ.. बैठो... अरे सुमन देखो.. माँ मानसी औऱ ब्रजमोहन आये है..
सुमन कमरे से बाहर आकर बेरुखी से देखते हुए..
मानसी - कैसी हो सुमन?
सुमन - जैसी 18 साल पहले थी..
हेमा - बहु हमारा गौतम कहा है? अब तो बहुत बड़ा हो गया होगा.. पिछली बार जब दो साल का था तब देखा था उसे.. उसके बाद तो उसे देखने को आँखे ही तरस गई..
सुमन - मेरा गौतम दोस्तों के साथ बाहर गया है..
मानसी - सुमन तुम गाँव क्यों नहीं आई इतने सालों में..
सुमन - वहां मेरे औऱ मेरे ग़ुगु के लिए अब बचा ही क्या है..
बृजमोहन - ऐसा क्यों कहती हो भाभी.. वहा आपका घर है..
सुमन - घर औऱ जमीने तो तुमने अपने भाई से छीनकर अपने पास रख ली थी याद है.. सुना है सारी जमीन साहूकार को बेच दी तुमने अपनी ऐयाशी पूरी करने के लिए..
हेमा - सुमन.. पुरानी बातों को भूल जाओ.. उनसे अब किसी का भला नहीं होने वाला.. बृजमोहन अब बदल चूका है..
सुमन - सब लुटा कर अब बदलने की क्या जरुरत.. घर औऱ खेत बाकी है उसे भी बेच देते..
जगमोहन - सुमन.. ऐसे बात करते है अपनी सास से.. इतने सालों बाद आये है.. जाओ चाय औऱ नाश्ता बना दो.. सबके लिए..
सुमन बिना कुछ बोले रसोई में चली जाती है औऱ चाय बनाने लगती है..
उसके साथ ही मानसी भी सुमन के पीछे पीछे रसोई में चली जाती है..
जगमोहन बृजमोहन औऱ हेमा के साथ हॉल में लगे बड़े से सोफे पर बैठ जाता है औऱ बातें करने लगता है..
मानसी - सुमन.. लाओ मैं चाय बना देती हूँ.
सुमन - रहने दो मानसी.. मेहमान हो.. मैं बना लुंगी..
मानसी - इतनी भी क्या नाराज़गी सुमन.. मैं कोई पराई तो नहीं हूँ..
सुमन - अपनी भी कहा थी तुम मानसी..
मानसी - मैं जानती हूँ सुमन तुम गुस्सा हो हमसे पर मेरी बस में ना ही कल कुछ था ना ही आज कुछ है..
सुमन - साफ साफ कहो मानसी.. यहां क्यों आई हो?
मानसी - अपने जमाई को लेने..
सुमन - कोनसा जमाई? वो रिश्ता वही तोड़ के मैं यहां आई थी..
मानसी - तुम्हारे मेरे तोड़ने से रिश्ते नहीं टूटते सुमन.. गाँव में पंचायत के लोगों के सामने वो रिश्ता बना था.. बात तय हुई थी..
सुमन - बच्चों की शादी को सरकार भी शादी नहीं मानती मानसी..
मानसी - मगर पंचायत मानती है.. औऱ तुम जानती हो हमारे यहां ये फैसले कितने कड़ाई से निभाये जाते है..
सुमन - निभाए जाते होंगे.. मगर अब नहीं.. मैं मेरे ग़ुगु को हरगिज़ उस गाँव में नहीं जाने दूंगी..
मानसी - जाना तो उसे पड़ेगा सुमन.. कुसुम अब 18 साल की दहलीज़ को लांघ चुकी है.. उसे गौतम को अपनाना ही होगा..
सुमन - ऐसा नहीं होगा मानसी.. गौतम उसी से शादी करेगा जिससे उसका मन होगा..
मानसी - पर उसकी शादी हो चुकी है सुमन.. याद है तुम्हींने मेरी कुसुम को गोद में उठाकर कहा था ये ग़ुगु की दुल्हन बनेगी.. तुम्हारी मर्ज़ी शामिल थी उसमे..
सुमन - तब तक बटवारा नहीं हुआ था मानसी.. मुझे अगर पता होता कि तुम मेरे साथ ऐसा करोगे तो कभी वो सब नहीं करती..
मानसी - मैंने तुम्हारे साथ कभी कुछ गलत नहीं किया सुमन.. तुम जानती हो मेरा दिल साफ है.. अब मैं अपनी बेटी के लिए उसके पति को माँगने आई हूँ.. गाँव आकर गौतम कुसुम को पंचायत के सामने अपना कर अपने साथ रख ले बस.. मैं औऱ कुछ नहीं चाहती..
सुमन - ऐसा नहीं होगा मानसी.. गौतम को भूल जाओ.. कुसुम के लिए कोई औऱ लड़का देख लो..
मानसी - एक बार जिस लड़की का विवाह हो जाता है उसका किसी औऱ के साथ विवाह नहीं करवाया जाता.. अगर गौतम खुद गाँव आकर कुसुम को अपना नहीं बनाता तो मैं पंचायत में गौतम के खिलाफ गुहार लगा दूंगी.. औऱ तुम जानती हो पंचायत के नियम कितने कड़े है..
सुमन - तुम्हे जो करना है करो मानसी.. मेरा गौतम उस गाँव में नहीं जाएगा..
मानसी - उसे आना पड़ेगा सुमन.. वरना पंचायत ने जगन के साथ जो किया था तुम अच्छे से जानती हो.. तुम्हारी ज़िद कहीं सब ख़त्म ना कर दे..
सुमन - धमकी दे रही हो..
मानसी - नहीं.. भीख मांग रही हूँ.. अपनी कुसुम के लिए तुम्हारे गौतम की.. मेरी बात मान जाओ सुमन.. मैंने कुसुम को बहुत सभालके पाला पोसा है.. वो गौतम का अच्छे से ख्याल रखेगी.. औऱ तुम्हे भी कोई शिकायत का मौका नहीं देगी.
सुमन - चाय बन गई है.. लो.. लेजाकर दे दो..
मानसी अपने पर्स में से एक तस्वीर निकालकर सुमन के सामने रख देती है औऱ चाय की ट्रे उठाकर रसोई से बाहर आ जाती है औऱ सबको चाय दे देती है.. सुमन की नज़र तस्वीर पर पडती है औऱ वो कुसुम की तस्वीर को देखने लगती है.. सुमन कुसुम को देखने लगती है और मन ही मन वो भी कुसुम को गौतम के लिए सही मानते हुए दोनों का बंधन होने की बात सोचने लगती है..
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सलामपुर गाँव में खेतो को पार करके जंगल के मुहाने पर कटीली झाड़ियों के पीछे दो सहेलियां पानी का मग्गा लेके टट्टी करने बैठी थी..
अरे कुसुम.. सुना आज तेरे मम्मी पापा तेरे दूल्हे से मिलने गए है.. कहीं झुमरी के दूल्हे की तरह तेरा दूल्हा भी काला कलूटा औऱ भद्दा निकला तो.. तू चाँद सी चितवन काया वाली औऱ वो अँधेरी काली रात..
कुसुम - नहीं.. मीना.. ऐसा मत बोल.. मैं मर ही जाउंगी अगर ऐसा हुआ तो.. दादी ने बताया था वो बचपन में बहुत प्यारे लगते थे.. अब भी शायद वैसे ही हो..
मीना - अच्छा.. औऱ फुलवा की जैसे शराबी औऱ जुवारी निकला तो..
कुसुम - तू औऱ कुछ नहीं बोल सकती क्या.. मेरी तो टट्टी भी बंद हो गई तेरी बातें सुनकर..
मीना हसते हुए - अरे तो मुझसे कह दे.. तेरी गांड में ऊँगली डालकर निकाल देती हूँ टट्टी..
कुसुम शरमाते हुए मग्गे से पानी हाथ में लेकर गांड धोती हुई - हट बेशर्म.. चल अब..
मीना भी गांड धोती हुई - हाय कैसे शर्माती है तू.. जब तेरा दूल्हा पटक पटक के चोदेगा ना तब सारी शर्म निकल जाएगी.. मेरे वक़्त तो तू भी बड़ा बोलती थी.. अब अपना वक़्त आया तो कैसे चुप है..
कुसुम खेत की पगदंडी से मीना के साथ वापस घर आती हुई - चुदाई में दर्द होता होगा ना मीना..
मीना - पहले पहल होता है फिर मज़ा आता है.. मन करता है बस चुदवाते ही रहो.. देख चुदाई की बात करके तेरे चुचक कैसे खड़े हो गए.. मिलन की रातों में जब तेरे ये नुकिले चुचक तीर की तरह तेरे दूल्हे के सीने में चुभेगे तो उसे मज़ा ही आ जाएगा..
कुसुम शरमाते हुए - धत..
मीना कुसुम के चुचे अचानक से मसलकर - शर्मा क्यों रही है सहेली.. अब तेरे खेत में हल चलाने वाला जल्दी ही आने वाला है.. तेरी छोटी सी चुत को वो बड़ा कर देगा..
कुसुम मुस्कुराते हुए - घर आ गया.. तू भी जा...
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पता नहीं आज ये फ़ोन क्यों नहीं उठा रहा..
रहने दो भईया.. आप तो उसे कल गाँव लेकर आ जाना.. कुसुम औऱ गौतम की रित निभाना है.. फिर जल्द ही दोनों का बंधन भी करवा देंगे..
मानसी - हाँ.. मेरा बहुत मन था गौतम को देखने का.. मगर आज नहीं तो कल सही.. जब वो गाँव आएगा तब देख लुंगी..
हेमा - अब चलना चाहिए.. कुसुम अकेली है.. शाम से पहले वापस पहुंचना है..
जगमोहन - माँ आप रुकिए मैं टेक्सी बुलवा देता हूँ..
सुमन - रहने दीजिये.. मैंने फ़ोन कर दिया था.. गौतम आने वाला होगा वही बस स्टेण्ड तक छोड़ आएगा..
मानसी ख़ुशी से - ये कितनी अच्छी बात है सुमन.. मतलब आज मैं अपने जमाई को देख सकती हूँ..
गौतम बाहर बाइक खड़ी करके अंदर आता है तो उसे देखकर हेमा मानसी औऱ बृजमोहन अपनी जगह से खड़े हो जाते है औऱ मानसी सुमन को देखकर कहती है..
मानसी - सुमन ये हमारा गौतम है ना?
सुमन - मानसी ये मेरा गौतम है..
मानसी सुमन की बात सुनकर आगे बढ़ती है औऱ गौतम को अपने गले से लगाकर - कितने प्यारा औऱ चाँद सा मुखड़ा है.. बिलकुल कोई शहजादा लगने लगा है.. माँ देखो ना..
हेमा आगे बढ़कर गौतम के चेहरे को चूमती हुई - हाँ सुमन.. मेरे पोते के जैसा सुन्दर और प्यारा तो कोई दूसरा ना होगा..
मानसी तस्वीर लेते हुए - अब तक हमसे छुपा के रखा था सुमन ने.. मगर आज देखो..
हेमा - बेटा मैं तेरी दादी..
गौतम पैर छूता है..
हेमा गले से लगाते हुए - अरे रहने दे ये सब.. तू तो मेरा अपना है.. तेरी माँ ने कब से तुझे हमसे छुपा के रखा था.. आज मिला है..
सुमन - ग़ुगु.. दादी औऱ चाचा चाची को बस स्टैंड तक छोड़ आ जरा..
गौतम सुमन की बात सुनकर उन सबको कार में बैठा कर बस स्टेण्ड छोड़कर आ जाता है.. तब तक जगमोहन घर से जा चूका था..
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मानसी - कुसुम.. कुसुम.. कहा गई ये लड़की?
कुसुम - माँ सहेली के पास गई थी.. कुछ काम था..
मानसी - कल रीत का सारा सामान तूने रख लिया है ना..
कुसुम - जी..
मानसी - ठीक है.. कल समय से तैयार रहना.. किसी सहेली के यहां ना चले जाना..
कुसुम - माँ..
मानसी - बोल..
कुसुम - वो माँ आप..
मानसी मुस्कुराते हुए - क्या बोल ना..
कुसुम - नहीं.. कुछ नहीं..
मानसी - तेरे दूल्हे से मिली या नहीं यही पूछना चाहती है ना मेरी लाडो..
कुसुम शरमाते हुए - माँ..
मानसी - तस्वीर देखेगी अपने होने वाले दूल्हे की?
कुसुम शरमाते हुए कुछ नहीं बोलती और चुपचाप खड़ी रहती है..
मानसी छेड़ते हुए - नहीं देखनी तो तेरी मर्ज़ी.. मुझे क्या
कुसुम - आप तस्वीर लेके आई हो..
मानसी कुसुम से मसखरी करते हुए - हाँ.. पर क्या फ़ायदा? ना शकल अच्छी है ना रंग अच्छा है गौतम का.. शहर में बिलकुल बेरंग हो गया है.. मुंह भी बांका है.. बोलता है तो लगता है दाँत ही गिर पड़ेंगे.. मैंने तो कहा ये रिश्ता तोड़ देते है पर तेरे पापा नहीं माने.. मेरी वैसे भी कहा चलती है..
कुसुम फ़िक्र से - इतना बुरी सूरत है..
हेमा आते हुए - अरे क्यों छेड़ती है कुसुम को.. देख कैसे चेहरा उतर गया है बेचारी का.. कुसुम ले ये देख तेरे दूल्हे की तस्वीर.. है ना चाँद का टुकड़ा..
कुसुम फ़ोन में तस्वीर देखकर देखती रह जाती है और ख़ुशी से शरमाते हुए अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से छुपा कर खड़ी हो जाती है..
मानसी - अरे शर्मा रही है.. माँ जी लगता है गौतम पसंद नहीं आया कुसुम को.. शादी के लिए मना कर देंते है..
कुसुम एक दम से - मैंने ऐसा कब कहा?
मानसी और हेमा एक साथ हँसते है..
कुसुम फ़ोन लेकर अपने कमरे में भाग जाती है और गौतम की तस्वीर देखती हुई उसे अपनी आँखों में बसाने लगती है.. कुसुम के मन में बहुत से ख्याल आ जा रहे थे जिनसे खुश होते और सोचके शरमाते हुए कुसुम गौतम की तस्वीर को अकेले में अपने होंठों से चुम के बार बार उसके साथ शादी होने और प्यार करने के सपने अपनी खुली आँखों से देख रही थी..
कुसुम के मन की सारी चिंता और फ़िक्र निकल चुकी थी जिसके जगह प्यार उमंग और भविष्य की सम्भावनाओं ने ले लिया था.. कुसुम बार बार गौतम की तस्वीर को कभी अपने सीने से लगाती तो कभी चूमती.. उसने अपने फ़ोन के स्क्रीन पर भी गौतम की तस्वीर लगा दी और सोचने लगी की वो गौतम को अपनी पलकों पर सजा कर रखेगी उसे बहुत खुश रखेगी और प्यार करेगी..
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क्या हुआ माँ? क्या कह रहे थे वो लोग?
सुमन कुसुम की तस्वीर गौतम को देकर - कल हम गाँव जाने वाले है.. रित निभाने..
गौतम बिना तस्वीर देखे - क्या रित? कोनसी रित औऱ ये तस्वीर किसकी है?
सुमन - ये तेरी दुल्हन की तस्वीर है ग़ुगु..
गौतम बिना तस्वीर देखे रखते हुए - मैं कोई शादी नहीं करने वाला..
सुमन - तेरी शादी हो चुकी है.. जब तू 2 साल का था..
गौतम - क्या बकवास कर रही हो माँ.. मेरी साथ फालतू मज़ाक़ करने की कोशिश भी मत करना.
सुमन - ये मज़ाक़ नहीं है ग़ुगु.. कुसुम तेरे चाचा चाची की एकलौती बेटी है..
गौतम - चाचा चाची की? पर हमारे यहां कजिन मेर्रिज कहा होती है?
सुमन - होती है.. तेरे पापा से पूछना बाकी बातें.. मुझे बहुत काम है..
गौतम - काम गया माँ चुदाने.. ये हो क्या रहा है? साफ साफ बताओगी?
सुमन - ग़ुगु जैसे साउथ इंडिया में कजिन मैरिज होती है वैसे ही हमारे गाँव औऱ आस पास के गाँव में भी होती है.. तेरे पापा जिस समाज से है वो लोग सकड़ो साल पहले साउथ इंडिया आकर यहां बसे थे.. बचपन में मैंने तेरी औऱ कुसुम की शादी करवा दी थी मगर फिर बटवारे में विवाद के कारण मैं तुझे गाँव से लेकर यहां आ गई.. अब हमें वापस जाना होगा औऱ तुझे कुसुम के साथ रित निभाकर उसके साथ बंधन करना होगा..
गौतम - मैं कुछ नहीं करने वाला.. औऱ उस शादी को मना कर दो..
सुमन - नहीं कर सकते ग़ुगु.. अगर हमने मना किया तो मानसी पंचयात में चली जायेगी फिर पंचायत हमारे खिलाफ फैसला कर देगी.. जैसे सालों पहले जगन के साथ किया.. शादी तोड़ने के अपराध में उसे जान देनी पड़ी थी..
गौतम - अब वक़्त बदल चूका है माँ.. क़ानून से काम होता है..
सुमन - पंचायत का क़ानून ही सबकुछ है वहा गौतम. वो लोग नियम के मामले में बहुत कठोर है.. तुझे कल चलना ही होगा..
गौतम - तुम चाहती हो मैं वहा जाऊ औऱ कुसुम के साथ रीत निभाऊ उसे अपनी पत्नी बनाऊ?
सुमन - हाँ.. मैं चाहती हूँ..
गौतम - तो ठीक है मैं कल जाऊँगा.. लेकिन आज तुमको वो सब करना होगा जो मैं कहूंगा..
सुमन अपनी साडी का पल्लू गिराते हुए - मैं तैयार हूँ गौतम..
गौतम सुमन साडी खोलने से रोकता हुआ - यहां नहीं सुमन..
सुमन - तो?
गौतम सुमन को अपने साथ घर से लेकर कहीं बाहर चला जाता है...
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