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Thanksभाई तुम इकलौते राइटर हो जिसकी अपडेट समय पे आती हे।
Thanksभाई तुम इकलौते राइटर हो जिसकी अपडेट समय पे आती हे।
Mujhe lagata hai ki gugu n sabka sath galat kia...bhale hi sab sex k lia gugu k sath tha.. lekin kahi na kahi ek emotional attachment main bhi tha unka gugu ka sath...per writer bhai na kuch aur hi socha...dekhta h kya hota h abbUpdate 46
केसा गया इम्तिहान?
जैसा हर बार जाता है..
मतलब इस बार भी पास हो जाएगा..
उसमे आपको कोई शक है?
नहीं.. मैं तो बस पूछ रही थी.. आखिरी इम्तिहान भी ख़त्म अब फ्री..
तो? अब आपको कोई औऱ काम है मुझसे?
अरे इतना क्यों बिगड़ता है ग़ुगु..
मैं कहा बिगड़ रहा हूँ माँ.. आप ही कब से कितने फालतू सवाल पूछ रही हो.. हटो मुझे नींद आ रही है..
ग़ुगु अभी तो दिन है औऱ दिन में ही तुझे सोना है?
रातभर जाग कर रिवीज़न कर रहा था.. सुबह एग्जाम देने चला गया अब सोना है.. आप तो आज मेरे पीछे ही पड़ गई माँ..
अच्छा ठीक है सो जा.. शाम को कहीं जाना है..
कहाँ जाना है शाम को?
मेरी एक सहेली है उसने invite किया है 25th एनिवर्सरी मना रही है आज अपनी शादी की..
आपकी कोनसी सहेली आ गई.. आज तक तो किसी से बात करते नहीं देखा आपको.. अब अचानक से ये कौन पैदा हो गई..
अरे है एक सहेली.. तू नहीं जानता.. कभी मेरी साथ मार्केट आता तो जानता.. मगर तू चलता ही नहीं.. कुल्लू दर्जी की दूकान के पास सलून है उसका.. मिसेस झांटवाली नाम है..
गौतम हसते हुए - क्या? झांटवाली ? ये केसा नाम है.. औऱ वो झांटवाली है तो आप क्या बिना झांटवाली हो? आपकी भी तो कितनी लम्बी लम्बी झांटे थी. पहली बार तो मेरी मुंह में ही आ गई थी..
सुमन - मज़ाक़ नहीं.. शाम को 7 बजे हम चल रहे है मतलब चल रहे है..
गौतम - ठीक है चल चलेंगे.. अब सोने दो औऱ शाम को उठा देना..
सुमन - अच्छा मेरी शहजादे..
ग़ुगु कब तक सोता रहेगा बेटा? देख साढ़े छः बज गए.. चल उठ जा.. कब से सो रहा है.. इम्तिहान ख़त्म हुए तो क्या सोता ही रहेगा?
उठ रहा हूँ यार माँ..
उठा जा.. बच्चा.. चल आँख खोल..
चाय बना दो ना एक कप..
कोई चाय वाई नहीं है ग़ुगु.. जल्दी से बाथरूम जा औऱ मुंह हाथ धोकर तैयार हो जा.. जाना है..
माँ छोडो ना.. कहा जाना है.. आप भी किसी ने एक बार बुलाया औऱ जाने को तैयार हो गई...
ग़ुगु एक बार नहीं कई बार बोला है कार्ड भी व्हाट्सप्प किया है.. बेटा अच्छा नहीं लगता ऐसे बार बार बुलाने पर ना जाए तो.. सलून जाती हूँ तो मुझसे पैसे भी कम लेती है.. अगर नहीं गई तो कहीं नाराज़ ना हो जाए..
गौतम उठकर बाथरूम जाते हुए - अच्छा ठीक है.. कपडे निकाल दो.. मैं नहा के आता हूँ..
सुमन - ठीक है.. निकालती हूँ..
गौतम बाथरूम से - आप भी जो करना है कर लो.. फिर मुझे तैयार करके खुद आईने के सामने बैठी रहोगी..
सुमन मुस्कुराते हुए कपडे निकालकर बेड पर रखती हुई - जैसा तेरा हुकुम.. मेरे दिल के चोर..
गौतम नहाने के बाद कपडे पहन के परफ्यूम लगाते हुए - आपके सात बज गए माँ.. मैं तो तैयार हूँ आप हुई या नहीं?
सुमन - बस थोड़ी देर.. होने ही वाली हूँ..
गौतम जूते पहनते हुए - कितना टाइम?
सुमन - बस 10 मिनट ग़ुगु..
15 मिनट बाद..
गौतम - माँ यार औऱ कितना टाइम?
सुमन - हो गया बेटा.. सिर्फ काजल लगा रही हूँ..
गौतम कमरे में आते हुए सुमन को देखकर - साडी भी नहीं पहनी आपने अभी तक?
सुमन - बस पहनने ही वाली हूँ ग़ुगु. तू तो जानता है औरत को तैयार होने में कितना टाइम लगता लगता है बेटा..
गौतम बेड पर बैठते हुए - क्यों हो रही हो इतना तैयार? सोना तो चुत में ऊँगली करके ही है.. फिर ये मेहनत किसलिए?
सुमन मुस्कुराते हुए - तू भी ना ग़ुगु... अब इतने बड़े फंक्शन में जा रहे है. थोड़ा तैयार तो होके ही जाना पड़ेगा.. तेरी तरह फट से तैयार तो नहीं हो सकती ना मैं.. मेकअप करने में टाइम तो लगता ही है ना..
गौतम - तो क्यों करना है मेकअप? मेकअप के बाद आपको देखकर मेरे दिल पर जो छुरिया चलती है उसका क्या? छोटा ग़ुगु तो बेचारा खड़ा का खड़ा ही रह जाता है.. पता नहीं कब उसे आपका खज़ाना मिलेगा..
सुमन हसते हुए आईने के सामने से उठकर साडी उठाकर पहनती हुई - छोटे ग़ुगु को समझाओ कि इस पार्किंग में ये गाडी पार्क नहीं हो सकती..
गौतम - समझें तब ना माँ.. कब से ज़िद पर अड़ा हुआ है.. गाडी तो इसी पार्किंग में लगेगी..
सुमन साडी पहनती हुई - तो अपने से दुगुनी उम्र कि जो तूने दोस्त मनाई है उनकी पार्किंग में गाडी पार्क कर दे..
गौतम - उनमे औऱ आपमें फर्क है माँ...
सुमन साडी पहनकर कुछ सोचती हुई - तो फिर एक ही रास्ता है तुझे दो में एक को चुनना होगा..
गौतम - किन दो में से?
सुमन - मैंने बहुत सोचा औऱ अब अपने मन को समझा लिया है गौतम.. मगर तुझे मेरी औऱ अपनी सभी रखैल में से एक को चुनना होगा.. या मुझे अपना बना ले या उन सब औरतों को जिसके साथ तूने सम्बन्ध बनाये है.. फैसला तेरा है.. मैं ये नहीं बर्दास्त कर सकती जो मेरा हो वो किसी औऱ का भी हो...
गौतम - माँ क्या कह रही हो? वो सब अकेली औऱ प्यार की भूखी है उन्हें मैं प्यार नहीं करूँगा तो कौन करेगा?
सुमन लिपस्टिक लगाते हुए - वो सब मुझसे क्यों पूछता है? मैंने थोड़ी कहा था इतनी सारी औरतों के साथ अपना ये चाँद सा गोरा मुंह काला कर.. अब चल.. पहुंचते हुए आठ बज जाएंगे...
गौतम सुमन के साथ घर से निकलता हुआ - अरे ये क्या बात हुई? समंदर देने के बदले मुझसे मेरी नादिया ही छीन रही हो आप तो..
सुमन दरवाजे पर ताला लगती हुई - सोच ले मेरे कच्चे बादाम.. तुझे जो चाहिए वो मिल जाएगा पर कीमत चुकानी पड़ेगी..
गौतम कार मैं बैठते हुए कार स्टार्ट करके चलाना शुरु करते हुए - कोई औऱ उपाय नहीं है क्या? ये तो बहुत दुविधा में डाल रही हो आप.. मेरे ऐसा करने पर कितनो का दिल टूटेगा पता है ना आपको?
सुमन खिड़की से बाहर देखते हुए - मुझे कुछ नहीं पता.. तुम सोच सकते हो आज रात तक का समय है तुम्हारे पास..
गौतम - इसमें सोचना क्या है.. आप मेरा फैसला जानती हो.. पर आप कैसे मुझसे ये करवा सकती हो माँ.. ऐसा करते हुए मुझे खुद बहुत बुरा फील होगा..
सुमन एक सिगरेट निकालकर अपने होंठों पर लगाकर सुलगाती है औऱ एक कश लेकर कहती है - जब मेरी चुत में अपना लंड डालके मुझे चोदेगा तब तुझे केसा फीलिंग होगा?
गौतम मुस्कुराते हुए - अच्छा मंज़ूर है.. पर एक शर्त मेरी भी है..
सुमन सिगरेट के कश लेती हुई - क्या?
गौतम ठेके के आगे गाडी रोककर - बताता हूँ.. रुको..
गौतम ठेके पर जाकर एक 2 बियर के केन ले आता है औऱ वापस गाडी चलते हुए सुमन को एक बियर का केन खोलकर देते हुए कहता है - आपके अलावा मुझे दो औरत औऱ चाहिए..
सुमन सिगरेट के साथ बियर पीती हुई - नहीं..
गौतम अपनी केन खोलकर उसमे से बियर पीते हुए - इतना तो रहम करो माँ.. बच्चा हूँ आपका.. तरस खाओ मुझपर..
सुमन सिगरेट का कश लगाकर - ठीक है एक.. पर उससे भी कभी कभी वाला रिलेशन रखना पड़ेगा..
गौतम बियर पीते हुए कुछ देर सोचकर - ठीक है..
सुमन - तो बोलो.. कौन होगी वो? कोमल, आरती, रजनी, माधुरी, रूपा, शबाना या शबनम?
गौतम - इनमे से कोई नहीं..
सुमन हैरानी से - तो औऱ कौन है?
गौतम मुस्कुराते हुए - आपकी ननद.. औऱ मेरी बुआ..
सुमन हसते हुए - पिंकी?
गौतम शरमाते हुए - हम्म्म...
सुमन बियर का आखिरी घूंट पीकर केन खिड़की से बाहर फेंकते हुए - एक बार फिर सोच लेना ग़ुगु.. मैंने मज़ाक़ नहीं कर रही..
गौतम - मैंने भी मज़ाक़ नहीं कर रहा.. उन सब से कैसे दूर रहना है मैं अच्छे से जानता हूँ..
सुमन - यही वाला गार्डन है शायद.. नाम पढ़ो जरा..
गौतम पार्किंग में गाडी लगाता हुआ - यही है माँ..
गौतम - चलो.. अंदर चलते है..
सुमन - रुको..
गौतम - क्या हुआ?
सुमन - ग़ुगु अब जब सब होने वाला है तो कुछ बातें साफ साफ कर लेना चाहती हूँ..
गौतम - कोनसी बात माँ..
सुमन - है कुछ बात ग़ुगु.. पहली तो ये की तू मुझे माँ सिर्फ लोगों के सामने कहेगा.. अकेले में सुमन कहकर ही बुलायेगा..
गौतम सुमन की जांघ पर हाथ रखकर सहलाते हुए - जैसा आप कहो सुमन...
सुमन गौतम के हाथ पर अपना हाथ रखकर -औऱ दूसरी की तू मुझे आप नहीं.. तुम या तू ही कहकर बात करेगा..
गौतम हाथ जांघ से चुत पर लेजाकर - जैसा तू कहेगी वैसा ही करूँगा सुमन.. औऱ कुछ..
सुमन - हाँ.. तेरा जब भी कुछ गन्दा कहने का मन हो या गाली देने का मन हो तू दे देगा.. खुदको रोकेगा नहीं..
गौतम - पर मैं गाली नहीं देता..
सुमन - मैंने सब जानती हूँ तू कितनी गाली देता है कैसे गाली देता है..
गौतम - पर सुमन...
सुमन - गौतम अगर तुझे मंज़ूर है तो बोल.. वरना कोई बात नहीं..
गौतम - अच्छा ठीक है.. यार.. औऱ कुछ?
सुमन शरमाते हुए - बिस्तर में बताउंगी..
गौतम मुस्कुराते हुए - तो वापस घर चले?
सुमन हसते हुए - पहले अंदर चलकर मिसेस झांटवाली से मिल तो ले औऱ खाना खा ले..
गौतम गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए - ठीक है. जब इतना सब्र किया है तो कुछ देर औऱ सही..
सुमन भी गाडी से उतरती है गौतम के साथ अंदर आ जाती है..
गौतम चकाचोध देखकर - काफी मालदार पार्टी लगती है..
सुमन - हाँ.. झांटवाली बता रही उसके हस्बैंड का ट्रांसपोर्ट का बीजनेस..
गौतम - अच्छा है.. मैं तो खाना खाऊंगा.. तुम मिल लो जिससे मिलना है...
सुमन - साथ में खाएंगे ग़ुगु.. अभी चल मेरे साथ..
गौतम - यार सुमन..
सुमन - ज्यादा नखरे मत कर.. चल..
गौतम - ठीक है चलो..
गौतम औऱ सुमन झांटवाली से मिलके वापस आ जाते है औऱ खाना खाने लगते है..
गौतम - मेरा तो हो गया.. आप खाओ मैं बाथरूम जाके आता हूँ..
सुमन - ठीक है..
गौतम बाथरूम में जाता है औऱ मूतने लगता है कि उसके फ़ोन पर जगमोहन का फ़ोन आता है..
गौतम - हेलो..
जगमोहन - कहाँ हो बेटा? घर ताला क्यों लगा है.. औऱ सुमन फ़ोन क्यों नहीं उठा रही है?
गौतम - माँ अपनी किसी सहेली के एनिवर्सरी फंक्शन में लेकर आई थी.. औऱ नाराज़ है आप से इसलिए फ़ोन भी नहीं उठा रही होगी..
जगमोहन - बात करवा अपनी मम्मी से..
गौतम वापस जाते हुए - रुको करवाता हूँ..
गौतम - लो बात करो..
सुमन - कौन है?
गौतम - पापा..
सुमन गुस्से से - बोलो.. क्या बात है?
जगमोहन - सुमन.. मेरी बात सुनो.. कल सुबह गाँव से माँ के साथ बृजमोहन और मानसी आने वाले है..
सुमन - तो? मैं क्या करू? औऱ इतने साल बाद तुम्हारे घरवालों को अचानक कैसे याद आ गई? अब क्या चाहिए उनको? जमीन औऱ घर को तो हड़प कर ही गए अब क्या हड़प करना चाहते है?
जगमोहन - सुमन.. फालतू बात मत करो.. बटवारे में पापा की नोकरी के बदले मैंने ही भईया को वो सब रखने को कहा था.. औऱ गौतम को सुबह घर पर ही रखना.. मैं सुबह जल्दी घर आ जाऊंगा..
सुमन - नहीं रहेगा वो घर पर..औऱ तुम अपने घरवालों से कहदो आने की कोई जरुरत नहीं है.. अब 18 साल बाद क्या लेने आ रहे है वो?
जगमोहन - अरे तुमसे तो बात करना बेकार है.. कोई बात नहीं समझती..
सुमन - मैं नहीं समझती तो अपनी उन रखैलो को समझा दो.. पहले तो एक ही थी अब तो दो-दो हो गई.. वो दोनों तुम्हारी बात अच्छे से समझ जायेगी..
जगमोहन - देख सुमन तेरी बातों के करण मैं घर दूर हूँ.. ऐसा करेंगी तो जिंदगी से भी दूर चला जाऊँगा..
सुमन - कल के जाते आज जाओ मेरी बला से.. मुझे क्या सुनाते हो..
जगमोहन - मुझे कुछ औऱ बात नहीं करनी.. कल वो लोग आ रहे है.. तू माँ औऱ बृजमोहन मानसी से कोई कड़वी बात नहीं करेगी.. (फ़ोन काटते हुए)
गौतम सुमन से - कौन आ रहा है? औऱ इतना क्यों गुस्से में हो?
सुमन - तेरी दादी औऱ चाचा चाची आ रहे है..
गौतम हैरानी से - पर पापा का कोई रिश्तेदार नहीं है.. आपने ही तो बताया था.. अब अचानक से ये लोग कहा से पैदा हो गए?
सुमन - पुरानी बात है ग़ुगु.. छोड़..
गौतम - बताओ ना.. क्या मुंह में दही जमा के बैठी हो तुम भी..
सुमन उठकर - चल घर चलते है...
गौतम साथ में चलते हुए - बात क्या है कुछ बताओगी?
सुमन पार्किंग जाते हुए - घर चल बताती हूँ..
गौतम कार में बैठकर - नहीं यही बताओ.. क्या बात है औऱ मुंह क्यों लटक गया तुम्हारा?
सुमन सिगरेट सुलगा कर कश लेती हुई - गौतम.. 18 साथ पहले तक तेरे पापा औऱ मैं गांव में तेरे पापा के परिवार के साथ रहते थे.. तेरे दादा दादी औऱ चाचा ब्रजमोहन चाची मानसी भी साथ रहते थे..
गौतम - कहा? कोनसा गाँव?
सुमन - सलामपुर.. यहां से 3 घंटे का रास्ता है..
गौतम - फिर क्या हुआ?
सुमन - एक दिन तेरे दादा मंगुलाल की मौत हो गई.. उसके बाद जमीन औऱ घर के बटवारे को लेकर तेरे चाचा चाची औऱ हमारे बीच मनमुटाव होने लगा.. तेरे पापा ने तेरे दादा की नोकरी के बदले सारी जमीन औऱ घर तेरे चाचा को दे दिया.. औऱ हम गाँव से यहां आ गए.. तेरे पापा ने एक छोटी सी हवलदार की नोकरी के बदले सारी जमीन औऱ घर दे दिया.. तेरे चाचा ब्रजमोहन ने अपने नशे की लत औऱ ऐश पूरा करने के लिए जमीन साहूकार को बेच दी..
गौतम - फिर क्या हुआ माँ?
सुमन सिगरेट का कश खींचती हुई धुआँ छोड़कर - होना क्या था ग़ुगु.. 18 साल हो गए मैंने आज तक पलटकर वापस उस गाँव में कदम नहीं रखा ना ही जगमोहन और पिंकी से तुझे इस बारे में बात करने औऱ बताने को कहा.. मैं तुझे सबसे दूर रखना चाहती थी.. मगर अब ना जाने क्यों वो लोग यहां आ रहे है..
गौतम सुमन के चेहरे से जुल्फ हटाते हुए - अरे इतनी सी बात.. तुम चिंता मत करो.. आ रहे है तो आने दो आकर चले जाएंगे.. तुम नहीं चाहती तो मैं उनसे नहीं मिलूंगा..
सुमन मुस्कुराते हुए सिगरेट का अगला कश लेकर - तू कितना अच्छा है ग़ुगु..
गौतम भी मुस्कुराते हुए - तू भी तो बहुत प्यारी है सुमन..
सुमन सिगरेट का आखिरी कश लेकर सिगरेट फेंक देती है औऱ गौतम के लबों पर अपने लब रखकर गौतम के होंठ चूमते हुए कहते है - अब घर ले चल अपनी माँ को..
गौतम सुमन को खींचकर अपनी गोद में बैठा लेता है औऱ गाडी स्टार्ट करके चलाते हुए - हमारी पहली चुदाई होने वाली है सुमन आज.. कुछ चाहिए तुझे बदले में?
सुमन गौतम को देखकर - तेरा लंड तो मैं ले ही लुंगी.. बाकी जो तुझे देना हो दे देना. तेरा फ़ोन आ रहा है ग़ुगु..
गौतम फ़ोन देखकर - रहने दो बाद मैं बात कर लूंगा.
सुमन - फ़ोन किसका है?
गौतम - अरे कोई स्टेज डायरेक्ट है.. पीछे पड़ा हुआ है कब से..
सुमन - क्या कह रहा है?
गौतम - अरे एक कंडोम कंपनी के प्रमोशन के लिए एक स्टेज नाटक कर रहा है दिल्ली में.. औऱ मुझे लीड एक्टर लेना चाहता है..
सुमन - तो क्या परेशानी है ग़ुगु.. कर ले.. पैसे भी दे रहे होंगे वो..
गौतम - पैसे तो दे रहा है मगर नाटक में सेक्स है भी करना पड़ेगा हीरोइन के साथ.. औऱ ये कोई आम नटाक नहीं है माँ.. सीक्रेट नाटक है 200 लोगों के सामने करना होगा.. इसके बारे में किसीको पता नहीं है.. सब लोग अँधेरे में शो में आते है नाटक देखकर निकल जाते है..
सुमन - अच्छा.. ऐसा क्या सीक्रेट नाटक है?
गौतम - वही.. Incest है.. एक लड़का अपनी माँ के साथ सेक्स करता है शो में.. औऱ इस कंपनी का कंडोम लगाता है जिससे दोनों HIV से बच जाते है..
सुमन - ये सब होता है? कैसे कैसे नाटक बनने लगे है.. वैसे पैसे कितने मिल रहे है..
गौतम - एक शो के 2 लाख देने को कह रहा था..
सुमन - अच्छा.. इतने देने को कह रहे है?
गौतम - हाँ.. हीरोइन को तो 5 लाख मिलते है.. शो के बाद डायरेक्ट प्रोडूसर से चुदवाना भी पड़ता है उसको.. पर छोडो.. हमें क्या.. कोनसी हमें पैसो की कमी है..
सुमन गौतम को देखती हुई - अच्छा... बहुत पैसे है तेरे पास?
गौतम - हम्म.. सब बुआ की मेहरबानी है.. बाइक फिर कार... बिना मांगे सब दे देती है.. बहुत प्यारी है..
सुमन जलन से - मैं प्यारी नहीं हूँ?
गौतम घर के आगे गाडी लगाते हुए - ये जानने के लिए तो बिस्तर में चलना पड़ेगा माँ..
सुमन मुस्कुराते हुए - मैंने तो हामी भर दी है मेरी दिल के टुकड़े... अब तू अपनी माँ को घर के बिस्तर में लेटाकर चोद या सडक के किनारे फुटपाथ पर.. मैं मना नहीं करने वाली...
गौतम सुमन को उठाकर घर के अंदर लता है औऱ बेड पर लेटा कर उसकी साडी उठाकर चुत चाटता हुआ चुत गीली करके अपना लंड को चुत पर टिका देता है मगर सुमन एक कंडोम गौतम के लंड पर पहना देती है औऱ अब घुसाने को कहती है.
गौतम - माँ यार अब क्या कंडोम का नाटक कर रही हो तुम? मैं कल प्रेगनेंसी रोकने की गोली लाकर दे दूंगा..
सुमन लंड पकड़कर अपनी चुत पर रगडती हुई - जब ले आओ तब कर लेना.. अभी तो ऐसे ही करना पड़ेगा..
गौतम सुमन के ऊपर आकर - जैसा तू बोले मेरी मेरी लोडे की ठंडक.. चल घुसा भी ले.. कब तक बस रगढ़ती रहेगी?
सुमन लंड को चुत के छेद पर टिका कर घुसाती हुई - आहहहहह... ग़ुगु कितना बड़ा है तेरा जा ही नहीं रहा अंदर... अह्ह्ह्ह...
गौतम दबाव डालकर लंड का टोपा घुसा देता है औऱ सुमन सिसकियाँ लेने लगती है दर्द से मचल उठती है..
गौतम - अभी तो सिर्फ टोपा गया है औऱ तू तड़पने लगी? चुदाई में क्या होगा?
सुमन सिसकते हुए -अह्ह्ह्ह.. ग़ुगु पता नहीं कैसे सिकुड़कर इतनी टाइट हो गई मेरी चुत? बहुत दर्द हो रहा है बेटा...
गौतम थोड़ा दबाब डालकर लंड अंदर डालने लगता है औऱ कहता है - माँ पूरी टाँगे फैला लो.. दर्द कम होगा..
सुमन टाँगे पूरी चौड़ी करके - बेटा धीरे धीरे घुसाना..
गौतम थूक लगा कर दबाब डालने ही लगता है की घर का दरवाजा बज जाता है...
गौतम गुस्से में - इस वक़्त कौन आ गया मादरचोद?
सुमन चुत पर से गौतम का लंड हटाकर साडी नीचे करके - देख तो ज़रा कौन है?
गौतम लंड पर से कंडोम उतारकर सुमन के ब्लाउज में डालता घुसा देता है औऱ लंड जीन्स में डालकर गेट खोलने जाता है...
आप?
क्या हुआ ग़ुगु?
कुछ नहीं..
आज आखिरी एग्जाम था ना..
हाँ..
ठीक गया?
हाँ पास हो जाऊँगा..
सुमन कहा है?
कमरे में है सो रही है..
ठीक है तू भी जाके सो जा..
सुमन बाहर आते हुए - यहां क्या लेने आये हो? रखैलो ने निकाल दिया किया?
जगमोहन - सुमन.. वापस ड्रामा शुरु करने की जरुरत नहीं है.. कमरे में चलो बैठके बात करते है..
सुमन - कमरे क्यों यही बात करो..
जगमोहन - गौतम सुन रहा है सुमन..
सुमन - तो सुनने दो.. उससे क्या छिपा है? तुम्हारी सारी करतूते तो वो पहले से ही जानता है..
जगमोहन सुमन का हाथ पकड़कर कमरे में ले जाता है औऱ गौतम अपने कमरे के बाथरूम में घुस जाता है औऱ अपने बाप जगमोहन को गाली देते हुए अपनी माँ सुमन की टाइट चुत को याद करके लंड हिलाने लगता है..
गौतम मन में - इस बहन के लोडे को भी अभी आना था.. सुबह नहीं आ सकता था साला.. इतने दिनों से फ़ोन तक नहीं किया औऱ अब अचानक आ धमका.. आज तो माँ चुदने ही वाली थी.. लंड का टोपा घुसते ही मचलने लगी.. जब लंड अंदर जाएगा तो क्या हालत होगी माँ की.. उफ्फ्फ बहनचोद.. सोचकर ही दिमाग खराब हो रहा है.. जिस चुत से पैदा होके निकला हूँ उसी चुत को चोद चोदकर मैंने अपनी माँ को नहीं रुला दिया तो लानत है मेरे मर्द होने पर.. उफ्फ्फ यार.. घोड़ी बनके चुदेगी तो कितना मज़ा देगी मेरी माँ.. कितनी कसी हुई चिकनी कमर है माँ की औऱ गांड तो जैसे मीसर के पिरामिड है.. बिलकुल परफेक्ट.. गोद में उठाके लंड के ऐसे ऐसे झटके मारूंगा ना कि माँ खुद बोलेगी.. बेटा धीरे.. आह्ह.. बेटा धीरे.. इतना माल भरूंगा माँ की चुत में कि पहली बार में ही बच्चा लग जाएगा.. अह्ह्ह..
गौतम ये सब सोचते हुए सुमन कि एक तस्वीर अपने फ़ोन में देखकर अपना लंड हिला रहा था उधर सुमन जगमोहन से झगड़ रही थी..
सुमन - अरे खड़ा होता नहीं तो क्यों शादी पर शादी किये जा रहे हो तुम? औऱ मेरी सहेली ही मिली थी शादी के लिए?
जगमोहन - अब कैसे समझाऊ तुझे? मैं फंसा हुआ था.. मेरी पास औऱ कोई चारा नहीं था.. अगर शादी नहीं करता तो हाथ से ये घर औऱ नोकरी दोनों चली जाती..
सुमन - जाती तो चली जाती.. कोनसा मेरी औऱ मेरे ग़ुगु के काम ही आ रही थी.. घर तो तुमने अपनी रखैलो के लिए बनाया था ना..पता क्या दिल बदला दोनों का और मुझे ये घर इतनी आसानी दे कर चली गई दोनों..
जगमोहन - सुमन रूपा ने मुझे पर दबाव बनाया था शादी का मैं नहीं करना चाहता था.. औऱ अगर किसी को पता चला कि मैंने तेरे अलावा माधुरी औऱ रूपा से शादी कर रखी है तो नोकरी गई समझो..
सुमन - वो सब तुम जानो.. मुझे उससे कोई लेना देना नहीं है.. तुमसे अच्छी तो तुम्हारी वो बहन पिंकी है.. उसे मैंने कितना भला बुरा कहा.. उसके लिए कितना ज़हर दिल में रखा लेकिन वो जितना मेरी ग़ुगु के लिए करती है उतना तो तुमने अब तक नहीं किया होगा..
जगमोहन - मैं तुमसे लड़ने झगड़ने नहीं आया सुमन..
सुमन - तो क्या अपने मरियल लंड की प्रदर्शनी लगाने आये हो मेरे सामने?
जगमोहन - सुमन.... ये मत भूलो मैं अब भी तुम्हारा पति हूँ औऱ गौतम का बाप..
सुमन - सिर्फ नाम के लिए.. औऱ अब 18 साल बाद क्यों आ रहे है वो लोग? एक छोटी सी नोकरी के बदले इतनी सारी जमीन हड़प कर ली घर भी रख लिया.. अब क्या चाहिए उन लोगों को हमसे?
जगमोहन - पुरानी बातों को छोडो सुमन.. कल जब मम्मी के साथ बृजमोहन आएगा तब पता चल ही जाएगा.. गौतम भी पहली बार अपनी दादी औऱ चाचा चाची से मिल लेगा..
सुमन - कोई जरुरत नहीं है गौतम को उनसे मिलने की.. मेरा बेटा किसीसे नहीं मिलेगा.. समझें तुम..
जगमोहन - वो मेरा भी बेटा है.. तेरे कहने पर मैंने उसे कुछ नहीं बताया.. मगर अब उसे एक बार तो अपने गाँव जाकर सबसे मिलना चाहिए..
सुमन - तुम्हे जाना है चले जाओ.. मैं गौतम को नहीं भेजूंगी.. ना खुद वहा जाउंगी..
जगमोहन - सुमन अब अगर तुम चुप नहीं हुई तो मेरा हाथ उठ जाएगा..
सुमन - हाथ तो नामर्द का भी उठ जाता है.. मर्द हो तो लंड उठा के बताओ.. तब जो कहोगे वो मानुँगी...
जगमोहन बेड पर बैठकर - मुझसे औऱ बहस नहीं होगी.. नींद आ रही है आज यही सोऊंगा..
सुमन लाइट बंद करके तकिया खींचकर बेड पर लेटते हुए - सोने के अलावा कर भी क्या सकते हो..
जगमोहन आगे कुछ नहीं कहता औऱ सो जाता है.. सुमन अपने ब्लाउज में से गौतम का पहना हुआ कंडोम निकालकर अपनर मुंह में डाल लेटी है औऱ चविंगम की तरह चबाने औऱ उसका स्वाद लेने लगती है वही गौतम अब अपनी माँ के नाम पर मुट्ठी मारके बाथरूम से बाहर आ चूका था औऱ अपने धागे को देखकर अब बारी बारी उसने बड़े बाबाजी के बताये अनुसार गायत्री, कोमल, शबनम, पूनम, सलमा, शबाना, रेशमा, आदिल, नरगिस, रज़िया, सिमरन, मनोज के मन से अपनी मनोरम औऱ मधुर मिलन की यादे और बाकी सारी बातें मिटा दी.. औऱ दुखी मन से सबकी तस्वीर देखते हुए अब अपनी माँ सुमन के साथ ही रहने का फैसला करते हुए बेड पर लेट गया.. उसने रूपा और माधुरी को भी छुपके मिलने का फैसला किया.. ऋतू और आरती से भी अपना रिश्ता परदे के पीछे वाला ही रखने का निर्णय लिया..
गौतम का मन दुखी था उसने पिंकी के अलावा लगभग सबके मन से अपनी यादे मिटा दी थी..
उसकी आँखों में नींद नहीं थी औऱ वो सोच रहा था की क्यों सुमन औऱ जगमोहन ने कभी उसे गाँव औऱ बाकी चीज़ो के बारे में नहीं बताया..
गौतम उदासी से पिंकी को फ़ोन कर दिया..
कैसी हो बुआ?
मैं अच्छी हूँ.. तेरा फ़ोन आने औऱ भी ज्यादा अच्छी हो गई बाबू.. आज अचानक इतनी रात को फ़ोन किया है जरुर कुछ बात होगी? कुछ चाहिए? एटीएम कार्ड में पैसे ख़त्म हो गए क्या? मैं अभी डालती हूँ..
अरे नहीं बुआ.. मैंने तो अभी तक एटीएम इस्तेमाल भी नहीं किया है.. औऱ उसमे इतना सारा पैसा है की मेरे इस्तेमाल करने से ख़त्म भी नहीं होगा...
पिंकी - तो ग़ुगु.. फिर क्या बात है? औऱ तेरी आवाज इतनी रूखी क्यों है? तू उदास है?
गौतम - नहीं बुआ.. मैं ठीक हूँ..
पिंकी - सच सच बता बाबू.. मैं अभी तेरे पास आ जाउंगी.. मेरे ग़ुगु को कोई परेशानी है?
गौतम - ऐसा कुछ नहीं है बुआ.. बस आपसे बात करने का मन हो रह था.. इसलिए फ़ोन कर लिया..
पिंकी छेड़ते हुए - अच्छा? गन्दी बातें करनी है मेरी साथ? चुत लंड वाली? मुझे याद करके हिला तो नहीं रहा तू.. वीडियो कॉल कर मुझे दिखा जरा.. मेरा ग़ुगु कैसे नाम की मुट्ठी मार रहा है..
गौतम - बुआ यार.. क्या कुछ भी बोल रही हो आप? मैंने बस नोर्मल्ली बात करने के लिए फ़ोन किया था.. रहने दो..
पिंकी - अच्छा सॉरी बाबू.. बोल.. खाना खाया?
गौतम - हाँ.. आपने खा लिया?
पिंकी - मैंने भी खा लिया बाबू.. बार बार उल्टी हो रही पाता नहीं क्या हुआ है मुझे सुबह डॉक्टर के जाउंगी... अभी बस सोने की तैयारी में थी.. तू पास होता तो लिपटकर सोती..
गौतम - आप पास होती तो मैं सोने कहाँ देता बुआ आपको? रातभर जगा के रखता.. औऱ बहुत तंग करता.. वैसे उल्टी क्यों हो रही है? कुछ गलत तो नहीं खा लिया?
पिंकी - नहीं कुछ गलत नहीं खाया.. और ऐसे तंग होने के लिए तो मैं कब से मरी जा रही हूँ.. तू जीतना तंग करेगा मैं उतना प्यार करूंगी..
गौतम - बुआ कुछ बात करती थी आपसे..
पिंकी - बोल ना बाबू.. क्या बात है?
गौतम - गाँव के बारे में.. कल गाँव से दादी औऱ चाचा चाची आने वाले है..
पिंकी - तुझे किसने बताया..
गौतम - पापा ने.. मगर आज तक उनके बारे में मुझे किसी ने नहीं बताया.. ना आपने ना माँ ने.. ना पापा ने..
पिंकी - बाबू तेरी माँ ने मना किया था सबको.. औऱ वैसे भी क्या फर्क पड़ता है.. गाँव में अब बचा भी क्या है? जितना कुछ था वो तो ब्रजमोहन भईया ने अपने शोक पुरे करने में गवा दिया.. मानसी भाभी ने भी उन्हें नहीं रोका... ले दे के अब एक घर औऱ एक छोटा सा खेत बचा है.. तू सोचना छोड़ दे ग़ुगु उस बारे में..
गौतम - बुआ कुछ बताओ ना स्वभाव केसा है सबका?
पिंकी - मुझे भी कितने साल हो गए बाबू गाँव छोड़े हुए.. मैं क्या बताऊ.. इतने सालो में कुछ बदल गया हो तो..
गौतम - हम्म्म..
पिंकी - तू कल मिलके खुद ही जान लेना..
गौतम - माँ मिलने कहाँ देगी? वो तो कह रही है सुबह जल्दी घर से कहीं चले जाता ताकि वो लोग मुझसे मिल ना पाए.. माँ बहुत नाराज़ लगती है..
पिंकी - नाराज़ तो होगी ही ना.. उनका हक़ जो छीन लिया था औऱ तेरे पापा ने भाईचारा निभाते हुए सारा कुछ दे भी दिया..
गौतम - मुझे गाँव जाने की इच्छा हो रही है बुआ.. आप भी आओगी ना..
पिंकी - नहीं ग़ुगु.. वहा मेरा क्या काम.. मैं तो पहले ही बदनाम हूँ.. वहा ना जाने कैसी कैसी बातें होती है मेरे बारे में..
गौतम - बुआ...
पिंकी - क्या बाबू..
गौतम - गीली वाली चुम्मी चाहिए..
पिंकी हसते हुए - उम्म्महा.. ले खुश? इस बार आना बहुत सारी चुम्मी करूंगी मेरे बाबू को..
गौतम - जल्दी आऊंगा बुआ.. आप तो अब आदत बन चुकी हो..
पिंकी - अच्छा अब सोना है या रातभर बातें ही करनी है.. नींद भी जरुरत है ना बाबू..
गौतम - ठीक है बुआ सोता हूँ.. गुडनाइट..
पिंकी - गुडनाइट बाबू.. बुआ loves you...
गौतम - i love you too बुआ..
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गयाUpdate 47
सुबह के सात बज चुके थे औऱ जगमोहन बेड पर ओंधे मुंह पड़ा हुआ कराटे मार रहा था.. सुमन उठकर नहा चुकी थी औऱ चाय बनाकर गौतम के कमरे की तरफ बढ़ गई थी.. गौतम भी आज जल्दी ही उठ गया था औऱ नहा चूका था..
सुमन चाय बेड के ऊपर सिरहने रखती हुई - चाय पिले शहजादे..
गौतम बेड से उठकर सुमन का हाथ पकड़ते हुए - इस शहजादे को चाय नहीं तुम्हारी चुत चाहिए शहजादी..
सुमन मुस्कुराते हुए - शहजादी तो चुत देने के लिए कब से तैयार है पर सही मौका औऱ दस्तूर भी तो हो..
गौतम सुमन का हाथ चूमते हुए - इतना सब्र किया तो कुछ पल औऱ सही..
सुमन गौतम के बालो को हल्का सा इधर उधर करते हुए - अब चाय पीके जा यहां से.. वो लोग आने वाले ही होंगे..
गौतम सुमन को बाहों में भरके गाल पर चुम्बन करते हुए - जो हुकुम मेरी सहजादी..
सुमन वहा से बाहर आ जाती है औऱ गौतम चाय पीके अपनी बाइक उठाकर बाहर चला जाता है..
गोतम कहा है?
मुझे क्या पता? गया होगा अपने दोस्तों के पास..
सुमन तूने जानबूझकर उसे बाहर भेजा है ना..
मैं क्यों उसे भेजनें लगी? वो खुद ही अपनी मर्ज़ी से गया है..
जगमोहन चिढ़ते हुए - मैं भी कहा तुमसे बात करने बैठ गया.. चाय ला दो..
सुमन - बनाके रखी है छन्नी करके पिलो..
जगमोहन उठकर जाता है कमरे से बाहर निकलता है की दरवाजे पर दो औरत औऱ एक आदमी दिखाई देते है..
जगमोहन उन्हें देखकर - माँ..
जगमोहन की माँ हेमा - जग्गू...
बृजमोहन - जग्गू भईया..
जगमोहन - आओ अंदर आओ..
हेमा उस घर देखकर - घर तो बड़ा सुन्दर बनाया है तूने जग्गू?
जगमोहन - आओ ना माँ.. बैठो... अरे सुमन देखो.. माँ मानसी औऱ ब्रजमोहन आये है..
सुमन कमरे से बाहर आकर बेरुखी से देखते हुए..
मानसी - कैसी हो सुमन?
सुमन - जैसी 18 साल पहले थी..
हेमा - बहु हमारा गौतम कहा है? अब तो बहुत बड़ा हो गया होगा.. पिछली बार जब दो साल का था तब देखा था उसे.. उसके बाद तो उसे देखने को आँखे ही तरस गई..
सुमन - मेरा गौतम दोस्तों के साथ बाहर गया है..
मानसी - सुमन तुम गाँव क्यों नहीं आई इतने सालों में..
सुमन - वहां मेरे औऱ मेरे ग़ुगु के लिए अब बचा ही क्या है..
बृजमोहन - ऐसा क्यों कहती हो भाभी.. वहा आपका घर है..
सुमन - घर औऱ जमीने तो तुमने अपने भाई से छीनकर अपने पास रख ली थी याद है.. सुना है सारी जमीन साहूकार को बेच दी तुमने अपनी ऐयाशी पूरी करने के लिए..
हेमा - सुमन.. पुरानी बातों को भूल जाओ.. उनसे अब किसी का भला नहीं होने वाला.. बृजमोहन अब बदल चूका है..
सुमन - सब लुटा कर अब बदलने की क्या जरुरत.. घर औऱ खेत बाकी है उसे भी बेच देते..
जगमोहन - सुमन.. ऐसे बात करते है अपनी सास से.. इतने सालों बाद आये है.. जाओ चाय औऱ नाश्ता बना दो.. सबके लिए..
सुमन बिना कुछ बोले रसोई में चली जाती है औऱ चाय बनाने लगती है..
उसके साथ ही मानसी भी सुमन के पीछे पीछे रसोई में चली जाती है..
जगमोहन बृजमोहन औऱ हेमा के साथ हॉल में लगे बड़े से सोफे पर बैठ जाता है औऱ बातें करने लगता है..
मानसी - सुमन.. लाओ मैं चाय बना देती हूँ.
सुमन - रहने दो मानसी.. मेहमान हो.. मैं बना लुंगी..
मानसी - इतनी भी क्या नाराज़गी सुमन.. मैं कोई पराई तो नहीं हूँ..
सुमन - अपनी भी कहा थी तुम मानसी..
मानसी - मैं जानती हूँ सुमन तुम गुस्सा हो हमसे पर मेरी बस में ना ही कल कुछ था ना ही आज कुछ है..
सुमन - साफ साफ कहो मानसी.. यहां क्यों आई हो?
मानसी - अपने जमाई को लेने..
सुमन - कोनसा जमाई? वो रिश्ता वही तोड़ के मैं यहां आई थी..
मानसी - तुम्हारे मेरे तोड़ने से रिश्ते नहीं टूटते सुमन.. गाँव में पंचायत के लोगों के सामने वो रिश्ता बना था.. बात तय हुई थी..
सुमन - बच्चों की शादी को सरकार भी शादी नहीं मानती मानसी..
मानसी - मगर पंचायत मानती है.. औऱ तुम जानती हो हमारे यहां ये फैसले कितने कड़ाई से निभाये जाते है..
सुमन - निभाए जाते होंगे.. मगर अब नहीं.. मैं मेरे ग़ुगु को हरगिज़ उस गाँव में नहीं जाने दूंगी..
मानसी - जाना तो उसे पड़ेगा सुमन.. कुसुम अब 18 साल की दहलीज़ को लांघ चुकी है.. उसे गौतम को अपनाना ही होगा..
सुमन - ऐसा नहीं होगा मानसी.. गौतम उसी से शादी करेगा जिससे उसका मन होगा..
मानसी - पर उसकी शादी हो चुकी है सुमन.. याद है तुम्हींने मेरी कुसुम को गोद में उठाकर कहा था ये ग़ुगु की दुल्हन बनेगी.. तुम्हारी मर्ज़ी शामिल थी उसमे..
सुमन - तब तक बटवारा नहीं हुआ था मानसी.. मुझे अगर पता होता कि तुम मेरे साथ ऐसा करोगे तो कभी वो सब नहीं करती..
मानसी - मैंने तुम्हारे साथ कभी कुछ गलत नहीं किया सुमन.. तुम जानती हो मेरा दिल साफ है.. अब मैं अपनी बेटी के लिए उसके पति को माँगने आई हूँ.. गाँव आकर गौतम कुसुम को पंचायत के सामने अपना कर अपने साथ रख ले बस.. मैं औऱ कुछ नहीं चाहती..
सुमन - ऐसा नहीं होगा मानसी.. गौतम को भूल जाओ.. कुसुम के लिए कोई औऱ लड़का देख लो..
मानसी - एक बार जिस लड़की का विवाह हो जाता है उसका किसी औऱ के साथ विवाह नहीं करवाया जाता.. अगर गौतम खुद गाँव आकर कुसुम को अपना नहीं बनाता तो मैं पंचायत में गौतम के खिलाफ गुहार लगा दूंगी.. औऱ तुम जानती हो पंचायत के नियम कितने कड़े है..
सुमन - तुम्हे जो करना है करो मानसी.. मेरा गौतम उस गाँव में नहीं जाएगा..
मानसी - उसे आना पड़ेगा सुमन.. वरना पंचायत ने जगन के साथ जो किया था तुम अच्छे से जानती हो.. तुम्हारी ज़िद कहीं सब ख़त्म ना कर दे..
सुमन - धमकी दे रही हो..
मानसी - नहीं.. भीख मांग रही हूँ.. अपनी कुसुम के लिए तुम्हारे गौतम की.. मेरी बात मान जाओ सुमन.. मैंने कुसुम को बहुत सभालके पाला पोसा है.. वो गौतम का अच्छे से ख्याल रखेगी.. औऱ तुम्हे भी कोई शिकायत का मौका नहीं देगी.
सुमन - चाय बन गई है.. लो.. लेजाकर दे दो..
मानसी अपने पर्स में से एक तस्वीर निकालकर सुमन के सामने रख देती है औऱ चाय की ट्रे उठाकर रसोई से बाहर आ जाती है औऱ सबको चाय दे देती है.. सुमन की नज़र तस्वीर पर पडती है औऱ वो कुसुम की तस्वीर को देखने लगती है.. सुमन कुसुम को देखने लगती है और मन ही मन वो भी कुसुम को गौतम के लिए सही मानते हुए दोनों का बंधन होने की बात सोचने लगती है..
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सलामपुर गाँव में खेतो को पार करके जंगल के मुहाने पर कटीली झाड़ियों के पीछे दो सहेलियां पानी का मग्गा लेके टट्टी करने बैठी थी..
अरे कुसुम.. सुना आज तेरे मम्मी पापा तेरे दूल्हे से मिलने गए है.. कहीं झुमरी के दूल्हे की तरह तेरा दूल्हा भी काला कलूटा औऱ भद्दा निकला तो.. तू चाँद सी चितवन काया वाली औऱ वो अँधेरी काली रात..
कुसुम - नहीं.. मीना.. ऐसा मत बोल.. मैं मर ही जाउंगी अगर ऐसा हुआ तो.. दादी ने बताया था वो बचपन में बहुत प्यारे लगते थे.. अब भी शायद वैसे ही हो..
मीना - अच्छा.. औऱ फुलवा की जैसे शराबी औऱ जुवारी निकला तो..
कुसुम - तू औऱ कुछ नहीं बोल सकती क्या.. मेरी तो टट्टी भी बंद हो गई तेरी बातें सुनकर..
मीना हसते हुए - अरे तो मुझसे कह दे.. तेरी गांड में ऊँगली डालकर निकाल देती हूँ टट्टी..
कुसुम शरमाते हुए मग्गे से पानी हाथ में लेकर गांड धोती हुई - हट बेशर्म.. चल अब..
मीना भी गांड धोती हुई - हाय कैसे शर्माती है तू.. जब तेरा दूल्हा पटक पटक के चोदेगा ना तब सारी शर्म निकल जाएगी.. मेरे वक़्त तो तू भी बड़ा बोलती थी.. अब अपना वक़्त आया तो कैसे चुप है..
कुसुम खेत की पगदंडी से मीना के साथ वापस घर आती हुई - चुदाई में दर्द होता होगा ना मीना..
मीना - पहले पहल होता है फिर मज़ा आता है.. मन करता है बस चुदवाते ही रहो.. देख चुदाई की बात करके तेरे चुचक कैसे खड़े हो गए.. मिलन की रातों में जब तेरे ये नुकिले चुचक तीर की तरह तेरे दूल्हे के सीने में चुभेगे तो उसे मज़ा ही आ जाएगा..
कुसुम शरमाते हुए - धत..
मीना कुसुम के चुचे अचानक से मसलकर - शर्मा क्यों रही है सहेली.. अब तेरे खेत में हल चलाने वाला जल्दी ही आने वाला है.. तेरी छोटी सी चुत को वो बड़ा कर देगा..
कुसुम मुस्कुराते हुए - घर आ गया.. तू भी जा...
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पता नहीं आज ये फ़ोन क्यों नहीं उठा रहा..
रहने दो भईया.. आप तो उसे कल गाँव लेकर आ जाना.. कुसुम औऱ गौतम की रित निभाना है.. फिर जल्द ही दोनों का बंधन भी करवा देंगे..
मानसी - हाँ.. मेरा बहुत मन था गौतम को देखने का.. मगर आज नहीं तो कल सही.. जब वो गाँव आएगा तब देख लुंगी..
हेमा - अब चलना चाहिए.. कुसुम अकेली है.. शाम से पहले वापस पहुंचना है..
जगमोहन - माँ आप रुकिए मैं टेक्सी बुलवा देता हूँ..
सुमन - रहने दीजिये.. मैंने फ़ोन कर दिया था.. गौतम आने वाला होगा वही बस स्टेण्ड तक छोड़ आएगा..
मानसी ख़ुशी से - ये कितनी अच्छी बात है सुमन.. मतलब आज मैं अपने जमाई को देख सकती हूँ..
गौतम बाहर बाइक खड़ी करके अंदर आता है तो उसे देखकर हेमा मानसी औऱ बृजमोहन अपनी जगह से खड़े हो जाते है औऱ मानसी सुमन को देखकर कहती है..
मानसी - सुमन ये हमारा गौतम है ना?
सुमन - मानसी ये मेरा गौतम है..
मानसी सुमन की बात सुनकर आगे बढ़ती है औऱ गौतम को अपने गले से लगाकर - कितने प्यारा औऱ चाँद सा मुखड़ा है.. बिलकुल कोई शहजादा लगने लगा है.. माँ देखो ना..
हेमा आगे बढ़कर गौतम के चेहरे को चूमती हुई - हाँ सुमन.. मेरे पोते के जैसा सुन्दर और प्यारा तो कोई दूसरा ना होगा..
मानसी तस्वीर लेते हुए - अब तक हमसे छुपा के रखा था सुमन ने.. मगर आज देखो..
हेमा - बेटा मैं तेरी दादी..
गौतम पैर छूता है..
हेमा गले से लगाते हुए - अरे रहने दे ये सब.. तू तो मेरा अपना है.. तेरी माँ ने कब से तुझे हमसे छुपा के रखा था.. आज मिला है..
सुमन - ग़ुगु.. दादी औऱ चाचा चाची को बस स्टैंड तक छोड़ आ जरा..
गौतम सुमन की बात सुनकर उन सबको कार में बैठा कर बस स्टेण्ड छोड़कर आ जाता है.. तब तक जगमोहन घर से जा चूका था..
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मानसी - कुसुम.. कुसुम.. कहा गई ये लड़की?
कुसुम - माँ सहेली के पास गई थी.. कुछ काम था..
मानसी - कल रीत का सारा सामान तूने रख लिया है ना..
कुसुम - जी..
मानसी - ठीक है.. कल समय से तैयार रहना.. किसी सहेली के यहां ना चले जाना..
कुसुम - माँ..
मानसी - बोल..
कुसुम - वो माँ आप..
मानसी मुस्कुराते हुए - क्या बोल ना..
कुसुम - नहीं.. कुछ नहीं..
मानसी - तेरे दूल्हे से मिली या नहीं यही पूछना चाहती है ना मेरी लाडो..
कुसुम शरमाते हुए - माँ..
मानसी - तस्वीर देखेगी अपने होने वाले दूल्हे की?
कुसुम शरमाते हुए कुछ नहीं बोलती और चुपचाप खड़ी रहती है..
मानसी छेड़ते हुए - नहीं देखनी तो तेरी मर्ज़ी.. मुझे क्या
कुसुम - आप तस्वीर लेके आई हो..
मानसी कुसुम से मसखरी करते हुए - हाँ.. पर क्या फ़ायदा? ना शकल अच्छी है ना रंग अच्छा है गौतम का.. शहर में बिलकुल बेरंग हो गया है.. मुंह भी बांका है.. बोलता है तो लगता है दाँत ही गिर पड़ेंगे.. मैंने तो कहा ये रिश्ता तोड़ देते है पर तेरे पापा नहीं माने.. मेरी वैसे भी कहा चलती है..
कुसुम फ़िक्र से - इतना बुरी सूरत है..
हेमा आते हुए - अरे क्यों छेड़ती है कुसुम को.. देख कैसे चेहरा उतर गया है बेचारी का.. कुसुम ले ये देख तेरे दूल्हे की तस्वीर.. है ना चाँद का टुकड़ा..
कुसुम फ़ोन में तस्वीर देखकर देखती रह जाती है और ख़ुशी से शरमाते हुए अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से छुपा कर खड़ी हो जाती है..
मानसी - अरे शर्मा रही है.. माँ जी लगता है गौतम पसंद नहीं आया कुसुम को.. शादी के लिए मना कर देंते है..
कुसुम एक दम से - मैंने ऐसा कब कहा?
मानसी और हेमा एक साथ हँसते है..
कुसुम फ़ोन लेकर अपने कमरे में भाग जाती है और गौतम की तस्वीर देखती हुई उसे अपनी आँखों में बसाने लगती है.. कुसुम के मन में बहुत से ख्याल आ जा रहे थे जिनसे खुश होते और सोचके शरमाते हुए कुसुम गौतम की तस्वीर को अकेले में अपने होंठों से चुम के बार बार उसके साथ शादी होने और प्यार करने के सपने अपनी खुली आँखों से देख रही थी..
कुसुम के मन की सारी चिंता और फ़िक्र निकल चुकी थी जिसके जगह प्यार उमंग और भविष्य की सम्भावनाओं ने ले लिया था.. कुसुम बार बार गौतम की तस्वीर को कभी अपने सीने से लगाती तो कभी चूमती.. उसने अपने फ़ोन के स्क्रीन पर भी गौतम की तस्वीर लगा दी और सोचने लगी की वो गौतम को अपनी पलकों पर सजा कर रखेगी उसे बहुत खुश रखेगी और प्यार करेगी..
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क्या हुआ माँ? क्या कह रहे थे वो लोग?
सुमन कुसुम की तस्वीर गौतम को देकर - कल हम गाँव जाने वाले है.. रित निभाने..
गौतम बिना तस्वीर देखे - क्या रित? कोनसी रित औऱ ये तस्वीर किसकी है?
सुमन - ये तेरी दुल्हन की तस्वीर है ग़ुगु..
गौतम बिना तस्वीर देखे रखते हुए - मैं कोई शादी नहीं करने वाला..
सुमन - तेरी शादी हो चुकी है.. जब तू 2 साल का था..
गौतम - क्या बकवास कर रही हो माँ.. मेरी साथ फालतू मज़ाक़ करने की कोशिश भी मत करना.
सुमन - ये मज़ाक़ नहीं है ग़ुगु.. कुसुम तेरे चाचा चाची की एकलौती बेटी है..
गौतम - चाचा चाची की? पर हमारे यहां कजिन मेर्रिज कहा होती है?
सुमन - होती है.. तेरे पापा से पूछना बाकी बातें.. मुझे बहुत काम है..
गौतम - काम गया माँ चुदाने.. ये हो क्या रहा है? साफ साफ बताओगी?
सुमन - ग़ुगु जैसे साउथ इंडिया में कजिन मैरिज होती है वैसे ही हमारे गाँव औऱ आस पास के गाँव में भी होती है.. तेरे पापा जिस समाज से है वो लोग सकड़ो साल पहले साउथ इंडिया आकर यहां बसे थे.. बचपन में मैंने तेरी औऱ कुसुम की शादी करवा दी थी मगर फिर बटवारे में विवाद के कारण मैं तुझे गाँव से लेकर यहां आ गई.. अब हमें वापस जाना होगा औऱ तुझे कुसुम के साथ रित निभाकर उसके साथ बंधन करना होगा..
गौतम - मैं कुछ नहीं करने वाला.. औऱ उस शादी को मना कर दो..
सुमन - नहीं कर सकते ग़ुगु.. अगर हमने मना किया तो मानसी पंचयात में चली जायेगी फिर पंचायत हमारे खिलाफ फैसला कर देगी.. जैसे सालों पहले जगन के साथ किया.. शादी तोड़ने के अपराध में उसे जान देनी पड़ी थी..
गौतम - अब वक़्त बदल चूका है माँ.. क़ानून से काम होता है..
सुमन - पंचायत का क़ानून ही सबकुछ है वहा गौतम. वो लोग नियम के मामले में बहुत कठोर है.. तुझे कल चलना ही होगा..
गौतम - तुम चाहती हो मैं वहा जाऊ औऱ कुसुम के साथ रीत निभाऊ उसे अपनी पत्नी बनाऊ?
सुमन - हाँ.. मैं चाहती हूँ..
गौतम - तो ठीक है मैं कल जाऊँगा.. लेकिन आज तुमको वो सब करना होगा जो मैं कहूंगा..
सुमन अपनी साडी का पल्लू गिराते हुए - मैं तैयार हूँ गौतम..
गौतम सुमन साडी खोलने से रोकता हुआ - यहां नहीं सुमन..
सुमन - तो?
गौतम सुमन को अपने साथ घर से लेकर कहीं बाहर चला जाता है...
next update on 60 like
goutam will fuck suman in next update
Jabardas Update tha...Update 28
गौतम जब अपने रूम में पहुंचा तो उसने देखा कि विक्रम वहां से कहीं जा चुका था और रूम में अब कोई नहीं था. गौतम ने थोड़ी देर बिस्तर पर आराम करने के बाद में फिर से शावर लिया औऱ फिर कुछ देर इधर-उधर घूमने लगा. होटल की छत से लेकर वेडिंग हॉल तक और फिर वेडिंग लॉन तक गौतम यहां से वहा टहलता रहा..
मेहमान अब उठने लगे थे और होटल में चहल पहल बढ़ने लगी थी मगर अब भी कुछ लोग रात को देर से सोने के कारण सो रहे थे सुबह के 6:30 बज चुके थे और मेहमानों को अब चाय की चुस्की लेने में आनंद आने लगा था.. कोई रात को अपने साथ हुए किस्से और कहानियों का जाएका एक दूसरे को चाय की चुस्कीया लेते हुए सुना रहा था तो कोई हमेशा की तरह शादी में कमी और खामी निकल रहा था.
गौतम के अंदर गोली का असर अभी बाकी था और वह अभी अपने लिए किसी शिकार की तलाश कर रहा था उसने हर जगह टहलती हुई लड़कियों और औरतों को देखा मगर उसे कहीं भी अपने लायक माल नहीं मिला और ना ही नानी मामी या भाभी अकेली मिली. गौतम की कामुकता बरकरार थी और वह सुमन के कमरे की ओर जाने लगा मगर बीच में ही उसने चाय के दो कप अपने साथ ले लिए थे. सुमन रात को देर से सोई थी इसलिए उसकी नींद अभी भी नहीं खुली थी सुबह के 6:30 पर भी वह इत्मीनान से सो रही थी.
रात को सुमन आरती के साथ ही सोई थी मगर आरती अब कमरे से बाहर जा चुकी थी और कमरे में सिर्फ सुमन अकेली ही बिस्तर पर नींद में थी. गौतम ने रूम में घुसते हुए कैमरे का दरवाजा बंद कर दिया और चाय के दोनों कप लेकर होटल में एक तरफ रखी टेबल पर रख दिया. गौतम ने कप उठकर चाय की तीन-चार चुस्की ली और फिर अपनी मां सुमन को देखने लगा. सुमन नींद में किसी हसीन ख्वाब में खोई थी और गौतम को सुमन परियों की तरह लग रही थी.
गौतम ने अपने हाथ से चाय का कप टेबल पर रख दिया और धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ बढ़ गया. गौतम ने सो रही सुमन की साड़ी धीरे-धीरे कमर तक उठा दी और उसकी चड्डी नीचे करते हुए सुमन की जांघों के जोड़ पर अपने होंठ लगा दिये.. गौतम ने अपनी जीभ सुमन की जांघोँ के जोड़ पर लगाकर उसके नारीत्व को छेड़ना शुरू कर दिया था और अपनी जीभ से सुमन की चुत को चाटने और चूसने लगा था.
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गौतम ने सुमन की दोनों टांगें फैलाकर उसकी चुत को चूसना और चाटना शुरू कर दिया था जिससे सुमन नींद के आगोश से बाहर निकलने लगी थी और उसकी नींद कमजोर पढ़ने लगी थी. गौतम ने अपनी जीभ को सुमन की चुत में डाल दिया था और जितना अंदर घुस सकता था घुसा कर अपनी जीभ से सुमन के नारीत्व को छेड़ने लगा था जिससे सुमन कामुक होती हुई नींद से बाहर आ गई थी और उसने अपनी आंख खोलकर गौतम को अपने साथ छेड़खानी करते हुए देख लिया.
सुमन की जैसे ही नींद खुली उसकी कामुकता अपने शिखर पर थी और उसने ना चाहते हुए भी गौतम के मुंह में ही अपने पानी की पिचकारी को छोड़ दिया जिसे गौतम ने अमृत समझकर पीते हुए सुमन की चुत को वापस से चाट कर साफ कर दिया और फिर मुस्कुराते हुए सुमन को देखकर बोला..
गौतम - गुडमॉर्निंग माँ.. चाय पी लो..
सुमन अपनी चड्डी पहनती हुई अपनी साडी के पल्लू से गौतम के गीले होंठो को साफ करती हुई बोली - गुडमॉर्निंग बेटा.. मुझे जगा लेता ना.. नींद में ही तू ये सब करने लगा.. दरवाजा तो बंद किया है ना तूने?
गौतम - दरवाजा बंद है माँ.. आप फ़िक्र मत करो.. मैं इतना भी लापरवाह नहीं हूँ..
सुमन मुस्कुराते हुए चाय का कप लेकर चाय पीते हुए - रात को सोया नहीं ना तू.. आँखे बिलकुल लाल है तेरी..
गौतम - दिन में सो जाऊँगा माँ.. रात को नींद ही नहीं आई..
सुमन गौतम की गोद में बैठकर चाय की चुस्कीया लेती हुई - रात को नींद नहीं आई या किसी ने सोने नहीं दिया मेरे शहजादे को? हाय रे.. तेरे गले पर तो कितने निशान है.. कल तो नहीं थे.. सच बता? गर्लफ्रेंड के साथ था ना तू जो कल मिली थी.. उसीने दिए है ना ये निशान.. कितना बुरे नाख़ून लगाती है.. तूने रोका नहीं उसे?
गौतम सुमन की जांघ सहलाते हुए - किसीको प्यार करने से थोड़ी रोका जाता है माँ..
सुमन चाय का कप रखकर - थोड़ा कम प्यार करा कर ग़ुगु.. तू बहुत बिगड़ गया है आज कल.. हर दम बस यही सब चलता है तेरे दिमाग में..
गौतम सुमन के चेहरे पर लटक रही जुल्फ को उसके कान के पीछे करता हुआ सुमन के गाल पर चुम्बन देकर कहता है - मैं तो सुधर जाऊ माँ पर आपका ये छोटा ग़ुगु नहीं सुधारता.. जहाँ भी खड्डा देखता है अपनेआप उसमे कूद जाता है.. औऱ पानी निकाल कर ही बाहर निकलता है..
सुमन गौतम की बात पर हस्ती हुई - कल चल वापस घर.. तेरे इस छोटे ग़ुगु की शिकायत करती हूँ बाबाजी से.. बेलगाम हो गया है बहुत.. लगाम लगानी पड़ेगी इस पर..
गौतम सुमन की गर्दन को अपनी जीभ से चाटता हुआ - बाबाजी को शिकायत करने से कुछ नहीं होगा.. एक बार आप हाँ कर दो.. अपने आप लगाम लग जायेगी छोटे ग़ुगु पर..
सुमन गौतम की गोद में से खड़ी हो जाती है औऱ कहती है - एक बार कह दिया ना ग़ुगु.. तू क्यों फालतू ज़िद करता है..
गौतम उठकर सुमन को बाहों में भरते हुए - अच्छा सॉरी माँ.. अब नहीं कहता कुछ.. आप जेसा चाहोगी वैसा होगा..
सुमन गौतम के लंड पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए - लगता बहुत देर से खड़ा है छोटा ग़ुगु.. पूरी खुराख़ मिली नहीं इसे..
गौतम सुमन के कंधे पर हाथ रखकर सुमन को नीचे बैठाते हुए - रात को सेक्स की गोली खा ली थी अब तक असर बाकी है..
सुमन गौतम की जीन्स खोलकर लंड पकड़ते हुए - तुझे कब से गोली की जरुरत पड़ने लगी ग़ुगु..
गौतम सुमन के बाल पकड़कर उसके चेहरे पर लंड रगढ़ते हुए - मैंने किसी के कहने पर खा ली.. छोडो उस बात को.. आप जल्दी से ठंडा कर दो छोटे ग़ुगु को..
सुमन गौतम के लंड को मुंह में लेकर चूसने ही लगी थी की दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई..
गौतम गुस्से में - पता किसकी माँ चुद गई.. साला कौन है..
सुमन मुस्कुराते हुए - रुक मैं देखती हूँ..
गौतम लंड पेंट में डालकर बेड पर बैठ जाता है औऱ सुमन दरवाजा खोलती है.
सिमरन सुमन से - आपको मालिक औऱ मालकिन बुला रहे है..
सुमन - मैं आती हूँ तू जा.. (वापस दरवाजा बंद करके) ग़ुगु जाना पड़ेगा बेटा..
गौतम सुमन को बाहों में भरके - कोई बात नहीं माँ.. आप जाओ औऱ मामी से किसी बात पर लड़ाई झगड़ा मत करने लग जाना..
सुमन मुस्कुराते हुए - भला मैं भाभी से क्यों झगड़ने लगी..
गौतम सुमन के होंठ चूमकर - आई लव यू माँ..
सुमन वापस गौतम के होंठ चूमकर - आई लव यू टू बेटा.. अच्छा अब जाने दे वरना औऱ भी कोई बुलाने आ जाएगा.. मुझे बहुत तेज़ सुसु भी लगा है..
गौतम नीचे बैठकर सुमन की साडी उठाते हुए चड्डी नीचे सरकाकर - माँ पहले बताना था ना.. मुझे भी प्यास लगी थी.. ये कहकर गौतम सुमन की साडी उठाकर चुत पर अपना मुंह लगा देता है औऱ चूसने लगता है सुमन भी शर्माती हुई गौतम के बाल पकड़ कर गौतम के मुंह में मूतने लगती है..
गौतम सुमन का पेशाब पी जाता है औऱ अपना मुंह चुत पर से तब तक नहीं हटाता जब तक पेशाब की आखिरी बून्द नहीं पी जाता.. सुमन भी गौतम को अपना मुंह हटाने के लिए नहीं कहती..
मूत पिने के बाद गौतम चुत से मुंह हटाकर खड़ा हो जाता है सुमन मुस्कुराते हुए फिर से अपनी साडी के पल्लू से गौतम का मुंह साफ कर देती है.. औऱ कमरे से बाहर चली जाती है..
गौतम अपने रूम में आकर रेशमा को फ़ोन करता है..
रेशमा - हेलो..
गौतम - तू आई नहीं ना कुत्तिया कल शादी में?
रेशमा - माफ़ कर दे मेरे कुत्ते.. मैंने कोशिश तो बहुत की पर असलम माना ही नहीं.. मैं करती भी क्या, ना आने के सिवा..
गौतम - अकेली नहीं आ सकती थी?
रेशमा - अकेली कैसे आती? इतनी बंदिश है मेरे ऊपर.. घर निकल भी जाऊ तो आफत आ जाती है सवालों की.. तू लड़का है इसलिए नहीं समझ पायेगा.
गौतम - ज्यादा ना ज्ञान मत चोदे रेशमा.. नहीं मिलना तो बता दे..
रेशमा - थोड़ा औऱ सब्र कर ले मेरे कुत्ते.. दो तीन दिन बाद अब्बू के घर आ जाउंगी तब जितना मिलना हो मुझसे मिल लेना.. मैं रोकूंगी नहीं तुझे..
गौतम - खाना खा लिया?
रेशमा - इतनी सुबह कौन खाना खाता है? अभी तो खाना बनाउंगी.. फिर खाउंगी.. जब तुझसे मिलूंगी तब तू अपने हाथों खिला देना खाना..
गौतम - मुझसे मिलते ही लंड खाएगी तू..वो भी अह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह... करके..
रेशमा हसती हुई - तू जो खिलायेगा वो खा लुंगी मेरे कुत्ते.. मेरा भी बहुत मन है तुझसे मिलने का..
गौतम - मन क्या है साली.. सीधा बोल ना तेरी चुत में खुजली चल रही है.. चुदवाना है तुझे भी..
रेशमा - हाँ चल रही है तू मिटायेगा ना मेरी खुजली..
गौतम - एक बार मिल रेशमा.. ऐसा चटूंगा ना तेरी चुत को.. तेरी साली खुजली मिट जायेगी...
रेशमा चुत में ऊँगली करते हुए - उफ्फ्फ.. मेरे कुत्ते.. तू चाटेगा ना मेरी चुत को, अपनी बात से मुकर तो नहीं जाएगा..
गौतम - चाटूँगा भी चोदुँगा भी.. चुत औऱ गांड दोनों.. कुतिया बच्चा नहीं हो रह ना तेरे.. एक बार में प्रेग्नेंट ना कर दिया तो कहना..
रेशमा ऊँगली करती हुई - आई लव यू मेरे कुत्ते.. अब तो मुझसे भी सब्र नहीं हो रह.. मन कर रहा है उड़ के आ जाऊ तेरे पास..
गौतम - अच्छा शोहर कहा है तेरा? आज सुबह सुबह चला गया क्या?
रेशमा - छोड़ ना बेबी.. गया होगा हराम का जना अपनी अम्मी चुदवाने... तू मीठी मीठी बात कर ना मुझसे.. बता मिलूंगी तो क्या क्या करेगा तू मेरे साथ?
गौतम हस्ते हुए - चुत में ऊँगली कर रही है ना तू मेरी कुतिया?
रेशमा - लड़कियों से ऐसी बातें नहीं पूछते..
गौतम - अच्छा दरवाजे पर कोई आया है मैं बाद में बात करता हूँ..
रेशमा - कुत्ते फ़ोन मत काटना.. जो भी आया है भगा उसे.. औऱ बात कर मुझसे..
गौतम ने फ़ोन बिना काटे टेबल पर रख दिया औऱ कानो में इयरबड्स लगाकर बात करते हुए रेशमा से कहा..
गौतम - ठीक है रुक दो मिनट मैं देखता हूँ कौन है..
गौतम ने दरवाजा खोला तो सामने शबनम हाथ में एक ट्रे लेकर खड़ी थी जिसमें एक चाय का कप और कुछ खाने का सामान था.. शबनम ने गौतम को देखते हुए उसकी आंखों से आंखें मिलाकर कहा - ग़ुगु भैया आपकी मम्मी ने आपके लिए नाश्ता भिजवाया है.. गौतम ने बिना कुछ कहे इशारे से शबनम को नाश्ते की ट्रे टेबल पर रखने को कहा और दरवाजा अंदर से बंद करके शबनम के पीछे-पीछे आ गया औऱ शबनम को अपनी तरफ घुमा कर उसके मुंह पर हाथ रखते हुए फ़ोन म्यूट करके शबनम से बोला...
गौतम - तुझे समझाया था ना भईया मत बोला कर..
शबनम मासूमियत से गौतम का हाथ हटा कर - गलती हो गई..
गौतम शबनम के बूब्स पर हाथ फेरकर - अब गलती की है तो फिर से सजा मिलेगी..
शबनम अपने बूब्स पर गौतम का हाथ देखकर - छोटे मालिक आप ये क्या कर रहे है? कोई देख लेगा?
गौतम - कोई नहीं आएगा औऱ अब तू मुंह से आवाज मत निकालना.. सेटिंग से बात कर रहा हूँ.. उसे तेरी आवाज ना सुनाई दे.. मैं कुछ भी करू तू चुप रहना बिलकुल..
शबनम - पर छोटे मालिक.. मालकिन को पता चला तो मेरी जान ले लेगी..
गौतम - तू बतायेगी? नहीं ना.. फिर? औऱ ये छोटे मालिक बहुत चूतिया लगता है सुनने में.. मैं कोई मालिक नहीं हूँ यहाँ पर.. तू भईया ही बोल वो फिर भी ठीक है..
शबनम गौतम की तरफ देखती हुई - ज़ी.. ग़ुगु भईया..
गौतम शबनम को चुप रहने का इशारा करते हुए फ़ोन का म्यूट खोलकर इयरबड्स हटा देता है औऱ फ़ोन स्पीकर पर डाल कर कहता है - हेलो..
रेशमा - हाँ मेरे कुत्ते.. चला गया जो आया था?
गौतम शबनम को बाहों में भरकर बिस्तर पर आता हुआ - हम्म..
रेशमा - तो अब बता क्या क्या करेगा जब मिलूंगी तब?
गौतम शबनम के होंठों को चूमता हुआ - सबसे पहले तो मैं तेरे गुलाबी होंठों को अपने होंठों में गिरफ़्तार कर लूंगा औऱ तेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर तेरे पुरे मुंह की तलाशी लूंगा..
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रेशमा ऊँगली करते - अहह... कुत्ते.. फिर..
गौतम शबनम के चेहरे औऱ गले को चूमकर चाटता हुआ - फिर तेरे चेहरे औऱ सुराही जैसी गर्दन पर अनगिनत चुम्बन करके lovebite दूंगा..
रेशमा - हाय.. मैं भी अपने कुत्ते को जीभर के चुमूँगी औऱ lovebite दूंगी.. उसके बाद क्या करोगे बेबी?
गौतम शबनम का बोबा अपने हाथ में पकड़कर मसलते हुए शबनम की आँखों में देखकर - फिर मैं तेरा दूध निकाऊंगा..
रेशमा ऊँगली करते हुए - बेबी आराम से ज्यादा तेज़ मत दबाना मेरे चुचो को.. वरना दूध फट जाएगा..
गौतम शबनम की कुर्ती उतारकर ब्रा खींचकर निकालते हुए - फिर तेरे बोबो को बच्चों की तरह चूसूंगा मेरी कुतिया..
शबनम से अब रहा ना गया औऱ वो भी कामुकता के सागर में कश्तिया हाँकने लगी थी उसने अपने दोनों हाथों से गौतम के सर को पकड़कर गौतम को अपना बोबा चुसवाना शुरू कर दिया था..
रेशमा - हाये अम्मी.. मैं भी तुझे बच्चों की तरह अपना दूध चुसवाउंगी मेरा बच्चा बनाकर.. पी लेना मेरा सारा दूध अपने मुंह से कुत्ते..
गौतम शबनम की आँखों में देखकर अपने हाथ में शबनम के बोबे पर कड़क होकर खड़े हुए चुचक को अपनी ऊँगली से पकड़ कर जोर से मरोड़ता हुआ - फिर मैं तेरे बोबे के दाने को मसलकर तुझे दर्द दूंगा रेशमा...
शबनम गौतम की आंखों में देखी हुई उससे अपने बोबे पर खड़े हुए चूचक को छोड़ने की आँखों से अपील कर रही थी. शबनम आह भरना चाहती थी मगर गौतम को बुरा ना लगे इसलिए उसने अपनी आवाज को अपने गले में ही दबा लिया और गौतम की आंखों में देखती हुई अपने चेहरे पर दर्द भरे भाव ला रही थी. गौतम से शबनम की हालत ज्यादा देर तक देखी नहीं गई और उसने बोबे पर खड़े हुए शबनम के चुचकों को मरोड़ना और मसलना बंद करके अपना हाथ उसकी कमर पर रख दिया..
रेशमा चूत में ऊँगली करती हुई - मैं जोर से चिंख पड़ूँगी बेबी अगर तू करेगा तो.. ज्यादा दर्द देगा ना तो अपने दांतो से तेरे होंठ काट खाउंगी..
शबनम रेशमा की बात सुनकर कामुकता से गौतम के होंठों को चुम लेती औऱ अपने दाँत से जोर से काट लेटी है.
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गौतम शबनम को हैरानी से देखता हुआ - साली काटती है.. रुक तुझे अभी बताता हूँ..
शबनम मुस्कुराते हुए गौतम को देखने लगती है औऱ उसकी शर्ट के बटन खोलने लगती है वही गौतम को शबनम के बर्ताव से शबनम पर प्यार आने लगा था.. गौतम उसके बूब्स को मसलता हुआ चूसने लगता है..
रेशमा - अब क्या कर रहे हो जानु?
गौतम शर्ट उतार कर शबनम की चुत सहलाता हुआ - तेरी चुत को तैयार कर रहा हूँ..
शबनम अपनी चुत गौतम से सहलवाती हुई अपने एक हाथ से गौतम की जीन्स का बटन खोलकर उसकी जीन्स नीचे सरका देती है औऱ अपने पैरों की मदद से गौतम की जीन्स पूरी नीचे तक उतार देती है जिसे गौतम खुद पैरों से निकालकर अब सिर्फ चड्डी में आ जाता है..
रेशमा ऊँगली करते हुए - धीरे सहलाना जानू मेरी चुत को.. कहीं अभी ही ना झड़ जाए.. आहहह... अब मेरी सलवार खोल दो ना बेबी?
गौतम रेशमा की बात सुनकर शबनम की सलवार का नाड़ा खोलने लगता है पर गौतम से शबनम की सलवार का नाड़ा नहीं खुलता जिस पर शबनम गौतम को देखती हुई दबी हुई हंसी हँसने लगती है..
रेशमा फ़ोन पर - खोल दी क्या जानू मेरी सलवार..
गौतम - यार ये नाड़ा नहीं खुल रहा..
रेशमा फ़ोन पर - लाओ बेबी मैं खोल देती हूँ..
रेशमा की बात सुनकर शबनम अपना एक हाथ बढ़ाकर अपनी सलवार का नाड़ा खोल देती है औऱ अपनी सलवार नीचे सरका देती है.. औऱ मुस्कुराते हुए गौतम की आँखों में देखकर इशारे से वही कहती है जो रेशमा फोन पर बोलती है..
शबनम इशारे से औऱ रेशमा फ़ोन पर - खुल गया जानू..
गौतम मुस्कुराते हुए शबनम की चड्डी नीचे सरकाकर शबनम की चुत देखकर - कितने सारे बाल है यार तुम्हारी चुत पर.. काट तो लेती इन्हे..
शबनम मुस्कुराते हुए अपने दोनों हाथों से अपने दोनों कान पकड़कर गौतम से इशारे में बिना आवाज किये बोलती है - सॉरी..
रेशमा फ़ोन पर - अगली बार साफ कर लुंगी जानू.. आज माफ़ कर दो..
शबनम गौतम की चड्डी नीचे सरकाकर उसके लंड को देखते ही हैरानी से कुछ बोलने ही वाली थी की गौतम ने शबनम के मुंह पर हाथ रखकर शबनम की चुत पर अपने लंड को रगढ़ते हुए रेशमा से कहा.
गौतम - चुत पर लंड रगड़ रहा हूँ रेशमा..
रेशमा ऊँगली करती हुई इस बार झड़ गई औऱ बोली - जानू तुमने तो रगड़ कर ही झड़वा दिया.. मैंने अंदर तक लेने का सोच लिया था..
गौतम धीरे से शबनम के मुंह से हाथ हटाकर उसे चुप रहने का इशारा करते हुए रेशमा से कहा - झड़ भी गई.. अब मेरा क्या होगा? मुझे तो चुत चाहिए थी..
रेशमा हसते हुए - फोन पर लेकर क्या करोगे जानू? जब मिलूंगी तो रियल में ले लेना.. अच्छा अब रखती हूँ खाना भी बनाना है.. बाय मेरे कुत्ते..
गौतम फ़ोन काटते हुए - ठीक है मेरी कुत्तिया...
शबनम फ़ोन कटने पर - ग़ुगु भईया आपका तो बहुत बड़ा है..
गौतम मुस्कुराते हुए - डर लग रहा है लेने में? नहीं लेना तो मना कर दो. मैं नाराज़ नहीं हूंगा..
शबनम थोड़ा थूक लगाकर गौतम का लंड पकड़ते हुए अपनी चुत में घुसाती हुई - मैं तो कब से लेना चाहती हूं ग़ुगु.. तभी तो कब से आगे पीछे घूम रही हूं..
गौतम - क्या बात है शबनम? ग़ुगु भईया से सीधा ग़ुगु?
शबनम अपनी गांड उठाकर धीरे धीरे गौतम का लंड चुत में अंदर लेती हुई - 10 साल छोटे हो तुम मुझसे.. इतना तो मै बोल ही सकते हूँ.
गौतम मिशनरी में पहला तेज़ झटका मारते हुए शबनम की चुत में अपना आधे से ज्यादा लंड घुसा देता है औऱ शबनम से कहता है - मुझे बड़ी औरते चोदने में बहुत मज़ा आता है शबनम..
शबनम आह्ह करती हुई - इतनी जोरआजमाइश क्यों कर रहे हो ग़ुगु? तुमको जो चाहिए वो दे तो रही हूँ.. प्यार से नहीं ले सकते मेरी?
गौतम सॉरी बोलते हुए - तुम ठीक तो हो ना शबनम?
शबनम सिसकियाँ लेती हुई - अब तक तो ठीक हूँ पर आगे का पता नहीं.. तुम क्या हाल करोगे मेरा..
गौतम बिलकुल धीरे धीरे झटके मारकर चोदते हुए - दो बच्चे है तुम्हारे तो.. फिर भी इतनी टाइट है... अब्दुल लेता नहीं है क्या?
शबनम गांड उठाकर चुदाई में गौतम का बराबर साथ देती हुई - चुत का क्या है ग़ुगु.. कुछ टाइम ना चुदे तो सिकुड़ जाती है.. औऱ तुम्हारा इतना बड़ा है तुमको तो छोटी लगेगी ही..
गौतम झटको की रफ़्तार बढ़ाते हुए - सच सच बताना शबनम.. दोनों बच्चे अब्दुल के है या किसी औऱ के?
शबनम कामुक आहे भरती हुई - एक तो अब्दुल का..
गौतम झटके मारते हुए - औऱ दूसरा?
शबनम - दूसरा आरती भाभी के पापा का है..
गौतम हैरानी से - आरती का बाप कब चोद गया तुझे?
शबनम - चोद के नहीं गया ग़ुगु.. मैं औऱ अब्दुल पहले आरती भाभी के घर ही काम करते थे.. वहा अंकल ज़ी ने बहुत बार मेरा फ़ायदा उठाया था.. आरती भाभी से कहकर मैं यहां उनके पास आ गई..
गौतम - चोदने वाला अगर अपनी पसंद का आदमी ना हो तो कितना बुरा लगता है समझ सकता हूँ शबनम..
शबनम मुस्कुराते हुए - छोटी सी उम्र में कितनी समझदारी वाली बात करते हो गुगु.. अब जल्दी जो चाहिए वो लो औऱ मुझे जाने दो.. मैं नहीं मिलूंगी तो मालकिन हल्ला मचा देगी..
गौतम शबनम की चुत में पूरा लंड घुसाकर रुक जाता है औऱ शबनम के होंठ चूमकर कहता है - तुम्हारी मालकिन को मैं देख लूंगा.. तुम चिंता मत करो शबनम..
शबनम कामुक निगाहो से गौतम को देखती हुई - कल शादी में बहुत प्यारे औऱ हैंडसम लग रहे थे तुम?
गौतम - तू छुप छुप के देख रही थी मुझे?
शबनम मुस्कुराते हुए गौतम के होंठों पर उंगलियां फेरती हुई - जब से आये तो मेरी निगाहे तो तुम्ही पर है..
गौतम - अच्छा इतना पसंद आय तुम्हे.. बहुत चालक हो..
शबनम कुछ कहती इससे पहले दरवाजा बज गया..
गौतम - हर बार कोई ना कोई अपनी माँ चुदाने आ ही जाता है... तू रुक मैं देखकर आता हूँ..
शबनम बाथरूम में चली जाती है औऱ अपने कपडे अपने हाथ में पकड़कर बाथरूम में एक तरफ रख देती.. वही गौतम तौलिया लपेटकर दरवाजा खोलता है सामने कोमल थी..
कोमल - बेटा.. तूने शबनम को कहीं देखा है? मिल नहीं रही..
गौतम कोमल को बाहों में भरके उसका बोबा मसलते हुए - शबनम को नहीं देखा मामी पर आपको आज बिस्तर में नंगा देखने की बहुत तलब है..
कोमल मुस्कुराते हुए गौतम का कान खींचकर - रात ने देख लेना बेटा.. अभी घर जाना है तेरी बहन की विदाई भी होनी है.. ऊपर से वो शबनम भी नहीं मिल रही..
गौतम कोमल का बोबा ब्लाउज से बाहर निकाल कर चूसते हुए - शबनम को मैंने बाजार भेजा है मामी.. उसे आने में समय लगेगा.. कुछ काम है तो बोलो मैं कर देता हूँ..
कोमल गौतम से अपना बोबा छुड़वा कर वापस ब्लाउज में डालती हुई - ये सब रात में कर लेना ग़ुगु अभी बहुत काम है.. शबनम वापस आये तो मेरे पास भेज देना..
गौतम - मामी एक kiss तो दे जाओ..
कोमल गौतम के होंठो को अपने होंठो में भरके एक लम्बा औऱ गिला चुम्मा करके - चल अब अपना ख्याल रख बेटा.. मैं जाती हूँ..
गौतम अपना तौलिया हटाकर अपना लंड हिलाते हुए - बाय मामी..
कोमल मुस्कुराते हुए गौतम का लंड देखकर - बाय बेटा...
कोमल के जाने के बाद गौतम दरवाजा बंद कर देता है औऱ बाथरूम का दरवाजा खोलकर अंदर पोट पर बैठी हुई शबनम से कहता - पोट्टी कर रही हो क्या?
शबनम खड़ी होकर - नहीं तो.. कौन था?
गौतम - मामी थी तेरे बारे में पूछ रही थी..
शबनम - तो? क्या कहा तुमने?
गौतम शबनम को बाहों में भरते हुए - मैंने कहा.. तुम्हे टाइम लगेगा.. बहुत जरुरी काम कर रही हो मेरा..
शबनम मुस्कुराते हुए - मालकिन ने क्या कहा?
गौतम - मामी ने कहा.. जब काम पूरा हो जाए तो भेज देना..
शबनम - सच में?
गौतम शबनम को बाहों से आजाद करते हुए - औऱ क्या मैं झूठ बोलूंगा?
शबनम मुस्कुराते हुए टेबल पर पड़ी सिगरेट के पैकेट से सिगरेट निकालकर लाइटर से सुलगाते हुए - ऐसा मैंने कब कहा?
गौतम - तु सिगरेट पीती है?
शबनम - जब इतनी सी उम्र में तुम पी सकते हो तो मैं तो तीस साल की हूँ.. मैं नहीं पी सकती?
गौतम बेड पर बैठके - सिर्फ सिगरेट ही पीना आता है मेरा ये सिगार भी पीना जानती हो..
शबनम गौतम के आगे फर्श पर बैठकर सिगरेट का कश लगाकर उसके लंड को पकड़ते हुए - मुझे सिगरेट पीते हुए सिगार पीना अच्छे से आता है ग़ुगु.. ये कहते हुए शबनम सिगरेट के कश लगाकर गौतम का लोडा मुंह में लेकर चूसने लगी..
गौतम - उफ्फ्फ.. शबनम.. अहह..
शबनम थोड़ी देर लोडा चूसकर - मज़ा आ रहा है ना ग़ुगु? तुम्हारा तो झड़ने का नाम ही नहीं लेता.. इतनी देर में तो अब्दुल 4 बार अंकल ज़ी 6 बार झड़ जाते..
गौतम - ये मर्द का लंड है शबनम.. आसानी से नहीं झडेगा..
शबनम - ग़ुगु एक बात बोलू.. बुरा तो नही मानोगे?
गौतम - खुलके बोल शबनम.. बुरा मान जाऊंगा तो तुझे चोदके बदला भी ले लूंगा..
शबनम मुंह से लंड निकालकर - ग़ुगु मैं घर की नोकरानी हूँ.. कभी मालकिन नहीं बन सकती.. पर लाइफ में एक बार मुझे मालकिन बनकर चुदाई करनी है अपने नोकर की.. मैं चाहती हूँ कोई मेरा नौकर बनकर रहे.. मेरा हर हुकुम माने..
गौतम शबनम के होंठ चुम्मा कर - इतनी सी बात?
(गौतम अपनी पेंट से अपना बेल्ट निकालकर अपने गले में पहन लेता है औऱ बिलकुल किसी कुत्ते की तरह उसका पट्टा शबनम के हाथ में देकर कुत्ते की तरह फर्श पर अपने हाथ पैर रखकर kutta बनते हुए शबनम से कहता है..
गौतम - लो हाज़िर है तुम्हारा गुलाम या कुत्ता.. दो हुकुम अपने इस गुलाम को मालकिन..
शबनम मुस्कुराते हुए गौतम के सर को चूमकर - गुगु बुरा तो नहीं मानोगे ना तुम.. मुझे थोड़ा अजीब लग रहा है..
गौतम - अगर तुने अपनी fantasy पूरी नहीं की तो जरूर बुरा मान जाऊँगा.. जो करना है करो.. समझी.. अब शुरू करो.. मुझे भी बहुत बोर हो गया था सिर्फ चुदाई करते हुए.. अब roleplay करके थोड़ा मज़ा लेता हूँ... भो भो.. मालकिन क्या हुकुम है अपने कुत्ते के लिए?
शबनम मूंड में आती हुई पट्टा अच्छे से पकड़ कर - क्या नाम है तेरा मेरे कुत्ते?
गौतम भोंकते हुए - ग़ुगु मालकिन..
शबनम बेड पर बैठकर अपने पैर का अंगूठा गौतम के मुंह में देती हुई - मालकिन के पैर की उंगलियां चूस मेरे कुत्ते..
गौतम अंगूठा औऱ उंगलियां चूसते हुए - ज़ी मालकिन..
शबनम कामुकता के अर्श पर थी उसने कहा - जीभ लगा के चूस.. मादरचोद..रंडी के बच्चे.. मालकिन नाराज़ हो गई तो जानता है ना क्या होगा?
गौतम रोने का नाटक करते हुए - चूसता हूँ मालकिन.. आप गुस्सा मत करो..
शबनम - रो मत साले कुत्ते.. चाट मेरे परो को अच्छे से.. जीभ लगा लगा के..
गौतम पैर चाटते हुए - जैसा आप बोलो मालकिन..
शबनम पैर चटवाने के बाद पट्टा खींचते हुए गौतम का मुंह अपनी चुत के करीब लाती हुई उसे गाली बकती है - साले ग़ुगु मादरचोद, बहन के लोडे, रंडी के मूत, चुदाईखाने, भोस्डिके भड़वे.. चाट अपनी मालकिन की चुत को.. बाहर निकाल अपनी जीभ..
गौतम अपनी जीभ बाहर निकालकर चुत पर फिराते हुए - मालकिन बदबू आती है आपकी चुत से..
शबनम गौतम को एक थप्पड़ मारकर - तुझसे पूछा मैंने कुत्ते? चाटने के बोला है ना.. तो फिर चाट अच्छे.. साला नौकर मुझसे जबान लड़ायेगा..
ये कहते हुए शबनम अपनी दोनों टाँगे औऱ अच्छे से खोलकर बेड पर लेट गई औऱ ग़ुगु के बाल पकड़कर उसके मुंह को जबरदस्ती अपनी चुत पर लगाती हुई उसे चुत चटवाने लगी..
इसके साथ ही शबनम ने एक सिगरेट जलाकर कश लेते हुए धुआँ ग़ुगु के मुंह पर छोड़ दिया.. औऱ बोली..
शबनम - अब आ रही है बदबू तुझे? साले नौकर.. छोटा सा होके अपनी मालकिन से जुबान लड़ायेगा.. चाट मादरचोद.. ठीक से चाट वरना काम से निकाल दूंगी औऱ झूठा केस लगाकर पुलिस स्टेशन में बंद भी करवा दूंगी..
गौतम रोते हुए - मालकिन नहीं आ रही बदबू.. मैं चाट रहा हूँ आपकी चुत को.. प्लीज मुझे पुलिस में मत देना.. पुलिस बहुत मारती है.
शबनम सिगरेट का कश लेकर मुझे मूतना है मेरे कुत्ते चल मेरे साथ बाथरूम में..
गौतम - ज़ी मालकिन...
शबनम बेल्ट का पट्टा पकड़ कर गौतम को बाथरूम ले जाती है औऱ गौतम कुत्ते की तरह ही अपने हाथ पैरों पर कुत्ते की तरह चलते हुए बाथरूम में चला जाता है..
शबनम पट्टा खींचते हुए गौतम को घुटनो पर बैठाकर एक थप्पड़ औऱ जमाती हुई - मुंह खोल साले नौकर.. तेरे मुंह में मूतेगी आज तेरी मालकिन..
गौतम मुंह खोलकर - लीजिये मालकिन..
शबनम एक हाथ से सिगरेट के कश लेकर दूसरे हाथ से गौतम के बाल पकड़कर उसके मुंह में मूतती हुई - पी साले कुत्ते.. गरीब.. तू मेरा मूत पिने लायक़ ही है..
गौतम शबनम का सारा मूत पी जाता है औऱ चाट कर उसकी चुत भी साफ कर देता है..
शबनम - मुंह खोल मेरे कुत्ते.. मालकिन को थूकना है..
गौतम मुंह खोलकर - लो मालकिन थूक दो मेरे मुंह में..
शबनम गौतम के मुंह में थूक देती है फिर शबनम सिगरेट पोट में फेंककर फ्लश करती है औऱ पट्टा खींचकर वापस गौतम को कुत्ते की तरह बिस्तर पर ले आती है औऱ कहती है - आजा मेरे कुत्ते.. अपनी मालकिन के दोनों बोबो को चूस के सारा दूध निकाल दे..
गौतम शबनम के बोबे चूसता हुआ - ज़ी मालकिन.. बहुत बड़े बड़े दूदू है आपके.. आह्ह.. मालकिन आपका दूदू बहुत मीठा है.. बहुत स्वादिस्ट है..
शबनम एक पल मुस्कुराते हुए गौतम को बेहद प्यार भरी नज़र से देखती है औऱ फिर गौतम के लंड को अपनी चुत में डाल कर कहती है - बहुत हो गई चूसाईं अब कर अपनी मालकिन की चुदाई मेरे कुत्ते..
गौतम लंड घुसते ही धमाकेदार धक्के मारना शुरू कर देता है - ज़ी मालकिन..
शबनम एकदम से सिसकती हुई - आह्ह.. कुत्ते थोड़ा धीरे.. मालकिन को धीरे चोद.. मालकिन को दर्द हो रहा है...
गौतम गले से पट्टा निकालकर - मालकिन की माँ की चुत.. साली..
शबनम कामुक सिसकियाँ लेते हुए - आहहह.. ग़ुगु थोड़ा आराम से..
गौतम मिशनरी में शबनम की चुत को कुछ देर चोदकर रुक जाता है औऱ शबनम झड़ जाती है मगर फिर भी कामुकता से भरी हुई आँखों से गौतम को देखती है और कहती है..
शबनम आहे भरती हुई - क्या हुआ ग़ुगु? करो ना..
गौतम चुत से लंड निकालकर - पोजीशन चेंज करनी है..
शबनम - बोलो ना.. क्या बनु? कुतिया या घोड़ी?
गौतम बेड से शबनम को उठाकर दिवार की तरफ मुंह करके खड़ा करते हुए पीछे से उसकी एक टांग उठाकर अपना लंड उसकी चुत में ड़ालते हुए कहता है - छिपकली...
शबनम दोनों हाथ दिवार पर लगाकर पीछे से गौतम के झटके खाती हुई सिसकती - अहह.. ग़ुगु.. आहिस्ता थोड़ा करो ना...
गौतम कुछ देर उसी तरह चोदकर शबनम को अपनी गोद में उठकर चोदता हुआ कहता है - अंदर ही निकाल दू ना मालकिन..
शबनम गौतम को चुमकर - जहा तुम्हारा मन हो ग़ुगु ..
गौतम शबनम चोदता हुआ बिस्तर पर पटककर शबनम की चुत में 8-10 धक्के पूरी ताकत से मारता हुआ झड़ जाता है औऱ अपना सारा माल शबनम की चुत में छोड़ देता है..
शबनम भी चीखती हुई गौतम से लिपटकर झड़ जाती है औऱ गीतम के होंठों को लगातार चूमने लगती है.. बहुत लम्बे समय तक दोनों उसी तरह से बिस्तर पर पड़े हुए एकदूसरे को चुम रहे थे..
गौतम चुम्बन तोड़कर - हैप्पी?
शबनम मुस्कुराते हुए - वैरी हैप्पी... थैंक्यू ग़ुगु भईया... औऱ सॉरी भी.. मैंने तुम्हारे इतने प्यारे चेहरे पर थप्पड़ मारा औऱ जो कुछ भी किया.. मगर तुम भी ना.. लंड घुसते ही औऱ छिपकली बनाके इतना कस के चोदा है मुझे कि क्या कहु.. बदला निकाल रहे थे ना जानू?
गौतम - बदला औऱ तुमसे? नहीं यार..
शबनम बेड से उठकर कपडे उठाकर पहनते हुए - अह्ह्ह्ह... हाय क्या हलात कर दी मेरी.. अब क्या जवाब दूंगी मालकिन को? कैसे प्यारे से दिखते हो पर बिलकुल शैतान हो शैतान.. पहली चुदाई से दस गुना ज्यादा दर्द दिया है तुमने..
गौतम बिस्तर पर लेटा हुआ - बुलाऊगा तो वापस आओगी ना..
शबनम मुस्कुराते हुए गौतम के लंड को मुंह में लेकर साफ करती हुई - बस इशारा कर देना..
शबनम कमरे से जाने लगती है तो गौतम कहता है - शबनम लाइट बंद कर देना जाते हुए..
शबनम लाइट ऑफ करके चली जाती है औऱ गौतम सुबह 10 बजे गहरी नींद में सो जाता है औऱ एक सपना देखने लगता है...