इतनी बुरी गत बनाई थी ब्यान ने के पूछो मत। मैंने आके मेरी ननंद को पूरी बात बताई वो पहले तो बहुत देर तक हंसी फिर बोली भौजाई थारी तो बुरी गत बनी गोद भराई भी कर दी थारी और ब्याही को कितनो मोटो हो कितनी बार पेली तने।ऐसे ही मस्ती मजाक करती रही फिर बोली भौजाई ब्यान से बदलो लेवा फिक्र मत कर बा एक घुसेड़ी ह आप दो घुसेड़ा।
बिटिया के ससुराल से आने के लगभग एक हफ्ते बाद बिटिया और पावणा तो हनीमून पर गए हुए थे।मुझे भी अब ब्याहीजी की हबसी लौड़े की याद आने लगी थी पिछले एक हफ्ते में 2 3 बार अपने पति से चुदी थी पर मन मे तो ब्याहीजी हि याद आ रहे थे। उनको याद करके और उतेजित हो जाती। मेरे पति भी कहने लगे क्या खाने लग गयी आजकल। अब उन्हें कैसे बताऊ ब्याहीजी का लण्ड खाया था।उस दिन मैं भी घर पर अकेली किचन में काम कर रही थी। तभी डोरबेल बजी मैने दरवाजा खोला तो सामने ब्याहीजी थे। उन्होंने राम राम किया मेने भी राम राम किया फिर अंदर बुलाया उन्हें सोफे पे बिठाया हाल चाल पूछे फिर मैं किचन में चाय बनाने लग गयी। अजीब सा फील हो रहा था जिसने मेरे गांड ओर चुत के होल को एक जैसा कर दिया वो लौड़ा बाहर बैठा था। मन तो कर रहा था अभी चुद जाऊ ब्याहीजी से। इतने में ही ब्याहीजी आये और मुझे पीछे से कमर में हाथ डाल कर जकड़ लिया।आउच ब्याहीजी कांई कर रिया हो।वो बोले म्हारी लाडकडी ब्यान याद नी आयी कई म्हारी। बहुत आयी म्हारा ब्याहीजी। फिर उन्होंने आधी बनी चाय वाला चूल्हा गैस बंद कर दिया और मुझे अपनी गोदी में उठा लिया और मुझसे मेरा बेडरूम पुछके उसमे ले गये और मुझे बेड पर पटक दिया।म्हारी रसमलाई ब्यान पक्की खबर है आज शाम तक म्हारी ब्यान अकेली है इसलिए मैं आग्यो ओर पूरी शाम तक थाने रगड़ रगड़ कर प्यार करू अब वो मेरे ऊपर आ गए आज थांकी बढ़िया से लेउ आगे पीछे से। में बोली बी दिन नी ली कई अच्छा हु। बी दिन ने ही 10 दिन हो गया म्हारी ब्यान । फिर मुझे चूमने लगे मै भी उनका साथ देने लगी। हम दोनों एक दूसरे को ऐसे चूम रहे थे जैसे बड़े दिनों बाद मिले है।वो अब बलाउज के ऊपर ही मेरे बोबो को मसल रहे थे ।मुझे भी उनका बड़ा मूसल मेरी रसभरी पर महसूस हुआ।में ओर चुदासी हो गयी मैंने उनका लौड़ा को पैंट में ही मसलना चालू किया।आह ब्याहीजी देखो नी यो ही म्हारी बुरी गत बनायो म्हारे आगे पीछे हु ख़ूब मजा लुटियो आज भी किसान अकड़ रिये, इकि अकड़ तो आज मैं निकालू। औऱ मैं उनके नीचे आ गयी फटाफट फटाफट उनका बेल्ट फिर पेंट खोली उनकी अंडरवियर तो तंबू बनी हुई थी। मैंने उसे भी नही छोड़ा और खोल दिया उनका लौड़ा बिल्कुल नंगा मेरे सामने आ गया।और मै उसपे टूट पड़ी। उसे मुँह में भर कर उसकी जम कर चुसाई चालू कर दी।हाथों में उनके आंड थे औऱ मुँह में उनका लण्ड मैं बेशर्मों की तरह उनके लण्ड को चूस रही थी।उनका मोटा खूँटा पूरा मुँह में नही जा रहा था आधा आधा कर के में उनके लण्ड को अपने मुंह मे अंदर बाहर कर रही थी। ब्याहीजी कि भी आंहे निकल रही थी।आह म्हारी ब्यान पुरो मत खा जाजो इन्हें। आह आराम से चूस म्हारा लॉलीपॉप ने। मैं उनका लण्ड मुँह से बाहर निकाल कर बोली।। आज तो पुरो खा जाउ ब्याहीजी इने।फिर उनके लण्ड को मुठियाने लगी औऱ अपनी जीभ उनके आन्डों पर फेरने लगी।अभी तो मै ब्याहीजी पर हावी थी। अब उनके आन्डो को एक एक करके मुँह में लेके चूसने लगी।बहुत मजे आ रहे थे ब्याहीजी कि ऐसी हालत करके । लगातार आंहे भरे जा रहे थे। और जोर जोर से उनके कड़े मूसल को मुठिया रही थी।ब्याहीजी बहुत ज्यादा जोश में आ गए ।और बोले अब ब्यान थारी बारी।उन्होंनेमुझे उल्टा किया।में उनके ऊपर उल्टी 6 9 कि मुद्रा में।मेरी रसभरी उनके मुँह पर और उनका लौड़ा मेरे मुंह पर ।अब खेल बराबरी का होने वाला था।कौन किसकी आंहे निकालता है। ब्याहीजी ने मेरी चड्डी निकाली और बिना घाघरा खोले मेरे घाघरे में ही मुंह डाल दिया। अपने दोनों हाथों से मेरी गांड की फांको को पकड़ा और अपनी जीभ से मेरी रसभरी पर हमला कर दिया। ब्याहीजी की जीभ मेरी रसभरी पर पड़ते ही मैं सिसकी आह … ह … ह!! सी … ई … ई … ई! … मेने भी उनके लण्ड पर हमला तेज किया और उनके लण्ड को जोर जोर से चूसने लगी। औऱ उनके आंड को अपने हाथों से सहलाने लगी।पर ब्याहीजी की जीभ मेरी रसभरी की फांको को खोलकर उसमे अंदर जाने लगी
आह … ह … ह!!ब्याहीजी का हमला बढ़ रहा था सहन नही हो रहा था अब मेने उनके लण्ड को बाहर निकाल कर उनके आण्डों को चूसने लगी और आंहे भरने लगी। ब्याहीजी की जीभ जब मेरे चूत के दाने को छूती तो अलग ही मजे आते। आह ब्याहीजी अब मेने उनका लौड़ा चूसना भी बंद कर दिया बस पूरा ध्यान अपनी चुत की चटाई में था। ब्याहीजी भी मेरी चूत को बढिया से चाट रहे थे अब वो मेरी चूत की अपनी जीभ को अंदर बाहर करके चुदाई कर रहे थे। आह ब्याहीजी मानो अब मेरे से रहा नही गया और मैने अपनी चुत ब्याहीजी के मुँह से हटाइ ओर उनके लण्ड को अंदर लेने की तैयारी करने लगी । मैं उनके नीचे गयी उनके लौड़े को पकड़ा और अपने घाघरे में अपनी चूत पर सेट किया और उसपे बैठने लगी उनका लौड़ा भी मेरी गीली रसभरी में आराम से जाने लगा। धीरे धीरे करके पूरा लौड़ा मेरे अंदर था। अब मै उछल उछल कर उसे अपनी चुत में अंदर बाहर कर रही थी। मैं खुद ही ब्याहीजी के लौड़े पे बैठ के चुद रही थी। मेरे दोनो बोबे ब्लाउज में ही उछल रहे थे।दोनो बोबो को हाथों से पकड़ कर उनका लौड़ा अंदर बाहर कर रही थी। ब्याहीजी और मेरी दोनो की आहे निकल रही थी। 5 10 मिनट में ही मेरी रसभरी ने पानी छोड़ दिया।मैं थक के ब्याहीजी के साइड में सो गयी अब ब्याहीजी मेरे ऊपर आये और अपना लौड़ा मेरी चुत में डाल के जोर जोर से धक्के मारने लगे।म्हारी ब्यान आज तो जीभर डालु थारे।मेरी गीली रसभरी में लग रहे उनके धक्कों से फचक फचक की आवाज गूंज रही थी। मैं भी वापस गर्म होने लगी और फूल मस्ती के मुंड में आ गयी हर झटके पर ब्याहीजी को अंट शंट बके जा रही थी।आह … उफ़ … हा … उई … ई … ई … ब्याहीजी धीरे करो कांई फाड़ो कांई। अरे ब्रारे बहुत खराब ब्याही मिल गयो ।डाल डाल ढीली कर देइ म्हारी ने। आह ब्याहीजी थांका ब्याही ने कांई बताऊ क्यान ढीली होगी म्हारी।ब्याहीजी ओर जोर से पेले जा रहे थे।ब्याहीजी थांकी माँ कुण को खा र जनी थाने घोड़ा को या गधा को अरे ब्रारे इतनो मोटो डंडों लेर फिरो थे। आह … ह … ह!! सी … ई … ई … ई! … बस बस..उफ़..फ़..फ़ … मत फाड़ो..सी..सी..सी आह … ह … ह … ह!” लास्ट के दो चार झटको बाद अपनी गाडी मलाई मेरी रसभरी में डाल दी। और साइड में लेट गए।उनके तेज झटको से भी वापस झड़ गयी थी।थोड़ी देर बाद मैं उनके मुरझाये लण्ड से खेलने लगी और उन्हें किस करने लगी हम दोनो बहुत देर तक प्यार भरी बातें हंसी मजाक करते रहे फिर एक राउंड ओर ब्याहीजी ने पेला मुझे फिर चले गए। अब अक्सर मैं ओर ब्याहीजी बाहर मिलने लगे कभी वो होटल ले जाते तो कभी उनके फार्महाउस पर और मेरी जम के चुदाई करते और में भी मस्त होके चुदवाती। होटल या फार्महाउस जाते टाइम भी रास्ते मे कार में वो अपना लौड़ा चुसवाते हुए गाड़ी चलाते मुझे भी मजे आते।कई बार तो उन्होंने मुझे गाड़ी में ही घोड़ी बनाकर चोदा था।हफ्ते 10 दिन में एक दो बार तो ब्याहीजी के लण्ड का स्वाद मिल ही जाता था।ब्याहीजी से चुदाई का सिलसिला तो चालू हो गया पर अभी अपनी ब्यान से बदला भी लेना था जिसने मेरी बुरी गत बनाई थी।