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Erotica चुदकड ब्यानजी

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अब चलते हैं दिया के पास, दिया सगाई करके वापस होस्टल आ गयी थी। रात में वो ओर जिया दोनो नँगी बिस्तर में पड़ी थी। जिया क्यों जीजू का देखा क्या। दिया बोली अभी कहां हम तो मिल भी नही पाए । बस भाभी के कारण नंबर एक्सचेंज हो गए। डेली बात भी हो रही हैं। जिया बोली वाह मेरी लाडो वैसी बाते भी हुई क्या ।।। नही यार अभी तो हफ्ता भर हुआ है इतना खुले नही है हम।

थोड़े दिनों बाद दोनो में काफी खुलके बाते होने लगी दोनो फ़ोन में सेक्स की बाते करते और दिया अपनी सहलाती ओर वो अपना लण्ड मसलता।

बात करते है दिया के होने वाले पति की उसका नाम विराज था। विराज की भी काफी गर्लफ्रैंड रह चुकी थी।कितनो की तो वो सील तोड़ चुका था।उसका लौड़ा भी काफी लंबा मोटा था।
सगाई को लगभग एक महीना भर हो गया।। दिया को भी लण्ड लिए हुए काफी टाइम हो गया था।कल रात फ़ोन पर ही विराज ने उसे काफी गीली कर दिया था।आज तो उसने लण्ड लेने का प्रोग्राम बना लिया था।उसने यश को फ़ोन किया।यश को अभी तक दीया ने दी नही थी।और दोनो दोपहर में एक होटल रूम मे मिले।। दीया ने विराज को कॉल किया थोडी देर बात करने के बाद वो बोली जान जो तुमने कल मेरे साथ फ़ोन में किया उसको याद कर कर के मुझे कुछ हो रहा है वापस मेरे साथ वो सब करो ना। विराज भी अपने घर मे रूम में था वो बोला मेरी जान ऐसे नही वो बोलो क्या करूँ तुम्हारे साथ। दिया शर्माने का नाटक करती हुई बोली क्या तुम भी मेरे मुँह से सब गन्दा गन्दा निकलवाओगे। विराज बोला जब तक नही बोलोगी तब तक कुछ नही करूँगा।दिया बोली जानु कल तुमने मुझे फ़ोन में चोदा था वेसे ही अभी भी चोदो ना जान । विराज बोला ठीक है मेरी जान ।दिया ने फोन का स्पीकर ऑन किया, उसे साइड में रखा और यश को बाँहो में लिया उंसके कान में बोली की जैसे जैसे फ़ोन से आवाज आये उसे भी वो सब करना है।। यश भी समझ गया की दीया लण्ड तो उसका लेगी पर फील अपने होने वाले पति को करेगी।।
विराज ने भी अपना रूम बन्द कर लिया और बेड पर पूरा नँगा हो गया
फोन में विराज बोलने लगा


विराज- अब मैं जो बोलूंगा वो तुम्हें इमेजिन करना है और खुद वैसे ही करना है।
दीया- ओके बाबा, अब शुरू भी करो।
विराज- ठीक है, अब मैं तुम्हारे कमरे में आ रहा हूँ, दरवाज़ा बंद कर दिया है।
तुम्हारे बिस्तर पर हूँ, तुम्हारे पास… मैं तुम्हें किस कर रहा हूँ। तुम्हारे गालों पर, तुम्हारी पलकों पर, तुम्हारे कान के नीचे, और गर्दन के पीछे।
दीया- आअह्ह्ह विराज… मैं फील कर रही हूँ ये सब तुम मेरे साथ कर रहे हो। मैंने अपनी आँखें बंद की हैं, तुम्हारा चेहरा मेरे सामने है अच्छा लग रहा है।

यश भी ऐसे ही दीया को किस कर रहा था।

और विराजअपने लण्ड को हाथों में ले के धीरे धीरे मुठिया रहा था।

विराज- गुड, सही जा रही हो। तुमने क्या पहना ह
दीया-जींस टॉप
विराज-केवल जीन्स टॉप ही
दीया-अंदर पिंक कलर की ब्रा पैंटी

विराज-“अब मैं तुम्हारा टॉप उतार रहा हूँ। तुम गुलाबी ब्रा में बहुत खूबसूरत लग रही हो।”

यश ने भी दीया का टॉप हटा दिया और ऊपर से दीया केवल पिंक ब्रा में हो गयी

दीया- ओके मैंने टॉप उतार दी है।
“विराज, तुम मुझे देख रहे हो न? मुझे शर्म आ रही है!”

विराज- अभी से शर्म कैसे मेरी जान?
विराज-और अब तुम्हारी जीन्स खोल रहा हूँ।”
“ये लो… तुम्हारी जीन्स भी गई।”
“बला की खूबसूरत लग रही हो तुम इस गुलाबी ब्रा और पैंटी में।”

यश ने दीया की जीन्स भी खोल दी

दीया-ओह विराज तुम भी ना

विराज-“उफ्फ्फ्फ़ तुम्हारी चूत… पैंटी के अंदर से झाँक रही है, बिलकुल बर्गर जैसी!”
दीया- क्या कर रहे हो विराज? ऐसा भी कोई करता है क्या? मुझे कुछ हो रहा है

विराज- फील करो। मैं ब्रा के ऊपर से तुम्हारे बूब्स दबा रहा हूँ और चूत को मसल रहा हूँ, तुम्हारी चूत गीली हो रही है।

यश भी ब्रा पैंटी में बैठी दीया के बूब्स दबा रहा था और उसकी चूत मसल रहा था।

विराज : मैंने एक बूब निकाल लिया है दूसरे को ब्रा के अंदर ही हाथ से पकड़ लिया है अब जीभ से तुम्हारे निप्पल को खोज रहा हूँ, उधर उंगली से….


दीया : देखो… ये रहे….. जानुउउउउउ…..

विराज: अहहह मिल गये निप्पल……मैंने सिर्फ़ ज़ीभ की टिप से निपल को छुआ है।
दीया: ये कड़ा हो रहा है…………..उफ

यश भी दीया के निप्पल पर अपनी जीभ फेर रहा था।

विराज : फिर मैं निप्पल पर झीभ से ही उसे ऊपर मोड़ दिया, फिर नीचे….. फिर लेफ्ट और फिर राइट…. और फिर गोल गोल घुमा रहा हूँ …. अब मैंने इसे चूसना शुरु कर दिया….

दीया : लिक इट बेबी…. उम्म्म्मम उफ

विराज-मैं चूसता जा रहा हू अब मैंने पीछे से ब्रा की स्ट्रीप खोल दी और दूसरे बूब को भी मुँह में भर लिया है….

दीया : दबाओ दूसरे को… उम्म्म्म इसको भी चूस लो…विराज इसे भी मत छोड़ना

इधर यश भी बिल्कुल वैसा ही करे जा रहा था। जैसा विराज फोन में बोल रहा रहा था।
दीया के दोनो बोबे पूरे नँगे हो गए थे और उन्हें दबा रहा था मुंह मे लेके चूस रहा था।


विराज-अब मैंने टोपलेस तुम्हें हग कर लिया है और तुम्हारे निपल्स मेरे चेस्ट पर निपल्स से रब हो रहे हैं…… और रब करो…..
दीया: उम्म्म्मम ह्म्‍म्म्ममम ओह गॉड, विराज यू आर सो सेक्सीईई
विराज : वेट…… जान अब मैं नीचे जा रहा हूँ और नाभि को लिक कर रहा हूँ…
दीया : निकाल दो …. पेंटी भी निकाल दो… उम्म्म
विराज : अब मैं तुम्हारे पैर क अंगूठे को चूस रहा हूँ और लिक करते हुए ऊपर आ रहा हूँ….. अब मेरे लिप्स तुम्हारी जाँघो पर हैं… बहुत सुंदर हो तुम मेरी जान…
दीया : जो चाहे कर लो ! मैं तुम्हारी ही हूँ

उधर फ़ोन में विराज जैसा बोल रहा था । यश दीया के साथ बिल्कुल वैसा ही कर रहा था।।दीया भी बहुत चूड़ासी हो गयी थी।

विराज : अब मैं जन्नत की खुशबू ले रहा हूँ, बहुत सुंदर है.. अब मैंने लिप्स से पकड़ कर पेंटी नीचे कर दी….

दीया: आह जान पूरी निकाल दो ना आआ…

विराज : पूरी निकाल दी… अब मैं ज़ीभ की टिप से तुम्हारी चूत को सहला रहा हूँ, और लिप्स को ज़ीभ से खोलने की कोशिश कर रहा हूँ…… कैसा लग रहा है…. जान….?

दीया : उईईई मममम्ममी….. बहुत्त्त्त मस्त लग रहाआआ हैईईइ… करते रहो…



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यश भी दीया की चूत को चाटे जा रहा था
दीया पूरी चूदासी हो गयी थी

दीया- मैं तुम्हारे सामने नंगी खड़ी हूँ ओह विराज तुमने तो मुझे पूरा नँगा कर दियाऔर अपनी चूत सहला रही हूँ।

विराज- मैं अपने लण्ड को तुम्हारी चूत के मुँह पर रगड़ रहा हूँ तुम्हारे बूब्स दबा रहा हूँ, निप्पल रगड़ रहा हूँ।

अब तुम सहलाना बंद करो और अपनी दाएं हाथ की बड़ी उंगली को मुँह में डालकर गीली करो। दूसरे हाथ से चूत के दोनों होठों को खोलकर गीली उंगली चूत में डालो।”

विराज-अब तुम लोलीपोप चूसना।

दीया- लोलीपोप? मैं कोई बच्ची तो नहीं हूँ जो लोलीपोप चूसूंगी !

विराज-“मना ना करो, तुम्हारे लिए बहुत टेस्टी लोलीपोप लाया हूँ।”

दीया-“अच्छा ! कहाँ है दो।”

विराज-“पहले तुम अपनी आँखें बंद करो।”

दीया-“मैं अपनी आँखें बंद करती हूं।”

विराज-अब मैं अपना लन्ड निकाल कर के तुमसे कह रहा हूं जानू अपना मुँह खोलो !

दीया -ठीक है बाबा मैं अपना मुँह खोलती हूं और तुम अपना लन्ड मेरे मुँह में दे दो।

यश ने भी बिल्कुल वैसा किया अपना लण्ड दीया के मुंह मे दे दिया
विराज बोला दीया मेरी जान अब तुम बताओ तुम क्या करोगी मेरे लण्ड के साथ


दीया बोली-
मैं आँखें खोलती हूं और तुम्हारा लन्ड देखती हूं-
तो यह लोलीपोप है?

विराज-हाँ, अब चूसो !

दीया-मैं तुम्हारा जींस का बटन खोल कर अंडरवीअर नीचे करके घुटने तक,फिर तुम्हारा लन्ड चूसने लगती हूं।

दीया ने यश की जीन्स खोलकर अंडरवियर नीचे कर दी और यश का लण्ड चूसने लगी।

दीया साथ मे यश का लण्ड चूस रही थी और बीच बीच मे विराज को बोल रही थी।

दीया-तुम मेरे सर के पीछे से पकड़कर कस के चुसवाने लगते हो। तुम्हारा लंबा मोटा लन्ड मेरे मुँह में पूरा नहीं जा पा रहा है,

विराज-मैंने तुम्हे पकड़कर अपने लन्ड को ज़ोर से तुम्हारे मुँह में डाल दिया।

दीया-मैं तुम्हारा पूरा लन्ड लोलीपोप की तरह चूस रही हूं।

विराज अपने रूम में अपने लण्ड को मुठिया रहा था। वह दीया के साथ चुदाई को इमेजिन कर रहा था। उसे लग रहा था दीया सही में उंसके लण्ड को चूस रही है।
और उसके मुठियाने की स्पीड बढ़ने लगी

विराज बोला“बस रुक जाआआओ ! वरना मैं झर जाऊँगा।”

दीया-“तो झर जाओ !”

विराज- नहीं ! मुझे अभी तुम्हारी चूत और तुम्हारी गान्ड मारनी है।

दीया- ठीक है बाबा मैं हट जाती हूं।

विराज- अब तुम जैसे ही पलटती हो, मैं तुम्हे पीछे से पकड़ कर तुम्हारे मम्मे दबा रहा हूँ।।

दीया-आउच विराज धीरे दबाओ।।

विराज- इस समय मेरा लन्ड तुम्हारी गान्ड के छेद के पास गड़ रहा है।मैं तुम्हे ऐसे अपनी बाहों में उठा रहा हूं कि मेरा लन्ड तुम्हारी गान्ड से रगड़ रहा है और तुम्हे उठा के बेड के पास ले गया ।

वहाँ पहुंच कर मैं तुम्हे घोड़ी बनाता हूँ तुम्हारी गान्ड के छेद पर वैसलीन लगा रहा हूँ, और अपने लन्ड पर भी !

दीया- आज क्या पहले गान्ड मारोगे?

विराज-“हाँ !”

दीया-“तो ठीक है ऐसे मारना मेरी गान्ड फ़ाड़ देना ! ठीक है?”

विराज-अब मैं पहले दो उंगलियों से तुम्हारी गान्ड का छेद बड़ा कर रहा हूं, फ़िर धीरे से अपना सख्त लन्ड तुम्हारी गान्ड पर लगा रहा हु और धीरे से तुम्हारी गान्ड मारना शुरू कर दी। धीरे धीरे धक्के देता जा रहा हु, मेरे हाथ तुम्हारे मम्मों पर आ जाते हैं और मैं उन्हें दबा रहा हू, बीच बीच में दो उंगलियों से मैं तुम्हारी चूत में भी फ़िन्गरिन्ग कर रहा हु

इधर यश ने भी दीया को घोड़ी बनाया और दीया की गांड में अपना लण्ड डालने लगा। दिया उसकी गर्लफ्रैंड बनी तो काफी टाइम हो गया पर दीया की गांड मारने का मौका उसे आज मिला था।
वो मन ही मन सोच रहा था कि दीया कितनी बनी चुदककड है अपने मंगेतर से फ़ोन से बात करते हुए मुझसे चुदवा रही ह।
उसका मंगेतर तो बेचारा लण्ड हिला रहा है। और दीया की गांड तो मैं मार रहा हूं।


दीया-आऽऽऽहऽऽ आआऽऽ मज़ा आऽऽ रहाऽऽ है… और जोर से और जोर से
” मुझे धीरे में मज़ा नहीं आ रहा, जोर से मारो मेरी गान्ड फ़ाड़ दो आज विराज”
विराज-अब मै तुम्हारी जांघें पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच रहा हु और एक झटके में अपना पूरा लन्ड तुम्हारी गान्ड में डाल दिया

दीया- आऽऽऽऽह ऽऽआअऽऽऽऽ अऽऽऽऽ मर गई !
विराज-इससे पहले कि तुम सम्भलो, मैं तुम्हारी गान्ड जोर जोर से मार रहा हु, पूरा लन्ड बाहर निकाल कर जोर से एक झटके में अन्दर बाहर कर रहा हु।

यश ने भी अपना लण्ड जड़ तक दीया की गांड में पेल दिया और कस कस के धक्के मारने लगा
उसका लण्ड अभी तक वर्जिन था। पर दीया की गांड में घुसने के बाद उसकी वर्जिनिटी भी जाती रही।

दीया-“मुझे बहुत दर्द हो रहा है लेकिन मज़ा भी आ रहा है !”

विराज-मैं अपनी स्पीड बढ़ा रहा हू!

दीया-मैं कहती हूं- रुक जाओ प्लीज बस !

विराज- नहीं आज सचमुच में तुम्हारी गांऽऽऽऽड फ़ाड़ के रहूंगाऽऽऽ”
“मज़ाऽऽऽ आऽऽऽ रहाऽऽऽ है नाऽऽऽ.?”

विराज अपने लण्ड को अब जोर जोर से मुठियाने लगा।

दीया-“हाँऽऽऽऽऽ!

विराज-मैं फ़िर तुम्हारी गान्ड के पट्टों पर थप्पड़ मार रहा हु सटाक सटाक !

यश भी दीया की गांड पर चपेट लगाने लगा ।


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दिया-मुझे बहुत मज़ाऽऽऽ आऽऽऽ रहा है, मेरे चूतड़ बिल्कुल लाल हो गये और मेरी गांड का बुरा हाल हो गया, लेकिन तुम रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हो !

विराज-ठीक है मैं रुकता हु पर एक शर्त है कि तुम मेरे लन्ड पर बैठ कर कूदोगी क्योंकि मुझे अभी तुम्हारी गान्ड और भी मारनी है !

दीया-अच्छा बाबा ! अच्छा ! अब तुम नीचे लेट जाओ मैं
तुम्हारे लन्ड पर तुम्हारी तरफ़ मुंह करके बैठ रही हूं और कूदना शुरू कर देती हूं।

अब दीया ने यश को बेड पर लेटा दिया और खुद उंसके लण्ड को अपनी गांड के छेद पर सेट करने लगी

विराज-आऽऽहऽऽ आऽऽऽऽऽआअ, मेरे लन्ड पर ऐसे ही कूदती रहो !

दीया-इस पोजीशन में तुम्हारा लन्ड बहुत अन्दर तक जा रहा है।

विराज-एक हाथ से मैं बारी बारी तुम्हारे मम्मों को मसल रहा हु और दूसरे से तुम्हारी चूत को !

दीया यश के लण्ड पर बैठकर लण्ड को अंदर बाहर कर रही थी। यश का लण्ड दिया कि गांड में काफी अंदर जा रहा था।यश भी उसकी चूत को हाथों से मसल रहा था।अब दीया का होने वाला था।


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विराज भी काफी देर से अपने लण्ड को मुठिया रहा था अब उसके हाथ और तेज चलने लगे गए ।दीया की सिसकारियां उसे और गर्म कर रही थी।कभी भी पिचकारी निकल सकती थी।

यश दीया के उछलते बोबो को पकड़ रहा था और चूत के दाने पर अपनी उंगली चला रहा था

दीया- मेरा हो रहा है विराज आऽऽहऽऽ आऽऽऽऽ आअ आऽऽऽहऽऽ आअऽऽ अऽऽऽऽ मर गई।
उफ़्फ़्फ़्फ़ ! मेरी चूत के जूस तुम्हारे हाथ पर और तुम्हारे पेट पर फ़ैल गया.’ मैं थक गई कूद कूद के”

विराज-“अच्छा तो हट जाओ !”
वापिस घोड़ी बनो आज तुम्हारी गांड में ही अपनी मलाई डालूंगा।

फ़िर एक झटके में अपना लन्ड तुम्हारी गांड में डाल दिया।

दीया- हाऽऽऽऽय आऽऽज क्या जान निकालने का इरादा है?
विराज-“नहीं, लेकिन जब दर्द होता है तभी तो मज़ा आता है !”

और मैं जोर जोर से तुम्हारी गांड मार रहा हु। मेरा लन्ड पिस्टन की तरह तुम्हारी गांड में जा रहा है।

यश भी घोड़ी बनी दीया की गांड में ताबडतोड धक्के मार रहा था दीया की ऐसी हालत हो गयी थी कि उसकी चूत ने दूसरी बार पानी छोड़ दिया
विराज ने भी मुठ मार मार कर अपने लण्ड से पानी निकाल दिया

दीया-वाह विराज तुमने मुझे एक बार और झड़ा दिया।

विराज-ओह जान मेरा भी हो रहा है ।ओह में भी आया।और मेरा निकल गया और तुम्हारे गांड में पूरा का पूरा रस डाल दिया

दीया- ओह विराज तुमने तो आज फाड़ ही दी ।मेरी फोन में ही क्या हालत कर दी मेरी शादी के बाद पता नही क्या करोगे

विराज-तुम्हारी सुबह शाम चुदाई करूँगा अपना लण्ड तुम्हारी चूत में ही रखूँगा।
दीया- ठीक है बाबा में बाथरूम जा रही हु रात में बात करते ह
और दीया ने कॉल कट कर दिया।
पर यश का अभी भी नही हुआ
यश और जोर से सटासट सटासट धक्के मारने लगा
दीया बोली ओह यश तुम्हारा निकला नही क्या।आज क्या फाड़ के ही मानेगा क्या मेरी
हा ओर जोर लगा हाँ ओह यश बेबी ओर जोर से मार मेरी गांड को
दो चार तेज झटको में यश का भी निकल गया।और दोनो निढाल हो कर बेड पर पड़ गए।
यश बोला दीया तुम तो बहुत बड़ी वाली निकली एक साथ दो का पानी निकलवा दिया ।।बेचारा तुम्हारा मंगेतर तो अपना लण्ड हिला रहा है उसे क्या पता तुम सही में ही लण्ड ले रही हो। दिया बोली उस बेचारे के लिए अपनी वर्जिनिटी बचाकर रखी है सुहागरात में उससे ही तुड़वाऊंगी अपनी सील।


वापस महिमा की जुबानी
अब मुझे वापस अपने बेटे की शादी की तैयारियों में जुटना था।मैंने मेरी ननंद को फोन किया और उनसे बोली कि बाईजी इस बार आपको ओर नंदोईजी को जल्दी आना हैशादी में। नंदोईजी तो सोनम की शादी में भी ज्यादा नही रुके थे। मेरी ननंद बोली ले भौजाई थे ही बोल दो थांका नन्दोई ने।।
मैंने नंदोईजी को बोला फिर वो बोले जल्दी तो आ जायेंगे । पर इस बार निमंत्रण देने आपको आना पड़ेगा ।
मैं बोली ठीक है इस बार निमंत्रण देने मैं खुद ही आऊंगी।

अब मैं निमंत्रण देने जा रही हु अपने नंदोईजी के पास देखते है वो कैसे निमंत्रण लेते हैं मेरा।
 
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मैं अकेली ही पहुँची थी मेरी ननंद के घर पर। दोपहर में पहुँची थी तो शाम तक नंनद संग गप्पे लड़ा रही थी।। रात को खाना हुआ ।मैं और मेरी नंनद उनके रूम में बैठे थे तभी नन्दोईजी आये। मुझसे राम राम करी।फिर मेरी ननंद बोली भौजाई अटे पास में आज रातीजगा ह।मैं तो बटे जा रियु। थे भी अटे लगाओ रातीजगो। और फिर मेरे नन्दोईजी से बोली ज्यादा तंग मत करजो म्हारी भौजाई ने।
ननंद गयी, रूम बन्द हुआ। और नन्दोईजी को तो मानो सब्र नही था।
उन्होंने मुझे बाँहों में जकड़ लिया।
बोले आओ म्हारी सलहज बहुत दिन बाद मिली हो। बी दिन भी गाड़ी में गर्म कर छोड़ दियो। नन्दोईजी मुझे चूमने लगे।उनके हाथ मेरे पीठ पर चलने लगे। मैंने घागरा लुगड़ी पहने थे।नन्दोईजी ने मेरी लुगड़ी हटा दी और नन्दोईजी आगे से मेरे ब्लाउज के हुक खोलने लगे और एक हाथ से मेरे घाघरे का नाडा खोलने लगे और अब मैं केवल ब्रा और चड्डी में ही थी। नन्दोईजी मेरी गांड की फांको को कस के मसलने लगे

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।उन्होंने भी पहले अपना कुर्ता उतारा फिर अपना पजामा भी खोल दिया वो भी केवल अंडरवियर में आ गए। और अब उन्होंने मेरा एक हाथ पकड़ा और अंडरवियर के ऊपर ही उनके लौड़े पर रख दिया। मैं ऊपर से ही उसे मसल रही थी दबा रही थी।

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अब नंदोईजी पलँग के किनारे बैठ गए और मुझे जमीन पर घुटनो के बल बैठा दिया और मेरे मुँह को अपने अंडरवियर के पास ले आये। मैंने उनका अंडरवियर उतार दिया और उनके लौड़े को चूमने लगी फिर उसे मुँह में ले के चूसने लगी एक हाथ से उनके आण्डों को सहला रही थी। उनका लौड़ा ओर कड़क होता जा रहा था।नंदोईजी बोल रहे थे। हाँ म्हारी सलहज इसान ही चुसो इने हाँ इसान।।नन्दोई ने अपना हाथ पीछे डाल कर मेरी ब्रा खोल दी और मेरे दोनो बोबे नँगे हो गए। अब वो मेरे बोबे मसल रहे थे। मैंने भी पूरा का पूरा लौड़ा अपने मुंह मे भर लिया इतना मोटा था कि बड़ी मुश्किल से मुँह में आया।

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नंदोईजी जी आंहे भरने लगे। आह म्हारी सलहज।हाँ इसान ही।अब मैने उनके आण्डों को मुंह मे लेना शुरू किया। पहले एक फिर दूसरा। क्या मोटे मोटे आंड थे उनके।नन्दोईजी ने अब मुझे उठाया और पलँग पे लेटा दिया औऱ

मेरी दोनों टाँगे उनके कन्धों पे थी, नीचे भी उन्होंने मोटा तकिया लगा दीया, फिर फैला के ,
अपना लौड़ा मेरी चुत में डालने लगे। मै भी काफी चूदासी हो गयी थी इसलिये मेरी चूत भी गीली हो चुकी थी। गीली चूत में उनका लौडा आसानी से जाने लगा।दो झटको में ही उन्होंने पूरा लौड़ा जड़ तक पेल दिया। मैं उनको बाँहो में भीचने लगी।आह नन्दोईजी आह।नन्दोईजी तो लौड़े को अंदर बाहर निकाल कर मेरी चुदाई करने लगे।

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आह नन्दोईजी कांई कर दिया। मेरी पूरी चुत ठसाठस भर चुकी थी।
उनका ठेला गया लौड़ा चूत मे जड़ तक धँस कर एकदम से कस गया. चूत मे लौड़े के इस जबर्दाश्त घूसाव से मैं भी मस्ती मे उछल पड़ी और चीख सी पड़ी "आह नंदोईजी हाइईइ आअहह..." फिर नन्दोईजी ने अपने लंड की ओर देखा तो पाया कि लंड का कोई आता पता नही था और पूरा का पूरा मेरी चूत मे समा गया था.
अब मुझे भी दर्द के बजाय बहुत मज़ा मिल रहा था. बस मेरा यही मन कर रहा था की नन्दोईजी उस घूसे हुए मोटे लौड़े को आगे पीछे करें. मोटा लौड़ा जो बुर के लिसलिस्से पानी से अब पूरी तरीके से भीग चुका था, मेरी चूत में किसी मोटे पिस्टन की तरह आगे पीच्चे होने लगा।।आज तो आनन्द आ रिये सलहज की लैबा में,इतना बोलते ही नन्दोईजी हचक हचक कर चोदने लगे ।।मैं भी अपनी चूत मे लगी आग को बुझाने के लिए हर धक्के पर अपनी गांड को उठाने लगी थी क्योंकि उन के मोटे लौड़े को पूरी गहराई मे घूस्वा कर चुदवाना चाह रही थी।।नन्दोईजी के हर धक्के के साथ मेरी चूत पूरी गहराई तक चुद रही थी. उन का सुपाड़ा मेरी चूत की दीवार को रगड़ रगड़ कर चोद रहा था. मैं जैसे सातवें आसमान पर उड़ रही हो।।नन्दोई जी हर धाक्के को अब तेज करते जा रहे थे. उनका लौड़ा जब मेरी चूत में पूरी तरह से अंदर धँस जाता तब नन्दोई जी के दोनो आंड मेरी गांड पर टकरा जाते।।. कमरे मे फाकच्छ फ़ाच्छ के आवाज़ भरने लगी. सिसकरने तेज कर दी थी. अचानक मेरे शरीर मे ऐंठन शुरू होने लगी ही थी की ननदोईजी ने मुझ को कस कर जकड़ लिया और मेरी गीली और चू रही चूत को काफ़ी तेज़ी से चोदने लगे. मैं चीख सी पड़ी " आह म्हारी माँ ओह म्हारा नन्दोईजी आह." और मेरी की चूतसे पानी निकल कर लंड पर पड़ने लगा.।। मैं झड़ गयी।

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नन्दोईजी कुछ देर मुझे ऐसे ही चोदते रहे फिर पोजीशन चेंज करी और फिर मुझे घोड़ी बना दिया।। और मेरी गांड में तेल लगाने लगे।नन्दोईजी का लौड़ा मेरी गांड में पहली बार जाने वाला था। उनका लौड़ा तो मेरी गीली चूत से चिकना हो ही गया था। धीरे धीरे उनका सुपाड़ा फिर पूरा लौड़ा मेरी गांड में।

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मेरी कामुक आवाजें निकल रही थीं.इईईईई माँ आह बचाओ … रेबा दो … नन्दोईजी नीं जाई … यो म्हारी फाड़ देई … मत करो.आह … ह … ह!! सी … ई … ई … ई! … बस बस..उफ़..फ़..फ़!अब नन्दोईजी लौड़ा सेट करके धक्के मारने लगे। मैं घोड़ी बन कर अपने नन्दोईजी से गांड मरा रहीं थी।उनका लौड़ा मेरी गांड की गहराई में घुस रहा था।
आहहहह… दर्द हो रिये आराम से डालो म्हारी… में… ओह्हहहह… … यो मूसल … आहहहह… कांई आज म्हारी ने.. आहहहह… फाड़ो म्हारी ने आहहह…
वो बोले म्हारी सलहज कांई कसी हुई ह थारी।म्हारो तो पुरो ही भीच ग्यो।

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नन्दोईजी अब बेदर्द हो गए थे और धचक धचक कर घुस रहे थे हुमच हुमच कर गांड मार रहे थे उनके हाथ मेरी सख्त गांड पर कसे हुए थे मेरे मुह से आआआआआ।ह्ह्ह्ह्ह अये…. माँ ,,,,,अरी बाईजी… मर गैईईईईईईईइ ,,रेरेरेरेरेरे म्हारा रामजी.....की आवाजें आ रही थी
वो मुझे गचा गच पेल रहे थे रूममें चुदाई का संगीत घुंज रहा था ..खप्प खप्प . ,पुच्च पुच्च ..,फक्क फक्क , सट सट , गप्प गप्प ! मुझे लग रहा था कि आज तो मेरी गांड गयी पर अब कुछ मजे भी आ रहे थे
नन्दोईजी भी समझ गए की अब उनका पूरा लंड गांड में अच्छे से घुस गया हे तो अब पूरी ताकत और रफ़्तार से गांड मारने की बारी आ गई हे ! उन्होंने मेरी गांड पर अपने पंजे दबाये

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और हुमच हुमच कर तेज तेज धक्के मार मार कर तूफानी रफ़्तार से मुझे पेलने लगे !रुम में फच्च फच्च की आवाज़े तेज हो गई थी ...!" नन्दोईजी ने अपनी रेल की स्पीड इतनी तूफानी कर दी की मेरा मुह खुला ही रह गया

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और मेरी सिसकियां आहे कराहे रूम में घुन्जने लगी ....आआआआअ…। ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अरॆऎऎऎऎ ..ब्रा ब्रा ब्रा ब्रारे.....मरी ईईईईईईईईइ रे में तो आआज ...आआआआआइ ननंदोईजी तो फाड़ दी म्हारी।थोड़ी देर बाद अब मुझे सही लग रहा था।पर नन्दोईजी ने एक हाथ मेरी चूत की फांको पर रख कर मसलने लगे और बोलने लगे किसान लाग रिये म्हारी सलहज ने।


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तब मैं तेज धक्को में सिसकते ही बोली :-" ...ठीक लाग रिये नंदोईजी ......बा रे ...बड़ो आछो लाग रिये। इसान ही करता जाओ नन्दोईजी इसान ही ...चिल्ला कर बोली :-" आआआआआअ ..ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...रॆऎऎऎऎऎऎऎ नन्दोईजी ...आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...मैं तो झड गई .. !"मैंने उनके हाथ पर ही पूरा रस निकाल दिया उन्होंने मेरा रस ही मेरी गांड पे लेपने लगे उनका बदन भी अब झटके खाने लगा। और दो चार तगड़े झटको में नन्दोईजी ने सारी मलाई मेरी गांड में निकल दी और बोले आआअह ..सलहज ले निचोड़ लो पूरो मन्ने......थे तो पूरी गन्ना को रस निकालबा वाली मशीन हो ........!"
नन्दोईजी ने तो गांड का गुड़गांव बना दिया मैं थक कर लेट गयी नन्दोईजी भी मुझे बाहों में लेके लेटे रहे थोड़ी देर हमने बाते की और आधे घण्टे बाद उनका लौड़ा वापस तन्ना गया।और मुझे नीचे लेटा कर एक राउंड और मेरी चूत की चुदाई की।फिर हम नँगे ही सो गए
सुबह के टाइम रतजगा खत्म होने पर मेरी ननंद वापस आयी। और रूम का दरवाजा बजाने लगी मेरे नन्दोईजी ने टॉवेल लपेट कर रूम खोला औऱ ननंद भी आ गयी ननंद मेरे साइड में सोने लगी दोनो के बीच मे नँगी पड़ी थी कुछ देर बाद ही लगा ननंद सो गई है। तब नन्दोईजी उठे मेरे ऊपर आ गए। मेरे बदन को सहलाने लगे और मुझे होंठो पर चूमने लगे मैंने धीरे से उनके कान में कहा नन्दोईजी मानो बाईजी उठ जाई। पर वो तो कहा रुकने वाले थे।रात में इतनी बार झड़ने के बाद भी मन मेरा भी कर रहा था कि नन्दोईजी के लौड़े से एक बार फिर झड़ जाऊ पर मेरी ननंद सो रही थी इसलिए मैं शर्मा रही थी।नन्दोईजी अपने लौड़े को मेरी चूत पर रगड़ रहे थे।अब उन्होने धीरे धीरे मेरी चूत में अपना सुपाड़ा घुसा दिया आह नन्दोईजी मानो। तभी मेरी ननंद उठी औऱ लेटी लेटी हमारे पास आ गयी औऱ मेरे नन्दोईजी से बोली क्यों परेशान कर रिया हो म्हारी भौजाई ने रातभर सु मन नी भरियो कांई थांको। फिर में भी मेरी ननंद से अपने नन्दोईजी की शिकायत करने लगी देखो नीं बाईजी नन्दोईजी रात भर निचोड़ ली मन्ने फिर भी और कर रिये। पर नन्दोईजी ने तो धीरे धीरे पुरा का पूरा लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया। पूरा निकाल कर जड़ तक वापस पेलने लगे।आह म्हारा नन्दोईजी।।मेरी ननंद बोली धीरे तो डालो म्हारी भौजाई के। अब नन्दोईजी थोड़ी स्पीड बढ़ाकर कस कस के चोदने लगे ।मेरी ननंद भी मेरे बोबे सहलाने दबाने लगी मेरे निप्पल को कस कर दबाने लगी।मैं भी पूरी चूदासी हो चुकी थी। नन्दोईजी के धक्कों का जवाब अपनी गांड उठा कर दे रहि थी ।।ताकि मेरी चूत में उनका लौड़ा और अंदर तक जा सके।अपनी ननंद के सामने हिअपने नन्दोईजी का लौड़ा अपनी चूत में खा रही थी।
चूत में पूरा का पूरा मोटा लंड ठूंस कर कस कर जा रहा था
मैं अपनी दोनों आँखों को कस के मूँद चुकी थी !और नन्दोईजी के हर झटके का मजा ले रही थी।मैं इतनी चुदासी हो गयी कि कुछ भी अनाप शनाप बड़बड़ाने लगी। आह हाँ नन्दोईजी हाँ इसान ही करता जाओ हाँ म्हारा नन्दोईजी।मेरी ननंद मेरे मजे लेने के लिए नन्दोईजी से बोली रुको म्हारी भोजाई के दर्द हो रिये।पर मैं बोली अरे बाईजी मत रोको नन्दोईजी ने करबा दो। और नन्दोईजी और करो आहह…ओहहहहह… अच्छे से पेलो अब आहहहह… दर्द में ज्यादा ओह्हहहह… मजो आ रिये।।।आहह
बाईजी म्हारो तो हो रिये आह बाईजी देखो नन्दोईजी तो वापस झाड़ दी मन्ने और एक बार फिर से मेरा निकल गया। थोड़ी देर नन्दोईजी ऐसे ही मेरी मारते रहे ।।मेरी चुदाई से मेरी ननंद भी गर्म होने लगी उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी नँगी हो गयी।औऱ मुझे बोली भौजाई थारा नन्दोई ने बोल नीं म्हारी भी अच्छे से पिलाई करे।नन्दोईजी समझ गए और उन्होंने मेरी चूत से उनका लौड़ा निकाला औऱ मेरी ननंद को बाहों में लेके उनकी चूत में डाल दिया। अब मेरी ननंद की सिसकारियां निकलने लगी।हां म्हारी भौजाई की मारी जीसान ही मारो।। मेरी ननंद ने मेरा हाथ पकड़ कर उनके बोबो पर रख दिया मै भी उन्हें मसलने लगी।औऱ नन्दोईजी मेरे होंठों में जीभ डालकर मुझे किस करने लगे। मेरी ननंद का एक हाथ मेरी चूत सहला रहा था।हम तीनों एक दूसरे में लगे हुए।थोड़ी देर बाद नन्दोईजी ने मेरी ननंद की चूत में दनादन धक्के लगाए और दोनो झड़ गए। दोनो मुझे बीच मे ले के लिपट कर सो गए।मैं बोली अब तो निमंत्रण स्वीकार कर लिया। हाँ भोजाई अब तो जल्दी आनो ही पड़ी।।
मैं वहाँ से आ यी फिर शादी कि तैयारियो में लग गयी।दिन भी कम बचे थे ।गीत भी लेलिये लगभग सब मेहमान भी आ गए। मेरी बड़ी ब्यान सोनम की सासु रवीना ब्यान के आने का इंतज़ार था।उसे काफी पहले बुला रहे थे पर वो शादी के 3 4 दिन पहले आईं थी।।
अब मेरे पास मौका था रवीना ब्यान से बदला लेने का।।
 
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