मैंने एक लुगड़ी में खुद को समेटा हुआ था।
पीछे ब्याही ने मेरी लुगड़ी खिंच ली और मैं पूरी नँगी हो गयी। औऱ ब्याहिजी ने पीछे से मेरे दोनो बूब्स पकड़ लिए। और मसलने लगे। उनके दोनों हाथों मेरे दोनो बोबे थे।ब्याहिजी बोल रहे थे। म्हारी ब्यान का मोटा मोटा खरबूजा जिसान का बोबा।ब्यानजी कुण कुण दबायो थांका।मैं शर्म के मारे पानी पानी हुई जा रही थी।ब्याहिजी और मसलते हुए बोले ब्यानजी ब्याही से कांई शर्माओ। लगे कोई ब्याही रगडियो नीं थाने। थांके भी तो एक और ब्याही हैं लगे कस कर नीं बजाई दिके थाने। कोई बात नी आज थांकी पूरी शर्म निकाल देउ मैं।।म्हाके तो ब्याना कि इसान रगड़ाई हुए की अगला दिन चल भी नीं पावे। म्हाके तो ब्याना ने तो ब्यानरांड बोले ओर राँडा की जेन ही जोरदार ठुकाई करनी पड़े।
फिक्र मत करो थांको भी वोही हाल करू।अब उनके दोनों हाथ मेरी गांड की दोनो फांको को कस के दबा रहे थे।वाह ब्यानजी कई तरबूज की जीसान ढूंगा(गांड) कर रखिया है खूब मरवाओ दिके।
अब उनका एक हाथ मेरी रसभरी पर आगया ओर उसे रगड़ने लगे।मैं बोली आह ब्याही जी, मानो मत करो । कांई नीं करू ब्यान, आज तो पुरो रस निचोड़ देउ इको।आज तो इने ठोक ठोक लाल कर देउ।और ब्याहिजी ने दो उँगली मेरी रसभरी में डाल दी।
औऱ मेरी सिसकी निकल गयी। उफ़… उम्म्ह… अहह… हय ब्याहिजी ।और ब्याहिजी उँगली से ही मुझे चोदने लग गए। और बोले ,म्हारी ब्यान अबार तो उँगली घुसेड़ी हु। अबार तो म्हारो मूसल घुसेदनो बाकी ह। ब्याहीजी एक हाथ से मेरे बोबे दबा रहे थे तो एक हाथ की उंगली से मेरी चूत चोद रहे थे। मेरी रसभरी गीली होने लगी।अब उन्होंने मुझे नीचे लेटा दिया और खुद ऊपर आ गए।ओर मुझे किस करने लगे मेरे होंठो को अपने होंठो में ले के चूसने लगे।और मेरे होंठो को काट भी रहे थे।
ब्याहिजी तो फुल जोश में थे । आज तो मेरी फटने वाली थी।ब्याहिजी का बड़ा सा काला भुसन्द लौड़ा ऊपर नीचे मेरी रसभरी पर रगड़ खा रहा था।
अपने दोनों हाथों से वो मेरे दोनो बोबे मसल रहे थे ।काफी देर तक मेरी ऐसी ही रगड़ाई चलती रही।तभी ब्यानजी वापस आयी औऱ बोली हाल तक ही नी घुसेडीयो कांई ब्यान रांड का बोस्या में। और मेरी ब्यान ने मेरे ब्याही का कड़क लौड़ा पकड़ा और मेरी रसभरी में घुसाने लगी और बोलीकोई बात कोणी में ही घुसेड़ देउ और ब्याही का सुपाड़ा ओर थोड़ा लौड़ा मेरी रसभरी में घुस गया।
मेरी गीली चूत की पंखुड़ियाँ खुद ही खुल कर उसको निगलने लगी अब ब्याही नेधक्का लगाया और आधे से ज्यादा लौड़ा अंदर अगले ही पल दूसरे धक्के में ब्याहिजी ने पूरा लोहे जैसा सख्त लौड़ा मेरी रसभरी में पेल दिया उनका लौड़ा मेरी रसभरी में पूरा समा गया. जब ब्याहिजी का लौड़ा पूरा मेरी चूत में घुस गया तो ब्याहिजी के आंड मेरी गाँड़ के छेद को छूने लगे, और उनका लौड़ा मेरी गीली चूत के छेद में जितना अंदर जा सकता था उतना अंदर घुसा हुआ था।.मेरी चूत तो पूरी तरह से ठसाठस हो गयी थी ....सुई जाने भर की जगह नहीं थी उसमें।
मैं सिसकी।आह ब्याहिजी कांई कर दिया आह अरे ब्रारे ब्यानजी कई करवा दिया यो।।।ब्यान अभी भी वही खड़ी थी और ब्याहिजी के धक्के चालू हो गए बयान बोली और घुसेडो म्हारी ब्यान रांड के। पूरी फाड़ कर रख दीजो इकी।। बिना फाडे नी भेजा इने।
गाभिन कर दो इने ....ब्यानजी क पेट न ढोल कर दो ....चोदो और चोदो ब्यान ने...इने थांका बच्चा की माँ बना दो .....ओर
ये सुनकर तो ब्याहीजी चूत में कस कस के लंड पेलने लगे और दांत पीसते हुए बोले: ऐक़ा बोस्या ने तो चोद चोद कर सुजा देऊ आज ..कई दिन लंगड़ाकर चाली तो मने याद करी ...और लौड़ा की मलाई एका बोस्या में ऐन उदेलूँगा की एक नी जुड़वाँ बच्चा होएला।।
फिर ब्यान हँसने लगी और बोली ठीक म्हारी ब्यानजी चुदवाओ मैं तो जाऊ ओर ब्यानजी रूम से चली गयी औऱ रुम बाहर से बंद कर दिया। इधर ब्याहिजी के धक्के चालू थे।आह ब्याहिजी उफ।। ब्याहिजी का लौड़ा मेरी चूत की दीवारों से रगड़ खा खाकर अंदर बाहर हो रहा था।ब्याहिजी पूरे जोश में लण्ड पेल रहे थे।आह ब्याहिजी आराम से तो कर लो धीमे करो म्हारा ब्याहीजी।पर एक बार लौड़ा चूत में चला जाये तो मर्द कहा सुनते है।मैं तेज झटको से दर्द से कराह रही थी सिसक रही थी पर ब्याहिजी लगातार मेरी चूत में तेजी से धक्के मार रहे थे। उनका लौड़ा ‘ठप्प.. ठाप्प्प.. तडापप्प.. सड़ाप्प्प..’ की आवाजें निकालता हुआ मेरी चूत में अन्दर-बाहर आ-ज़ा रहा था। आह म्हारा ब्याहिजी आहआह … ह … ह …!!”आह…आई… ओह… मर जाउली… हा… उफ़… उम्म्ह… अहह… हय… याह … हाय… सी… ई…ई’ आह …म्हारा रामजी ह … ह!! सी … ई … ई … ई! … बस बस..उफ़..फ़..फ़!
ब्याहिजी का लौड़ा अंट शंट टेड़ा बांका मेरी चूत में जा रहा था जिससे मेरी चूत में भी चुदाई से दर्द होने लगा।ब्याहिजी भी मुझे चोदते हुए बोल रहे थे। म्हारी ब्यान को बोस्यो तो अबार भी टाइट है। मजो आग्यो ब्यान के बोस्या म म्हारो औजार डाल कर। मैं बोली बस म्हारा ब्याहिजी दर्द हो रिये अब मत करो।वो बोले हाल तो पूरी रात बाकी ह ब्यान अबार सु हार मान ली कांई।और वापस सटासट लौड़ा डाल कर पेलने लग गए।धीरे धीरे मेरा दर्द दूर होने लगा और मैं ब्याहिजी के लौड़े से चूदकर स्वर्ग की सैर करने लगी।
पूरे रूम में चुदाई का संगीत गूंज रहा था साथ में मेरी सिसकिया भी ।खप -खप , गप -गप ,सट -सट .फट -फट , भच -भच , फच -फच और आवाजें अब ब्याहिजी के काले भुसन्द लौड़े और मेरी पनियाई चूत में घर्सन से आ रही थी जिसे कोई बहार से ही सुनकर बता सकता था की अन्दर चुदाई चल रही हे च ...चत ..पुच ..पच ! मेरी चूत भी ब्याहिजी के काले भुसन्द लौड़े को और सहन नही कर पा रही थी और अपना रस निकलने को बेताब थी।और एक जोरदार सिसकी आह म्हारी माँ आह ब्याहिजी तो निकाल दियो म्हारो के साथ मेने पूरा रस निकाल दिया।
लेकिन ब्याहीजी अभी भी लगे हुए थे सटासट सटासट चुदाई कर रहे थे मेरी चूत की काफी गहराई तक चुदाई हो रही थी
बार बार हर बार ब्याहिजी के लंड का सुपाडा मेरी बच्चेदानी के मुह से टकरा रहा था और मैं दर्द से दोहरी हो रही थी !ब्याहिजी भी अब कस कस के चोदने लगे थे उनके धक्को की रफ़्तार तूफानी हो गई थी !
ब्याहिजी के धक्कों से मेरी चूत का रेशा रेशा हिल उठा !
ब्याहिजी ओर मैं दोनो पसीने पसीने हो गए थे ब्याहिजी अभी भी झटके पर झटके दिए जा रहे थे उनकी कमर किसी एक्सप्रेस ट्रेन की तरह चल रही थी !
वो अपने लंड को पूरी गहराई तक ठेल ठेल कर पेल रहे थे !
आधे घण्टे से ज्यादा हो गये थे ब्याहीजी को मेरी चूत में अपना लौड़ा डाले हुए। पर अभी भी उनका निकला नही था।लेकिन उनके धक्कों की स्पीड अब और भी बढ़ने लगी।
ब्याहिजी के लंड के सुपाडे से वीर्य की गरम और गाढ़ी धार समेरी चूत के अन्दर बच्चेदानी के मुह से किसी गोली की तरह टकराई !
और वो भी वीर्य की गरम गाढ़ी धार के बचेदानी से टकराने से वीर्य की गर्मी सहन नहीं कर सकी और मैं जोरों से चिल्ला पड़ी !" आह ..रे ...आस्स्स्स्स्स्स ...म्हारा ब्याहिजी.... उह्ह्ह ....ओह्ह रे ओह्ह रे ..म्हारी माँ हूऊऊऊ ..आह ..!
ओह … ओह … सी … इ … इ … ओ ब्याहिजी ओ… ह … हां … हा … मर गी … सी … इ … इ..इ … ई … ई … !!!”
“ब्याही.!..! … !..जी! सी … ई … ई … ई! … उफ़..फ़..फ़ … बस..! बस..! … हा … आह … ह … ह … ह..!!! … सी..सी..सी … !”
आह … ह … ह … ह..!!! … सी..सी..सी … ! सी … इ … इ … !!”
तभी लंड के छेद से एक एक करके वीर्य की बोछार होने लगी और बच्चेदानी का मुह पूरा गाढे और गरम वीर्य से भर गया ! मैं भी दूसरी बार पूरी तरह से झड कर निहाल हो चुकी थी !