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Erotica चुदकड ब्यानजी

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सुबह 6 साढ़े 6 बजे मेरे बूब्स पर उनकी जीभ महसूस हुई नंदोई जी तो सुबह सुबह ही चालू हो गए । रात भर उनके साथ मै नंगी सो रही थी जिनसे में घूँघट निकालती हु उनसे चिपक कर पूरी रात नंगी सोई थी मैं इसलिए अब शर्म तो कम हो गयी थी। नंदोई मेरे बूब्स को काट रहे थे और मेरी सिसकारियां निकलने लगी उन्हें लगा में जग गयी और वो ऊपर आ गए
ओर मेरे होठो को धीरे धीरे चूमने लगे। अब तो मैं भी उनका साथ दे रही थी । वो वापस नीचे हुए और मेरे बूब्स को चूसने लगे छोटे बच्चे जैसे मेरा दूदू पीने लगे ऐसा लग रहा था जैसे दूध की एक बूंद भी वो छोड़ना नही चाहते। मेरा बुरा हाल हो रहा था । नीचे उनका लंड भी चुत में ठोकरे खा रहा था। अब वापस वो मेरे होठो को चूमने लगे और अपना डंडा पकड़ के
मेरी रसभरी के मुंह पे लगाया और धीरे धीरे बड़े प्यार से अंदर कर रहे थे।कल रात की जोरदार चुदाई के बाद मेरी चूत
सुन्न पड़ी थी थोड़ा सा लंड अंदर जाते ही हल्का हल्का दर्द होने लगा पर सुबह सुबह नंदोई जी का रूप बदला बदला
लग रहा था। कल रात जो हचक हचक के चोद रहे थे वो अब बड़े प्यार से लंड डाल के बड़े आराम और बड़े प्यार से मेरी चुदाई कर रहे थे । धीमे से पूरा लंड बाहर निकालते ओर धीमे ही पूरा लंड अंदर कर देते । साथ मेरे होठो पर बड़े प्यार से चुम रहे थे। वो लगातार इसी स्पीड में मुझे चोदे जा रहे थे और मेरे मुँह से उ आ आउच नंदोई जी के अलावा कुछ नही निकल रहा था । उनकी 10 15 मिनट की प्यारभरी चुदाई का मेरी चुत ने डटकर सामना किया और झड़ी नही।
अब उनका उनके लंड पर से कंट्रोल हट चुका था और उनका लंड कल रात वाली स्पीड में मुझे हचक हचक के चोदे
जा रहा था। आआआआआआ नंदोईजी आराम से। उनका लंड मेरी चुत में लगातार जोर से टक्कर मार रहा था।
लेकिन मेरी रसभरी अब भी डटी थी और लंड का जमकर मुकाबला कर रही थी। नंदोईजी का लंड अब आप से
बाहर था और मेरी चुत की जोरदार कुटाई कर रहा था लगभग आधे घंटे की चुदाई को हो चुकी थी। नंदोई के एक
जोरदार झटके से उनका लावा मेरे अंदर था और एक चीख के साथ मेरी रसभरी ने भी अपना रस छोड़ दिया।
मेरी चुत में तो जेसे बढ़ आ गयी हो। रात भर जितना रस बहा उतना तो एक ही बार मे निकल गया। मेरी वाली ने
भी लगभग आधा घंटा नंदोईजी के मूसल को घोंटा था। ओर इस चुदाई में उनके लंड का पूरा साथ निभाया था।
हम दोनो थक के निढाल हो गए। बाहर भी चहल पहल होने लगी थी सब उठ गए थे। नंदोईजी ने कपड़े पहन ओर बाहर चले गए। इस पूरी रात ओर सुबह की चुदाई में न उन्होंने बात की न मेने दोनोके शर्म लिहाज का दायरा था। जिनका लिहाज करके घूँघट करती थी उनसे ही नंगी होके चुदवाई थी पर आदर सम्मान लिहाज उतना ही था। मैं भी उठ कर अपने कपड़े पहने ओर बाथरूम चली गयी। वह अपनी रसभरी को पानी से धोया सही में कितना रस टपका था आज मेरा। नंदोईजी ने
कस के चोदा था मुझे। में बाथरूम से वापस आयी तो पलंग पे मेरी ननद बैठी थी जो मंद मंद मुस्कुरा रही थी ओर उसे देखकर मेरी नजरे नीची थी। उसने मेरा हाथ पकड़ के अपने पास बैठा लिया ।ओर पूछने लगी क्यों भोजाई पसंद आयो
कई। मेने कहा क्या। वो मेरी रसभरी पे हाथ रख के बोली इसने जो रात भर घोटा था वो। में बस शर्मा गयी। फिर वो बोली क्यों कितने राउंड खेले कल। मेरे से कुछ बोला ही नही जा रहा था फिर वो बोली एक मैंने ना में सर हिलाया फिर बोली
दो वापस मेने ना में सर हिलाया फिर बोली तीन मेंने हा में सर हिलाया फिर वो हँसने लगी फिर बोली फिर खूब मजा कराया
होगा तुम्हारे नंदोई ने ओर बोली सुबह पहले जगा के लि या नही। मैन बोला हाँ नंदोईजी तो सुबह पहले ही चालू हो
गए थे। वो बोली भाभी सुबह सुबह लेने की तो उनकी आदत है। फिर बोली चलो भाभी नहा धो के फ्रेश हो जाओ
में बोली मेरी ब्रा पैंटी तो देदो। वो हँसते हुए बोली भिजवाती हु फिर चली गयी में भी नहा धो के फ्रेश हो के काम मे लग
गयी फिर दिन को रेस्ट करने लगी दिन तक भी ऐसा लग रहा था जैसे नंदोईजी का लंड अभी भी मेरी चुत में अंदर बाहर हो रहा है। शादी को दो चार दिन ही थे अब नंदोईजी ने काम मे व्यस्त हो गए और ननद भी कभी कभी गीतों के टाइम छेड़खानी हो जा ती थी।अब मेरी चुत को नंदोईजी जी का लंड लिए हुए दो दिन हो चुके थे मेरी चुत को भी उनके लंड
की याद आने लगी थी और मुझे भी पता था उनका लंड भी मेरी वाली के लिए तड़प रहा होगा । शादी के दिन पहले सुबह मै मेरी ननद बैठे थे नंदोईजी तैयारियो मर बिजी थे और सुबह बाहर से आये थे ओर आके मेरी तरफ देख के मेरी ननद
से बोले आके मेरी थोड़ी सी मालिश कर दे और रूम में चले गए। मेरी ननद बोली अब भी मालिश मैं ही करु आपकी ये सलहज
कब काम। आएगी । और मेरे मना करने पर भी कटोरी में तैल डाल के मुझे उनके रूम में भेज दिया।
 

Lutgaya

Well-Known Member
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स्नेहिल जी आते ही बैटींग कर दी धुआधार
कुछ प्लॉट र्तों बनाओ यार
वैसे अंदाजे बंया अच्छा है राजस्थानी में
 
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शादी के एक दिन पहले सुबह 10 11 बजे के लगभग मै मेरी ननद बैठे थे नंदोईजी तैयारियो में बिजी थे और सुबह बाहर से आये थे ओर आके मेरी तरफ देख के मेरी ननद
से बोले आके मेरी थोड़ी सी मालिश कर दे और रूम में चले गए। मेरी ननद बोली अब भी मालिश मैं ही करु आपकी ये सलहज
कब काम। आएगी । और मेरे मना करने पर भी कटोरी में तैल डाल के मुझे उनके रूम में भेज दिया।
ममैं रूम में आई दरवाजा बंद किया नंदोई केवल पाजामे में पेट के बल लेटे हुए थे। मेने तेल की कटोरी पास की
टेबल पर रखी और थोड़ा तेल लेके उनके पीठ पर लगाने लगी। वो सीधे हो गए और मेरा हाथ पकड के मुझे खुद
के ऊपर ले लिया। मैने अभी भी उनसे घूँघट कर रखा था । वो मेरा घूँघट हटाने की कोशिश करने लगे
पर मैं अपने हाथों से उन्हें रोकती रही लेकिन वो कामयाब हो ही गए। मेरा शर्म के मारे बुरा हाल था। अब उन्होने मुझे नीचे करा ओर खुद मुझ पे चढ़ गए। मेने तेल की तरफ इशारा करते हुए कहा मालिश। वो बोले मे करता हु तुम्हारी मालिश
ओर बाहों में जकड़ लिया। मुझे पता था अब कौनसी मालिश होगी मेरी। वो भी दिन के उजाले में ।पहले तो रात का अंधेरा था और कम्बल थी अब तो कुछ नही था इसलिये अब ओर ज्यादा शर्म आ रही थी। नंदोईजी अब मुझे चूमने लगे में भी उनका साथ देने लगी ।साथ ही अब उन्होंने मेरी साड़ी खोल दी और।पेटिकोट घुटने तक लियाये ब्लाउज के भी दो तीन हुक खोल दिये।आज तो नंदोई जी कुछ और ही चाहते थे उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के खुद के पाजामे में कैद अपने लंड पर
रख दिया।मैं हाथ हटाने लगि पर उनके हाथो ने कसकर मेरे हाथ मे लौड़ा थमा दिया । अब मैं भी उनके चुम्मे का जवाब
दे रही थी और उनके तगड़े मूसल को जो अब खूब तन्नाया हुआ था उसे अपने हाथ से ऊपर नीचे कर रही थी। कितना बड़ा था हाथ मे ही नही आ रहा था। एक दम गरमागरम। क्या एहसास था। अब उन्होंने मुझे बैठाया ओर खुद पूरे नंगे
हो गए पहली बार उनके हथियार के दर्शन हुए कितना तगड़ा था एक दम खड़ा। अब वो लेट गए उन्होंने मुझे अपनी टांगों
के पास बिठाया ओर मेरे मुंह को अपने लंड के पास ले गए मैं शर्मायी एक तो आधी नंगधडंग हो गयी थी और आंखों के सामने उनका काला लंड।आज नंदोईजी अपना लॉलीपाप चुस्वा के ही मानने वाले थे ।मेने उनके लंड को मुंह मे लिया ओर धीरे धीरे
चूसने लगी अपने मुंह मे अंदर बाहर करने लगी क्या स्वाद था उनके लंड का अब मैं थोड़ा खुल गयी और उनके लंड को बढ़िया से चूसने लगी जिस लंड ने मुझे इतना मजा कराया था अब मैं उसे मजे करा रही थी अब नंदोईजी जी सिसक रहे थे। बीच बीच मे बोल देते हा ऐसे ही करो ऐसे ही। में अब पूरा लंड मुह मैं ले रही थी पुरा गले तक जा रहा था। ‘उम्म्म्म उमग्ग्ग उम्म्म. बीच मे बीच मे वापस बाहर निकाल देती गले मे खासी होने लगी थी। अब नंदोईजी से रुका नही गया और उन्होने मुझे लेटाया ओर मेरे ऊपर आगये उनके लंड की चुसाई से तो वे जोश में बावले हो गए थेअगले पल तो मेरा ब्लाउज ओर पेटिकोट खोल कर पूरी नंगी कर दिया। मेरी चुत भी जलदी से उनका मूसल घोंटना चाहती थी। पर जिनसे अभी तक घूँघट किया इतना लिहाज किया उनके सामने पूरी नंगी वो भी उजाले में थोड़ा संकोच तो था पर कुछ भी हो अभी तो बस अपनी रसभरी की सुननी
थी जिसे बस नंदोई का मूसल दिख रहा था।उन्होंने लंड को चुत के मुंह पर सेट किया और बड़े बड़े धक्के मारने लगे 2 झटको में ही पूरा मुस्सल अंदर जड तक कर दिया । आँआह … उम्म्ह… अहह… हय नंदोईजी… याह… ओह।। आराम से।पर वो तो जोरदार चुदाई के मूड में थे। लंड की धकमपेल शुरू हो गयी थी।उनके ज़ोरदार धक्को से मेरी चुचिया भी उछल रही थी।इधर मेरी रसभरी को ज़ोरदार कुटाई से मजा भी आ रहा था और हल्का दर्द भी हो रहा था। लंड तो बस फाड़ रहा था मेरी। तेजी से बाहर जाता वापस उतनी ही
तेजी से पूरा अंदर तक पहुच जाता। अब नंदोईजी जी अपने दोनों हाथों से मेरे दोनो बोबो को पकड़ के ओर कस के अपना लंड मेरी चुत में पेल रहे थे । ऊम्म्म्म नंदोईजी… आह धीरे!आज वापस नंदोईजी का लंड मेरी चुत की चटनी बना
रहा था। उनके लंड के तेज झटकों ने आखिर मुझ को झड़ा दिया। उन्हें कस के पकड़ के मेने अपनी अपनी रसभरी का रस निकाल दिया लेकिन उनका लंड तो अभी भी मुझे हचक हचक के चोद रहा था। मेरी चुत गीली होने से पूरे रूम
में फचक फचक की आवाज आ ने लगी। उनके लंड का तो लावा तो निकला नही मेरी चुत वापस गर्म हो गयी। अब नंदोईजी के तूफानी धक्कों से लगा उन्हे हो रहा हैं लेकिन उनसे पहले में दोबारा झाड़ गयी और दो चार झटको के बाद नंदोईजी ने मेरी रसभरी को अपने गरमागरम वीर्य से भर दिया। दोनो थक के निढाल थे । उन्होंने मेरे माथे पे चुम्मा
दिया और बोले क्यों सलहज जी हो गयी मालिश मेने शर्मा के मुंह फेर लिया ।
 
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नंदोईजी का भी फ़ोन बजने लगा। शादी की तैयारी के हिसाब से उन्हें जाना था। उन्होंने कपड़े पहने ओर चले गए।इतनी चुदाई के बाद भी मन तो मेरा कर रहा था नंदोईजी एक ओर राउंड खेल लो फिर चले जाना।मेने कपड़े पहने इतने में मेरी ननद आ गयी और बोली। भोजाई नंदोईजी की मालिश के लिए भेजी पर खुद की मालिश करा ली।और हँसने लगी।ओर मेरी रसभरी की तरफ देख कर बोली भोजाई नंदोईजी को घोंट कर ब्याहीजी के लिए तैयार होगी या। उसके बाद तो सब शादी में बिजी हो गए और वापस नंदोईजी के नीचे आने का मौका नही मिला। ओर शादी से फ्री हो के मै भी जल्दी घर आ गयी।
अब मुझे भी मेरी बिटिया के लिए लड़का देखने जाना था। मैं ओर मेरे पति देव गए लड़का भी देख लिया। और होने वाले ब्याही बयान से भी मिल लिए। अब उन्हें हमारे घर आना था लड़की देखने। एक दिन वो आ गए और रिश्ता भी पक्का कर लिया। अब फाइनली मुझे नए ब्याही बयान मिल गए। ब्यानजी का नाम रवीना था फिगर भी रवीना टंडन जैसा भरा पूरा ब्याही जी की मेहनत दिख रही थी खूब दबाके मोटे किये थे ।ओर ब्याहीजी लम्बी चौड़ी कद काठी के थे।मुझ से उम्र में दो तीन साल ही बड़े थे। रिश्ता पक्का हुआ तो मेरी ननद का फ़ोन आया और मुझे छेड़ने लगी बोली नया ब्याहीजी मिल गया अब उनके निचे आने के लिए तैयार हो जा। कुछ ही दिनों में मेरी बिटिया की सगाई थी।
 
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