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Erotica चुदकड ब्यानजी

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ये कहानी राजस्थान के गांव की हैं जहां समधन को ब्यानजी ओर समधी को ब्याहीजी कहते है दोनों का रिश्ता
हँसी मजाक ओर मस्ती वाला होता है तो कहानी शुरू करते है। कहानी है महिमा की
महिमा, महिमा चौधरी जैसे मोटे मोटे बोबे ओर मस्त फूली हुई गांड जो अक्सर साड़ी या घागरा लुगडी पहनती है उम्र 40 44 के बीच मे जिसके 2 लड़के एक लड़की है स्वभाव अभी भी शर्मिला है
जिसने अभी तक केवल अपने पति का केला खाया है दूसरा लंड देखा भी नही
ये कहानी मारवाडी कल्चर से भरपूर है इसमें कुछ कुछ शब्द बोली मारवाड़ी होगी
हाँ तो आगे की कहानी महिमा के शब्दों में
बात उन दिनों की है जब मेरी इकलौती ननद के लड़के की शादी थी इकलौती भाभी होने के नाते मेरी ननद ने मुझे
4 ,5 दिन पहले ही बुला लिया शादी का माहौल था रोज रात को महिलाएं गीत गाती डांस चलता रहता था
औऱ साथ मे एक दूसरे केसाथ मस्ती चलती रहती थी और एक दिन सब ने मिलकर मेरा नंबर ले लिया
वो 6,7 थी औऱ मै अकेली एक ने मुझे अपनी गोद मे बैठा लिया औऱ उसका एक हाथ साड़ी के ऊपर मेरी चूत
पर और एक हाथ से दोनों बोबे संभाले थे वो बोली इकलौती मामी है ऐसे कैसे बच जाएगी पता नही कितनो को चढ़वाया
होगा आज हमें भी चढ़ाई करनी है ये बोलते बोलते मेरे बॉब्स को भी मसलती जा रही थी और मेरा शर्म से कुछ बोला
भी नही जा रहा था। तभी मेरी ननद बोली इसने तो अभी अपने नन्दोई को भी नही चढ़ाया तुम्हे कैसे चढ़ा लेगी।
दूसरी बोली सही में अभी तक नंदोई से भी बची है और कोई ब्याहीजी है या नही इसके। मेरी ननद ने कहा नही
दूसरी बोली तभी अभी तक शर्म नही खुली हमारे तो कहते है ननदोई ओर ब्याही दोनो को हक़ है जब चाहे अपनी मार ले ओर अपन को खुशी खुशी देनी भी पड़े। ननद ने कहा कोई ना आज ही मुहूर्त निकालते मेरी भाभी की उसके नंदोई से साथ सुहागरात का औऱ सब मिलकर मुझे नन्दोई के कमरे में लेकर चली। नंदोई जी बाहर थे । सब ने मुझे पलंग
पर लेटाया ओर चढ़ गई मेरे ऊपर एक ने मेरे दोनो हाथ पकड लिए ओर एक ने मेरे नीचे पेटीकोट में हाथ डाल कर
मेरी पेन्टी निकाल दी ओर दूसरी ने पीछे से मेरी ब्रा का हुक खोल ओर ब्रा भी निकाल दी । एक बोली कुछ इसके
नंदोई को भी मेहनत करने दो। अब मुझे पलंग पे पटक के वो जाने लगी तभी मेरी ननद ने मेरे पेटिकोट में हाथ डालकर
मेरी बिना बालो की चिकनी रसभरी को सहला के कहा भाभी ऐसी हि पसन्द ह थारा नंदोई ने ओर हँसती हुई जाने
लगी फिर मुड़कर वापस आयी और बोली आपनो लॉलीपॉप समझ ही खाजो शर्म मत करजो ओर बोल के चली गयी
ओर मेरा बुरा हाल था आज तक केवल अपने मर्द का ही लॉलीपॉप चखा था पर आज। ऐसा नही था किये माहौल
आज आज में ही तैयार हो गया मेरे नंदोई तो कब से मेरे ऊपर चढ़ना चाहते थे पिछली होली पे भी मेरे कहा कहा
रंग लगाया ब्लाउज के अंदर बाहर पर खूब रगड़ाई की पर ऊपर चढ़ने को मौका नही मिला।कुछ मेरी शर्म ओर कुछ उनका संकोच पर आज तो उनका दिन था मतलब रात। हाँ तो मेरी ननद के जाने के बाद में खुद को संभाल रही थी
 
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हाँ तो मेरी ननद के जाने के बाद में खुद को संभाल रही थी
कपड़े सही कर रही थी तभी नंदोई जी आ गए और उन्होंने कमरा बंद कर दिया। बाहर से उन्हें
काफी बोल के भेजा की सलहज की खूब रगड़ाई करनी है। वो आये मैं घबरा के उठनेलगी
पर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के लेटा दिया और मेरे ऊपर आगये बिना कुछ बोले अपना काम करने लगे
मुझे बाहो में ले लिया और अपने होठों को मेरे होठो से चिपका दिए। में तो शर्म से पानी पानी हुई
जा रही थी। और वो काफी देर तक मेरे होठो का रसपान कर रहे थे। और अब उन्होंने धीरे धीरे
मेरी साड़ी खोलना शुरू की मेरे एक हाथ ने उनके हाथ को पकड़ के रोकना चाहा पर वो कहा
रुकने वाले थे अब में केवल ब्लाउज ओर पेटिकोट में मेरे नंदोई के नीचे थी। नंदोई काफी जोश में थे
वो एक हाथ से पेटिकोट को ऊपर घुटने तक ले आये मेने अपने एक हाथ से रोका। लेकिन उनका दूसरा हाथ
अब मेरे ब्लाउज के हुक खोलने लग गया और जल्दी ही मेरे बोबे नंगे हो गए अब उनके हाथ मेरे
नंगे बूब्स को मसल रहे थे। उनका जोश उफान पर था। आज तो लग रहा था जोरदार रगड़ाई होने वाली
है मेरी। उनका दूसरा हाथ पता नही कब मेरे पेटिकोट के नाड़े पर पहुच गया ओर उसे भी खोल दिया और धीरे
धीरे उसे नीचे सरका कर निकाल दिया । अब मैं अपने नंदोई के नीचे बिल्कुल नंगी थी । अब उनके होठ मेरे
होंठों से हटकर मेरे निप्पल पे आ गए। ओर जोर जोर से चूसने लगे । आह उ नंदोई जी धीरे करो मेरेमुँह से निकला।
पर वो कहा सुनने वाले थे ।इधर वो ओर जोर से मेरे निप्पल चूस के काट रहे थे उधर मेरी सिसकारियां बढ़ रही थी
वो एक हाथ से मेरा एक बोबा मसल रहे थे और दूसरा बोबा चूस रहे थे उनका दूसरा हाथ धीरे धीरे नीचे जाने लगा
जिसे मेने रोक लिया वो काफी जोश में आ गए थे उनका औजार उनके पाजामे के अंदर से ही मेरी वाली को
रगड़ रहा थाअब लग रहा था कि अब उनका औजार उनकी नही सुन रहा है वो जल्दी ही पजामा फाड़ कर
मेरे अंदर समा जाएगा अब जो हाल मेरे पहले बोबे का था वो ही दूसरे का हो रहा था। उनके काटने से दर्द के मारे
आंखे बंद थी और हल्की हल्की आहे निकल रही थी। अब उनके होठ नीचे जाने लगे पर पेट पर ही मेने रोक लिया
अब वो ओर देर नही चाहते थे वो अपना पजामा खोलने लगे शर्ट तो वो पहले ही खोल चुके थे अब वो भी नंगे थे
वो मेरे ऊपर आ गए और उनका डंडा मेरी रसभरी पर पूरा अपना जोर देकर रगड़ मार रहा था। कमरे में पूरा अंधेरा
था और एक कम्बल में हम दोनों नंगे। अब नन्दोई जी ने अपना डंडा पकड़ा और मेरी रसभरी के मुंह पे रख कर
अंदर डालने लगे। हल्के से जोर से ही उनका सूपाडा मेरे अंदर आ गया ओर मेरी सिसकारी निकलने लगी। क्योंकि
उनकी रगड़ाई ओर नए लंड के अहसास से मेरी वाली पनिया गयी थी।
आह आह उ नंदोई जी। अब धीमे धीमे वो अपना पूरा डंडा अंदर करने लगे एक झटका, दो, तीन, ओर फिर पूरा
अंदर । गरमागरम लंड मेरे उनके से 19 20 बड़ा ही था एक दम कडक पत्थर हुआ जा रहा था जैसे क़ोई गरम लोहे
की रॉड हो । हल्का सा दर्द और नए लंड के एहसास से में पूरी पागल हुई जा रही थी। अब तक केवल अपने पति कोऊपर चढ़ाया था पर आज नंदोई थे। अब पूरा काम तो उनके औजार को ही करना था। अंदर बाहर अंदर बाहर
अब नंदोई जी मुझे चोद रहे थे ।में भी पैर खोल के उनके लंड का स्वागत अपनी चुत में कर रही थी। अब उन्होंने
अपनी स्पीड बढाई। पूरे रूम में मेरी चूडियों पायल पलंग के हिलने की आवाज ओर दोनो के बदन मिलने की आवाज ओर तेज होती मेरी सिसकारियों बस ये ही सुनाई दे रहा था।
 
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उनके दोनो हाथ मेरे दोनो हाथों को जकड़े थे। हमारी उंगलिया
आपस मे गुथमगुथा थी। और नंदोई पूरे जोश में अपनी सलहज को हचक हचक के चोद रहे थे। उनकी धक्कों की
रफ्तार ओर बढ़ चुकी थी। और मेरा बुरा हाल कर रहा था उनका तगड़ा मूसल। 5,10 मीनट की तगडी चुदाई को सहन कर
अब मेरी रसभरी रस छोड़ने को तैयार थी मेने उनके हाथों को कस के पकड़ा और अपना पूरा रस उनके लॉलीपाप
पर डाल दिया। पर उनका औजार अभी कहा रुकने वाला था वो तो वैसे ही स्पीड में लगातार मुझे चोद रहा था। उनका मूसल पूरा अंदर जाकर मेरी बच्चेदानी पर चोट कर रहा था। आ, आ ,आ, नंदोई जी ,आ आ आराम से।
मेरी चुत फिरसे गरम हो चुकी थी पर मेरे नंदोई तो बेरहमी से धक्के पर धक्के मारकर मेरी चुदाई कर रहे थे ।
औऱ बढ़ती उनकी जोरदार स्पीड से लग रहा था कि अब उनका लंड अपना लावा बाहर निकालने वाला है
पर तब तक तो मेरी चुत की जोरदार कुटाई हो चुकी थी और मेंने उन्हें कस के पकड़ के दूसरी बार अपनी रसभरी
का रस निकाल दिया ओर दो चार झटको बाद नंदोई ने भी अपनी मलाई मेरी चुत में निकाल दी पर लास्ट के दो चार तेज
झटको ने जैसे मेरी जान निकाल दी इतनी जोरदार थे। हम दोनों थक के निढाल पड़े थे । थोड़ी देर में नंदोई जी उठे
बाथरूम चले गए मेने भी अपने पेटिकोट से रसभरी से बहता रस पूछा ओर वापस नंगी ही लेट गयी। आज पहली बार अपने पति के अलावा दूसरे से चूदी थी पर थे तो अपने नंदोई इसलियें थोड़ी बहुत ग्लानि भी जाति रही। पर काफी तगडी रगड़ाई हुई आज मेरी। ओर उनके जोश को देखकर लग रहा था अभी तो हचक के चुदाई होने वाली है मेरी ।पता नही नंदोई जी आज सोने भी देंगे या नही।थोड़ी देर में नंदोई जी आ गए । में करवट लेके लेटि थी पीछे से वो आये और हग करके लेट गए उनका मुरझाया हुआ लंड जो अब भी काफी बड़ा लग रहा था पीछे से मेरी गांड की दरार में रगड़ खा रहा था और उनके
दोनो हाथ पीछे से मेरे बोबो को सहला रहे थे।
 

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गरमा गरम अपडेट मजा आगया
अगले अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी भाई
 
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उनका मुरझाया हुआ लंड जो अब भी काफी बड़ा लग रहा था पीछे से मेरी गांड की दरार में रगड़ खा रहा था और उनके
दोनो हाथ पीछे से मेरे बोबो को सहला रहे थे ओर वो पीछे से मेरी गर्दन पर किस करने लगे उनका एक हाथ सरक
कर नीचे जाने लगा मेरे एक हाथ ने उसे पकडा फिर भी वो मेरी रसभरी को हल्के हल्के सहला रहा था इन हमलों से मैं
वापस गरम हो रही थी और इनकी बाहो में आगे पीछे होके मचल रही थी। उनका डंडा भी अब धीरे धीरे सख्त होकर
मेरी गांड की दरार में चुभ रहा था। मुझे पता था अगर दूसरी बार चुदाई हुई तो वो पहले से भी जोरदार होगी। क्योंकि मेरे
पति भी दूसरे राउंड मे मेरी चूत का कचूमर बना देंते थेओर नंदोई तो आज अलग ही जोश में थे। उनके सख्त होते लंड से ओर सब्र नही हो रहा था उन्होंने मुझे सीधा किया ओर मुझ पे चढ़ गए। ओरअपने होठ मेरे होठो से चिपका दिए और अपने लंड से मेरी चुत को रगड़ने लगे। अब उन्होंने अपने डंडे को पकड़ा और मेरी रसभरी की मुंह पर रखा जोश में वो इतने बावले थे कि एक ही बार मे आधे से ज्यादा लंड मेरी चूत में था। दूसरे झटके में तो पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया।
आआआआआआ नंदोईजी आराम से।उनका लंड तेजी से अंदर बाहर होकर वापस मुझे चोद रहा था। अब तो शुरू से ही उनकी धक्को की स्पीड ज्यादा थी नंदोई के लंड पे तो जैसे तूफान सवार हो बड़ी बेहरहमी से मेरी चूत की कुटाई कर रहा था। ओर तेज होती चुदाई से मेरी भी रसभरी में दर्द होने लगा।रूम तो दोनों के शरीर के मिलने के आवाज पट पट पट से गूंज रहा था और वो ओर धीमे धीमे तेज हो रही थी। ओर बाहर से औरतों के ठहाको की आवाज भी आ रही थी मेरी
ननद ही होगी वो जो चाहती थी वो तो हो रहा है । उसका पति उसकी भाभी की कितनी जोरदार चुदाई कर रहा था बाहर जाती आवाज से शायद उसे भी पता चल गया हो कल तो बहुत छेड़ने वाली है फिर तो मेरी ननद। नंदोई जी धीमे करो मेने कहा पर आज कहा सुनने वाले थे वो। लंड तो पूरा अंदर जाकर मेरे अंदर चोट पहुचा रहा था।और मेरी रसभरी ओर ज्यादा नही सहन कर पा रही थी। आह आह नंदोई जी बोलते हुए आखिर झड़ गयी पर वो तो अभी उसी ही स्पीड में चोद रहे थे अब लास्ट की तो चुदाई ओर भी जोरदार हो रही थी ओर मेरी चीखे निकल रही थी । अरे बार्रे नंदोई जी धीमे।मुझे झड़े भी 10 मिनट हो गयी होगी पर वो कहा रुक रहे थे में वापस झड़ने के कगार पर आ गयी और अब तो इनके धक्के सीधे बच्चेदानी पर जा रहे थे। आह मेरा हो रहा था और एक तूफानी धक्के के साथ दोनो झड़ गए। दोनो वापस निढाल हो के लेट गए
पहले से भी ज्यादा अब थकान थी ।चुदाई भी तो पहले से ज्यादा देर तक हुई थीं ।अब मेने अपना पेटिकोट संभाला ब्लाउज भी पहना ओर बाथरूम में चली गयी अभी की चुदाई से तो टांगे भी सीधी नही हो पा रही थी। अपनी रसभरी पे पानी डाल के साफ करके उसे रिलैक्स किया और वापस आ गयी वापस आते ही नंदोईजी ने जकड़ लिया वापस पूरी नंगी कर दिया ओर हम दोनो ऐसे ही नंगे एक दूसरे की बाहो में सोने लगे। आज क्या चुदी थी में पूरा बदन टूट गया पर
पूरा मन की गई चुदाई के आनंद से सराबोर हो गया। ओर पता ही नही कब नींद आ गयी।
सुबह 6 साढ़े 6 बजे मेरे बूब्स पर उनकी जीभ महसूस हुई नंदोई जी तो सुबह सुबह ही चालू हो गए
 
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