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Erotica चुदकड ब्यानजी

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रूम में घुसते ही मेरे पतिदेव ने ब्यानजी की कमर मे हाथ डालते हुए कस के जकड़ लिया.


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ब्यानजी अब छूटने की कोशिस करती लेकिन कोई बस नही चल पा रहा था. मेरे पतिदेव ने ब्यानजी के कमर को जब जकड़ा तो उन्हे महसूस हुआ की ब्यानजीकी गांड काफ़ी भारी है।

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थी भी ब्यान भरे बदन की।। मेरे पतिदेव ब्यानजी को खींच कर पलँग पर लाने लगे तभी ब्यानजी छूटने की कोशिस के साथ बोली "अरे...कांई कर रिया हो कुच्छ तो लाज़ करो... . ब्यानजी का कोई बस नही चल रहा था. मेरे पतिदेव बिना कुच्छ जबाब दिए ब्यानजी को पलँग पर ले आए और पलँग पर लिटाने लगे " ब्यानजी जैसे ही पलँग पर लगभग लेटी ही थी की मेरे पतिदेव उनके उपर चढ़. गये.

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ब्यान जी शर्म के मारे अपने चेहरे को दोनो हाथों से च्छुपाने की कोशिस की वैसे ही मेरे पतिदेव ने अपना पजामा खोलकर नीचे गिरा दिया ढीली लंगोट भी दूसरे पल शरीर से दूर हो गया.
अब पूरी तरह नंगे मेरे पतिदेव का लौड़ा लहरा रहा था.और ब्यानजी कि मारने के लिए मचल रहा था।

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ब्यानजी के शरीर पर मेरे पतिदेव अपने पूरे शरीर का वजन रखते हुए सारी को ब्लाउज के उपर से हटा कर चुचियो को भिचना सुरू कर दिया.

ब्यानजी ने अब कोई ज़्यादा विरोध नही किया और अपने मुँह को दोनो हाथों से च्छुपाए रखा. इतना देख कर मेरे पतिदेव ब्यानजी के शरीर पर से उतर कर एक तरफ हो गये और ब्यानजी के कमर से सारी की गाँठ को छुड़ाने लगे. तभी ब्यानजी ने एक हाथ से मेरे पतिदेव के हाथ को पकड़ ली और ब्यानजी फिर बोली "ब्याहीजी मानो नी थांकी वाली ने रगड़ो मने तो छोड़ो, थाका ब्याही ने कई मुंह दिखाऊ मति करो।

लेकिन मेरे पतिदेव ताक़त लगाते हुए सारी के गाँठ को कमर से बाहर निकाल दिए. कमर से सारी जैसे ही ढीली हुई मेरे पतिदेव के हाथ तेज़ी से सारी को खोलते हुए पलँग से गिराने लगे. आख़िर ब्यानजी के शरीर को इधेर उधेर करते हुए मेरे पतिदेव ने पूरे सारी को उसके शरीर से अलग कर ही दिए. औऱ बोले ब्यानजी इतरा टाइम तक छोड़ दी थाने यो ही शुक्र मनाओ।आज तो म्हारा हल सु थांकी जमीन पर खेती कर ही रूकू।। अब ब्यानजी केवल पेटिकोट और ब्लाउज मे थी

. दूसरे पल मेरे पतिदेव ब्लाउज को खोलने लगे तो फिर ब्यानजी गिड़गिदाई "अभी भी कुच्छ नी हुयो ब्याहीजी मत करो म्हारा ब्याहीजी..मत चढ़ो म्हारे पे ...है ..राम जी.." लेकिन ब्लाउज के ख़ूलते ही ब्यानजी की दोनो बड़ी बड़ी चुचियाँ एक लाल रंग की पुरानी ब्रा मे कसी हुई मिली.
थी तो ब्यान चुदी पिटी लेकिन बोले ऐसे जा रही थी जैसे आज तक किसी को खुद पर चढ़ाया नही हो।।
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मेरे पतिदेव बिना समय गवाए ब्लाउज को शरीर से अलग कर ही लिए और लेटी हुई ब्यानजी के पीठ मे हाथ घुसा कर जैसे ही ब्रा की हुक खोला की काफ़ी कसी हुई ब्रा एक झटके से अलग हो कर दोनो चुचिओ के उपर से हट गयी. मेरे पतिदेव ने तुरंत जैसे ही अपने हाथ दोनो चुचिओ पर रखने की कोशिस की वैसे ही ब्यानजी ने उनके दोनो हाथ को पकड़ने लगी और फिर गिड़गिदाई "अरे मैं केन मुँह दिखाउन्गि ..थांका ब्याहीजी ने.." लेकिन मेरे पतिदेव के शक्तिशाली हाथ को काबू मे रखना ब्यानजी के बस की बात नही थी और दोनो हाथ दोनो चुचिओ को मसल्ने लगे.

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मेरे पतिदेव दोनो चुचिओ को मीसते हुए ब्यानजी के मांसल और भरे हुए शरीर का जायज़ा लेने लगे. ब्यानजी जब मेरे पतिदेव के दोनो हाथों को अपनी चुचों पर से हटा नही पाई तो लाज़ दीखाते हुए अपनी दोनो हाथों से चेहरे को ढक ली. लेकिन मेरे पतिदेव अगले पल अपने एक हाथ से उसके हाथ को चेहरे पर से हटाते हुए अपने मुँह ब्यानजी के मुँह पर टीकाने लगे. इतना देख कर ब्यानजी अपने सर को इधेर उधेर घुमाने लगी और मेरे पतिदेव के लिए ब्यानजी के मुँह पर अपने मुँह को भिड़ना मुश्किल होने लगा. इतना देख कर मेरे पतिदेव उसके चुचिओ पर से हाथ हटा कर तुरंत अपने एक हाथ से ब्यानजी के सर को कस कर पकड़ लिए और दूसरे हाथ से उसके गाल और जबड़े को कस कर दबाया तो ब्यानजी का मुँह खूल सा गया और मेरे पतिदेव तुरंत अपने मुँह को उसके मुँह पर सटा दिया और ब्यानजी के खुले हुए मुँह मे अपने जीभ को ब्यानजी के मुँह मे घुसेड कर मानो आगे पीछे कर के उसके मुँह को जीभ से ही पेलने लगे. ब्यानजी का पूरा बदन झनझणा उठा. दूसरे पल ब्यानजी के होठों को भी चूसने लगे. और अब हाथ फिर से चुचिओ पर अपना काम करने लगे.

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ब्यानजी की सिसकारियाँ रूम के बाहर मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी. . थोड़ी देर तक ऐसे ही ब्यानजी के होंठो को कस कस कर चुसते हुए मेरे पतिदेव ने दोनो चुचिओ को खूब मीसा और नतीज़ा यह हुआ की पेटिकोट के अंदर मेरी ब्यान की रसभरी अपना रस बहाने लगी .तभी मेरे पतिदेव ने ब्यानजी के पेटिकोट के उपर से ही उसके जांघों को पकड़ कर मसल्ने लगे. अब मेरे पतिदेव ने पेटीकोट के अंदर हाथ डाल कर उनकी लाल चड्डी उतार दी

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अब बस उनके शरीर पे बस एक पेटीकोट था।।अब ब्यानजी समझ गयी कि मेरे पतिदेव उनके
अंतिम चीर को भी हरने जा रहे हैं. और अगले पल जैसे ही उनके हाथ ब्यानजी के पेटिकोट के नाडे को खोलने के लिए बढ़े ही थे की वह उठ कर बैठ गयी और मानो मुझे सुनाते हुए फिर से बोलने लगी "मान जाओ ...आप जो केहो मैं करूँ लेकिन म्हारो पेटिकोट तो मत खोलो.. उपर की इज़्ज़त पर तो हाथ फेर ही दिया थे लेकिन पेटिकोट खोल पूरी नागी मत करो ब्याहीजी ..मैं वरुण के पापा के सामने केन जाउन्गि...केन मुँह दिखाउन्गि...ये तो उन्ही की अमानत है......अरे मान जाओ रे ब्याहीजी।।।ब्यानजी भी पूरी चुदाबा पर चल री ह..." लेकिन मेरे पतिदेव के हाथ तबतक अपना काम कर चुका था और ब्यानजी की बात ख़त्म होते ही पेटीकोट कमर मे ढीला हो चुका था. ब्यानजी इतना देखते ही एक हाथ से ढीले हुए पेटिकोट को पकड़ कर पलँग से नीचे कूद गयी. मेरे पतिदेव भी तुरंत पलँग से उतरकर और लंड खड़ा किए हुए अगले पल ब्यानजी के पीछे आ गये और पेटिकोट के नाडे को दुबारा खींच दिया और दूसरे पल ही ब्यानजी का पेटिकोट रूम के फर्श पर गिर गया. ।और ब्यानजी रूम में पूरी नँगी हो गयी। ब्यानजी को नँगी करके मेरे पतिदेव बोले ब्यानजी ब्याना पर तो पहलो हक़ ब्याही को ही हुवे नखरा वाली ब्यान की ठुकाई में तो और मजो आवे म्हारी ब्यानजी आज तो आराम सु घुसेडवालो नी।। ब्यानजी के ठीक सामने मेरे पतिदेव का तननाया हुया लंड आ गया जिसके मुँह से हल्की लार निकलने जैसा लग रहा था और सुपादे के उपर वाली चमड़ी पीछे हो जाने से सूपड़ा भी एक दम लाल टमाटर की तरह चमक रहा था. अब मेरे पतिदेव ने ब्यानजी के कमर को उसके पीछे जा कर कस कर पकड़ ही लिया और अब ब्यानजी अपने चूतड़ को कही हिला नही पा रही थी. वह समझ गयी अब मेरे पतिदेव उन्हें चोदना सुरू करेंगे.
मेरे पतिदेव ने ब्यानजी को साइड में पड़ी एक टेबल पर झुका दिया ।।इधेर मेरे पतिदेव भी ब्यानजी के कमर को कस कर पकड़ लिए थे और ब्यानजी टेबल पर कुच्छ झुकी होने के वजह से ब्यानजी का चूतड़ कुच्छ बाहर निकल गया था और मेरे पतिदेव का तन्नाया हुआ लंड अब ब्यानजी की दोनो चूतदों के दरार के तरफ जा रहा था जिसे ब्यानजी महसूस कर रही थी. मेरे पतिदेव का एक हाथ तो कमर को कस कर पकड़े थे लेकिन दूसरा हाथ जैसे ही लंड को ब्यानजी के पीछे से उसकी गीली हो चुकी चूत पर सताते हुए एक ज़ोर दार धक्का मारा तो धक्का जोरदार होने की वजह से ऐसा लगा की ब्यानजी आगे की ओर गिर पड़ेगी और टेबल के आगे होने की वजह से ब्यानजी के साथ साथ टेबल भी बुरी तरह हिल गयी और और लंड के चूत मे धँसते ही ब्यानजी ने काफ़ी अश्लीलता भरे आवाज़ मे चीख उठी

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"..आआआआआआआआआआ ररीए म्हारी म माँ.... फाड़ दी ................फ..अट गी रे म्हारी फट गी ...फट गया रे ऊवू रे बाप फाड़ दिया रे फाड़ दिया ......अरे वरुण के पापा ने केन मुँह देखाउन्गा मने तो चोद दि रे......श्श्सश्..........अरे. ..बाप हो.....मार ....डाला ...म्हारी में मे घूस गया रे ..जुल्मी ब्याही...अरे ब्यान थारा कसम तो म्हारी ने फाड़ ही दी ...चोद दी म्हारी ने ......उउउहहारे अरे हरजाई ब्यानरांड....अब तो खुश होगी तु मने चुदवाकर थारो कसम म्हारे घुसेड़ दियो।। ...आरे बाप रे बाप मैं किने मुँह दिखाउन्गि....आजज्ज तो लूट लिया रे....मने कांई पतो हो आज ही ....आज म्हारी ....फट जाएगी.....ऊवू रे मा रे बाप ... " मेरे पतिदेव का लंड का आधा हिस्सा बुर मे घुस चुका था.


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ब्यानजी टेबल के सहारे पीछे की ओर से झुकी हुई थी और मेरे पतिदेव ब्यानजी की चूत पीछे से चोद रहे थे. मेरे पतिदेव ने दुबारा धक्के ब्यानजी की चूत मे मारना सुरू कर दिए और ब्यानजी फिर सिसकारना सुरू कर दी. ब्यानजी की चूत गीली हो जाने की वजह से मेरे पतिदेव लंड काफ़ी आसानी से चूत मे घुसने लगा. . और मेरे पतिदेव समझ गये थे की ब्यानजी काफ़ी चुदी पीटी औरत है और मेरे पतिदेव ने जब लंड को किसी पिस्टन की तरह ब्यानजी की बुर मे अंदर बाहर करने लगे तब ब्यानजी को काफ़ी मज़ा आने लगा.

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"सी सी ऊ ऊ ऊ अरे म्हारा ब्याहीजी अब तो बहुत मजो आ रिये अब डाल ही दिया म्हारे तो मन की कसर निकाल लो...और ज़ोर से आ आ आ आ आ आ ह ज़ोर ज़ोर ज़ोर्से ज़ोर से चोद दो ब्याहीजी ऊ ओह ....." मेरे पतिदेव इतना सुन कर धक्के की स्पीड बढ़ा दिए और फिर ब्यानजी ने एक बार फिर पीछे की ओर से चोद रहे मेरे पतिदेव से बोली "अरे और ज़ोर से चोदो...चोदो...म्हारी ने ..अब कई बचियो है म्हारे पास जब मने लूट ही लिए त..पेल कर फाड़ दीजो म्हारी ....ऊ ऊ ऊ ऊ ऊ ऊ ऊ ऊ ........इतना मज़ा आ रहा है की कांई बताउ....हाई राम ...ओह ऊ ऊ ऊ ऊ ऊ ऊवू ऊवू ......अरे कस कर चोदो..म्हारा ब्याही राजा......चोदो ...........ऊ ऊ ऊ ऊ .....अरे बाप रे बाप ....खूब डालो अंदर " ....अब मेरे पतिदेव बोले चालो ब्यानजी पलँग पर चिट लेट बैठो फिर देखो मैं थांकी भोसी किसान चोदू।।
इतना कहते ही मेरे पतिदेव ब्यानजी के चूत से लंड को बाहर खींच लिए और भीगा हुआ लंड बाहर आ कर चमकने लगा. ब्यानजी अब पलँग पर चढ़ गयी और फिर चित लेट गयी. मेरे पतिदेव भी पलँग पर चढ़ कर ब्यानजी के दोनो घुटनो को मोड़ कर थोड़ा जांघों को चौड़ा कर दिए. ब्यानजी की चूत फैल गयी. ब्यानजी की चूत मे मेरे पतिदेव ने लंड को एक ही झटके मे इतनी तेज़ी से पेला की लंड चूत के गहराई मे घुस गया और दूसरे पल मेरे पतिदेव काफ़ी तेज़ी से पेलने लगे और ब्यानजी की चूत की चुदाई काफ़ी तेज होने लगी.

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और लंड पर काफ़ी सारा चुदाई का रस लगने लगा था. वे ब्यानजी की चूत को इतनी कस कस कर चोद रहे थे की पूरा पलँग हिल रहा था मानो टूट जाए. कमरे मे चुदाइ और ब्यानजी की सिसकारीओं की आवाज़ गूँज उठी. ब्यानजी ने भी चुदते हुए फिर से अशीलता सुरू कर दी "चोदिए ऊ ऊवू ऊ ऊवू ऊ ह ऊओ हू रे ऊऊ माँ ऊऊ रे बाप ...कैन घूस रियो है ...अरे बडो आछो लग रिये रे ब्याहीजी ...ऊ ऊ ऊवू ...ऊओहू हूओ ऊओहू ऊ ऊ ऊवू ऊवू ऊवू ऊवू ऊओहूओ स्सो ओहो.." और मेरे पतिदेव ने इतने तेज चोदना सुरू कर दिया की पूरी चौकी ऐसे हिलने लगी मानो अगले पल टूट ही जाएगी.

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तभी ब्यानजी काफ़ी तेज चीखी "म्*म्म्मममममममममम ससस्स व्व न कककककककककककककक ऊऊऊऊऊऊओह अरे ब्याही चोद दी ....मैं तो झड़ी आऊऊह ओ हू " और इतना कहने के साथ ब्यानजी झड़ने लगी और तभी मेरे पतिदेव भी पूरे लंड को उनकी चूत मे चॅंप कर वीर्य की तेज धार को उदेलना सुरू कर दिए और मेरे पतिदेव ब्यानजी की चूत मे झाड़ रहे थे।


ब्यानजी तृप्त हो चुकी थी और मेरे पतिदेव भी खुश थे. अपनी ब्यान की मार के।
रातभर पतिदेव ने ब्यानजी के साथ दो राउंड ओर खेले ओर दोनो नँगे ही सो गये।
ये तो बस शुरुआत थी ब्यानजी के घुसाने की अभी तो ब्यानजी के और लोडे घुसने वाले है।।
 

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Snehil Bhai, looking forward to the next hot update..aapke updates bahut der se aate hain...ho sake to regular updates do pls.. thanks.
Intezaar rahega..
 
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रातभर की ठुकाई से ब्यानजी अभी तक बिस्तर में सो रही थी चादर ओढ़ रखा था उन्होंने ,पर अंदर से थी वो पूरी नँग धढंग मैं ओर मेरी ननद उन्हें उठाने गए। मेरे पति तो ब्यानजी को चोद पीट के रूम के बाहर जा चुके थे। हमने ब्यानजी का चद्दर खिंचा और ब्यानजी पूरी नँगी हमारे सामने थी मेरी ननद ने ब्यानजी की रसभरी को अपने हाथों से दबोचा और ब्यानजी घबरा कर उठ गयी।मेरी ननद बोली ब्यानजी कांई रातभर ही धार पर लाग्या रिया कांई ।मन भर्यो नी भर्यो थांको नी तो और चढ़ावा थांके पर ।ब्यानजी चद्दर से खुद को ढकते हुए बोली रातभर सु तो सोबा कोनी दिया ब्याहीजी।अब और कांई बाकी रे गियो सारी कसर तो पूरी करली ब्याहीजी ।मैं बोली क्यू ब्यानजी किसान की री और बुलाऊ कांई थांका ब्याही ने।। ब्यानजी बोली रेबा दो नी ब्यानजी म्हारा कपड़ा तो दे दो काल सु ही मने नागी कर मेली हैं फिर हमने ब्यानजी को कपड़े दिये ब्यानजी नहाने चली गयी।मेरी ननद बोली भौजाई थारा नन्दोई भी आगया ह।और तने याद कर रिये जा मिल आजा और ब्यानजी क लिये तैयार भी कर दे बेने।मैं रूम में गयी जहाँ नन्दोईजी थे मैंने नन्दोईजी से राम राम किया और उन्होंने मुझे बाहों में जकड़ लिया औऱ बोले राम राम तो इसान हुए म्हारी सलहज ,सफर सु थकान होगी तो मु सोच्यो सलहज सु मालिश करवालु।नन्दोईजी के हाथ मेरे शरीर पर इधर उधर घूम रहे थे।मै बोली नन्दोईजी थांकी थकान मिटाबा को पुरो इंतजाम कर रखयो ह।नन्दोईजी मेरा घूंघट हटा कर मेरे होंठ चूमने लगे और दोनों हाथों से मेरे ढुंगे मसलने लगे।नन्दोईजी बोले चाला पलँग पर में बोली रुको नी नन्दोईजी मने तो कभी भी कर लीजो अबार तो सोनम की सासु मचल रिये थांको केलो खाबा ने ,पेली बेकी खुजाल मिटा दीजो।नन्दोईजी बोले थांकी कब मिटाऊँ और मेरा हाथ उनके पजामे में कैद उनके खड़े लौड़े पर रख कर बोले अब तो यो भी तैयार ह। मैं उनके लौड़े को सहलाकर बोली म्हारी तो कभी भी मिटा दीजो। लो नन्दोईजी अब जाबा दो ब्यानजी ने भेजू थांके लिए। नन्दोईजी बोले इसान किसान जाबा दु।कुछ तो करू चालो मुँह में ही ले लो इन्हें ओर मुझे नीचे झुका दिया और पजामे से अपना हथियार निकाल कर मेरे सामने लेहरा दिया अब नन्दोईजी ऐसे तो मानने वाले नही थे।। लौड़ा तो अब चूसना ही था।मैं लौड़े को मुंह मे लेके चूसने लगी नन्दोईजी का लौड़ा फूल साइज में था मुंह मे ही नही समा रहा था धीरे धीरे नन्दोईजी की आहे निकलने लगी नन्दोईजी बोले वाह म्हारी सलहज कांई बढ़िया चूस रिये मैं लण्ड को कुल्फी की तरह चूसने चाटने लगी। मैं उनके आण्डों को चाटती फिर जीभ से उनके लण्ड को निचे से चाटते हुए ऊपर सुपाडे तक चाटती फिर उसे मुँह में लेकर सीधा पूरा लण्ड अपने गले में उतारती फिर 3- 4 बार लण्ड अंदर बाहर करती। फिर दोबारा से उसे चाटती नन्दोईजी तो सातवे आसमान में थे।
उफ्फ्फ्फ़ ओह्ह आआह्ह्ह ऐन ही करो और जोर से चुसो आअह्ह्ह्ह बस ऐन ही चुस्ती रहो म्हारी सलहज..
साथ में वो मेरे गाल को सहला रहे थे .
अच्चानक उनके मुह से आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह म्हारी सलहज आ आ आ आ आ आ आ की आवाज़ निकली उन्होंने मेरी सर जोर से पकड़ कर अपना लण्ड मेरे मुह में पूरा डाल दिया
. अचानक नन्दोईजी ने स्पीड बढ़ दी... वो जोर जोर से लण्ड को मुह के अंदर बाहर करने लगे... इतने में रूम के बाहर किसी की आवाज आई औऱ मुझे नन्दोईजी की कैद से छूटने के बहाना मिल गया मैं उठी और रूम के बाहर आने लगी नन्दोईजी भी अपने लौड़े को पजामे के अंदर करने लगे जाते हुए मैं बोली ब्यानजी ने तैयार कर भेजू थोडा सब्र राखो।।मै वापस मेरी ननद के पास आई और बोली बाईजी नन्दोईजी तो भरा बैठ्या ह थोड़ी देर और रुकती तो म्हारे ही डाल देता मेरी ननद ओर मैं दोनों हसने लगी।अब ब्यानजी नहाई उन्हें नाश्ता कराया और अब उन्हें उनकी दूसरी चुदाई के लिए नन्दोईजी के पास ले जाने लगे।मेरी ननद बोली ब्यानजी चालो अब म्हारा आदमी को केलो भी चख लो बे भी तो थांके ब्याही ही लागे ब्यानजी बोली अरे नही ब्यानजी एक तो काल ही पूरी रात काली कर दी अब फिर सुबह पेली नही । इतने में रूम आ गया और ब्यानजी को हमने अंदर धकेला मेरी ननद बोली नन्दोईजी से, लो थांकी ब्यानजी कब से मचल रिये थांको लेबा ने लो आराम आराम सु कर्जो म्हारी ब्यान के और हम सब रूम के बाहर आ गए औऱ रूम बन्द हो गया।
अब अंदर नन्दोईजी ने ब्यानजी को राम राम किया औऱ ब्यानजी को पीछे से अपनी बाँहो में जकड़ लिया। ब्यानजी कसमसाई आह ब्याहीजी कांई कर रिया हो पेली ही ब्याहीजी पूरी रात नी सोबा दिया अब थे सुबह पेली।नन्दोईजी ने ब्यानजी को कमर से कस कर दबोचा हुआ था ब्यानजी हिल ढुल भी नही पा रही थी नन्दोईजी बोले ब्यानजी ब्यान ब्याही के घर आवे जब तो रोज ही ठुकाई करनी पड़े नी तो ब्यानजी बुरो मान जावे क्यों ब्यानजी कटे कटे डलवाया काल। ब्यानजी बोली पूछो मत आगे पीछे सब जगह कोई जगह नी छोड़ी।। नन्दोईजी ब्यानजी के पूरे शरीर का जायजा ले रहे थे कभी उनका हाथ ब्यानजी की गांड पर जाता तो कभी उनकी रसभरी को दबोचता कभी उनके बोबो को मसलता औऱ नन्दोईजी का लौड़ा तो फुल सटा हुआ था ब्यानजी कि गांड़ की दीवारों से। अब नन्दोईजी ने पीछे से ब्यानजी का घाघरा ऊपर किया और उनके नँगे ढुंगो को मसलते हुए बोले वाह म्हारी ब्यानजी चड्डी नही पेनो थे फिर खुद ही बोले हाँ इतरा मोटा मोटा ढुंगा ने कुण सी चड्डी ढक लेइ। ब्यानजी कसमसाती हुई बोली ब्याहीजी म्हारी ब्याना चड्डी और ब्रा दोनु ही लेली म्हारा सु, कपडा भी अबार दिया ह काल तो नागी कर दी पूरी मने।अब नन्दोईजी का हाथ घाघरे के अंदर ही उनकी नँगी रसभरी पर पड़ाऔर उनकी उंगुलिया रसभरी की फांको पर चलने लगी
नन्दोईजी की उँगलियों ने जैसे ही ब्यानजी कीचूत की पंखुड़ियों का स्पर्श किया की ब्यानजी उन्माद के मारे एक जबरदस्त सिरहन का अनुभव करने लगी। ओह! ! उनके बदन में जैसे एक बिजली सी दौड़ गयी और पूरा बदन जैसे उत्तेजना से अकड़ गया। नन्दोईजी की अंगुलियों थोड़ी थोड़ी ब्यानजी के कामरस से भीगने लगी। ब्यानजीधीरे धीरे सम्हली।
नन्दोईजी ब्यानजी की चूत की पंखुड़ियों से खेल रहे थे। कभी वह उनको खोल देते तो कभी उनके ऊपर अपनी उँगलियाँ रगड़ते। कभी वह अपनी एक उंगली अंदर डालते तो कभी दो।
अब ब्यानजी अपने आप को सम्हाल नहीं पा रही थी। नन्दोईजी बोले ब्यानजी थांकी तो टपक बा लाग रिये ब्यानजी सिसकते हुए बोले आह हाँ ब्याहीजी थे कर ही इसान रिया हो म्हारो निकल जाई।नन्दोईजी ने अपना एक हाथ उनकी गांड़ पे लेके गए औऱ एक अंगुली ब्यानजी के गांड़ के छेद के अंदर डाल दी ब्यानजी सिसकी । मानो ब्याहीजी मति करो छोड़ दो।अब नन्दोईजी ने अपना हाथ जो ब्यानजी कि रसभरी पर था उससे ब्यानजी का हाथ पकड़कर अपने पजामे के ऊपर ही लौड़े पर रख दिया ब्यानजी पहले तो अपने हाथ को हटाना चाही पर नन्दोईजी ने अपने हाथ से उनके हाथ को लौड़े पर दबा दिया अब ब्यानजी भी उनके लौड़े को पकड़ कर दबा रही थी नन्दोईजी का हाथ अब उनकी गांड़ से हटकर उनके बोबो पर आ गया। नन्दोईजी दोनो हाथो से उनके बोबे मसलने लगे और उनके बलाउज के दो तीन हुक भी खोल दिये औऱ अब अंदर हाथ डाल कर उनके नँगे बोबे मसलने लगे। "आह ब्याहीजी मानो धिरे मसलो ऐने दुखे म्हारे" ये कहते हुए ब्यानजी जोर से नन्दोईजी का लौड़ा मसल रही थी अब नन्दोईजी नीचे झुके औऱ ब्यानजी का घागरा ऊपर किया औऱ उसमे अपना मुंह डाल दिया।।अब नन्दोईजी का मुँह ब्यानजी के घाघरे के घेरे में आ गया।
नन्दोईजी का मुँह ब्यानजी की चूत के बहुत पास हो चुका था।
फिर नन्दोईजीने ब्यानजी की चूत पर अपना मुख
रगड़ा और फिर अपनी जीभ निकाल कर उनकी गीली चूत को एक बार में
ही चूस कर साफ़ कर दी।
ब्यानजी को गुदगुदी सी हुई और उनकी हल्की सी आह निकल गयी ...अब नन्दोईजी की जीभ ब्यानजी चूत में प्रवेश कर गई थी।।आह बाई रे ब्याहीजी मानो मत चुसो इने।।
ब्यानजी ने मस्ती के मारे अपने पांव थोड़े से और खोल दिये। तभी नन्दोईजी की जीभ ने ब्यानजी के फ़ूले हुये
मटर के से दाने को रगड़ा और फिर अपने होंठों से भींच लिया। एक तीखी सी
मिठास और जलन सी ब्यानजी के शरीर में फ़ैल गई।

"ब्रारे मार दी ब्याहीजी ... काटजो मति ब्याहीजी लाग जावेळी म्हारे ।"

नन्दोईजी बिना कुछ बोले ब्यानजी के दाने को होंठो से सहलाते और दबाते रहे। ब्यानजी ने नन्दोईजी का सर पकड़ कर अपनी चूत में दबा दिया

अरे ब्याहीजी कांई कर दिया मार ही डाली मने"अरे रामजी ... रुको तो ब्याहीजी निकल जायलो म्हारो?"

अब नन्दोईजी की जीभ ब्यानजी की चूत पर सड़ाक सड़ाक चल रही थी। ब्यानजी का तो गुदगुदी
के मारे बुरा हाल हो गया था। ब्यानजी सिसकारी- आह्ह … धीरे म्हारा ब्याहीजी… … आह … स्स्स … आह्ह … कटी यूँ को यूँ ही खा मत जाजो इने ।अब चूत की चुसाई ब्यानजी की बर्दाश्त के बाहर थी उन्होंने नन्दोईजी के चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाकर नन्दोईजी के होंठों के बीच में अपने होंठ जड़ दिये और नन्दोईजी का फनफनाता लण्ड ब्यानजी की चूत और घाघरे पर रगड़ मारने लगा.दोनो ही एक दूसरे को बुरी तरह चूमने लगे

ब्यानजी के बदन में जैसे करंट दौड़ गया हो. उन्होंने नन्दोईजी को और कस के पकड़ लिया. और वो भी पूरी तमक से नन्दोईजी को चूमने लगी. ब्यानजी अपनी एडियाँ उठाए नन्दोईजी को चूम रही थी उनका किस और पॅशनेट हो गया. अब तो दोनो एक दूसरे की जीभ भी चाटने लग गये थे. नन्दोईजी ज़ोर ज़ोर से ब्यानजी की गाँड को मसल रहे थे. काफी देर तक दोनों ने एक दूसरे के होठों का स्वाद चखा, बिना रुके.

कुछ देर बाद नन्दोईजी ने ब्यानजी के ब्लाउस के बाकी बचे हूक खोलने शुरू किए. ब्यानजी ने अपनी दोनों बाहों को खोल कर अपने ब्लाउस को अपने शरीर से अलग कर दिया

अब ब्यानजी उपर से पूरी नंगी थी औऱ नीचे केवल घाघरा। . क्या मस्त दूध थे ब्यानजी के, एकदम सफेद, और बीच में पिंकिश ब्राउन चुचियाँ एकदम तने हुए थे, मतलब ये था ब्यानजी पूरी गरम हो चुकी थी. नन्दोईजी ने आगे झुक के लेफ्ट दूध की निपल को चूसना चालू किया और राइट को अपने हाथ में लेके दबाना शुरू किया. वो ब्यानजी के निपल पे अपनी जीभ फिराते, और दाँत से काटते. वो दूसरे दूध की निपल को अपने अंगूठे और उंगली में लेके ज़ोर ज़ोर से दबा रहे थे.
ब्यानजी का एक हाथ नन्दोईजी के सर में था, और वो अपने हाथ से नन्दोईजी के मुँह को अपने उभारों पर दबा रही थी, और कह रही थी, “और ज़ोर से चूसो, खा जाओ ब्याहीजी जितनो दूध पिनो ह पिलो आह , रुको मत, दबाओ और ज़ोर से.”अब ब्यानजी दूसरे हाथ से नन्दोईजी के लंड को पजामे के ऊपर से ही सहला रही थी.
अब ब्यानजी का हाथ नन्दोईजी के पजामे के अंदर था और अब वो उनके लंड को अपने हाथ में लेके सहला रही थी. फिर ब्यानजी ने अपने हाथ से नन्दोईजी का पजामा निकाल दिया नीचे नन्दोईजी ने चड्डी भी नही पहनी थी. नन्दोईजीअब पूरे नंगे खडे थे ब्यानजी के सामने. ब्यानजीपीछे हटी, नन्दोईजी के मुँह से उनके निपल छूट गये. ब्यानजी ने चोर नजरो से नन्दोईजी के लंड की तरफ़ देखा. वो थोड़ी सी चौंकी हुई बोली, “हाय रामजी कितरो मोटो तगड़ो ह यो तो?”
ब्यानजी पर चुदास छाई हुई थी औऱ उनकी सारी शर्म हया जाती रही अब तो बस वो नन्दोईजी के मूसल लण्ड की सवारी करना चाहती थी



नन्दोईजी बोले लो ब्यानजी मिठो मुँह करो
औऱ ब्यानजी नन्दोईजी के आगे बैठ गयी अपने घुटनों के सहारे, और नन्दोईजी के लंड को अपने दोनों हाथों में लेके सहलाने लगी. फिर धीरे से उन्होंने अपनी जीभ से उनके सुपाड़े को चाटना शुरू किया.


ब्यानजी अब कभी सुपाड़े को चाट रही थी, कभी लंड को जीभ से सहला, कभी अपने होठों में लेके चूस रही थी और और कभी आंडो के साथ खेल रही थी

ब्यानजी नन्दोईजी का लंड चूस्ते वक़्त बहुत ही मादक अंदाज़ से नन्दोईजी की आँखों में झाँक रही थी.

ब्यानजी फूल चुदासी हो गयी थी कल पूरी रात बजी थी फिर सुबह सुबह ही दूसरा लण्ड लेने को तैयार थी

अब ब्यानजी खुद ही पलँग पर पहुँच गयी । अब और देर बिना चुदे नही रह पा रही थी।

"ब्यानजी पूरी तरह से गर्म और अपनी टाँगें ऊपर उठाये हुए अपने हाथों से अपनी चूत के पट पूरी तरह खोले हुए नन्दोईजी के लण्ड के इंतजार में थी।
‘नन्दोईजी ने भी बिना देरी के लण्ड को पूरी ताकत से उनकी चूत में भोंक दिया, नन्दोईजी का सुपाड़ा ब्यानजी की चूत के कसाव को ढीला करता हुआ गहराई तक धंस गया और नन्दोईजी की झांटें ब्यानजी की चूत से जा टकराईं।!
‘आह.. ऊई माँ… हाय राम जी.. कांई करूं… माँ… लागे चिर दी म्हारी ने ब्याहीजी!’ ब्यानजी तड़प कर बोली
नन्दोईजी नेअपने लण्ड को जरा सा पीछे लिया और फिर से एक पॉवरफुल शॉट दे मारा, इस बार रही सही कसर भी पूरी हो गई और उनका लौड़ा ब्यानजी की चूत में जाम हो गया।
‘आह ब्याहीजी छोड़ दो मने… निकाल लो थांको मूसल… मने माफ़ करो. म्ह नी सह पाऊँ थांको।’ ब्यानजी दर्द से बिलखते हुए बोली।
‘अब कांई करूं… थांको यो सहन ही नहीं कर पा री हु मैं… नन्दोईजी अपना लौड़ा पेलते हुए बोले
‘अरे कुछ नी होइ ब्यानजी थाने .. चुपचाप पड़ी रो! अबार देखजो केन उछल उछल कर चुदो थे! थांकी तो खुली खुलाई चूत है! नन्दोईजी का लण्ड बांस के लट्ठ की तरह ब्यानजी की चूत में गड़ा हुआ था जिसके झड़ने की अभी दूर दूर तक सम्भावना नहीं थी ब्याहीजी अया … उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह … मर गई.
… फिर से दर्द से चीख उठी- आह मर गी …… अब रेबा दो … बहुत दर्द दे रिये थांको है … आ … अया … अया.
नन्दोईजी ब्याहीजी की एक ना सुन रहे थे . फिर धीरे धीरे धक्के लगाने लगे. अब ब्यानजी को भी भी दर्द कम होने लगा था और वो मजे लेने लगी थी. नन्दोईजी अब अपना पूरा लंड ब्यानजी की चुत में पेल कर चुदाई कर रहै थे. वो अपने हाथों से ब्यानजी के मम्मों को अब भी जानवरों की तरह रगड़ रहे थे
ब्यानजी को मजा आने लगा और उनके मुँह से आनन्द भरी सिसकारियां निकलने लगी थी- आह … ससस्स … आहह. … सस्सस्स.
फिर नन्दोईजी बोले अब दर्द तो नी है न थांकी चूत में?’
‘हो तो रिय अब भी .. लेकिन होबा दो,ब्याहीजी आप तो आ जाओ फिर से!’
नन्दोईजी ब्यानजी से बोले- क्यों ब्यानजी पेली नखरा दिखा रिया हा और अब म्हारा लौड़ा का मजा ले रिया हो आज देखो थे … थांकी चुत को मैं गड्डो बना देउ.
ज़ोर से चोद … फाड़ देउ थांकी … आज थाने रगड़ रगड़ कर चोदू ताकि थे 2 दिन तक सही से नी चल पाओ.नन्दोईजी धक्के देते हुए बोले- … आज के बाद थे म्हारा सु ही चुदवाओ रोज … ल म्हारी ब्यान ल थारा भोस्या म.
और नन्दोईजीने धक्कों की स्पीड तेज़ कर कर दी और ब्यानजी के मुँह से ‘स्सा … आ … अया … इस्स … इस्स्स्स.’ की आवाज़ तेज़ी से आने लगी और ब्यानजी कमर उठा उठा कर उससे चुदवाने लगी.
अब वो अपनी चूत चुदाई का मज़ा उठाने लगी थी। नन्दोईजी नेभी अपने धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी ब्यानजी ने भी अपनी गांड उठा उठा कर लण्ड को जवाब देना शुरू कर दिया। ब्यानजी भी चुदाई की जन्नत की सैर का मजा लेने लगी- आह चोद दे ब्याहीजी … आ … आह … ऐन … ही … पेल दो पूरो… हां....एन ही डालो ब्याहीजी

नन्दोईजी समझ गये कि अब यह मस्ता गई है और इन्हें हचक के चोदना चाहिये।
सीधे बैठ कर जबरदस्त धक्के चूत पर लगाने शुरू कर दिए. अब दोनो बराबर अपनी कमर व गांड को चलाते हुए ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाए जा रहे थे.पलंग बुरी तरह से चरमरा रहा था और धक्के लगने से फ़चक-फ़चक की आवाज़ के साथ कमरे का वातावरण गूँज उठा था. ब्यानजी मारे मज़े के ज़ोर ज़ोर से किल्कारियाँ मारने लगी थी, और नन्दोईजी को ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने के लिए उत्साहित कर रही थी,"म्हारा ब्याही राजा.और तेज़.. और तेज़.. बहुत तेज़.. रुकजो मति अब . जितरो चाहो ज़ोर से मारो धक्का.. आह. हाँ. ऐन ही. और तेज़. ज़ोर से मारो आहह

ब्यानजी का शरीर अकड़ने लगा, जांघे अपने आप हिलने लगी चूतड़ थरथराने लगे | कमर में अपने आप झटके लगने लगे | चूत की दीवारों में हो रही सनसनाहट अब फडफडाहट में बदल गयी | और ब्यानजी कि चूत झरने लगी | आह ब्याहीजी निकल गयो म्हारो अरे रामजी चोद दी ब्याहीजी तो मने।
लेकिन
नन्दोईजी अभी कहा रुकने वाले थे वो अब भी धीरे धीरे धक्के लगा रहे थे और ब्यानजी को वापस गर्म करने में लग रहे थे वे ब्यानजी के बोबो को मसल रहे थे औऱ एक बोबे को मुँह में भर कर चूस रहे थे औऱ धीरे धीरे अपना लौड़ा ब्यानजी की चूत में अंदर बाहर कर रहे थे। ब्यानजी वापस गर्म हो कर मचलने लगी और सिस्कारने लगी।

ब्यानजी को तड़फाने के लिए नन्दोईजी ने अपने लण्ड ब्यानजी की चूत में ही पेल कर धक्के लगाने बन्द कर दिये।
और अपना लण्ड उनकी चूत से बाहर निकाल लिया।
‘कांई हुयो ब्याहीजी…करो न?’ रुकय्या क्यों।
उई मान भी जाओ आयी चोदो पेलो आह रुक क्यो गया ज़ालिम आहह मत तरसाओ आहह ब्याहीजी .. अब तो असली वक़्त आयो है धक्का मारने को. मारो खूब मारो जल्दी करो.. .. फाड़ डालो इने ... हाय बडो मोटो है थांको.. आइईए."
‘ ब्यानजी अब थाने घोड़ी बनार ठोकू
तब चुदासी हो चुकी ब्यानजी झट से उठ कर अपनें हाथों और घुटनों के बल खड़ी हो गई, नन्दोईजी ने सटाक से लण्ड को फिर से ब्यानजी चूत में पेल दिया और उनके बोबे झूला झूलने लगे जिन्हें नन्दोईजीने मुट्ठी में भर के खूब अच्छे से मसल दिया.औऱ हाथ डाल कर उनके सख्त निप्पल थाम लिए और उनकी चूत मारने लगे।
ब्यानजी भी अपनी गांड को पीछे धकेल धकेल के जवाब देने लगी इस बार लण्ड ठीक से सटासट हो रहा था उनकी चूत में… जैसे जैसे नन्दोईजी स्पीड बढ़ाते, ब्यानजी भी ताल में ताल मिलाती हुई अपनी कमर को पीछे आगे करने लगी।
‘ और जल्दी जल्दी अपनी चूत को नन्दोईजी के लण्ड पर मारने लगी।
नन्दोईजी ने अब ब्यानजी के सिर के बाल चोटी की तरह लपेट कर जोर से खींच लिए जिससे उनका मुंह ऊपर उठ गया और अपने बायें हाथ में उनकी चोटी लपेट
चुदाई शुरू कर दी. वो ब्यानजी के बालों को ऐसे खींच रहे थे जैसे घोड़ी की लगाम खींच रहे हो।
औऱ अपने दायें हाथ से ब्यानजी के पीठ और कूल्हों पर चांटे मारते हुए उन्हें बेरहमी से चोदने लगे।


ब्यानजी भी अपनी गांड को ऊपर नीचे कभी आगे पीछे करती हुई अपनी चुदाई के मजे ले रही थी, ब्यानजी अब फूल चुदासी हो गयी
‘हां ब्याही जी… ऐन ही.. चीर फाड़ डालो इने… ब्यानजी दांत पीसती हुई बोली।
ब्यानजी की चूत अब बहुत गीली होकर फच फच आवाजें करने लगी थी और वो अपने मुंह से ‘हूँ हूँ’ की आवाज करते हुए पूरी दम से नन्दोईजी का साथ निभाये जा रही थी।
नन्दोईजी हर झटके पर ब्यानजी की गांड़ पर चपेट मार रहे थे इस ब्यानजी कि गांड़ भी लाल हो गयी थी।ल म्हारी ब्यान ल औऱ म्हारो आज तो चोद चोद सूजा देउ।अब नन्दोईजी ने अपना अंगूठे के पोर ब्यानजी की गांड़ के छेद में डाल दिया औऱ उसे अंदर बाहर करने लगे। ब्यानजी इस दोहरे हमले से और सिस्कारने लगी।।आह म्हारा ब्याहीजी आज तो जान ही लेवो कांई म्हारी आह । आह ब्रारे बुरी तरह मस्का दी चौडी कर दी म्हारी ने ।।
नन्दोईजी समझ रहे थे कि अब ब्यानजी जल्दी ही झड़ जायेगी और नन्दोईजी इस पारी को थोड़ा और लम्बा खींचना चाहते थे इसलिये नन्दोईजी उनसे अलग हट गये और ब्यानजी को अपने ऊपर आने को कहा औऱ चुदासी ब्यानजी तुरंत नन्दोईजी के ऊपर चढ़ गई और लण्ड को अपनी चूत के छेद पर फिट करके एक ही बार में पूरा घुसा ले गई और दनादन ऊपर नीचे होने लगी।
नन्दोईजीने भी उनके सख्त होते बोबे पकड़ लिए और उसके चूचकों को मसलने लगे।
अब ब्यानजी ने मिसमिसा कर अपनी चूत नन्दोईजी की झांटो पर रगड़ना शुरू कर दिया और उत्तेजना से कामुक आवाजें मुंह से निकालने लगी, उनकी आँखों में अब अजब सी वासना की चमक थी और वो बार बार अपने नाख़ून नन्दोईजी के सीने में गड़ा देती और फिर से मिसमिसा कर खुद को चोदने लग जाती।
अब पूरा कंट्रोल ब्यानजी के हाथ में था और वो नन्दोईजी के लण्ड को अपने हिसाब से ले रही थी।
ब्यानजी नन्दोईजी के ऊपर चढ़ कर अपनी कामाग्नि को शान्त करने का जी तोड़ प्रयास कर रही थी और झड़ने के लिए बेचैन उनकी चूत ब्याहीजी के लण्ड से लोहा लेते हुए कड़ा संघर्ष कर रही थी। नन्दोईजीने ब्यानजी को अपने ऊपर से हटाया और लिटा के उनकी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं और उसके दोनों दूध कस के दबोच लिए और एक बार में ही लण्ड को उसकी चूत में भोंक दिया।
चूत गीली रसीली होने के कारण लण्ड बिना किसी बाधा के घुसा और उसकी बच्चेदानी से जा टकराया…
‘आह आः हां… ऐन ही…करो म्हारा ब्याहीजी ब्यानजी बोली और अपनी कमर उचका कर नन्दोईजी का स्वागत किया।
नन्दोईजी उनके बोबे दबोचे हुए बार बार वैसे ही शॉट्स लगाने लगे नन्दोईजी के हर धक्के पर उनके मुंह से आनंदभरी किलकारी निकलती ,नन्दोईजी लण्ड को आड़ा तिरछा सीधा या नीचे की तरफ करके उनकी चूत को कुचलने लगे; ऐसा करने से उनका बदन ऐंठने लगा और ब्यानजी नन्दोईजी को अपने ऊपर खींचने लगी लेकिन नन्दोईजी उनके ऊपर नहीं झुके और लगातार धक्के लगाते रहे।
‘ल म्हारी ब्यान म्हारा लौड़ा न थांका बोस्या म… नन्दोईजी ताबड़तोड़ धक्के लगाते हुए बोले।
‘हां… फाड़ डालो ब्याहीजी म्हारी ने अटे एक दो दिन और रुक गी तो सही में ही भोसडो बन जाई म्हारो !’ वो मिसमिसा कर बोली।
‘ हा इसान ही बेरहमी से चोद डालो… फाड़ डालो इ चूत न आज ब्यानजी भी फूल मस्ती में अंट शंट बके जा रही थीं…
‘आह ब्याहीजी अब म्हारो पानी निकल रिये बड़े जोर से!’

जीईईई ब्याहीजी … हाँ ऐन ही… फाड़ डालो इने… कुचल दो इने ! हाँ… और तेज… हाँ…ब्याहीजी हाँ म्ह फिर से आ री हूँ म्हारा ब्याही राजा… लो संभालो मने!
इस बार ब्यानजी और खुल के झड़ी जैसे सुनामी आ गई हो उनकी चूत में!

नन्दोईजी ने तुरंत अपना लौड़ा उनकी चूत से बाहर निकाल लिया. नन्दोईजी का लौड़ा निकालते ही उनकी चूत से रस का सोता सा फूट पड़ा, उनकी छूट इतनी तेज हुई जैसे फव्वारा चल पड़ा हो या जैसे किसी पाइप लाइन से पानी उछल उछल के लीक होता है।
जैसे ही उनका झरना बहना बंद हुआ, नन्दोईजीने लण्ड को वापिस उनकी चूत में पेल दिया और फुर्ती से उन्हें चोदने लगे क्योंकि अब नन्दोईजी भी झड़ जाना चाहते थे।
ब्यानजी भी जल्दी ही फिर से तैश में आ गई और नन्दोईजी के धक्कों से ताल में ताल मिलाती हुई किसी चुदक्कड़ रांड़ की तरह अपनी कमर उठा उठा कर नन्दोईजी की आँखों में आँखें डाल कर अपनी चूत नन्दोईजी को देने लगी; नन्दोईजी भी पूरी तन्मयता और मनोयोग से उनकी लेते रहे।
म्हारा ब्याही राजा.और तेज़.. और तेज़.. बहुत तेज़.. रुकजो मत. जितना चाहो ज़ोर से मारो धक्का.. आह. हाँ. ऐन ही. और तेज़. ज़ोर से मारो आहह." दो बार झड़ चुकी ब्यानजी अभी भी मस्त होके नन्दोईजी का लण्ड ले रही थी।नन्दोईजी ने आव देखा ना ताव और अपनी सारी ताक़त के साथ बड़े ही ख़ूँख़ार चूत फाड़ धक्के लगाने प्रारंभ कर दिए. इस समय वो अपने पूरे जोश और उफान पर थे. उन'के हर धक्के मैं बिजली जैसी चमक और तेज़ कड़कड़ाहट महसूस हो रही थी.दोनो की गांद बड़ी ज़ोरो से उछले जा रही थी. ओलों की टॅप-टॅप की तरह से वो पलंग को तोड़े डाल रहे थे.ऐसा लग रहा था जैसे वो दोनो एक दूसरे के अंदर घुस कर ही दम लेंगे, या फिर एक दूसरे के अंग और नस नस को तोड़ मरोड़ कर रख देंगे.उन दोनो पर ही इस समय चुदाई का भूत पूरी तरह सवार था. सह'सा ही नन्दोईजी के धक्कों की रफ़्तार असाधारण रूप से बढ़ उठी और वो ब्यानजी के शरीर को तोड़ने मरोड़ने लगे. ब्यानजी मज़े मैं मस्तानी हो कर दुगने जोश के साथ चीखने चिल्लाने लगी,"वाह म्हारा प्यारा..ब्याही जी मार.. और मार हां बडो मज़ा आ रिये है.वा तोड़ दे फाड़ डे खा जा छोडजो मत मार जमा के धक्का और दे पूरो चोद मने हाय."और इसी के साथ ब्यानजी के धक्कों और उच्छलने की रफ़्तार कम होती चली गयी. नन्दोईजी भी ज़ोर ज़ोर से उछलने के बाद लंड से वीर्या फैंकने लगे
ब्यानजी आक्टोपस की तरह लिपट गई और अपने दांत नन्दोईजी के कंधे में गड़ा दिए,
नन्दोईजी भी उनके साथ ही झड़ने लगे, नन्दोईजी के लण्ड से वीर्य की पिचकारियाँ छूट छूट कर उनकी चूत में समाने लगीं, उनकी चूत की मांसपेशियाँ भी संकुचित हो हो कर नन्दोईजी के लण्ड से रस की एक एक बूँद निचोड़ने लगीं।
दोनों पसीने पसीने होकर हांफ रहे थे।।
 
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