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Incest चुदक्कड़ गाँव की रासलीला

aalu

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Update 36

अगले दिन रामू सीधा अपने खेतों में आ गया बिना नहाए धोए। उसने नाश्ता तक नहीं किया है अभी तक उसके दिमाग में रात का दृश्य चल रहा था

तभी उसको हरिया चाचा हवेली की तरफ जाता दिखा।

रामू ने आवाज देकर हरिया को अपने पास बुलाया।

रामू - कैसे हो चाचा? आजकल तुम बिलकुल गायब ही रहते हो

हरिया - अरे रामू बेटा उस जागीरदार का सारा काम हमें ही करना पड़ता है साली ज़िन्दगी झंड हुई गई है

रामू - आओ बैठो चाचा मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है

फिर हरिया और रामू कुन्वे के पास आकर बैठ जाते हैं

हरिया - बोलो रामू बेटा क्या बात है ?

रामू - चाचा सुना है आप चम्पा बुआ की शादी कर रहे हो किसी बूढ़े आदमी से।

हरिया - हां बेटा अब कर भी क्या सकता हूं उम्र जो हो गई है चम्पा की और इतनी उम्र में कौन जवान लड़का उससे शादी करेगा

रामू - चाचा पर आप चम्पा बुआ की ज़िन्दगी बर्बाद कर रहे हो उसकी उस बूढ़े आदमी से शादी करके।

हरिया - मेरी बहन के लिए क्या सही है और क्या गलत अब तू बताएगा मुझे।

रामू - पर चाचा चम्पा बुआ उस बूढ़े आदमी से शादी करना नहीं चाहती।

हरिया - ज़ुबान संभाल कर रामू। तुझे कैसे पता कि वो किससे शादी करना चाहती है और किससे नहीं!

रामू - चाचा दरअसल मैंने चाची और बुआ को बात करते सुना था।

हरिया गुस्से में - देखो रामू बेटा हमारे घर के मामलों में दखल मत दो , इससे बातें और बिगड़ जाएंगी।

रामू - लगता है चाचा तुमने अपनी बहन का सौदा कर दिया। बताओ क्या बोली लगाई है तुमने अपनी बहन की।

रामू के मुंह से ये बात सुन हरिया की आंखें गुस्से से लाल हो गई

हरिया चिल्लाते हुए - हरामजादे अगर तू मेरा भतीजा नहीं होता तो इस बात पर तेरी जान ले लेता। हरामजादे तुझे शर्म नहीं आई अपनी बुआ के बारे में ऐसा बोलने में!

रामू - क्या ? क्या बोला चाचा ? मै भतीजा।

हरिया गुस्से में क्या बोल गया इस बात का खयाल उसको बाद में आया

हरिया - कुछ नहीं।

फिर हरिया वहां से जाने लगता है

रामू - ठीक है तो मै भी आपके घर जाता हूं और चाची को बता देता हूं कि आपका चक्कर उस दूधवाली रुबीना काकी के साथ चल रहा है।

रामू के मुंह से ये बात सुनते ही हरिया के हाथ पैर सुन्न पड़ जाते हैं वो एक जगह जम जाता है

हरिया - नहीं रामू तू अपनी चाची को कुछ नहीं बताएगा।

रामू - ठीक है तो बोलो फिर मै तुम्हारा भतीजा कैसे हो गया?

हरिया - वो रामू बेटा दरअसल तुम रिश्ते में मेरे भतीजे लगते हो और मै तुम्हारा चाचा

रामू - ये क्या बेहूदा बातें कर हो चाचा? माना की मै आपको बचपन से चाचा बोल रहा हूं इसका मतलब ये नहीं की मै आपका भतीजा हो गया और आप मेरे चाचा। मुझे अच्छे से पता है कि मेरे बापू ना तो कोई सगा भाई था ना बहन।

हरिया - हां तुमने सही कहा रामू बेटा। तुम्हारे बापू को कोई सगा भाई बहन नहीं था। मै तुम्हारे बापू मुरली का चचेरा भाई हूं और मेरी बहन चम्पा तुम्हारे बापू मुरली की चचेरी बहन।

हरिया के मुंह से ये बात सुनकर रामू की हालत इस वक़्त ऐसी बन गई थी जैसे उसके शरीर से आत्मा ही निकल गई हो , वो ज़िंदा लाश की तरह खड़ा था।

हरिया - रामू बेटा संभाल अपने आप को। ये सच है चाहे अपनी मां से पूछ लेना। तुम्हारी मां ही तुम्हे सारी सच्चाई बताएगी और हां रामू बेटा मैंने तेरी बुआ का सौदा नहीं किया बल्कि मै तो उस आदमी की जान लेना चाहता हूं

रामू - क्या ?

हरिया - चम्पा के साथ उस बूढ़े आदमी शादी का रिश्ता एक बहाना है बस। दरअसल मैं उस बूढ़े आदमी को कुत्ते की मौत मारना चाहता हूं

रामू को कुछ समझ नहीं आ रहा था

रामू - क्यों ?

हरिया - तुम्हे पता नहीं है रामू बेटा उस हीरालाल और उसके दोस्तों ने हमारे परिवार के साथ क्या किया है इसलिए मै एक एक करके सालों से हीरालाल के दोस्तों को कुत्ते की मौत मार रहा हूं और वो बूढ़ा आदमी जिसे मैंने अपनी बहन चम्पा का रिश्ता किया है उसको भी मै आज मार डालूंगा

ऐसा बोलते ही हरिया अपने कट्टे में गोलियां भरने लगता है और वहां से हवेली की तरफ चला जाता है

रामू को कुछ समझ नहीं आ रहा था। कल रात से ये उसको दूसरा झटका लगा था उसको मन में ये बात सोच सोचकर बड़ी ग्लानि हो रही थी कि वो अपनी ही बुआ के साथ पिछले १ साल से संभोग कर रहा था और अगर चम्पा को पहले से पता था कि वो उसकी बुआ है तो उसने कभी बोला क्यों नहीं!

आज रामू का मन बड़ा ही दुखी था इसलिए वो गांव के ठेके पर आ गया और दारू पीने लगा और फिर ठेके से लड़खड़ाते हुए किसी तरह अपने खेतों की झोपड़ी में आया और सो गया
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Update 36

अगले दिन रामू सीधा अपने खेतों में आ गया बिना नहाए धोए। उसने नाश्ता तक नहीं किया है अभी तक उसके दिमाग में रात का दृश्य चल रहा था

तभी उसको हरिया चाचा हवेली की तरफ जाता दिखा।

रामू ने आवाज देकर हरिया को अपने पास बुलाया।

रामू - कैसे हो चाचा? आजकल तुम बिलकुल गायब ही रहते हो

हरिया - अरे रामू बेटा उस जागीरदार का सारा काम हमें ही करना पड़ता है साली ज़िन्दगी झंड हुई गई है

रामू - आओ बैठो चाचा मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है

फिर हरिया और रामू कुन्वे के पास आकर बैठ जाते हैं

हरिया - बोलो रामू बेटा क्या बात है ?

रामू - चाचा सुना है आप चम्पा बुआ की शादी कर रहे हो किसी बूढ़े आदमी से।

हरिया - हां बेटा अब कर भी क्या सकता हूं उम्र जो हो गई है चम्पा की और इतनी उम्र में कौन जवान लड़का उससे शादी करेगा

रामू - चाचा पर आप चम्पा बुआ की ज़िन्दगी बर्बाद कर रहे हो उसकी उस बूढ़े आदमी से शादी करके।

हरिया - मेरी बहन के लिए क्या सही है और क्या गलत अब तू बताएगा मुझे।

रामू - पर चाचा चम्पा बुआ उस बूढ़े आदमी से शादी करना नहीं चाहती।

हरिया - ज़ुबान संभाल कर रामू। तुझे कैसे पता कि वो किससे शादी करना चाहती है और किससे नहीं!

रामू - चाचा दरअसल मैंने चाची और बुआ को बात करते सुना था।

हरिया गुस्से में - देखो रामू बेटा हमारे घर के मामलों में दखल मत दो , इससे बातें और बिगड़ जाएंगी।

रामू - लगता है चाचा तुमने अपनी बहन का सौदा कर दिया। बताओ क्या बोली लगाई है तुमने अपनी बहन की।

रामू के मुंह से ये बात सुन हरिया की आंखें गुस्से से लाल हो गई

हरिया चिल्लाते हुए - हरामजादे अगर तू मेरा भतीजा नहीं होता तो इस बात पर तेरी जान ले लेता। हरामजादे तुझे शर्म नहीं आई अपनी बुआ के बारे में ऐसा बोलने में!

रामू - क्या ? क्या बोला चाचा ? मै भतीजा।

हरिया गुस्से में क्या बोल गया इस बात का खयाल उसको बाद में आया

हरिया - कुछ नहीं।

फिर हरिया वहां से जाने लगता है

रामू - ठीक है तो मै भी आपके घर जाता हूं और चाची को बता देता हूं कि आपका चक्कर उस दूधवाली रुबीना काकी के साथ चल रहा है।

रामू के मुंह से ये बात सुनते ही हरिया के हाथ पैर सुन्न पड़ जाते हैं वो एक जगह जम जाता है

हरिया - नहीं रामू तू अपनी चाची को कुछ नहीं बताएगा।

रामू - ठीक है तो बोलो फिर मै तुम्हारा भतीजा कैसे हो गया?

हरिया - वो रामू बेटा दरअसल तुम रिश्ते में मेरे भतीजे लगते हो और मै तुम्हारा चाचा

रामू - ये क्या बेहूदा बातें कर हो चाचा? माना की मै आपको बचपन से चाचा बोल रहा हूं इसका मतलब ये नहीं की मै आपका भतीजा हो गया और आप मेरे चाचा। मुझे अच्छे से पता है कि मेरे बापू ना तो कोई सगा भाई था ना बहन।

हरिया - हां तुमने सही कहा रामू बेटा। तुम्हारे बापू को कोई सगा भाई बहन नहीं था। मै तुम्हारे बापू मुरली का चचेरा भाई हूं और मेरी बहन चम्पा तुम्हारे बापू मुरली की चचेरी बहन।

हरिया के मुंह से ये बात सुनकर रामू की हालत इस वक़्त ऐसी बन गई थी जैसे उसके शरीर से आत्मा ही निकल गई हो , वो ज़िंदा लाश की तरह खड़ा था।

हरिया - रामू बेटा संभाल अपने आप को। ये सच है चाहे अपनी मां से पूछ लेना। तुम्हारी मां ही तुम्हे सारी सच्चाई बताएगी और हां रामू बेटा मैंने तेरी बुआ का सौदा नहीं किया बल्कि मै तो उस आदमी की जान लेना चाहता हूं

रामू - क्या ?

हरिया - चम्पा के साथ उस बूढ़े आदमी शादी का रिश्ता एक बहाना है बस। दरअसल मैं उस बूढ़े आदमी को कुत्ते की मौत मारना चाहता हूं

रामू को कुछ समझ नहीं आ रहा था

रामू - क्यों ?

हरिया - तुम्हे पता नहीं है रामू बेटा उस हीरालाल और उसके दोस्तों ने हमारे परिवार के साथ क्या किया है इसलिए मै एक एक करके सालों से हीरालाल के दोस्तों को कुत्ते की मौत मार रहा हूं और वो बूढ़ा आदमी जिसे मैंने अपनी बहन चम्पा का रिश्ता किया है उसको भी मै आज मार डालूंगा

ऐसा बोलते ही हरिया अपने कट्टे में गोलियां भरने लगता है और वहां से हवेली की तरफ चला जाता है

रामू को कुछ समझ नहीं आ रहा था। कल रात से ये उसको दूसरा झटका लगा था उसको मन में ये बात सोच सोचकर बड़ी ग्लानि हो रही थी कि वो अपनी ही बुआ के साथ पिछले १ साल से संभोग कर रहा था और अगर चम्पा को पहले से पता था कि वो उसकी बुआ है तो उसने कभी बोला क्यों नहीं!

आज रामू का मन बड़ा ही दुखी था इसलिए वो गांव के ठेके पर आ गया और दारू पीने लगा और फिर ठेके से लड़खड़ाते हुए किसी तरह अपने खेतों की झोपड़ी में आया और सो गया
Laga hi tha kuchh toh jhol hain, idhar champa sagi bua nikli, aur hariya jitna kameena dikhta tha uske ulat nikla, shab taraf raaz chhipe hue hain, jaane aur kauna se naye rishte ka uzagar hona baaki hain, saare kand us jagirdar kee tarafi ishara karti hain, ab hariya sach bol raha hain,wakai mein wo hitaishi hain ya phir koi aur nayee chaal.
 
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बहोत ही धमाकेदार कामुक और उत्तेजना से भरपूर जबरदस्त स्टोरी है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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Tyler herro

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Update 37

रामू की नींद सीधा शाम हो खुलती है और फिर रामू खेतों से अपने घर की तरफ निकल जाता है नशा बिलकुल उतर चुका था उसके दिमाग से। सुबह से अन्न का एक दाना भी उसके पेट में नहीं गया था। रामू बिना खाना खाए आंगन में आकर अपनी चारपाई पर लेट जाता है

इधर सविता का रामू पर बिलकुल ध्यान ही नहीं था वो तो बस धन्नो से बातों में लगी हुई थी और बेला चंदा के साथ अपने कमरे में थी।

कुछ देर बाद सविता आंगन में आती है

सविता - अरे रामू तू कब आया? चल हाथ मुंह धो ले मै तेरे लिए खाना लगाती हूं

रामू - रहने दे मां मुझे भूख नहीं है मुझे अकेला छोड़ दे

सविता - क्या बात है रामू ? तू ऐसे क्यों बात कर रहा है

रामू - मां मुझे तुझसे कुछ बात करनी है।

सविता - बोल ना लल्ला क्या बात है ?

रामू - यहां नहीं। तुझे मेरे साथ छत पर चलना होगा

सविता - ऐसी क्या बात है ? जो तू मुझसे अकेले में करना चाहता है

रामू सविता का हाथ पकड़ कर छत पर ले आता है और छत का दरवाज़ा बाहर से बंद कर लेता है

सविता - क्या बात है लल्ला! दरवाज़ा क्यों बंद कर रहा है

रामू सविता की आंखों में देखते हुए - मां तू मुझसे कुछ छुपा रही है ना

सविता - क्या? ये तू क्या बोल रहा है मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा

रामू - मां मै वो राज़ जान गया हूं जो तू मुझसे आजतक छुपाती आई है

रामू की बात सुनते ही सविता की आंखें नम हो जाती हैं काटो तो खून नहीं ऐसी हालत हो गई थी।

सविता - क्या ? क्या जानता है तू लल्ला?

रामू - मां मुझे धन्नो मौसी और हरिया चाचा ने सब कुछ सच सच बता दिया

रामू के मुंह से ये बात सुनते ही सविता को चक्कर आ जाते हैं और वो बेहोश होकर गिरने ही वाली होती है कि रामू उसको संभाल लेता है और वहीं एक कुर्सी पर बैठा देता है।

सविता रोने लगती है और बोलती है - लल्ला मैंने सारी ज़िन्दगी भर अपना और तेरे बापू का वो राज़ एक राज़ ही रखा। उसके लिए मुझे माफ करदे लल्ला मै तेरी गुनहगार हूं

रामू ये बात सुनकर दहल गया।

रामू ने अभी तक वो बात बताई ही नहीं थी जो धन्नो और हरिया ने उससे बोली थी। रामू की मां सविता ने तो कोई नया ही राज़ खोल दिया था जिसे रामू अब जानना चाहता था

रामू - कोई बात नहीं मां लेकिन फिर भी वो बात मै एक बार तेरे मुंह से सुनना चाहता हूं

रामू ने ये बात को कुछ इस तरह बोला जिससे सविता को लगे कि वो सब कुछ जान गया हो।

सविता - लल्ला मै और तेरे बापू मुरली रिश्ते में भाई बहन थे लेकिन सौतेले। ये बात आज से ३० साल पहले की है। उस वक़्त मै महज़ १३ साल की थी। मेरे बापू और मुरली के बापू बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दिन मुरली के बापू मेरी मां के साथ भाग गए। हां लल्ला मेरी मां के गैर संबंध थे मुरली के बापू के साथ। उसके बाद मेरे बापू ने मुरली की मां को संभाला और फिर मेरे बापू ने मुरली की मां से शादी कर ली। इस तरह हम रिश्ते में भाई बहन बन गए लेकिन सौतेले। उस समय तुम्हारे बापू मुरली १५ साल के थे। मुझे मुरली की मां बिलकुल भी पसंद नहीं थी और ना ही मुरली को मेरे बापू। मुरली की मां और मेरे बापू ने एक दूसरे के साथ रंगरलियां मनाने के लिए शादी की थी। इस तरह मुझे और मुरली को ही एक दूसरे का ख्याल रखना पड़ता था और ऐसे ही एक दूसरे का ख्याल रखते रखते हम एक दूसरे से प्यार कर बैठे। समय गुजरता रहा और हमारा प्यार समय के साथ और भी गहरा हो गया।

"ऐसे ही एक दिन तुम्हारे बापू मुरली मेरा हाथ पकड़कर हमारे मां बापू के कमरे की खिड़की के पास लेकर आए और उस वक़्त से हमारी ज़िन्दगी बदल गई। अंदर मेरे बापू मुरली की मां के साथ संभोग कर रहे थे और फिर संभोग का सिलसिला मेरे और तुम्हारे बापू मुरली के बीच भी शुरू हो गया। ऐसे ही एक दिन मै तुम्हारे बापू मुरली के साथ संभोग कर रही थी पता नहीं कैसे मुरली के चचेरे भाई हरिया ने हमें संभोग करते देख लिया और ये बात उसने हमारे घर के नौकर - नौकरानी प्यारेलाल और धन्नो को भी बता दी। उस वक़्त मां बापू घर पर नहीं थे इसलिए मुरली ने सभी को पैसों का लालच देकर मुंह बंद रखने को कहा।"

"फिर एक दिन मेरे बापू और मुरली की मां एक बस दुर्घटना में मारे गए और हम अनाथ हो गए। हमारे सभी रिश्तेदारों ने हमसे मुंह मोड़ लिया था। हम दोनों ही एक दूसरे का सहारा बने। लल्ला तुम शादी से पहले ही मेरी कोख में जन्म ले चुके थे फिर एक दिन हमने एक मंदिर में शादी की और रातों रात अपना गांव छोड़कर तुम्हारे बापू मुरली के चचेरे भाई हरिया के गांव में आ गए। यहां कोई भी हमें जानता नहीं था"

अपने ज़िन्दगी के किताब के पन्ने अपने बेटे रामू के सामने खोलकर सविता फूट फूट कर रोने लगी।

रामू अपनी मां सविता की बात सुनते सुनते ज़िंदा लाश बन गया था ऐसा लग रहा था जैसे रामू दिल की धड़कन रुक गई हो। आज जो राज़ उसकी मां ने उसके सामने खोला था उसकी रामू कल्पना भी नहीं कर सकता था

रामू अपनी मां से बिना कुछ बोले छत का दरवाज़ा खोला और एक नजर अपनी मां की तरफ देखकर वहां से चला गया।
 
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Tyler herro

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Laga hi tha kuchh toh jhol hain, idhar champa sagi bua nikli, aur hariya jitna kameena dikhta tha uske ulat nikla, shab taraf raaz chhipe hue hain, jaane aur kauna se naye rishte ka uzagar hona baaki hain, saare kand us jagirdar kee tarafi ishara karti hain, ab hariya sach bol raha hain,wakai mein wo hitaishi hain ya phir koi aur nayee chaal.
Ye to hai har character ki apni ek kahani hai bas aage aage dekhte jao hota hai kya
 
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