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Incest चुदक्कड़ गाँव की रासलीला

Tyler herro

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Update 33

सुबह का वक़्त था घड़ी में ७ बज रहे थे रामू आंगन में चारपाई पर सोया हुआ था, बेला भी वहीं नीचे गद्दे पर सो रही थी और सविता बाथरूम में नहा रही थी

धन्नो अपनी बहू लता के साथ रसोई में नाश्ता बना रही थी और भीमा कुन्वे की खुदाई की मशीन लेने के लिए शहर गया हुआ था

अचानक धन्नो के कमरे से बहुत जोर से कुछ गिरने की आवाज आई

धन्नो - लता मेरे कमरे से कुछ आवाज हुई। कहीं बिल्ली ने कुछ गिरा तो नहीं दिया। मै देखकर आती हूं

लता - जी मां जी

धन्नो फिर जैसे ही अपने कमरे में घुसी तो उसने देखा कि उसका पति नीचे ज़मीन पर गिरा पड़ा है और मुंह से खून की उल्टियां कर रहा है

धन्नो चिल्लाते हुए - हे भगवान

धन्नो ने फिर अपने पति को नीचे ज़मीन से उठाकर बिस्तर पर लेटाया। लता भी कमरे में आ चुकी थी

प्यारेलाल - मेरा समय आ गया है धन्नो

ये सुनते ही धन्नो की आंखों से आंसुओ की बरसात होने लगी और लता भी रोने लगी थी

धन्नो - ये आप क्या बोल रहे हैं कुछ नहीं होगा आपको

प्यारेलाल - मेरी बात ध्यान से सुनो धन्नो , मैंने एक चिठ्ठी लिखी है रामू के नाम , मुझसे वादा करो कि तुम वो चिठ्ठी रामू को अपने हाथों से दोगी।

धन्नो रोते हुए - हां दूंगी।

प्यारेलाल - कुछ राज़ लिखे हैं उसमे जो रामू को जान लेना चाहिए और कुछ राज़ मेरी मौत के साथ दफन हो जाएंगे। वो चिट्ठी मैंने अलमीरा में रखी है

और इतना बोलते ही प्यारेलाल ने एक जोर से सांस ली और फिर उसकी सांस अचानक रुक गई।

फिर धन्नो और लता चीख चीखकर रोने लगे। उन दोनों की चीखों की आवाज सुनकर रामू और बेला जाग गए और सविता भी जल्दी से नहाकर सीधा कमरे में आ गई

कुछ है देर में पूरे घर में बस रोने की चीखें गूंज रही थी। फिर धीरे धीरे गांव वाले आना शुरू हो गए थे

कुछ देर बाद भीमा भी शहर से कुन्वे की खुदाई की मशीन लेके अपने घर की तरफ आ रहा था। जैसे ही उसने अपने घर के बाहर गांव वाले देखे तो वो समझ गया और भागते हुए घर के अंदर आया और अपने बापू को देखकर रोने लगा।

कुछ देर बाद रामू , भीमा कुछ गांव वालों के साथ शव उठकर नदी पर ले गए जहां भीमा ने अपने बापू को अंतिम विदाई दी।

रात हो चुकी था भीमा और रामू को घर आते आते। घर में सब भूखे ही सो गए थे

ऐसे ही दिन बीत गए और अब रामू , सविता और बेला के अपने घर आने का समय हो गया था

सुबह सुबह बस पकड़कर रामू अपनी मां और बहन के साथ वहां से अपने गांव के तरफ निकल गया।

धन्नो ने वो चिठ्ठी नहीं दी रामू को जो उसके पति ने रामू के लिए लिखा था उसमे कुछ ऐसा लिखा था जो धन्नो कभी नहीं चाहती थी कि रामू को पता चले।

लता ने कई बार सोचा कि वो रामू को बता दे उस चिठ्ठी के बारे में पर लता अपनी सास के खिलाफ नहीं जाना चाहती थी पर लता के मन में था कि रामू ने क्या कुछ नहीं किया उसके लिए और फिर भी वो उसके साथ विश्वासघात कर रही है
 
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drsexsex

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Update 33

सुबह का वक़्त था घड़ी में ७ बज रहे थे रामू आंगन में चारपाई पर सोया हुआ था, बेला भी वहीं नीचे गद्दे पर सो रही थी और सविता बाथरूम में नहा रही थी

धन्नो अपनी बहू लता के साथ रसोई में नाश्ता बना रही थी और भीमा कुन्वे की खुदाई की मशीन लेने के लिए शहर गया हुआ था

अचानक धन्नो के कमरे से बहुत जोर से कुछ गिरने की आवाज आई

धन्नो - लता मेरे कमरे से कुछ आवाज हुई। कहीं बिल्ली ने कुछ गिरा तो नहीं दिया। मै देखकर आती हूं

लता - जी मां जी

धन्नो फिर जैसे ही अपने कमरे में घुसी तो उसने देखा कि उसका पति नीचे ज़मीन पर गिरा पड़ा है और मुंह से खून की उल्टियां कर रहा है

धन्नो चिल्लाते हुए - हे भगवान

धन्नो ने फिर अपने पति को नीचे ज़मीन से उठाकर बिस्तर पर लेटाया। लता भी कमरे में आ चुकी थी

प्यारेलाल - मेरा समय आ गया है धन्नो

ये सुनते ही धन्नो की आंखों से आंसुओ की बरसात होने लगी और लता भी रोने लगी थी

धन्नो - ये आप क्या बोल रहे हैं कुछ नहीं होगा आपको

प्यारेलाल - मेरी बात ध्यान से सुनो धन्नो , मैंने एक चिठ्ठी लिखी है रामू के नाम , मुझसे वादा करो कि तुम वो चिठ्ठी रामू को अपने हाथों से दोगी।

धन्नो रोते हुए - हां दूंगी।

प्यारेलाल - कुछ राज़ लिखे हैं उसमे जो रामू को जान लेना चाहिए और कुछ राज़ मेरी मौत के साथ दफन हो जाएंगे। वो चिट्ठी मैंने अलमीरा में रखी है

और इतना बोलते ही प्यारेलाल ने एक जोर से सांस ली और फिर उसकी सांस अचानक रुक गई।

फिर धन्नो और लता चीख चीखकर रोने लगे। उन दोनों की चीखों की आवाज सुनकर रामू और बेला जाग गए और सविता भी जल्दी से नहाकर सीधा कमरे में आ गई

कुछ है देर में पूरे घर में बस रोने की चीखें गूंज रही थी। फिर धीरे धीरे गांव वाले आना शुरू हो गए थे

कुछ देर बाद भीमा भी शहर से कुन्वे की खुदाई की मशीन लेके अपने घर की तरफ आ रहा था। जैसे ही उसने अपने घर के बाहर गांव वाले देखे तो वो समझ गया और भागते हुए घर के अंदर आया और अपने बापू को देखकर रोने लगा।

कुछ देर बाद रामू , भीमा कुछ गांव वालों के साथ शव उठकर नदी पर ले गए जहां भीमा ने अपने बापू को अंतिम विदाई दी।

रात हो चुकी था भीमा और रामू को घर आते आते। घर में सब भूखे ही सो गए थे

ऐसे ही दिन बीत गए और अब रामू , सविता और बेला के अपने घर आने का समय हो गया था

सुबह सुबह बस पकड़कर रामू अपनी मां और बहन के साथ वहां से अपने गांव के तरफ निकल गया।

धन्नो ने वो चिठ्ठी नहीं दी रामू को जो उसके पति ने रामू के लिए लिखा था उसमे कुछ ऐसा लिखा था जो धन्नो कभी नहीं चाहती थी कि रामू को पता चले।

लता ने कई बार सोचा कि वो रामू को बता दे उस चिठ्ठी के बारे में पर लता अपनी सास के खिलाफ नहीं जाना चाहती थी पर लता के मन में था कि रामू ने क्या कुछ नहीं किया उसके लिए और फिर भी वो उसके साथ विश्वासघात कर रही है
Wah bhai accha likha he aapne waiting for more interesting updates
 

Tyler herro

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Update 34

रामू अपनी मां और बहन के साथ अपने घर आ चुका था। घड़ी में सुबह के १० बज रहे थे

रामू फिर अपने खेतों में काम करने चला गया।

रामू ने खेतों में काम जल्दी से खत्म किया क्योंकि उसने चम्पा को मिलने बुलाया था अपने गन्ने के खेत में।

फिर रामू अपने गन्ने के खेत में आ गया और उस जगह की तरफ चल दिया जहां हमेशा चम्पा उसका इंतज़ार कर रही होती थी। जैसे ही चम्पा की नजर रामू पर पड़ी उसने भागकर रामू को अपनी बाहों में कैद कर लिया और उसको बेतहाशा चूमने लगी

रामू - लगता है बड़े दिनों से प्यासी है मेरी जंगली बिल्ली

चम्पा उदास होती हुई - रामू शायद मेरा साथ तुम्हारे साथ बस यहीं तक था

रामू - क्या हुआ मेरी रानी ऐसे क्यों बोल रही है

चम्पा - तुमने सुना नहीं क्या? मेरी शादी तय हो गई है

रामू - तय हुई है ना बस। हुई तो नहीं

चम्पा - तो

रामू - तुझे उस बूढ़े आदमी से शादी करनी है या नहीं ?

चम्पा - नहीं। पर भइया ने मेरा रिश्ता पक्का कर दिया है उस बूढ़े आदमी के साथ

रामू - चम्पा तू घर जा और बस अपनी सुहागरात की तयारी कर

चम्पा - क्या तू मुझसे शादी करेगा रामू? तेरा दिमाग तो ठीक है

रामू - हां मै तुमसे शादी करूंगा और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि गांव के लोग क्या सोचेंगे

चम्पा - ये कभी नहीं हो सकता। बात वो नहीं है रामू की मै तुझसे उम्र में ६ साल बड़ी हूं

रामू - तो क्या बात है ?

चम्पा - पहले मुझे उस बूढ़े आदमी से बचा।

रामू - ठीक है

चम्पा फिर वहां से अपने घर की तरफ निकल जाती है

रामू फिर शाम तक अपने खेतों में काम करता रहा और फिर खेतों से अपने घर की तरफ चल दिया।

घर में आकर रामू खाना खाता है फिर सविता उसके लिए दूध लेकर आती है

सविता - लल्ला मै क्या बोल रही थी कि आज मै आंगन में ही गद्दा बिछा कर सो जाती हूं वो क्या है ना लल्ला मेरा आज यहीं आंगन में सोने का मन कर रहा है। जबसे आंगन में सोने की आदत लगी है तबसे बस आंगन में ही नींद आती है। लल्ला क्या मै सो सकती हूं आंगन में?

रामू - हां मां क्यों नहीं आप कहीं पर भी सो। ये आपका ही घर है मै कौन होता हूं जो तुम्हे यहां आंगन में सोने से रोक लूंगा और मां मैंने तुझे कितनी बार कहा है हर बात पर मुझसे इजाजत मत लिया कर।

सविता - अरे लल्ला तू ही इस घर का मर्द है तू समझता क्यों नहीं!

रामू - मां तुम्हारी बातें बड़ी जटिल लगती हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आता।

सविता - मै समझाती हूं सुन , इस दुनिया में शुरू से ही मर्द ने औरत पर राज किया है क्यो मै बताती हूं। औरत एक नदी की तरह होती है जिसे हमेशा अपनी सीमा में रहना चाहिए और अगर सीमा के बाहर गई तो बर्बादी लाती है और तुम मर्द हमेशा से हम औरतों की सीमाएं यानी कि मर्यादाएं निर्धारित करते हो और यही होना चाहिए। हर औरत को मर्दों के बनाए हुए नियमो का पालन करना चाहिए। उनका हक है हमपर। मर्दों का काम कठिन है क्योंकि तुम लोगों को हमारे मन की बात पढ़नी होती है। हम औरतें बहुत बातें अपने मन में रखती हैं और उम्मीद करती है कि तुम इन्हे पूरा करो इसलिए हमारी कुछ ज़रूरतें होती है जिसको पढ़ना तुम्हारा काम है और पूरा करना भी।

रामू - मां ये तुम क्या कह रही हो मुझे तुम्हारे ऊपर काबू रखना होगा और एक औरत के तौर पर मै तुम्हारी मर्यादा निर्धारित करूं और अगर तुम गलती करोगी फिर मै क्या करूंगा ? तुम्हे मारूंगा ?

सविता - हां क्यों नहीं औरत को हमेशा माथे पर चढ़ाओगे तो गड़बड़ हो जाएगी । अगर तुम्हे लगता है कि वो अपनी औकात भूल रही है तो तुम उसके साथ जो भी करो वो जायज है। उसको उसकी मर्यादा में लाने के लिए जो कुछ भी करना पड़े तुम करोगे। ये बातें आजकल की लड़कियां नहीं समझती।

रामू - तुम तो बेहद पुराने ख्यालों की बात कर रही हो मां , अब जमाना बदल गया है

सविता - औरत के लिए ज़माना कभी नहीं बदलता लल्ला और ये बात तुम्हे कोई नहीं बोलेगा। लल्ला मै चाहती हूं कि तुम एक असली मर्द बनो, औरतों पर राज करना सीख गए ना तो ज़िन्दगी भर खुश रहोगे।

रामू - मां मुझे नींद आ रही है

सविता - ठीक है सो जाओ। दूध पी लिया ना

रामू - हां मां ये लो

फिर सविता ग्लास लेकर रसोई में चली गई और रामू चारपाई पर सो गया

सुबह जब रामू की नींद खुली तो उसका मुंह उसकी मां सविता की बड़ी बड़ी चूचियों की मोटी दरार में घुसा हुआ था। रामू ने झटके से अपना मुंह पीछे किया तो उसने देखा कि उसकी मां की साड़ी का पल्लू उसकी पहाड़ जैसी छाती से हटा हुआ था और ब्लाउज के दो बटन भी खुले हुए थे ये देख रामू ने अपना सर जोर से झटका और सीधा बाथरूम से घुस गया

रामू का दिमाग एकदम ठनकता है क्योंकि ये घटना उसके साथ लगातार दूसरी बार हुई थी पहली बार जब वो धन्नो मौसी के घर नीचे गद्दे पर सो रहा था और दूसरी बार आज और जबकि आज रात तो वो चारपाई पर सोया था तो नीचे गाद्दे पर कैसे आया? उसने अपने माथा झटका और बिना कुछ सोचे नहाने लग गया।

जब रामू बाथरूम से नहा कर बाहर आया तो सविता उसके लिए नाश्ता बना रही थी।



रामू नाश्ता करके अपने खेतों की तरफ निकल गया और अपने खेत में पहुंचकर उसने देखा कि कोई लड़का छुप - छुपकर हरिया चाचा के आम के बगीचे से झांक रहा है
रामू को बड़ी हैरत हुई उसका लगा कोई साला गांव का लड़का होगा जो हौरिया चाचा के आम के बगीचे से आम तोड़ने आया होगा।

रामू जैसे ही उस लड़के को भगाने के लिए हरिया चाचा के आम के बगीचे की तरफ बढ़ा तो वो लड़का रामू को ठीक से नज़र आया वो लड़का बेहद पतला और कमसिन सा था जिसने अपना पजामा नीचे किया हुआ था और अपनी लुल्ली को जोर जोर से हिला रहा था ये लड़का और कोई नहीं। ज़हीर ही था।

रामू ज़हीर के पास पहुंच के पीछे से उसके मुंह पार हाथ रख दिया जिससे ज़हीर की चीख दब गई।

रामू धीरे से - बहन के लौड़े। तेरी मां को चोदु

रामू इतना ही बोला था कि उसको सामने से किसी के सिसकने की आवाज आई

रामू ने जब सामने की तरफ देखा तो उसके होश उड़ गए काटो तो खून नहीं ऐसी हालत हो गई

आम के पेड़ के नीचे हरिया चाचा अपने मोटे लन्ड से ज़हीर की अम्मी रुबीना की चूत को दनादन पेल रहा था

रामू - तेरी जात का पैदा मारू तो ये गुल खिलाती है तेरी अम्मी हरिया चाचा के खेत में।

ज़हीर - धीरे बोलो रामू भाई , पहले यहां से चलो मैं तुम्हें समझाता हूं

रामू फिर ज़हीर को अपने खेत में लेकर आया।

रामू - रण्डी के पिल्ले बोल अब ये चुदाई कबसे चल रही है तेरी अम्मी और हरिया चाचा के बीच और तू साले हिजड़े के जने अपनी अम्मी को ही चुदाते देख अपनी लुल्ली हिला रहा था बहन के लौड़े।

ज़हीर डर गया था इसलिए वो सब सच सच बोल द्देता है - रामू भाई मुझे सच में नहीं पता कि अम्मी हरिया चाचा से कितने सालों से चुदवा रही है मैंने तो पिछले हफ्ते ही अपनी अम्मी और हरिया चाचा की रासलीला देखी है

रामू - तेरी मां को चोदु और तू क्या कर रहा था देखकर। भाग यहां से बहन के लौड़े।

ऐसा बोलते है रामू घुमा के एक लात ज़हीर की गान्ड पर मारता है और ज़हीर अपनी गान्ड दबाकर वहां से भाग जाता है।

रामू - अब देखना हरिया चाचा कैसे मै इस बात का फायदा उठाकर अपनी चम्पा का रिश्ता तुड़वाता हूं उस बूढ़े आदमी से।

रामू फिर अपने खेतों में काम करने लगा।
 
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Tyler herro

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Update 35

रामू फिर शाम को अपने खेत से घर आया तो उसने देखा कि उसकी धन्नो मौसी आई हुई थी

सविता - अरे रामू तू आ गया । तू बैठकर बातें कर अपनी मौसी के साथ मै तेरे लिए दूध गरम करके लाती हूं

सविता उठकर रसोई में चली जाती है

रामू - मौसी तुम और यहां ?

धन्नो - अरे बेटा वो भीमा और लता को एकांत में थोड़ा समय चाहिए था इसलिए मैंने सोचा की यहां आ जाती हूं

रामू - पर मौसी अभी मौसा जी को मरे कुछ दिन ही हुए हैं और भइया भाभी को एकांत में समय चाहिए, मुझे कुछ समझ नहीं आया।

धन्नो - अरे बेटा वो ज़िंदा थे तो भी एक लाश की तरह ही थे। मै तो कहती हूं अच्छा हुआ उन्हें ऐसी ज़िन्दगी से शांति मिल गई

रामू - पर मौसी

धन्नो - देख बेटा किसी के जाने से कोई अपनी ज़िन्दगी तो जीना नहीं छोड़ सकता ना

रामू - हां मौसी वो तो है। मौसी मुझे माफ़ कर दो उस दिन मैंने आप पर हाथ उठाया

धन्नो - नहीं बेटा तुमने बिलकुल सही किया था अगर उस दिन तुमने मेरे ऊपर हाथ नहीं उठाया होता तो मेरी आंखें कभी खुलती ही नहीं

रामू - और मौसी उस रात जो हम दोनों के बीच हुआ उसके लिए भी....

धन्नो - बस इससे आगे कुछ मत बोलना, उसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं थी। चुप हो जाओ सविता आ रही है बाकी बातें हम रात में एकांत में करेंगे।

रामू - जी मौसी

रामू हाथ मुंह धोकर दूध पीता है और फिर कुछ देर बाद सब खाना खाने आंगन में बैठ जाते हैं

खाना खाने के बाद सविता आंगन में गद्दा बिछा देती है धन्नो के लिए और खुद बेला के कमरे में जाकर सो जाती है बेला के साथ।

रामू अपनी चारपाई लगा रहा होता है तभी धन्नो रामू से बोलती है।

धन्नो - रामू मेरे साथ यहीं गद्दे पर सो जा बाबू , मुझे बहुत सर्दी लग रही है

रामू अपनी थूक गटकते हुए - पर मौसी मेरी पीठ अकड़ जाती है गद्दे पर।

धन्नो - चल झूठे चुपचाप आकर अपनी मौसी को गर्मी दे जल्दी नहीं तो तेरी मौसी की तबीयत खराब हो जाएगी। तू चाहता है क्या तेरी मौसी की तबीयत खराब हो जाए ?

रामू झट से नीचे गद्दे पर आकर रजाई ओढ़ लेता है। रामू और धन्नो एक ही रजाई ओढ़े हुए थे। रामू जैसे ही रजाई में आता है वैसे ही धन्नो रामू को अपने जिस्म से चिपका लेती है।

रामू - मौसी ये क्या कर रही हो ?

धन्नो के हाथ रामू के पजामे के अंदर पहुंच गए थे। वो उसके लन्ड को हल्के हल्के हाथों से सहलाने लगी थी

धन्नो - उस दिन तुमने मुझे अधूरा छोड़ दिया था और आज में उसी का हिसाब लेने आई हूं

धन्नो अपने होंठों से रामू के गालों को चूमते हुए बोल रही थी

रामू - उसके लिए मै शर्मिंदा हूं मौसी, ये मै नहीं कर सकता तुम रिश्ते में मेरी मौसी हो मतलब मां जैसी

इतना बोलते ही रामू उठकर खड़ा हो गया

धन्नो - नहीं बेटा, तुम गलत सोच रहे हो। मै तुम्हारी मौसी नहीं हूं बेटा

रामू - क्या ? तुम कहना क्या चाहती हो

धन्नो - यहां नहीं तुम मुझे कहीं एकांत में ले चलो फिर मैं तुम्हे सच्चाई बताती हूं

रामू फिर धन्नो का हाथ पकड़ के अपने खेतों में बनी झोपड़ी के अंदर ले आया

रामू - अब बोलो मौसी क्या बोलना चाहती हो

धन्नो - तू ये चिठ्ठी पढ़ ले बेटा। ये चिठ्ठी मेरे पति ने मरने से पहले तेरे लिए लिखी थी

रामू - क्या लिखा है इसमें

धन्नो - तू खुद ही पढ़ ले बेटा

रामू जल्दी से उस चिठ्ठी को पढ़ने लगता है

प्रिय रामू बेटा।

मै इस चिठ्ठी के माध्यम से तुम्हे कुछ राज़ की बातें बताना चाहता हूं जो सिर्फ धन्नो, मुझे , तुम्हारे बापू मुरली और तुम्हारी मां सविता को पता है

दरअसल बात ये है कि मै और धन्नो तुम्हारे मौसा और मौसी नहीं हैं बल्कि इस दुनिया में कोई तुम्हारे मौसा मौसी थे ही नहीं। मै और धन्नो तो तुम्हारे बापू और मां के घर के नौकर नौकरानी थे

यही सच है बेटा। तुम्हारे मां बापू के बड़े एहसान है हमारे परिवार पर और हमारा परिवार मरते दम तक तुम्हारे परिवार के नमक का कर्ज अदा करते रहेगा। अपना मन में किसी के लिए नफरत के बीज को मत पनपने देना रामू बेटा

मेरे परिवार का ख्याल रखना रामू बेटा।

रामू - ये क्या है धन्नो मौसी ? बोल दो ये सब झूठ है

धन्नो रोती हुई - ये सच है रामू बेटा

रामू ने तुरंत उस चिट्ठी को फाड़ दिया और गुस्से में अपने घर की तरफ चल दिया

कुछ देर बाद जब धन्नो घर पहुंची तो रामू आंगन में चारपाई पर सो रहा था और धन्नो सुबकती हुई नीचे गद्दे पर रजाई ओढ़कर सो गई
 
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