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Adultery चूट चूसना दूध पीना (incert , adultly, thriller)

gauravrani

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मतलब ?" " मतलब अब मुझे पक्का यकिन हो गया है " विकासने कहा. अस्तित्व फिरसे चिढकर पिछे मुडा. तबतक विकास मुस्कुराते हूए उसकी तरफ देखते हूए वहांसे दरवाजेकी तरफ निकल चूका था.
 
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सुबहके लगभग दस बजे होंगे. ईशा जल्दी जल्दी अपने कॅबिनमें घुस गई. जब वह कॅबिनमें आगई थी तब निकिताकी कॅबिनकी चिजे ठिक लगाना चल रहा था. ईशाके अनुपस्थितीमें उसके कॅबिनकी पुरी जिम्मेदारी निकिताकी ही रहती थी. ईशाके कॅबिनमें प्रवेश करतेही निकिताने अदबसे खडे रहते हूए उसे विश किया, " गुडमॉर्निंग…" ‘मॅडम’ उसकें मुंहमें आते आते रह गया. ईशा उसे कितनीभी दोस्तकी तरह लगती हो या उससे दोस्तकी तरह व्यवहार करती हो फिरभी निकिताको कमसे कम उसके कॅबिनमें उससे दोस्तकी तरह बरताव करना बडा कठिण जाता था, और वह भी कभी कभी बाकी लोगोंके सामने. ईशाने अंदर आकर उसके पाससे गुजरते हूए उसके पिठपर थपथपाते हूए कहा, " हाय"
 
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उसके पिछे पिछे उसका ड्रायव्हर उसकी सुटकेस लेकर अंदर आ गया. जैसेही ईशा अपने कुर्सीपर बैठ गई, ड्रायव्हरने सुटकेस उसके बगलमे रख दी और वह कॅबिनसे निकल गया. निकिता ईशाके आमने सामने कुर्सीपर बैठ गई और उसने उसकी अपॉईंटमेंट्सकी डायरी खोलकर उसके सामने खिसकाई. ईशाने अपने कॉम्पूटरका स्विच ऑन किया और वह डायरीमें लिखी अपॉईंटमेट्स पढने लगी. " सुबह आए बराबर मिटींग…" ईशा बुरासा मुंह बनाकर बोली, " अच्छा इस दोपहरके सेमीनारको मै नही जा पाऊंगी .. क्यों न शर्माजीं को भेज दे?…" "ठिक है " निकिता उस अपॉईंटके सामने स्टार मार्क करते हूए बोली. " क्या करें इन लोगोंको मुंहपर कुछ बोलभी नही सकते … और समयके अभावमें सेमीनार को जा भी नही सकते….
 
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सचमुछ किसी कंपनीके हेडका काम कोई मामुली नही होता." ईशा अपनी सूटकेस खोलकर उनमेंसे कुछ पेपर्स बाहर निकालने लगी. पेपर निकालते हूए एक पेपरकी तरफ देखकर, वह पेपर बगलमें निकालकर रखते हूए बोली, " अब यह देखो … इस कंपनीके टेंडरका काम अब तक पुरा नही हुवा … यह पेपर जरा उस पांडेकी तरफ भेज देना …" " पांडे आज छुट्टीपर है " निकिताने कहा. " लेकिन मेरे जानकारीके अनुसार उनकी छुट्टी तो कलतक ही थी. …" ईशा चिढकर बोली. " हां …लेकिन अभी थोडी देर पहले उनका फोन आया था. … वे कामपर नही आ सकते यह बोलनेके लिए " निकिताने कहा. " क्यों नही आ सकते ?" निकिताने गुस्सेसे पुछा.
 
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मैने पुछा तो उन्होने कुछ ना कहते हूएही फोन रख दिया. " यह पांडे मतलब एक बेहद गैरजिम्मेदाराना आदमी …" ईशा चिढकर बोली. और फिर जो ईशाकी बडबड शुरु होगई वह रुकनेका नाम नही लेही थी. निकिताको खुब पता था की जब ईशा ऐसी बडबड करने लगे तो क्या करना चाहिए. कुछ नही, चूपचाप बैठकर सिर्फ उसकी बडबड सुन लेना. बिचमें एकभी लब्ज नही बोलना. ईशाने ही उसे एक बार बताया था की जब अपना बॉस ऐसा बडबड करने लगे, तो उसकी वह बडबड मतलब एक तरह का स्ट्रेस बाहर निकालने का तरीका होता है. जब उसकी ऐसी बडबड चल रही होती है तब जो सेक्रेटरी उसे और कुछ बोलकर या और कुछ पुछकर उसकी और स्ट्रेस बढाती है उसे मोस्ट अनसक्सेसफुल सेक्रेटरी कहना चाहिए. और जो सेक्रेटरी चूपचाप अपने बॉसकी बकबक सुनती है और अपने बॉसको फिर से नॉर्मल होनेकी राह देखती है उसे मोस्ट सक्सेसफुल सेक्रेटरी कहना चाहिए.
 
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ईशाकी बकबक अब बंद होकर वह काफी शांत हो गई थी. वह हाथमें कुछ पेपर्स और फाईल्स लेकर मिटींगको जानेके लिए अपने कुर्सीसे उठ खडी हो गई. निकिताभी उठ खडी होगई. बगलमें चल रहे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ देखते हूए वह निकितासे बोली, " तूम जरा मेरी मेल्स चेक कर लेना … मै मिटींगको हो आती हूं …" और ईशा अपने कॅबिनसे बाहर जाने लगी. "पर्सनल मेल्सभी ?" निकिताने उसे छेडते हूए मुस्कुराकर मजाकमें कहा. " यू नो… देअर इज नथींग पर्सनल… और जोभी है … तुम्हे सब पता है ही …" ईशाभी उसकी तरफ देखकर, मुस्कुराते हूए बोली और पलटकर जल्दी जल्दी मिटींगको जानेके लिए निकल पडी.
 
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सुबह सुबह रास्तेपर बॅग हाथमें लेकर अस्तित्व की कही जानेकी गडबड चल रही थी. पिछेसे दौडते हूए आकर उसके दोस्त विकासने उसे जोरसे आवाज दिया, " ए सुन गुरु… इतनी सुबह सुबह कहां जा रहा है" अस्तित्व ने मुडकर देखा और उसे अनदेखा करते हूए फिरसे पहले जैसे जल्दी जल्दी सामने चलने लगा. " किसी लडकी के साथ भाग तो नही जा रहे हो ?…" विकासने वह रुक नही रहा है और उसकी गडबड देखते हूए पुछा. विकास अबभी उसके पिछेसे दौडते हूए उसके पास पहूंचनेकी कोशीश कर रहा था. " क्या सरदर्द है … जरा दो दिन बाहर जा रहा हूं … उसका भी इतना ढींढोरा… " अस्तित्व बडबड करते हूए सामने चल रहा था.
 
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" दो दिन बाहर जा रहा हूं … उतनाही तूमसे छूटकारा मिलेगा" अस्तित्व ने चलते हूए जोरसे विकासको ताना मारते हूए कहा. " थोडी देर रुको तो सही … तुमसे एक अर्जंट बात पुछनी थी. …" विकासने कहा. अस्तित्व रुक गया और विकास दौडते हूए आकर उसके पास पहूंच गया. " बोलो … क्या पुछना है ? … जल्दी पुछो … नही तो उधर मेरी बस छूट जाएगी " अस्तित्व बुरासा मुंह बनाकर बोला. " क्या हूवा फिर कल ?" विकासने पुछा. " किस बातका ?" अस्तित्व ने प्रतिप्रश्न किया.
 
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वही उस मेलका? … कल मेल भेजी की नही ? " विकासने उसे छेडते हूए उसके गलेमें हाथ डालकर पुछा. " अजीब बेवकुफ हो तूम … किस वक्त किस बातका महत्व है इसका कोई तुम्हे सरोकार नही होता… उधर मेरी बस लेट हो रही है और तुम्हे उस मेलकी पडी है …" अस्तित्व झल्लाते हूए उसका हाथ अपने कंधेसे झटकते हूए बोला. अस्तित्व अब फिरसे तेजीसे आगे बढने लगा. " क्या बात करते हो यार तूम ?… बससे कभीभी मेल महत्वपुर्ण होगी … अब मुझे बता.. हावडा मेल, राजधानी मेल…. ये सारी मेल बडी की वह तुम्हारी टपरी बस?" विकास अबभी उसके पिछे पिछे जाते हूए उसे छेडते हूए बोला. अस्तित्व समझ चूका था की अब विकाससे बात करनेमें कोई मतलब नही था. वह अपने बडे बडे कदम बढाते हूए
 
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आगे चलने लगा. और विकासभी बकबक करते हूए और उसे छेडते हूए उसके साथ साथ चलने लगा.
 
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