सुबहके लगभग दस बजे होंगे. ईशा जल्दी जल्दी अपने कॅबिनमें घुस गई. जब वह कॅबिनमें आगई थी तब निकिताकी कॅबिनकी चिजे ठिक लगाना चल रहा था. ईशाके अनुपस्थितीमें उसके कॅबिनकी पुरी जिम्मेदारी निकिताकी ही रहती थी. ईशाके कॅबिनमें प्रवेश करतेही निकिताने अदबसे खडे रहते हूए उसे विश किया, " गुडमॉर्निंग…" ‘मॅडम’ उसकें मुंहमें आते आते रह गया. ईशा उसे कितनीभी दोस्तकी तरह लगती हो या उससे दोस्तकी तरह व्यवहार करती हो फिरभी निकिताको कमसे कम उसके कॅबिनमें उससे दोस्तकी तरह बरताव करना बडा कठिण जाता था, और वह भी कभी कभी बाकी लोगोंके सामने. ईशाने अंदर आकर उसके पाससे गुजरते हूए उसके पिठपर थपथपाते हूए कहा, " हाय"