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Erotica छाया ( अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम) (completed)

Alok

Well-Known Member
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Atayant Adhbudh Lovely Anand ji.........

Iss kahani ki jitni prashansa ki jaye woh bhi kam hai, bahut samay baad koi aise kahani padh rahe hai jis mein sambhog ka samay bhi pyaar jhalakta hain.........


Aise hi likhte rahiye........ :love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3:
 

Lovely Anand

Love is life
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Behad hi shandar update tha Lovely Anand bhi_______
Ye dekh kar achha laga ki us kaaliye inspector ko Sharma ne apni pahuch ke prabhaav se hatwa diya. Maine kaha tha ki Sharma jarur isme help kar sakta hai aur yahi hua bhi. Us havsi se to chhaya aur sima Bach gai lekin ab ye kaun sa naya khel start ho gaya photograph wala. Mujhe lagta hai ki somil ki nagn photos email karne wala aur envelop me chhaya sima aur maanas ki photos bhejne wala ek hi person hai. Ye starting se hi inke pichhe tha. Kaun ho sakta hai ye_______
Chhaya ko havsi inspector se chhutkara mila to usne is khushi me maanas ke sath khushi se prem sambhog kiya jo ki gajab ka dikhaya hai aapne. Story sach me kamaal hai bhai aur ab isme blackmailing ka matter daal kar ise intresting bhi bana diya hai. Jis tarah se ye log aapas me prem kar rahe the usse yahi saabit hota hai ki ye log vivah ke wakt puri tarah satark nahi the warna inki aisi photos kisi ke paas na hoti. Ab dekhna ye hai ki inke paas photo bhejne wala kaun hai aur wo aisa kyo kar raha hai_______
वह तीनों तो तो सतर्क ही थे पर बाथरूम में लगा हुआ कैमरा किसी की जानकारी में नहीं था यह सारी फोटो उसी कैमरे से ली गई थी जिसके आधार पर छाया को ब्लैकमेल किया जा रहा था....
 

Lovely Anand

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Lovely anand bhai mujhe lg rha hai ye sb khel seema khel rhi hai,
Sbko fasa di hai wo apne jal me
हो भी सकता है पर सोमिल के साथ का मज़ा सीमा को भी चाहिए होगा।।।।।
 

juhi gupta

Member
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आप लिखते हे " यह कहानी मेरी सर्वकालिक प्रियतमा छाया की है जो मेरे जीवन में एक अनचाहे रिश्ते में आई थी पर उसने मुझे प्रेम की पराकाष्ठा, संभोग कला और सुख के अप्रतिम आनंद से परिचय कराया जो सामान्यतयः कल्पना में ही प्राप्त हो सकता है। इस अद्भुत सुख के लिए मैं उसका सदैव ऋणी रहूंगा..."
लेकिन मे कहूँगी ये कहानी केवल आपकी नहीं हे ,ये कहानी उन सब लोगो की है जो ज़िंदगी मे कभी ना कभी किसी अन्य रिश्ते में रहते हे उस रिश्ते को महसूस करते हे . ये कहानी प्रेम और सेक्स को उस ऊँचे मुकाम पर ले जाती हे जंहा अगर आप इस कहानी में राजकुमार या राजकुमारी या रानी की जगह असल नाम भी लिखते तो भी कहानी वल्गर नहीं लगती।
लवली आनंद जी आपने कोई साधारण स्टोरी नहीं लिखी ये तो आपने इस तरह के फोरम पर एक महाकाव्य लिख दिया हे ,केवल आपकी इस रचना की वजह से कई पाठक और पाठिकाएं इस तरह के फोरम पर आकर गौरान्वित महसूस करेंगे। ये वो रचना हे जिसमे प्रेम हे त्याग हे बलिदान हे सेक्स हे सुख हे क्षणिक दुःख हे सबसे बड़ी बात पॉजिटिविटी हे
 

Lovely Anand

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आप लिखते हे " यह कहानी मेरी सर्वकालिक प्रियतमा छाया की है जो मेरे जीवन में एक अनचाहे रिश्ते में आई थी पर उसने मुझे प्रेम की पराकाष्ठा, संभोग कला और सुख के अप्रतिम आनंद से परिचय कराया जो सामान्यतयः कल्पना में ही प्राप्त हो सकता है। इस अद्भुत सुख के लिए मैं उसका सदैव ऋणी रहूंगा..."
लेकिन मे कहूँगी ये कहानी केवल आपकी नहीं हे ,ये कहानी उन सब लोगो की है जो ज़िंदगी मे कभी ना कभी किसी अन्य रिश्ते में रहते हे उस रिश्ते को महसूस करते हे . ये कहानी प्रेम और सेक्स को उस ऊँचे मुकाम पर ले जाती हे जंहा अगर आप इस कहानी में राजकुमार या राजकुमारी या रानी की जगह असल नाम भी लिखते तो भी कहानी वल्गर नहीं लगती।
लवली आनंद जी आपने कोई साधारण स्टोरी नहीं लिखी ये तो आपने इस तरह के फोरम पर एक महाकाव्य लिख दिया हे ,केवल आपकी इस रचना की वजह से कई पाठक और पाठिकाएं इस तरह के फोरम पर आकर गौरान्वित महसूस करेंगे। ये वो रचना हे जिसमे प्रेम हे त्याग हे बलिदान हे सेक्स हे सुख हे क्षणिक दुःख हे सबसे बड़ी बात पॉजिटिविटी हे
आपके इस कमेंट ने मुझे अभिभूत कर दिया है मैंने इस कहानी जीवन में वह हर अंश डालने की कोशिश की है जो अपनी युवावस्था से बुढ़ापे तक आदमी कभी न कभी किसी न किसी रूप में सेक्स को देखता है मैं यह नहीं कहता कि सभी लोग इन परिस्थितियों से गुजरते हैं पर अंतर्मन में कभी न कभी किसी न किसी रूप में अधिकतर लोगों के साथ या घटित होता है आपके प्रोत्साहन के लिए विशेष रूप से धन्यवाद कभी-कभी मुझे लगता था यहां पर कम पाठक ही प्रतिक्रिया देते हैं पता नहीं है उन्हें यह पसंद आता भी है या मैं बिना मतलब ही अपना समय इस लेखन पर बर्बाद कर रहा हूं पर आप जैसे पाठकों की प्रतिक्रिया से ऐसा लगता है जैसे इस कथा का सृजन सही कार्य के लिए ही हुआ है पुनः धन्यवाद मैं लिखता रहूंगा
 

Lovely Anand

Love is life
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भाग- 30
यह कौन व्यक्ति था जिसने बाथरूम में कैमरा लगाया हुआ था? कहीं इसमें कोई साजिश तो नहीं थी? या फिर होटल वाले ने अपनी कामुकता शांत करने के लिए ऐसा किया था. मुझे बहुत क्रोध आ रहा था. मैंने विवाह भवन के मैनेजर को फोन करने की कोशिश की पर फोन नहीं लगा. मैंने अश्विन को फोन लगाया. (अश्विन मनोहर चाचा का दामाद था जिसकी शादी में हम लोग दो वर्ष पहले शरीक होने गए थे और उसी के बाद से मेरा और छाया का विछोह हो गया था हमारे प्रेम पर हमारा अनचाहा रिश्ता भारी पड़ गया था.) विवाह भवन की सारी व्यवस्था उसी ने की थी.

अश्विन ने फोन उठा लिया था

"जी, मानस भैया"

" तुम मेरे घर आ सकते हो क्या? हमें विवाह भवन चलना है."

"क्या बात हो गयी मानस भैया?"

"यहां आ जाओ फिर बात करते हैं"

"पर भैया मैं तो बेंगलुरु से बाहर हूं"

"ठीक है, मुझे उसके मैनेजर का कोई और नंबर हो तो भेज दो और आने के बाद मुझसे मिलना"

हम समझ चुके थे कि किसी ने बाथरूम में कैमरा लगाया था और वह छाया की नग्न तस्वीरें खींचना चाहता था. हमारी रासलीला के कारण मेरी और छाया की तस्वीरें भी छाया के साथ आ गई थी. हम तीनों ने विवाह भवन में जिस कामुकता का आनंद लिया था फोटो में उसकी एक झलक स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी. माया आंटी इन फोटो को देखकर शर्मसार हो रही थी और उन्होंने वहां से हट जाना ही उचित समझा.

तभी मेरी नजर नीचे पड़े खत पर पड़ी. वहां पर हम तीनों ही थे और हमारे बीच कोई पर्दा नहीं था. मैने खत पढ़ना शुरू कर दिया


"प्यारी छाया,

मैंने आज तक जितनी भी लड़कियां देखी है उनमें तुम सबसे ज्यादा सुंदर हो, तुम मेरे लिए साक्षात कामदेवी रति का अवतार हो. मुझे सिर्फ और सिर्फ एक बार तुम्हारे साथ संभोग करना है. मुझे पता है मैं तुम्हारे लायक बिल्कुल भी नहीं हूं पर मन की भावनाएं तर्कों पर नहीं चलती. तुमसे संभोग किए बिना मेरे जीवन की बेचैनी कम नहीं होगी.

मानस के साथ होटल में मनाए गए सुहागरात से मुझे तुम्हारी कामुकता का अंदाजा हो गया है. मानस के साथ निश्चय ही तुम्हारे संबंध पिछले कई वर्षों से रहे होंगे. यूं ही कोई अपने सौतेले भाई के साथ सुहागरात नहीं मनाता.

मैं तुम्हारी इसी अदा का कायल हो गया हूँ. जिस प्रकार तुमने मानस के साथ रहते हुए भी अपने कौमार्य को बचा कर रखा था और उसे अपने विवाह उपरांत ही त्याग किया है मुझे यह बात भी प्रभावित कर गई है. मुझे यह भी पता है कि सोमिल इस समय कहां है और क्या कर रहा है. मेरा विश्वास रखो मैं तुम्हें ब्लैकमेल करना नहीं चाहता हूं पर तुमसे संभोग किए बिना मैं रह भी नहीं सकता हूँ.

तुम कामदेवी हो और अब तुमने अपना कौमार्य भी परित्याग कर दिया है अब तुम्हें किसी पर पुरुष से संभोग से आपत्ति नहीं होनी चाहिए. वैसे भी मैं तुम्हारे लिए इतना पराया नहींहूँ। मुझे सिर्फ और सिर्फ एक बार अपनी उत्तेजना का कुछ अंश देकर मुझे हमेशा के लिए तृप्त कर दो. संभोग के दौरान मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी कामुकता का आनंद लेना चाहता हूं तुम्हें आहत करना नहीं.

उम्मीद करता हूं कि तुम मेरी इस उचित या अनुचित याचना को पूरा करोगी. मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं की होटल में हुई सुहागरात की घटना तुम तीनों के बीच ही रहेगी. मैं दोबारा कभी इस बात का जिक्र नहीं करूंगा. मेरे पास तुम्हारे कई सारे नग्न छायाचित्र है भविष्य के लिए तुम्हारी वही यादें ही मेरे लिए पर्याप्त होंगी।

उम्मीद करता हूं कि तुम मुझ पर विश्वास करोगी आज से 2 दिन बाद हमारा मिलन होगा मैं तुम्हें समय और स्थान ई-मेल पर सूचित कर दूंगा. सोमिल स्वस्थ और सामान्य है तथा अपनी कामुकता को जागृत कर रहा है जिसका सुख तुम्हें शीघ्र ही प्राप्त होगा.

मिलन की प्रतीक्षा में

तुम्हारा …..

छाया डरी हुई थी. आज ही वह डिसूजा के चंगुल से छूटी थी और फिर उसी भंवर जाल में फस रही थी. मैं एक बार तो पत्र लिखने वाले की संवेदना का कायल हो गया. उसने छाया की सुंदरता में इतने कसीदे पढ़ दिए थे कि मुझे उससे होने वाली नफरत थोड़ा कम हो गई थी.

पर वह मेरी छाया को भोगना चाहता था वह भी बिना उसकी इच्छा के यह बिल्कुल गलत था. छाया की कामुकता और उत्तेजना का भोग उसकी इच्छा के बिना लगाना नितांत जघन्य कृत्य था. वह काम देवी थी उससे बल प्रयोग करना या उसे बाध्य करना सर्वाधिक अनुचित था.

हमारे मन में तरह-तरह की बातें आने लगीं. माया जी को हमने यह बात नहीं बताई. यह बात हम तीनों के बीच ही थी और इसका निर्णय भी हम तीनों को ही करना था.


(मैं छाया)

शर्मा जी लगभग 8:00 बजे घर लौटे उनके चेहरे पर विजयी मुस्कान थी. हम सभी ने उनका भव्य स्वागत किया. सच में आज उन्होंने डिसूजा को इस केस से हटवा कर हम सभी की इच्छा को पूरा कर दिया था. आज वह इस घर के मुखिया के रूप में दिखाई पड़ रहे थे. वह एक बार फिर मेरे पास आये और मेरे माथे को चूम लिया. मेरे दोनों गाल उनकी हथेलियों में थे उन्होंने मुझे अपने आलिंगन में लेने की भी कोशिश की. मुझे उनका कल का आलिंगन याद था जिसमें मेरे स्तन उनके सीने से सट गए थे. आज सावधानी बरतते हुए मैं आगे झुक गई थी और सिर्फ अपने कंधों को उनके सीने से टकराने दिया.

उन्होंने फिर कहा

"कोई मेरे परिवार पर और खासकर मेरी छाया बेटी पर बुरी नजर डालेगा मैं उसे नहीं छोडूंगा." उनके उदघोष से मां का सीना गर्व से फूल गया था. उन्हें शर्मा जी को अपना जीवनसाथी चुनने पर आज अभिमान हो रहा था. मा ने उन पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था. मां को इस खत की जानकारी नहीं थी इसलिए वह बहुत खुश थीं। हम तीनों के चेहरों पर अभी भी तनाव थे. यह बात हमने शर्मा जी से भी बताना उचित नहीं समझा.

(मैं माया)

दो-तीन दिन की तनाव भरी जिंदगी के बाद आज का दिन सुखद था। मेरी बेटी के चेहरे पर आज हंसी दिखाई पड़ी थी। शर्मा जी को मैंने आज अपने हाथों से खिलाया। आज मैं उन्हें हर तरह से खुश करना चाहती थी। मैंने अपनी अलमारी में उत्तेजक वस्त्रों की तलाश की पर मेरे मन मुताबिक कोई भी वस्त्र ना मिला। मैंने छाया की अलमारी से एक सुंदर नाइटी निकाल ली मेरी उम्र के हिसाब से वह कुछ ज्यादा ही कामुक थी। शर्मा जी भी कम कामुक न थे वह बार-बार मुझे ऐसे वस्त्र पहनने के लिए बोलते थे। आज मैंने उनकी मन की इच्छा पूरी करने की ठान ली थी। बच्चों के अपने-अपने कमरे में जाने के बाद मैं नहाने चली गई। जैसे ही मैं बाथरूम से बाहर निकली शर्मा जी मुझे एकटक देखते रह गए। यह ड्रेस वास्तव में बहुत आकर्षक और कामुक थी। मेरा बदन छाया से लगभग मिलता-जुलता था मुझ में उतनी चमक और कोमलता तो नहीं थी पर बदन के उतार-चढ़ाव छाया से मिलते थे। वो मुझे एक टक देखते रह गए। उन्होंने कहा "तुमने छाया की ड्रेस पहनी है ना"

मैं मुस्कुराने लगी वह मेरी चोरी पकड़ चुके थे. उन्होंने उठकर मुझे अपने आलिंगन में ले लिया मेरे बाल गीले थे मैंने उनसे कुछ समय मांगा पर वह सुनने को तैयार नहीं थे। जब तक मैं अपने बाल हेयर ड्रायर से सुखा रही थी तब तक वह मेरे स्तनों और जांघों से खेलना शुरू कर चुके थे। आज उनकी हथेलियों में गजब की उत्तेजना थी। उनका ल** मेरी नितंबों से लगातार टकरा रहा था वह नाइटी के ऊपर से ही मुझे सहलाए जा रहे थे। कभी-कभी वह उसके अंदर हाथ डाल कर मेरी जांघों को सहलाते। मैं भी उत्तेजित हो रही थी कुछ ही देर में हम दोनों बिस्तर पर थे। उन्होंने कहा

"तुमने छाया की नाइटी पहनी है उसे मालूम चल गया तो?"

"उसे कैसे मालूम चलेगा. मैं सुबह वापस रख दूंगी"

"पर इस नाइटी में तुम मुझे छाया जैसी दिखाई दोगी तो मैं तुमसे संभोग कैसे कर पाऊंगा"

"ठीक है लाइए मैं इसे उतार देती हूँ।" उन्होंने मेरे हाथ रोक लिए उन्होंने पूछा "छाया खुश तो है ना?"

"हां, आज वह बहुत खुश थी. और आपकी बहुत तारीफ कर रही थी"

"मैं भी उसे बहुत मानता हूं और उससे बहुत प्यार करता हूं" इतना कहकर उन्होंने मुझे दबोच लिया. उनके होंठ मेरे होठों को अपने बीच ले चुके थे। उनके लिंग का कड़ापन मेरे पेट को महसूस हो रहा था। उन्होंने फिर कहा

"आज तुम छाया की नाइटी पहन कर और भी जवान हो गई हो"

मेरी नाइटी मेरी कमर तक आ चुकी थी. मैंने उसे बाहर निकालने की कोशिश की पर शर्मा जी ने रोक दिया. वह उसी अवस्था में मेरे ऊपर आ गए और उनका लिंग मेरी योनि में टकरा गया.

आज मैं उन्हें भरपूर सुख देना चाहती थी यह बात सोचते हुए मेरी योनि में पहले से ही पर्याप्त गीलापन आ चुका था। शर्मा जी का लिंग के छूते ही मेरी प्यास बढ़ गई और शर्मा जी ने बिना देर करते हुए अपने लिंग को मेरी गहराइयों में उतार दिया। वह मेरे स्तनों को तेजी से मसल रहे थे और अपनी कमर से लगातार धक्के लगाए जा रहे थे। मैं भी उनकी उत्तेजना में उनका साथ दे रही थी कुछ ही देर में मुझे लगा कि मैं स्खलित हो जाऊंगी। शर्मा जी के रंग ढंग से ऐसा लग नहीं रहा था जैसे उन्हें पूरी संतुष्टि हुई हो। मैंने उन्हें नीचे आने का इशारा किया वह नीचे आ गए मैं उनकी कमर पर बैठकर अपनी योनि को आगे पीछे करने लगी। आज मैं स्वयं बहुत उत्तेजित थी और कुछ ही देर में मैं स्खलित होने लगी।

स्खलित होने के पश्चात उन्होंने मुझे अपने सीने से सटा लिया और मेरे माथे को चूमने लगे। मेरे दोनों गालों को सहलाते हुए वह बार-बार बोल रहे थे

मेरी प्यारी माया और माथे पर झूम रहे थे। मैं हारी हुई खिलाड़ी की तरह उनके पेट पर लेटी हुई थी। मेरी पराजित योनि में उनका लिंग अभी भी गर्व से खड़ा था। वह बार-बार मुझे सहलाए जा रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपने से उम्र में बड़े आदमी की सीने पर लेटी हुई हूं और वह मुझे बच्चों जैसा प्यार कर रहा है। पर जब मेरा ध्यान मेरी कमर के नीचे जाता मेरी नग्नता उस प्यार की परिभाषा बदल देती थी। शर्मा जी का लिंग अब मेरी योनि में धीरे-धीरे हिलना शुरू हो रहा था कुछ देर बाद शर्मा जी ने मुझे अपने ऊपर से उतरने का इशारा किया। मैं वापस एक बार फिर पीठ के बल लेटने लगी। शर्मा जी बिस्तर से उठ कर नीचे खड़े हो गए वह मुझे डॉगी स्टाइल में आने का इशारा कर रहे थे। आज वह भी पूरे मूड में थे। मैं उन्हें खुश करने के लिए बिस्तर पर डॉगी स्टाइल में आ गई। शर्मा जी ने नाइटी को उठाया और मेरी कमर पर रख दिया मेरे दोनों नितम्ब उनकी आंखों के ठीक सामने थे। नितंबों के बीच से झांक रही मेरी योनि के होंठ भी उन्हें अवश्य नजर आ रहे होंगे।

उनका मजबूत लिंग मेरे नितंबों पर टकरा रहा था। वह कामुक तरीके से मेरी पीठ सहला रहे थे और मेरे नितंबों को चूम रहे थे। अचानक ही उन्होंने मेरी योनि के होठों को चूम लिया मुझे उनसे यह आशा नहीं है आज यह पहली बार हुआ था मेरी योनि एक बार संभोग कर चुकी थी मुझे इस अवस्था में यह कार्य अनुचित लगा मैंने अपनी कमर हिला दी। शायद वह मेरा इशारा समझ गए थे वह वापस खड़े हो गए।

उनके लिंग में आज अद्भुत उत्तेजना थी। कुछ ही देर में लिंग मेरी योनि के मुख से सट गया। मेरी योनि संवेदनशील हो चुकी थी। उसके मुख पर गीलापन अभी भी कायम था। शर्मा जी धीरे-धीरे अपने लिंग का दबाव बढ़ाते गए और वह मेरी योनि में प्रविष्ट होता चला गया। इस अवस्था में शर्मा जी का लिंग मुझे और भी मजबूत और मोटा महसूस हो रहा था। वह मेरे गर्भाशय के मुख तक पहुंच गया था। शर्मा जी अपनी कमर को आगे पीछे करने लगे वह बार-बार मेरी नाइटी को छूते और नाइटी के ऊपर से ही मेरी पीठ को सहलाए जा रहे थे। कभी-कभी वह अपने हाथ नीचे कर नाइटी में ही कैद मेरे स्तनों को छूते। मुझे अद्भुत एहसास हो रहा था। मैं एक बार फिर उत्तेजित हो रही थी। कुछ ही देर में उनके कमर के धक्के बढ़ते गए उनकी लिंग के आने-जाने की गति में अद्भुत इजाफा हो गया था। वह काफी तेजी से अपने लिंग को मेरे योनि में आगे पीछे कर रहे थे। मैं उत्तेजना से कांपने लगी वह मेरी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़े हुए थे कुछ ही देर में मैने उनके लिंग को अपनी योनि में फूलता पचकता हुआ महसूस करने लगी इस अद्भुत एहसास से मैं भी स्खलित होने लगी। उन्होंने मेरी कमर को पकड़कर तेजी से अपनी तरफ खींचा और अपने लिंग को पूरी ताकत से अंदर तक ले गए जो मेरे गर्भाशय के मुख को फैलाने की कोशिश कर रहा था। मैं उनके इस तीव्र उत्तेजना को पहचान गई थी मैंने उन्हें रोका नहीं । मेरी योनि में वीर्य वर्षा हो रही थी जिसकी मुझे अनुभूति भी हो रही थी शर्मा जी के पैर कांप रहे थे और उनका कंपन मुझे अपने नितंबों पर महसूस हो रहा था उनके मुख से धीमी आवाज आई।

छाया…..…………...की नाइटी बहुत सुंदर है मायाजी आप हमेशा ऐसे ही रहा कीजीए।

उनके मुंह से छाया शब्द सुनकर मैं अचानक डर गई पर पूरी बात सुनकर मैं संतुष्ट हो गई थी। छाया की यह नाइटी निश्चय ही उत्तेजक थी। इसने आज मेरी उत्तेजना में आग में घी का काम किया था। मैंने मन ही मन निश्चय कर लिया था कि उनकी खुशी के लिए ऐसे कई सारे वस्त्र अपनी भी अलमारी में रखूंगी।

वह अपना लिंग बाहर निकाल चुके थे मैंने उनके चेहरे की तरफ देखा वह तृप्त लग रहे थे। उन्होंने मुझे एक बार फिर अपने आलिंगन में ले लिया और मेरे दोनों गालों को सहलाते हुए मेरे माथे को चूम लिया।

मैं उनके आलिंगन में कुछ देर वैसे ही खड़ी रही। उन्होंने कहा तुमने और छाया ने मेरे जीवन में आकर मेरी वीरान जिंदगी में रंग भर दिए हैं। मैं भगवान से हमेशा तुम दोनों की खुशी मांगता हूँ और मानस की भी। उन्हें पता था, मानस भी हम दोनों को उतना ही प्यारा था।

(मैं शशिकांत शर्मा उर्फ शर्मा जी)

आज माया से संभोग करके मुझे जीवन का अद्भुत आनंद आया था. छाया की उत्तेजक नाइटी माया पर भी खूब खिल रही थी। यह पिछले 2 वर्षों से हो रहे हमारे मिलन से कुछ अलग था. आज माया ने पूरे तन मन से मुझे स्वीकार कर लिया था। आज उसका यह समर्पण मुझे अत्यंत आत्मीय लगा था और वह मेरे हृदय में आत्मसात हो गयी थी।

मैंने भी डिसूजा को इस केस से हटाकर अपने दायित्व का निर्वहन किया था मैं भगवान को शुक्रिया अदा कर रहा था कि आज मेरे संबंधों की वजह से मैं माया और उसकी बच्ची छाया के लिए कुछ कर पाया था।

संभोग के उपरांत मेरी आंख लग गई

मैंने अपने आप को बादलों में पाया मेरे पैर बादलों में थे पर मैं गिर नहीं रहा था। मैं अपने पैरों से बादलों को हटाता और वह हटकर कुछ दूर चले जाते और अगल-बगल के बादल उस जगह को भरने आ जाते। मुझे अद्भुत आनंद आ रहा था कभी मैं स्वयं को एक किशोर की भांति पाता कभी अपनी वर्तमान उम्र में। चारों तरफ पूर्ण सन्नाटा था पर उस दिव्य दृश्य को देखकर मैं आनंद में डूब गया था तभी अचानक मुझे एक दिव्य स्वरूप दिखाई दिया। मुझे बादलों से एक आकार अपनी तरफ आता हुआ दिखाई पड़ रहा था जैसे-जैसे का आकार मेरी तरफ आता मेरा कोतुहल बढ़ता जाता।

वह एक स्त्री थी जैसे जैसे वह करीब आ रही थी उसकी काया अब दिखाई पड़ने लगी थी पर वह अभी भी विशालकाय थी। सामान्य आकार से लगभग कई गुना विशाल। जैसे-जैसे वा मेरे करीब आती गई मुझे उसका आकार और बड़ा दिखाई पड़ने लगा यह निश्चय हो चुका था कि वह युवती की ही काया थी सफेद बादलों के बीच से गेंहुए हुए रंग की उसकी दिव्य काया अपना अद्भुत रूप दिखा रही थी। कामुक अंगो को बादलों ने घेर रखा था परंतु उस सुंदर काया की कामुकता को रोक पाने में बादल नाकाम हो रहे थे। उसके चेहरे , स्तन, नाभि प्रदेश और जाँघों के योग पर बादलों ने अपना आवरण दे दिया था। उस युवती के पूरे शरीर पर कोई भी वस्त्र नहीं था उसका मुख मंडल प्राकृतिक आभा से दमक रहा था। मैं उसे पहचान नहीं पा रहा था वह मेरे काफी करीब आ चुके थी। अचानक उसके चेहरे पर से बादल हटे मुझे वह कोई देवी स्वरूप प्रतीत हुई । मुझे अपनी गंदी सोच पर घृणा हुई मैं इस दिव्य शक्ति की जांघों और स्तनों पर अपना ध्यान केंद्रित किया हुआ था यह सोचकर मुझे शर्म और लज्जा आने लगी। मेरी गर्दन चुकी थी । तभी उस युवती की गूंजती हुई आवाज आई

"क्या हुआ आपने गर्दन क्यों झुका ली" मैं कुछ उत्तर न दे सका मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे व दिव्य शक्ति नाराज होकर मुझे कोई श्राप न दे दे। मैंने सर झुकाए हुए ही कहा

"मैं आपके दिव्य स्वरुप को नहीं पहचान पाया मेरा ध्यान भटक गया था मुझे क्षमा कर दीजिए"

"क्षमा मत मांगिए आपने कोई गलती नहीं की है जिस दृश्य को आप देखना चाहते थे आपने वही देखा. स्त्री शरीर के वही अंग आप को प्रभावित करते हैं जो आप पसंद करते हैं यदि आपने मेरे स्तनों और जांघों को देखने की चेष्टा की है तो निश्चय ही आपके मन में वासना ने जन्म लिया है. मैं तो स्वयं कामवासना की देवी रति हूं. धरती पर सभी वयस्क पुरुष मुझे ही ध्यान करते हैं कभी-कभी वह अपने साथी में मेरा स्वरूप पा लेते हैं। कभी पूर्ण तृप्त ना होने पर वह अपनी भावनाओं में मुझे याद कर लेते हैं। कभी मैं उनके समीप ही किसी और रूप में विद्यमान रहती हूँ। मैं उनकी कामवासना संतुष्ट करने में पूरी मदद करती हूं। जिन्हें कोई साथी नहीं मिल पाता वह मेरे ही अंगों पर ध्यान केंद्रित कर अपनी वासना की पूर्ति करते हैं और चरम सुख प्राप्त करते हैं"

मैं कामदेवी का विशाल हृदय देखकर गदगद हो गया. मैंने उन्हें प्रणाम किया उन्होंने फिर कहा

"यदि तुम इस प्रकार नतमस्तक रहोगे तो इस अद्भुत दिव्य दर्शन का आनंद कैसे ले पाओगे?"

मैंने अपनी नजरें उठा दीं वह मुस्कुराती हुई साक्षात मेरे सामने थीं। उनके इस विशाल रूप को देख पाने की मेरी क्षमता नहीं थी मैंने फिर एक बार कहा

"आपके इस दिव्य स्वरूप को मेरी आंखें देख पाने में नाकाम हो रही है. मेरी आंखें इस दिव्य रुप के चकाचौंध में दृष्टि हीन हो रहीं हैं कृपया अपना स्वरूप छोटा करें और मुझे दर्शन दें।"

उनका कद छोटा होता चला गया कुछ ही देर में वह सामान युवती की भांति मेरे सामने खड़ी थीं। चेहरे पर अद्भुत नूर था शरीर की बनावट आदर्श थी स्तनों को अभी भी बादल ने घेरा हुआ था पर उनका आकार स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था ऐसा लगता था सांची के स्तूपों को छोटा करके उनके दोनों स्तनों की जगह रख दिया गया हो।सीने से कमर तक आते आते हैं कमर की चौड़ाई अद्भुत रूप से कम हो गई थी और उसके तुरंत ही पश्चात वह बढ़ते हुए उनके नितंब का रूप ले रही थी।

उनकी जाँघें बेदाग और सुडोल थी ऐसी दिव्य काया को मैं ज्यादा देर नहीं देख पाया। मेरी आँखें फिर झुक गई। उन्होंने फिर कहा

"यदि आपकी तृप्ति से हो गई हो तो मैं अंतर्ध्यान ही जाऊं"

" आपसे कोई आपसे कैसे तृप्त हो सकता है मेरी आंखें फिर खुल गई थी उनके चेहरे और शरीर से बादल हट चुके थे सुंदर सुडोल स्तन मेरी आंखों के सामने थे जांघों के जोड़ पर दो खूबसूरत होठ अपने बीच थोड़ी जगह बनाए हुए दर्शनीय थे। नाभि और जांघों के जोड़ के बीच की जगह एकदम सपाट और बेदाग थी। मैं उस अद्भुत काया को निहार रहा था। तभी मेरी नजर देवी के चेहरे पर गए मेरे मुख से निकल गया "छाया"

वह हंसने लगी

अचानक छाया का चेहरा गायब हो गया और वह चेहरा एक दिव्य स्वरुप में परिवर्तित हो गया. जब जब मैं अपना ध्यान चेहरे से हटाता और कामुक अंगो की तरफ लाता मेरे जेहन में कभी वह दिव्य चेहरा आता कभी छाया का चेहरा दिखाई पड़ता। मैंने एक बार फिर चेहरे की तरफ ध्यान लगाया और फिर छाया का ही चेहरा सामने आयाम

मैं इस दुविधा से निकल पाता तभी एक बार गूंजती हुई आवाज फिर आई

"आइए मेरे आगोश में आ जाइए. मैं धरती पर हर जगह अलग-अलग रूपों में उपलब्ध हूं. मेरी उपासना सारी मानव जाति करती है आप भी उनमें से एक हैं।"

मैं धीरे-धीरे उस अद्भुत काया की तरफ बढ़ने लगा। जैसे ही मैं उनके स्तनों को छु पाता मेरी नींद खुल गई।

मैं बिस्तर पर उठ कर बैठ गया। मैं मन ही मन डरा हुआ भी था पर अपने लिंग पर निगाह जाते हैं मेरा डर गायब हो चुका था। वह पूर्ण रूप से उत्तेजित था। शायद यह कामदेवी का ही आशीर्वाद था।


मैं माया जी की नाइटी हटाकर उनके कोमल नितंबों से अपने लिंग को सटा दिया और उन्हें अपने आगोश में लेकर सो गया। यश स्वप्न अद्भुत और अविश्वसनीय था उसने मेरे मन मे प्रश्न उत्पन्न कर दिया था.... क्या छाया कामदेवी रति की अवतार थी....???

शुक्रवार (पांचवा दिन)
(सोमिल का कैदखाना)
(मैं शांति उर्फ लक्ष्मी)

यहां आने से पहले मेरे मन में भी इस बात का डर था की जिस व्यक्ति के साथ मुझे रहना था वह किस स्वभाव का होगा। मैंने पैसों के लालच में हा तो कर दिया था पर मैं डरी हुई थी। मैंने इससे पहले एक या दो बार ही अपरिचित मेहमानों से सेक्स किया था। वह भी उम्र में मुझसे काफी बड़े थे। उनके साथ सेक्स कर कर मुझे स्वयं को कोई अनुभूति नहीं हुई थी। मैंने सेक्स का आनंद अपने पुराने बॉयफ्रेंड के साथ ही लिया था जो अब दुबई भाग गया था।

भगवान ने मुझे खूबसूरत और हसीन बनाया था पर मेरी गरीबी ने मुझे ऐसे कार्य करने पर बाध्य किया था। मेरी पढ़ाई अब पूरी हो चुकी थी। पैसों के लालच में मैंने आखरी बार यह कार्य करने के लिए स्वयं को तैयार कर लिया था।

मुझे मेरे भाई ने बताया था जो व्यक्ति यहां आ रहा है वह उस रात सुहागरात मनाने वाला था और उसे उसी अवस्था से किडनैप कर लिया गया है। तुम्हें उसका ख्याल रखना है और उसे अगले कुछ दिनों तक उत्तेजित कर उसका मन लगाए रखना है। यदि तुम उसके साथ संभोग कर लेती हो तो यह तुम्हारी विजय मानी जाएगी। इसके लिए तुम्हें उचित इनाम भी दिया जाएगा। पर तुम्हें यह बात ध्यान रखनी होगी कि वह एक सभ्य इंसान है यदि उसे तनिक भी भ्रम हो गया कि तुम एक कॉल गर्ल हो तो वह तुम्हारे पास भी नहीं आएगा।

यह तुम्हारे ऊपर है कि तुम उसे किस तरह प्रभावित करती हो पर यदि तुमने उसके साथ संभोग कर लिया तो निश्चय ही तुम्हारे ईनाम की राशि बढ़ा दी जाएगी। मैं मन ही मन इस अनोखे चैलेंज को स्वीकार कर चुकी थी। सोमिल सर को देखने के बाद मैं उनकी मर्दानगी की कायल हो गई थी। लंबा चौड़ा शरीर और चेहरे पर आकर्षण एक लड़की को संभोग के लिए जो कुछ भी चाहिए था सोमिल सर में कूट कूट कर भरा था।

मैं उनसे पहली नजर में ही प्रभावित हो गई थी। मुझे मेरे भाई द्वारा दिया गया चैलेंज मेरा खुद का चैलेंज बन गया था। मुझे वियाग्रा की कुछ गोलियां भी दी गई थी जिन्हें निश्चित अंतराल पर मुझे सुनील सर को देना था। मैंने दर्द निवारक दवाओं के साथ उस गोली को भी उन्हें देना शुरू कर दिया था। जिससे उनके लिंग में हमेशा उत्तेजना कायम रहती थी। उनका अंडरवियर हम लोगों ने जानबूझकर हटा दिया था तथा मेरी नाइटी के गायब होने की कहानी भी मैंने स्वयं ही गढ़ ली थी।

उनकी सफेद शर्ट में जब मैं बाहर निकली तो मुझे उनकी उत्तेजना का एहसास हो गया था उनके पजामे से उनके लिंग का आकार स्पष्ट दिखाई पड़ता था। उन्हें उत्तेजित करते-करते मैं स्वयं उत्तेजित होने लगी थी। बीती रात मैंने बिस्तर पर सोते हुए हर जतन किए कि वह मेरी चू** को देखकर मुझसे संभोग का मन बना लें। मैं चाहती थी वह मुझे अपनी बाहों में खींच ले और जी भर कर अपनी और मेरी प्यास बुझाएं। पर वह निहायत ही शरीफ थे। मैंने कुछ सफलता तो अवश्य पाई जब वो मेरे सामने ही हस्तमैथुन कर रहे थे। उनकी आंखें बंद थी पर मैं खुली आंखों से उनके सभ्य और सुसंस्कृत ल** को उनकी हथेलियों में हिलते देख रही थी। मेरी इच्छा हो रही थी कि मैं उसे अपने हाथों में ले लूं और स्वयं उन्हें स्खलित कर दूं पर मुझे सब्र से काम लेना था।

मेरी एक गलती भी उन्हें मेरी हकीकत का एहसास दिला देती और मैं चैलेंज हार जाती। उनके वीर्य की धार जब मेरे स्तनों पर पड़ी तब मुझे अद्भुत एहसास हुआ। मेरी योनि पूरी तरह चिपचिपी हो गई थी। बिस्तर पर बैठे रहने की वजह से उस से निकला प्रेम रस चादर पर अपने निशान बना चुका था। जब वह करवट लेकर सो गए तो मैं बिस्तर से उठी और उस निशान को देख कर मुस्कुराने लगी। मैंने बाथरूम में जाकर अपनी उत्तेजना शांत की और उनके बगल में आकर सो गयी। मेरे पास कुछ ही दिन शेष थे मुझे उनके साथ संभोग करना था यह मेरे लिए चैलेंज कम मेरी दिली इच्छा ज्यादा थी।

आज सुबह नहाने के बाद मुझे उनकी शर्ट उतारने पड़ी। यह शर्ट मेरी कामुकता में चार चांद लगा रही थी। मैं नहाकर नाइटी पहन कर बाहर आ गई। इस नाइटी में मैं चाह कर भी अपने सोमील सर को आकर्षित नहीं कर पा रही थी।

छाया और सीमा के प्रयास
(मैं मानस)

छाया और सीमा ने अपने कॉलेज के दोस्तों और फ्रेंड सर्किल में उस अनजान लड़की की तस्वीरें प्रसारित कर दीं थीं। छाया ने उस फोटो में से सोमिल की फोटो हटाकर सिर्फ उस लड़की की फोटो रखी थी वह समझदार तो थी ही।

हॉस्टल की लड़कियों का नेटवर्क जबरदस्त था। उन्होंने उस खूबसूरत लड़की की तस्वीर अपने सभी फ्रेंड्स को भेज दी यह सिलसिला चलता गया और अंततः हमें यह मालूम चल चुका था कि वह लड़की लक्ष्मी थी जो होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर चुकी थी। वह पैसों के लिए कभी-कभी वह हाई प्रोफाइल कॉल गर्ल बन कर कामुक गतिविधियां भी किया करती थी।

हमें जबरदस्त सफलता हाथ लगी थी छाया और सीमा अपनी इस सफलता से खुश थे। हमें सोमिल जल्द ही मिलने वाला था।
 
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Lovely Anand

Love is life
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ekdam mast kahani please add some photo and gif to increase its eroticity

अब ठीक है? ,,, हा हा हा।।।


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बेहतरीन अपडेट। अब तो उत्सुकता हो रही है आगे आने वाले अपडेट के बारे में
 
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