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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

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komaalrani

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भाग १०१ - मेरा मरद, पृष्ठ १०६७


अपडेट पोस्टेड,

छुटकी, होली दीदी की ससुराल में का अल्पविराम समाप्त और आप सब के अनुरोध पर एक बार फिर से,

कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें।
 
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फागुन के दिन चार भाग ३६, पृष्ठ ४१६

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जागे हुए हैं कोमल जी...
और अपनी तरफ से भरपूर कोशिश भी रहती है...
कभी कभी देर सबेर हो सकती है...
लेकिन कमेंट जरुर होगा....
🙏🙏🙏🙏:thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you:
 

komaalrani

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komaalrani

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आज से यह स्टोरी स्टार्ट कर रही हु. नांदिया की बिदाई. क्या खूब लिखा है. Same feelings लाजवाब. नांदिया को बीड़ा करते रीत रुवाज और प्रथा को बहोत अच्छे से लिखा है. और नांदिया की बिदाई पर सोबर भी गया. माझा आ गया इस अपडेट मे तो.

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इस भाग को लिखने में मन और आँखे दोनों भर आयीं और सच पूछिए तो बस लिखते समय आप की प्रतिक्रिया के बारे में सोच रही थी, आप को अच्छा लगा ढेर सारा आभार
 

komaalrani

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वाह... बहोत ला ज़वाब. सोबर के बाहने कोमरिया तो खूब गरियाई. कुछ तो नांदिया के छिनार पन पर काटस मज़ाक. जो सुन ने और सुनाने मे बड़ा माझा आता है. और कुछ तो नदिया के दुख की वेदना बताकर माई का आशीर्वाद दे दिया. लोक गीत तो मेरे फेवरेट है. बहोत मस्त.

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:thank_you: :thank_you: :thank_you: :thank_you: :thank_you: :thank_you: :thank_you: :thank_you: :thank_you: :thank_you:
 

komaalrani

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जब यह कहानी मार्च में रुकी १०० वे भाग के बाद तो उस समय ही मैंने कहा था ये पॉज है, एक अल्पविराम, सौ सीढ़ी चढ़ने के बाद सुस्ताने जैसा

और अब जब फिर यह कहानी कुछ नए मोड़ों के साथ शुरू हो रही है तो मैं यह स्वीकार करना चाहूंगी की १०० वे भाग को ख़ास तौर से कुमुद की वेदना को लिखने के बाद मैं कुछ लिखने की हालत में थी भी नहीं

करुणा मेरे लिए कहानी का एक अंग है, एक आवश्यक अंग और कसौटी, कई बार ऐसे दुःख आते है जब लगता है सांप अपनी गुंजलिका में बाँध कर, कस कस हड्डी हड्डी कड़कड़ा कर तोड़ देता है, लेकिन जिंदगी जब तक जिन्दा हैं तब तक तो चलेगी न,

तो उस पॉज के बाद अब फिर ये कहानी शुरू हो रही है, और इसमें आप सब के प्यार का मनुहार का भी योगदान है, बहुत योगदान है तो अगला भाग होगा भाग १०१
 
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