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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९६

ननद की सास, और सास का प्लान

Page 1005,


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komaalrani

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भाग २५

छोटा देवर - कैसे उतरी नथ
 

komaalrani

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भाग २५

छोटा देवर - कैसे उतरी नथ चुन्नू की



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तो बस, मैंने देवर से वही कहा था, ...
" जब तक देवरानी नहीं आती, ... "

मेरी बात पूरी होने के पहले ही उसके मुंह से कौन निकल गया और मैंने जोर से हड़का लिया,

" देवरानी मेरी है की तुम्हारी, ... तुमसे मतलब कौन होगी मेरी देवरानी, तेरी आँख में पट्टी बाँध के ले जाउंगी, बियाह के अपनी देवरानी ले आउंगी, ... हाँ उसके बाद तोहरे हवाले ,... फिर कर लेना अपने मन की,... लेकिन ले मैं ही आउंगी और जल्द ही , समझ लो "....



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और उसके बाद मैं मंजू भाभी की ओर मुड़ चली , वहां भी एक किशोर देवर, एक कच्चा केला इन्तजार कर रहा था।

मेरी आँखों में उस कच्चे केले की तस्वीर घूम रही थी, और मन में पक्का इरादा, कैसे पटक के लेनी है आज उसकी। मैं जान रही थी, सीधे से तो नहीं हाथ डालने देने वाला है,थोड़ा बहलाना फुसलाना और नहीं मानेगा तो फिर जबरदस्ती, जो हालत जस्ट जवान हो रही लड़कियों की होती है, उन्हें ये तो मालुम हो जाता है की इस नए नए आ रहे जोबन के कदरदान कितने हैं, लेकिन जुबना लुटाने में जो मज़ा है वो उन्हें नहीं पता होता, बस यही हालत कच्चे केलों की होती हैं, ख़ास तौर से सीधे साधे, किताबों में सर छुपाने वाले लेकिन तिरछी नजर से लड़कियों को देखने वाले होते हैं,...



मंजू भाभी मेरा ही इन्तजार कर रही थीं, और उन्होंने अपने देवर का हाल चाल बता दिया,...



" चुन्नू ऊपर अपने कमरे में ही है , लेकिन मुंह फुलाये, मुझसे भी गुस्सा,... बोल दिया है उसने होली नहीं खेलनी उसे , और दरवाजा भी अंदर से बंद कर दिया है, बोल रखा है दरवाजा नहीं खोलेगा चाहे जो हो जाए,... "



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सीढ़ी पर चढ़ते हुए मैंने मंजू भाभी से बोला,..

" आज तो सब कुछ खुलेगा उसका, जो ननद देवर , दरवाजे में सात तालें डालकर बैठतीं है न हम भौजाइयों का काम तो वहीँ डाका डालना है,... "


मंजू भाभी के यहाँ सब भाभियों का जमावड़ा होना था, .. पर मैं उसके पौन घंटे पहले ही आ गयी ,

आज मुझे अपने कुंवारे देवर की नथ जो उतारनी थी, ... जो इतना नखड़ा कर रहा है न ये लौंडा , बस आज एक बार ह्च्चक के मैं चोद दूँ उसे , आठ दस बार में चोद चोद कर उसे चूत का ऐसा चस्का लगा दूंगी, फिर किसी के हवाले,...

और उसके बाद तो मेरी किसी ननद को, गाँव की किसी लड़की को बिन चोदे छोड़ेगा नहीं, औजार तो अच्छा खासा है, कल ही मैंने पकड़ के , मुट्ठ मार के, पानी निकाल के मशीन टेस्ट कर ली थी. मशीन तो ठीक ठाक है बस थोड़ी सी ट्रेनिंग , और जबरदस्त चोदू बना दूंगी

और चोदेगा किसे अपनी बहनों को।

मैं सीढ़ी चढ़कर ऊपर,

अभी एक ब्रम्हचारी देवर का ब्रम्हचर्य तोड़ के आ रही थी और अब एक कुंवारे शरमीले को चूत का ऐसा चस्का लगाना था की शरम झिझक छोड़ के, गाँव की सब लड़कियों की चूत के पीछे, ( गाँव के रिश्ते से तो सब उसकी बहन ही लगेंगी, बहनचोद देवर )

दरवाजा सच में बंद था,

और मेरे आने की आहट पाके, बिना मेरे कुछ कहे , दरवाजा खटखटाये अंदर से कच्चे केले की आवाज आयी,...

' नहीं, मुझे होली नहीं खेलनी है, रंग नहीं,... "



उसकी बात काटती हुयी अपनी आवाज में शहद घोल के बहुत प्यार से मैं बोली,...


" अरे देवर जी तो मत खेलना न , मैं खेल लूंगी अपने देवर से, और रंग रम चुपचाप डलवा लेना "

एक पल चुप रहने के बाद फिर अंदर से आवाज आयी,

" नहीं भाभी, नहीं मैं नहीं खेलूंगा "

और मैंने गियर चेंज किया अपने रूप में आयी,... उसे हड़काया,



" हे खोल दो सीधे से , अरे देवर जी, तेरी गाँड़ नहीं मारूंगी, पक्का कम से कम आज, बस खाली थोड़ा सा चिकने चिकने गोरे गालों पे,... "



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दरवाजे पर मैंने हाथ लगा के देख लिया था, सिटकनी बंद तो थी लेकिन बस हलके से फंसा दिया गया था यानी अगर कोई बाहर से सच में दरवज्जा खोलना चाहे तो खोल ले , ... मन उसका भी कर रहा था लेकिन, बस हिचक रहा था, ये स्साले नयी उम्र के लौंडे न , कच्ची कलियों से ज्यादा भाव खाते हैं, ऐसे चिकने कमसिन लौंडों की तो बिना गाँड़ मारे छोड़ना एकदम पाप है।

छत पर ये अकेला कमरा था,... छत बहुत बड़ी थी, वहां से तो आधा गाँव, वो बाग़ जहाँ कल मेरी छोटी बहन की बड़ी बेरहमी से कच्ची गाँड़ नन्दोई जी ने कूटी थी, दूर दूर तक फैले खेत सब कुछ,...




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दिखता था लेकिन छत पर पर बहुत ऊँची मुंडेर थी, मेरे सीने से भी ऊँची,... तो दूर से भी छत पर का कुछ नहीं दिख सकता था,


नीचे से आने वाली सीढ़ी पर भी दरवाजा था, पहले तो मैंने उसे बंद किया,कस के सांकल लगाई,...अब नीचे से कोई ऊपर नहीं आ सकता था और मैं इस स्साले लौंडे की खुल के प्यार से ले सकती थी, ... और फिर चुन्नू के दरवाजे को हलके से पहले अपनी ओर खींचा, फिर एक झटके से पुश किया, दरवाजा खुल गया।आराम से अंदर घुस के मैंने पहले मुड़ के मैंने अबकी दरवाजा अच्छे से बंद किया , सिटकनी भी चुन्नू को दिखाते हुए अबकी ठीक से फंसा कर बंद किया।



वो बेचारा,..

स्साला, जैसे किसी चूहे की बिल में बिल्ली अंदर धंस जाए उसकी लेने के लिए,.. तो उसकी जैसे फटती होगी, बस यही हालत उसकी हो रही होगी,...
 
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komaalrani

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वो बेचारा,..



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दरवाजे पर मैंने हाथ लगा के देख लिया था, सिटकनी बंद तो थी लेकिन बस हलके से फंसा दिया गया था यानी अगर कोई बाहर से सच में दरवज्जा खोलना चाहे तो खोल ले , ... मन उसका भी कर रहा था लेकिन, बस हिचक रहा था, ये स्साले नयी उम्र के लौंडे न , कच्ची कलियों से ज्यादा भाव खाते हैं, ऐसे चिकने कमसिन लौंडों की तो बिना गाँड़ मारे छोड़ना एकदम पाप है।

छत पर ये अकेला कमरा था,... छत बहुत बड़ी थी, वहां से तो आधा गाँव, वो बाग़ जहाँ कल मेरी छोटी बहन की बड़ी बेरहमी से कच्ची गाँड़ नन्दोई जी ने कूटी थी, दूर दूर तक फैले खेत सब कुछ,... दिखता था लेकिन छत पर पर बहुत ऊँची मुंडेर थी, मेरे सीने से भी ऊँची,... तो दूर से भी छत पर का कुछ नहीं दिख सकता था,


नीचे से आने वाली सीढ़ी पर भी दरवाजा था, पहले तो मैंने उसे बंद किया,कस के सांकल लगाई,...अब नीचे से कोई ऊपर नहीं आ सकता था और मैं इस स्साले लौंडे की खुल के प्यार से ले सकती थी, ... और फिर चुन्नू के दरवाजे को हलके से पहले अपनी ओर खींचा, फिर एक झटके से पुश किया, दरवाजा खुल गया।

आराम से अंदर घुस के मैंने पहले मुड़ के मैंने अबकी दरवाजा अच्छे से बंद किया , सिटकनी भी चुन्नू को दिखाते हुए अबकी ठीक से फंसा कर बंद किया।

वो बेचारा,..

स्साला, जैसे किसी चूहे की बिल में बिल्ली अंदर धंस जाए उसकी लेने के लिए,.. तो उसकी जैसे फटती होगी, बस यही हालत उसकी हो रही होगी,...

लेकिन मेरी हालत,... खूब गोरा चिकना, अभी रेख भी ठीक से नहीं आनी शुरू हुयी थी, आवाज बस फूट ही रही थी,... एकदम कमसिन लौंडा,... लेकिन कल मैं चेक कर चुकी थी उसकी मशीन, पकड़ के दबा के , साइज ठीक ठाक थी साढ़े पांच , छह इंच तो होगा ही,.. पानी भी काफी निकला था और सबसे बड़ी बात छूते ही खड़ा हो गया था और कड़ा भी कितना, खूब देर तक,... मैंने जोर जोर से कल मुठियाया था देर तक, और जरा भी ढीला नहीं, पानी फेंकने के बाद भी एकदम कड़ा ,...


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मेरी चूत पनिया रही थी, बस मैं अपने को रोक नहीं पा रही थी , जोबन भी पथरा रहे थे, ... निप्स कंचे ऐसे कड़े हो रहे थे,...चोली फाड़ती चूँचियाँ जब देखने पे ये हालत थी तो स्साले गांडू की लेने में कितना मज़ा आएगा,...


मैंने आराम से कोंछे सेसब रंग की पुड़िया, पेण्ट की ट्यूब , कड़ाही के पेंदे की कालिख,... उसकी मेज पर उसे दिखाते रखी,... मेरी निगाह उसी पर गड़ी थी, इत्ता मस्त माल लग रहा था, बस एक सफ़ेद बिना बांह वाली बनियाइन और सफ़ेद शार्ट,... और उसके अंदर आलरेडी सुनगुन शुरू हो गयी थी,... उसका शेप साइज सब साफ़ साफ़ नजर आ रहा था,

बस मन कर रहा था खोल के स्साले का गप्प से मुंह में ले लूँ ,...

रंग वंग निकाल के बस मैंने अपना आँचल ढीला किया और अपनी पतली कमर में लपेट लिया



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मेरी खूब टाइट तनी तनी चोली में जोबन का कड़ाव, कटाव गहराई अब सब साफ़ साफ़ दिख रहे थे, गाँव में चड्ढी बनियान पहनने का चलन तो था नहीं , तो बस चोली के नीचे चोली फाड़ती चूँचियाँ ही थीं,


और मेरे जोबन देख के तो बुड्डो पर वियाग्रा की डबल डोज से ज्यादा असर होता था और यहां इस चिकने की जवानी तो अभी छनछना रही थी। साड़ी भी मैंने कूल्हे के सहारे खूब नीचे बाँधी थी , तो गोरा चिकना पेट , गहरी नाभि सब साफ़ साफ़ दिख रहा था और उसका असर भी उसके शॉर्ट्स के अंदर अब साफ़ साफ दिख रहा था और गहरी सांसों पर भी,...



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मुझे देख के मजा आ रहा था , बस मैं उसके बगल में जा के बैठ गयी और उसके चिकने गाल ऊँगली से छूते सहराते बोली,



"रज्जा मेरे डलवाने से इत्ता डरते काहें हो, खूब आराम आराम से डालूंगी, ... रगड़ रगड़ के ,... "

और उसके गाल पर एक चुम्मा ले लिया ,



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वो सनसना गया ,... और मैं गिनगीना गयी,



देवर भाभी की होली शुरू हो गयी थी। अगला नंबर था उसे टॉपलेस करने का और बिना किसी झगड़ा झंझट के जब तक वो समझ मेरे दोनों हाथों ने उसकी छोटी सी बनयाइन उतार कर कमरे के दूसरे ओर फेंक दिया, स्साला इत्ता मस्त लग रहा था , खूब गोरा चिकना,... रेख भी अभी ठीक से नहीं आयी थी तो सीने पर बाल होने का सवाल ही नहीं था , कांखों में भी बस भूरे भूरे बाल आने शुरू ही हुए थे,...

क्या कोई लड़की शरमाती टॉपलेस होने पर जिस तरह वो शरमाया, और जितना वो लजाता उतना ही मैं पनिया रही थी,...

'अच्छा चल मैं भी अपनी साड़ी उतार देती हूँ , बल्कि तुम उतार दो,... : और साडी तो पहले ही मैंने पेटीकोट में बस बाँध रखी थी,... और उसका हाथ लगते ही,... मैं समझ गयी , इसको सिखाने पढ़ाने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा, जल्द ही अपनी बहनों की शलवार का नाड़ा खोलने लगेगा,... और मेरी साड़ी भी सररर,... सम्हालकर मैंने उसे बिस्तर पे रख दिया, और मैं खीँच के उसे कमरे के बीच में,



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" अरे पहले भौजी से गले तो मिल लो " और मैंने धृतराष्ट्र की तरह के अंगपाश में उसे कस के भींच लिया, मेरे चोली फाड़ते उभार कस कस के उस के सीने में रगड़ रहे थे, बरछी की तरह नुकीले निप्स छाती भेद रहे थे। और मेरे दोनों हाथ कस के उसे भींचे हुए जिससे मैं भी तम्बू में बम्बू की लम्बाई मोटाई भांप सकूँ,

खूब टनटना रहा था मेरे टीनेज देवर का, और मैंने भी जाँघे अपनी फैला के, दोनों जांघों के बीच, खुद सीधे सेंटर कर दिया और वो बेचारा अभी ग्राइंडिंग, ड्राई हंपिंग क्या जाने,... मैं खुद,... और एक हाथ से बगल की टेबल से कालिख उठा के,... एक हाथ में लगा के शार्ट में उसके पिछवाड़े,...

जब तक वो सम्हले उसका छोटा सा चूतड़ मुट्ठी में, और कालिख की परत दर परत, और एक ऊँगली दोनों नितम्बों के बीच में,...

एकदम मक्खन मलाई,...



मैं सोच रही थी जिस दिन ये किसी लौंडे बाज के हाथ पड़ा न , और मेरे मायके में तो एक से एक , बस कोई बहाना बना के इसे मायके ले जाउंगी और वहां तो दावत हो जायेगी,...

जैसे जैसे मैं चूतड़ उसके दबा रही थी,वो फड़फड़ा रहा था, ... जैसे किसी मुर्गे के पंख नोचे जा रहे हों तो बस वही हालत उस कुंवारे बिनचुदे देवर की भी हो रही थी,...



अभी तो चिकेन दो प्याजा बनना था,... छु मैं पीछे रही थी असर आगे पड़ रहा था, एकदम तना,... जैसे मेरी चोद कर रख देगा , और मैं तो खुद ही चुदवाने आये थी, आज मेरी चोदेगा कुछ दिन बाद अपनी बहनों की चोदेगा,... मुझे अपनी ननदों का हमेशा ख्याल रहता था,...

" हे भौजी बेईमानी, आप तो इत्ते रंग ले ले आयीं और मेरे पास कुछ नहीं,.. "



मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया इत्ती मस्त पिचकारी तो है और सफ़ेद रंग भी ,... लेकिन मैं उससे बोली ,



"अरे देवर रज्जा देवर भौजाई का कुछ बांटा है "


और उसने लाल रंग उठा लिया , बेचारे की हिम्मत नहीं पड़ रही थी चोली के भीतर घुसने की , लेकिन बिना चोली के अंदर घुसे देवर भौजाई की होली शुरू होती है न जीजा साली की,... वो नौसिखिया और मैंने खुद ही उसका हाथ पकड़ के , बटन भी एक दो ही बचे थे, कुछ टूटे कुछ खुले , वो हाथ हटा न ले , इसलिए मैंने खुद अपने हाथ उसके हाथों पर,... चोली भी मैंने अब खुद साड़ी के ऊपर फेंक दी,... हम दोनों टॉपलेस ,... वो शार्ट में मैं साये में,...




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थोड़ी देर में हम दोनों खुली छत पर थे और होली जम के हो रही थी , मैं उसे रंग लगाने दे रही थी, चेहरे पर पेट पर पीठ पर , लेकिन फिर साये के अंदर घुसने में उसे संकोच लग रहा था , पहल मैंने ही की उसका शार्ट खींच के छत के दूसरी ओर,... और पेण्ट की ट्यूब हथेली में लगा के मोटू पे ,..
 
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बहुत भइल अब चोर सिपहिया , ...






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"अरे देवर रज्जा देवर भौजाई का कुछ बांटा है " और उसने लाल रंग उठा लिया , बेचारे की हिम्मत नहीं पड़ रही थी चोली के भीतर घुसने की , लेकिन बिना चोली के अंदर घुसे देवर भौजाई की होली शुरू होती है न जीजा साली की,... वो नौसिखिया और मैंने खुद ही उसका हाथ पकड़ के , बटन भी एक दो ही बचे थे, कुछ टूटे कुछ खुले , वो हाथ हटा न ले , इसलिए मैंने खुद अपने हाथ उसके हाथों पर,... चोली भी मैंने अब खुद साड़ी के ऊपर फेंक दी,... हम दोनों टॉपलेस ,... वो शार्ट में मैं साये में,...


थोड़ी देर में हम दोनों खुली छत पर थे और होली जम के हो रही थी , मैं उसे रंग लगाने दे रही थी, चेहरे पर पेट पर पीठ पर , लेकिन फिर साये के अंदर घुसने में उसे संकोच लग रहा था , पहल मैंने ही की उसका शार्ट खींच के छत के दूसरी ओर,... और पेण्ट की ट्यूब हथेली में लगा के मोटू पे ,..



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वो भी देख चुका था की सीढ़ी के रस्ते पर सांकल लगी है , मुंडेर छत की इतनी ऊँची है कुछ नहीं दिख सकता,... और उस की भी हिम्मत बढ़ गयी , आधे घंटे तक , वो मेरे जोबन में रंग लगाता, मैं उसे लगाने देती बल्कि उकसा के लगवाती ,


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फिर उन्ही दोनों रंग लगे जोबन से कभी उसकी छाती कभी पीठ पर तो कभी उसके छोटे नवाब को दोनों चूँचियों के बीच रगड़ रगड़ कर वहां भी रंग लगाती,...

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धीरे धीरे उसकी शर्म जा रही थी , खुल के मजे ले रहा था लेकिन असली होली की पहल तो मुझे ही करनी थी,...

बस हल्का सा धक्का देकर उसे छत पर लिटा दिया और झंडा तो खड़ा ही था , रंगा पुता पहले तो एक हाथ में लेकर मैं हलके हलके मुठिया रही थी , फिर एक झटके से चमड़ा खींच दिया,...

मस्त लीची,... कुछ देर तो देख देख के ललचाती रही फिर सिर्फ जीभ से कभी सुपाड़े को चाटती तो कभी जीभ की नोक से उसके पेशाब के छेद में

मैंने झुक के उसके दोनों हाथों को कस के पकड़ रखा था , स्साला इत्ती जोर से छटपटा रहा था,.. और जब नहीं रहा गया तो मुंह में उस लीची के लेकर ालके हलके चूसने लगी , जीभ साथ साथ रसीले सुपाड़े को सहलाती, सिर्फ सुपाड़ा चूसने का ही इतना मजा आ रहा था,...



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बहुत भइल अब चोर सिपहिया , ... मैंने खुद से कहा.,... और उसके ऊपर,..



नहीं नहीं घोटा नहीं सिर्फ र्थोड़ी देकर मेरी गुलाबो सुपाड़े को सहलाती रही , जैसे कोई तगड़ा खेला खाया मरद बालिस्त भर के लंड वाला किसी कच्ची कन्या कुमारी को पहले खूब गरमाता है , रस से पिघलाता है , और जब उसकी आँखे बंद होने लगती हैं मस्ती से , वो सिसकने लगती है, कच्ची चूत पनिया जाती है तभी,..
तो बस उसी तरह , फिर उसे दिखाके अपनी दोनों रसीली फांकों को फैलाया और उस के बीच उसके सुपाड़े को फंसा दिया,... दोनों हाथ उसकी दोनों कलाई कस के पकडे थे , आँखों से मैं उसकी आँखे देख रही थी,

अब वो भी समझ रहा था क्या होना है , उसने कुछ लाज से कुछ घबड़ाहट से अपनी आँखे बंद कर ली, और मैंने एक करारा धक्का मारदिया ,



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सुपाड़ा अंदर था , और मैं फिर रुक गयी , मेरी चूत उसके कुंवारे सुपाड़े को दुलराती सहलाती,.... कभी प्यार से भींचती और मैं अब झुक के कभी उसके होंठ चूमती कभी चिकने गाल , तो कभी सीने पर के मेल टिट्स,... कुछ देर में वो भी साथ देने लगा , उसके हाथ मैंने खुद खींच के रंग लगे जोबन पर और जिस लांडे को एक बार जोबन का रस मिल जाता है फिर वो जोबन का दीवाना हो जाता है , ...


कुछ देर में वो कस के चूँची मसल रहा था और मैं उसे कस कस के चोद रही थी , उसके ऊपर चढ़ी, धीरे धीरे पूरा लंड मेरी चूत ने घोंट लिया था , अब कभी कभी वो भी नीचे से धक्के लगाता,...



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लेकिन असली खेल अभी बाकी था , उसे लिए दिए मैंने पलटी खायी , चूत ने कस के लंड को भींच रखा था जरा भी मैंने बाहर नहीं होने दिया,



अब वो ऊपर मैं नीचे, मैंने खुद अपनी टाँगे , जाँघे फैला के रखी थीं ,



था वो नौसिखिया पहली बार कोई भी होता है , लेकिन औजार जबरदस्त था और मेरी ऐसी भाभी थी सिखाने वाली ,... कुछ देर में वो भी हचक के ,... दस पंद्रह मिनट देह की होली हुयी और हम दोनों साथ, ... उसकी पिचकारी का सफ़ेद रंग मेरी बाल्टी में भर गया।लेकिन चाहे नयी अनचुदी लौंडिया हो या अनचुदा लौंडा, चुदाई का मजा दूसरी बार में ही आता है , और कभी भी लौंडिया या लौंडे को एक बार चोद के नहीं छोड़ना चाहिए , जख्मी शेर वाली हालत होती है,... और एक बार हदस गयी तो दुबारा नाड़ा खोलने के पहले दस बार सोचेगी,...
 
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देह की होली







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दस पंद्रह मिनट देह की होली हुयी और हम दोनों साथ, ... उसकी पिचकारी का सफ़ेद रंग मेरी बाल्टी में भर गया।लेकिन चाहे नयी अनचुदी लौंडिया हो या अनचुदा लौंडा, चुदाई का मजा दूसरी बार में ही आता है , और कभी भी लौंडिया या लौंडे को एक बार चोद के नहीं छोड़ना चाहिए , जख्मी शेर वाली हालत होती है,... और एक बार हदस गयी तो दुबारा नाड़ा खोलने के पहले दस बार सोचेगी,...



तो अपने देवर को भी बिना दुबारा चोदे तो मैं छोड़ने वाली नहीं थी, और नयी उमर की नयी फसल के साथ फायदा यही की झट से रिचार्ज हाइट हैं जैसी पावर बैंक लगा रखा हो,... तो बस थोड़ी देर कुछ होली , कुछ छेड़छाड़ , कुछ गाँव की लड़कियों उसकी रिश्ते की बहनों का नाम ले लेकर मज़ाक,.. उसने शार्ट पहनने की कोशिश की तो मैंने हाथ से खींच के हड़काया,

' फेंक दूंगी अभी बाग़ में , नंगे पकड़ के नीचे ले जाउंगी , मैंने तो चोद के छोड़ दिया है, बाकी नीचे जो भौजाइयां है स्साले बिना तेरी ये चिकनी गाँड़ मारे छोड़ेंगी नहीं,... "



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अरे खुद नंगे होने में शरमाएगा स्साला, तो होनी बहनों को कैसे नंगा करेगा, तो पहली लाज तो मैंने उसकी उतार दी, देर तक ऐसे ही छत पर नंगे पुंगे,...


और जो उसका खड़ा हुआ तो अबकी वही ऊपर,... हाँ मैं खुद नीचे लेट गयी , अपनी टाँगे फैला के जाँघे खोल के , अपनी टाँगे मैंने उसके कंधे पर भी रख दिया , और छेद में पकड़ के सटा दिया

और क्या धक्का मारा स्साले ने ,



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बड़ी ताकत है इस लौंडे में मैं मान गयी, बस थोड़ी सी ट्रेनिंग और,... दरेरते, रगड़ते, घिसटते जिस तरह मेरी बुर में घुसा मजा आ गया,

अब चोदने का काम उसका था और चुदवाने का मेरा,.... लेकिन था तो नौसिखिया ही, कई बार खींच के उसका हाथ मैं अपने जोबन पे रखती , उसके होंठों को निप्स पे ,



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चोदने के साथ साथ जब तक बाकी कामकाज न हो, आधे से ज्यादा लोग सोचते हैं सिर्फ घुसेड़ने के पहले ही लौंडिया को गरम करना चाहिए , ये नहीं जानते की चुदाई में असली मजा तभी है जब बाकी काम भी चलता रहे,



यहाँ तक की उसकी ऊँगली पकड़ के मैंने अपने जादू के बटन, क्लिट पर भी और हचक कर चोदते समय एक साथ होंठ से कस के निपल चूसने के साथ, औरत की क्लिट को अंगूठे से रगड़ने से कैसी भी खूंखार चुदकड़ औरत क्यों न हो, झड़ जाती है,...


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मैं भी झड़ गयी , और दुबारा उसके साथ भी,.... कटोरी भर मलाई छोड़ी होगी उसने मेरी बुर में ,

दो ऊँगली डाल के मलाई निकाल के उसे दिखा के मैं चाट गयी और बोली, जबरदस्त स्वादिष्ट है , और फिर जो मेरे होंठों पे बचा था उसे चटा दिया और कस के चूम लिया ,



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नीचे से आवाजें आ रही थीं , इसका मतलब भौजाइयों का जमावड़ा शुरू हो गया था और कोई सूंघते ऊपर आ जाए उससे पहले मेरा नीचे जाना जरूरी था ,...

जल्दी से मैंने ब्लाउज पहना साड़ी लपेटी,... लेकिन मेरे नीचे उतरने से पहले मेरे छोटे बाले देवर ने मुझे रोककर पूछा,

" भौजी, फिर कब होगी होली, अगले फागुन में "

कस के उसे बाँहों में बाँध के पहले तो मैंने दस बार चुम्मा लिया कचकचा के गाल काटा , और उसके 'छोटू ' को पकड़ के सहलाते बोली ,

" बुद्धू , देवर भौजाई का फागुन तो साल भर चलता है , कल फिर लूंगी तेरी और अच्छी तरह से , हाँ लेकिन कल अगर दरवाजा बंद मिला या तूने कुछ भी नखड़ा किया न तो तेरी ये चिकनी गाँड़ पहले मारूंगी, चोदुंगी बाद में ,... "



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और धड़ धड़ मैं सीढ़ी से नीचे लेकिन उतरते समय भी मैं चुन्नू के बारे में ही सोच रही थी,

कामवालियां ,... रमजनिया जो चंदू के साथ , गाँव की हर औरत लड़की के बारे में उसे रत्ती रत्ती खबर रहती है तो कामवालियों में , खेत में घर में जो थोड़ी बड़ी खूब खेली खायी ,.. ऐसी दो चार को इस देवर के साथ , सिखा सिखा के पक्का कर देंगी,...


और नैना ,...उसी ने तो इस कच्चे केले के बारे में बताया था ,.. तो वो मजा ले ले और गाँव की लड़कियों के साथ इसकी सेटिंग कराने में तो उससे अच्छी कोई नहीं, दो चार पे वो चढ़वा देगी उसके बाद तो वो खुद ही शिकार करने लगेगा और उन दोनों के मुंह मारने के पहले हफ्ते दस दिन तो में खुद इस नए माल को अचे से भोगूंगी ,...


मेरी हालत देख के ही सब लोग समझ गयीं की ' होली हो गयी ' लेकिन अभी बात सीरियस चल रही थी और मैं भी कान रोप कर सुनने लगी.



एक मेरी बड़ी उम्र की जेठानी कहने लगीं,... ' अरे इसमें क्या इतना सोचना है,... मौज मस्ती ही तो है , क्या जीत हार, अरे पिछले कितने सालों से तो ननदें ही जीतती आयीं है , इस बार फिर वही जीतेंगी। इसमें क्या प्लानिंग, क्या,... "




और उन की बात में बात जोड़ती उन्ही की उमर की एक जेठानी बोलीं, ' सही कह रही हो , हम तो भुलाई गए कब भौजाई लोगन की टीम जीती थी,... अरे ननदों के आगे,...
 
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Nick107

Ishq kr..❤
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दस पंद्रह मिनट देह की होली हुयी और हम दोनों साथ, ... उसकी पिचकारी का सफ़ेद रंग मेरी बाल्टी में भर गया।लेकिन चाहे नयी अनचुदी लौंडिया हो या अनचुदा लौंडा, चुदाई का मजा दूसरी बार में ही आता है , और कभी भी लौंडिया या लौंडे को एक बार चोद के नहीं छोड़ना चाहिए , जख्मी शेर वाली हालत होती है,... और एक बार हदस गयी तो दुबारा नाड़ा खोलने के पहले दस बार सोचेगी,...



तो अपने देवर को भी बिना दुबारा चोदे तो मैं छोड़ने वाली नहीं थी, और नयी उमर की नयी फसल के साथ फायदा यही की झट से रिचार्ज हाइट हैं जैसी पावर बैंक लगा रखा हो,... तो बस थोड़ी देर कुछ होली , कुछ छेड़छाड़ , कुछ गाँव की लड़कियों उसकी रिश्ते की बहनों का नाम ले लेकर मज़ाक,.. उसने शार्ट पहनने की कोशिश की तो मैंने हाथ से खींच के हड़काया,



' फेंक दूंगी अभी बाग़ में , नंगे पकड़ के नीचे ले जाउंगी , मैंने तो चोद के छोड़ दिया है, बाकी नीचे जो भौजाइयां है स्साले बिना तेरी ये चिकनी गाँड़ मारे छोड़ेंगी नहीं,... "



अरे खुद नंगे होने में शरमाएगा स्साला, तो होनी बहनों को कैसे नंगा करेगा, तो पहली लाज तो मैंने उसकी उतार दी, देर तक ऐसे ही छत पर नंगे पुंगे,...



और जो उसका खड़ा हुआ तो अबकी वही ऊपर,... हाँ मैं खुद नीचे लेट गयी , अपनी टाँगे फैला के जाँघे खोल के , अपनी टाँगे मैंने उसके कंधे पर भी रख दिया , और छेद में पकड़ के सटा दिया



और क्या धक्का मारा स्साले ने ,



बड़ी ताकत है इस लौंडे में मैं मान गयी, बस थोड़ी सी ट्रेनिंग और,... दरेरते, रगड़ते, घिसटते जिस तरह मेरी बुर में घुसा मजा आ गया,



अब चोदने का काम उसका था और चुदवाने का मेरा,.... लेकिन था तो नौसिखिया ही, कई बार खींच के उसका हाथ मैं अपने जोबन पे रखती , उसके होंठों को निप्स पे , चोदने के साथ साथ जब तक बाकी कामकाज न हो, आधे से ज्यादा लोग सोचते हैं सिर्फ घुसेड़ने के पहले ही लौंडिया को गरम करना चाहिए , ये नहीं जानते की चुदाई में असली मजा तभी है जब बाकी काम भी चलता रहे,



यहाँ तक की उसकी ऊँगली पकड़ के मैंने अपने जादू के बटन, क्लिट पर भी और हचक कर चोदते समय एक साथ होंठ से कस के निपल चूसने के साथ, औरत की क्लिट को अंगूठे से रगड़ने से कैसी भी खूंखार चुदकड़ औरत क्यों न हो, झड़ जाती है,...



मैं भी झड़ गयी , और दुबारा उसके साथ भी,.... कटोरी भर मलाई छोड़ी होगी उसने मेरी बुर में ,



दो ऊँगली डाल के मलाई निकाल के उसे दिखा के मैं चाट गयी और बोली, जबरदस्त स्वादिष्ट है , और फिर जो मेरे होंठों पे बचा था उसे चटा दिया और कस के चूम लिया ,



नीचे से आवाजें आ रही थीं , इसका मतलब भौजाइयों का जमावड़ा शुरू हो गया था और कोई सूंघते ऊपर आ जाए उससे पहले मेरा नीचे जाना जरूरी था ,...



जल्दी से मैंने ब्लाउज पहना साड़ी लपेटी,... लेकिन मेरे नीचे उतरने से पहले मेरे छोटे बाले देवर ने मुझे रोककर पूछा,



" भौजी, फिर कब होगी होली, अगले फागुन में "



कस के उसे बाँहों में बाँध के पहले तो मैंने दस बार चुम्मा लिया कचकचा के गाल काटा , और उसके 'छोटू ' को पकड़ के सहलाते बोली ,



" बुद्धू , देवर भौजाई का फागुन तो साल भर चलता है , कल फिर लूंगी तेरी और अच्छी तरह से , हाँ लेकिन कल अगर दरवाजा बंद मिला या तूने कुछ भी नखड़ा किया न तो तेरी ये चिकनी गाँड़ पहले मारूंगी, चोदुंगी बाद में ,... "



और धड़ धड़ मैं सीढ़ी से नीचे लेकिन उतरते समय भी मैं चुन्नू के बारे में ही सोच रही थी,

कामवालियां ,... रमजनिया जो चंदू के साथ , गाँव की हर औरत लड़की के बारे में उसे रत्ती रत्ती खबर रहती है तो कामवालियों में , खेत में घर में जो थोड़ी बड़ी खूब खेली खायी ,.. ऐसी दो चार को इस देवर के साथ , सिखा सिखा के पक्का कर देंगी,...


और नैना ,...उसी ने तो इस कच्चे केले के बारे में बताया था ,.. तो वो मजा ले ले और गाँव की लड़कियों के साथ इसकी सेटिंग कराने में तो उससे अच्छी कोई नहीं, दो चार पे वो चढ़वा देगी उसके बाद तो वो खुद ही शिकार करने लगेगा और उन दोनों के मुंह मारने के पहले हफ्ते दस दिन तो में खुद इस नए माल को अचे से भोगूंगी ,...


मेरी हालत देख के ही सब लोग समझ गयीं की ' होली हो गयी ' लेकिन अभी बात सीरियस चल रही थी और मैं भी कान रोप कर सुनने लगी.



एक मेरी बड़ी उम्र की जेठानी कहने लगीं,... ' अरे इसमें क्या इतना सोचना है,... मौज मस्ती ही तो है , क्या जीत हार, अरे पिछले कितने सालों से तो ननदें ही जीतती आयीं है , इस बार फिर वही जीतेंगी। इसमें क्या प्लानिंग, क्या,... "




और उन की बात में बात जोड़ती उन्ही की उमर की एक जेठानी बोलीं, ' सही कह रही हो , हम तो भुलाई गए कब भौजाई लोगन की टीम जीती थी,... अरे ननदों के आगे,...
Chandu ka kela... pak hi gya ... apni bhabhi ki chut ki garmi se...
bhabhi ji.. chandu aapki gand bhi marna chahta he bss bol nhi rha.. sharmana bahot he bhai.. 💋😜
 

komaalrani

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Chandu ka kela... pak hi gya ... apni bhabhi ki chut ki garmi se...
bhabhi ji.. chandu aapki gand bhi marna chahta he bss bol nhi rha.. sharmana bahot he bhai.. 💋😜
Ye chandu nahi chunnu hai,

Chandu to jabrdast pahlwaan hai

aur chunnu kaccha kela , ekdam namkeen kaccha chhokara😂😂
 

Luckyloda

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Bhut hi ahandaar and hot update.....



Kya mast tarike se kacche kele ki sabji bnayi hau.........



Maja Aa gya bhabhi.....

Ab dekhna ye hai abhi baar nando ki shamat kaise aati hai Hearne ke baad
 
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