और क्या खूब हो रहा है....Bhai bahan ka rishta dhire dhire pakka ho rhaa hai
और क्या खूब हो रहा है....Bhai bahan ka rishta dhire dhire pakka ho rhaa hai
कहानी के साथ न्याय करने के लिए समय की दरकार होती है....bas ye kahaai khatam hone ke karib aaye, vaise bhi abhi do stories saath saath chl rhi hain
मीठे और रसीले....Thik he. Ab chhutiki ke bhi update dedo jaldi se. Me apni baheniya ke mithe gavo ko sahelane ko betab hu
Always at your service ma'am....I am trying to post at least one post every week on this thread and two to three posts in JKG making it 4 posts every week and here i try to make long posts to compensate for the gap, please do read and support with the likes and comments
चाची तो चमड़े के कप और प्लेट से चटनी... मेरा मतलब है मलाई चटाएंगी....भाग ३४
इन्सेस्ट कथा - चाची ने चांदनी रात में,...
" जबरदस्त, इतनी ढेर सारी मलाई और खूब गाढ़ी,... "
और उसे सीने से चिपका के बस थोड़ी देर तक लेटी रहीं , वो धीरे धीरे सांस लेता रहा,... वो कभी उसके बाल पे हाथ फेरतीं तो कभी सीने पे ऊँगली से और जब तक वो थिर नहीं हो गया ऐसे ही चिपकाए रहीं, ... फिर उसके कान में बोलीं ,
" ऐसे ही अच्छे बच्चे की तरह लेटे रहना, ... कोई बदमाशी नहीं,... नहीं तो बहुत मारूंगी। तेरे लिए दूध निकाल के रखा था अभी लाती हूँ , ... "अरविन्द से चाची बोलीं
और जाने के पहले उन्होंने कमरे की खिड़की खोल दी, खूब छिटकी चांदनी कमरे में आ कर पसर गयी, ...
अब सब कुछ साफ़ साफ दिख रहा था , साड़ी पेटीकोट से ढके छिपे जिन नितम्बो को देख के उसका खूंटा खड़ा हो जाता था , अब एकदम उसके सामने , बीच की दरार भी थिरक थिरक के,... चाची के जिन चूतड़ों के बारे में सोच सोच के अरविन्द का खड़ा हो जाता था अब वो एकदम खुले दावत देते, कसर मसर बड़े बड़े
और चाची ने झुक के फर्श पर पड़े उसके जांघिये को भी उठा लिया, अपने पेटीकोट , ब्लाउज को भी और सब ले के ,.. जब वो झुँकी तो साइड से उन बड़े बड़े खूब गदराये उभारों की झलक ,...
पायल झनकाते वो गयीं और पायल झनकाते थोड़ी देर में वापस,... और अब उन खुले उन्नत पहाड़ों को देखकर उसका खूंटा फिर ठुनकने लगा।
लेकिन चाची बिना कुछ परवाह किये उसी तरह उसकी बगल में आ के बैठ गयीं,...
खूब लम्बा सा चांदी का ग्लास, और दूध के ऊपर ढाई इंच खूब मोटी मलाई,... एकदम गाढ़ी,... और
"नहीं नहीं मुझे मलाई नहीं खाना, वो ठुनक के बोले , ... वो भी इतनी ज्यादा,...
" अरे तो मत खा न , "
दोनों ऊँगली से चाची ने मलाई ढेर सारी निकाल ली, और अपने बड़े बड़े भारी तने टनाटन उरोजों पर लपेट ली , जो कुछ बचा था सब एकदम खड़े निपल पर,...
" अब तो खायेगा न ,... " मुस्करा के वो बोलीं,...
झटपट लिबराते उनके होंठ निपल पर और चाची ने अरविन्द का सर पकड़ के पूरी ताकत से निपल उसके मुंह में , ...जैसे बचपन में माँ डाल देती थीं,
सब की सब मलाई थोड़ी देर में साफ़ , और फिर चाची ने ग्लास अपने हाथ से पकड़ के उसके होंठों में लगा दिया,...
दूध के साथ भी पता नहीं क्या क्या मिला था , एकदम जबरदस्त मस्ती छाने लगी, ... मेवा ढेर सारा था , पर कुछ और,...
चाची ने सोचने का मौका भी भी नहीं दिया , पकड़ के उसे लिटा दिया अपने बगल में , हाँ खूंटे को न उन्होंने पकड़ा न छुआ ,...
वो अपने आप बौरा रहा था, .. उसका मन कर रहा था लेकिन चाची ने उस लोहे के खंभे की ओर न देखा न उसे छूआ,...
हाँ अपने बड़े बड़े उभारों को वह अरविन्द की छाती पर रगड़ रही थीं ,
वो कसमसा रहा था , मन उसका बहुत कर रहा था पर चाची ने दबोच रखा था,...
" बहुत मन कर रहा है न ,... चल लेकिन तू कुछ भी नहीं करेगा बस चुपचाप लेटा रह, अनाड़ी चुदवैया,... "
उसको उन्होंने चूमा ,.. और बची खुची मलाई उस खड़े बांस पे लपेट दी,...
और उसके ऊपर चढ़ के,... नहीं नहीं , अंदर नहीं लिया , थोड़ी देर अरविन्द को ललचाया उसके खुले मोटे सुपाडे पर अपनी बुर को रगड़ा,.. और आँख मार के पूछा ,
"बोल, लेगा चाची की "
बड़ी जोर से अरविन्द ने हाँ बोला।
चाची ने दोनों कलाई कस के पकड़ी झुक के पहले एक चुम्मा लिया और क्या कोई मर्द धक्का मारेगा , सटा के ऐसे मारा की एक धक्के में सुपाड़ा अंदर, गप्प
लेकिन धक्के रुके नहीं , जब तक आधा से ज्यादा लंड उन्होंने घोंट नहीं लिया ,... वो कसमसा रहा था छटपटा रहा , छूटने की कोशिस कर रहा था लेकिन जैसे गन्ने के खेत में जवान होती लड़की को कोई लौंडा पकड़ के चांप दे , बस उसी तरह,...
ऐसे तगड़े लौंडे को तो चाची को पहली नजर में भांप लेना चाहिए था...चाची ऊपर,...
"बोल, लेगा चाची की "
बड़ी जोर से अरविन्द ने हाँ बोला।
चाची ने दोनों कलाई कस के पकड़ी झुक के पहले एक चुम्मा लिया और क्या कोई मर्द धक्का मारेगा , सटा के ऐसे मारा की एक धक्के में सुपाड़ा अंदर, गप्प
लेकिन धक्के रुके नहीं , जब तक आधा से ज्यादा लंड उन्होंने घोंट नहीं लिया ,... वो कसमसा रहा था छटपटा रहा , छूटने की कोशिस कर रहा था लेकिन जैसे गन्ने के कहते नस जवान होती लड़की को कोई लौंडा पकड़ के चांप दे , बस उसी तरह,...
फिर वो रुकीं, उसके हाथआजाद किये और दोनों को अपने हाथ से पकड़ के अपने उभारों पे , कभी सहलवातीं , कभी दबवातीं,...
और अब चाची सिसक रही थीं , नीचे से अरविन्द ने भी धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए थे ,
एक बार वो एक बार चाची , और दो चार मिनट में पूरा खूंटा अंदर.
चाची, खुश. मन ही मन सोच रही थीं, स्साला अरविन्द का जित्ता मोटा है उत्ता ही लम्बा, बहुत दिनों बाद इत्ता मस्त लंड घोंट रही हूँ,..मैं भी बगल में लौंडा और मैं पियासी अब तो इस को मस्त, ...
और उन्होंने फिर बदमाशी शुरू कर दी,अरविन्द बेचारा नया लौंडा ,
पहली बार लंड को चूत का स्वाद मिला था, वो भी इतनी खेली खायी मारे खुशी के फूल रहा था, ...
चाची चढ़ी हुयी थीं कस के दबोच रखा था, ... और अब उनकी बुर ने लंड को भींचना शुरू किया, पहले धीरे धीरे, फिर कस कस के , जैसे हाथ में पकड़ के निचोड़ रही हों,... और फिर थोड़ी सी ढीली कर के दुबारा कस के, लौंडे की हालत ख़राब,...
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चाची को बचपन से लौंडों की और लौंड़ा दोनों की सही पहचान थी, वो समझ गयी थीं, अरविन्द का मुट्ठ मारते ही , ये लम्बी रेस का घोडा है,...
और तब भी उन्होंने जान बूझ के एक बार इसी लिए झाड़ दिया था की नया लौंडा,... कहीं पहली बार बुर की गर्मी बर्दास्त न कर पाए और जल्द पिघल जाए,... और एक बार झड़ जाए तो दूसरी बार तो कोई भी ज्यादा टाइम लेता है और ये अरविन्द तो जबरदस्त लग रहा था , पकड़ने में भी घोंटने में भी ,
लेकिन दो चार तंग करने के बाद , एक बार तो पूरा बांस उन्होंने घोंट ही लिया था था ,
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अब चाची ने ऊपर से कस कस के धक्के लगाने शुरू कर दिए , कभी कमर धीरे धीरे उठातीं, , और सुपाड़े को कस के अपने भोंसडे में दबा दबा के लौंडे को इस रस का नशा देतीं और फिर एक झटके में पूरा का पूरा ८ इंच अंदर
गप्प,
और थोड़ी देर में , नीचे से लौंडे ने भी धक्के ;लगाने शुरू कर दिए , ताकत बहुत थी उसकी कमर में , खाली सीखने की जरूरत थी ,और चाची से तगड़ी गुरआनी कहाँ मिलतीं ,
अब धक्के दोनों ओर से बराबर लग रहे थे , चाची ने पैंतरा बदला,... कस के लंड को एक बार फिर से बुर में भींचा, दोनों हाथ उसकी पीठ पे लगाई कस के जकड़ा और पलटा खाया ,
अबअरविन्द ऊपर, चाची नीचे ,... और लंड उसी तरह पूरा का पूरा अंदर धंसा,...
चटनी नहीं..... मलाई चटा दी....Chachi ne to arivind ko chandni rat chatni chata di. Bahot jabardast maza aa gaya. Hame to chhutki or komliya ka untjar he.
ये ठुकाई के बीच में डायलोग... मजा आ गया...धककम धुक्का हुआ
अब वो ऊपर, चाची नीचे ,... और लंड उसी तरह पूरा का पूरा अंदर धंसा,...
" चल पेल , चोद, मादरचोद,... पूरी ताकत से धक्का मार ,... " नीचे से चाची ने ललकारा। और ऊपर से धक्के लगने शुरू हो गए, ...
लेकिन चाची को थोड़ी देर में सिखाना पड़ा , उसने शुरू से ही चौथे गियर में गाड़ी चलाना शुरू कर दिया,...
" अरे इतनी जल्दी काहें है , मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ , अरे कोई नयी लौंडिया भी होगी न एक बार पूरा लंड खा लेगी तो कहीं नहीं भागेगी , चूतड़ उठा उठा के,... घोंटेंगी, अरे मजे ले ले के आराम आराम से चोदो,... "
और खींच के उसका एक हाथ अपनी बड़ी बड़ी चूँची पे रख लिया , जिसे देख के हरदम ये अरविंदवा बौराया रहता था,
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अब एक बार फिर दोनों ओर से आराम से धक्के लग रहे थे , और बीच में वो उसे चिढ़ाती भी थीं,...
" कभी मेरी जेठानी की, अरविंदवा अपनी माँ की भी चूँची दबा के देख ले , मेरे ऐसी ही वो भी जबरदस्त हैं, अरे बुरा नहीं मानेगीं , जवान लौंडा है ,...खूब मजे ले ले के मिजवाएंगी,... स्साले मादरचोद, मुझसे का सरम बोल करता है न तेरा मन माँ की बड़ी बड़ी चूँची देख के,... अरे तो इसमें गलत क्या है, मस्त माल देख के तो मन बौराता ही है। " "
और बस ऊपर से उसके धक्कों की रफ़्तार बढ़ जाती थी , कस के दोनों चूँची मसलते हुए वो तेजी से धक्के मारता था की,...
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और नीचे से चाची और,...
" हाँ , मादरचोद हाँ , चोद , ऐसे ही मादरचोद, अरे ऐसे ही चोदोगे तो तेरी माँ भी तुझसे,... पेल और कस के
कम से कम पंद्रह बीस मिनट जबरदस्त चुदाई के बाद ही अरविन्द झड़ा ,....
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और चाची भी साथ साथ,...
वो बाहर निकालना चाहता था लेकिन उन्होंने उसे निकालने नहीं दिया , कस के भींच रखा था,... दोनों हाथों से पैरों से , और हड़काया समझाया अलग से,...
" स्साले, मादरचोद,... कभी भी झड़ते समय बाहर निकालने का मत सोचना, एकदम अंदर घुसा के सीधे बच्चेदानी में सटा के , इत्ता लंबा बांस है तेरा, जैसे झड़ने में तुझे मज़ा आता है, उसे तरह पानी घोंटने में लौंडियों को भी मजा आता है , उस समय कभी भी बाहर मत निकालना, तेरा भी मज़ा ख़तम उसका भी,... अरे आजकल चुदवाने से कोई लौंडिया गाभिन नहीं होती,... इतनी गोली आती है , ... "
वो देर तक झड़ता रहा ,... उसके बाद भी आधे घंटे तक दोनों चिपके रहे,...
उसके बाद भी रात में तीन बार और ,..सुबह तक चाची ने उसे पूरा निचोड़ लिया।
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एक दो दिन के लिया गया था वो , पूरे तीन दिन बाद आया और दर्जनों बार , दिन में भी किचेन में खाना बनाते समय भी,...
चाची ने न सिर्फ उससे चुदवाया, उसको चूत का चस्का लगाया, बल्कि चुदाई के सारे पाठ धीरे धीरे पढ़ाये, एक एक करके, प्रैक्टिकल इम्तहान भी लिया,
लेकिन अरविन्द पढ़ाई में बहुत तेज था,... सीखने में भी और पहले दिन में ही काफी कुछ सीख गया, दूसरे दिन से तो मुकाबला बराबरी का होता और तीसरे दिन तो चाची जान बूझ के उसे तड़पाती मना करतीं, तो जबरदस्ती चढ़ के चोद देता,
देह में ताकत तो बहुत थी अरविन्द के औजार भी गज़ब का था और ये सब चाची को अंदाज था इसलिए ही उस खिलौने को बहला के फुसला के उसकी माँ को पटा के,... अखाड़े में रोज जाता था वो गांव के, कुश्ती के दांव पेंच सीखने, एक पुराने पहलवान गुरु भी थे, और अब चाची ने बिस्तर के अखाड़े के गुर भी उसे सिखा दिए,.. गाँव में डंड पेलने में सब लौंडो पे वो भारी पड़ता था, कभी बाजी लगती,... १०० -१५० तो रोज,... और अब चाची के अखाड़े में सीख के लंड पेलने में भी वो माहिर हो गया,...
चाची के साथ पहलवानी के दांव-पेंच सीख कर .. जबरदस्त माहिर हो गया है...गीता क भाई / यार, अरविन्द हुआ पक्का
देह में ताकत तो बहुत थी अरविन्द के औजार भी गज़ब का था और ये सब चाची को अंदाज था इसलिए ही उस खिलौने को बहला के फुसला के उसकी माँ को पटा के,...
अखाड़े में रोज जाता था वो गांव के, कुश्ती के दांव पेंच सीखने, एक पुराने पहलवान गुरु भी थे,
और अब चाची ने बिस्तर के अखाड़े के गुर भी उसे सिखा दिए,.. गाँव में डंड पेलने में सब लौंडो पे वो भारी पड़ता था, कभी बाजी लगती,... १०० -१५० तो रोज,... और अब चाची के अखाड़े में सीख के लंड पेलने में भी वो माहिर हो गया,...
एक एक चीज चाची ने पहले बोल के, फिर कर, फिर उससे करवा के, ... चुम्मा लेने से लेकर,... और वो भी किस उमर की औरत से,..जैसे साक्षात् कोका पंडित स्त्री का रूप धर के उसे सिखाने आ गए हों,...
" अगर कच्ची उमर वाली हो, पटानी हो तो पहले चुम्मा हवा में ले के उसकी ओर उछाल के,...
अगर वो शर्मा जाए, लेकिन फिर दुबारा तेरी ओर देखने लगे,... तो समझ ले देगी जरूर गरमा रही है,.. और मिलने पे पहला चुम्मा खूब हलके से बस होंठों से होंठों को छुला के , ..
अच्छा उसे भी लगेगा लेकिन लौंडिया स्साली बिना नखड़े के देती नहीं है , वो मुंह हटाने की कोशिश करेगी ना तो बस दोनों हाथों से सर को पकड़ ले, ...
जैसे ही उसके होंठ हिलें मतलब स्साली को मज़ा आ रहा है, फिर तो चुम्मी कस कस, और अगर शादी शुदा हो, चाहे नहीं नयी ब्याही भाभी हो कोई खेली खायी,.... तो सीधे चुम्मा,...
और उसके बाद दोनों होठों को अपने होंठों में दबा के चूस कस के और मौका मिलते ही जीभ अंदर , चूसा स्साली को,लंड अंदर घोंटेंगी तो जीभ लेने में क्या,...
चोदते समय तो जरूर ऐसे मुंह में जीभ डाल के चुसवाना, .... दो चार बार ऐसे कर लेगी तो उस किस सारी शरम लिहाज उसकी माँ के भोंसडे में घुस जायेगी,... "
और चुम्मा ले के खुद मरद बन के उन्होंने सिखाया, फिर अपने ऊपर अरविन्द को खींच के बोला अब तू ले , कुछ देर में ही वो एकदम सीख के पक्का,...
लेकिन असली पाठ पढ़ाया उन्होंने जोबना का,...
लड़कियां कैसे अपने दुपट्टों से कभी ढंक के कभी हटा के इशारा करती हैं,...
औरतें आँचल लहरा के गिरा के, झुका के,... मतलब समझ ले वो पट जायेगी, बस थोड़ी मेहनत की जरूरत है,... और एक बार जोबन मुट्ठी में आ जाएँ तो बस ,... वो वो ट्रिक सिखाई उन्होंने की बड़ी से बड़ी सीधी बनने वाली , टाँगे खोल दे,... सीधे दबाने मत लग जाना,... हलके हलके बहुत हलके से सहलाना, फिर ऊँगली की टिप से नीचे से ऊपर तक,
निपल तो खबरदार पहले दस मिनट छूना नहीं, जब निपल एकदम खड़े हो जाएँ टनटना जाएँ मतलब कस के गरमा गयी है तब भी , फिर सिर्फ ऊँगली की टिप से निप की टिप जैसे गलती से हाथ लग गया है,...
लेकिन एक बार पेलना शुरू कर दो, फिर तो कस के निप चूसो, ख़ास के अगर बहुत चोकर रही हो झिल्ली फटने के बाद, या एक बार झड़ गयी हो गरमाना हो उसे,... तो निपल से तगड़ी कोई बटन नहीं है,...
पहली बार निहुरा के उन्होंने चाची को रसोई में ही पेला,... चाची कभी बेलना दिखा के उसकी माँ बहिन गरिया के उसे गरमा रही थीं , तो कभी झुक के जोबना की झलक दिखातीं , साडी भी उन्होंने ऐसी बाँध रखी थी की अंदर का नजारा पूरा दिखता,... और खुद उससे बोलीं , मुन्ना बहुत तेज तेरा खड़ा है , लेकिन यहाँ लेटने का तो और रसोई की पटनी पकड़ के निहुर गयीं,
बस गाँव का लड़का, कितनी बात कातिक में कुतिया के पीछे कुत्ते को , बछिया के ऊपर सांड़ को चढ़ते देखा था, तो बस अरविन्द,.. साड़ी तो चाची ने खुद ही कमर तक समेट ली थी और ब्लाउज के बटन खोल लिए थे,... वो भी पीछे से , ... हाँ एक बार पीछे हाथ कर के खुद सेट किया चाची ने अरविन्द का खूंटा मुहाने पे,.. बस उसके बाद क्या करारा धक्का मारा उस जवान लौंडे ने, चाची के भोंसडे में भी परपराहट होने लगी, उन्हें गौने की रात याद आ गयी,
और फिर तो दोनों चाची की बड़ी बड़ी चूँचिया पकड़ के, रसोई में ही धक्के पे धक्के, आठ दस धक्के में ही लंड बच्चेदानी पे ठोकर मारने लगा,.. उसी बच्चेदानी पे जहाँ से वो एक बिटीया निकाल चुकी थीं , अरविन्द से थोड़ी ही उमर में छोटी, गीता से बड़ी अरविन्द से छोटी,... चाची को बहुत दिन बाद जवान लौंडे से चुदवाने का मजा आ रहा था, वो भी इतने मस्त और मोटे लंड वाला,...
कुछ देर तो चाची ने अरविन्द को खुल के चोदने दिया, अब वो अच्छी तरह से सीख गया था,
जिस लौंडिया पे एक बार चढ़ जाएगा दुबारा खुद उसके गोड़ जोड़ेंगी, टांग फैला के खड़ी रहेगी,...
और चाची ने भी मजे लेना शुरू किया कभी उसके मोटे खूंटे को अपनी बिल में निचोड़ लेती तो कभी खुद उसके हर धक्के का जवाब धक्के से देतीं,... कभी गोल गोल अपने बड़े बड़े चूतड़ घुमाती,... और अरविन्द का हाथ उन्होंने खुद खींच के अपनी बुर के बीच सीधे क्लिट पे औरतें झड़ने के नजदीक पहुँच के भी नहीं झड़ती लेकिन क्लिट छूते ही भरभरा के झड़ जाती हैं ,... चाची के साथ ये भी हुआ और थोड़ी देर बाद अरविन्द ने भी अपनी मलाई चाची की बुर में निकाल दी।
सिर्फ चुदाई हीं नहीं... लड़की पटाने के गुर में भी एक नंबर बनाएंगी...अरविन्द की ट्रेनिंग
पहले दिन तो दो तीन बार चाची ने खुद ऊपर चढ़ के, उसके बाद पलटी मार के वो अरविन्द को ऊपर कर देतीं और वो हचक हचक की धक्के मारता,...
लेकिन उसके बाद अरविन्द खुद ही ऊपर चढ़ के चोदने लगा,... रसोई में निहुराने के बाद,...
तो अरविन्द को उस पोज में चोदने का मजा आने लगा, धक्के भी खूब खुल के लगते, दोनों बड़े बड़े जोबन कस के दबाने का मसलने का मजा अलग,..
लेकिन चाची तो पहली बार में ही अरविन्द को जबरदस्त चुदककड़ बना देना चाहती थीं, गोद में बैठ के कभी उस की ओर पीठ कर के कभी मुंह के , धीमे धीमे उस का लंड वो घोंट लेती और खुद थोड़ी देर बाद धक्के के बाद अरविन्द कमान सम्हाल लेता और बैठे बैठे ऐसे हचक के चोदता की चाची को दिन में भी तारे दिखने लगते,..
एक दो बार तो खड़े खड़े भी,
लेकिन मस्ती के साथ चाची ने उसे कुछ ज्ञान की बातें बताई,
पहली बात तो ये बात कभी मत मानना की अगर लड़की नहीं करती है तो उसका मतलब शायद होता है,....
नहीं का मतलब सिर्फ नहीं होता है और अगर लड़की इशारे से भी नहीं करे तो उसे छूना भी नहीं,... बल्कि शायद का भी मतलब हां नहीं होता है,... शायद का मतलब भी नहीं ही मानना, जबतक इशारे से देह से मुस्करा के हां न बोल दे,
चुदाई का मजा तभी है जब तुझसे ज्यादा मज़ा उसे मिले,... जरा भी जबरदस्ती हो उसका मन नहीं कर रहा हो तो करने का मतलब नहीं।
इसलिए असली मजा पटाने का और पट गयी तो उसे मस्त कर के गीली करने का है जब वो खुद टाँगे फैला के तेरा पकड़ के अपनी ओर खींचे,... और कभी भी पहले मत झड़ना , और लड़की खास तौर से औरतें कभी भी चोदने से नहीं झड़ती , दस में दो चार ही होंगी जो चुद के झड़ जाएँ,
और इस चक्कर में तेरे पास सिर्फ एक अंग है , तेरी उँगलियाँ, होंठ, आँखे जुबान,... और सब का इस्तेमाल कर के उसे झाड़ो,...
चाची ने अरविन्द को चूत चूसने में जीभ से चूत चोदने में, क्लिट सहला के झाडने में पक्का कर दिया।
तीसरी रात तो चाची ने जैसे सुहागरात की रात हो,... नहीं सजी धजी नहीं लेकिन उस रात सब कुछ अरविन्द को ही करना पड़ा गरम करने से लेकर,..
और हर बार ऊपर चढ़ के ही ,
हाँ सुबह सबेरे एक बार निहुरा के भी , पूरी रात ,... चार बार और सुबह पांचवी बार निहुरा के
तीन दिन में वो एकदम सीख के पक्का हो गया था।