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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Random2022

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भाग २५

छोटा देवर - कैसे उतरी नथ चुन्नू की



stick smileys



तो बस, मैंने देवर से वही कहा था, ...
" जब तक देवरानी नहीं आती, ... "

मेरी बात पूरी होने के पहले ही उसके मुंह से कौन निकल गया और मैंने जोर से हड़का लिया,

" देवरानी मेरी है की तुम्हारी, ... तुमसे मतलब कौन होगी मेरी देवरानी, तेरी आँख में पट्टी बाँध के ले जाउंगी, बियाह के अपनी देवरानी ले आउंगी, ... हाँ उसके बाद तोहरे हवाले ,... फिर कर लेना अपने मन की,... लेकिन ले मैं ही आउंगी और जल्द ही , समझ लो "....



stick smileys

और उसके बाद मैं मंजू भाभी की ओर मुड़ चली , वहां भी एक किशोर देवर, एक कच्चा केला इन्तजार कर रहा था।

मेरी आँखों में उस कच्चे केले की तस्वीर घूम रही थी, और मन में पक्का इरादा, कैसे पटक के लेनी है आज उसकी। मैं जान रही थी, सीधे से तो नहीं हाथ डालने देने वाला है,थोड़ा बहलाना फुसलाना और नहीं मानेगा तो फिर जबरदस्ती, जो हालत जस्ट जवान हो रही लड़कियों की होती है, उन्हें ये तो मालुम हो जाता है की इस नए नए आ रहे जोबन के कदरदान कितने हैं, लेकिन जुबना लुटाने में जो मज़ा है वो उन्हें नहीं पता होता, बस यही हालत कच्चे केलों की होती हैं, ख़ास तौर से सीधे साधे, किताबों में सर छुपाने वाले लेकिन तिरछी नजर से लड़कियों को देखने वाले होते हैं,...



मंजू भाभी मेरा ही इन्तजार कर रही थीं, और उन्होंने अपने देवर का हाल चाल बता दिया,...



" चुन्नू ऊपर अपने कमरे में ही है , लेकिन मुंह फुलाये, मुझसे भी गुस्सा,... बोल दिया है उसने होली नहीं खेलनी उसे , और दरवाजा भी अंदर से बंद कर दिया है, बोल रखा है दरवाजा नहीं खोलेगा चाहे जो हो जाए,... "



stick smileys

सीढ़ी पर चढ़ते हुए मैंने मंजू भाभी से बोला,..

" आज तो सब कुछ खुलेगा उसका, जो ननद देवर , दरवाजे में सात तालें डालकर बैठतीं है न हम भौजाइयों का काम तो वहीँ डाका डालना है,... "


मंजू भाभी के यहाँ सब भाभियों का जमावड़ा होना था, .. पर मैं उसके पौन घंटे पहले ही आ गयी ,

आज मुझे अपने कुंवारे देवर की नथ जो उतारनी थी, ... जो इतना नखड़ा कर रहा है न ये लौंडा , बस आज एक बार ह्च्चक के मैं चोद दूँ उसे , आठ दस बार में चोद चोद कर उसे चूत का ऐसा चस्का लगा दूंगी, फिर किसी के हवाले,...

और उसके बाद तो मेरी किसी ननद को, गाँव की किसी लड़की को बिन चोदे छोड़ेगा नहीं, औजार तो अच्छा खासा है, कल ही मैंने पकड़ के , मुट्ठ मार के, पानी निकाल के मशीन टेस्ट कर ली थी. मशीन तो ठीक ठाक है बस थोड़ी सी ट्रेनिंग , और जबरदस्त चोदू बना दूंगी

और चोदेगा किसे अपनी बहनों को।

मैं सीढ़ी चढ़कर ऊपर,

अभी एक ब्रम्हचारी देवर का ब्रम्हचर्य तोड़ के आ रही थी और अब एक कुंवारे शरमीले को चूत का ऐसा चस्का लगाना था की शरम झिझक छोड़ के, गाँव की सब लड़कियों की चूत के पीछे, ( गाँव के रिश्ते से तो सब उसकी बहन ही लगेंगी, बहनचोद देवर )

दरवाजा सच में बंद था,

और मेरे आने की आहट पाके, बिना मेरे कुछ कहे , दरवाजा खटखटाये अंदर से कच्चे केले की आवाज आयी,...

' नहीं, मुझे होली नहीं खेलनी है, रंग नहीं,... "



उसकी बात काटती हुयी अपनी आवाज में शहद घोल के बहुत प्यार से मैं बोली,...


" अरे देवर जी तो मत खेलना न , मैं खेल लूंगी अपने देवर से, और रंग रम चुपचाप डलवा लेना "

एक पल चुप रहने के बाद फिर अंदर से आवाज आयी,

" नहीं भाभी, नहीं मैं नहीं खेलूंगा "

और मैंने गियर चेंज किया अपने रूप में आयी,... उसे हड़काया,



" हे खोल दो सीधे से , अरे देवर जी, तेरी गाँड़ नहीं मारूंगी, पक्का कम से कम आज, बस खाली थोड़ा सा चिकने चिकने गोरे गालों पे,... "



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दरवाजे पर मैंने हाथ लगा के देख लिया था, सिटकनी बंद तो थी लेकिन बस हलके से फंसा दिया गया था यानी अगर कोई बाहर से सच में दरवज्जा खोलना चाहे तो खोल ले , ... मन उसका भी कर रहा था लेकिन, बस हिचक रहा था, ये स्साले नयी उम्र के लौंडे न , कच्ची कलियों से ज्यादा भाव खाते हैं, ऐसे चिकने कमसिन लौंडों की तो बिना गाँड़ मारे छोड़ना एकदम पाप है।

छत पर ये अकेला कमरा था,... छत बहुत बड़ी थी, वहां से तो आधा गाँव, वो बाग़ जहाँ कल मेरी छोटी बहन की बड़ी बेरहमी से कच्ची गाँड़ नन्दोई जी ने कूटी थी, दूर दूर तक फैले खेत सब कुछ,...




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दिखता था लेकिन छत पर पर बहुत ऊँची मुंडेर थी, मेरे सीने से भी ऊँची,... तो दूर से भी छत पर का कुछ नहीं दिख सकता था,


नीचे से आने वाली सीढ़ी पर भी दरवाजा था, पहले तो मैंने उसे बंद किया,कस के सांकल लगाई,...अब नीचे से कोई ऊपर नहीं आ सकता था और मैं इस स्साले लौंडे की खुल के प्यार से ले सकती थी, ... और फिर चुन्नू के दरवाजे को हलके से पहले अपनी ओर खींचा, फिर एक झटके से पुश किया, दरवाजा खुल गया।आराम से अंदर घुस के मैंने पहले मुड़ के मैंने अबकी दरवाजा अच्छे से बंद किया , सिटकनी भी चुन्नू को दिखाते हुए अबकी ठीक से फंसा कर बंद किया।



वो बेचारा,..

स्साला, जैसे किसी चूहे की बिल में बिल्ली अंदर धंस जाए उसकी लेने के लिए,.. तो उसकी जैसे फटती होगी, बस यही हालत उसकी हो रही होगी,...
Abhi uski fati h ,fadega bhi
 

motaalund

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बहन भाई की मस्ती



उसके भैया ने कैसे पहली बार चुदाई का पाठ पढ़ा था , वो अपनी चाची के साथ,...ये सुन के गीता भी गरमा गयी , भैया से चिपक के बोली,...

" भैया, कर न ,...


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कस के उसे दुबका के , गालों पर मीठा सा चुम्मा लेते हुए चिढ़ाते हुए अरविन्द बोला,

" क्या करूँ मेरे बहना, बोल न। "

वो तुनक गयी, और समझ गयी उसका भइया उससे क्या सुनना चाहता है, और अब वो भी अपने भैया से कम नहीं थी, झिड़क के गीता बोली,

" मादरचोद, चल अपनी बहिन को चोद, बहिनचोद। "




बस यही तो वो सुनना चाहता था , अगले ही पल गीता की दोनों टाँगे उसके कंधे पर उसके दोनों छोटे छोटे जोबन उसके हाथों में और वो करारा धक्का मारा की,...



" उईईईईई , उईईईईई ओह्ह्ह्हह उफ्फफ्फ्फ़ " गीता जोर से चीखी , और कस के भाई को दबोच लिया, और गरियाते बोली,...

" साले, एक बार में पूरा पेलना जरूरी था क्या,... "




" अरे मेरी बहना, अभी तो आधा भी नहीं गया है , आज तो सारी रात चुदेगी,... और इसी तरह,... "

दूसरा धक्का पहले से भी करारा,... २४ घण्टे भी नहीं हुए थे उसकी नथ उतरे, झिल्ली फटे और ये मोटा मूसल,...

उफ्फ्फ्फ़ उईईईईई , ... गीता जोर जोर से चीख रही थी , लेकिन जितना उसे दर्द हो रहा था , उतना ही उसे मज़ा आ रहा था,

और जैसे ही सुपाड़े ने बच्चेदानी पे चोट मारी,... गीता दो फीट उछली, दर्द से नहीं मजे से,... और कस के भाई को भींच लिया,...




" भैया तू दुनिया का बेस्ट भाई है बल्कि बेस्टेस्ट,... कोई भाई अपनी बहन को ऐसे प्यार नहीं करता होगा, जैसे तू करता है , एकदम मस्त "

थोड़ी देर दोनों ऐसे ही पड़े रहे , कपडे तो कब के जमीन पर पहुँच चुके थे,...

और आज बादल भी नहीं था चाँद को रोकने वाला , तो चटक चांदनी पूरी तरह से कमरे में फैली वो दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह देख रहे थे , कमरे का दरवाजा भी फटाक खुला था , माँ दस दिन बाद ही आने वाली थी,




सावन के झूले की तरह बारी बारी से दोनों पेंग मारते प्रेम के झूले पे झूल रहे थे , पर पहले गीता ही


उसका भाई था ही इतना खिलाड़ी सिर्फ औजार उसका सबसे २२ नहीं था , उसका इस्तेमाल करने का तरीका , और उसके साथ साथ होंठों , उंगलिया , ...


पहली बार जब गीता झड़ी , तो वो धक्के मार , पूरा लंड बहन की बुर में पेल के रुक गया था, एकदम ठूंसा हुआ , मुश्किल से जैसे अंदर समाया हो और लंड की जड़ से क्लिट को रगड़ रगड़ के , रगड़ के,... और साथ में एक निप उसके होंठों के बीच दूसरा उँगलियों के बीच,



वो झड़ती रही , वो रुका नहीं ,...


पर जैसे ही बहन का झड़ना रुका,...

चल घोड़ी बन,...


बहन अब तक इतना सीख गयी थी , तुरंत निहुर के ,...




और अबकी तो धक्के सिर्फ बिस्तर को नहीं कमरे को हिला रहे थे,... थोड़ी देर में दोनों साथ गिरे,... और थके बिस्तर पर पड़े रहे

एक दूसरे की बाँहों में पसीने से लथ पथ, थके,...

लेकिन थोड़ी देर में गीता ने धीमे से उसके कान में बोला,..



" भैया,.. "




" बोल न,... "



" चल चाची की सबसे पहले तूने ली , दो साल पहले,... लेकिन किसी ऐसे के साथ जिसके साथ किसी ने न किया है ,... मतलब ,... मतलब झिल्ली पहले , सबसे पहले कब, किसकी फाड़ी "

" तू भी न चल बता देता हूँ , साल भर से ज्यादा , वो ,... " और उसने हाल खुलासा सुनाना शुरू कर दिया।

अरे तू जानती होगी, फूलवा, जो अपने यहाँ,.... उसकी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की गीता बीच में बोल पड़ी,...

" हाँ, हाँ अच्छी तरह,... खूब गोरी सी थी, मुस्कराती रहती थी, डेढ़ साल तो हो गया उसको गौने गए,... घासवाली न, अपने यहाँ भी तो आती थी, घास काटने,... वही क्या,... "




" हाँ, लेकिन अब बीच में मत बोलना,... " और भाई ने पहली कुँवारी पर चढ़ाई का किस्सा शुरू कर दिया,...


और यह दोनों, गीता और अरविन्द, बहन भाई तो थे ही, सहोदर, सगे, एक माँ के जन्मे,... देह के स्तर पर अब एक दुसरे के आनंद के कारक, सम्पूरक, स्त्री और पुरुष, सब बंधनों से ऊपर,... और उस के साथ ही साथ विश्वास का एक नया सेतु भी,... दोनों ही काम को किसी गिल्ट या अपराध बोध से जोड़ कर नहीं देख रहे थे , वह कृत्य जो न सिर्फ मानव जाति में बल्कि, सभी जीवों में जिनमे पादप भी शामिल है, अपनी अपनी जींस को, जाती को बनाये रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कृत्य है, वह गलत कैसे हो सकता है, पाप से कैसे जुड़ सकता है? पौधों में भी फूल खिलते हैं, परागण के लिए ही, अपने अंदर उस परिमल को संजोये जो एक फूल से हजार फूल जन्मने की इच्छा और क्षमता दोनों रखता है।

यह विश्वास ही था की बिना किसी सेन्स ऑफ़ गिल्ट के अरविन्द ने चाची का पूरा किस्सा गीता को सुनाया, ... और गीता ने भी बिना कुछ बुरा माने, मन ही मन अपने भाई के बारे में कोई राय बनाये, कोई फैसला लिए, उससे बड़े ही भोलेपन से उसके उस अनुभव के बारे में भी पूछ लिया की कैसे किसी कन्या का कौमार्य भंग कर उसके भाई ने उस कन्या को सहारा देकर युवा होने की चोखट पार कराई। और उसके भाई अरविन्द ने उसी भाव से उसे बताया, न तो रस ले ले कर , न ही किसी विजय के अहम से,... बल्कि एकदम मैटर ऑफ़ फैक्ट की तरह,...


अब उनके संबध शायद संबंधो की परिभाषा के आगे निकल गए थे पर वह उस विश्वास पर टिके थे, जिसकी अक्सर हम सिर्फ कामना कर सकते हैं,
संगीतवा का एक-एक डायलोग ... नौ-लखे से बढ़ कर...
क्या मस्त ... गारी दे-देकर ... उकसा-उकसा कर...

और लास्ट के दो पैराग्राफ ... सृष्टि के नियम ... जो सामाजिक नियमों से भिन्न हैं... और जो सभी प्राणी जगत में विद्यमान है...
यही प्रसंग और विविधता इस कहानी को एक अलग जमात में खड़ा कर देते हैं...
 

Shetan

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एकदम एक्सपर्ट बना दिया...
Chachi puri 420 he.
 

motaalund

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Ye padhne me bhi maza aa raha he. Is story me muje sabse jyada komaliya or chhutki ka apas me pyar or apne jiija se chhutki ki nath utarai bahot pasand aai. Me intjar karungi. Komal ka chhutki ko sahelana or dono baheno ki badmashiya
अभी तो छुटकी कहानी सुन रही है....
लेकिन मेन हिरोइन का तो बेसब्री से इंतजार रहेगा....
 
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motaalund

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Ab chandu ko apne takkar bhi bhabhi mili hai , bus talwar baaji sikhni hai
अरे चंदू... अखाड़े में बहुत दंड पेल चुका है....
 

motaalund

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Yeh

Yeh Chandu to Komal ji se 20 nikal, pehle baar komal ji ko achhi takkar ka mila hai koi. Tethar kar diya
इस खेल में टक्कर का हीं खिलाड़ी होना चाहिए...
कोई एक कमजोर हो तो मजा नहीं आता...
 
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