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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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अग्निशमन यंत्र (Fire extinguisher) तगड़ा है....
लगी आग को बुझा कर हीं निकलता है....
Ekdam sahi kaha aapne tabhi bhoot Chandu ke aage Chillane lagti hain lekin aaj Holi ke mauke pe unki Bhauji hi saamne hai aur DEVAR ko phir se Brhamchari se jivan ka rs lene vaala bahna rhi hain
 

komaalrani

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komaalrani

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कहानी के साथ न्याय करने के लिए समय की दरकार होती है....
अच्छी क्वालिटी के लिए एक साथ कई कहानियों की शुरुआत... इसमें बाधा डाल सकती है...
एकदम सही कहा आपने, और बनारस वाली कहानी का मिज़ाज भी जैसा की आपने झलकियों से देखा होगा एकदम अलग है,... इसलिए उसे तो ये कहानी ख़त्म होने पे ही शुरू कर पाउंगी।
 

Shetan

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Random2022

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वो बेचारा,..



stick smileys


दरवाजे पर मैंने हाथ लगा के देख लिया था, सिटकनी बंद तो थी लेकिन बस हलके से फंसा दिया गया था यानी अगर कोई बाहर से सच में दरवज्जा खोलना चाहे तो खोल ले , ... मन उसका भी कर रहा था लेकिन, बस हिचक रहा था, ये स्साले नयी उम्र के लौंडे न , कच्ची कलियों से ज्यादा भाव खाते हैं, ऐसे चिकने कमसिन लौंडों की तो बिना गाँड़ मारे छोड़ना एकदम पाप है।

छत पर ये अकेला कमरा था,... छत बहुत बड़ी थी, वहां से तो आधा गाँव, वो बाग़ जहाँ कल मेरी छोटी बहन की बड़ी बेरहमी से कच्ची गाँड़ नन्दोई जी ने कूटी थी, दूर दूर तक फैले खेत सब कुछ,... दिखता था लेकिन छत पर पर बहुत ऊँची मुंडेर थी, मेरे सीने से भी ऊँची,... तो दूर से भी छत पर का कुछ नहीं दिख सकता था,


नीचे से आने वाली सीढ़ी पर भी दरवाजा था, पहले तो मैंने उसे बंद किया,कस के सांकल लगाई,...अब नीचे से कोई ऊपर नहीं आ सकता था और मैं इस स्साले लौंडे की खुल के प्यार से ले सकती थी, ... और फिर चुन्नू के दरवाजे को हलके से पहले अपनी ओर खींचा, फिर एक झटके से पुश किया, दरवाजा खुल गया।

आराम से अंदर घुस के मैंने पहले मुड़ के मैंने अबकी दरवाजा अच्छे से बंद किया , सिटकनी भी चुन्नू को दिखाते हुए अबकी ठीक से फंसा कर बंद किया।

वो बेचारा,..

स्साला, जैसे किसी चूहे की बिल में बिल्ली अंदर धंस जाए उसकी लेने के लिए,.. तो उसकी जैसे फटती होगी, बस यही हालत उसकी हो रही होगी,...

लेकिन मेरी हालत,... खूब गोरा चिकना, अभी रेख भी ठीक से नहीं आनी शुरू हुयी थी, आवाज बस फूट ही रही थी,... एकदम कमसिन लौंडा,... लेकिन कल मैं चेक कर चुकी थी उसकी मशीन, पकड़ के दबा के , साइज ठीक ठाक थी साढ़े पांच , छह इंच तो होगा ही,.. पानी भी काफी निकला था और सबसे बड़ी बात छूते ही खड़ा हो गया था और कड़ा भी कितना, खूब देर तक,... मैंने जोर जोर से कल मुठियाया था देर तक, और जरा भी ढीला नहीं, पानी फेंकने के बाद भी एकदम कड़ा ,...


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मेरी चूत पनिया रही थी, बस मैं अपने को रोक नहीं पा रही थी , जोबन भी पथरा रहे थे, ... निप्स कंचे ऐसे कड़े हो रहे थे,...चोली फाड़ती चूँचियाँ जब देखने पे ये हालत थी तो स्साले गांडू की लेने में कितना मज़ा आएगा,...


मैंने आराम से कोंछे सेसब रंग की पुड़िया, पेण्ट की ट्यूब , कड़ाही के पेंदे की कालिख,... उसकी मेज पर उसे दिखाते रखी,... मेरी निगाह उसी पर गड़ी थी, इत्ता मस्त माल लग रहा था, बस एक सफ़ेद बिना बांह वाली बनियाइन और सफ़ेद शार्ट,... और उसके अंदर आलरेडी सुनगुन शुरू हो गयी थी,... उसका शेप साइज सब साफ़ साफ़ नजर आ रहा था,

बस मन कर रहा था खोल के स्साले का गप्प से मुंह में ले लूँ ,...

रंग वंग निकाल के बस मैंने अपना आँचल ढीला किया और अपनी पतली कमर में लपेट लिया



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मेरी खूब टाइट तनी तनी चोली में जोबन का कड़ाव, कटाव गहराई अब सब साफ़ साफ़ दिख रहे थे, गाँव में चड्ढी बनियान पहनने का चलन तो था नहीं , तो बस चोली के नीचे चोली फाड़ती चूँचियाँ ही थीं,


और मेरे जोबन देख के तो बुड्डो पर वियाग्रा की डबल डोज से ज्यादा असर होता था और यहां इस चिकने की जवानी तो अभी छनछना रही थी। साड़ी भी मैंने कूल्हे के सहारे खूब नीचे बाँधी थी , तो गोरा चिकना पेट , गहरी नाभि सब साफ़ साफ़ दिख रहा था और उसका असर भी उसके शॉर्ट्स के अंदर अब साफ़ साफ दिख रहा था और गहरी सांसों पर भी,...



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मुझे देख के मजा आ रहा था , बस मैं उसके बगल में जा के बैठ गयी और उसके चिकने गाल ऊँगली से छूते सहराते बोली,



"रज्जा मेरे डलवाने से इत्ता डरते काहें हो, खूब आराम आराम से डालूंगी, ... रगड़ रगड़ के ,... "

और उसके गाल पर एक चुम्मा ले लिया ,



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वो सनसना गया ,... और मैं गिनगीना गयी,



देवर भाभी की होली शुरू हो गयी थी। अगला नंबर था उसे टॉपलेस करने का और बिना किसी झगड़ा झंझट के जब तक वो समझ मेरे दोनों हाथों ने उसकी छोटी सी बनयाइन उतार कर कमरे के दूसरे ओर फेंक दिया, स्साला इत्ता मस्त लग रहा था , खूब गोरा चिकना,... रेख भी अभी ठीक से नहीं आयी थी तो सीने पर बाल होने का सवाल ही नहीं था , कांखों में भी बस भूरे भूरे बाल आने शुरू ही हुए थे,...

क्या कोई लड़की शरमाती टॉपलेस होने पर जिस तरह वो शरमाया, और जितना वो लजाता उतना ही मैं पनिया रही थी,...

'अच्छा चल मैं भी अपनी साड़ी उतार देती हूँ , बल्कि तुम उतार दो,... : और साडी तो पहले ही मैंने पेटीकोट में बस बाँध रखी थी,... और उसका हाथ लगते ही,... मैं समझ गयी , इसको सिखाने पढ़ाने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा, जल्द ही अपनी बहनों की शलवार का नाड़ा खोलने लगेगा,... और मेरी साड़ी भी सररर,... सम्हालकर मैंने उसे बिस्तर पे रख दिया, और मैं खीँच के उसे कमरे के बीच में,



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" अरे पहले भौजी से गले तो मिल लो " और मैंने धृतराष्ट्र की तरह के अंगपाश में उसे कस के भींच लिया, मेरे चोली फाड़ते उभार कस कस के उस के सीने में रगड़ रहे थे, बरछी की तरह नुकीले निप्स छाती भेद रहे थे। और मेरे दोनों हाथ कस के उसे भींचे हुए जिससे मैं भी तम्बू में बम्बू की लम्बाई मोटाई भांप सकूँ,

खूब टनटना रहा था मेरे टीनेज देवर का, और मैंने भी जाँघे अपनी फैला के, दोनों जांघों के बीच, खुद सीधे सेंटर कर दिया और वो बेचारा अभी ग्राइंडिंग, ड्राई हंपिंग क्या जाने,... मैं खुद,... और एक हाथ से बगल की टेबल से कालिख उठा के,... एक हाथ में लगा के शार्ट में उसके पिछवाड़े,...

जब तक वो सम्हले उसका छोटा सा चूतड़ मुट्ठी में, और कालिख की परत दर परत, और एक ऊँगली दोनों नितम्बों के बीच में,...

एकदम मक्खन मलाई,...



मैं सोच रही थी जिस दिन ये किसी लौंडे बाज के हाथ पड़ा न , और मेरे मायके में तो एक से एक , बस कोई बहाना बना के इसे मायके ले जाउंगी और वहां तो दावत हो जायेगी,...

जैसे जैसे मैं चूतड़ उसके दबा रही थी,वो फड़फड़ा रहा था, ... जैसे किसी मुर्गे के पंख नोचे जा रहे हों तो बस वही हालत उस कुंवारे बिनचुदे देवर की भी हो रही थी,...



अभी तो चिकेन दो प्याजा बनना था,... छु मैं पीछे रही थी असर आगे पड़ रहा था, एकदम तना,... जैसे मेरी चोद कर रख देगा , और मैं तो खुद ही चुदवाने आये थी, आज मेरी चोदेगा कुछ दिन बाद अपनी बहनों की चोदेगा,... मुझे अपनी ननदों का हमेशा ख्याल रहता था,...

" हे भौजी बेईमानी, आप तो इत्ते रंग ले ले आयीं और मेरे पास कुछ नहीं,.. "



मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया इत्ती मस्त पिचकारी तो है और सफ़ेद रंग भी ,... लेकिन मैं उससे बोली ,



"अरे देवर रज्जा देवर भौजाई का कुछ बांटा है "


और उसने लाल रंग उठा लिया , बेचारे की हिम्मत नहीं पड़ रही थी चोली के भीतर घुसने की , लेकिन बिना चोली के अंदर घुसे देवर भौजाई की होली शुरू होती है न जीजा साली की,... वो नौसिखिया और मैंने खुद ही उसका हाथ पकड़ के , बटन भी एक दो ही बचे थे, कुछ टूटे कुछ खुले , वो हाथ हटा न ले , इसलिए मैंने खुद अपने हाथ उसके हाथों पर,... चोली भी मैंने अब खुद साड़ी के ऊपर फेंक दी,... हम दोनों टॉपलेस ,... वो शार्ट में मैं साये में,...




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थोड़ी देर में हम दोनों खुली छत पर थे और होली जम के हो रही थी , मैं उसे रंग लगाने दे रही थी, चेहरे पर पेट पर पीठ पर , लेकिन फिर साये के अंदर घुसने में उसे संकोच लग रहा था , पहल मैंने ही की उसका शार्ट खींच के छत के दूसरी ओर,... और पेण्ट की ट्यूब हथेली में लगा के मोटू पे ,..
Mast shuruat h holi ki is devar ke sath
 

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बहुत भइल अब चोर सिपहिया , ...






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"अरे देवर रज्जा देवर भौजाई का कुछ बांटा है " और उसने लाल रंग उठा लिया , बेचारे की हिम्मत नहीं पड़ रही थी चोली के भीतर घुसने की , लेकिन बिना चोली के अंदर घुसे देवर भौजाई की होली शुरू होती है न जीजा साली की,... वो नौसिखिया और मैंने खुद ही उसका हाथ पकड़ के , बटन भी एक दो ही बचे थे, कुछ टूटे कुछ खुले , वो हाथ हटा न ले , इसलिए मैंने खुद अपने हाथ उसके हाथों पर,... चोली भी मैंने अब खुद साड़ी के ऊपर फेंक दी,... हम दोनों टॉपलेस ,... वो शार्ट में मैं साये में,...


थोड़ी देर में हम दोनों खुली छत पर थे और होली जम के हो रही थी , मैं उसे रंग लगाने दे रही थी, चेहरे पर पेट पर पीठ पर , लेकिन फिर साये के अंदर घुसने में उसे संकोच लग रहा था , पहल मैंने ही की उसका शार्ट खींच के छत के दूसरी ओर,... और पेण्ट की ट्यूब हथेली में लगा के मोटू पे ,..



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वो भी देख चुका था की सीढ़ी के रस्ते पर सांकल लगी है , मुंडेर छत की इतनी ऊँची है कुछ नहीं दिख सकता,... और उस की भी हिम्मत बढ़ गयी , आधे घंटे तक , वो मेरे जोबन में रंग लगाता, मैं उसे लगाने देती बल्कि उकसा के लगवाती ,


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फिर उन्ही दोनों रंग लगे जोबन से कभी उसकी छाती कभी पीठ पर तो कभी उसके छोटे नवाब को दोनों चूँचियों के बीच रगड़ रगड़ कर वहां भी रंग लगाती,...

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धीरे धीरे उसकी शर्म जा रही थी , खुल के मजे ले रहा था लेकिन असली होली की पहल तो मुझे ही करनी थी,...

बस हल्का सा धक्का देकर उसे छत पर लिटा दिया और झंडा तो खड़ा ही था , रंगा पुता पहले तो एक हाथ में लेकर मैं हलके हलके मुठिया रही थी , फिर एक झटके से चमड़ा खींच दिया,...

मस्त लीची,... कुछ देर तो देख देख के ललचाती रही फिर सिर्फ जीभ से कभी सुपाड़े को चाटती तो कभी जीभ की नोक से उसके पेशाब के छेद में

मैंने झुक के उसके दोनों हाथों को कस के पकड़ रखा था , स्साला इत्ती जोर से छटपटा रहा था,.. और जब नहीं रहा गया तो मुंह में उस लीची के लेकर ालके हलके चूसने लगी , जीभ साथ साथ रसीले सुपाड़े को सहलाती, सिर्फ सुपाड़ा चूसने का ही इतना मजा आ रहा था,...



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बहुत भइल अब चोर सिपहिया , ... मैंने खुद से कहा.,... और उसके ऊपर,..



नहीं नहीं घोटा नहीं सिर्फ र्थोड़ी देकर मेरी गुलाबो सुपाड़े को सहलाती रही , जैसे कोई तगड़ा खेला खाया मरद बालिस्त भर के लंड वाला किसी कच्ची कन्या कुमारी को पहले खूब गरमाता है , रस से पिघलाता है , और जब उसकी आँखे बंद होने लगती हैं मस्ती से , वो सिसकने लगती है, कच्ची चूत पनिया जाती है तभी,..
तो बस उसी तरह , फिर उसे दिखाके अपनी दोनों रसीली फांकों को फैलाया और उस के बीच उसके सुपाड़े को फंसा दिया,... दोनों हाथ उसकी दोनों कलाई कस के पकडे थे , आँखों से मैं उसकी आँखे देख रही थी,

अब वो भी समझ रहा था क्या होना है , उसने कुछ लाज से कुछ घबड़ाहट से अपनी आँखे बंद कर ली, और मैंने एक करारा धक्का मारदिया ,



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सुपाड़ा अंदर था , और मैं फिर रुक गयी , मेरी चूत उसके कुंवारे सुपाड़े को दुलराती सहलाती,.... कभी प्यार से भींचती और मैं अब झुक के कभी उसके होंठ चूमती कभी चिकने गाल , तो कभी सीने पर के मेल टिट्स,... कुछ देर में वो भी साथ देने लगा , उसके हाथ मैंने खुद खींच के रंग लगे जोबन पर और जिस लांडे को एक बार जोबन का रस मिल जाता है फिर वो जोबन का दीवाना हो जाता है , ...


कुछ देर में वो कस के चूँची मसल रहा था और मैं उसे कस कस के चोद रही थी , उसके ऊपर चढ़ी, धीरे धीरे पूरा लंड मेरी चूत ने घोंट लिया था , अब कभी कभी वो भी नीचे से धक्के लगाता,...



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लेकिन असली खेल अभी बाकी था , उसे लिए दिए मैंने पलटी खायी , चूत ने कस के लंड को भींच रखा था जरा भी मैंने बाहर नहीं होने दिया,



अब वो ऊपर मैं नीचे, मैंने खुद अपनी टाँगे , जाँघे फैला के रखी थीं ,



था वो नौसिखिया पहली बार कोई भी होता है , लेकिन औजार जबरदस्त था और मेरी ऐसी भाभी थी सिखाने वाली ,... कुछ देर में वो भी हचक के ,... दस पंद्रह मिनट देह की होली हुयी और हम दोनों साथ, ... उसकी पिचकारी का सफ़ेद रंग मेरी बाल्टी में भर गया।लेकिन चाहे नयी अनचुदी लौंडिया हो या अनचुदा लौंडा, चुदाई का मजा दूसरी बार में ही आता है , और कभी भी लौंडिया या लौंडे को एक बार चोद के नहीं छोड़ना चाहिए , जख्मी शेर वाली हालत होती है,... और एक बार हदस गयी तो दुबारा नाड़ा खोलने के पहले दस बार सोचेगी,...
Finally, komal bhabhi ne bhi devar ki nath utar di
 

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
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भाग ३४

इन्सेस्ट कथा - चाची ने चांदनी रात में,...
भाग ३४

इन्सेस्ट कथा - चाची ने चांदनी रात में,...




" जबरदस्त, इतनी ढेर सारी मलाई और खूब गाढ़ी,... "


और उसे सीने से चिपका के बस थोड़ी देर तक लेटी रहीं , वो धीरे धीरे सांस लेता रहा,... वो कभी उसके बाल पे हाथ फेरतीं तो कभी सीने पे ऊँगली से और जब तक वो थिर नहीं हो गया ऐसे ही चिपकाए रहीं, ... फिर उसके कान में बोलीं ,

" ऐसे ही अच्छे बच्चे की तरह लेटे रहना, ... कोई बदमाशी नहीं,... नहीं तो बहुत मारूंगी। तेरे लिए दूध निकाल के रखा था अभी लाती हूँ , ... "अरविन्द से चाची बोलीं


और जाने के पहले उन्होंने कमरे की खिड़की खोल दी, खूब छिटकी चांदनी कमरे में आ कर पसर गयी, ...





अब सब कुछ साफ़ साफ दिख रहा था , साड़ी पेटीकोट से ढके छिपे जिन नितम्बो को देख के उसका खूंटा खड़ा हो जाता था , अब एकदम उसके सामने , बीच की दरार भी थिरक थिरक के,... चाची के जिन चूतड़ों के बारे में सोच सोच के अरविन्द का खड़ा हो जाता था अब वो एकदम खुले दावत देते, कसर मसर बड़े बड़े




और चाची ने झुक के फर्श पर पड़े उसके जांघिये को भी उठा लिया, अपने पेटीकोट , ब्लाउज को भी और सब ले के ,.. जब वो झुँकी तो साइड से उन बड़े बड़े खूब गदराये उभारों की झलक ,...

पायल झनकाते वो गयीं और पायल झनकाते थोड़ी देर में वापस,... और अब उन खुले उन्नत पहाड़ों को देखकर उसका खूंटा फिर ठुनकने लगा।

लेकिन चाची बिना कुछ परवाह किये उसी तरह उसकी बगल में आ के बैठ गयीं,...

खूब लम्बा सा चांदी का ग्लास, और दूध के ऊपर ढाई इंच खूब मोटी मलाई,... एकदम गाढ़ी,... और

"नहीं नहीं मुझे मलाई नहीं खाना, वो ठुनक के बोले , ... वो भी इतनी ज्यादा,...



" अरे तो मत खा न , "

दोनों ऊँगली से चाची ने मलाई ढेर सारी निकाल ली, और अपने बड़े बड़े भारी तने टनाटन उरोजों पर लपेट ली , जो कुछ बचा था सब एकदम खड़े निपल पर,...



" अब तो खायेगा न ,... " मुस्करा के वो बोलीं,...

झटपट लिबराते उनके होंठ निपल पर और चाची ने अरविन्द का सर पकड़ के पूरी ताकत से निपल उसके मुंह में , ...जैसे बचपन में माँ डाल देती थीं,

सब की सब मलाई थोड़ी देर में साफ़ , और फिर चाची ने ग्लास अपने हाथ से पकड़ के उसके होंठों में लगा दिया,...

दूध के साथ भी पता नहीं क्या क्या मिला था , एकदम जबरदस्त मस्ती छाने लगी, ... मेवा ढेर सारा था , पर कुछ और,...



चाची ने सोचने का मौका भी भी नहीं दिया , पकड़ के उसे लिटा दिया अपने बगल में , हाँ खूंटे को न उन्होंने पकड़ा न छुआ ,...



वो अपने आप बौरा रहा था, .. उसका मन कर रहा था लेकिन चाची ने उस लोहे के खंभे की ओर न देखा न उसे छूआ,...

हाँ अपने बड़े बड़े उभारों को वह अरविन्द की छाती पर रगड़ रही थीं ,

वो कसमसा रहा था , मन उसका बहुत कर रहा था पर चाची ने दबोच रखा था,...



" बहुत मन कर रहा है न ,... चल लेकिन तू कुछ भी नहीं करेगा बस चुपचाप लेटा रह, अनाड़ी चुदवैया,... "

उसको उन्होंने चूमा ,.. और बची खुची मलाई उस खड़े बांस पे लपेट दी,...

और उसके ऊपर चढ़ के,... नहीं नहीं , अंदर नहीं लिया , थोड़ी देर अरविन्द को ललचाया उसके खुले मोटे सुपाडे पर अपनी बुर को रगड़ा,.. और आँख मार के पूछा ,

"बोल, लेगा चाची की "
बड़ी जोर से अरविन्द ने हाँ बोला।

चाची ने दोनों कलाई कस के पकड़ी झुक के पहले एक चुम्मा लिया और क्या कोई मर्द धक्का मारेगा , सटा के ऐसे मारा की एक धक्के में सुपाड़ा अंदर, गप्प




लेकिन धक्के रुके नहीं , जब तक आधा से ज्यादा लंड उन्होंने घोंट नहीं लिया ,... वो कसमसा रहा था छटपटा रहा , छूटने की कोशिस कर रहा था लेकिन जैसे गन्ने के खेत में जवान होती लड़की को कोई लौंडा पकड़ के चांप दे , बस उसी तरह,...
चाची ऊपर,...




"बोल, लेगा चाची की "

बड़ी जोर से अरविन्द ने हाँ बोला।


चाची ने दोनों कलाई कस के पकड़ी झुक के पहले एक चुम्मा लिया और क्या कोई मर्द धक्का मारेगा , सटा के ऐसे मारा की एक धक्के में सुपाड़ा अंदर, गप्प



लेकिन धक्के रुके नहीं , जब तक आधा से ज्यादा लंड उन्होंने घोंट नहीं लिया ,... वो कसमसा रहा था छटपटा रहा , छूटने की कोशिस कर रहा था लेकिन जैसे गन्ने के कहते नस जवान होती लड़की को कोई लौंडा पकड़ के चांप दे , बस उसी तरह,...

फिर वो रुकीं, उसके हाथआजाद किये और दोनों को अपने हाथ से पकड़ के अपने उभारों पे , कभी सहलवातीं , कभी दबवातीं,...



और अब चाची सिसक रही थीं , नीचे से अरविन्द ने भी धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए थे ,

एक बार वो एक बार चाची , और दो चार मिनट में पूरा खूंटा अंदर.




चाची, खुश. मन ही मन सोच रही थीं, स्साला अरविन्द का जित्ता मोटा है उत्ता ही लम्बा, बहुत दिनों बाद इत्ता मस्त लंड घोंट रही हूँ,..मैं भी बगल में लौंडा और मैं पियासी अब तो इस को मस्त, ...

और उन्होंने फिर बदमाशी शुरू कर दी,अरविन्द बेचारा नया लौंडा ,


पहली बार लंड को चूत का स्वाद मिला था, वो भी इतनी खेली खायी मारे खुशी के फूल रहा था, ...

चाची चढ़ी हुयी थीं कस के दबोच रखा था, ... और अब उनकी बुर ने लंड को भींचना शुरू किया, पहले धीरे धीरे, फिर कस कस के , जैसे हाथ में पकड़ के निचोड़ रही हों,... और फिर थोड़ी सी ढीली कर के दुबारा कस के, लौंडे की हालत ख़राब,...



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चाची को बचपन से लौंडों की और लौंड़ा दोनों की सही पहचान थी, वो समझ गयी थीं, अरविन्द का मुट्ठ मारते ही , ये लम्बी रेस का घोडा है,...

और तब भी उन्होंने जान बूझ के एक बार इसी लिए झाड़ दिया था की नया लौंडा,... कहीं पहली बार बुर की गर्मी बर्दास्त न कर पाए और जल्द पिघल जाए,... और एक बार झड़ जाए तो दूसरी बार तो कोई भी ज्यादा टाइम लेता है और ये अरविन्द तो जबरदस्त लग रहा था , पकड़ने में भी घोंटने में भी ,

लेकिन दो चार तंग करने के बाद , एक बार तो पूरा बांस उन्होंने घोंट ही लिया था था ,



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अब चाची ने ऊपर से कस कस के धक्के लगाने शुरू कर दिए , कभी कमर धीरे धीरे उठातीं, , और सुपाड़े को कस के अपने भोंसडे में दबा दबा के लौंडे को इस रस का नशा देतीं और फिर एक झटके में पूरा का पूरा ८ इंच अंदर


गप्प,

और थोड़ी देर में , नीचे से लौंडे ने भी धक्के ;लगाने शुरू कर दिए , ताकत बहुत थी उसकी कमर में , खाली सीखने की जरूरत थी ,और चाची से तगड़ी गुरआनी कहाँ मिलतीं ,

अब धक्के दोनों ओर से बराबर लग रहे थे , चाची ने पैंतरा बदला,... कस के लंड को एक बार फिर से बुर में भींचा, दोनों हाथ उसकी पीठ पे लगाई कस के जकड़ा और पलटा खाया ,




अबअरविन्द ऊपर, चाची नीचे ,... और लंड उसी तरह पूरा का पूरा अंदर धंसा,...
धककम धुक्का हुआ




अब वो ऊपर, चाची नीचे ,... और लंड उसी तरह पूरा का पूरा अंदर धंसा,...

" चल पेल , चोद, मादरचोद,... पूरी ताकत से धक्का मार ,... " नीचे से चाची ने ललकारा। और ऊपर से धक्के लगने शुरू हो गए, ...




लेकिन चाची को थोड़ी देर में सिखाना पड़ा , उसने शुरू से ही चौथे गियर में गाड़ी चलाना शुरू कर दिया,...

" अरे इतनी जल्दी काहें है , मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ , अरे कोई नयी लौंडिया भी होगी न एक बार पूरा लंड खा लेगी तो कहीं नहीं भागेगी , चूतड़ उठा उठा के,... घोंटेंगी, अरे मजे ले ले के आराम आराम से चोदो,... "

और खींच के उसका एक हाथ अपनी बड़ी बड़ी चूँची पे रख लिया , जिसे देख के हरदम ये अरविंदवा बौराया रहता था,



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अब एक बार फिर दोनों ओर से आराम से धक्के लग रहे थे , और बीच में वो उसे चिढ़ाती भी थीं,...

" कभी मेरी जेठानी की, अरविंदवा अपनी माँ की भी चूँची दबा के देख ले , मेरे ऐसी ही वो भी जबरदस्त हैं, अरे बुरा नहीं मानेगीं , जवान लौंडा है ,...खूब मजे ले ले के मिजवाएंगी,... स्साले मादरचोद, मुझसे का सरम बोल करता है न तेरा मन माँ की बड़ी बड़ी चूँची देख के,... अरे तो इसमें गलत क्या है, मस्त माल देख के तो मन बौराता ही है। " "


और बस ऊपर से उसके धक्कों की रफ़्तार बढ़ जाती थी , कस के दोनों चूँची मसलते हुए वो तेजी से धक्के मारता था की,...



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और नीचे से चाची और,...


" हाँ , मादरचोद हाँ , चोद , ऐसे ही मादरचोद, अरे ऐसे ही चोदोगे तो तेरी माँ भी तुझसे,... पेल और कस के
कम से कम पंद्रह बीस मिनट जबरदस्त चुदाई के बाद ही अरविन्द झड़ा ,....




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और चाची भी साथ साथ,...
वो बाहर निकालना चाहता था लेकिन उन्होंने उसे निकालने नहीं दिया , कस के भींच रखा था,... दोनों हाथों से पैरों से , और हड़काया समझाया अलग से,...



" स्साले, मादरचोद,... कभी भी झड़ते समय बाहर निकालने का मत सोचना, एकदम अंदर घुसा के सीधे बच्चेदानी में सटा के , इत्ता लंबा बांस है तेरा, जैसे झड़ने में तुझे मज़ा आता है, उसे तरह पानी घोंटने में लौंडियों को भी मजा आता है , उस समय कभी भी बाहर मत निकालना, तेरा भी मज़ा ख़तम उसका भी,... अरे आजकल चुदवाने से कोई लौंडिया गाभिन नहीं होती,... इतनी गोली आती है , ... "


वो देर तक झड़ता रहा ,... उसके बाद भी आधे घंटे तक दोनों चिपके रहे,...



उसके बाद भी रात में तीन बार और ,..सुबह तक चाची ने उसे पूरा निचोड़ लिया।



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एक दो दिन के लिया गया था वो , पूरे तीन दिन बाद आया और दर्जनों बार , दिन में भी किचेन में खाना बनाते समय भी,...

चाची ने न सिर्फ उससे चुदवाया, उसको चूत का चस्का लगाया, बल्कि चुदाई के सारे पाठ धीरे धीरे पढ़ाये, एक एक करके, प्रैक्टिकल इम्तहान भी लिया,



लेकिन अरविन्द पढ़ाई में बहुत तेज था,... सीखने में भी और पहले दिन में ही काफी कुछ सीख गया, दूसरे दिन से तो मुकाबला बराबरी का होता और तीसरे दिन तो चाची जान बूझ के उसे तड़पाती मना करतीं, तो जबरदस्ती चढ़ के चोद देता,



देह में ताकत तो बहुत थी अरविन्द के औजार भी गज़ब का था और ये सब चाची को अंदाज था इसलिए ही उस खिलौने को बहला के फुसला के उसकी माँ को पटा के,... अखाड़े में रोज जाता था वो गांव के, कुश्ती के दांव पेंच सीखने, एक पुराने पहलवान गुरु भी थे, और अब चाची ने बिस्तर के अखाड़े के गुर भी उसे सिखा दिए,.. गाँव में डंड पेलने में सब लौंडो पे वो भारी पड़ता था, कभी बाजी लगती,... १०० -१५० तो रोज,... और अब चाची के अखाड़े में सीख के लंड पेलने में भी वो माहिर हो गया,...
अरविन्द की ट्रेनिंग





पहले दिन तो दो तीन बार चाची ने खुद ऊपर चढ़ के, उसके बाद पलटी मार के वो अरविन्द को ऊपर कर देतीं और वो हचक हचक की धक्के मारता,...




लेकिन उसके बाद अरविन्द खुद ही ऊपर चढ़ के चोदने लगा,... रसोई में निहुराने के बाद,...



तो अरविन्द को उस पोज में चोदने का मजा आने लगा, धक्के भी खूब खुल के लगते, दोनों बड़े बड़े जोबन कस के दबाने का मसलने का मजा अलग,..

लेकिन चाची तो पहली बार में ही अरविन्द को जबरदस्त चुदककड़ बना देना चाहती थीं, गोद में बैठ के कभी उस की ओर पीठ कर के कभी मुंह के , धीमे धीमे उस का लंड वो घोंट लेती और खुद थोड़ी देर बाद धक्के के बाद अरविन्द कमान सम्हाल लेता और बैठे बैठे ऐसे हचक के चोदता की चाची को दिन में भी तारे दिखने लगते,..




एक दो बार तो खड़े खड़े भी,



लेकिन मस्ती के साथ चाची ने उसे कुछ ज्ञान की बातें बताई,


पहली बात तो ये बात कभी मत मानना की अगर लड़की नहीं करती है तो उसका मतलब शायद होता है,....




नहीं का मतलब सिर्फ नहीं होता है और अगर लड़की इशारे से भी नहीं करे तो उसे छूना भी नहीं,... बल्कि शायद का भी मतलब हां नहीं होता है,... शायद का मतलब भी नहीं ही मानना, जबतक इशारे से देह से मुस्करा के हां न बोल दे,



चुदाई का मजा तभी है जब तुझसे ज्यादा मज़ा उसे मिले,... जरा भी जबरदस्ती हो उसका मन नहीं कर रहा हो तो करने का मतलब नहीं।

इसलिए असली मजा पटाने का और पट गयी तो उसे मस्त कर के गीली करने का है जब वो खुद टाँगे फैला के तेरा पकड़ के अपनी ओर खींचे,... और कभी भी पहले मत झड़ना , और लड़की खास तौर से औरतें कभी भी चोदने से नहीं झड़ती , दस में दो चार ही होंगी जो चुद के झड़ जाएँ,

और इस चक्कर में तेरे पास सिर्फ एक अंग है , तेरी उँगलियाँ, होंठ, आँखे जुबान,... और सब का इस्तेमाल कर के उसे झाड़ो,...
चाची ने अरविन्द को चूत चूसने में जीभ से चूत चोदने में, क्लिट सहला के झाडने में पक्का कर दिया।




तीसरी रात तो चाची ने जैसे सुहागरात की रात हो,... नहीं सजी धजी नहीं लेकिन उस रात सब कुछ अरविन्द को ही करना पड़ा गरम करने से लेकर,..



और हर बार ऊपर चढ़ के ही ,



हाँ सुबह सबेरे एक बार निहुरा के भी , पूरी रात ,... चार बार और सुबह पांचवी बार निहुरा के



तीन दिन में वो एकदम सीख के पक्का हो गया था।
बहन भाई की मस्ती



उसके भैया ने कैसे पहली बार चुदाई का पाठ पढ़ा था , वो अपनी चाची के साथ,...ये सुन के गीता भी गरमा गयी , भैया से चिपक के बोली,...

" भैया, कर न ,...


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कस के उसे दुबका के , गालों पर मीठा सा चुम्मा लेते हुए चिढ़ाते हुए अरविन्द बोला,

" क्या करूँ मेरे बहना, बोल न। "

वो तुनक गयी, और समझ गयी उसका भइया उससे क्या सुनना चाहता है, और अब वो भी अपने भैया से कम नहीं थी, झिड़क के गीता बोली,

" मादरचोद, चल अपनी बहिन को चोद, बहिनचोद। "




बस यही तो वो सुनना चाहता था , अगले ही पल गीता की दोनों टाँगे उसके कंधे पर उसके दोनों छोटे छोटे जोबन उसके हाथों में और वो करारा धक्का मारा की,...



" उईईईईई , उईईईईई ओह्ह्ह्हह उफ्फफ्फ्फ़ " गीता जोर से चीखी , और कस के भाई को दबोच लिया, और गरियाते बोली,...

" साले, एक बार में पूरा पेलना जरूरी था क्या,... "




" अरे मेरी बहना, अभी तो आधा भी नहीं गया है , आज तो सारी रात चुदेगी,... और इसी तरह,... "

दूसरा धक्का पहले से भी करारा,... २४ घण्टे भी नहीं हुए थे उसकी नथ उतरे, झिल्ली फटे और ये मोटा मूसल,...

उफ्फ्फ्फ़ उईईईईई , ... गीता जोर जोर से चीख रही थी , लेकिन जितना उसे दर्द हो रहा था , उतना ही उसे मज़ा आ रहा था,

और जैसे ही सुपाड़े ने बच्चेदानी पे चोट मारी,... गीता दो फीट उछली, दर्द से नहीं मजे से,... और कस के भाई को भींच लिया,...




" भैया तू दुनिया का बेस्ट भाई है बल्कि बेस्टेस्ट,... कोई भाई अपनी बहन को ऐसे प्यार नहीं करता होगा, जैसे तू करता है , एकदम मस्त "

थोड़ी देर दोनों ऐसे ही पड़े रहे , कपडे तो कब के जमीन पर पहुँच चुके थे,...

और आज बादल भी नहीं था चाँद को रोकने वाला , तो चटक चांदनी पूरी तरह से कमरे में फैली वो दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह देख रहे थे , कमरे का दरवाजा भी फटाक खुला था , माँ दस दिन बाद ही आने वाली थी,




सावन के झूले की तरह बारी बारी से दोनों पेंग मारते प्रेम के झूले पे झूल रहे थे , पर पहले गीता ही


उसका भाई था ही इतना खिलाड़ी सिर्फ औजार उसका सबसे २२ नहीं था , उसका इस्तेमाल करने का तरीका , और उसके साथ साथ होंठों , उंगलिया , ...


पहली बार जब गीता झड़ी , तो वो धक्के मार , पूरा लंड बहन की बुर में पेल के रुक गया था, एकदम ठूंसा हुआ , मुश्किल से जैसे अंदर समाया हो और लंड की जड़ से क्लिट को रगड़ रगड़ के , रगड़ के,... और साथ में एक निप उसके होंठों के बीच दूसरा उँगलियों के बीच,



वो झड़ती रही , वो रुका नहीं ,...


पर जैसे ही बहन का झड़ना रुका,...

चल घोड़ी बन,...


बहन अब तक इतना सीख गयी थी , तुरंत निहुर के ,...




और अबकी तो धक्के सिर्फ बिस्तर को नहीं कमरे को हिला रहे थे,... थोड़ी देर में दोनों साथ गिरे,... और थके बिस्तर पर पड़े रहे

एक दूसरे की बाँहों में पसीने से लथ पथ, थके,...

लेकिन थोड़ी देर में गीता ने धीमे से उसके कान में बोला,..



" भैया,.. "




" बोल न,... "



" चल चाची की सबसे पहले तूने ली , दो साल पहले,... लेकिन किसी ऐसे के साथ जिसके साथ किसी ने न किया है ,... मतलब ,... मतलब झिल्ली पहले , सबसे पहले कब, किसकी फाड़ी "

" तू भी न चल बता देता हूँ , साल भर से ज्यादा , वो ,... " और उसने हाल खुलासा सुनाना शुरू कर दिया।

अरे तू जानती होगी, फूलवा, जो अपने यहाँ,.... उसकी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की गीता बीच में बोल पड़ी,...

" हाँ, हाँ अच्छी तरह,... खूब गोरी सी थी, मुस्कराती रहती थी, डेढ़ साल तो हो गया उसको गौने गए,... घासवाली न, अपने यहाँ भी तो आती थी, घास काटने,... वही क्या,... "




" हाँ, लेकिन अब बीच में मत बोलना,... " और भाई ने पहली कुँवारी पर चढ़ाई का किस्सा शुरू कर दिया,...


और यह दोनों, गीता और अरविन्द, बहन भाई तो थे ही, सहोदर, सगे, एक माँ के जन्मे,... देह के स्तर पर अब एक दुसरे के आनंद के कारक, सम्पूरक, स्त्री और पुरुष, सब बंधनों से ऊपर,... और उस के साथ ही साथ विश्वास का एक नया सेतु भी,... दोनों ही काम को किसी गिल्ट या अपराध बोध से जोड़ कर नहीं देख रहे थे , वह कृत्य जो न सिर्फ मानव जाति में बल्कि, सभी जीवों में जिनमे पादप भी शामिल है, अपनी अपनी जींस को, जाती को बनाये रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कृत्य है, वह गलत कैसे हो सकता है, पाप से कैसे जुड़ सकता है? पौधों में भी फूल खिलते हैं, परागण के लिए ही, अपने अंदर उस परिमल को संजोये जो एक फूल से हजार फूल जन्मने की इच्छा और क्षमता दोनों रखता है।

यह विश्वास ही था की बिना किसी सेन्स ऑफ़ गिल्ट के अरविन्द ने चाची का पूरा किस्सा गीता को सुनाया, ... और गीता ने भी बिना कुछ बुरा माने, मन ही मन अपने भाई के बारे में कोई राय बनाये, कोई फैसला लिए, उससे बड़े ही भोलेपन से उसके उस अनुभव के बारे में भी पूछ लिया की कैसे किसी कन्या का कौमार्य भंग कर उसके भाई ने उस कन्या को सहारा देकर युवा होने की चोखट पार कराई। और उसके भाई अरविन्द ने उसी भाव से उसे बताया, न तो रस ले ले कर , न ही किसी विजय के अहम से,... बल्कि एकदम मैटर ऑफ़ फैक्ट की तरह,...


अब उनके संबध शायद संबंधो की परिभाषा के आगे निकल गए थे पर वह उस विश्वास पर टिके थे, जिसकी अक्सर हम सिर्फ कामना कर सकते हैं,
Bahut jabardast tha chachi ka sexy kissa jo Arvind ne apni( behan/yar/gf ?)Gita ko sunaya.
Kisse ne sab ko mantr mugadh kar diya ya kahe ke sex ke samundar mein dubo diya .
Kya bat hai, Komal didi ajj kal aapki writing nai heights scale kar rahi hai.
Ab kahan se shabd dhundh kar laun 👇
200-31


200-30
 

komaalrani

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Bahut jabardast tha chachi ka sexy kissa jo Arvind ne apni( behan/yar/gf ?)Gita ko sunaya.
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Kya bat hai, Komal didi ajj kal aapki writing nai heights scale kar rahi hai.
Ab kahan se shabd dhundh kar laun 👇
200-31


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Thanks so much, your words are always an encouragement
 
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komaalrani

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ऐसे तगड़े लौंडे को तो चाची को पहली नजर में भांप लेना चाहिए था...
लेकिन खैर अभी भी कोई देर नहीं हुई है....
और अर्विन्दवा के तो भाग खुल ऐसी मस्त और जबरदस्त गुरुआनी पा के.....
बिना गुरु/ गुरुआनी के ज्ञान नहीं होता

और वो कोई अपने घर की हो तो कहना क्या

....


ऐसे कमेंट्स कहानी में चार चाँद लगा देते हैं बहुत बहुत आभार।
 
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