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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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अरे गाँव की लड़कियां ज्यादा तेज-तर्रार और होशियार होती हैं....
मजा लेती भी हैं और देती भी हैं....
Ekdam sahi kaha aapne aur is kahani men bhi baar baar vahi jhalkata hai
 

Luckyloda

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अभी सीख रहा है लेकिन जब एक बार पक्का हो जाएगा तो किसी को भी नहीं छोड़ेगा, अमराई में बाकी शरम भी निकल जायेगी, फुलवा है न।
Par nikli kaha sharm.... ab bhi geeta ko hi command apne hath leni padi.....


Kya fayda hua chachi bhabhi aur fulwa k sikhane ka???
 

komaalrani

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Mast hot awesome update
THANKS SO MUCH
 

komaalrani

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फुलवा के अल्हड़ जवानी ऐसा न मानी । मस्त छेड़छाड़
बहुत बहुत धन्यवाद,

गाँव के छेड़छाड़ के माहौल को, रिक्रिएट करने के लिए ही मैंने दो पुरानी भोजपुरी फिल्मों के गानों का इस्तेमाल किया, पहला गाना लाल-लाल ओठवा से बरसे ललइया, लागी नाहीं छूटे रामा का

तलत और लता जी की मधुर आवाज, चित्रगुप्त का संगीत और मजरूह की कलम,

त : लाल-लाल ओठवा से बरसे ललइया हो कि रस चुएला
जइसे अमवा के मोँजरा से रस चुएला

ल : लागे वाली बतियाँ न बोल मोरे राजा हो करेजा छुएला
तोरि मीठी-मीठी बोलिया करेजा छुएला हो करेजा छुएला

त : भागेलू त हमका बोलावेला अँचरवा -२
अँखियाँ चुरावेलू त हँसेला कजरवा हो हँसेला कजरवा
ल : जिया के जंजाल भइल हमरी सुरतिया डगर रोकेला
जहाँ जाँ_ई तहाँ लोगवा डगर रोकेला
त : हो कि रस चुएला ...

ल : घूमी-घूमी देख तर काहे मोर चलवा -२
त : तनिक चँहाई ल घमाई जाई गलवा घमाई जाई गलवा
ल : चलीं चाहे घमवा में बैठीं चाहे छँहवा हो काहे मुएला

गोरे गलवा के पीछे केहू काहे मुएला


और गाँव में खेत में , अरविन्द की हिम्मत तो किसी लड़की से सीधे बात करने की पड़ती नहीं तो इस गाने के जरिये फुलवा के बारे में मन की बात और फुलवा गाँव की लड़की, गौना जाने को तैयार, रस बस छलक रहा रहा,


और मिलन न हो पाने का डर बिछोह के लिए कालजयी भोजपुरी फिल्म बिदेशिया के गाने की बस एक लाइन,... मुझे पता है बहुतों के मन में बहुत सी यादें जगा गयी होगी,

सुमन कल्याणपुर की दर्द भरी आवाज,

दिनवा गिनत मोरी घिसी उँगरिया,

रहिया तकत .के नैन,...

कई बार जब भावनाओं को व्यक्त करने के लिए गद्य असहाय हो जाता है तो गाने सहारे आते हैं चाहे वो लोकगीत हों या पुराने फ़िल्मी गाने और कहानी लिखने पढ़ने का मज़ा इन्ही अव्यक्त भावों को ही व्यक्त करने में हैं।
 

komaalrani

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और उस गाने की एक क्लिप का लिंक भी


 

komaalrani

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हाँ अरविन्दवा तो बुरबक है... पांच दिन वाला कार्यक्रम नहीं हुआ तो इसका मतलब गाभिन ....
samjhegaaa dhire dhire , ye aurton vaali baaten aksar mard nahi smajhte ya slow hote hain
 

komaalrani

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ई का छुट्टी नहीं भयिल, मतलब फुलबा गाभिन बा, खुशी क बात,

वाह वाह कोमल दीदी वाह
चरण स्पर्श 🙏🙏🙏

आप मेरी Writing जगत की गुरू माता है, हम बहुत कहानी, लेख और व्यंग खिला लेकिन ईहा आए के आप से बहुत कुछ सीखा 🙏🙏🙏❤️❤️

आपन आशिर्वाद बनाए रहूं हमर ऊपर 🙏🙏
एकदम

और फायदा ही फायदा लेकिन अगली पोस्ट तो वहीँ से शुरू होगी, तो बस इन्तजार करिये अगली पोस्ट का कल या परसों

हाँ जिसने किया वो नहीं समझ रहा है,
 

komaalrani

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Par nikli kaha sharm.... ab bhi geeta ko hi command apne hath leni padi.....


Kya fayda hua chachi bhabhi aur fulwa k sikhane ka???
are vo mamala thoda behan vaala tha

jaise main incest story likhna shuru kar rahi hun, uskaa bhi pahla kadam tha aur phir bahan bhaia maa se darte bhi hain,... lekin ab dono ki gaadi chal niklai hai to bas non-stop chal rahi hai,
 

Jiashishji

दिल का अच्छा
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बहुत बहुत धन्यवाद,

गाँव के छेड़छाड़ के माहौल को, रिक्रिएट करने के लिए ही मैंने दो पुरानी भोजपुरी फिल्मों के गानों का इस्तेमाल किया, पहला गाना लाल-लाल ओठवा से बरसे ललइया, लागी नाहीं छूटे रामा का

तलत और लता जी की मधुर आवाज, चित्रगुप्त का संगीत और मजरूह की कलम,


त : लाल-लाल ओठवा से बरसे ललइया हो कि रस चुएला
जइसे अमवा के मोँजरा से रस चुएला

ल : लागे वाली बतियाँ न बोल मोरे राजा हो करेजा छुएला
तोरि मीठी-मीठी बोलिया करेजा छुएला हो करेजा छुएला

त : भागेलू त हमका बोलावेला अँचरवा -२
अँखियाँ चुरावेलू त हँसेला कजरवा हो हँसेला कजरवा
ल : जिया के जंजाल भइल हमरी सुरतिया डगर रोकेला
जहाँ जाँ_ई तहाँ लोगवा डगर रोकेला
त : हो कि रस चुएला ...

ल : घूमी-घूमी देख तर काहे मोर चलवा -२
त : तनिक चँहाई ल घमाई जाई गलवा घमाई जाई गलवा
ल : चलीं चाहे घमवा में बैठीं चाहे छँहवा हो काहे मुएला

गोरे गलवा के पीछे केहू काहे मुएला


और गाँव में खेत में , अरविन्द की हिम्मत तो किसी लड़की से सीधे बात करने की पड़ती नहीं तो इस गाने के जरिये फुलवा के बारे में मन की बात और फुलवा गाँव की लड़की, गौना जाने को तैयार, रस बस छलक रहा रहा,


और मिलन न हो पाने का डर बिछोह के लिए कालजयी भोजपुरी फिल्म बिदेशिया के गाने की बस एक लाइन,... मुझे पता है बहुतों के मन में बहुत सी यादें जगा गयी होगी,

सुमन कल्याणपुर की दर्द भरी आवाज,

दिनवा गिनत मोरी घिसी उँगरिया,

रहिया तकत .के नैन,...

कई बार जब भावनाओं को व्यक्त करने के लिए गद्य असहाय हो जाता है तो गाने सहारे आते हैं चाहे वो लोकगीत हों या पुराने फ़िल्मी गाने और कहानी लिखने पढ़ने का मज़ा इन्ही अव्यक्त भावों को ही व्यक्त करने में
एकदम सही बात कही आपने प्यार और बिरहा यह दोनों चीजें गध के अपेक्षा पद में ज्यादा ही सही तरीके से व्यक्त की जा सकती हैं

बहुत बहुत धन्यवाद,

गाँव के छेड़छाड़ के माहौल को, रिक्रिएट करने के लिए ही मैंने दो पुरानी भोजपुरी फिल्मों के गानों का इस्तेमाल किया, पहला गाना लाल-लाल ओठवा से बरसे ललइया, लागी नाहीं छूटे रामा का

तलत और लता जी की मधुर आवाज, चित्रगुप्त का संगीत और मजरूह की कलम,


त : लाल-लाल ओठवा से बरसे ललइया हो कि रस चुएला
जइसे अमवा के मोँजरा से रस चुएला

ल : लागे वाली बतियाँ न बोल मोरे राजा हो करेजा छुएला
तोरि मीठी-मीठी बोलिया करेजा छुएला हो करेजा छुएला

त : भागेलू त हमका बोलावेला अँचरवा -२
अँखियाँ चुरावेलू त हँसेला कजरवा हो हँसेला कजरवा
ल : जिया के जंजाल भइल हमरी सुरतिया डगर रोकेला
जहाँ जाँ_ई तहाँ लोगवा डगर रोकेला
त : हो कि रस चुएला ...

ल : घूमी-घूमी देख तर काहे मोर चलवा -२
त : तनिक चँहाई ल घमाई जाई गलवा घमाई जाई गलवा
ल : चलीं चाहे घमवा में बैठीं चाहे छँहवा हो काहे मुएला

गोरे गलवा के पीछे केहू काहे मुएला


और गाँव में खेत में , अरविन्द की हिम्मत तो किसी लड़की से सीधे बात करने की पड़ती नहीं तो इस गाने के जरिये फुलवा के बारे में मन की बात और फुलवा गाँव की लड़की, गौना जाने को तैयार, रस बस छलक रहा रहा,


और मिलन न हो पाने का डर बिछोह के लिए कालजयी भोजपुरी फिल्म बिदेशिया के गाने की बस एक लाइन,... मुझे पता है बहुतों के मन में बहुत सी यादें जगा गयी होगी,

सुमन कल्याणपुर की दर्द भरी आवाज,

दिनवा गिनत मोरी घिसी उँगरिया,

रहिया तकत .के नैन,...

कई बार जब भावनाओं को व्यक्त करने के लिए गद्य असहाय हो जाता है तो गाने सहारे आते हैं चाहे वो लोकगीत हों या पुराने फ़िल्मी गाने और कहानी लिखने पढ़ने का मज़ा इन्ही अव्यक्त भावों को ही व्यक्त करने में हैं।
एकदम सही बात कही आपने प्यार और बिरहा यह दोनों चीजें गध के अपेक्षा पद में ज्यादा ही सही तरीके से व्यक्त की जा सकती हैं।
 

Random2022

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समझदार, बहन ...ते हैं,









गीता बाहर गयी और उसका भाई अरविन्द, स्टोर से सब लालटेन ढिबरी निकाल के साफ़ कर के पूरा तेल भर के जलाने में लगा गया.

तूफ़ान आने वाला था लेकिन उस के मन में एक दूसरा तूफ़ान चल रहा था उसकी बहन को लेकर,

करे न करे,

मन तो उसका काबू में एकदम नहीं था और ललचाता तो कब से उसको देख के था लेकिन जब एक दिन नहीं रहा गया और उसने बाथरूम में छेद करके, ...


उफ़ उफ़ क्या जोबन उभरा था, आस पड़ोस के चालीस पचास गाँव में ऐसी कोई नहीं ,...




और जब एक दिन उसने उसकी चूत देख ले , ..एकदम चिकनी, जैसे झांटे आयी ही नहीं हो, संतरे की फांकों की तरह रसीली


और फिर उस दिन से , कोई दिन बाकी नहीं गया,... जब उसका नाम ले के दो तीन बार वो मुट्ठ नहीं मारता था,...


भाई बहन के रिश्ते का भी ख्याल था, लेकिन उसकी बातों से ,..और इतना बुद्धू भी नहीं था की उसकी बातें इशारे न समझता हो , वो जान गया था की वो गरमा रही है

और गाँव का , उसके स्कूल के आसपास का , किसी सहेली का भाई उसे ठोंक ही देगा , अभी नहीं तो महीने दो महीने के अंदर ही , और बाहर वाले से पेलवा के वो कहीं बदनाम न करे और उसको सब में बांटे,... उससे अच्छा तो वही,

घर का माल घर में इस्तेमाल होगा,


परेशानी उसको दूसरी हो रही थी. बचपन से वो गीता को बहुत प्यार करता था और अब न जाने कब से वो प्यार जवानी के प्यार में बदल गया था और अब गीता खुद भी,..

लेकिन वो गीता के चेहरे पे दर्द नहीं देख सकता था और उसका थोड़ा ज्यादा,...




और वैसे भी उसने अब उसकी कच्ची कली को देख लिया था, एकदम कसी चिपकी कोरी, लेने में तो बहुत मजा आएगा, आज के पहले भी उसने बहुत सी कच्ची कलियों की, लेकिन जैसा मज़ा इसके साथ आएगा , न कभी आया था न कभी आएगा,



पर उसे दर्द बहुत होगा, वो दर्द पीने की कोशिश करेगी, पर,...

लेकिन और कोई करेगा तो भी गितवा को दर्द होगा और वो पता नहीं कहाँ कैसे फाड़े उसकी, गन्ने के खेत में खाली थूक लगा के,... और वो कितना रोयेगी , चूतड़ पटकेगी वो और जोर जोर से, बिना फाड़े कौन छोड़ता है,...

और वो करेगा तो घर के कोल्हू में पेरा कडुवा तेल लगा के,



और लंड में भी अपना अच्छी तरह चुपड़ के , खूब सम्हाल के और पहली बार में बस थोड़ा सा,... घर की चीज कहाँ जा रही है, दूसरी तीसरी बार में ही पूरा पेलेगा। तो वो अगर उसका ख़याल करता है तो अब उसे, बस और आज माँ भी नहीं है,...

आज अगर उसने और इशारा किया तो रात में जब वो सो जायेगी, नहीं तो सबेरे होने के पहले तीन चार बजे,उस समय चीख पुकार होगी भी तो कोई सुनेगा नहीं , और फिर उस समय उसका,.... लेकिन आज की रात,... बहुत मन कर रहा था,

उसे दो ऊँटो वाला एक विज्ञापन याद आया और उसने अपने आप से मुस्कराते हुए बोला,...




समझदार बहन चोदते हैं,







और उधर सब दरवाजे खिड़की देख के बाहर गाय गोरु देख के किचेन में खाना लगाते गीता मन ही मन में मुस्करा रही थी, जिस तरह से भैया आज खुल के जोबन दबा रहा था , जिस तरह से उसका लंड फनफनाया था , और माँ भी नहीं थी आज लग रहा था उसकी सहेली का दरवज्जा खुल जाएगा।
Bahut caring bhai hai geeta ka, yahi h asli incest. Baki stories me to bus bina mahol banaye ghapaghap shuru kr dete h
 
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