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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९८

अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६

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भाग ३६ -


इन्सेस्ट किस्सा- मस्ती भैया बहिनी उर्फ़ गीता -अरविन्द का
 

komaalrani

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भाग ३६ -


इन्सेस्ट किस्सा-
मस्ती भैया बहिनी उर्फ़ गीता -अरविन्द की










फुलवा और अपने सगे भाई अरविन्द का किस्सा सुन के, गितवा गरमा रही थी , चिपक रही थी बार बार अपने भाई से ,... कैसे अमराई में अरविन्द ने उसकी फाड़ी,.. और फिर बिना नागा,... और दिन दहाड़े गन्ने के खेत में अरविन्द ने चढ़ के फुलवा की टांग उठा उठा के,

और बार बार गितवा खींच के उसे , बस यही सोच रही थी बहुत हुआ किस्सा कहानी,... अब सीधे भैया चढ़ के उसे ,...


मुझे मालूम है आप सब बार बार गीता और अरविन्द का किस्सा सुनने के लिए बेताब हो रहे है,... आखिर किस्सा भी भैया बहिनी का है, इन्सेस्ट का है और मैं सुनाने के लिए ,

लेकिन बस थोड़ा सा फुलवा की बात बची हुयी है, वो बात,... और उसके बाद कैसे रात भर गीता ने अपने भैया के साथ मस्ती की,... और इस कामना के साथ जैसे उन दोनों सगे भाई बहिन की मन की मुराद पूरी हुयी , उसी तरह इस कहानी को मन लगा के ध्यान से पढ़ने वाले सभी भाई बहनों की मन की मुराद पूरी हो,

पर थोड़ी सी बात फुलवा की, बस थोड़ी सी,...


-------

फुलवा हुयी,...




पहली बार गन्ने के खेत में , ऐसे खुले में,... बहुत मजा आया उसको ,

हाँ चलने के पहले फुलवा बोल गयी थी , आज आउंगी रात में , और अकेले टाइम पे आ जाना,...



और रात में तो आज फुलवा इतनी खुश इतनी जोस में की दूसरी बार , ...

खुद उसके ऊपर चढ़ के चोदने की उसने कोशिश की ,.... और जब तक पूरा एक बार घोंट नहीं लिया चढ़ी रही,...




हालांकि उसके बाद वही ऊपर हो गया,...



लेकिन तीसरी बार के बाद अचानक उसको याद आया और फुलवा के जोबन हलके हलके काटते उसने पूछा की

" अरे, तू तो कह रही थी की आज से तेरी वो,... पांच दिन वाली छुट्टी,.... "

अब फुलवा पे जो हंसने का बुखार चढ़ा, तो बहुत देर तक,

" बाबू तू न एकदम बुरबक,.. अरे गन्ने के खेत में आज दिन में हम ,... तू समझे नहीं,... "

वो सच में कुछ नहीं समझा था,...


फिर बड़ी मुश्किल से हंसी रोक के वो बोली,



" अरे बुद्धू हो गयी न छुट्टी,... पांच दिन वाली नहीं पूरे नौ महीने की छुट्टी,... नहीं समझे तो कोई बात नहीं , हम परसाद माने थे कल जाके चढ़ा आना और सवा पाँव मिठाई ले के आना ,... और टिकोरे का मन ललचा रहा है ,... तो तीन चार दिन बाद उहो मिल जायेगी,... जउने दिन चमेलिया क छुट्टी ख़तम होइ ओहि दिन , और जउने दिन लौंडिया क छुट्टी खतम होती न अस गरमाई रहती है , ठोंकना कस के,... लेकिन हमरे छुट्टी क तो पूरे नौ महीने क छुट्टी। "





और फिर पागल हो के जैसे,वो चूमते हुए झुक के 'उसको' भी चूम लिया।



हाँ एक बात जो उसने अपनी बहन, गीता को नहीं बताई थी लेकिन मैं आप सब से चुपके से शेयर कर दे रही हूँ ,...
कुछ कुछ तो उसे अन्दाजा लग गया था , लेकिन फिर भी उसने ग्वालिन भौजी से अगले दिन साफ़ साफ़ पूछ लिया,



वो फुलवा से भी ज्यादा जोर से हंसी , मुश्किल से बोलीं देवर तो तो एकदमै,.... और फिर हंसना शुरू , और रुकीं तो उसको पकड़ के समझाते बोलीं,...

" अरे देवर बबुआ, जब कोई लड़का की किसी लौंडिया के अंदर दही डालता है तो बस नौ महीने के अंदर वो लौंडिया दूध देने लगती है , बस। "



लेकिन उसका चेहरा उतर गया ,

" ये तो बड़ा गड़बड़ हो गया भौजी , दस दिन के बाद उसका गौना है। "


"तुम तो सच में का का सिखाना पडेगा तुमको , हड़काया भौजी ने फिर पूछा अच्छा ये बताओ वो परेशान थी की खुश" उसकी ठुड्डी पकड़ के उसकी आँखों में आँखे डाल के झांकती मुस्कराती ग्वालिन भौजी ने पूछा।

"बहुत खुश भौजी , ख़ुशी में पागल, बोली की परसाद मानी थी, जाके चढ़ा आना और सवा पाव मिठाई ले आना हम दोनों खाएंगे,... ' वो बोला।



" तब लल्ला तुम काहें परेशान हो रहे मजे लो खुल के , अरे सवा पाव नहीं सवा किलो,... ले जाना,... देख वो तोहसे ज्यादा समझदार है,... गौना में जायेगी , पहली रात में ही मरद चढ़ेगा,... फिर क्या आठ दस दिन बाद सास ननद को बोल देगी की ,... महीना नहीं हुआ इस बार,

सास गौने से उतरने के पहले दिन ही बहू से पूछती है की तेरा महीना कब होता है , अरे वो पांच दिन रसोई में नहीं जायेगी न , इसलिए ,...

तो बस गौने में उतरते ही सास के पूछने पर कउनो आठ दस दिन बाद की तारीख बता देगी,... और जो वो तारीख आएगी तो ,... बस चार पांच दिन में अगर कुछ नहीं हुआ , उलटी शुरू हुयी ,

तो बस सास खुश की पोता होगा, ननद खुश की नेग मिलेगा , मरद खुश की कमाने जाने के पहले गाभिन कर के जा रहा है ,... तो जो सब खुश है तो तोहिं काहे परेशान हो रहे हो, मजे लो जम के "




ग्वालिन भौजी ने समझाया भी और उसके सर का बोझ भी उतार दिया, बौरहा देवर अब धीरे धीरे समझदार हो रहा था।

गौने में जाने के पहले अपनी छोटी बहन के टिकोरे तो चखाए ही, दो चार और की उसने झिल्ली फाड़ी , दिन में भी गन्ने और अरहर के खेत में मजे लेने शुरू कर दिए।



गीता ने पूछा, ' चमेलिया की भी, कब, फुलवा के सामने "


और अरविन्द ने हाल खुलासा बताया। और ये भी की उस रात फुलवा ने गीता का नाम ले ले के उसे खूब चिढ़ाया, छेड़ा और रात भर,...



ग्वालिन भौजी ने जैसा कहा, समझाया था, सवा किलो लड्डू न उसने सिर्फ चढ़ाया बल्कि साथ ले कर आम की बाग़ में,...

और अब उसे माँ से पूछना भी नहीं पड़ता था. कुछ तो बात थी ग्वालिन भौजी में अब वो शाम ढलने के पहले ही आ जाती थीं और माँ अब अरविन्द के पीछे पड़ जाती थी, कब जा रहे हो, अरे देर मत करो, अँधेरा हो जाएगा,... और शाम को ही बनी पूड़ी सब्जी हलवा का डब्बा उसे पकड़ा देती थीं,...

और उसके घर से बाहर निकलते ही ग्वालिन भौजी, घर का दरवाजा बंद कर देती थी, लेकिन रिश्ता तो देवर का था, इसलिए आँख मार के और चुदाई का इंटरेशनल सिंबल, अंगूठे को गोल कर केऊँगली अंदर बाहर,... और वो भी सर हिला के हामी में जवाब देता और बाग़ की ओर,...



जहाँ फुलवा उसका इन्तजार करती रहती।



कभी किसी पेड़ के पीछे छिपी, कभी आम के पेड़ के ऊपर चढ़ी धप्प से उसके ऊपर कूद के हंसती खिलखिलाती,... और लड्डू देख के खुस, लेकिन उसके हाथ से छीन के बोली,



" बाबू, पहले मैं खिलाऊंगी, आखिर तोहरी मेहनत का नतीजा है, लेकिन बौरहा चल, तू समझ तो गया,... " और पूरा लड्डू उसके मुंह में ठूंस दिया। "

मुंह बंद बोलती बंद और फुलवा का हाथ चालू, अरविंदवा के सब कपडे बाग़ में जमीन पे जहाँ फुलवा अपनी साड़ी पहले से ही बिछा देती। और उचक के अरविन्द की गोद में , पेटीकोट कभी सरक के कमर तक तो कभी सरसरा कर उतर जाता,... और अरविंद का फनफनाता खूंटा फुलवा के गोल गोल चूतड़ों पे रगड़ता, कभी फुलवा उसे पकड़ के अपनी प्रेमगली से सटा लेती,...



पांच दिनों से वो चुद रही थी रात भर और आज तो दिन में भी गन्ने के खेत में तो उसे जल्दी नहीं होती थी और पूरी रात उनकी थी,

पहले तो फुलवा को पांच दिन की छुट्टी का डर सताता था लेकिन जिसे वो बौरहा समझती थी और उसके टोले मोहल्ले की सब लड़कियां औरतें, बबुवाने क सबसे सोझ समझती थी, उसी ने फुलवा को गौने से पहले ही गाभिन कर दिया था,...

और उसके पाजामे का नाग अगर वो लड़कियां एक बार देख लें न तो बस दीवानी हो जाएँ लेकिन वो तो फुलवा की किस्मत में था,...

पर फुलवा जानती थी,

कि ये बौरहा सच में बौरहा था और अगर फुलवा ने उसकी आदत न सुधारी तो बस दस दिन बाद वो गौने चली जाएगी और ये बाबू फिर ऐसे वैसे खाली देखता ललचाता रहेगा ,...

तो ये काम उसे दस दिन के अंदर ही करना पडेगा,... और चमेलिया, उसकी छोटी बहन के साथ,...
 

komaalrani

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दो बातें फुलवा की,




और चमेलिया



कि ये बौरहा सच में बौरहा था और अगर फुलवा ने उसकी आदत न सुधारी तो बस दस दिन बाद वो गौने चली जाएगी और ये बाबू फिर ऐसे वैसे खाली देखता ललचाता रहेगा ,...

तो ये काम उसे दस दिन के अंदर ही करना पडेगा,... और चमेलिया, उसकी छोटी बहन के साथ,...


इस बाबू की हिम्मत तो पड़ेगी नहीं, कोई लड़की खुद भी चाहे तो , लेकिन गौना जाने के पहले अगर दो चार अपनी समौरिया दो चार कोरी कुँवारी को इसके नीचे लिटा दिया तो इसकी धड़क खुल जायेगी और इत्ता मस्त औजार लेके, ... बस एक बार खुद थोड़ बहुत हिम्मत कर ले,... अरे जउन ससुरी एक बार एकरे नीचे लेट गयी, इससे फड़वाय लिया वो तो खुदे,... और जो गाँव वाली सब उस को बुरबक, बौरहा, सोझ बोलती हैं, दो चार धक्का खाय लेंगी न तो खुदे बौराय जाएंगी एकरे बित्ता भर के नाग के लिए,...

और चमेलिया के साथ तो और,...



अभिन तो बबुआने के कुल लौंडे मर्द, ओकरे, फुलवा के गोर रंग जोबन के पीछे पड़े रहते हैं की गवना जाए के पहले ओकर नेवान कय दें, यह लिए चमेलिया के पीछे सब नहीं पड़े थे ,...

मन तो फुलवा का भी यही था लेकिन उन सबों को देख के उसका मन एकदम नहीं होता था और जिसके साथ होता था वो खाली ललचाता था नैन मटक्का करता था बोझा उठवाने के बहाने भी, और कउनो मरद से कहती तो जोबन पे हाथ पहले लगाता,.. और इसका तो ऊँगली छू गयी थी तो गिनगीना गया , लेकिन मन की हालत तो पजामा में फनफनाता नाग बता रहा था, केतना मन कर रहा था ओकर,...



तो चमेलिया के साथ तो यह बाबू का जरूर,




वरना ओकरे गौने के अगले दिन से कउनो न कउनो चमेलिया के साथ सीधे नहीं तो थोड़ बहुत जोर जबरदस्ती, ... और सबसे खराब बात की जो करेंगे तो फिर दो चार बार के बाद ओह लड़की को अपने दोस्तों में बाँट देंगे,... और ये तो , इसलिए इसी के साथ,...

और न खाली एकर औजार जबरदस्त है , चार पांच बार हचक हचक के करने के बाद भी फनफना के खड़ा हो जाता है लेकिन ओहसे बड़ी बात है ये लड़की का इज्जत करता है, ख्याल करता है ओकरे साथ कउनो खतरा नहीं है,...

फिर यह गाँव में कउनो बात छिपती तो है नहीं , जैसे चमेलिया के ऊपर ये चढ़ेगा अगले दिन ही और फिर बबुआने वाले भी ओकरे पीछे पड़ना बंद कर देंगे,...


वो सब सोच भी रही थी और अरविन्द को तंग भी कर रही थी,...

कभी अपने खुले मस्त कड़े कड़े जोबन अपने यार की छाती में रगड़ती तो




कभी चूतड़ उसके खड़े लंड में रगड़ती,... और साथ में पहले तो लडडू अपने मुंह में रख के कुछ उसे खिलाया कुछ खुद खाया,... और फिर अरविन्द घर से जो लाया था पूड़ी हलवा सब्जी दोनो ने ,...

पर अरविन्द का मन तो कुछ और खाने का कर रहा था और उससे ज्यादा फुलवा का मन भी उसे घोंटने का कर रहा था लेकिन उससे पहले अरविन्द को तड़पा के उसे कुछ बातें मनवा लेना जरूरी था,...

" हे दो न " अरविन्द ने आखिर बोल दिया,


" ला ना " अपने मुंह से आधा खाया कुचला, उसके थूक से लिथड़ा पूड़ी हलवा अपने होंठों से यार के होंठों को चिपका के सीधे अपने मुंह से अरविन्द के मुंह में





जानती वो भी थी की बेचारे को क्या चाहिए लेकिन आज उसकी सारी लाज शरम फुलवा उसकी ख़तम करना चाहती थी,

" ये नहीं वो " मुश्किल से अरविन्द के मुंह से निकला,

" अरे स्साले साफ़ साफ़ काहें नहीं कहता की चोदना चाहते हो, ... अरे भूत की तरह चोदते हो तब सरम नहीं , और लड़की से चोदना बोलने में लाज लगती है,... दस दिन बाद मैं चली जाउंगी तो क्या होगा इसका उसका लंड पकड़ के मुठियाते हुए फुलवा ने उसे धक्का दिया , अरविन्द जमीन पर फुलवा उसके ऊपर,... "

" एतना तो लौंडिया नहीं लजातीं जितना बाबू तू लजाला,... अरे बहुत चोदे क मन करत हो साफ़ साफ़ बोला"




" हाँ ,... अरविन्द बोला, कुछ रुक के हिम्मत कर के बोला , चुदवा ले न,... "

" अरे चुदवाना न होता तो आती काहें बाबू अब तो तू मना करबा न तो तोहरे ऊपर चढ़ के हम खुदे चोद देबे तोहैं,... लेकिन एक बात बताई ,... "

और इतना बोल के फुलवा चुप हो गयी,...

" बोल न यार " उसे चूमता हुआ अरविन्द बोला , अब उसके खूंटे की हालत खराब हो रही थी,...


" अरे बाबू चोदे क एता मन करत बा और दस दिन बाद तोहरा फुलवा उड़ जायेगी, तो का होगा,... "

प्यार से उसके ऊपर चढ़ के उसके मोटे खूंटे को मुठियाती फुलवा बोली,...



फिर झुक के खुले सुपाड़े को प्यार से चूम के बोली,...

" इसे लिए कह रही हूँ, तोहरे घरे में इतना मस्त माल है , एकदम लेने के लिए तैयार और तोहें मना भी नहीं करेगी, अरे यह खूंटा जेकरे बिल में एक बार घुस गया तो खुदे आएगी चुदवाने, खूब मस्त चूँचिया उठान है,... एकदम दबावे लायक मिजे लायक ,... तोहार छोटकी बहिनिया गितवा "




" धत्त " जोर से अरबिंद ने मना किया, फिर रुक के फुलवा के जोबन चूसते हुए बोला, ... " अभी छोटी है "
" अरे नहीं "

फुलवा ने एकदम से मना किया फिर जोड़ा,


" अरे हम ये थोड़े कह रहे हैं की कल ही जा के गितवा को चोद दो,... अरे पटाओ गोद में बैठा के चूँची मीजना, मसलना रगड़ना शुरू कर दो , चुम्मा लो, वो समझ जाए की की उसका भैया भी,... अरे अभिये गाँव के आठ दस लौंडे उसके पीछे पड़े हैं गाते रहते हैं ,...

' हमरे गाँव क गोरिया जब जवान होई , तब हमरो गंगा स्नान होई,... "

और हमर बात मान ला तोहरी छोटकी बहिनिया अस जोबन बीस पचास गाँव में नहीं होगा,... तो कउनो न कउनो चोद देगा तो यह बेचारे में कौन गड़बड़ है ," कह के फुलवा उसका मूसल चूसने लगी ,



और जब मुंह से निकाला तो उसी मुंह से उसे चूमते हुए बोली
" और जउन तो कह रहे हो छोट है न तो हमार चमेलिया ओहसे छह महीना छोट है,... घर के मरद को पता नहीं चलता की घर की लड़की कब जवान हो गयी,... लेकिन पहले हाँ बोलो दो बात हम कहेंगे चुप चाप हाँ करना है , "

" बात तो बता , " अरविन्द चोदने के लिए पागल हो रहा था।

" पहले हाँ बोला "




फुलवा की जिद्द , लड़कियां गाँव की हों शहर की छोटी बड़ी, होती एकतरह की हैं पहले हाँ करो फिर बताएंगी,

और हाँ करवाने के बाद तीन बार फुलवा ने जबान खोली,...

" टिकोरा खाओगे,... "



" मुझको तो ये आम खाना है " चूसुर चुसूर चूँची चूसते हुए नीचे दबा अरविन्द बोला,...




" पूछ नहीं रही हूँ, बता रहीं हूँ "


कुछ हड़काते हुए फुलवा ने बोला, फिर पुचकारते हुए अपनी मस्त रसीली चूँची अरविन्द के मुंह में ठूंसते, चूसते उसके मन की बात की,

" खा न आम, तेरा तो है, जितना मन करे उतना चूस, बस दांत जोर से मत लगाना,... और ससुराल कौन दूर है, , दो चार महीने में बीच बीच में,... फिर नौ महीने बाद, ... जिसे पेट में डाला है , एक चूँची से वो दूसरे से तू, पिलाऊंगी न चुसूर चुसूर दूध, पहलौठी का,... लेकिन बात सुन पहले "

और कुछ रुक के वो पहली बात जिसपे अरविन्द से हामी भरवाई थी वो बोल दी,...



" टिकोरा मिली परसों, हमार तो वो पांच दिन वाली छुट्टी नहीं हुयी लेकिन चमेलिया की तीन दिन पहले हो गयी है, परसों ख़तम हो जायेगी,...




सांझ को ले आउंगी तो फाड़ना उसकी मन भर के हमारे सामने,...और जैसी हमारी घबड़ा के सम्हल सम्हल के वैसे नहीं,... खूब हचक के, पूरी ताकत से , चिल्लाने देना , मैं रहूंगी न, अपने सामने फड़वाउंगी उसकी, हाथ पकड़ के रखूंगी कस के जकड़ के,.. टाँगे तो तेरे कंधे पे रहेंगी और एक बार तेरा मूसल घुस गया,... झिल्ली फट गयी न तो बस,..



और जो मेरा खून देख के घबड़ा रहे थे वैसे घबड़ाना मत, अरे बाबू कुँवार लड़की चोदोगे तो खून खच्चर तो होगा न, सब लड़कियों को मालूम होता है दर्द होगा बहुत , खून भी निकलेगा, लेकिन खुद आके तेरे सामने पेटीकोट का नाड़ा खोलती है, टांग उठाती है, और तुम्ही खून देख के घबड़ाते हो,... एकदम मस्ती से लेना उसकी और दूसरी बात और जरूरी है। . "

अरविन्द चूँची चूसते हुए मस्ती से सुन रहा था , वो फुलवा की कोई बात नहीं टालना चाहता था।और फुलवा ने दूसरी शर्त बता दी,...

और बताने के साथ एक बार फिर से कस के अरविन्द के मूसल को पकड़ के कसके दबाने लगी,...

" अगले दस दिन तक तो इस की हमें कोई चिंता नहीं है, रोज दावत होगी,... लेकिन हमरे जायके बाद,... एको दिन एको उपवास नहीं होना चाहिए,... रोज रोज, यह गाँव मैं कउनो कमी नहीं है तीन चार नयकी कोरी की गुल्ल्क तो मैं जाने के पहले ही फोड़वा दूंगी, दो तीन तो हमरे टोले की चमेलिया की सहेली हैं,... समझ लो,.. माल फ़साना, पटाना और पटक के लेना सब सिखा के जाउंगी,... लेकिन ओकरे बाद, ... सोच ली, अरे यह चीज खाली लटकाने के लिए नहीं चोदने के लिए है समझे न। "




और उसके बाद फुलवा ने पलटी खायी, अरविन्द ऊपर और रात भर चक्की चली।

दो दिन बाद फुलवा अपने साथ अपनी छोटी बहिन चमेलिया को भी ले आयी,...





अरविन्द ने पहले उसे देखा भी था लेकिन उस नजर से नहीं पर चमेलिया आते ही चिपक आयी उससे , और रात में उस दिन चांदनी भी थी, बादल भी नहीं थे,... बस रात भर,...



वो खूब चिल्लाई, चूतड़ पटके,... उसने पर फुलवा ने खुद उसका हाथ कस के दबोच रखा था और अरविन्द को चढ़ा रही थी,




" चिल्लाने दो उसको, रोज हमको चिढ़ाती थी आज पता चल रहा है न छिनार को ,... "

अरविन्द ने सिर्फ आधा मूसल पहले पेल रखा था, जब फुलवा की निगाह पड़ी तो उसने अरविन्द की माँ बहन सब गरियाई और होने सामने पूरा का पूरा अंदर,

लेकिन अरविन्द मान गया चमेलिया को दूसरे राउंड में वो फुलवा से भी आगे और धक्को के जवाब में धक्के मार रही थी और उसके कान में बोल रही थी,




" दीदी तो १० दिन में चली जाएंगी ओकरे बाद तो हम ही काम देंगे न "

उस दिन फुलवा ने तय किया था की उपवास रखेगी लेकिन चलने के पहले अरविन्द ने एक पुराने आम के पेड़ के पास निहुरा के उसे भी ठोंक दिया ,




और अगले दिन गन्ने के खेत में।

दो दिन बाद गन्ने के खेत में ही अपने ही टोले की एक कोरी कन्या को लेकर वो पहुंची और उसके साथ भी,...




जाने के पहले सचमुच उसने उसको नए माल के लिए एकदम पक्का कर दिया था, अबतक खाली गाँव की भाभियों के साथ ही अब वो एकदम नयी उमर वालियों, ..

एक बार कच्ची कली का मजा मिलने के बाद , कौन छोड़ सकता है।



तो अब तक दर्जनों कलियों को वो फूल बना चूका था।
 
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Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
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48,593
304
भाग ३६ -


इन्सेस्ट किस्सा- मस्ती भैया बहिनी उर्फ़ गीता -अरविन्द की










फुलवा और अपने सगे भाई अरविन्द का किस्सा सुन के, गितवा गरमा रही थी , चिपक रही थी बार बार अपने भाई से ,... कैसे अमराई में अरविन्द ने उसकी फाड़ी,.. और फिर बिना नागा,... और दिन दहाड़े गन्ने के खेत में अरविन्द ने चढ़ के फुलवा की टांग उठा उठा के,

और बार बार गितवा खींच के उसे , बस यही सोच रही थी बहुत हुआ किस्सा कहानी,... अब सीधे भैया चढ़ के उसे ,...


मुझे मालूम है आप सब बार बार गीता और अरविन्द का किस्सा सुनने के लिए बेताब हो रहे है,... आखिर किस्सा भी भैया बहिनी का है, इन्सेस्ट का है और मैं सुनाने के लिए ,

लेकिन बस थोड़ा सा फुलवा की बात बची हुयी है, वो बात,... और उसके बाद कैसे रात भर गीता ने अपने भैया के साथ मस्ती की,... और इस कामना के साथ जैसे उन दोनों सगे भाई बहिन की मन की मुराद पूरी हुयी , उसी तरह इस कहानी को मन लगा के ध्यान से पढ़ने वाले सभी भाई बहनों की मन की मुराद पूरी हो,

पर थोड़ी सी बात फुलवा की, बस थोड़ी सी,...


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फुलवा हुयी,...




पहली बार गन्ने के खेत में , ऐसे खुले में,... बहुत मजा आया उसको ,

हाँ चलने के पहले फुलवा बोल गयी थी , आज आउंगी रात में , और अकेले टाइम पे आ जाना,...



और रात में तो आज फुलवा इतनी खुश इतनी जोस में की दूसरी बार , ...

खुद उसके ऊपर चढ़ के चोदने की उसने कोशिश की ,.... और जब तक पूरा एक बार घोंट नहीं लिया चढ़ी रही,...




हालांकि उसके बाद वही ऊपर हो गया,...



लेकिन तीसरी बार के बाद अचानक उसको याद आया और फुलवा के जोबन हलके हलके काटते उसने पूछा की

" अरे, तू तो कह रही थी की आज से तेरी वो,... पांच दिन वाली छुट्टी,.... "

अब फुलवा पे जो हंसने का बुखार चढ़ा, तो बहुत देर तक,

" बाबू तू न एकदम बुरबक,.. अरे गन्ने के खेत में आज दिन में हम ,... तू समझे नहीं,... "

वो सच में कुछ नहीं समझा था,...


फिर बड़ी मुश्किल से हंसी रोक के वो बोली,



" अरे बुद्धू हो गयी न छुट्टी,... पांच दिन वाली नहीं पूरे नौ महीने की छुट्टी,... नहीं समझे तो कोई बात नहीं , हम परसाद माने थे कल जाके चढ़ा आना और सवा पाँव मिठाई ले के आना ,... और टिकोरे का मन ललचा रहा है ,... तो तीन चार दिन बाद उहो मिल जायेगी,... जउने दिन चमेलिया क छुट्टी ख़तम होइ ओहि दिन , और जउने दिन लौंडिया क छुट्टी खतम होती न अस गरमाई रहती है , ठोंकना कस के,... लेकिन हमरे छुट्टी क तो पूरे नौ महीने क छुट्टी। "





और फिर पागल हो के जैसे,वो चूमते हुए झुक के 'उसको' भी चूम लिया।



हाँ एक बात जो उसने अपनी बहन, गीता को नहीं बताई थी लेकिन मैं आप सब से चुपके से शेयर कर दे रही हूँ ,...
कुछ कुछ तो उसे अन्दाजा लग गया था , लेकिन फिर भी उसने ग्वालिन भौजी से अगले दिन साफ़ साफ़ पूछ लिया,



वो फुलवा से भी ज्यादा जोर से हंसी , मुश्किल से बोलीं देवर तो तो एकदमै,.... और फिर हंसना शुरू , और रुकीं तो उसको पकड़ के समझाते बोलीं,...

" अरे देवर बबुआ, जब कोई लड़का की किसी लौंडिया के अंदर दही डालता है तो बस नौ महीने के अंदर वो लौंडिया दूध देने लगती है , बस। "



लेकिन उसका चेहरा उतर गया ,

" ये तो बड़ा गड़बड़ हो गया भौजी , दस दिन के बाद उसका गौना है। "


"तुम तो सच में का का सिखाना पडेगा तुमको , हड़काया भौजी ने फिर पूछा अच्छा ये बताओ वो परेशान थी की खुश" उसकी ठुड्डी पकड़ के उसकी आँखों में आँखे डाल के झांकती मुस्कराती ग्वालिन भौजी ने पूछा।

"बहुत खुश भौजी , ख़ुशी में पागल, बोली की परसाद मानी थी, जाके चढ़ा आना और सवा पाव मिठाई ले आना हम दोनों खाएंगे,... ' वो बोला।



" तब लल्ला तुम काहें परेशान हो रहे मजे लो खुल के , अरे सवा पाव नहीं सवा किलो,... ले जाना,... देख वो तोहसे ज्यादा समझदार है,... गौना में जायेगी , पहली रात में ही मरद चढ़ेगा,... फिर क्या आठ दस दिन बाद सास ननद को बोल देगी की ,... महीना नहीं हुआ इस बार,

सास गौने से उतरने के पहले दिन ही बहू से पूछती है की तेरा महीना कब होता है , अरे वो पांच दिन रसोई में नहीं जायेगी न , इसलिए ,...

तो बस गौने में उतरते ही सास के पूछने पर कउनो आठ दस दिन बाद की तारीख बता देगी,... और जो वो तारीख आएगी तो ,... बस चार पांच दिन में अगर कुछ नहीं हुआ , उलटी शुरू हुयी ,

तो बस सास खुश की पोता होगा, ननद खुश की नेग मिलेगा , मरद खुश की कमाने जाने के पहले गाभिन कर के जा रहा है ,... तो जो सब खुश है तो तोहिं काहे परेशान हो रहे हो, मजे लो जम के "




ग्वालिन भौजी ने समझाया भी और उसके सर का बोझ भी उतार दिया, बौरहा देवर अब धीरे धीरे समझदार हो रहा था।

गौने में जाने के पहले अपनी छोटी बहन के टिकोरे तो चखाए ही, दो चार और की उसने झिल्ली फाड़ी , दिन में भी गन्ने और अरहर के खेत में मजे लेने शुरू कर दिए।



गीता ने पूछा, ' चमेलिया की भी, कब, फुलवा के सामने "


और अरविन्द ने हाल खुलासा बताया। और ये भी की उस रात फुलवा ने गीता का नाम ले ले के उसे खूब चिढ़ाया, छेड़ा और रात भर,...



ग्वालिन भौजी ने जैसा कहा, समझाया था, सवा किलो लड्डू न उसने सिर्फ चढ़ाया बल्कि साथ ले कर आम की बाग़ में,...

और अब उसे माँ से पूछना भी नहीं पड़ता था. कुछ तो बात थी ग्वालिन भौजी में अब वो शाम ढलने के पहले ही आ जाती थीं और माँ अब अरविन्द के पीछे पड़ जाती थी, कब जा रहे हो, अरे देर मत करो, अँधेरा हो जाएगा,... और शाम को ही बनी पूड़ी सब्जी हलवा का डब्बा उसे पकड़ा देती थीं,...

और उसके घर से बाहर निकलते ही ग्वालिन भौजी, घर का दरवाजा बंद कर देती थी, लेकिन रिश्ता तो देवर का था, इसलिए आँख मार के और चुदाई का इंटरेशनल सिंबल, अंगूठे को गोल कर केऊँगली अंदर बाहर,... और वो भी सर हिला के हामी में जवाब देता और बाग़ की ओर,...



जहाँ फुलवा उसका इन्तजार करती रहती।



कभी किसी पेड़ के पीछे छिपी, कभी आम के पेड़ के ऊपर चढ़ी धप्प से उसके ऊपर कूद के हंसती खिलखिलाती,... और लड्डू देख के खुस, लेकिन उसके हाथ से छीन के बोली,



" बाबू, पहले मैं खिलाऊंगी, आखिर तोहरी मेहनत का नतीजा है, लेकिन बौरहा चल, तू समझ तो गया,... " और पूरा लड्डू उसके मुंह में ठूंस दिया। "

मुंह बंद बोलती बंद और फुलवा का हाथ चालू, अरविंदवा के सब कपडे बाग़ में जमीन पे जहाँ फुलवा अपनी साड़ी पहले से ही बिछा देती। और उचक के अरविन्द की गोद में , पेटीकोट कभी सरक के कमर तक तो कभी सरसरा कर उतर जाता,... और अरविंद का फनफनाता खूंटा फुलवा के गोल गोल चूतड़ों पे रगड़ता, कभी फुलवा उसे पकड़ के अपनी प्रेमगली से सटा लेती,...



पांच दिनों से वो चुद रही थी रात भर और आज तो दिन में भी गन्ने के खेत में तो उसे जल्दी नहीं होती थी और पूरी रात उनकी थी,

पहले तो फुलवा को पांच दिन की छुट्टी का डर सताता था लेकिन जिसे वो बौरहा समझती थी और उसके टोले मोहल्ले की सब लड़कियां औरतें, बबुवाने क सबसे सोझ समझती थी, उसी ने फुलवा को गौने से पहले ही गाभिन कर दिया था,...

और उसके पाजामे का नाग अगर वो लड़कियां एक बार देख लें न तो बस दीवानी हो जाएँ लेकिन वो तो फुलवा की किस्मत में था,...

पर फुलवा जानती थी,

कि ये बौरहा सच में बौरहा था और अगर फुलवा ने उसकी आदत न सुधारी तो बस दस दिन बाद वो गौने चली जाएगी और ये बाबू फिर ऐसे वैसे खाली देखता ललचाता रहेगा ,...

तो ये काम उसे दस दिन के अंदर ही करना पडेगा,... और चमेलिया, उसकी छोटी बहन के साथ,...
Soooooooooooooooooo kamuk , didi ab aap bhi ye kesa sexy likhne lagi ho, mene to comment section mein aisi baat likhi nahi kabhi, aap to samjh hi gyi hogi .
🔥🔥🔥🔥🔥🔥
👌👌👌👌👌👌👌👌
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बहना संग मस्ती -गीता और अरविन्द






तो अब तक दर्जनों कलियों को वो फूल बना चूका था।

और फिर वो गीता से बोला,... उतना ज्यादा मज़ा मुझे न उससे पहले कभी आया था न उसके बाद ,... लेकिन कल

कल क्या भैया , उसे चूमते गीता बोली

कल उससे भी बहुत ज्यादा मज्जा आया , ... सच में ,... वो ख़ुशी से बोला।

" सच बोल न , बहन चोद बन गए इसी लिए मजा आया "



चिढ़ाते हुए उसकी छुटकी बहिनिया बोली।


" हाँ, भाई चोद, कबसे तेरी ये कुँवारी चूत फाड़ने के लिए बेकरार था मैं,... चल आज तुझे ऐसे पेलुँगा न की तू भी, ... लेकिन जानती है सबसे पहले तेरी मारने के लिए मुझे किसने उकसाया था, और कब,.... "

" बोल न, भैया, कौन, कब "

उससे चिपकते दुलराते छुटकी बहिनिया ने पूछा।

कुछ देर वो चुप रहा, फिर मुस्कराते बोला,...

" अरे और कौन, चाची ने,.... और वो भी आज नहीं पूरे डेढ़ साल पहले, बल्कि और, जब मैंने फुलवा की झिल्ली नहीं फाड़ी थी, उसके भी पहले,... मुझसे बोलती थीं ,

' स्साले इत्ता मस्त माल तेरे घर है और आज तक तूने किसी की झिल्ली नहीं फाड़ी, '



और फिर खुद ही साफ़ साफ़ तेरा नाम ले के,... "



" बहन है मेरी "


मैंने बोला, तो हँसते हुए जोर से एक हाथ मेरे चूतड़ पे लगा के बोलीं, ...

"मैं भी तो तेरी चाची हूँ , तेरी माँ की तरह, उन्ही की उमर की , पर मेरे ऊपर तो हर हफ्ते आके चढ़ाई कर जाता है, ...और बहन वहन कुछ नहीं, बोल उस के चूत है की नहीं, ... "



" वो तो सब लड़कियों की होती है," मैं झुंझला के बोला।

" तो हर चूत लंड खोजती हैं। .. तू नहीं पेलेगा तो सोच वो बची रहेगी, ... चूत है तो चींटे काटेंगे जवानी में,.... और चींटे काटेंगे तो वो लंड ढूँढेगी और ऐसे मस्त माल को कोई नहीं छोड़ने वाला,... "



" नहीं नहीं,... " फिर कुछ सोच के मैंने जोड़ा " अभी छोटी है "

तो हंस के बोलीं,

" एकदम बुद्धू है, अरे इस उमर की लड़कियां गपागप घोंटती है,... " फिर चाची ने जोड़ा ,
" तुझे मालूम है उसके पिरयड्स आते कितने दिन हो गए हैं , पहली बार मेरे पास ही थी थी जब खून,... चल अभी नहीं तो पांच छह महीने में,... "


फिर,

गीता ध्यान से सुन रही थी।





" अरे चाची आसानी से छोड़ने वाली थी थीं , कहने लगीं

:अच्छा चल तेरी मानी, तू कम से कम उसे एक मस्त माल की तरह से देखना शुरू कर,... देख चूँचियाँ उसकी आनी शुरू हो गयीं हैं,... और तेरा हाथ लगेगा तो मस्त जोबन होंगे उसके , ... एकदम जिल्ला टॉप माल. अभी नहीं तू तो कुछ दिन बाद , लेकिन देर मत कर वरना कोई फीता काट देगा,... "





गीता और भाई से चिपट गयी,... और उसके हाथ अपने छोटे छोटे जोबन पे दबाती बोली,...

" भैया, चाची कित्ती अच्छी हैं, इसी लिए तो कहते हैं की बड़ों की बात माननी चाहिए,... पर स्साला मेरी किस्मत में एकदम बुद्धू भाई मिला है "
 
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पूरा खूंटा अंदर





" चल अब बताता हूँ तेरा भाई कैसा है , आज चोद चोद के तेरी चीखे न निकलवाई,..अब तो माँ भी दस दिन के लिए नहीं है,... "

" अरे नहीं भैया, मेरे अच्छे भैया, ... मैं तो ऐसे ही चिढ़ा रही थी "...


ये कह के , वो बिस्तर से उठ के भागी, और कभी कन्नी काट के ,... कभी झुक के कमरे में ही उससे बच रही थी , और दूसरे कोने में पहुंच के जीभ निकाल के चिढ़ाती, मानो कह रही हो पकड़ लो तो चोद दो।

भाई भी जैसे थक के बैठ गया हो , हार मान ली,... पर दिमाग तो तेज था तो उससे बोला, चल मेरी हारी ,

अच्छा जरा देख खिड़की के बाहर चाँद की परछाईं पानी में कैसी, ...अरे वो सामने वाले तालाब में,







वो भोली, बावरी, खिड़की पकड़ के झुकी,...

और पीछे से चुपके से आके भाई ने दबोच लिया, दोनों हाथ सीधे चूँची पे और लंड खड़ा तन्नाया चूतड़ पे,...

मज़ा तो गीता को बहुत आ रहा था , पर वो बन के चीखी, .... छोड़ो भैया ये फाउल है,...

बदले में भाई ने उसके गाल चूम लिए और बोला,

तेरी चुम्मी बड़ी मीठी है,...

और पहले हल्के से फिर कस कस के बहन की चूँचियाँ मसलनी शुरू कर दी,



कभी पीछे से उसकी गरदन चूमता कभी पीठ, और हलके हलके उसकी दोनों टांगों के बीच, अपनी टांगो को डाल के फैलाना शुरू किया,


गीता खुद ही गरमा रही थी , पिघल रही थी उसकी गुलाबो में से पानी छलक रहा था,

दस पन्दरह मिनट से भाई चूँची मसल रहा था,पिछवाड़े लंड रगड़ रहा था , कोई भी लौंडिया जाँघे फैला देती,...

और गीता तो कल रात से आधी दर्जन बार से ज्यादा इसी लंड से चुद चुकी,...

उसकी जाँघे एकदम खुल गयीं , और मौक़ा पाके अपन भाई ने अपना मोटा खूंटा सीधे फांको पे रगड़ना शुरू किया, कुछ तो उसे चाची ने सिखाया था और कुछ खुद,.. की जब तक लौंडिया इतनी गरम न हो जाए की पगला के कहे,

" चोद,... चोद मुझे,... "

तब तक लंड को बस ऊपर ऊपर से रगड़ता रहे, माल को मस्त करता रहे,... और गीता ने जब सिसकना शुरू किया तो बस अब उससे भी नहीं रहा गया ,...

और कमर पकड़ के उसने वो करारा धक्का मारा ,...




जो सिर्फ चाची ऐसी भोंसडे वालियों के लिए लगाता था, वो भी चुदाई शुरू होने के काफी बाद,... वो हेलीकाप्टर शॉट की बाल स्टेडियम के बाहर जाए,...

" उईईईईई , ओह्ह्ह्हह्हह ,...... उईईईईई नहीं ,...उफ्फफ्फ्फ़ ,... "

गीता जोर से चीखी,... इतना दर्द तो कल झिल्ली फटने के समय भी नहीं हुआ था , चीखें रुक नहीं रही थी,...

उईईईईई उह्ह्हह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्हह्हह नहीं उफ्फ्फ दर्द के मारे उईईईईई ,...




पर ऐसी चीखें तो अब उसके भैया के जोश में आग में घी का काम करती थी ,अगला धक्का वो और तेज से मारता,...

फुलवा की झिल्ली फाड़ने के पहले थोड़ा वो घबड़ाता था , लेकिन फुलवा के बाद , अपने गौने के सात आठ दिन पहले उसे अमराई में जब फुलवा अपनी छोटी बहन चमेलिया को ले आयी और अपने सामने,... और जब झिल्ली फटते समय वो चिल्लाई, ...

और उसने धक्का रोक दिया तो फुलवा ने उसे उसकी बहन महतारी की दस गाली सुनाई
" अरे मादरचोद, तेरी महतारी का भोंसड़ा नहीं है जो नहीं चिल्लायेगी,... मेरी छोटी बहन है एकदम कुँवारी, और लौंडिया का तो काम ही चिल्लाना , चूतड़ पटकना , रोना चिल्लाना है,... अरे इस समय तो और कस कस के धक्के मारने चाहिए,... अगर साले रुके न तो,... फिर जाके अपनी बहिनिया को चोदना,... चोद कस के , चिल्लाने दे इस को,... अरे आज तक कोई लड़की चुदवाने से, गाँड़ मरवाने से मरी है क्या,...स्साला,... अरे बाबू समझ लो,... अगर रुके न तो हमारी तुम्हारी कुट्टी,... "




उसके बाद तो वो चमेलिया चिल्लाती रही वो कूटता रहा, जबतक खूंटा जड़ तक नहीं धंस गया ,... और उसके बाद भी फुलवा ने उसे नयी उमर की नयी फसल का शौक लगा दिया, वो खुद ही दो तीन को पटा के , एक दो उसके टोले की,... एक बबुआने की भी , कभी गन्ने के खेत में तो कभी ट्यूबवेल वाले कमरे में,... और वो सीख गया,


चिल्लाने से चुदाई नहीं रुकनी चाहिए,...



और आज तो वो पूरा गरमाया था,... जिस तरह गीता उसे चिढ़ा रही थी , वो समझ गया वो भी मस्त हो रही है , जैसे बछिया सांड़ के लिए होकड़ती है,... और सांड़ देख के भागती है लेकिन एक,... बार सांड़ चढ़ जाता है मजे से,... और सांड़ भी कौन बछिया के उचकने से रुकता है ,... तो मरद क्यों रुके,...

हाँ जब पूरा खूंटा अंदर धंस गया तो वो कुछ देर के लिए रुक गया, और बिना बाहर निकाले लंड का बेस चूत के बाहर रगड़ने लगा, एक हाथ उसका बहन की खुली जाँघों के बीच, क्लिट की रगड़ाई,
नतीजा ये हुआ की गीता पहले से गरमाई झड़ने लगी,...और उसने झड़ने दिया



फिर वो ट्रिक जो चाची ने सिखाई थी सिर्फ उन भौजाइयों के ऊपर जो ज्यादा गरमाई रहती हों, जल्द झड़ती न हों , मायके की छिनार , चार पांच बच्चों वाली , बुर फ़ैल के भोंसड़ा हो गयी हो,... बस आज इस कच्ची कली के ऊपर,...

गीता को पता भी नहीं चला और और भाई ने दोनों टाँगे अपनी बाहर निकाल लीं,...

और कैंची बना के अपनी दोनों टांगों से बहन की दोनों टांगों को कस के जकड़ लिया,... गीता की खुली जाँघे कस गयीं , जैसे कोई घुड़वार अपनी जाँघों से घोड़ी को कस के दबोच ले , उसी तरह बहन की चूत ने भाई के लंड को दबोच लिया था






लेकिन बहुत ताकत थी, भाई की कमरिया में , रोज १०० दंड पेलता था, ... तभी तो जिस को एक बार पेल दिया चाहे कन्या कुमारी हो, जिसकी उसने झिल्ली फाड़ी हो या चार बच्चों की माँ, उसके पीछे पीछे चूत हाथ में ले के टहलती थी,
दरेरते, रगड़ते, अपना मोटा लंड बहन की चूत से धीरे धीरे बाहर खींचा, सिर्फ सुपाड़ा बचा था वो भी आधे से कम ही,... अब लंड के बाहर निकलने से चूत एक बार फिर सिकुड़ने लगी, और थोड़ी देर में , एकदम,...

और अब फिर दुबारा पूरी ताकत से भाई ने ठेला, कसी चूत, सटी टाँगे, फंसी फंसी जाँघे,.... भाई को दोनों तगड़ी जाँघों के बीच कस के कसी, दबोची,...
 
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हचक के,...रगड़ के बहिनिया की




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गीता को पता भी नहीं चला और और भाई ने दोनों टाँगे अपनी बाहर निकाल लीं,... और कैंची बना के अपनी दोनों टांगों से बहन की दोनों टांगों को कस के जकड़ लिया,... गीता की खुली जाँघे कस गयीं ,

जैसे कोई घुड़वार अपनी जाँघों से घोड़ी को कस के दबोच ले , उसी तरह बहन की चूत ने भाई के लंड को दबोच लिया था

लेकिन बहुत ताकत थी, भाई की कमरिया में , रोज १०० दंड पेलता था, ... तभी तो जिस को एक बार पेल दिया चाहे कन्या कुमारी हो, जिसकी उसने झिल्ली फाड़ी हो या चार बच्चों की माँ, उसके पीछे पीछे चूत हाथ में ले के टहलती थी,

दरेरते, रगड़ते, अपना मोटा लंड बहन की चूत से धीरे धीरे बाहर खींचा, सिर्फ सुपाड़ा बचा था वो भी आधे से कम ही,... अब लंड के बाहर निकलने से चूत एक बार फिर सिकुड़ने लगी, और थोड़ी देर में , एकदम,...

और अब फिर दुबारा पूरी ताकत से भाई ने ठेला, कसी चूत, सटी टाँगे, फंसी फंसी जाँघे,....

भाई को दोनों तगड़ी जाँघों के बीच कस के कसी, दबोची,...




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कोकशास्त्र में स्पष्ट लिखा है की शशः पुरुष का शिश्न छह अंगुल का तथा अश्व का बारह अंगुल का होता है उसी प्रकार हिरणी के प्रकार की स्त्री की योनि ६ अंगुल गहरी तथा हस्तिनी की बारह अंगुल वाली होती है , अतः अगर कभी शश पुरष ( छह अंगुल वाले को ) हस्तिनी ( बारह अंगुल गहरी योनि वाली ) के साथ सम्भोग करना हो तो इस प्रकार के संकुचन वाले आसन का प्रयोग उचित है,


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पर यहाँ तो बारह अंगुल वाला अश्व , छह अंगुल वाली हरिणी पर चढ़ा था और आसन वही,

सूत सूत सरकते रगड़ते दरेरते, मोटा सा लंड बहन की चूत में घिसट घिसट कर घुस रहा था

और बहन चीख रही थी , तड़प रही थी, जाल में फंसी चिड़िया की तरह छूटने की कोशिश कर रही थी,...


पर ये आवाजें ही तो कामाग्नि में घृत का काम करती हैं , वो चीखती रही , चीख के थक गयी, पर भाई चोदता रहा उसी तरह दबा के दबोच के ,

पर उस दर्द के बावजूद थोड़ी देर में गीता फिर झड़ रही थी और इस मस्ती से वो कभी नहीं झड़ी थी कल से ,...झड़ती रूकती,... फिर झड़ती ,...

कुछ देर रुक के भाई ने फिर,... और आठ दस मिनट बाद , सारी मलाई उसकी बच्चेदानी में उड़ेली



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गीता ने छुटकी को बताया की की पूरी रात,.... जैसे मरद औरत नई नयी शादी के बाद,... और एक बार भी बिस्तर पे लिटा के नहीं,.. कभी दीवाल के सहारे खड़ा कर के , कभी पलंग पकड़ा के निहुरा के , कभी गोद में बिठा के,... और अगले दिन भी, यहाँ तक की रसोई में भी , घर का कोई कोना दोनों ने छोड़ा नहीं ,
छुटकी बोली,

" दीदी, फिर तो बहुत मजा आया होगा दस दिन तक माँ को नहीं आना था , पूरे दस दिन,... "




" नहीं यार, तीन चार दिन बाद ,... हम दोनों पकडे गए , लेकिन सारी डांट मुझे ही पड़ी,... बल्कि एक दो हाथ भी ,... माँ जल्दी आ गयी थी। "



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भाग ३६ -


इन्सेस्ट किस्सा-
मस्ती भैया बहिनी उर्फ़ गीता -अरविन्द की










फुलवा और अपने सगे भाई अरविन्द का किस्सा सुन के, गितवा गरमा रही थी , चिपक रही थी बार बार अपने भाई से ,... कैसे अमराई में अरविन्द ने उसकी फाड़ी,.. और फिर बिना नागा,... और दिन दहाड़े गन्ने के खेत में अरविन्द ने चढ़ के फुलवा की टांग उठा उठा के,

और बार बार गितवा खींच के उसे , बस यही सोच रही थी बहुत हुआ किस्सा कहानी,... अब सीधे भैया चढ़ के उसे ,...


मुझे मालूम है आप सब बार बार गीता और अरविन्द का किस्सा सुनने के लिए बेताब हो रहे है,... आखिर किस्सा भी भैया बहिनी का है, इन्सेस्ट का है और मैं सुनाने के लिए ,

लेकिन बस थोड़ा सा फुलवा की बात बची हुयी है, वो बात,... और उसके बाद कैसे रात भर गीता ने अपने भैया के साथ मस्ती की,... और इस कामना के साथ जैसे उन दोनों सगे भाई बहिन की मन की मुराद पूरी हुयी , उसी तरह इस कहानी को मन लगा के ध्यान से पढ़ने वाले सभी भाई बहनों की मन की मुराद पूरी हो,

पर थोड़ी सी बात फुलवा की, बस थोड़ी सी,...


-------

फुलवा हुयी,...




पहली बार गन्ने के खेत में , ऐसे खुले में,... बहुत मजा आया उसको ,

हाँ चलने के पहले फुलवा बोल गयी थी , आज आउंगी रात में , और अकेले टाइम पे आ जाना,...



और रात में तो आज फुलवा इतनी खुश इतनी जोस में की दूसरी बार , ...

खुद उसके ऊपर चढ़ के चोदने की उसने कोशिश की ,.... और जब तक पूरा एक बार घोंट नहीं लिया चढ़ी रही,...




हालांकि उसके बाद वही ऊपर हो गया,...



लेकिन तीसरी बार के बाद अचानक उसको याद आया और फुलवा के जोबन हलके हलके काटते उसने पूछा की

" अरे, तू तो कह रही थी की आज से तेरी वो,... पांच दिन वाली छुट्टी,.... "

अब फुलवा पे जो हंसने का बुखार चढ़ा, तो बहुत देर तक,

" बाबू तू न एकदम बुरबक,.. अरे गन्ने के खेत में आज दिन में हम ,... तू समझे नहीं,... "

वो सच में कुछ नहीं समझा था,...


फिर बड़ी मुश्किल से हंसी रोक के वो बोली,



" अरे बुद्धू हो गयी न छुट्टी,... पांच दिन वाली नहीं पूरे नौ महीने की छुट्टी,... नहीं समझे तो कोई बात नहीं , हम परसाद माने थे कल जाके चढ़ा आना और सवा पाँव मिठाई ले के आना ,... और टिकोरे का मन ललचा रहा है ,... तो तीन चार दिन बाद उहो मिल जायेगी,... जउने दिन चमेलिया क छुट्टी ख़तम होइ ओहि दिन , और जउने दिन लौंडिया क छुट्टी खतम होती न अस गरमाई रहती है , ठोंकना कस के,... लेकिन हमरे छुट्टी क तो पूरे नौ महीने क छुट्टी। "





और फिर पागल हो के जैसे,वो चूमते हुए झुक के 'उसको' भी चूम लिया।



हाँ एक बात जो उसने अपनी बहन, गीता को नहीं बताई थी लेकिन मैं आप सब से चुपके से शेयर कर दे रही हूँ ,...
कुछ कुछ तो उसे अन्दाजा लग गया था , लेकिन फिर भी उसने ग्वालिन भौजी से अगले दिन साफ़ साफ़ पूछ लिया,



वो फुलवा से भी ज्यादा जोर से हंसी , मुश्किल से बोलीं देवर तो तो एकदमै,.... और फिर हंसना शुरू , और रुकीं तो उसको पकड़ के समझाते बोलीं,...

" अरे देवर बबुआ, जब कोई लड़का की किसी लौंडिया के अंदर दही डालता है तो बस नौ महीने के अंदर वो लौंडिया दूध देने लगती है , बस। "



लेकिन उसका चेहरा उतर गया ,

" ये तो बड़ा गड़बड़ हो गया भौजी , दस दिन के बाद उसका गौना है। "


"तुम तो सच में का का सिखाना पडेगा तुमको , हड़काया भौजी ने फिर पूछा अच्छा ये बताओ वो परेशान थी की खुश" उसकी ठुड्डी पकड़ के उसकी आँखों में आँखे डाल के झांकती मुस्कराती ग्वालिन भौजी ने पूछा।

"बहुत खुश भौजी , ख़ुशी में पागल, बोली की परसाद मानी थी, जाके चढ़ा आना और सवा पाव मिठाई ले आना हम दोनों खाएंगे,... ' वो बोला।



" तब लल्ला तुम काहें परेशान हो रहे मजे लो खुल के , अरे सवा पाव नहीं सवा किलो,... ले जाना,... देख वो तोहसे ज्यादा समझदार है,... गौना में जायेगी , पहली रात में ही मरद चढ़ेगा,... फिर क्या आठ दस दिन बाद सास ननद को बोल देगी की ,... महीना नहीं हुआ इस बार,

सास गौने से उतरने के पहले दिन ही बहू से पूछती है की तेरा महीना कब होता है , अरे वो पांच दिन रसोई में नहीं जायेगी न , इसलिए ,...

तो बस गौने में उतरते ही सास के पूछने पर कउनो आठ दस दिन बाद की तारीख बता देगी,... और जो वो तारीख आएगी तो ,... बस चार पांच दिन में अगर कुछ नहीं हुआ , उलटी शुरू हुयी ,

तो बस सास खुश की पोता होगा, ननद खुश की नेग मिलेगा , मरद खुश की कमाने जाने के पहले गाभिन कर के जा रहा है ,... तो जो सब खुश है तो तोहिं काहे परेशान हो रहे हो, मजे लो जम के "




ग्वालिन भौजी ने समझाया भी और उसके सर का बोझ भी उतार दिया, बौरहा देवर अब धीरे धीरे समझदार हो रहा था।

गौने में जाने के पहले अपनी छोटी बहन के टिकोरे तो चखाए ही, दो चार और की उसने झिल्ली फाड़ी , दिन में भी गन्ने और अरहर के खेत में मजे लेने शुरू कर दिए।



गीता ने पूछा, ' चमेलिया की भी, कब, फुलवा के सामने "


और अरविन्द ने हाल खुलासा बताया। और ये भी की उस रात फुलवा ने गीता का नाम ले ले के उसे खूब चिढ़ाया, छेड़ा और रात भर,...



ग्वालिन भौजी ने जैसा कहा, समझाया था, सवा किलो लड्डू न उसने सिर्फ चढ़ाया बल्कि साथ ले कर आम की बाग़ में,...

और अब उसे माँ से पूछना भी नहीं पड़ता था. कुछ तो बात थी ग्वालिन भौजी में अब वो शाम ढलने के पहले ही आ जाती थीं और माँ अब अरविन्द के पीछे पड़ जाती थी, कब जा रहे हो, अरे देर मत करो, अँधेरा हो जाएगा,... और शाम को ही बनी पूड़ी सब्जी हलवा का डब्बा उसे पकड़ा देती थीं,...

और उसके घर से बाहर निकलते ही ग्वालिन भौजी, घर का दरवाजा बंद कर देती थी, लेकिन रिश्ता तो देवर का था, इसलिए आँख मार के और चुदाई का इंटरेशनल सिंबल, अंगूठे को गोल कर केऊँगली अंदर बाहर,... और वो भी सर हिला के हामी में जवाब देता और बाग़ की ओर,...



जहाँ फुलवा उसका इन्तजार करती रहती।



कभी किसी पेड़ के पीछे छिपी, कभी आम के पेड़ के ऊपर चढ़ी धप्प से उसके ऊपर कूद के हंसती खिलखिलाती,... और लड्डू देख के खुस, लेकिन उसके हाथ से छीन के बोली,



" बाबू, पहले मैं खिलाऊंगी, आखिर तोहरी मेहनत का नतीजा है, लेकिन बौरहा चल, तू समझ तो गया,... " और पूरा लड्डू उसके मुंह में ठूंस दिया। "

मुंह बंद बोलती बंद और फुलवा का हाथ चालू, अरविंदवा के सब कपडे बाग़ में जमीन पे जहाँ फुलवा अपनी साड़ी पहले से ही बिछा देती। और उचक के अरविन्द की गोद में , पेटीकोट कभी सरक के कमर तक तो कभी सरसरा कर उतर जाता,... और अरविंद का फनफनाता खूंटा फुलवा के गोल गोल चूतड़ों पे रगड़ता, कभी फुलवा उसे पकड़ के अपनी प्रेमगली से सटा लेती,...



पांच दिनों से वो चुद रही थी रात भर और आज तो दिन में भी गन्ने के खेत में तो उसे जल्दी नहीं होती थी और पूरी रात उनकी थी,

पहले तो फुलवा को पांच दिन की छुट्टी का डर सताता था लेकिन जिसे वो बौरहा समझती थी और उसके टोले मोहल्ले की सब लड़कियां औरतें, बबुवाने क सबसे सोझ समझती थी, उसी ने फुलवा को गौने से पहले ही गाभिन कर दिया था,...

और उसके पाजामे का नाग अगर वो लड़कियां एक बार देख लें न तो बस दीवानी हो जाएँ लेकिन वो तो फुलवा की किस्मत में था,...

पर फुलवा जानती थी,

कि ये बौरहा सच में बौरहा था और अगर फुलवा ने उसकी आदत न सुधारी तो बस दस दिन बाद वो गौने चली जाएगी और ये बाबू फिर ऐसे वैसे खाली देखता ललचाता रहेगा ,...

तो ये काम उसे दस दिन के अंदर ही करना पडेगा,... और चमेलिया, उसकी छोटी बहन के साथ,...
Bhut hi khushi ki Baat Hai...... mehnat ka pahla fal.mil gya arvind ko.....
 

Luckyloda

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दो बातें फुलवा की,




और चमेलिया



कि ये बौरहा सच में बौरहा था और अगर फुलवा ने उसकी आदत न सुधारी तो बस दस दिन बाद वो गौने चली जाएगी और ये बाबू फिर ऐसे वैसे खाली देखता ललचाता रहेगा ,...

तो ये काम उसे दस दिन के अंदर ही करना पडेगा,... और चमेलिया, उसकी छोटी बहन के साथ,...


इस बाबू की हिम्मत तो पड़ेगी नहीं, कोई लड़की खुद भी चाहे तो , लेकिन गौना जाने के पहले अगर दो चार अपनी समौरिया दो चार कोरी कुँवारी को इसके नीचे लिटा दिया तो इसकी धड़क खुल जायेगी और इत्ता मस्त औजार लेके, ... बस एक बार खुद थोड़ बहुत हिम्मत कर ले,... अरे जउन ससुरी एक बार एकरे नीचे लेट गयी, इससे फड़वाय लिया वो तो खुदे,... और जो गाँव वाली सब उस को बुरबक, बौरहा, सोझ बोलती हैं, दो चार धक्का खाय लेंगी न तो खुदे बौराय जाएंगी एकरे बित्ता भर के नाग के लिए,...

और चमेलिया के साथ तो और,...



अभिन तो बबुआने के कुल लौंडे मर्द, ओकरे, फुलवा के गोर रंग जोबन के पीछे पड़े रहते हैं की गवना जाए के पहले ओकर नेवान कय दें, यह लिए चमेलिया के पीछे सब नहीं पड़े थे ,...

मन तो फुलवा का भी यही था लेकिन उन सबों को देख के उसका मन एकदम नहीं होता था और जिसके साथ होता था वो खाली ललचाता था नैन मटक्का करता था बोझा उठवाने के बहाने भी, और कउनो मरद से कहती तो जोबन पे हाथ पहले लगाता,.. और इसका तो ऊँगली छू गयी थी तो गिनगीना गया , लेकिन मन की हालत तो पजामा में फनफनाता नाग बता रहा था, केतना मन कर रहा था ओकर,...



तो चमेलिया के साथ तो यह बाबू का जरूर,




वरना ओकरे गौने के अगले दिन से कउनो न कउनो चमेलिया के साथ सीधे नहीं तो थोड़ बहुत जोर जबरदस्ती, ... और सबसे खराब बात की जो करेंगे तो फिर दो चार बार के बाद ओह लड़की को अपने दोस्तों में बाँट देंगे,... और ये तो , इसलिए इसी के साथ,...

और न खाली एकर औजार जबरदस्त है , चार पांच बार हचक हचक के करने के बाद भी फनफना के खड़ा हो जाता है लेकिन ओहसे बड़ी बात है ये लड़की का इज्जत करता है, ख्याल करता है ओकरे साथ कउनो खतरा नहीं है,...

फिर यह गाँव में कउनो बात छिपती तो है नहीं , जैसे चमेलिया के ऊपर ये चढ़ेगा अगले दिन ही और फिर बबुआने वाले भी ओकरे पीछे पड़ना बंद कर देंगे,...


वो सब सोच भी रही थी और अरविन्द को तंग भी कर रही थी,...

कभी अपने खुले मस्त कड़े कड़े जोबन अपने यार की छाती में रगड़ती तो




कभी चूतड़ उसके खड़े लंड में रगड़ती,... और साथ में पहले तो लडडू अपने मुंह में रख के कुछ उसे खिलाया कुछ खुद खाया,... और फिर अरविन्द घर से जो लाया था पूड़ी हलवा सब्जी दोनो ने ,...

पर अरविन्द का मन तो कुछ और खाने का कर रहा था और उससे ज्यादा फुलवा का मन भी उसे घोंटने का कर रहा था लेकिन उससे पहले अरविन्द को तड़पा के उसे कुछ बातें मनवा लेना जरूरी था,...

" हे दो न " अरविन्द ने आखिर बोल दिया,


" ला ना " अपने मुंह से आधा खाया कुचला, उसके थूक से लिथड़ा पूड़ी हलवा अपने होंठों से यार के होंठों को चिपका के सीधे अपने मुंह से अरविन्द के मुंह में





जानती वो भी थी की बेचारे को क्या चाहिए लेकिन आज उसकी सारी लाज शरम फुलवा उसकी ख़तम करना चाहती थी,

" ये नहीं वो " मुश्किल से अरविन्द के मुंह से निकला,

" अरे स्साले साफ़ साफ़ काहें नहीं कहता की चोदना चाहते हो, ... अरे भूत की तरह चोदते हो तब सरम नहीं , और लड़की से चोदना बोलने में लाज लगती है,... दस दिन बाद मैं चली जाउंगी तो क्या होगा इसका उसका लंड पकड़ के मुठियाते हुए फुलवा ने उसे धक्का दिया , अरविन्द जमीन पर फुलवा उसके ऊपर,... "

" एतना तो लौंडिया नहीं लजातीं जितना बाबू तू लजाला,... अरे बहुत चोदे क मन करत हो साफ़ साफ़ बोला"




" हाँ ,... अरविन्द बोला, कुछ रुक के हिम्मत कर के बोला , चुदवा ले न,... "

" अरे चुदवाना न होता तो आती काहें बाबू अब तो तू मना करबा न तो तोहरे ऊपर चढ़ के हम खुदे चोद देबे तोहैं,... लेकिन एक बात बताई ,... "

और इतना बोल के फुलवा चुप हो गयी,...

" बोल न यार " उसे चूमता हुआ अरविन्द बोला , अब उसके खूंटे की हालत खराब हो रही थी,...


" अरे बाबू चोदे क एता मन करत बा और दस दिन बाद तोहरा फुलवा उड़ जायेगी, तो का होगा,... "

प्यार से उसके ऊपर चढ़ के उसके मोटे खूंटे को मुठियाती फुलवा बोली,...



फिर झुक के खुले सुपाड़े को प्यार से चूम के बोली,...

" इसे लिए कह रही हूँ, तोहरे घरे में इतना मस्त माल है , एकदम लेने के लिए तैयार और तोहें मना भी नहीं करेगी, अरे यह खूंटा जेकरे बिल में एक बार घुस गया तो खुदे आएगी चुदवाने, खूब मस्त चूँचिया उठान है,... एकदम दबावे लायक मिजे लायक ,... तोहार छोटकी बहिनिया गितवा "




" धत्त " जोर से अरबिंद ने मना किया, फिर रुक के फुलवा के जोबन चूसते हुए बोला, ... " अभी छोटी है "
" अरे नहीं "

फुलवा ने एकदम से मना किया फिर जोड़ा,


" अरे हम ये थोड़े कह रहे हैं की कल ही जा के गितवा को चोद दो,... अरे पटाओ गोद में बैठा के चूँची मीजना, मसलना रगड़ना शुरू कर दो , चुम्मा लो, वो समझ जाए की की उसका भैया भी,... अरे अभिये गाँव के आठ दस लौंडे उसके पीछे पड़े हैं गाते रहते हैं ,...

' हमरे गाँव क गोरिया जब जवान होई , तब हमरो गंगा स्नान होई,... "

और हमर बात मान ला तोहरी छोटकी बहिनिया अस जोबन बीस पचास गाँव में नहीं होगा,... तो कउनो न कउनो चोद देगा तो यह बेचारे में कौन गड़बड़ है ," कह के फुलवा उसका मूसल चूसने लगी ,



और जब मुंह से निकाला तो उसी मुंह से उसे चूमते हुए बोली
" और जउन तो कह रहे हो छोट है न तो हमार चमेलिया ओहसे छह महीना छोट है,... घर के मरद को पता नहीं चलता की घर की लड़की कब जवान हो गयी,... लेकिन पहले हाँ बोलो दो बात हम कहेंगे चुप चाप हाँ करना है , "

" बात तो बता , " अरविन्द चोदने के लिए पागल हो रहा था।

" पहले हाँ बोला "




फुलवा की जिद्द , लड़कियां गाँव की हों शहर की छोटी बड़ी, होती एकतरह की हैं पहले हाँ करो फिर बताएंगी,

और हाँ करवाने के बाद तीन बार फुलवा ने जबान खोली,...

" टिकोरा खाओगे,... "



" मुझको तो ये आम खाना है " चूसुर चुसूर चूँची चूसते हुए नीचे दबा अरविन्द बोला,...




" पूछ नहीं रही हूँ, बता रहीं हूँ "


कुछ हड़काते हुए फुलवा ने बोला, फिर पुचकारते हुए अपनी मस्त रसीली चूँची अरविन्द के मुंह में ठूंसते, चूसते उसके मन की बात की,

" खा न आम, तेरा तो है, जितना मन करे उतना चूस, बस दांत जोर से मत लगाना,... और ससुराल कौन दूर है, , दो चार महीने में बीच बीच में,... फिर नौ महीने बाद, ... जिसे पेट में डाला है , एक चूँची से वो दूसरे से तू, पिलाऊंगी न चुसूर चुसूर दूध, पहलौठी का,... लेकिन बात सुन पहले "

और कुछ रुक के वो पहली बात जिसपे अरविन्द से हामी भरवाई थी वो बोल दी,...



" टिकोरा मिली परसों, हमार तो वो पांच दिन वाली छुट्टी नहीं हुयी लेकिन चमेलिया की तीन दिन पहले हो गयी है, परसों ख़तम हो जायेगी,...




सांझ को ले आउंगी तो फाड़ना उसकी मन भर के हमारे सामने,...और जैसी हमारी घबड़ा के सम्हल सम्हल के वैसे नहीं,... खूब हचक के, पूरी ताकत से , चिल्लाने देना , मैं रहूंगी न, अपने सामने फड़वाउंगी उसकी, हाथ पकड़ के रखूंगी कस के जकड़ के,.. टाँगे तो तेरे कंधे पे रहेंगी और एक बार तेरा मूसल घुस गया,... झिल्ली फट गयी न तो बस,..



और जो मेरा खून देख के घबड़ा रहे थे वैसे घबड़ाना मत, अरे बाबू कुँवार लड़की चोदोगे तो खून खच्चर तो होगा न, सब लड़कियों को मालूम होता है दर्द होगा बहुत , खून भी निकलेगा, लेकिन खुद आके तेरे सामने पेटीकोट का नाड़ा खोलती है, टांग उठाती है, और तुम्ही खून देख के घबड़ाते हो,... एकदम मस्ती से लेना उसकी और दूसरी बात और जरूरी है। . "

अरविन्द चूँची चूसते हुए मस्ती से सुन रहा था , वो फुलवा की कोई बात नहीं टालना चाहता था।और फुलवा ने दूसरी शर्त बता दी,...

और बताने के साथ एक बार फिर से कस के अरविन्द के मूसल को पकड़ के कसके दबाने लगी,...

" अगले दस दिन तक तो इस की हमें कोई चिंता नहीं है, रोज दावत होगी,... लेकिन हमरे जायके बाद,... एको दिन एको उपवास नहीं होना चाहिए,... रोज रोज, यह गाँव मैं कउनो कमी नहीं है तीन चार नयकी कोरी की गुल्ल्क तो मैं जाने के पहले ही फोड़वा दूंगी, दो तीन तो हमरे टोले की चमेलिया की सहेली हैं,... समझ लो,.. माल फ़साना, पटाना और पटक के लेना सब सिखा के जाउंगी,... लेकिन ओकरे बाद, ... सोच ली, अरे यह चीज खाली लटकाने के लिए नहीं चोदने के लिए है समझे न। "




और उसके बाद फुलवा ने पलटी खायी, अरविन्द ऊपर और रात भर चक्की चली।

दो दिन बाद फुलवा अपने साथ अपनी छोटी बहिन चमेलिया को भी ले आयी,...





अरविन्द ने पहले उसे देखा भी था लेकिन उस नजर से नहीं पर चमेलिया आते ही चिपक आयी उससे , और रात में उस दिन चांदनी भी थी, बादल भी नहीं थे,... बस रात भर,...



वो खूब चिल्लाई, चूतड़ पटके,... उसने पर फुलवा ने खुद उसका हाथ कस के दबोच रखा था और अरविन्द को चढ़ा रही थी,




" चिल्लाने दो उसको, रोज हमको चिढ़ाती थी आज पता चल रहा है न छिनार को ,... "

अरविन्द ने सिर्फ आधा मूसल पहले पेल रखा था, जब फुलवा की निगाह पड़ी तो उसने अरविन्द की माँ बहन सब गरियाई और होने सामने पूरा का पूरा अंदर,

लेकिन अरविन्द मान गया चमेलिया को दूसरे राउंड में वो फुलवा से भी आगे और धक्को के जवाब में धक्के मार रही थी और उसके कान में बोल रही थी,




" दीदी तो १० दिन में चली जाएंगी ओकरे बाद तो हम ही काम देंगे न "

उस दिन फुलवा ने तय किया था की उपवास रखेगी लेकिन चलने के पहले अरविन्द ने एक पुराने आम के पेड़ के पास निहुरा के उसे भी ठोंक दिया ,




और अगले दिन गन्ने के खेत में।

दो दिन बाद गन्ने के खेत में ही अपने ही टोले की एक कोरी कन्या को लेकर वो पहुंची और उसके साथ भी,...




जाने के पहले सचमुच उसने उसको नए माल के लिए एकदम पक्का कर दिया था, अबतक खाली गाँव की भाभियों के साथ ही अब वो एकदम नयी उमर वालियों, ..

एक बार कच्ची कली का मजा मिलने के बाद , कौन छोड़ सकता है।



तो अब तक दर्जनों कलियों को वो फूल बना चूका था।
Bhut shandaar update.....
 

Luckyloda

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बहना संग मस्ती -गीता और अरविन्द






तो अब तक दर्जनों कलियों को वो फूल बना चूका था।

और फिर वो गीता से बोला,... उतना ज्यादा मज़ा मुझे न उससे पहले कभी आया था न उसके बाद ,... लेकिन कल

कल क्या भैया , उसे चूमते गीता बोली

कल उससे भी बहुत ज्यादा मज्जा आया , ... सच में ,... वो ख़ुशी से बोला।

" सच बोल न , बहन चोद बन गए इसी लिए मजा आया "



चिढ़ाते हुए उसकी छुटकी बहिनिया बोली।


" हाँ, भाई चोद, कबसे तेरी ये कुँवारी चूत फाड़ने के लिए बेकरार था मैं,... चल आज तुझे ऐसे पेलुँगा न की तू भी, ... लेकिन जानती है सबसे पहले तेरी मारने के लिए मुझे किसने उकसाया था, और कब,.... "

" बोल न, भैया, कौन, कब "

उससे चिपकते दुलराते छुटकी बहिनिया ने पूछा।

कुछ देर वो चुप रहा, फिर मुस्कराते बोला,...

" अरे और कौन, चाची ने,.... और वो भी आज नहीं पूरे डेढ़ साल पहले, बल्कि और, जब मैंने फुलवा की झिल्ली नहीं फाड़ी थी, उसके भी पहले,... मुझसे बोलती थीं ,

' स्साले इत्ता मस्त माल तेरे घर है और आज तक तूने किसी की झिल्ली नहीं फाड़ी, '



और फिर खुद ही साफ़ साफ़ तेरा नाम ले के,... "



" बहन है मेरी "


मैंने बोला, तो हँसते हुए जोर से एक हाथ मेरे चूतड़ पे लगा के बोलीं, ...

"मैं भी तो तेरी चाची हूँ , तेरी माँ की तरह, उन्ही की उमर की , पर मेरे ऊपर तो हर हफ्ते आके चढ़ाई कर जाता है, ...और बहन वहन कुछ नहीं, बोल उस के चूत है की नहीं, ... "



" वो तो सब लड़कियों की होती है," मैं झुंझला के बोला।

" तो हर चूत लंड खोजती हैं। .. तू नहीं पेलेगा तो सोच वो बची रहेगी, ... चूत है तो चींटे काटेंगे जवानी में,.... और चींटे काटेंगे तो वो लंड ढूँढेगी और ऐसे मस्त माल को कोई नहीं छोड़ने वाला,... "



" नहीं नहीं,... " फिर कुछ सोच के मैंने जोड़ा " अभी छोटी है "

तो हंस के बोलीं,

" एकदम बुद्धू है, अरे इस उमर की लड़कियां गपागप घोंटती है,... " फिर चाची ने जोड़ा ,
" तुझे मालूम है उसके पिरयड्स आते कितने दिन हो गए हैं , पहली बार मेरे पास ही थी थी जब खून,... चल अभी नहीं तो पांच छह महीने में,... "


फिर,

गीता ध्यान से सुन रही थी।





" अरे चाची आसानी से छोड़ने वाली थी थीं , कहने लगीं

:अच्छा चल तेरी मानी, तू कम से कम उसे एक मस्त माल की तरह से देखना शुरू कर,... देख चूँचियाँ उसकी आनी शुरू हो गयीं हैं,... और तेरा हाथ लगेगा तो मस्त जोबन होंगे उसके , ... एकदम जिल्ला टॉप माल. अभी नहीं तू तो कुछ दिन बाद , लेकिन देर मत कर वरना कोई फीता काट देगा,... "





गीता और भाई से चिपट गयी,... और उसके हाथ अपने छोटे छोटे जोबन पे दबाती बोली,...

" भैया, चाची कित्ती अच्छी हैं, इसी लिए तो कहते हैं की बड़ों की बात माननी चाहिए,... पर स्साला मेरी किस्मत में एकदम बुद्धू भाई मिला है "
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Sala sab ne janam samjhaya par... Phir bhi shuruwat bahan ko ji karnj padi
 
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