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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९८

अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, मजे ले, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
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komaalrani

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गितवा अपने भाई से सुनकर गरमा रही थी तो...
छुटकी गितवा से सुनकर तो...

सोझका आदमी तो सीधे बच्चेदानी में भरकर फुलवा को वो खुशी दिया कि सवा किलो मिठाई का परसाद तो बनता हीं था....
और ग्वालिन भौजी का अरविंदवा ट्रेनिंग देने में भी कोई रोल था या सिर्फ....
ग्वालिन भौजी का तो बड़ा रोल है , अरविन्द के ' विकास' में, रास्ता तो उन्होंने ही साफ़ किया,.. पहले चाची के साथ जाने के लिए,...


फिर वो फुलवा को देख के ललचाता रह जाता अगर ग्वालिन भौजी ने उकसाया न होता और ' मिंलन स्थल ' अमराई का जिक्र न किया होता और दुबारा वही आयीं सहायता के लिए उन्ही के कहने पर तो माँ ने उसे इजाज़त दी रात अमराई में बिताने के लिए... और अगले दिन से तो पूरे पंद्रह दिन के लिए फुलवा के गौने तक हर रात,... अमराई में जो गुजरी वो सिर्फ इसलिए की सांझ ढलने के पहले ग्वालिन भौजी माँ के पास और अब माँ खुद ग्वालिन भौजी के साथ, .. तो पहले से ही पूड़ी सब्जी हलवा बाँध के उसे भेजने के चक्कर में रहती थीं, ...

तो अभी फ़ुटबाल का मौसम चल रहा था तो ' असिस्ट ' वाला काम ग्वालिन भौजी निभाती थी और स्ट्राइकर का काम अरविन्द बाबू, ...

हाँ, ग्वालिन भौजी और माँ के बारे में कुछ ' सूक्ष्म संकेत ' भी हैं, ... आखिर कुछ तो है उनमे की माँ उनकी बात टाल नहीं पातीं, ... और जैसे ही वो ये' ऑफर ' देती हैं की रात मैं आपका पैर वैर दबा के, तो बस तुरंत वो लड़के को बाहर खदेड़ देती हैं और चाची की बारी तो गीता भी मौसी के यहाँ गयी थी,...

बहुत कुछ बातें मेरी कहानी में ' सुधी और रसिक ' पाठक /पाठिकाओं के समझने के लिए छोड़ देती हूँ, ... हर बात अभिधा में कहने का क्या मज़ा, कुछ लक्षणा में भी,

दूसरे मुख्य पात्रों पर से ध्यान हटाने और घटना क्रम में डाइवर्जन से बचने के लिए भी,...
 

komaalrani

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फुलवा तो जबरदस्त बात बता गई...
खाली लटकाने वाली और मूतने वाली चीज नहीं है....
दावत का पूरा इंतजाम...
हर तरह के पकवान का अपने सामने भोग लगाने का मौका और बीच-बीच में ससुराल से आने का वादा..
शायद बच्चा होने के बाद फुलवा के पिछवाड़े का मौका भी मिल जाए...

चमेलिया तो आगे का भी सोच ली...
लेकिन चमेलिया का किस्सा छोटे में निपटा दिया...
कुछ तो खून-खच्चर और चिल्लाने, रोआ-रोहट का वर्णन...
Haan, post badi ho rahi thi phir usi post men Gita vaala prsang aage badhaana tha aur maa ke aane ka twist bhi,...
 

komaalrani

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हाँ ... सही गेस किया कि पहले उकसा कर क्यों नहीं किया ये सब... इसलिए देरी की सजा मिली पिटाई के रूप में....
ab ye to agali post men hi pata chalega ki pitaayi Gita ki kyon huyi,.. tab tak guess kariye :wink:😜😜
 

komaalrani

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मानवीय भावनाओं में एक भय भी है... जिसमें आप अपनी जादुई लेखनी की छटा बिखेरती हैं...
एकदम सही कहा आपने काव्य का उद्देश्य ही रस का सृजन करना है और रौद्र रस जिससे भय उत्पन होता है वो भी साहित्य कर्म का ही अंग है , मेरी, हम सब की मित्र, ' चुड़ैल ' ( निश्चित रूप से पेन नेम ) इस में दक्ष है और मैं उनकी नियमित पाठिका भी हूँ और इस जाड़े के मौसम में भी पंखी हूँ।
 

komaalrani

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आप सबसे प्रेरणा पा कर कुछ लिखने की चेष्टा की...
लेकिन दो-तीन पृष्ठ के बाद मुझे लगा कि ये मेरे वश की बात नहीं...

आखिर तोता चाहे कितना भी नकल कर ले... मनुष्य की बराबरी नहीं कर सकता ...
इसलिए तोते की तरह नकल करने के बजाय.. दूसरों के अच्छे लिखे पर हीं कमेंट कर मुझे संतुष्टि का अनुभव होता है...
भरत ने अपने नाट्य शास्त्र में रसिक लोगों के महत्व पर प्रकाश डाला है, अगर काव्य, संगीत या नाट्य रस का सृजन करता करता है तो उस रस का अवगाहन करने वाला भी तो चाहिए,... और किसी क्लासिकल म्यूजिक के कंसर्ट में या हम ऐसे रसिक श्रोताओं को देख सकते हैं हो एक एक मुरकी, मींड, तान और आलाप का आनंद लेते है,... तो आप उन्ही रसिक, रस सिद्ध पाठको में हैं जिन्हे पा कर कोई भी कलम धन्य हो जाए,... मेरा मानना लिखना कठिन है लेकिन उसके मनोभावों को समझना, उसकी गहराई में डूबना और जीवन की इस आपाधापी में भी समय निकाल के नियमित रूप से कमेंट देना और दुष्कर,

और इसके लिए आप साधुवाद के पात्र हैं,...
 

komaalrani

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दंड पेलने से जो शरीर बना है ।उसी से तो लौंडा अपनी बहन सही तरीके से पेल पा रहा है।
एकदम सही कहा आपने, कविता की भाषा में:applause::applause::applause::applause::applause:
 

komaalrani

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मां आ गई जल्दी ???? अब क्या होगा , मां भी सामिल हो गई या नहीं ।
अगले अपडेट की प्रतीक्षा में ।
बस दो- तीन दिन और , माँ क्या करेगी

भाई बहन का ये चक्कर यही ख़त्म हो जाएगा या आगे बढ़ेगा , बस अगली पोस्ट में
 

komaalrani

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इस चपडगंजू को चाची ने इतना समझाया सिखाया फिर भी इतनी देर से दिमाग में बात घुसी
तभी तो बहन ने भी हड़काया,...

" तुम बुद्धू ही रहे , इसीलिए तो कहते हैं बड़ों की बातें मानते हैं "

फुलवा ने भी उसको यही समझाया,..समझता तो है लेकिन थोड़ा देर से और डांट खाने के बाद, लेकिन एक बार समझ गया तो , फिर तो नहीं छोड़ने वाला
 

komaalrani

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अपडेट कहिया मिली हो कोमल रानी जी....
खेत के पलिहर में अब इंतजार हमसे होई नाही.

सब किरदार के जिवंत कर देत बालू अपने कला से
बहुते स्वागत बा आप का यह थ्रेड पे,

अपडेटवा तो कहिये आय गयल , पृष्ठ २३६ एक बार राउर देख लेईं,

बकी बहुत खुसी भइल आपके यहां देख के आपके कमेंटवा क इन्तजार बा, गलती से आपके कमेंट क जवाब में थोड़ टाइम लग गइल , लेकिन आगे से ध्यान रही,...

बस अब अपडेट पढ़ीं और राउर कमेंट से बतायीं, जरूर से

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