कहीं मामा की हीं जनी तो नहीं है..." अरे अभी सो रहा है माँ, जब जागेगा न ,तो तेरी फाड़ के रख देगा, मेरी ननिहाल में जो लंड खायी हो न सब भूल जाओगी, एक बार मेरे भाई से चुदवा के देख लो ,... "
उफ़्फ़ बेटी को भी पता है माँ के मायके के क़िस्से![]()
कहीं मामा की हीं जनी तो नहीं है..." अरे अभी सो रहा है माँ, जब जागेगा न ,तो तेरी फाड़ के रख देगा, मेरी ननिहाल में जो लंड खायी हो न सब भूल जाओगी, एक बार मेरे भाई से चुदवा के देख लो ,... "
उफ़्फ़ बेटी को भी पता है माँ के मायके के क़िस्से![]()
लिप सर्विस के बाद लंड सर्विस..." भैया, माँ बहुत बोल रही है न , अरे यार अपनी नहीं तो अपनी बहन की इज्जत का ख्याल कर, हर साल राखी बांधती हूँ, पैसा भी नहीं देते,... आज इसको चोद के बता दो मेरा भैया चीज़ क्या है, जिस भोंसडे से निकले हो न उसी में, पक्का, बहुत मजा आएगा,.."
उफ़फ़फ़ अति कामुक![]()
रंगमंच की कठपुतलियां है... और इतिहास कभी न कभी अपने को दोहराता है...“”जिस भोंसडे से निकले हो न उसी में, पक्का, बहुत मजा आएगा,.."”
ये डायलॉग तो G K J मैं भी था यहाँ गीता के भैया बनेंगे मादर…. और वहाँ भी साइयाँ को सास पे![]()
जो बातें आँखों से बयां होती हैं... उसका अहसास भी अलौकिक होता है....अरविन्द का हाथ खुला होता,... तो सर पकड़ के बहन के मुंह पूरा बित्ते भर का ९ इंच का लंड हलक तक पेल देता लेकिन
पर बहन कौन जो भाई के मन की बात न समझे तो गीता ने खुद ही धीरे धीरे कर के इंच इंच, ... गाल में दर्द हो रहा था , हलक फटा पड़ रहा था लेकिन घोंट लिया पूरा, फिर गीता के होंठ हलके हल्के बस चर्म दंड को सहला रहे थे, नीचे से जीभ भी सुरसुरा रही थी और सबसे बढ़ के गीता की दीये की तरह की बड़ी बड़ी आँखे भाई की आँखों को छेड़ रही थीं , उकसा रही थीं , बता रही थीं उसे कितना मज़ा आ रहा है,
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ये मादरचोद बनने का भी संस्करण विस्तार में होना चाहिए... एकाध से काम नहीं चलेगा...." अरे बहनचोद बन गए तो अब मादरचोद बनने की बारी है, बनोगे न. कितनी मस्त मस्त चूँचिया हैं , बहुत मजा आएगा दबाने,... "
बना दो जल्दी से अरविंद को मादर……
भाई-बहन रात भर एक हीं बिस्तर पर..." क्यों स्साले, है न मस्त माल मेरी बेटी, अरे इसे मैंने पैदा इसीलिए किया था सोच के की बड़ी होके अपने भैया से पेलवायेगी,.... स्साले इत्ता देर काहें लगाए, इसकी झिल्ली फाड़ने में, ये तो कबसे गरमाई थी,... अब रोज पेलना इसको,... बिना नागा,...
"
Waaaah![]()
आग दोनों तरफ बराबर लगी है....""और असली टारगेट बेटा था, मस्त तगड़ा जवान,... उसे ललचाना,इतना पागल कर देना की जवानी की की अंधी आंधी में सब रिश्ते नाते भूल के सिर्फ""
Lagta Hai arvindwa ki Maa bhi tayar Hai apna bharatpur lutane![]()
गोल होल को और चौड़ा करेगा....Kaha pehle rakhi ka wasta de ke geetwa bol rahi the ki pehle Maa pe chad jaao yaha pasa ulta par gaya ab geetwa ki khair nahi arvind puri thok ke lega apni maa ke kehne parr
होली में भी तन-मन भीगता है और सावन में भी....Holi ki kahani rangeen hoti hai.. Pataa nahi. Kahani kaisi hai.. Abhi padna shuru kiya hai...
Thanks for sharing
वाह... क्या कविता लिखी है....पढ़ने वालो के लिए कोमल बस एक कल्पना हे।
एक साड़ी में लिप्ती सुंदर गोरा चाहेरा पतली कमर।
उबरो जेसे न काम न ज्यादा। पर वही उत्थाव जिसकी हर प्रेमी कल्पना कर्ता हे।
वो मुशकुरति ललचति अंखो में शरारत से भारी।
न वो दूर जाती हे न करीब आती हे।
बस तुम कल्पना करो वो सिर्फ सपनों में ही आती है।
वो तो अपने साजन की बहो में। पर कांधे तुम्हारे पिघलते हे।
उनके साजन जी उनके होठ ठुम रहे हे। पर शंसे तुम्हारी फुल रही है।
तुम सिर्फ कल्पना कर सकते हो। वो तो सजन की बहो में हे।
तभी तो कहे राही हूं। कोमल बस एक कल्पना हे.