Shetan
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Ye to khagad tujse pahele apne bhaiya ka ghot ke bethi heये तेरा भाई, तेरा भाई हो ही नहीं तो ?"
माँ ने चद्दर खींच दी और गुदगुदी लगाते, चिढ़ाते बोलीं, " अच्छा मेरा बेटा है और तेरा जैसे कुछ नहीं है, क्या है तेरा बोल "
" सोने दो न माँ, अरे मेरा प्यारा दुलारा, अच्छा अच्छा मीठा मीठा भैया है और क्या,... "
लेकिन माँ ने उसे जबरन पकड़ के खींच लिया,... उठ, तेरा वो भइया मुंह अँधेरे रोपनी कराने निकल गया है और तू अभी तक।
" उईईई माँ उईईईईई ओह्ह्ह्हह्ह नहीं,... रुक माँ बहुत तेज से वहां चिलख उठी है अभी,... "
गितवा बड़ी जोर से चिल्लाई , पिछवाड़े बड़ी जोर की चिलख मच रही थी।
"हे सबेरे सबेरे छिनरपना, रात भर मेरे बेटे से मरवाने में लाज नहीं लगी, चूतड़ उठा के खुद तैयार हो जाती थी, मार,... और अब नाम लेने में लाज लग रही है। आएगा दोपहर में मेरा बेटा न तो एक दो बार फिर मरवा लेना, दर्द कम हो जाएगा। बढ़िया मलहम निकालता है , लगवा लेना पिछवाड़े,... चल उठ। "
माँ ने हाथ पकड़ के,... उन्हें अपनी सुहाग रात की याद आ रही थी, ... वैसे वो पहले कित्ती बार लेकिन इसका बाबू तो,.... क्या रगड़ाई की रात भर, हिलने नहीं दिया, और सुबह दो दो ननदें हाथ पकड़ के बल्कि टांग के सुहाग रात वाली सेज से उठा के ले गयी थीं,
बाप का बदला बेटी से उनके बेटे ने,... हलके हलके मुस्कराते माँ ने सोचा,
एक हाथ माँ ने पकड़ा दूसरे से पहले पलंग फिर दीवाल, कभी चिलख उठती तो कभी लगता एक कदम भी जमीन पर नहीं रख पाएगी।
थोड़ी देर बाद माँ बेटी रसोई में, गप्प भी मार रहे थे, और नाश्ता भी, माँ ने दो रोटी और कटोरे भर खूब गाढ़ा औटाया दूध, ... दूध में रोटी डाल के बेटी को दे दिया था और चाय बना रही थीं.
सुबह से गीता के मन में एक सवाल उमड़ घुमड़ रहा था,... और माँ से पूछ ही लिया, माँ उसकी बचपन से ही सहेली ज्यादा थीं, बल्कि सहेलियों और भाभियों से ज्यादा खुल के मजाक भी करती थीं चिढ़ाती भी थीं।
" माँ, भैया के साथ,... "
बनावटी गुस्से में वो बोली, ...
" ये चिमटा देख रही है , तेरे अगवाड़े डाल के फैला दूंगी,... तेरी बुआ का बियाह के पहले जितना चौड़ा भोंसड़ा हो गया था न ,...वैसा ही हो जाएगा और बेलन गंडिया में ठेल दूंगी, मेरे आने के पहले से कबड्डी खेल रही थी और मुझसे बोल रही है,... "
" नहीं नहीं, आप नहीं,... मेरा मतलब, कुछ लड़कियां कहती हैं ,... " वो बोली।
अब माँ सच में गुस्सा हो गयीं,...
"सब स्साली पक्की छिनार होंगी , अरे या तो उनके भाई नहीं होगा या उनके भाई सब गांडू होंगे खुद गाँड़ मराने से फुर्सत नहीं मिलती होगी तो , या तो सालों का खड़ा नहीं होता होगा , तेरे भाई का इत्ता मस्त मूसल है , पूरे गाँव में बल्कि आस पास के दस पांच गाँव में नहीं होगा,... "
फिर कुछ रुक के , गरम चाय से गुस्सा जब थोड़ा ठंडा हो गया तो मुस्कराते बेटी से बोलीं,
" अच्छा मान ले ये तेरा भाई, तेरा भाई हो ही नहीं तो ?"
" मतलब,... " अब गीता चौंक गयी।
" चल तुझे एक बात बताती हूँ , किसी को मत बताना, अपने भाई को तो कत्तई नहीं। और एक बात और सीख ले, हम औरतों को मर्दों से बहुत सी बातें छिपानी पड़ती हैं , ... तो बस ये माँ बेटी के बीच की बात,... "
और गीता की माँ चालू हो गयीं, अपने मायके की बात, कुंवारे पन की,...
नहीं नहीं कुंवारापन तो नहीं, शादी हो गयी थी, गौना नहीं हुआ था, होने वाला था,...
अरे उस ज़माने में शादी कम उमर में हो जाती थी, और जब लड़की जवान होजाती थी, जवान मतलब,.. अरे कैसे समझाऊं,... एकदम खोल के ठीक है मतलब जब घोंटने और बियाने लायक हो जाती थी,... तब उस के बाद गौने का दिन साइत धरी जाती थी,...
अक्सर तो लड़के वाले ही हिसाब रखते थे और पीछे पड़े रहते थे,... मतलब जब लड़की का खून खच्चर शुरू हो जाए, ... वही पांच दिन वाला, उसके बाद ही गौने की बात चलती थी,... तो गीता की माँ के साथ भी,... पहली बार जब हुआ तो वो बहुत घबड़ायी,
लेकिन गीता की नानी ने उन्हें सब बातें खुल के समझा दी और ये भी की दिन घडी का हिसाब रख ले, रसोई, पूजा पाठ सब बेराना होगा,... और ये भी की अब गौने वाले हल्ला करेंगे,... तो वो मना नहीं करेगीं हां कुछ टालेंगी जरूर,... और गौने की रात क्या क्या होगा, उस का भी हाल खुलासा,...
और तारीफ़ भी दर्द होता है झूठ नहीं बोलूंगी, लेकिन मज़ा भी बहुत आता है,...
लेकिन उस के बारे में अपनी सहेलियों से गाँव की भाभियों से अच्छी तरह सुन चुकी थीं,
उस की सील नहीं टूटी थी पर ढेर सारी सहेलियां रोज गप्पागप घोंटती थीं, और उस को चिढ़ाती थीं, उस की भाभियाँ भी , गाँव के कितने लौंडे जब से जोबन आया था , और जोबन आया भी जबरदस्त था। दस पांच गाँव के लौंडे लिबराते थे,...
लेकिन जोबन का रस चखा सबसे पहले उनके सगे बड़े भाई ने,