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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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Ye to pura bouncer gaya , aur is week to bilkul bhi samay nahi hai ki ispe kuch research kar pau , aap hi update de ke duvidha dur kijiye
चिलमन धीरे-धीरे खुलने का लुत्फ लीजिए....
एक झटके में तो सारा सस्पेंस खत्म...
 

motaalund

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Very nice maza aaa giya aapki writing me magic hai thanx for update....ropni me yai hui kunwari kanyaon ka arvind ke sath enjoy ho jaye to aur bhi maza aa jayega jintne new charachters storye aa jayege
कोमल जी जादूगरनी हैं... magic तो करेंगी हीं...
 
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motaalund

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Ropni ka jikra aage bhi aayegga aur khoob vistar se, bane rahiye sath men,... meanwhile kal maine JKG ka ek Mega update post kiya hai link bhi is page pe diya , jaror padhe aur comment bhi karen
गाँव का स्थान है तो खेत खलिहान...
गन्ने का खेत... अरहर का खेत... यहाँ तक की मक्के के खेत...
बंसवाड़ी... बगीचा... तालाब,, नदी, झील...
कई जगह हैं... जहाँ मौके हीं मौके... और कई बार तो लड़कियां हीं आगे बढ़-चढ़ के...
 

motaalund

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भाग ४२

इन्सेस्ट कथा -किस्से माँ के



" अरे तो क्या हुआ अपना भाई समझ के मेरे भाई से चुदवा लेती, पक्का सच में बहुत मजा आएगा , हम दोनों मिल के,... मान जा। "

गीता एकदम पीछे पड़ गयी.



" तू भी न स्साली। पागल। ,मेरा बेटा है. " माँ ने उसे बहलाते हुए कहा।

" अच्छा जी, कल मेरे भाई से मेरी गाँड़ इत्ती हचक के मरवाई तो कुछ नहीं और अपनी बार,... बेटा है। " गीता तुनक के बोली।

" अरे तू भी न, बहने तो होती ही हैं भाई से चुदवाने के लिए, मुट्ठ मार मार के इधर उधर नाली में बहाये इससे अच्छा, बहन के काम आये,... और तू जानती है जिस दिन तेरे मामा ने मेरी ली थी, मेरा मतलब अपनी बहन को चोदा था,... उन से ज्यादा मेरा मन कर रहा था। अपनी सहेली के किस्से सुन सुन के मेरी चूत पहले से गीली थी,... वो स्साला, तेरे बाप का स्साला नहीं चोदता न तो मैं उसको चोद देती,... "



" एकदम माँ मेरी भी यही हालत हो रही थी, मैं खुद गयी थी भैया के पास, वरना आप का बेटा तो ऐसा बुद्धू है,... लेकिन मैं समझ गयी आप बात टाल रही हैं एक बार चुदवा लो न भैया से, आखिर आप ने पकड़ा है आप को अच्छा भी लगता है और सबसे बड़ी बात जैसे आप मुझे सब सिखा रही है अपने बेटे को भी सीखा दीजिये न , अरे मजा लेने के लिए नहीं सिखाने के लिए,... "

गीता भी पीछा छोड़ने वाली नहीं थी,

" अरे स्साली तू भी न वो मानेगा नहीं उसका खड़ा ही नहीं होगा मेरे नाम पे और खड़ा होगा तो ढीला हो जाएगा, ... मैं तो मान जाऊं,... वो मानेगा।"

झिझकते हुए माँ ने बोला,

" वो जिम्मेदारी मेरी, मेरा भाई है, हिम्मत है उस बहनचोद की मेरी बात टालने की. और खड़ा तो उसका ऐसा होगा,... " गीता पीछे हटने वाली नहीं थी।



" चल कुछ और बात कर,... " माँ बोली।

" क्यों मेरे भैया का सोच के गीली हो रही है न, हाँ सच बोल मेरी कसम,... " गीता हँसते हुए बोली।

" हाँ, खुश,... हो रही है। चल अब कुछ और बात करते हैं। " माँ बोली।



अच्छा मेरे बाप तो बाबू ही हैं न मेरे। गीता का सवाल ख़तम नहीं हुआ और माँ की हंसी चालू हो गयी।

और हँसते हँसते वो दोहरी, हंसी रूकती नहीं थी किसी तरह बोलीं,



" बेटी इस का तो जवाब मैं भी नहीं दे सकती। कित्ता कोशिश करूँ, तो भी नहीं हाँ ये पक्का है तू ऐन होली के दिन पेट में आयी थी मेरे। "

गीता कुछ नहीं बोली और माँ ने ही आगे की बात बढ़ाई,...

ये एकदम पक्का है, ... मेरी शादी के तीन साढ़े तीन साल हुए थे। असल में पहली होली ससुराल में ढंग की,... पहली होली में तो तेरे भैया आ गए थे होली के चार पांच दिन पहले तो मैं ऐसे बच गयी। अगली होली मेरे मायके में हुयी, तो उसके बाद की होली,... तेरी बुआ का चार महीने पहले ही गौना हुआ था।



और माँ ने होली का पूरा किस्सा सुनाया।



गौने के पहले भाभियों ने खूब समझाया था, अरे पहली रात तो हर लड़की झेल जाती है कोई जेठानी कडुआ तेल दे जाती है ( वैसे भी माँ को उस का कोई डर नहीं था क्योंकि ८४ आसन से कोई बचा नहीं था,जिसको अपने सगे भाई के साथ दो चार बार ट्राई न किया हो ) लेकिन असली रगड़ाई तो होली में होती है, पूरे गाँव की भौजाई, नयी दुलहिनिया, देवर के अलावा नन्दोई, सगे हों या रिश्ते के वो भी, साजन के दोस्त, हाथ तो सब लगाते हैं , धक्के लगाने वाले भी गिनती के बाहर
लेकिन मैंने तो सुना था कि माँ को पूरा-पूरा अहसास होता है कि उसके बच्चे का बाप कौन है...
 

motaalund

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किस्सा माँ की होली का

और
' मेरे बाबू कौन '

ये एकदम पक्का है, ... मेरी शादी के तीन साढ़े तीन साल हुए थे। असल में पहली होली ससुराल में ढंग की,... पहली होली में तो तेरे भैया आ गए थे होली के चार पांच दिन पहले तो मैं ऐसे बच गयी। अगली होली मेरे मायके में हुयी, तो उसके बाद की होली,... तेरी बुआ का चार महीने पहले ही गौना हुआ था।

और माँ ने होली का पूरा किस्सा सुनाया।

गौने के पहले भाभियों ने खूब समझाया था, अरे पहली रात तो हर लड़की झेल जाती है कोई जेठानी कडुआ तेल दे जाती है ( वैसे भी माँ को उस का कोई डर नहीं था क्योंकि ८४ आसन से कोई बचा नहीं था,जिसको अपने सगे भाई के साथ दो चार बार ट्राई न किया हो )



लेकिन असली रगड़ाई तो होली में होती है, पूरे गाँव की भौजाई, नयी दुलहिनिया, देवर के अलावा नन्दोई, सगे हों या रिश्ते के वो भी, साजन के दोस्त, हाथ तो सब लगाते हैं , धक्के लगाने वाले भी गिनती के बाहर,..


लेकिन माँ पहली होली में बच गयी थी , भैया के होने से, बेचारे देवर हाथ मलते रह गए.

और अगली होली मायके में होती है ,


इसलिए शादी के तीन साल बाद पहली होली ढंग की ससुराल में पड़ी और देवर से ज्यादा, सास और ननद प्लानिंग बना के बैठी थीं.


बुआ का गौना तीन चार महीने पहले ही हुआ था और उन्होंने फूफा जी को खूब गन्दी वाली गारियाँ और कोहबर में उन्होंने और रगड़ाई की, फूफा जी ने भी मौका पा के जोबन नापा और बोल के गए थे होली में आयंगे, तो माँ ने खुद उनको सुना के कहा, आपकी पिचकारी पिचका के रख दूंगी।

बस सुबह सुबह, बुद्धू बना के माँ की ननद और सास ने, माँ को डबल भांग वाली ठंडाई पिला दी,... वैसे भी वो गरमाई थीं,

पति उनके १५ दिन से गायब थे, बंबई और बोल के गए थे होली में आएंगे , दो चार दिन पहले, लेकिन,....
बस वहीँ आँगन में साड़ी तो माँ की ननदों ने,...


भैया तो अक्सर दादी के पास रहता था या बुआ के पास,...

और उसके बाद ब्लाउज फटा और फिर फूफा जी, अब नन्दोई तो सलहज के ब्लाउज में हाथ डालेगा,



माँ भी कौन कम थीं एक झटके में पहले पाजामे का नाड़ा खींचा, एक दो और उनका साथ देने के लिए पड़ोस की,
तो वो देखते देखते चिथड़े

,माँ भी सिर्फ पेटीकोट में,... बाकी सब पड़ोस वाली तो और घर चली गयीं, आंगन में फूफा जी और माँ, ...

और उनकी सास अपने नए नए दामाद को उकसा रही थीं और बुआ तो और ज्यादा,

" अरे सलहज को पेलते तो सब हैं होली में गाभिन कर के छोड़ना,
और वही आँगन में , ... और सिर्फ एक राउंड नहीं ,




दूसरे राउंड में तो माँ खुद अपने नन्दोई पे चढ़ के,..



और गालियो की बौछार ( आखिर रिश्ता सलहज नन्दोई का था ), फूफा जी के दोनों हाथ पकड़ के,

" लाग साले धक्का अब, मेरी ननद की ननदों की चोद चोद के सोचते हो,... अरे ननद के नन्दोई,... ननद की सास का भोंसड़ा नहीं है ताल पोखरा , जिसमें पूरा गाँव डुबकी लगाता है तेरे और मेरे ससुर गोता खाते हैं , स्साले भंड़ुवे , अब लगा धक्के अगर ताकत है अपने बाप का जनमा है तो , नहीं मलाई गिरा पाया तो यही तेरी गाँड़ मारूंगी "

डबल भांग का नशा चढ़ा था माँ पे , ताकत भी बहुत थी और आंगन में सिर्फ माँ, फूफा जी , बूआ और माँ की सास , ... दादी,... और दादी अपने दामाद को चढ़ा रही थीं,

" अरे पाहुन जी बहुत गरमा रही तेरी सलहज आज गाभिन कर के जाओ,... आज देख लूँ , समधन का जोबन तो जबरदस्त है पूरे गाँव से मिजवाया होगा, लेकिन देखूं बेटे को कुछ दूध वूध पिलाया है की नहीं,... "

और माँ ऊपर चढ़ी धक्के पे धक्के मार रही थीं , खूब गरमाई थीं और सास की बातें सुन के और, नन्दोई के सीने पे अपने बड़े बड़े जोबन रगड़ती बोलीं,...

" अरे दूध तो सब इनके मामा को पिला दिया है न एक चूँची से ये चुसुक चुस्सक के दूसरे से ननदोई जी के मामा,... आज इसी आँगन में आपके दामाद की गाँड़ मारूंगी, बचपन में बहुत लौण्डेबाजों से गाँड़ मरवाया होगा न वो सब भूल जाएंगे, अरे नन्दोई जी होली में ससुराल में गाँड़ मरवाना शुभ होता है अब आपके साले नहीं है आज तो सलहज ही ये सगुन करेगी , घबड़ाइये मत "



धक्के पे धक्के


पर थोड़ी देर में नन्दोई ने पलटा खाया और निहुरा के बड़े कटोरे के बराबर,... मलाई माँ के अंदर छोड़ दी,...


और अब बुआ के बोलने की बारी थी अपने पति से बोलीं,

" अरे आराम से,... निकालने की जल्दी मत करिये सब की सब मेरी गोरी गोरी मीठी मीठी भौजी की बच्चेदानी में जाना चाहिए, अगले महीने वाली पांच दिन की छुट्टी ख़त्म , एक एक बूँद रोपिये ठीक से ,... इतने दिन से तड़प रहे थे न , मड़वे में जिद किये थे की नेग में सलहज चाहिए तो अब मिल रही है सलहज तो मजे से लीजिये,... ऐसी सलहज सपने में भी नहीं मिलने वाली "


और सच में झड़ने के बाद भी पंद्रह मिनट बाद भी नहीं उतरे,... और जब उतरे भी तो दोनों टाँगे माँ की ऊपर कर के जिससे सब मलाई अंदर ही रह जाए,...

और बुआ जाने के पहले आसीर्बाद दे गयीं, भौजी ठीक नौ महीने के बाद सोहर होगा, बिटिया होगी अबकी, और काजर लगाने मैं आउंगी नेग में दोनों हाथ का कंगन लूंगी।
एक बात और बुआ ने जोड़ दिया,

" अबकी भतीजा नहीं भतीजी चाहिए, आज पूनम के पूनो सी बिटिया से गाभिन हुयी हो भौजी। "



और दादी ने भी बुआ की बात में बात जोड़ी

" सही कह रही है, अरे इसके साथ वाली अब तक तीन तीन , हर साल ,... ये तो एक के बाद, ... और मुझे भी पोती ही चाहिए,... लड़की होगी तो बच्चे के साथ खेलने के लिए वरना ,...


बुआ ने हँसते हुए जोड़ा,

" और क्या बचपन में खेलेगा और जब टनटनाने लगेगा,... तब पेलेगा . मेरा असीरर्बाद है भतीजी ही होगी आज भौजी गाभिन तो तू हो गयी हो पक्का। "

ये कहते हुए बुआ बिदा हुईं , उनकी ससुराल में होली अगले दिन पड़ रही थी और नन्दोई जी को ससुराल में होली का मजा लेना था तो,...

और थोड़ी देर बाद चाचा ... अरे वही चाची वाले, जिन्होंने भैया को पहली बार कबड्डी खेलना सिखाया ,... और माँ से

उनकी दोस्ती भी थी,... छोटे देवर,तो उन्होंने भी नंबर लगा दिया।

सगा एकलोता देवर, समौरिया तो हंसी मजाक तो खुल के होता ही थी, पहली होली में वो सौरी में ( बच्चा होने के बाद छह दिन सद्य प्रसूता जिस कमरे में रहती है और जहाँ आना जाना लगभग वर्जित रहता है ) , दूसरी होली तो उनके मायके में हुयी और अब तीसरी होली, और बच्चा भी दादी से लगा,... तो माँ, यानी देवर की भौजी भी छुनछियाई हुयी थीं और देवर की दो महीने पहले शादी हुयी थी पर चाची मायके चली गयी थीं, ... तो देवर भी फनफनाये हुए,... ऊपर से बाबू बंबई से आये नहीं थे , ...दादी भी भैया को लेके पड़ोस में कहीं गयी थीं , घंटे दो घंटे के लिए घर खाली ,...

और उसी समय देवर आ गए बस माँ पीछे पड़ गयीं,...

" अरे देवर जी थोड़ा देर हो गयी वरना एक मस्त माल था , तुमको अपने सामने चढ़वाती, तुम भी क्या याद करते, वैसे चढ़े तो पहले भी कई बार होंगे उसके ऊपर लेकिन बियाहता बहन को चोदने का वो भी उसके मरद के सामने दूना मजा मिलता है , और ऊपर से होली का दिन, अरविंदवा की बुआ अभी अभी गयी हैं,... "



देवर ने पहले तो आराम से आंगन का बाहर का दरवाजा बंद किया दोनों हाथों में रंग लगाया,... फिर भौजाई को दबोचते हुए बोला,...

" भौजी,... तोहसे मस्त माल तो कोई है नहीं फिर दो साल होली सूखी गयी , साल भर तो होली होली कह के टार देती हो और दो साल की होली सूखी गयी लेकिन अब की नहीं छोडूंगा बिन डाले,... "



" अरे जब से देवरानी आयी है तो भौजी को बिसरा गए हो और अब वो मायके चली गयी तो भौजाई याद आ रही है बकी छोडूंगी तो मैं भी नहीं आज तुमको, एही आँगन में थोड़ी देर पहले तोहरी बहिन को नंगे नचाया था उसकी बुरिया में मुट्ठी पेली थी




तो अब तोहैं नंगे नचाउंगी और तोहरी गाँड़ में मुट्ठी पेलुँगी , स्साले बचपन के गांडू ,... आज देख लेती हूँ"

माँ देवर को चुनौती देती बोलीं

भांग का नशा अभी भी उनका उतरा नहीं था हाँ बुआ के जाने के बाद साड़ी उन्होंने देह पर लपेट ली थी, ब्लाउज तो ननद ने फाड़ के चीथड़े कर दिए थे और पेटीकोट का नाड़ा खोल के तोड़ दिया था की होली के दिन का करोगी ये सब पहन के ,

तो पहले माँ ने ही झपट्टा मारा पाजामे के नाड़े पे और उनके देवर ने भौजाई के जोबन पे

कुछ देर में ही देह को होली चालू हो गयी थी पहले तो जोबन कस कस के मसले रगड़े रंगे गए उसके बाद,... वहीँ आंगन में निहुरा के देवर ने पेल दिया, ... और दोनों हाथ से कभी जोबन मसलता तो कभी रंग पेण्ट लगाता और माँ धक्के का जवाब धक्के से





नन्दोई के साथ दो राउंड हुआ था तो देवर के साथ तीन से कम क्या होता,... दो साल की होली का उधार भी चुकता करना था,... और पहली बार ही वो निहुरि एकदम झुकी और देवर के लंड की सारी मलाई बुर के अंदर जैसे कोई बुर में लंड नहीं पेल रहा हो, ... बल्कि इंजेक्शन लगा रहा हो और साथ में देवर ने कान में बोल दिया ,

" भौजी पहलौठी का तो भैया का था अबकी वाली हमार होगी,... "

" तोहरे मुंह में घी गुड़, लाला,... लेकिन अगर गाभिन न हुयी न तो सोच लो निहुराई के तोहरी महतारी के सामने तोहार गाँड़ मारब,... बस अगले महीने पता चल जाएगा"


माँ क्यों मजाक का मौका छोड़ देतीं और साथ में अपने देवर के लंड को झुकी हुयी निचोड़ निचोड़ के सीधे बच्चेदानी में,... देवर -नन्दोई का तो होली में हक होता है ,...

और उसके बाद देवर ने चुपचाप रंग लगवा लिया लेकिन रंग लगे हाथों में जब खूंटा मुठियाया गया तो फिर तन्ना गया और अबकी गोद में बैठा के ,




लेकिन थोड़ी देर बाद उसी आंगन में एकदम दुहरा कर के और अबकी भी सारी मलाई अंदर,...



तीसरी बार पहल भौजाई ने की ऊपर चढ़ के लेकिन झड़ते समय देवर फिर ऊपर

फिर नयी नयी रसीली भौजाई हो तो देवरों की संख्या तो बढ़ जाती है,

फिर दो चार तो ख़ास रिश्ते वाले तो उन्होंने ने भी चढ़ाई की,...


और मेरे बाबू भी, पता चला की कोई मालगाड़ी गिर गयी थी तो उनकी ट्रेन घूम घाम के डेढ़ दिन लेट,...


तो रात को तो उन्होंने माँ की क्लास ली ही, तीन चार राउंड पूरे और हर बार पूरी मलाई,...




माँ ने कहाँ देख , चढ़े तो छह सात रहे होंगे, ... लेकिन तीन की मलाई पूरी की पूरी बच्चेदानी में गयी थी, तेरे फूफा चाचा और बाबू इसलिए मैं कहती हूँ पता नहीं.

कुछ देर रुक के माँ मुस्कराने लगीं और गीता के बिना पूछे बोलीं


" अरे एकदम ठीक दिन घड़ी जोड़ के थोड़े ही पता चलता है कब गाभिन हुयी,... होली के अगले दिन ही तेरे मामा भी आये थे,... तेरे बाऊ जी और फूफा जी बाजार गए थे ,

घर में कोई था नहीं, तेरा भाई तो हरदम अपनी दादी, बुआ और चाची के पास,... और ,... बस,... "


गीता बड़ी बड़ी आँखों ने बिन बोले पूछ लिया की क्या मामा के साथ भी



और माँ की खिलखिलाहट ने हामी भर दी,...

फिर मुस्कराते हुए उन्होंने जोड़ा तेरे बाबू की रात भर की मलाई बची थी उसी में तेरे मामा ने भी तो मैं क्या बताऊँ ,...


लेकिन फिर गीता का उदास चेहरा देख के माँ ने उसे दुलार से गले लगा लिया और चूमते हुए बोलीं,
" अरे स्साली काहें कुम्हला रही है, तू मेरी कोख से पैदा हुई मेरी बेटी है और तेरा भाई मेरी कोख से जन्मा, मेरा बेटा,... तो तू भाईचोद और तेरा भाई बहनचोद,... "
ये तो गितवा की माँ पर जुल्म हो गया...
पहली दोनों होली... यूं सूखी-सूखी...
लेकिन लगता है कि इस बार की होली में पिछली सारी होली का कसर निकाल कर हीं छोड़ेगी....
हर पिचकारी वाले के साथ दो-तीन बार.. अंदर बच्चेदानी तक ...

और बुआ का आशीर्वाद लग गया... लड़की हीं हुई... मस्त.... सेक्सी...
जैसे एक फिल्म आई थी 'लड़के बाप से बढ़के' तो यहाँ 'लड़की माँ से बड़की....'

तो माँ, यानी देवर की भौजी भी छुनछियाई हुयी थीं

ऐसी छुंछियाई की तो इकट्ठे सब छेदों में भरना होगा....
पढकर मजा आ गया...
 
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Doon0007

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कोमल जी ,
आप की लेखनी का जबाब नही,इतना सजीव चित्रण किया कहानी का ऐसा लगता है कि सब कुछ सामने एक फीचर फिल्म की तरह चल रही हैं।
आप के लेखन कला में जादू है ,जो हम पाठको के दिल और दिमाग को मंत्र मुग्ध कर लेती ।एक महान लेखिका है,आप महान कहानीकार है, इस बात में कोई दो राय नही है।आप को कोटि कोटि साधुवाद👍👌👌👌
गीता की माँ छोटी होने का फायदा मायके में मिल रहा है तीन तीन जीजा, और बड़ी भाभी होना का लाभ ससुराल में उनके तो दोनों हाथ में लड्डू है।
हर बिल में हमेशा जावन रहता है चाहे मायका हों या ससुराल।गीता अपने माँ से अलग थोड़ी ही होगी☺️☺️☺️
जरा मायके में हुई रगड़ाई का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिये गा ।
आप का बहुत बहुत धन्यवाद💐💐💐💐💐💐
आप सदा स्वस्थ रहे ,सुखी रहे, आप की कलम का जादू यू ही चलता रहे ,मेरी ईश्वर से यही प्राथर्ना है

बहुत बहुत धन्यवाद
कोटि कोटि नमन आप को आप की लेखनी को
 

motaalund

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बेटा /बेटी किसके

( बाप के /की माँ के ?)



लेकिन फिर गीता का उदास चेहरा देख के माँ ने उसे दुलार से गले लगा लिया और चूमते हुए बोलीं,

" अरे स्साली काहें कुम्हला रही है, तू मेरी कोख से पैदा हुई मेरी बेटी है और तेरा भाई मेरी कोख से जन्मा, मेरा बेटा,... तो तू भाईचोद और तेरा भाई बहनचोद,... "

और माँ ने वो लॉजिक दिया जिसकी काट नहीं थी, दुलराते,चूमते अपनी बिटिया की कच्ची अमिया सहलाते बोलीं,

" अच्छा बता, तुझे दही जमाना है , दूध रखा है लेकिन घर की दही का जामन नहीं बचा, कोई बिल्ली चाट गयी, पर दही जमाना जरूरी है तो का करेगी तू "




" अरी माँ, ये भी कोई बात है , ग्वालिन भौजी या चाची या आस पड़ोस से जामन मांग लूंगी, अरे कटोरी भर भी तो नहीं होता, चम्मच दो चम्मच बहुत है जमाने के लिए "

खिलखिलाते हुए गीता ने जवाब दिया, गाँव की लड़की, दही जमाना रोज का काम।




" अच्छा, सेर भर दही आपन कहतरी में जमाय ली, लेकिन जउने पड़ोसिन से जामन मांग के लायी थी, वो आ जाए और कहे की ये दही तो हमरे जामन का है, कुल दही हमको दो "




माँ ने बड़ी सीरियसली पूछा।

" अरे वाह," तमक के गीता बोली,


" अरे एक चम्मच जामन ले आयी थी दो चम्मच ले लें , कटोरी भर ले ले, ...




कहतरी हमारी, दूध हमार, अंजुली भर जामन से दही उनका, ... ये कैसे "



माँ खिलखिलाने लगी फिर प्यार से उसे चिपका के बोलीं,
" यही तो, तेरे लिए चम्मच भर जामन,चाहे तेरे चाचा का, फूफा का हो, मामा का हो, लेकिन कहतरी तो हमारी है, ... "उस पेट को, सहलाते जिसमे गीता और उसका भाई ९ महीने थीं,... वो बोलीं और जोड़ा दूध भी हमारा, तो जरा सा जामन कहीं से मैं लूँ क्या फर्क पड़ता है "




गीता समझ गयी माँ की लॉजिक और दुलार से उनकी गोद में चिपक गयी, रिश्ता तो माँ का ही है।

माँ ने अब बात और आगे बढ़ाई

" देखो कुछ बातें औरतें ही समझ सकती हैं इसलिए ये सब माँ बेटी की बात हैं किसी भी मरद के दिमाग में नहीं घुसतीं, बिधना उसे बनाये ही नहीं ऐसे, अच्छा चलो एक बात बताओ , जब तू हमरे पेट में आयी तो नौ महीने कहाँ रही "

गीता ने दुलराते हुए माँ के गोरे गोरे चिकने पेट को सहलाते हुए खिलखिला के कहा,

" यहाँ,... "



" और पेट के अंदर से जो लात चलाती थी, कौन सहती थी ? तेरी दादी पेट छू के खूब खुश होक चिढ़ाते बता देती थीं , बहु बिटिया होगी इतना लात चला रही होगी,... बहुते चंचल होगी, कुलच्छिनी "

और मैं हंस के कहती थी हाँ सासू जी एकदम अपनी बुआ पे पड़ेगी। कदम घर में नहीं टिकेगा। इस घर की बेटी, इस घर की बेटी की तरह होगी। और दादी बहुत खुश, हम ननद भौजाई की छेड़छाड़ में वो बहू का ही साथ लेती थीं आखिर वो भी इस गाँव की बहू थीं , मेरी तरह बेटी थोड़ी थीं। अच्छा ये बता की जब तू पैदा हुयी तो दर्द किसको हुआ मुझको या तेरे बाऊ जी को ,... "



" आपको " बड़ी बड़ी आँखों से बेटी ने माँ को देखते हुए कहा।

" और पूरे दो साल चुसूर चुसूर दूध कौन पिलाया , मैं की तोहरे बुआ के खसम तोहार बाऊ " हँसते हुए माँ ने फिर पूछा।

" माँ ने "

तो अब सोच के बताओ , नौ महीने मेरे पेट में रही , दर्द हमको हुआ , दूध हमने पिलाया , और सब बिसरा के माँ नहीं बाउ जी ,... साफ़ साफ़ बोल, किसकी बेटी है माँ की या बाप की,... "

और अब गीता ने माँ को चिपका लिया और कान में बोली माँ की।



लेकिन माँ का एक सवाल बचा था , और उन्होंने वो पूछ लिया,

" और तीन साल पहले जो तुझे खून खच्चर चालू हुआ,... तो रोती घबड़ाती किसके पास आयी "

" माँ आप के पास " अब गीता एकदम माँ की गोद में आ गयी थी , ...

और माँ उसे समझा रही थी, सुन कुछ बातें ऐसी होती हैं , औरतों के तन मन की बात जो सिर्फ और सिर्फ औरतें ही समझ पाती हैं एक दूसरे से सुख दुःख कह पाती हैं,



लेकिन माँ को लगा बड़ी सीरियस बातें हो गयी और उन्होंने ट्रैक बदला

माँ ने अब छेड़ते हुए गीता के गाल पे चिकोटी काट के चिढ़ाया,



" समझी छिनरो, चूतमरानो ,.... तुम और तेरा भाई इसी कोख में से निकला है , इसलिए तुम दोनों सगे हो, बाप चाहे जो हो. और इसलिए, तेरा भाई अपनी बहन को चोद के बहन चोद है और तू अपने भाई से चुदवा चुदवा के पक्की भाईचोद हो। "





गीता भी तो उन्ही की बेटी थी, माँ को चूमते बोलीं,...

" हे मेरे भाई को कुछ मत बोलना, जल्द ही मादरचोद भी बन जायेगा, घबड़ा काहें रही है तू। "

माँ ने चुम्मी का जवाब और कस के गाल काटते बोला,

" उस स्साले, तेरे बहनचोद भाई की हिम्मत ही नहीं है, मादरचोद बनने की।"

" अरे इस का दीवाना है वो "

गीता ने माँ के आँचल को ढलकाते हुए कहा, ...

" मुझे मालूम है, .. जिस तरह से चोरी से छिप छिप के देखता है , कित्ती बार मैंने देखा है और उसका पजामे में खूंटा खड़ा हो जाता है , लेकिन स्साले की हिम्मत ही नहीं है सिवाय मेरी बेटी को चोदने की,... "





" अरे माँ, बेटी तुम्हारी है तुम पे गयी है , तुम भी तो कुंवारेपन में मामा से ही फड़वायी थी,... तो,…

लेकिन मेरा भाई देखिये जल्द ही बहनचोद से मादरचोद बनेगा , "



माँ ने बात बदलने की कोशिश की की मुंह से क्या निकल जाये और कहने लगी तू कह रही थी न जब तू पेट में आयी होली की रात तो उस दिन मेरी बड़ी रगड़ाई हुयी थी , लेकिन असली रगड़ाई तो एक साल पहले मायके की होली में हो चुकी थी। "

गीता ने उत्सुकता से पूछा और माँ ने शादी के बाद की दूसरी होली का जिक्र शुरू कर दिया था। पहली होली में तो वो सौरी में थी , छट्टी भी नहीं हुयी थी, बेटा हुआ था, इसलिए वो देवरों से बची रहीं। और दूसरी होली में रस्म के मुताबिक़ अपने मायके में थी,

और माँ ने शुरू किया होली का किस्सा
" यही तो, तेरे लिए चम्मच भर जामन,चाहे तेरे चाचा का, फूफा का हो, मामा का हो, लेकिन कहतरी तो हमारी है, ... "उस पेट को, सहलाते जिसमे गीता और उसका भाई ९ महीने थीं,... वो बोलीं और जोड़ा दूध भी हमारा, तो जरा सा जामन कहीं से मैं लूँ क्या फर्क पड़ता है "

क्या शानदार लॉजिक दिया है...
एकदम लाजवाब कर दिया....
बेजोड़....

और माँ से बढकर कोई नहीं...
क्या आदमीं या क्या जानवर सब अपने बच्चों के रक्षा के लिए किसी भी प्रतिद्वंदी से भिड़ने को तैयार ..

बच्चो. के मुख पर से किसी भी बात को वो तुरंत भांप लेती है...
और उसके निराकरण के लिए जान लगा देती है...
गितवा की मायूसी को भी उन्होंने महसूस किया और अपने जिंदादिल जवाब से माँ की महता बता दी... खासकर बेटी और माँ का रिश्ता...

गितवा भी पीछे पड़ी है... मादरचोद बनाने के लिए...

" हे मेरे भाई को कुछ मत बोलना, जल्द ही मादरचोद भी बन जायेगा, घबड़ा काहें रही है तू। "

माँ ने चुम्मी का जवाब और कस के गाल काटते बोला,

" उस स्साले, तेरे बहनचोद भाई की हिम्मत ही नहीं है, मादरचोद बनने की।"

" अरे इस का दीवाना है वो "

गीता ने माँ के आँचल को ढलकाते हुए कहा, ...

" मुझे मालूम है, .. जिस तरह से चोरी से छिप छिप के देखता है , कित्ती बार मैंने देखा है और उसका पजामे में खूंटा खड़ा हो जाता है , लेकिन स्साले की हिम्मत ही नहीं है सिवाय मेरी बेटी को चोदने की,... "


माँ का भी मन तो है...
लेकिन बेटी के सामने नखड़े कर रही है...
 
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माँ की
मायके की होली



और माँ ने शुरू किया होली का किस्सा

और होली का किस्सा सुन सुन के ही गीता की गीली हो गयी, चुनमुनिया फड़फड़ाने लगी, कसमसमाने लगी, भैया होता न तो, स्साले को पटक के चोद देती।



गीता की कोई सगी मौसी तो थी नहीं है चचेरी, मौसेरी, ममेरी, खासतौर से उसके ननिहाल के रिश्ते की माँ की बहने और सब माँ से बड़ी, लेकिन ज्यादा नहीं,... ख़ास तौर से मझली मौसी नानी की तीन लड़कियां, गीता की तो मौसियां ही लगती थीं,गीता को भी नहीं बख्शती थीं, मिलते ही पहले जुबना का उभार नापती थीं, भरतपुर पे धावा बोलती थीं. तो बस वही तीन मौसियां और मौसा जी लोग, माँ के तो जीजा ही लगेगें,




बस उन तीनों ने एक साथ धावा बोला, वो भी अकेले नहीं मौसियों के साथ.

कुछ देर तक तो मुकाबला चला एक जीजा ने चोली के अंदर हाथ डाला, दूसरे ने पेटीकोट का नाड़ा पकड़ा,...

ओर माँ की बहने, रीनू चीनू और टीनू

तीनो नंबरी छिनार, रीनू सबसे छोटी अपने दोनों जीजा को ललकार के बोली,

" अरे जीजू , साली की चोली में तो रोज ही हाथ डालते हो , आज चोली खोलने का नहीं फाड़ने का दिन है और नाड़ा खोलना मत तोड़ देना। मेरी ये बहन बहन बहुत चालाक है, नाड़ा खोलोगे तो फिर बांध लेगी,




साड़ी तो अपनी छोटी बहन की तीनों बहनों ने ही मिल के उतार दी थी, ब्लाउज, पेटीकोट आंगन में कुछ देर में और फिर रंग की बहार, कोई जगह नहीं बची जहाँ तीनो जिज्जा ने रंग न लगाया हो, पर वो भी जानती थीं की असली होली तो चमड़े की पिचकारी से होने वाली थी और मन उनका भी कर रहा था, चूँचियाँ रगड़ रगड़ के चूत में ऊँगली कर के वो भी पनिया रही थीं, तीनो जीजू उन्हें चोदने के लिए कबसे ,

लेकिन उन्होंने बोल रखा था शादी के बाद जब मायके आएंगी तब


और मौसा लोगों की भी क्या गलती उन सबकी शादियों में मम्मी छोटी साली थीं तो खूब रगड़ाई की उन्होंने, अच्छी वाली गालियां सुनायीं और कोहबर में घुसते समय धक्के में भी मारे और पैंट के ऊपर से पकड़ के रगड़ के नाप जोख भी की,




और सबसे तगड़ा था छोटी मौसी वाली, रीनू मौसी के मर्द का, और वो मजाक भी बोल के नहीं चूम के, मसल के करते थे. और रीनू ने अपने पति का ही पक्ष लिया,


"हे जो सबसे छोटा है, पहला हक उसका, और छोटे जीजा बड़े औजार वाले आंगन में लेट गए, कुतुबमीनार हवा में,... लेकिन वो नाटक कर रही थीं,...

नहीं नहीं जिसको करना हो खुद करे, ऊपर आये,..

पर तीन तीन बहने, ... मिल के भाले के ऊपर चढ़ा दिया,... ऊपर से बड़ी और मझली एक एक कंधा दबा रही थी, रीनू कमर पकड़ के नीचे खींच रही थीं,




और एक बेटा निकल गया था उसी रास्ते, कोई कन्या कुँवारी तो थी नहीं, हालांकि बच्चा जनने के बाद उनकी माँ और सास ने जो जो जतन कराये, सिखाये, तो उनकी चुनमुनिया अभी भी टाइट थी, .... और ये भी नहीं की पहली बार वो खूंटे के ऊपर चढ़ी है, पचासों बार,...

लेकिन जीजा का लंबा तो बांस ऐसा था ही मोटा भी बहुत,( हालांकि बड़े जीजा वाले का सबसे मोटा था, कलाई से भी ज्यादा ) .


बस दो चार मिनट बाद वो मस्त होक जीजा के ऊपर चढ़ के चोद रही थीं और नीचे से जीजा भी कस कस के धक्के लगा रहे थे थे, ... बांस पूरा उन्होंने घोंट लिया था लग रहा बच्चेदानी के अंदर घुस गया है लेकिन मजा भी आ रहा था, मायके के आंगन में बहनों के सामने,...




लेकिन उन्हें पता नहीं था तीनों बहनों की असली साजिश क्या है,... और क्यों उन्हें आंगन में छोटे जीजा के बांस के ऊपर चढ़ाया गया है,


रीनू ने ही अपने मर्द को इशारा किया, बाकी दोनों जीजा लोग भी आंगन में खड़े मुठिया रहे थे, ललचा रहे थे,

रीनू दी खुद बड़े वाले जीजा का कभी चूस के कभी मुठिया के ,...

ओहह... तो दूसरी होली सूखी नहीं गई....
बल्कि एक साथ तीन-तीन पिचकारी...
वो भी अंदर तक .. रंग बरसा रहा था.,..
सफेद रंग...

कितने छेद हैं... तीन
आदमी भी तीन और छेद भी तीन... हाँ अब सही है....

ट्रिपलिंग वाली आग्रह .. जो दूसरे स्टोरी में की थी... वो आपने इस स्टोरी में पूरी कर दी....
धन्यवाद...
 
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माँ के मायके की होली का मज़ा,

एक एक पर तीन तीन




,... लेकिन उन्हें पता नहीं था तीनों बहनों की असली साजिश क्या है,... और क्यों उन्हें आंगन में छोटे जीजा के बांस के ऊपर चढ़ाया गया है,

रीनू ने ही अपने मर्द को इशारा किया, बाकी दोनों जीजा लोग भी आंगन में खड़े मुठिया रहे थे, ललचा रहे थे, रीनू दी खुद बड़े वाले जीजा का कभी चूस के कभी मुठिया के ,...


छोटे जीजा ने उन्हें खींच के एकदम अपनी देह पर चिपका लिया , इंच भर भी जगह नहीं बची थी , उन्हें भी बहुत अच्छा लग रहा था, और जीजू ने अपने दोनों हाथों से उनकी पीठ को और पैरों से चूतड़ को जकड़ लिया बाकी दोनों बहनें भी दबोचे थीं,... बांस अलग पूरा अंदर तक घुस गया था,




पर तब तक उन्हें कुछ भी नहीं अंदाज लगा ,

पता तब चला जब रीनू स्साली चूत मरानों ने उनकी गांड अपने अंगूठों से कस के फैलाई और बड़े जीजू को उकसाया,

" अरे जीजू देख क्या रहें हैं, मार लीजिये स्साली की गाँड़,... बहुत लौंडे लौंडियो की आप ने गाँड़ मारी है लेकिन मेरी छुटकी बहना ऐसी मस्त कसी गाँड़ नहीं मिली होगी, होली का मौका है पेलिए नहीं फाड़ दीजिये,




जब तक वो समझे उचके, छुड़ाने की कोशिस करें बड़े जीजू ने उनकी गाँड़ में सुपाड़ा पूरा पेल दिया, ... दोनों चूतड़ कस के दबोच के,....



वो जोर से चिल्लाईं
उउउउउउ उईईई

पर ज्यादा चिल्ला भी नहीं , मंझले जीजू तैयार बैठे थे , खुले मुंह में उन्होंने लंड डाल दिया,... और दोनों हाथ से कस के सर को दबोच लिया




बस बेचारी चिल्ला भी नहीं पा रही थीं , कुछ देर में उन्होंने लंड चूसना भी शुरू कर दिया, स्वाद तो मस्त था ही,... गाँड़ भी मारी जा रही थी,... बुर भी चोदी जा रही थी.

जब छोटे जीजू जिनके लंड पे मैं चढ़ी थी मुझे ऊपर पुश कर के अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकालते तो उसी के साथ हचक के जड़ तक पीछे से मेरी गाँड़ में बड़े जीजू अपना मोटा लंड ठूंस देते ,



था भी उनका खूब मोटा और कोहबर में सबसे ज्यादा रगड़ाई भी मैंने की थी हालांकि ८- ९ में पढ़ती रही होउंगी लेकिन थी तो सबसे छोटी साली, उन्हें लिपस्टिक लगाया, उनकी मांग में सिन्दूर डाला, निहुरा के हम सब लोगों के जूता चप्पल की पूजा कराई ,

लेकिन वो कोहबर से निकलते बोल के गए थे साली एक दिन मेरा भी मौका आएगा, और मैं भी जान बूझ के उनको दरेरती अपनी नयी नई आ रही छोटी छोटी चूँची रगड़ती उनसे बोली,

" आने दीजिये मौका मैं पीछे नहीं हटने वाली, छोटी स्साली हूँ आपकी कोई मजाक नहीं दी के पहले मेरा हक़ है। "



तो बस वही खूब हचक हचक के गाँड़ में अपना मोटा बम्बू पेल रहे थे ,

थोड़ी देर तक तो दोनों जीजू बारी बारी से , एक निकालता दूसरा डालता, ... लेकिन फिर पांच सात मिनट के बाद दोनों साथ साथ डालने निकालने लगते



और चूँचियाँ भी दोनों ने बाँट ली थी खूब कस कस के निचोड़ रहे थे ,...

कुछ देर में दोनों के तूफानी धक्के जब एक साथ घुसते तो लगता गाँड़ के अंदर की पतली चमड़ी फाड़ के मिल जाएंगे,... और मैं चीख भी नहीं सकती थी , मंझले जीजू ने कस के अपना लंड हलक तक पेल रखा,... था,...



मुंह बुर गाँड़ सब में डाट लगी थी और सिर्फ कान खुले थे जिसमें तेरी छिनार तीनो मौसियां मिल के मुझे चिढ़ा रही थीं , मेरे जीजा को उकसा रही थीं ,

" बहुत बोलते थे न तेरी बहन मिलेगी तो ये करेंगे वो करेंगे , तो पेलो न आज मेरी बहन , तुम तीनो के बीच अब ये बेचारी चीख भी नहीं सकती , और एक से एक गन्दी गालियां मुझे ,...


और ऊपर से बहने तीनो खूब मज़ाक उड़ा रही थीं, सबसे ज्यादा रीनू बोली,

"ये होता है छोटी साली होने का फायदा, एक साथ तीन तीन मूसल हर छेद की एक साथ सेवा,..."



तो बड़ी वाली ने रीनू को चिढ़ाया,... अपनी बारी भूलती है , दो जीजू तेरे तो , तेरे ऊपर भी साथ चढ़े थे




पर रीनू कम्मिनी बचपन की, उदास मुंह बना के बोली

लेकिन एक छेद तो तब भी बचा रह गया,

कुछ देर बाद मंझले जीजू ने मुंह से लंड बाहर निकाला तो मैंने अर्ज लगाई ,

" मेरी कमीनी बहनों , मैं चुदवा लूंगी तुम तीनो के मर्दों से आखिर मेरे जीजा है लेकिन बारी बारी से ,"



तीनों बहने एक साथ बोलीं,




एकदम नहीं।

फिर मंझली ने कारन बताया,
" स्साली टाइम कित्ता लगेगा बारी बारी से , आधे घंटे से कम तेरा कोई जीजू झड़ता नहीं, फिर तेरी ऐसी मस्त स्साली , मजे ले ले के चोदेगे सब,... गाल काटेंगे चूँची रगड़ेंगे, और तीनों तीनों छेद का मजा लेंगे तो तीन छेद तीन जीजू , ९ बार आधे घंटे के हिसाब से साढ़े चार घण्टे पूरे फिर बीच में उलटने पलटने का टाइम ,... कम से कम पांच घंटे, अभी बज रहा है दस तो पांच घंटे जोड़ के बजेगा तीन,...



और फिर मौसी ने जो रच रच के पकवान बनाएं हैं वो भी खाना है और दो बजे तक वापस भी लौटना है ,... इसलिए चढ़ेंगे तो तीनों साथ साथ,"


मंझली की गणित सच में अच्छी थी , बिना नकल के हाईस्कूल गुड सेकेण्ड क्लास दो बार में पास हो गयी थी।

और बड़ी ने अपना हिसाब बताया, ..
एक तो तेरे साथ मजे लेगा , बाकी दो क्या करेंगे,... पांच दिनों से इन तीनो को हम तीनों बहनो ने उपवास कराया है तो चुदेगी तो तू आज ऐसे ही। "




लेकिन रीनू ने जो बात बताई उसको सुन के दिल दहल गया,

" अरे अभी दोपहर को बड़ी मौसी के दोनों दामाद आएंगे और शाम को छोटी वाली मौसी के ,... "




हम लोगों ने मिल के पहले से पारी बाँट ली है, "

मैं जोड़ने लगी तीन मौसियां , तीनो के तीन दामाद , नौ और वो सब तीनों छेद का मज़ा लेंगे ,...

लेकिन साली कौन जिसे जीजा लोग होली में सोचने का मौका दें


फिर एक बार झड़ने के बाद तीनो ने बिना सुस्ताये जगह बदल ली , छोटे जीजू गाँड़ मार रहे थे , बड़े जीजू ने तो गाँड़ में झड़ने के बाद सीधे गाँड़ से निकला मुंह में ठेल दिया





और मंझले वाले को मेरी बुर,...

तो तीन बार ट्रिपलिंग हुयी आपकी,

गीता ने मुस्कराते हुए पूछा,... और माँ ने खीझ के उसके गाल मींड़ते हुए बोला,

" जब तीन तीन चढ़ेंगे न एक साथ तेरे ऊपर तो पता चलेगा, अभी तो मेरा बेटा अकेले तेरी गाँड़ फाड़ देता है। और एक बार नहीं तीन बार, और मेरी कमीनी मौसेरी बहनें हर बार , मेरे बिल साफ़ कर देती ही जिससे उनके मर्दों का सूखी बुर, गाँड़ में दरेरता रगड़ता घुसे। ढाई तीन घण्टे तक लगातार मूसल चले तीन तीन। "

वक्त का सही उपयोग और घंटे का पूर्ण इस्तेमाल कोई इनसे सीखे... सीखे इनसे...
कोमल रानी ने इस स्टोरी में चमत्कार पे चमत्कार किए हैं...
और आगे भी करती रहेंगी....
स्त्री शरीर में मुख्य आकर्षण है स्तन... पर देता कोई नहीं...
लेकिन गितवा की माँ ने स्तन दे कर इस होली में रंग बिखेर दिया....
 

motaalund

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Geeta bhi hichak ke apni maa ke pichhe pad gai. Jab use apne bhaiya se fadvaya. To uske bhaiya se chudvane me kya harz he. Beta he to kya huaa. Erotic +shararat= maza hi maza.

Superb update komalji. Kisso ko dharalta or safai se pesh kiya he. Kitni ashani se.

Aap har fild likhne me mahir ho. Erotic, incast, co cold (female or Male dono feelings) or adultery bhi. Salam he is chudel ka aap ko.


Guru devo bhavah:
पीछे नहीं आगे पड़ी है...
मेरा मतलब है आगे वाले छेद के पीछे पड़ी है...😂😂😂😂
 
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