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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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छुटकी -होली दीदी की ससुराल में

भाग १११ पंडित जी और बुच्ची की लिख गयी किस्मत पृष्ठ ११३८

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motaalund

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Geeta to apni maa ke piche pad gyi ab to,manengi nahi
हाँ .. अब अरविंदवा का मादरचोद बनना तय है....
लेकिन अरविंदवा की माँ की इतनी बहनें... तो कोई मौसेरी बहन भी तो होगी...
और मामा ने अपने तगड़े हथियार से मामी के पेट से कोई ममेरी बहन....
तो सगी को चोदने के पहले .. गाँव के अलावा .. कोई ममेरी, चचेरी, फुफेरी या मौसेरी बहन भी ..
 
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Random2022

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किस्सा माँ की होली का

और
' मेरे बाबू कौन '

ये एकदम पक्का है, ... मेरी शादी के तीन साढ़े तीन साल हुए थे। असल में पहली होली ससुराल में ढंग की,... पहली होली में तो तेरे भैया आ गए थे होली के चार पांच दिन पहले तो मैं ऐसे बच गयी। अगली होली मेरे मायके में हुयी, तो उसके बाद की होली,... तेरी बुआ का चार महीने पहले ही गौना हुआ था।

और माँ ने होली का पूरा किस्सा सुनाया।

गौने के पहले भाभियों ने खूब समझाया था, अरे पहली रात तो हर लड़की झेल जाती है कोई जेठानी कडुआ तेल दे जाती है ( वैसे भी माँ को उस का कोई डर नहीं था क्योंकि ८४ आसन से कोई बचा नहीं था,जिसको अपने सगे भाई के साथ दो चार बार ट्राई न किया हो )



लेकिन असली रगड़ाई तो होली में होती है, पूरे गाँव की भौजाई, नयी दुलहिनिया, देवर के अलावा नन्दोई, सगे हों या रिश्ते के वो भी, साजन के दोस्त, हाथ तो सब लगाते हैं , धक्के लगाने वाले भी गिनती के बाहर,..


लेकिन माँ पहली होली में बच गयी थी , भैया के होने से, बेचारे देवर हाथ मलते रह गए.

और अगली होली मायके में होती है ,


इसलिए शादी के तीन साल बाद पहली होली ढंग की ससुराल में पड़ी और देवर से ज्यादा, सास और ननद प्लानिंग बना के बैठी थीं.


बुआ का गौना तीन चार महीने पहले ही हुआ था और उन्होंने फूफा जी को खूब गन्दी वाली गारियाँ और कोहबर में उन्होंने और रगड़ाई की, फूफा जी ने भी मौका पा के जोबन नापा और बोल के गए थे होली में आयंगे, तो माँ ने खुद उनको सुना के कहा, आपकी पिचकारी पिचका के रख दूंगी।

बस सुबह सुबह, बुद्धू बना के माँ की ननद और सास ने, माँ को डबल भांग वाली ठंडाई पिला दी,... वैसे भी वो गरमाई थीं,

पति उनके १५ दिन से गायब थे, बंबई और बोल के गए थे होली में आएंगे , दो चार दिन पहले, लेकिन,....
बस वहीँ आँगन में साड़ी तो माँ की ननदों ने,...


भैया तो अक्सर दादी के पास रहता था या बुआ के पास,...

और उसके बाद ब्लाउज फटा और फिर फूफा जी, अब नन्दोई तो सलहज के ब्लाउज में हाथ डालेगा,



माँ भी कौन कम थीं एक झटके में पहले पाजामे का नाड़ा खींचा, एक दो और उनका साथ देने के लिए पड़ोस की,
तो वो देखते देखते चिथड़े

,माँ भी सिर्फ पेटीकोट में,... बाकी सब पड़ोस वाली तो और घर चली गयीं, आंगन में फूफा जी और माँ, ...

और उनकी सास अपने नए नए दामाद को उकसा रही थीं और बुआ तो और ज्यादा,

" अरे सलहज को पेलते तो सब हैं होली में गाभिन कर के छोड़ना,
और वही आँगन में , ... और सिर्फ एक राउंड नहीं ,




दूसरे राउंड में तो माँ खुद अपने नन्दोई पे चढ़ के,..



और गालियो की बौछार ( आखिर रिश्ता सलहज नन्दोई का था ), फूफा जी के दोनों हाथ पकड़ के,

" लाग साले धक्का अब, मेरी ननद की ननदों की चोद चोद के सोचते हो,... अरे ननद के नन्दोई,... ननद की सास का भोंसड़ा नहीं है ताल पोखरा , जिसमें पूरा गाँव डुबकी लगाता है तेरे और मेरे ससुर गोता खाते हैं , स्साले भंड़ुवे , अब लगा धक्के अगर ताकत है अपने बाप का जनमा है तो , नहीं मलाई गिरा पाया तो यही तेरी गाँड़ मारूंगी "

डबल भांग का नशा चढ़ा था माँ पे , ताकत भी बहुत थी और आंगन में सिर्फ माँ, फूफा जी , बूआ और माँ की सास , ... दादी,... और दादी अपने दामाद को चढ़ा रही थीं,

" अरे पाहुन जी बहुत गरमा रही तेरी सलहज आज गाभिन कर के जाओ,... आज देख लूँ , समधन का जोबन तो जबरदस्त है पूरे गाँव से मिजवाया होगा, लेकिन देखूं बेटे को कुछ दूध वूध पिलाया है की नहीं,... "

और माँ ऊपर चढ़ी धक्के पे धक्के मार रही थीं , खूब गरमाई थीं और सास की बातें सुन के और, नन्दोई के सीने पे अपने बड़े बड़े जोबन रगड़ती बोलीं,...

" अरे दूध तो सब इनके मामा को पिला दिया है न एक चूँची से ये चुसुक चुस्सक के दूसरे से ननदोई जी के मामा,... आज इसी आँगन में आपके दामाद की गाँड़ मारूंगी, बचपन में बहुत लौण्डेबाजों से गाँड़ मरवाया होगा न वो सब भूल जाएंगे, अरे नन्दोई जी होली में ससुराल में गाँड़ मरवाना शुभ होता है अब आपके साले नहीं है आज तो सलहज ही ये सगुन करेगी , घबड़ाइये मत "



धक्के पे धक्के


पर थोड़ी देर में नन्दोई ने पलटा खाया और निहुरा के बड़े कटोरे के बराबर,... मलाई माँ के अंदर छोड़ दी,...


और अब बुआ के बोलने की बारी थी अपने पति से बोलीं,

" अरे आराम से,... निकालने की जल्दी मत करिये सब की सब मेरी गोरी गोरी मीठी मीठी भौजी की बच्चेदानी में जाना चाहिए, अगले महीने वाली पांच दिन की छुट्टी ख़त्म , एक एक बूँद रोपिये ठीक से ,... इतने दिन से तड़प रहे थे न , मड़वे में जिद किये थे की नेग में सलहज चाहिए तो अब मिल रही है सलहज तो मजे से लीजिये,... ऐसी सलहज सपने में भी नहीं मिलने वाली "


और सच में झड़ने के बाद भी पंद्रह मिनट बाद भी नहीं उतरे,... और जब उतरे भी तो दोनों टाँगे माँ की ऊपर कर के जिससे सब मलाई अंदर ही रह जाए,...

और बुआ जाने के पहले आसीर्बाद दे गयीं, भौजी ठीक नौ महीने के बाद सोहर होगा, बिटिया होगी अबकी, और काजर लगाने मैं आउंगी नेग में दोनों हाथ का कंगन लूंगी।
एक बात और बुआ ने जोड़ दिया,

" अबकी भतीजा नहीं भतीजी चाहिए, आज पूनम के पूनो सी बिटिया से गाभिन हुयी हो भौजी। "



और दादी ने भी बुआ की बात में बात जोड़ी

" सही कह रही है, अरे इसके साथ वाली अब तक तीन तीन , हर साल ,... ये तो एक के बाद, ... और मुझे भी पोती ही चाहिए,... लड़की होगी तो बच्चे के साथ खेलने के लिए वरना ,...


बुआ ने हँसते हुए जोड़ा,

" और क्या बचपन में खेलेगा और जब टनटनाने लगेगा,... तब पेलेगा . मेरा असीरर्बाद है भतीजी ही होगी आज भौजी गाभिन तो तू हो गयी हो पक्का। "

ये कहते हुए बुआ बिदा हुईं , उनकी ससुराल में होली अगले दिन पड़ रही थी और नन्दोई जी को ससुराल में होली का मजा लेना था तो,...

और थोड़ी देर बाद चाचा ... अरे वही चाची वाले, जिन्होंने भैया को पहली बार कबड्डी खेलना सिखाया ,... और माँ से

उनकी दोस्ती भी थी,... छोटे देवर,तो उन्होंने भी नंबर लगा दिया।

सगा एकलोता देवर, समौरिया तो हंसी मजाक तो खुल के होता ही थी, पहली होली में वो सौरी में ( बच्चा होने के बाद छह दिन सद्य प्रसूता जिस कमरे में रहती है और जहाँ आना जाना लगभग वर्जित रहता है ) , दूसरी होली तो उनके मायके में हुयी और अब तीसरी होली, और बच्चा भी दादी से लगा,... तो माँ, यानी देवर की भौजी भी छुनछियाई हुयी थीं और देवर की दो महीने पहले शादी हुयी थी पर चाची मायके चली गयी थीं, ... तो देवर भी फनफनाये हुए,... ऊपर से बाबू बंबई से आये नहीं थे , ...दादी भी भैया को लेके पड़ोस में कहीं गयी थीं , घंटे दो घंटे के लिए घर खाली ,...

और उसी समय देवर आ गए बस माँ पीछे पड़ गयीं,...

" अरे देवर जी थोड़ा देर हो गयी वरना एक मस्त माल था , तुमको अपने सामने चढ़वाती, तुम भी क्या याद करते, वैसे चढ़े तो पहले भी कई बार होंगे उसके ऊपर लेकिन बियाहता बहन को चोदने का वो भी उसके मरद के सामने दूना मजा मिलता है , और ऊपर से होली का दिन, अरविंदवा की बुआ अभी अभी गयी हैं,... "



देवर ने पहले तो आराम से आंगन का बाहर का दरवाजा बंद किया दोनों हाथों में रंग लगाया,... फिर भौजाई को दबोचते हुए बोला,...

" भौजी,... तोहसे मस्त माल तो कोई है नहीं फिर दो साल होली सूखी गयी , साल भर तो होली होली कह के टार देती हो और दो साल की होली सूखी गयी लेकिन अब की नहीं छोडूंगा बिन डाले,... "



" अरे जब से देवरानी आयी है तो भौजी को बिसरा गए हो और अब वो मायके चली गयी तो भौजाई याद आ रही है बकी छोडूंगी तो मैं भी नहीं आज तुमको, एही आँगन में थोड़ी देर पहले तोहरी बहिन को नंगे नचाया था उसकी बुरिया में मुट्ठी पेली थी




तो अब तोहैं नंगे नचाउंगी और तोहरी गाँड़ में मुट्ठी पेलुँगी , स्साले बचपन के गांडू ,... आज देख लेती हूँ"

माँ देवर को चुनौती देती बोलीं

भांग का नशा अभी भी उनका उतरा नहीं था हाँ बुआ के जाने के बाद साड़ी उन्होंने देह पर लपेट ली थी, ब्लाउज तो ननद ने फाड़ के चीथड़े कर दिए थे और पेटीकोट का नाड़ा खोल के तोड़ दिया था की होली के दिन का करोगी ये सब पहन के ,

तो पहले माँ ने ही झपट्टा मारा पाजामे के नाड़े पे और उनके देवर ने भौजाई के जोबन पे

कुछ देर में ही देह को होली चालू हो गयी थी पहले तो जोबन कस कस के मसले रगड़े रंगे गए उसके बाद,... वहीँ आंगन में निहुरा के देवर ने पेल दिया, ... और दोनों हाथ से कभी जोबन मसलता तो कभी रंग पेण्ट लगाता और माँ धक्के का जवाब धक्के से





नन्दोई के साथ दो राउंड हुआ था तो देवर के साथ तीन से कम क्या होता,... दो साल की होली का उधार भी चुकता करना था,... और पहली बार ही वो निहुरि एकदम झुकी और देवर के लंड की सारी मलाई बुर के अंदर जैसे कोई बुर में लंड नहीं पेल रहा हो, ... बल्कि इंजेक्शन लगा रहा हो और साथ में देवर ने कान में बोल दिया ,

" भौजी पहलौठी का तो भैया का था अबकी वाली हमार होगी,... "

" तोहरे मुंह में घी गुड़, लाला,... लेकिन अगर गाभिन न हुयी न तो सोच लो निहुराई के तोहरी महतारी के सामने तोहार गाँड़ मारब,... बस अगले महीने पता चल जाएगा"


माँ क्यों मजाक का मौका छोड़ देतीं और साथ में अपने देवर के लंड को झुकी हुयी निचोड़ निचोड़ के सीधे बच्चेदानी में,... देवर -नन्दोई का तो होली में हक होता है ,...

और उसके बाद देवर ने चुपचाप रंग लगवा लिया लेकिन रंग लगे हाथों में जब खूंटा मुठियाया गया तो फिर तन्ना गया और अबकी गोद में बैठा के ,




लेकिन थोड़ी देर बाद उसी आंगन में एकदम दुहरा कर के और अबकी भी सारी मलाई अंदर,...



तीसरी बार पहल भौजाई ने की ऊपर चढ़ के लेकिन झड़ते समय देवर फिर ऊपर

फिर नयी नयी रसीली भौजाई हो तो देवरों की संख्या तो बढ़ जाती है,

फिर दो चार तो ख़ास रिश्ते वाले तो उन्होंने ने भी चढ़ाई की,...


और मेरे बाबू भी, पता चला की कोई मालगाड़ी गिर गयी थी तो उनकी ट्रेन घूम घाम के डेढ़ दिन लेट,...


तो रात को तो उन्होंने माँ की क्लास ली ही, तीन चार राउंड पूरे और हर बार पूरी मलाई,...




माँ ने कहाँ देख , चढ़े तो छह सात रहे होंगे, ... लेकिन तीन की मलाई पूरी की पूरी बच्चेदानी में गयी थी, तेरे फूफा चाचा और बाबू इसलिए मैं कहती हूँ पता नहीं.

कुछ देर रुक के माँ मुस्कराने लगीं और गीता के बिना पूछे बोलीं


" अरे एकदम ठीक दिन घड़ी जोड़ के थोड़े ही पता चलता है कब गाभिन हुयी,... होली के अगले दिन ही तेरे मामा भी आये थे,... तेरे बाऊ जी और फूफा जी बाजार गए थे ,

घर में कोई था नहीं, तेरा भाई तो हरदम अपनी दादी, बुआ और चाची के पास,... और ,... बस,... "


गीता बड़ी बड़ी आँखों ने बिन बोले पूछ लिया की क्या मामा के साथ भी



और माँ की खिलखिलाहट ने हामी भर दी,...

फिर मुस्कराते हुए उन्होंने जोड़ा तेरे बाबू की रात भर की मलाई बची थी उसी में तेरे मामा ने भी तो मैं क्या बताऊँ ,...


लेकिन फिर गीता का उदास चेहरा देख के माँ ने उसे दुलार से गले लगा लिया और चूमते हुए बोलीं,
" अरे स्साली काहें कुम्हला रही है, तू मेरी कोख से पैदा हुई मेरी बेटी है और तेरा भाई मेरी कोख से जन्मा, मेरा बेटा,... तो तू भाईचोद और तेरा भाई बहनचोद,... "
Kya baat hai , har koi geeta ko maa ko gabhin krne ke picche pada or do round se kam koi nahi . Bade dil wali geeta ki maa
 
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माँ की
मायके की होली



और माँ ने शुरू किया होली का किस्सा

और होली का किस्सा सुन सुन के ही गीता की गीली हो गयी, चुनमुनिया फड़फड़ाने लगी, कसमसमाने लगी, भैया होता न तो, स्साले को पटक के चोद देती।



गीता की कोई सगी मौसी तो थी नहीं है चचेरी, मौसेरी, ममेरी, खासतौर से उसके ननिहाल के रिश्ते की माँ की बहने और सब माँ से बड़ी, लेकिन ज्यादा नहीं,... ख़ास तौर से मझली मौसी नानी की तीन लड़कियां, गीता की तो मौसियां ही लगती थीं,गीता को भी नहीं बख्शती थीं, मिलते ही पहले जुबना का उभार नापती थीं, भरतपुर पे धावा बोलती थीं. तो बस वही तीन मौसियां और मौसा जी लोग, माँ के तो जीजा ही लगेगें,




बस उन तीनों ने एक साथ धावा बोला, वो भी अकेले नहीं मौसियों के साथ.

कुछ देर तक तो मुकाबला चला एक जीजा ने चोली के अंदर हाथ डाला, दूसरे ने पेटीकोट का नाड़ा पकड़ा,...

ओर माँ की बहने, रीनू चीनू और टीनू

तीनो नंबरी छिनार, रीनू सबसे छोटी अपने दोनों जीजा को ललकार के बोली,

" अरे जीजू , साली की चोली में तो रोज ही हाथ डालते हो , आज चोली खोलने का नहीं फाड़ने का दिन है और नाड़ा खोलना मत तोड़ देना। मेरी ये बहन बहन बहुत चालाक है, नाड़ा खोलोगे तो फिर बांध लेगी,




साड़ी तो अपनी छोटी बहन की तीनों बहनों ने ही मिल के उतार दी थी, ब्लाउज, पेटीकोट आंगन में कुछ देर में और फिर रंग की बहार, कोई जगह नहीं बची जहाँ तीनो जिज्जा ने रंग न लगाया हो, पर वो भी जानती थीं की असली होली तो चमड़े की पिचकारी से होने वाली थी और मन उनका भी कर रहा था, चूँचियाँ रगड़ रगड़ के चूत में ऊँगली कर के वो भी पनिया रही थीं, तीनो जीजू उन्हें चोदने के लिए कबसे ,

लेकिन उन्होंने बोल रखा था शादी के बाद जब मायके आएंगी तब


और मौसा लोगों की भी क्या गलती उन सबकी शादियों में मम्मी छोटी साली थीं तो खूब रगड़ाई की उन्होंने, अच्छी वाली गालियां सुनायीं और कोहबर में घुसते समय धक्के में भी मारे और पैंट के ऊपर से पकड़ के रगड़ के नाप जोख भी की,




और सबसे तगड़ा था छोटी मौसी वाली, रीनू मौसी के मर्द का, और वो मजाक भी बोल के नहीं चूम के, मसल के करते थे. और रीनू ने अपने पति का ही पक्ष लिया,


"हे जो सबसे छोटा है, पहला हक उसका, और छोटे जीजा बड़े औजार वाले आंगन में लेट गए, कुतुबमीनार हवा में,... लेकिन वो नाटक कर रही थीं,...

नहीं नहीं जिसको करना हो खुद करे, ऊपर आये,..

पर तीन तीन बहने, ... मिल के भाले के ऊपर चढ़ा दिया,... ऊपर से बड़ी और मझली एक एक कंधा दबा रही थी, रीनू कमर पकड़ के नीचे खींच रही थीं,




और एक बेटा निकल गया था उसी रास्ते, कोई कन्या कुँवारी तो थी नहीं, हालांकि बच्चा जनने के बाद उनकी माँ और सास ने जो जो जतन कराये, सिखाये, तो उनकी चुनमुनिया अभी भी टाइट थी, .... और ये भी नहीं की पहली बार वो खूंटे के ऊपर चढ़ी है, पचासों बार,...

लेकिन जीजा का लंबा तो बांस ऐसा था ही मोटा भी बहुत,( हालांकि बड़े जीजा वाले का सबसे मोटा था, कलाई से भी ज्यादा ) .


बस दो चार मिनट बाद वो मस्त होक जीजा के ऊपर चढ़ के चोद रही थीं और नीचे से जीजा भी कस कस के धक्के लगा रहे थे थे, ... बांस पूरा उन्होंने घोंट लिया था लग रहा बच्चेदानी के अंदर घुस गया है लेकिन मजा भी आ रहा था, मायके के आंगन में बहनों के सामने,...




लेकिन उन्हें पता नहीं था तीनों बहनों की असली साजिश क्या है,... और क्यों उन्हें आंगन में छोटे जीजा के बांस के ऊपर चढ़ाया गया है,


रीनू ने ही अपने मर्द को इशारा किया, बाकी दोनों जीजा लोग भी आंगन में खड़े मुठिया रहे थे, ललचा रहे थे,

रीनू दी खुद बड़े वाले जीजा का कभी चूस के कभी मुठिया के ,...

Wahin me sochi ki komali ji ki story me kisi ki holi sukhi sukhi kese jaa skti hai,
 
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chodumahan

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होली की स्टोरी लिखने में आपकी बराबरी कोई नहीं कर सकता....
जै बार पढ़ो.. उत्ती बार नयापन लगता है...
और ये जो नया प्रयोग किया है... इसमें भी आपने एक नई बुलंदी को छुआ है...
गीता और उसकी माँ तो ऐसा लगता है कि मुख्य कलाकार होतीं तो कितना अच्छा रहता...
इनके बीच का कुछ वार्तालाप.. जो पिछले चार-पांच अपडेट में आया है... वो दिल को छू गया....
ऐसी कहानियों का अभाव है इस फोरम पर...
और आप उस कमी को ऐसे रंगों से बिखेर कर इन्द्रधनुषी कर देती हैं...
 
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भाग ४२

इन्सेस्ट कथा -किस्से माँ के



" अरे तो क्या हुआ अपना भाई समझ के मेरे भाई से चुदवा लेती, पक्का सच में बहुत मजा आएगा , हम दोनों मिल के,... मान जा। "

गीता एकदम पीछे पड़ गयी.



" तू भी न स्साली। पागल। ,मेरा बेटा है. " माँ ने उसे बहलाते हुए कहा।

" अच्छा जी, कल मेरे भाई से मेरी गाँड़ इत्ती हचक के मरवाई तो कुछ नहीं और अपनी बार,... बेटा है। " गीता तुनक के बोली।

" अरे तू भी न, बहने तो होती ही हैं भाई से चुदवाने के लिए, मुट्ठ मार मार के इधर उधर नाली में बहाये इससे अच्छा, बहन के काम आये,... और तू जानती है जिस दिन तेरे मामा ने मेरी ली थी, मेरा मतलब अपनी बहन को चोदा था,... उन से ज्यादा मेरा मन कर रहा था। अपनी सहेली के किस्से सुन सुन के मेरी चूत पहले से गीली थी,... वो स्साला, तेरे बाप का स्साला नहीं चोदता न तो मैं उसको चोद देती,... "



" एकदम माँ मेरी भी यही हालत हो रही थी, मैं खुद गयी थी भैया के पास, वरना आप का बेटा तो ऐसा बुद्धू है,... लेकिन मैं समझ गयी आप बात टाल रही हैं एक बार चुदवा लो न भैया से, आखिर आप ने पकड़ा है आप को अच्छा भी लगता है और सबसे बड़ी बात जैसे आप मुझे सब सिखा रही है अपने बेटे को भी सीखा दीजिये न , अरे मजा लेने के लिए नहीं सिखाने के लिए,... "

गीता भी पीछा छोड़ने वाली नहीं थी,

" अरे स्साली तू भी न वो मानेगा नहीं उसका खड़ा ही नहीं होगा मेरे नाम पे और खड़ा होगा तो ढीला हो जाएगा, ... मैं तो मान जाऊं,... वो मानेगा।"

झिझकते हुए माँ ने बोला,

" वो जिम्मेदारी मेरी, मेरा भाई है, हिम्मत है उस बहनचोद की मेरी बात टालने की. और खड़ा तो उसका ऐसा होगा,... " गीता पीछे हटने वाली नहीं थी।



" चल कुछ और बात कर,... " माँ बोली।

" क्यों मेरे भैया का सोच के गीली हो रही है न, हाँ सच बोल मेरी कसम,... " गीता हँसते हुए बोली।

" हाँ, खुश,... हो रही है। चल अब कुछ और बात करते हैं। " माँ बोली।



अच्छा मेरे बाप तो बाबू ही हैं न मेरे। गीता का सवाल ख़तम नहीं हुआ और माँ की हंसी चालू हो गयी।

और हँसते हँसते वो दोहरी, हंसी रूकती नहीं थी किसी तरह बोलीं,



" बेटी इस का तो जवाब मैं भी नहीं दे सकती। कित्ता कोशिश करूँ, तो भी नहीं हाँ ये पक्का है तू ऐन होली के दिन पेट में आयी थी मेरे। "

गीता कुछ नहीं बोली और माँ ने ही आगे की बात बढ़ाई,...

ये एकदम पक्का है, ... मेरी शादी के तीन साढ़े तीन साल हुए थे। असल में पहली होली ससुराल में ढंग की,... पहली होली में तो तेरे भैया आ गए थे होली के चार पांच दिन पहले तो मैं ऐसे बच गयी। अगली होली मेरे मायके में हुयी, तो उसके बाद की होली,... तेरी बुआ का चार महीने पहले ही गौना हुआ था।



और माँ ने होली का पूरा किस्सा सुनाया।



गौने के पहले भाभियों ने खूब समझाया था, अरे पहली रात तो हर लड़की झेल जाती है कोई जेठानी कडुआ तेल दे जाती है ( वैसे भी माँ को उस का कोई डर नहीं था क्योंकि ८४ आसन से कोई बचा नहीं था,जिसको अपने सगे भाई के साथ दो चार बार ट्राई न किया हो ) लेकिन असली रगड़ाई तो होली में होती है, पूरे गाँव की भौजाई, नयी दुलहिनिया, देवर के अलावा नन्दोई, सगे हों या रिश्ते के वो भी, साजन के दोस्त, हाथ तो सब लगाते हैं , धक्के लगाने वाले भी गिनती के बाहर


“" बेटी इस का तो जवाब मैं भी नहीं दे सकती। कित्ता कोशिश करूँ, तो भी नहीं””

गीतवा को भी मालूम पड़ना शुरू हो गया की उसकी माँ उससे बड़ी या यू कहूँ की सबसे बड़ी खिलाड़ींन है
 
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भाग ४२

इन्सेस्ट कथा -किस्से माँ के



" अरे तो क्या हुआ अपना भाई समझ के मेरे भाई से चुदवा लेती, पक्का सच में बहुत मजा आएगा , हम दोनों मिल के,... मान जा। "

गीता एकदम पीछे पड़ गयी.



" तू भी न स्साली। पागल। ,मेरा बेटा है. " माँ ने उसे बहलाते हुए कहा।

" अच्छा जी, कल मेरे भाई से मेरी गाँड़ इत्ती हचक के मरवाई तो कुछ नहीं और अपनी बार,... बेटा है। " गीता तुनक के बोली।

" अरे तू भी न, बहने तो होती ही हैं भाई से चुदवाने के लिए, मुट्ठ मार मार के इधर उधर नाली में बहाये इससे अच्छा, बहन के काम आये,... और तू जानती है जिस दिन तेरे मामा ने मेरी ली थी, मेरा मतलब अपनी बहन को चोदा था,... उन से ज्यादा मेरा मन कर रहा था। अपनी सहेली के किस्से सुन सुन के मेरी चूत पहले से गीली थी,... वो स्साला, तेरे बाप का स्साला नहीं चोदता न तो मैं उसको चोद देती,... "



" एकदम माँ मेरी भी यही हालत हो रही थी, मैं खुद गयी थी भैया के पास, वरना आप का बेटा तो ऐसा बुद्धू है,... लेकिन मैं समझ गयी आप बात टाल रही हैं एक बार चुदवा लो न भैया से, आखिर आप ने पकड़ा है आप को अच्छा भी लगता है और सबसे बड़ी बात जैसे आप मुझे सब सिखा रही है अपने बेटे को भी सीखा दीजिये न , अरे मजा लेने के लिए नहीं सिखाने के लिए,... "

गीता भी पीछा छोड़ने वाली नहीं थी,

" अरे स्साली तू भी न वो मानेगा नहीं उसका खड़ा ही नहीं होगा मेरे नाम पे और खड़ा होगा तो ढीला हो जाएगा, ... मैं तो मान जाऊं,... वो मानेगा।"

झिझकते हुए माँ ने बोला,

" वो जिम्मेदारी मेरी, मेरा भाई है, हिम्मत है उस बहनचोद की मेरी बात टालने की. और खड़ा तो उसका ऐसा होगा,... " गीता पीछे हटने वाली नहीं थी।



" चल कुछ और बात कर,... " माँ बोली।

" क्यों मेरे भैया का सोच के गीली हो रही है न, हाँ सच बोल मेरी कसम,... " गीता हँसते हुए बोली।

" हाँ, खुश,... हो रही है। चल अब कुछ और बात करते हैं। " माँ बोली।



अच्छा मेरे बाप तो बाबू ही हैं न मेरे। गीता का सवाल ख़तम नहीं हुआ और माँ की हंसी चालू हो गयी।

और हँसते हँसते वो दोहरी, हंसी रूकती नहीं थी किसी तरह बोलीं,



" बेटी इस का तो जवाब मैं भी नहीं दे सकती। कित्ता कोशिश करूँ, तो भी नहीं हाँ ये पक्का है तू ऐन होली के दिन पेट में आयी थी मेरे। "

गीता कुछ नहीं बोली और माँ ने ही आगे की बात बढ़ाई,...

ये एकदम पक्का है, ... मेरी शादी के तीन साढ़े तीन साल हुए थे। असल में पहली होली ससुराल में ढंग की,... पहली होली में तो तेरे भैया आ गए थे होली के चार पांच दिन पहले तो मैं ऐसे बच गयी। अगली होली मेरे मायके में हुयी, तो उसके बाद की होली,... तेरी बुआ का चार महीने पहले ही गौना हुआ था।



और माँ ने होली का पूरा किस्सा सुनाया।



गौने के पहले भाभियों ने खूब समझाया था, अरे पहली रात तो हर लड़की झेल जाती है कोई जेठानी कडुआ तेल दे जाती है ( वैसे भी माँ को उस का कोई डर नहीं था क्योंकि ८४ आसन से कोई बचा नहीं था,जिसको अपने सगे भाई के साथ दो चार बार ट्राई न किया हो ) लेकिन असली रगड़ाई तो होली में होती है, पूरे गाँव की भौजाई, नयी दुलहिनिया, देवर के अलावा नन्दोई, सगे हों या रिश्ते के वो भी, साजन के दोस्त, हाथ तो सब लगाते हैं , धक्के लगाने वाले भी गिनती के बाहर

“”वैसे भी माँ को उस का कोई डर नहीं था क्योंकि ८४ आसन से कोई बचा नहीं था,जिसको अपने सगे भाई के साथ दो चार बार ट्राई न किया हो””


वाह बस २ ही लाईन में गीतवा की माँ और मामा की पूरे २-३ महीने के कामुक पलंगतोड़ प्यार की कहानी लिख दी 🔥🙏🏻🔥🙏🏻
 
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भाग ४२

इन्सेस्ट कथा -किस्से माँ के



" अरे तो क्या हुआ अपना भाई समझ के मेरे भाई से चुदवा लेती, पक्का सच में बहुत मजा आएगा , हम दोनों मिल के,... मान जा। "

गीता एकदम पीछे पड़ गयी.



" तू भी न स्साली। पागल। ,मेरा बेटा है. " माँ ने उसे बहलाते हुए कहा।

" अच्छा जी, कल मेरे भाई से मेरी गाँड़ इत्ती हचक के मरवाई तो कुछ नहीं और अपनी बार,... बेटा है। " गीता तुनक के बोली।

" अरे तू भी न, बहने तो होती ही हैं भाई से चुदवाने के लिए, मुट्ठ मार मार के इधर उधर नाली में बहाये इससे अच्छा, बहन के काम आये,... और तू जानती है जिस दिन तेरे मामा ने मेरी ली थी, मेरा मतलब अपनी बहन को चोदा था,... उन से ज्यादा मेरा मन कर रहा था। अपनी सहेली के किस्से सुन सुन के मेरी चूत पहले से गीली थी,... वो स्साला, तेरे बाप का स्साला नहीं चोदता न तो मैं उसको चोद देती,... "



" एकदम माँ मेरी भी यही हालत हो रही थी, मैं खुद गयी थी भैया के पास, वरना आप का बेटा तो ऐसा बुद्धू है,... लेकिन मैं समझ गयी आप बात टाल रही हैं एक बार चुदवा लो न भैया से, आखिर आप ने पकड़ा है आप को अच्छा भी लगता है और सबसे बड़ी बात जैसे आप मुझे सब सिखा रही है अपने बेटे को भी सीखा दीजिये न , अरे मजा लेने के लिए नहीं सिखाने के लिए,... "

गीता भी पीछा छोड़ने वाली नहीं थी,

" अरे स्साली तू भी न वो मानेगा नहीं उसका खड़ा ही नहीं होगा मेरे नाम पे और खड़ा होगा तो ढीला हो जाएगा, ... मैं तो मान जाऊं,... वो मानेगा।"

झिझकते हुए माँ ने बोला,

" वो जिम्मेदारी मेरी, मेरा भाई है, हिम्मत है उस बहनचोद की मेरी बात टालने की. और खड़ा तो उसका ऐसा होगा,... " गीता पीछे हटने वाली नहीं थी।



" चल कुछ और बात कर,... " माँ बोली।

" क्यों मेरे भैया का सोच के गीली हो रही है न, हाँ सच बोल मेरी कसम,... " गीता हँसते हुए बोली।

" हाँ, खुश,... हो रही है। चल अब कुछ और बात करते हैं। " माँ बोली।



अच्छा मेरे बाप तो बाबू ही हैं न मेरे। गीता का सवाल ख़तम नहीं हुआ और माँ की हंसी चालू हो गयी।

और हँसते हँसते वो दोहरी, हंसी रूकती नहीं थी किसी तरह बोलीं,



" बेटी इस का तो जवाब मैं भी नहीं दे सकती। कित्ता कोशिश करूँ, तो भी नहीं हाँ ये पक्का है तू ऐन होली के दिन पेट में आयी थी मेरे। "

गीता कुछ नहीं बोली और माँ ने ही आगे की बात बढ़ाई,...

ये एकदम पक्का है, ... मेरी शादी के तीन साढ़े तीन साल हुए थे। असल में पहली होली ससुराल में ढंग की,... पहली होली में तो तेरे भैया आ गए थे होली के चार पांच दिन पहले तो मैं ऐसे बच गयी। अगली होली मेरे मायके में हुयी, तो उसके बाद की होली,... तेरी बुआ का चार महीने पहले ही गौना हुआ था।



और माँ ने होली का पूरा किस्सा सुनाया।



गौने के पहले भाभियों ने खूब समझाया था, अरे पहली रात तो हर लड़की झेल जाती है कोई जेठानी कडुआ तेल दे जाती है ( वैसे भी माँ को उस का कोई डर नहीं था क्योंकि ८४ आसन से कोई बचा नहीं था,जिसको अपने सगे भाई के साथ दो चार बार ट्राई न किया हो ) लेकिन असली रगड़ाई तो होली में होती है, पूरे गाँव की भौजाई, नयी दुलहिनिया, देवर के अलावा नन्दोई, सगे हों या रिश्ते के वो भी, साजन के दोस्त, हाथ तो सब लगाते हैं , धक्के लगाने वाले भी गिनती के बाहर
मस्ट है 👌👌👌👌
 
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किस्सा माँ की होली का

और
' मेरे बाबू कौन '

ये एकदम पक्का है, ... मेरी शादी के तीन साढ़े तीन साल हुए थे। असल में पहली होली ससुराल में ढंग की,... पहली होली में तो तेरे भैया आ गए थे होली के चार पांच दिन पहले तो मैं ऐसे बच गयी। अगली होली मेरे मायके में हुयी, तो उसके बाद की होली,... तेरी बुआ का चार महीने पहले ही गौना हुआ था।

और माँ ने होली का पूरा किस्सा सुनाया।

गौने के पहले भाभियों ने खूब समझाया था, अरे पहली रात तो हर लड़की झेल जाती है कोई जेठानी कडुआ तेल दे जाती है ( वैसे भी माँ को उस का कोई डर नहीं था क्योंकि ८४ आसन से कोई बचा नहीं था,जिसको अपने सगे भाई के साथ दो चार बार ट्राई न किया हो )



लेकिन असली रगड़ाई तो होली में होती है, पूरे गाँव की भौजाई, नयी दुलहिनिया, देवर के अलावा नन्दोई, सगे हों या रिश्ते के वो भी, साजन के दोस्त, हाथ तो सब लगाते हैं , धक्के लगाने वाले भी गिनती के बाहर,..


लेकिन माँ पहली होली में बच गयी थी , भैया के होने से, बेचारे देवर हाथ मलते रह गए.

और अगली होली मायके में होती है ,


इसलिए शादी के तीन साल बाद पहली होली ढंग की ससुराल में पड़ी और देवर से ज्यादा, सास और ननद प्लानिंग बना के बैठी थीं.


बुआ का गौना तीन चार महीने पहले ही हुआ था और उन्होंने फूफा जी को खूब गन्दी वाली गारियाँ और कोहबर में उन्होंने और रगड़ाई की, फूफा जी ने भी मौका पा के जोबन नापा और बोल के गए थे होली में आयंगे, तो माँ ने खुद उनको सुना के कहा, आपकी पिचकारी पिचका के रख दूंगी।

बस सुबह सुबह, बुद्धू बना के माँ की ननद और सास ने, माँ को डबल भांग वाली ठंडाई पिला दी,... वैसे भी वो गरमाई थीं,

पति उनके १५ दिन से गायब थे, बंबई और बोल के गए थे होली में आएंगे , दो चार दिन पहले, लेकिन,....
बस वहीँ आँगन में साड़ी तो माँ की ननदों ने,...


भैया तो अक्सर दादी के पास रहता था या बुआ के पास,...

और उसके बाद ब्लाउज फटा और फिर फूफा जी, अब नन्दोई तो सलहज के ब्लाउज में हाथ डालेगा,



माँ भी कौन कम थीं एक झटके में पहले पाजामे का नाड़ा खींचा, एक दो और उनका साथ देने के लिए पड़ोस की,
तो वो देखते देखते चिथड़े

,माँ भी सिर्फ पेटीकोट में,... बाकी सब पड़ोस वाली तो और घर चली गयीं, आंगन में फूफा जी और माँ, ...

और उनकी सास अपने नए नए दामाद को उकसा रही थीं और बुआ तो और ज्यादा,

" अरे सलहज को पेलते तो सब हैं होली में गाभिन कर के छोड़ना,
और वही आँगन में , ... और सिर्फ एक राउंड नहीं ,




दूसरे राउंड में तो माँ खुद अपने नन्दोई पे चढ़ के,..



और गालियो की बौछार ( आखिर रिश्ता सलहज नन्दोई का था ), फूफा जी के दोनों हाथ पकड़ के,

" लाग साले धक्का अब, मेरी ननद की ननदों की चोद चोद के सोचते हो,... अरे ननद के नन्दोई,... ननद की सास का भोंसड़ा नहीं है ताल पोखरा , जिसमें पूरा गाँव डुबकी लगाता है तेरे और मेरे ससुर गोता खाते हैं , स्साले भंड़ुवे , अब लगा धक्के अगर ताकत है अपने बाप का जनमा है तो , नहीं मलाई गिरा पाया तो यही तेरी गाँड़ मारूंगी "

डबल भांग का नशा चढ़ा था माँ पे , ताकत भी बहुत थी और आंगन में सिर्फ माँ, फूफा जी , बूआ और माँ की सास , ... दादी,... और दादी अपने दामाद को चढ़ा रही थीं,

" अरे पाहुन जी बहुत गरमा रही तेरी सलहज आज गाभिन कर के जाओ,... आज देख लूँ , समधन का जोबन तो जबरदस्त है पूरे गाँव से मिजवाया होगा, लेकिन देखूं बेटे को कुछ दूध वूध पिलाया है की नहीं,... "

और माँ ऊपर चढ़ी धक्के पे धक्के मार रही थीं , खूब गरमाई थीं और सास की बातें सुन के और, नन्दोई के सीने पे अपने बड़े बड़े जोबन रगड़ती बोलीं,...

" अरे दूध तो सब इनके मामा को पिला दिया है न एक चूँची से ये चुसुक चुस्सक के दूसरे से ननदोई जी के मामा,... आज इसी आँगन में आपके दामाद की गाँड़ मारूंगी, बचपन में बहुत लौण्डेबाजों से गाँड़ मरवाया होगा न वो सब भूल जाएंगे, अरे नन्दोई जी होली में ससुराल में गाँड़ मरवाना शुभ होता है अब आपके साले नहीं है आज तो सलहज ही ये सगुन करेगी , घबड़ाइये मत "



धक्के पे धक्के


पर थोड़ी देर में नन्दोई ने पलटा खाया और निहुरा के बड़े कटोरे के बराबर,... मलाई माँ के अंदर छोड़ दी,...


और अब बुआ के बोलने की बारी थी अपने पति से बोलीं,

" अरे आराम से,... निकालने की जल्दी मत करिये सब की सब मेरी गोरी गोरी मीठी मीठी भौजी की बच्चेदानी में जाना चाहिए, अगले महीने वाली पांच दिन की छुट्टी ख़त्म , एक एक बूँद रोपिये ठीक से ,... इतने दिन से तड़प रहे थे न , मड़वे में जिद किये थे की नेग में सलहज चाहिए तो अब मिल रही है सलहज तो मजे से लीजिये,... ऐसी सलहज सपने में भी नहीं मिलने वाली "


और सच में झड़ने के बाद भी पंद्रह मिनट बाद भी नहीं उतरे,... और जब उतरे भी तो दोनों टाँगे माँ की ऊपर कर के जिससे सब मलाई अंदर ही रह जाए,...

और बुआ जाने के पहले आसीर्बाद दे गयीं, भौजी ठीक नौ महीने के बाद सोहर होगा, बिटिया होगी अबकी, और काजर लगाने मैं आउंगी नेग में दोनों हाथ का कंगन लूंगी।
एक बात और बुआ ने जोड़ दिया,

" अबकी भतीजा नहीं भतीजी चाहिए, आज पूनम के पूनो सी बिटिया से गाभिन हुयी हो भौजी। "



और दादी ने भी बुआ की बात में बात जोड़ी

" सही कह रही है, अरे इसके साथ वाली अब तक तीन तीन , हर साल ,... ये तो एक के बाद, ... और मुझे भी पोती ही चाहिए,... लड़की होगी तो बच्चे के साथ खेलने के लिए वरना ,...


बुआ ने हँसते हुए जोड़ा,

" और क्या बचपन में खेलेगा और जब टनटनाने लगेगा,... तब पेलेगा . मेरा असीरर्बाद है भतीजी ही होगी आज भौजी गाभिन तो तू हो गयी हो पक्का। "

ये कहते हुए बुआ बिदा हुईं , उनकी ससुराल में होली अगले दिन पड़ रही थी और नन्दोई जी को ससुराल में होली का मजा लेना था तो,...

और थोड़ी देर बाद चाचा ... अरे वही चाची वाले, जिन्होंने भैया को पहली बार कबड्डी खेलना सिखाया ,... और माँ से

उनकी दोस्ती भी थी,... छोटे देवर,तो उन्होंने भी नंबर लगा दिया।

सगा एकलोता देवर, समौरिया तो हंसी मजाक तो खुल के होता ही थी, पहली होली में वो सौरी में ( बच्चा होने के बाद छह दिन सद्य प्रसूता जिस कमरे में रहती है और जहाँ आना जाना लगभग वर्जित रहता है ) , दूसरी होली तो उनके मायके में हुयी और अब तीसरी होली, और बच्चा भी दादी से लगा,... तो माँ, यानी देवर की भौजी भी छुनछियाई हुयी थीं और देवर की दो महीने पहले शादी हुयी थी पर चाची मायके चली गयी थीं, ... तो देवर भी फनफनाये हुए,... ऊपर से बाबू बंबई से आये नहीं थे , ...दादी भी भैया को लेके पड़ोस में कहीं गयी थीं , घंटे दो घंटे के लिए घर खाली ,...

और उसी समय देवर आ गए बस माँ पीछे पड़ गयीं,...

" अरे देवर जी थोड़ा देर हो गयी वरना एक मस्त माल था , तुमको अपने सामने चढ़वाती, तुम भी क्या याद करते, वैसे चढ़े तो पहले भी कई बार होंगे उसके ऊपर लेकिन बियाहता बहन को चोदने का वो भी उसके मरद के सामने दूना मजा मिलता है , और ऊपर से होली का दिन, अरविंदवा की बुआ अभी अभी गयी हैं,... "



देवर ने पहले तो आराम से आंगन का बाहर का दरवाजा बंद किया दोनों हाथों में रंग लगाया,... फिर भौजाई को दबोचते हुए बोला,...

" भौजी,... तोहसे मस्त माल तो कोई है नहीं फिर दो साल होली सूखी गयी , साल भर तो होली होली कह के टार देती हो और दो साल की होली सूखी गयी लेकिन अब की नहीं छोडूंगा बिन डाले,... "



" अरे जब से देवरानी आयी है तो भौजी को बिसरा गए हो और अब वो मायके चली गयी तो भौजाई याद आ रही है बकी छोडूंगी तो मैं भी नहीं आज तुमको, एही आँगन में थोड़ी देर पहले तोहरी बहिन को नंगे नचाया था उसकी बुरिया में मुट्ठी पेली थी




तो अब तोहैं नंगे नचाउंगी और तोहरी गाँड़ में मुट्ठी पेलुँगी , स्साले बचपन के गांडू ,... आज देख लेती हूँ"

माँ देवर को चुनौती देती बोलीं

भांग का नशा अभी भी उनका उतरा नहीं था हाँ बुआ के जाने के बाद साड़ी उन्होंने देह पर लपेट ली थी, ब्लाउज तो ननद ने फाड़ के चीथड़े कर दिए थे और पेटीकोट का नाड़ा खोल के तोड़ दिया था की होली के दिन का करोगी ये सब पहन के ,

तो पहले माँ ने ही झपट्टा मारा पाजामे के नाड़े पे और उनके देवर ने भौजाई के जोबन पे

कुछ देर में ही देह को होली चालू हो गयी थी पहले तो जोबन कस कस के मसले रगड़े रंगे गए उसके बाद,... वहीँ आंगन में निहुरा के देवर ने पेल दिया, ... और दोनों हाथ से कभी जोबन मसलता तो कभी रंग पेण्ट लगाता और माँ धक्के का जवाब धक्के से





नन्दोई के साथ दो राउंड हुआ था तो देवर के साथ तीन से कम क्या होता,... दो साल की होली का उधार भी चुकता करना था,... और पहली बार ही वो निहुरि एकदम झुकी और देवर के लंड की सारी मलाई बुर के अंदर जैसे कोई बुर में लंड नहीं पेल रहा हो, ... बल्कि इंजेक्शन लगा रहा हो और साथ में देवर ने कान में बोल दिया ,

" भौजी पहलौठी का तो भैया का था अबकी वाली हमार होगी,... "

" तोहरे मुंह में घी गुड़, लाला,... लेकिन अगर गाभिन न हुयी न तो सोच लो निहुराई के तोहरी महतारी के सामने तोहार गाँड़ मारब,... बस अगले महीने पता चल जाएगा"


माँ क्यों मजाक का मौका छोड़ देतीं और साथ में अपने देवर के लंड को झुकी हुयी निचोड़ निचोड़ के सीधे बच्चेदानी में,... देवर -नन्दोई का तो होली में हक होता है ,...

और उसके बाद देवर ने चुपचाप रंग लगवा लिया लेकिन रंग लगे हाथों में जब खूंटा मुठियाया गया तो फिर तन्ना गया और अबकी गोद में बैठा के ,




लेकिन थोड़ी देर बाद उसी आंगन में एकदम दुहरा कर के और अबकी भी सारी मलाई अंदर,...



तीसरी बार पहल भौजाई ने की ऊपर चढ़ के लेकिन झड़ते समय देवर फिर ऊपर

फिर नयी नयी रसीली भौजाई हो तो देवरों की संख्या तो बढ़ जाती है,

फिर दो चार तो ख़ास रिश्ते वाले तो उन्होंने ने भी चढ़ाई की,...


और मेरे बाबू भी, पता चला की कोई मालगाड़ी गिर गयी थी तो उनकी ट्रेन घूम घाम के डेढ़ दिन लेट,...


तो रात को तो उन्होंने माँ की क्लास ली ही, तीन चार राउंड पूरे और हर बार पूरी मलाई,...




माँ ने कहाँ देख , चढ़े तो छह सात रहे होंगे, ... लेकिन तीन की मलाई पूरी की पूरी बच्चेदानी में गयी थी, तेरे फूफा चाचा और बाबू इसलिए मैं कहती हूँ पता नहीं.

कुछ देर रुक के माँ मुस्कराने लगीं और गीता के बिना पूछे बोलीं


" अरे एकदम ठीक दिन घड़ी जोड़ के थोड़े ही पता चलता है कब गाभिन हुयी,... होली के अगले दिन ही तेरे मामा भी आये थे,... तेरे बाऊ जी और फूफा जी बाजार गए थे ,

घर में कोई था नहीं, तेरा भाई तो हरदम अपनी दादी, बुआ और चाची के पास,... और ,... बस,... "


गीता बड़ी बड़ी आँखों ने बिन बोले पूछ लिया की क्या मामा के साथ भी



और माँ की खिलखिलाहट ने हामी भर दी,...

फिर मुस्कराते हुए उन्होंने जोड़ा तेरे बाबू की रात भर की मलाई बची थी उसी में तेरे मामा ने भी तो मैं क्या बताऊँ ,...


लेकिन फिर गीता का उदास चेहरा देख के माँ ने उसे दुलार से गले लगा लिया और चूमते हुए बोलीं,
" अरे स्साली काहें कुम्हला रही है, तू मेरी कोख से पैदा हुई मेरी बेटी है और तेरा भाई मेरी कोख से जन्मा, मेरा बेटा,... तो तू भाईचोद और तेरा भाई बहनचोद,... "

“" अरे सलहज को पेलते तो सब हैं होली में गाभिन कर के छोड़ना,
और वही आँगन में , ... और सिर्फ एक राउंड नहीं ,

“”
" अरे आराम से,... निकालने की जल्दी मत करिये सब की सब मेरी गोरी गोरी मीठी मीठी भौजी की बच्चेदानी में जाना चाहिए, अगले महीने वाली पांच दिन की छुट्टी ख़त्म , एक एक बूँद रोपिये ठीक से ,... इतने दिन से तड़प रहे थे न , मड़वे में जिद किये थे की नेग में सलहज चाहिए तो अब मिल रही है सलहज तो मजे से लीजिये,... ऐसी सलहज सपने में भी नहीं मिलने वाली "


””

🔥🔥🔥उफ़ ऐसा आदेश सुन के तो हर मर्द को जोश आ जाएगा , बहुत ही कामुक खेल शुरू हुआ है होली का
 
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किस्सा माँ की होली का

और
' मेरे बाबू कौन '

ये एकदम पक्का है, ... मेरी शादी के तीन साढ़े तीन साल हुए थे। असल में पहली होली ससुराल में ढंग की,... पहली होली में तो तेरे भैया आ गए थे होली के चार पांच दिन पहले तो मैं ऐसे बच गयी। अगली होली मेरे मायके में हुयी, तो उसके बाद की होली,... तेरी बुआ का चार महीने पहले ही गौना हुआ था।

और माँ ने होली का पूरा किस्सा सुनाया।

गौने के पहले भाभियों ने खूब समझाया था, अरे पहली रात तो हर लड़की झेल जाती है कोई जेठानी कडुआ तेल दे जाती है ( वैसे भी माँ को उस का कोई डर नहीं था क्योंकि ८४ आसन से कोई बचा नहीं था,जिसको अपने सगे भाई के साथ दो चार बार ट्राई न किया हो )



लेकिन असली रगड़ाई तो होली में होती है, पूरे गाँव की भौजाई, नयी दुलहिनिया, देवर के अलावा नन्दोई, सगे हों या रिश्ते के वो भी, साजन के दोस्त, हाथ तो सब लगाते हैं , धक्के लगाने वाले भी गिनती के बाहर,..


लेकिन माँ पहली होली में बच गयी थी , भैया के होने से, बेचारे देवर हाथ मलते रह गए.

और अगली होली मायके में होती है ,


इसलिए शादी के तीन साल बाद पहली होली ढंग की ससुराल में पड़ी और देवर से ज्यादा, सास और ननद प्लानिंग बना के बैठी थीं.


बुआ का गौना तीन चार महीने पहले ही हुआ था और उन्होंने फूफा जी को खूब गन्दी वाली गारियाँ और कोहबर में उन्होंने और रगड़ाई की, फूफा जी ने भी मौका पा के जोबन नापा और बोल के गए थे होली में आयंगे, तो माँ ने खुद उनको सुना के कहा, आपकी पिचकारी पिचका के रख दूंगी।

बस सुबह सुबह, बुद्धू बना के माँ की ननद और सास ने, माँ को डबल भांग वाली ठंडाई पिला दी,... वैसे भी वो गरमाई थीं,

पति उनके १५ दिन से गायब थे, बंबई और बोल के गए थे होली में आएंगे , दो चार दिन पहले, लेकिन,....
बस वहीँ आँगन में साड़ी तो माँ की ननदों ने,...


भैया तो अक्सर दादी के पास रहता था या बुआ के पास,...

और उसके बाद ब्लाउज फटा और फिर फूफा जी, अब नन्दोई तो सलहज के ब्लाउज में हाथ डालेगा,



माँ भी कौन कम थीं एक झटके में पहले पाजामे का नाड़ा खींचा, एक दो और उनका साथ देने के लिए पड़ोस की,
तो वो देखते देखते चिथड़े

,माँ भी सिर्फ पेटीकोट में,... बाकी सब पड़ोस वाली तो और घर चली गयीं, आंगन में फूफा जी और माँ, ...

और उनकी सास अपने नए नए दामाद को उकसा रही थीं और बुआ तो और ज्यादा,

" अरे सलहज को पेलते तो सब हैं होली में गाभिन कर के छोड़ना,
और वही आँगन में , ... और सिर्फ एक राउंड नहीं ,




दूसरे राउंड में तो माँ खुद अपने नन्दोई पे चढ़ के,..



और गालियो की बौछार ( आखिर रिश्ता सलहज नन्दोई का था ), फूफा जी के दोनों हाथ पकड़ के,

" लाग साले धक्का अब, मेरी ननद की ननदों की चोद चोद के सोचते हो,... अरे ननद के नन्दोई,... ननद की सास का भोंसड़ा नहीं है ताल पोखरा , जिसमें पूरा गाँव डुबकी लगाता है तेरे और मेरे ससुर गोता खाते हैं , स्साले भंड़ुवे , अब लगा धक्के अगर ताकत है अपने बाप का जनमा है तो , नहीं मलाई गिरा पाया तो यही तेरी गाँड़ मारूंगी "

डबल भांग का नशा चढ़ा था माँ पे , ताकत भी बहुत थी और आंगन में सिर्फ माँ, फूफा जी , बूआ और माँ की सास , ... दादी,... और दादी अपने दामाद को चढ़ा रही थीं,

" अरे पाहुन जी बहुत गरमा रही तेरी सलहज आज गाभिन कर के जाओ,... आज देख लूँ , समधन का जोबन तो जबरदस्त है पूरे गाँव से मिजवाया होगा, लेकिन देखूं बेटे को कुछ दूध वूध पिलाया है की नहीं,... "

और माँ ऊपर चढ़ी धक्के पे धक्के मार रही थीं , खूब गरमाई थीं और सास की बातें सुन के और, नन्दोई के सीने पे अपने बड़े बड़े जोबन रगड़ती बोलीं,...

" अरे दूध तो सब इनके मामा को पिला दिया है न एक चूँची से ये चुसुक चुस्सक के दूसरे से ननदोई जी के मामा,... आज इसी आँगन में आपके दामाद की गाँड़ मारूंगी, बचपन में बहुत लौण्डेबाजों से गाँड़ मरवाया होगा न वो सब भूल जाएंगे, अरे नन्दोई जी होली में ससुराल में गाँड़ मरवाना शुभ होता है अब आपके साले नहीं है आज तो सलहज ही ये सगुन करेगी , घबड़ाइये मत "



धक्के पे धक्के


पर थोड़ी देर में नन्दोई ने पलटा खाया और निहुरा के बड़े कटोरे के बराबर,... मलाई माँ के अंदर छोड़ दी,...


और अब बुआ के बोलने की बारी थी अपने पति से बोलीं,

" अरे आराम से,... निकालने की जल्दी मत करिये सब की सब मेरी गोरी गोरी मीठी मीठी भौजी की बच्चेदानी में जाना चाहिए, अगले महीने वाली पांच दिन की छुट्टी ख़त्म , एक एक बूँद रोपिये ठीक से ,... इतने दिन से तड़प रहे थे न , मड़वे में जिद किये थे की नेग में सलहज चाहिए तो अब मिल रही है सलहज तो मजे से लीजिये,... ऐसी सलहज सपने में भी नहीं मिलने वाली "


और सच में झड़ने के बाद भी पंद्रह मिनट बाद भी नहीं उतरे,... और जब उतरे भी तो दोनों टाँगे माँ की ऊपर कर के जिससे सब मलाई अंदर ही रह जाए,...

और बुआ जाने के पहले आसीर्बाद दे गयीं, भौजी ठीक नौ महीने के बाद सोहर होगा, बिटिया होगी अबकी, और काजर लगाने मैं आउंगी नेग में दोनों हाथ का कंगन लूंगी।
एक बात और बुआ ने जोड़ दिया,

" अबकी भतीजा नहीं भतीजी चाहिए, आज पूनम के पूनो सी बिटिया से गाभिन हुयी हो भौजी। "



और दादी ने भी बुआ की बात में बात जोड़ी

" सही कह रही है, अरे इसके साथ वाली अब तक तीन तीन , हर साल ,... ये तो एक के बाद, ... और मुझे भी पोती ही चाहिए,... लड़की होगी तो बच्चे के साथ खेलने के लिए वरना ,...


बुआ ने हँसते हुए जोड़ा,

" और क्या बचपन में खेलेगा और जब टनटनाने लगेगा,... तब पेलेगा . मेरा असीरर्बाद है भतीजी ही होगी आज भौजी गाभिन तो तू हो गयी हो पक्का। "

ये कहते हुए बुआ बिदा हुईं , उनकी ससुराल में होली अगले दिन पड़ रही थी और नन्दोई जी को ससुराल में होली का मजा लेना था तो,...

और थोड़ी देर बाद चाचा ... अरे वही चाची वाले, जिन्होंने भैया को पहली बार कबड्डी खेलना सिखाया ,... और माँ से

उनकी दोस्ती भी थी,... छोटे देवर,तो उन्होंने भी नंबर लगा दिया।

सगा एकलोता देवर, समौरिया तो हंसी मजाक तो खुल के होता ही थी, पहली होली में वो सौरी में ( बच्चा होने के बाद छह दिन सद्य प्रसूता जिस कमरे में रहती है और जहाँ आना जाना लगभग वर्जित रहता है ) , दूसरी होली तो उनके मायके में हुयी और अब तीसरी होली, और बच्चा भी दादी से लगा,... तो माँ, यानी देवर की भौजी भी छुनछियाई हुयी थीं और देवर की दो महीने पहले शादी हुयी थी पर चाची मायके चली गयी थीं, ... तो देवर भी फनफनाये हुए,... ऊपर से बाबू बंबई से आये नहीं थे , ...दादी भी भैया को लेके पड़ोस में कहीं गयी थीं , घंटे दो घंटे के लिए घर खाली ,...

और उसी समय देवर आ गए बस माँ पीछे पड़ गयीं,...

" अरे देवर जी थोड़ा देर हो गयी वरना एक मस्त माल था , तुमको अपने सामने चढ़वाती, तुम भी क्या याद करते, वैसे चढ़े तो पहले भी कई बार होंगे उसके ऊपर लेकिन बियाहता बहन को चोदने का वो भी उसके मरद के सामने दूना मजा मिलता है , और ऊपर से होली का दिन, अरविंदवा की बुआ अभी अभी गयी हैं,... "



देवर ने पहले तो आराम से आंगन का बाहर का दरवाजा बंद किया दोनों हाथों में रंग लगाया,... फिर भौजाई को दबोचते हुए बोला,...

" भौजी,... तोहसे मस्त माल तो कोई है नहीं फिर दो साल होली सूखी गयी , साल भर तो होली होली कह के टार देती हो और दो साल की होली सूखी गयी लेकिन अब की नहीं छोडूंगा बिन डाले,... "



" अरे जब से देवरानी आयी है तो भौजी को बिसरा गए हो और अब वो मायके चली गयी तो भौजाई याद आ रही है बकी छोडूंगी तो मैं भी नहीं आज तुमको, एही आँगन में थोड़ी देर पहले तोहरी बहिन को नंगे नचाया था उसकी बुरिया में मुट्ठी पेली थी




तो अब तोहैं नंगे नचाउंगी और तोहरी गाँड़ में मुट्ठी पेलुँगी , स्साले बचपन के गांडू ,... आज देख लेती हूँ"

माँ देवर को चुनौती देती बोलीं

भांग का नशा अभी भी उनका उतरा नहीं था हाँ बुआ के जाने के बाद साड़ी उन्होंने देह पर लपेट ली थी, ब्लाउज तो ननद ने फाड़ के चीथड़े कर दिए थे और पेटीकोट का नाड़ा खोल के तोड़ दिया था की होली के दिन का करोगी ये सब पहन के ,

तो पहले माँ ने ही झपट्टा मारा पाजामे के नाड़े पे और उनके देवर ने भौजाई के जोबन पे

कुछ देर में ही देह को होली चालू हो गयी थी पहले तो जोबन कस कस के मसले रगड़े रंगे गए उसके बाद,... वहीँ आंगन में निहुरा के देवर ने पेल दिया, ... और दोनों हाथ से कभी जोबन मसलता तो कभी रंग पेण्ट लगाता और माँ धक्के का जवाब धक्के से





नन्दोई के साथ दो राउंड हुआ था तो देवर के साथ तीन से कम क्या होता,... दो साल की होली का उधार भी चुकता करना था,... और पहली बार ही वो निहुरि एकदम झुकी और देवर के लंड की सारी मलाई बुर के अंदर जैसे कोई बुर में लंड नहीं पेल रहा हो, ... बल्कि इंजेक्शन लगा रहा हो और साथ में देवर ने कान में बोल दिया ,

" भौजी पहलौठी का तो भैया का था अबकी वाली हमार होगी,... "

" तोहरे मुंह में घी गुड़, लाला,... लेकिन अगर गाभिन न हुयी न तो सोच लो निहुराई के तोहरी महतारी के सामने तोहार गाँड़ मारब,... बस अगले महीने पता चल जाएगा"


माँ क्यों मजाक का मौका छोड़ देतीं और साथ में अपने देवर के लंड को झुकी हुयी निचोड़ निचोड़ के सीधे बच्चेदानी में,... देवर -नन्दोई का तो होली में हक होता है ,...

और उसके बाद देवर ने चुपचाप रंग लगवा लिया लेकिन रंग लगे हाथों में जब खूंटा मुठियाया गया तो फिर तन्ना गया और अबकी गोद में बैठा के ,




लेकिन थोड़ी देर बाद उसी आंगन में एकदम दुहरा कर के और अबकी भी सारी मलाई अंदर,...



तीसरी बार पहल भौजाई ने की ऊपर चढ़ के लेकिन झड़ते समय देवर फिर ऊपर

फिर नयी नयी रसीली भौजाई हो तो देवरों की संख्या तो बढ़ जाती है,

फिर दो चार तो ख़ास रिश्ते वाले तो उन्होंने ने भी चढ़ाई की,...


और मेरे बाबू भी, पता चला की कोई मालगाड़ी गिर गयी थी तो उनकी ट्रेन घूम घाम के डेढ़ दिन लेट,...


तो रात को तो उन्होंने माँ की क्लास ली ही, तीन चार राउंड पूरे और हर बार पूरी मलाई,...




माँ ने कहाँ देख , चढ़े तो छह सात रहे होंगे, ... लेकिन तीन की मलाई पूरी की पूरी बच्चेदानी में गयी थी, तेरे फूफा चाचा और बाबू इसलिए मैं कहती हूँ पता नहीं.

कुछ देर रुक के माँ मुस्कराने लगीं और गीता के बिना पूछे बोलीं


" अरे एकदम ठीक दिन घड़ी जोड़ के थोड़े ही पता चलता है कब गाभिन हुयी,... होली के अगले दिन ही तेरे मामा भी आये थे,... तेरे बाऊ जी और फूफा जी बाजार गए थे ,

घर में कोई था नहीं, तेरा भाई तो हरदम अपनी दादी, बुआ और चाची के पास,... और ,... बस,... "


गीता बड़ी बड़ी आँखों ने बिन बोले पूछ लिया की क्या मामा के साथ भी



और माँ की खिलखिलाहट ने हामी भर दी,...

फिर मुस्कराते हुए उन्होंने जोड़ा तेरे बाबू की रात भर की मलाई बची थी उसी में तेरे मामा ने भी तो मैं क्या बताऊँ ,...


लेकिन फिर गीता का उदास चेहरा देख के माँ ने उसे दुलार से गले लगा लिया और चूमते हुए बोलीं,
" अरे स्साली काहें कुम्हला रही है, तू मेरी कोख से पैदा हुई मेरी बेटी है और तेरा भाई मेरी कोख से जन्मा, मेरा बेटा,... तो तू भाईचोद और तेरा भाई बहनचोद,... "

“”अरे पाहुन जी बहुत गरमा रही तेरी सलहज आज गाभिन कर के जाओ,... आज देख लूँ , समधन का जोबन तो जबरदस्त है पूरे गाँव से मिजवाया होगा, लेकिन देखूं बेटे को कुछ दूध वूध पिलाया है की नहीं,... "”

🔥🔥🔥 बहुत ही गरम
 
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