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Daad deni hogi geeta hai, bechari ki halat khrab haiभाग ४३
इन्सेस्ट कथा- माँ के किस्से, मायके के
" तो तीन बार ट्रिपलिंग हुयी आपकी, ", गीता ने मुस्कराते हुए पूछा,...
और माँ ने खीझ के उसके गाल मींड़ते हुए बोला,
" जब तीन तीन चढ़ेंगे न एक साथ तेरे ऊपर तो पता चलेगा, अभी तो मेरा बेटा अकेले तेरी गाँड़ फाड़ देता है। और एक बार नहीं तीन बार, और मेरी कमीनी मौसेरी बहनें हर बार , मेरे बिल साफ़ कर देती ही जिससे उनके मर्दों का सूखी, बुर, गाँड़ में दरेरता रगड़ता घुसे। ढाई तीन घण्टे तक लगातार मूसल चले तीन तीन। "
" अरे उसके बाद तो आपकी छुट्टी हो गयी होगी न फिर काहें कह रही हैं की ससुराल से ज्यादा मायके में रगड़ाई हुयी होली में,... "
गीता फिर से बोली।
"अरे मेरी तीन तीन मौसियां है , मझली वाले के तीन दामाद , जिन्होंने ये रगड़ाई की , उसके बड़ी मौसी के भी दो और छोटी मौसी के भी दो ,... मैं चचेरी मौसेरी ममेरी सब बहनों में सबसे छोटी हूँ, तो सबकी छोटी साली और सबको मैंने यही बोल के टाला था , शादी के बाद,... तो फिर उन तीनों जीजा के जाने के बाद , खाने के बाद, बड़ी मौसी वाले दोनों जीजू और शाम को थोड़ा लेट, छोटी मौसी वाली मेरी दोनों बहने और उनके मर्द,... उन लोगो ने भी साथ साथ ही नंबर लगाया , इसलिए मुंह तो बचता था लेकिन बुर और गाँड़ दोनों का तो कबाड़ा हो गया और आज तक मैंने ऐसा मरद नहीं देखा है जो गाँड़ मारने के बाद लंड सीधे गाँड़ से निकाल के मुंह में न डालता हो , ... सीधे से नहीं तो जबरदस्ती,... फिर भाभियाँ कौन किस मरद से कम और दो सहेलियों की शादी हो गयी थी उनके भी मरद ससुराल आये थे,... "
माँ ने गीता से हाल बयान किया
माँ बेटी एक दूसरे की नज़रों की जुबान समझती थी. माँ समझ गयी इस तरह जल्दी जल्दी बता देने में बेटी को रस नहीं मिला, वो माँ के होली के किस्से खुल के विस्तार से सुनना चाहती थी,... माँ ने खींच के उसे गले से लगा लिया, चल अपनी छिनार मौसियों और भँड़वे मौसा लोगों का किस्सा सुनने का बड़ा मन कर रहा है न तो चल बताती हूँ,...
तीन साढ़े तीन घण्टे तक जो उनके तीनो जीजा ने तीनों छेदों की रगड़ाई की थी उससे उनकी रग रग दुःख रही थी, तीन बार बुर चोदी गयी, तीन बार गाँड़ मारी गयी, और तीन बार मलाई मुंह के रस्ते पेट में गई,... पहले तो वो सोचती थीं की आखिर जीजू में कितनी ताकत एक बार झड़ने के बाद कुछ टाइम तो लगेगा टाइट होने में लेकिन उनकी छिनार बहने, ... लगता है असली शिलाजीत खिला के लायी थीं , प्लानिंग छिनारों ने पूरी की थी,...
और माँ ने अपने मायके में गितवा के मौसा लोग कैसे चढ़े सविस्तार बताना शुरू किया, ... कुछ इसलिए की जवानी की चौखट पे खड़ी लड़की है कुछ सीखेगी ही,
"पहली बार गाँड़ मारने के बाद बड़े जीजा तो सीधे गांड से निकला लिथड़ा चुपड़ा लंड लेके जबतक वो सम्हले उनके मुंह में ठेल दिया और कस के गाल दबा के , नाक दबोच के ,... फिर कोई रास्ता बचता क्या उस गाँड़ से निकले लंड को चूसने चाटने के अलावा,...
और एक बहन, सबसे छोटी रीनू, उनकी समौरिया बस जैसे कोई बोरे का टुकड़ा हो, ... एकदम सैंड पेपर की तरह सीधे पहले उसकी गाँड़ में दो तीन ऊँगली डाल के घुसेड़ दिया बत्ती बना के लम्बी सी और ऐसी ही एक बत्ती बुरिया में और उसे चिढ़ा भी रही थी,...
"खूब गटकी हो मलाई न जीजू लोगों की , अरे साफ़ इसलिए कर दे रही हूँ की तुझे याद रहे की मझले जीजा की मलाई बुरिया में कैसे लगती थी और मेरे मर्द की गाँड़ में , वरना पुराना स्वाद ही रह जाएगा न ,... अरे थैंक यू तो बोल दे मेरी छिनार बहना,..."
और रीनू के मर्द को सबसे बड़ी वाली बहन ने कैच कर लिया ,
बुर का मजा ले लिए न अब गाँड़ में अपनी ताकत दिखाना भंडुए ,... लेकिन पहले जरा तेरा चूस चास के
और मंझली ने दूसरे जीजा को , ... बस पांच मिनट में जबतक बुर गाँड़ की मलाई पोंछ के रीनू ने सुखा दिया , तब तक बाकी दोनों बहनो ने चूस चूस के मेरे दोनों जीजा को टनाटन कर दिया ,
पहली बार मैं छोटे वाले के खूंटे पे चढ़ी थी तो अगली बार मंझले के खूंटे पे और गाँड़ मारी रीनू के मर्द ने,...
हाँ अगली बार दस मिनट का इंटरवल मिला लेकिन तेरी स्साली छिनार मौसिया,...
सब एक एक चीज प्लान कर के आयी थीं, गाँड़ और बुर दोनों की हालत तो खराब थी ही लेकिन सबसे ज्यादा मुंह की , घंटे भर से चियारे चियारे, अरे ऐसा नहीं था की पहले मैंने लंड नहीं चूसा था, ... लेकिन पांच मिनट , दस मिनट बाद उसके बाद मरद मेन कार्यक्रम पे आ जाता था और तोहरे बाऊ, जब पांच दिन वाली छुट्टी में , लेकिन बीच बीच में निकाल के उनका तो मुट्ठ भी मार लेती थी और हलक तक ढकेलना जरूरी नहीं था, ...
गाल थक गया तो जीभ से चाट चूट के , थोड़ा आराम मिल जाए तो फिर अंदर, लेकिन यहां तो जीजू सब सर पकड़ के ऐसे जबरन हलक तक पेले थे पूरे आधे घंटे,... और अगवाड़े पिछवाड़े तो आराम मिल भी गया था जब रीनू स्साली मेरी कमीनी बहना मेरी बुर गाँड़ सुखाती, लेकिन मुंह में तो,.... जो जीजू गाँड़ मार रहे होते वो झड़ना शुरू होते ही मुंह में ठेल देते,...
माँ एक पल के लिए रुकीं फिर उन्होंने अपनी शादी के बाद की मायके की होली का किस्सा जारी रखा,...
तो दूसरे राउंड के बाद मैंने अपने मुंह की ओर इशारा करके दिखाया ,
मैं कहना चाहती थी की मेरा मुंह दर्द कर रहा है तो बड़ी वाली तेरी मौसी बोली
" अरे पियास लगी है ,अभी बड़े और मंझले जीजू की मलाई पी पी के साली जी की प्यास नहीं बुझी "
मेरी तो बोली नहीं निकल रही थी, उधर रीनू तेरी सबसे छोटी मौसी पहले से तैयार खड़ी थी जैसे, बस उसने एक हाथ लम्बा गिलास, ठंडाई सीधे अपने ही हाथ से मेरे मुंह में लगा दिया। जब मैं आधा गटक गयी, थोड़ी जान में जान आयी तब समझ में आया डबल नहीं ट्रिपल भांग पड़ी थी,... लेकिन तबतक मंझली भी रीनू के साथ और दोनों ने जबरन पूरी की पूरी, ... तीन भांग की बड़ी बड़ी गोलियां मेरे पेट के अंदर,... जो दस पंद्रह मिनट के अंदर अपना असर दिखा देती
और तेरी बड़ी मौसी ने मुझे धक्का देके जमीन पे गिरा दिया बोलीं , निहुरे निहुरे बेचारी की पीठ भी थक गयी होगी चल मेरी प्यारी बहना थोड़ा आराम कर ले,... और सच में कच्चा आँगन, जमीन पे पीठ लिटा के लेटना बड़ा अच्छा लग रहा था,...
और अब वो मेरे पीछे पड़ गयीं , " हे स्साली जीजू लोगों के साथ तो बहुत मस्ती की जरा हम बहने भी तो अपनी छोटी बहन से प्यार दुलार कर लें , " और अपनी छोटी दोनों बहनों को आँख मार के इशारा किया,...
और खुद मेरे दोनों जोबन के पीछे पड़ गयी, सहलाते मसलते अपने मरद मेरे बड़े जीजू की ओर इशारा कर के उन्हें उकसा रही थीं , है न मेरे जोबना मस्त , तुम सब अगवाड़े पिछवाड़े के चक्कर में इसको तो भूल ही गए, चल तेरी ओर से मैं ही ,...
क्या मस्त सहला रही थीं , मैं इतनी थकी मजे से में आँखे बंद हो रही थीं,... तबतक मेरी मंझली बहन मेरी जाँघों के बीच पहले तो अपनी हथेली से मसल रगड़ के , ... फिर सीधे मुंह लगा के कस कस के मेरी चूत चूसने लगी,
अच्छा तो बहुत लग रहा था लेकिन मैं नहीं चाहती थी की सब जीजू लोगों के सामने ,... वैसे हर साल गर्मी की छुट्टी में जब मेरी मौसेरी बहने आती थी तो ये सब तो रोज बिना नागा होता था और जाड़े में रजाई में सेंध लगा के, .. लेकिन आज
मैंने मना किया तो बड़ी दी ने मुझे नहीं हड़काया लेकिन जैसा हर बार वो करतीं थी किसी न किसी छोटी बहन को मुंह बंद करने के काम पे लगा देती थीं तो आज रीनू सबसे छोटी वाली को ,... और वो अपनी चूत फैला के सीधे मेरे मुंह पे और मुंह सील , पर उसका तो मुंह खुला था वो लगी गरियाने,...
" स्साली नखड़ा मत चोद अभी हम लोगो के मर्द का तो इतना मस्त चूस रही थी और बहन के नाम पे गाँड़ फट रही है,... और गाँड़ फड़वाने का शौक है तो आज वो भी पूरा कर देतीं हम तेरी गाँड़ में पूरी मुट्ठी पेल के,... लेकिन अभी मेरे मरद को तेरी गाँड़ फाड़नी है इसलिए छोड़ दे रही हूँ,...
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