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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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ये रनिंग कमेंट्री भी कमाल का था...रनिंग कमेंट्री
लेकिन भाई इत्ते से संतुष्ट नहीं था , बहन को पूरा मजा देना था। बस उसने गाँड़ में मूसल धकेलने के साथ बहिन की कसी बुर में भी एक साथ दो ऊँगली ठेल दी. गीता और जोर से चीखी, भैया थोड़ा थोड़ा सा निकाल दो,... कौन भाई निकालता है,... ऐसी स्कूल में पढ़ने वाली कमसिन बहिन की गांड में धंसा लंड बिना झड़े, तो उसने भी नहीं निकाला और बल्कि कचकचा के गाल काटते हुए उसके कान में फुसफुसाया,...
" बोल स्साली, का निकालना है , कहाँ से निकालना है , मैं का कर रहा हूँ , खूब जोर जोर से वरना अभी तो कुछ नहीं , ... और ये कह के उसकी छोटी छोटी बस आती हुयी चूँची के ऊपरी हिस्से में इत्ते कस के दांत गड़ाए की दूर से निशान दिखते,
और गीता ने जोर से बोला,
"भैया मेरी गाँड़ में से लंड निकाल लो बहुत पिरा रहा है , भले ही बुर चोद लो। "
" ये तो बोल मैं का कर रहा हूँ,... " भाई ने फिर धीरे बोल के उसे उकसाया ,
" ओह्ह भैया आज कैसे गाँड़ मार रहे हो , बहुत पिरा रही है ,... "
और भाई ने टांगों की पकड़ उसकी टांगों पर ढीली कर दी , दर्द कम हो गया , ... और गीताअब बिना इस बात की चिंता किये,... की बाहर सहेलियां कान पारे बैठीं होगी, उसकी चल रही चुदाई का हाल जानने के लिए, खुद रनिंग कमेंट्री कर रही थी,
" ओह्ह उफ़ भैया, अबे स्साले तेरा लंड कितना मोटा है, गदहे ऐसा एकदम, जरा हलके हलके गाँड़ मार, ओह्ह भैया हाँ ऐसे ही , रुक जाओ बस एक मिनट,... "
उसका भाई अरविन्द भी जान रहा था की आज उसकी बहिन और उसका नाम, बहन के स्कूल में फ़ैल जाएगा और इसलिए वो और हचक ह्च्चक के अपनी बहनिया को इस तरह पेल रहा था की आज दिन भर अपने स्कूल में वो सीधे न चल सके और उसके स्कूल की सब लड़कियों को बिन बोले पता चल जाए की गितवा की गाँड़ खूब मोटे लंड से हचक के मारी गयी है,
पर उसका भाई अरविन्द, आज चुदने के बाद बहन पहली बार स्कूल जा रही थी तो चूत रानी को भी परसाद दिए बिना,... तो अपनी कभी दो तो कभी तीन उँगलियों से कस कस के चोद रहा था, और बहन उसके लिए भी सिसक रही थी. अरविन्द उसका भाई जानता था की उसकी बहिन की सारी सहेलियां उससे मरवाने के लिए मरती थीं, और सहेलियां ही क्यों, एक दो बार अपनी बहन के स्कूल में गया था, उसकी कसरती जवान देह देख के उसकी टीचरें भी उसे दिखा दिखा के अपनी चूचियां मसलती थीं.
गाँड़ में लग रहे धक्के खूब तूफानी थे, गीता कभी रोती बिसूरती तो कभी अपने भैया के धक्कों से सिसकती।
और कुछ देर बाद अरविन्द , गीता के भाई ने उसे रसोई के फर्श पे जमीन पे पीठ के बल लिटा दिया, लेकिन लंड अभी भी गाँड़ में धंसा था और तीन उँगलियाँ बुर में , कुछ देर में ही गीता झड़ने लगी और उसकी बदली आवाज सुन के बाहर खड़ी उसकी सहेलियां समझ गयीं सब खेली खायी थीं और अब आज उनकी सहेली भी उन्ही की गोल में ,... और उन सहेलियों के साथ गीता की माँ भी समझ गयी, अब खेल किनारे पे है, वो बोलीं,
" देखूं गितवा कहाँ इतना टाइम लगा रही है,... " और वो अंदर पहुँच गयीं,
उस समय तक गीता का भाई भी अपनी बहन की मोटी मोटी गाँड़ में कटोरी भर मलाई छोड़ रहा था ,
माँ उससे कुछ कहतीं उससे पहले वो समझ गया और बाकी बचा रस सीधे गाँड़ से निकाल के बहन के गोरे गोरे चेहरे पे, ... "
माँ यही तो चाहती थी आज बेटी की सब शरम लाज उसकी गाँड़ में घुस जायेगी, फिर वो खुल् के उनके बेटे से मरवायेगी।
उन्होंने खींच के दोनों को अलग किया और गीता को हड़काते हुए बोलीं,
" अरे तुझे स्कूल जाना है की नहीं , आज तो वैसे ही जल्दी छुट्टी हो जाएगी लौट के चुदवा लेना। कब से तेरी सहेलियां बाट देख रही हैं "
लेकिन गीता की निगाह अपनी चड्ढी पर थी जो नहीं मिल रही थी।
" माँ, चड्ढी नहीं दिख रही है , उसके बिना,... "
" उसके बिना क्या,... अरे स्कर्ट तो है तेरी , सब ढका छिपा है और फिर लड़कियों का स्कूल है सबकी स्कर्ट के नीचे वही बुर और गांड है , जल्दी जा , ज्यादा देर हो गई तो वो छिनार तेरी बड़ी मास्टराइन , मुर्गा बना देगी , सब तोपा ढँका बराबर हो जायेगा भाग छिनार जल्दी। "
माँ ने जोर से डांटा और पकड़ के खड़ा किया , गीता के पिछवाड़े जोर से चिलख मची थी जैसे किसी ने मोटी खपच्ची ठोंक दी हो और वो अभी तक घुसी हो।
किसी तरह दीवाल का सहारा लेकर वो खड़ी हुयी , एक हाथ दीवाल पे दूसरा माँ के कंधे पे,... किसी तरह आड़े तिरछे चलते , कहरते घर से बाहर निकली की उसे याद आया की उसके चेहरे पर तो उसके भाई की रबड़ी मलाई,
लेकिन माँ ने उसे भी साफ़ करने से मना कर दिया,
" अरे चल तेरी दोस्त ही तो हैं , वो सब की सब चुदवाती होंगी,... उनसे क्या और रास्ते में पोंछ लेना ,"
पहुँचते ही एक सहेली ने उसे सहारा दिया दूसरे ने उसका बस्ता ले लिया, और तीसरी ने रास्ते में चेहरे पर से मलाई अपनी उँगलियों से साफ़ कर के अपनी बाकी सहेलियों को भी चिखाया ,और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं
चल बिन्नो बहुत देर हो रही है। "
और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं
" तोर भयवा नम्बरी चोदू लगता है, स्साले ने तेरी गाँड़ फाड़ के रख दी,... "
तीसरकी बोली, गीता स्साली कमीनी रोज हम लोगों का किस्सा सुनती थी आज अपना सुनाओ और जरा भी कैंची लगाया न तो स्साली तेरी गाँड़ दुबारा फाड़ दूँगी।
ये वही थी जिसकी चूत उसकी भाभी ने इसी साल होली में भांग पिला के फड़वायी थी और शाम को भाभी के मायके के दो भाई लगने वालों ने भी मुंह लगा के खूब रस लिया और तब से कभी नागा नहीं होता। इस समय आधे दर्जन से ऊपर उसके यार थे और रोज चार पांच चढ़ते थे , इसी की भाभी ने गीता को समझाया चढ़ाया था की वो अपने सगे भाई अरविन्द के सामने टांग फैला दे, उससे मस्त मर्द उसे नहीं मिलेगा, झिल्ली फड़वाने के लिए और फिर घर की बात घर में।
घोंट तीनो चुकी थी और एक का नहीं कितनों का तो सबने पहला सवाल यही किया
' कितना बड़ा है तेरे भैया का '
जहाँ छेद मिले घोंप देती हैं...Ha ha komalji name mera he par ye raji bahot badi vali shetan he. Iski bas bato ka maza lo. Vese bhi raji daktrni he. Hatho me ek ke ingjetion hota he. Pata nahi kisko kisko ghopti raheti he.
खतरनाक नहीं शब्दों की जादूगरनी....Dekha aapne bhi hath jod lie na. Vo badi khatrnak he
क्या सीन क्रियेट किया है.... वाह...Ab ghar ki sikhlai he to chhed to sare khulenge. Or ghee to apni hi thali me gir raha he. Chup chap kha le.
*** kahani ke bol chahe prem bhari masti darsha rahe ho. Par us masti me ek incast adultery seen har kisi ke man me peda kar liya he.
Geetva puri nangi kutiya bani ankhe band. Or uska bhai arvind geetva ki kamar ko dono hath pakad kar jabardast dakke mar raha he. pichhvade me mota sa khuta andar bahar ho raha he. Gitva ki ankhe band or muh khula. Muh se aavaj zatko ke sath nikal rahi he. Ahhh....
Tabhi bahar khadi saheliya geetava ko aavaj deti he.
Saheli ; (chilakar) are jaldi kar geeta der ho rahi he.
Geetva ki ankhe zatke se khuli.
Geeta ; (chilla kar) are aati hu baba bas 2 minit.
Geeta ne gardan pichhe ghumai.
Geeta ; bhaiya jaldi karo na. School me sab ko pata chal jaega.
Ese seen har kisi ke Maine me aa raha hoga.
सहेलियों के दिल में तरह-तरह के जज्बात मचल रहे होंगे...Sach me jabardast kya seen dala he. Saheliyo ke school jate bat chit sahanubhuti. Javardast dill me kai masti bhari seen or fantacy create karti he. Uske lie tow sabad kam he. Aap ne saral kavita ke jese samzaya he. Aap anokhe nirale he. Jese ek shapna dete ho.
Or bhabhi ka to chhinar nando pe anokha hak he. Vo jis marji se nanand ki nathh utarvae. chahe apne bhaiya se chahe uske bhaiya se.
शायद माँ अपने दिनों को याद करके.. या फिर उनकी कोई अपूर्ण तमन्ना... जो उनके भाई ने उनकी सहेलियों को रनिंग कमेंट्री नहीं सुनाया...Ohhhh to pahele ans tha. kisse ki kahani asli yaha he.
Or sara khel ghar ki asli nar ka he. Geetva ko khare time uskane ka.
Makshad bhi tagda. Bhabhi ki jarurat nahi. Mahtari hi beti Jo jilla top bana rahi he. Jab jab jaha se gujregi sab samaz jaenge. Kali se ful bakar school. Or fir baval bhunchal sab kuchh. aag lagvadi komalji.
हाँ.. एकदम करेजा निकाल लिया...Ye wards to sabse jyada jaan leva the. Kachi kali ka kya masti bhara seen banavaya he.
ये नोक-झोंक भी लुभा रही है..Are khatarnak kese,
behn kabhi kese khatarnak ho sakti hai apni tum jesi behno ke liye.
Shetan kahin ki
हाँ.. और कई बार विशेष अर्थ भी...कोमल जी, आपकी कहानी पडने के लिए एक सुकून चाहिए होता है, एक एक शब्द ध्यान से, तभी असली आनंद आता है
इतनी उम्दा तरीके से लिखने के लिए आपको धन्यवाद...
डॉ राजी सुई के बजाय शब्दों के दवा का मलहम लगाती हैं...Doctor hamesha khatrnak hi hote he raji. Kya pata kab kaha sui thok de