arushi_dayal
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ये उड़ी उड़ी सी रंगत ये खुले खुले से गेसू
मैं सिर्फ यह कहना चाहती थी की आरुषि जी के चित्र और वर्णन दोनों ही नायिका भेद और भारतीय सौंदर्य शास्त्र की परम्परा के अनुरूप हैंपुरातन साहित्य से नायिका के श्रेणी के संदर्भ में दी गई जानकारी के लिए धन्यवाद...
ये सब हम कई पाठकों के लिए भी नई थी...
अब आपने ये आइडिया दे दिया है तो बेचारी गितवा की माँ कैसे बच सकती है लेकिन मैं उन्हें बता दूंगी की ये आइडिया किस का था बस अगली पोस्ट में माँ की बारीतो खाली केवल बहिनी पर...
गितवा भी तो भैया को चढ़ा कर माँ से बदला ले सकती है...
makes a girl also perfect .नाईट स्कूल तो इसलिए चलता था कि "practice makes a man perfect"
is marj se ham sab pareshaan hainजाने हीं नहीं दे रहा है...
एक लॉग इन स्क्रीन आ जा रही है...
रीत की प्रीत
एक लंबे जुनूनी और सेक्स से भरे वीकेंड की रात के बाद पति सुबह उठकर कॉफी के कप के साथ अपने जोशीले सुबह के प्यार काइजहार करते हुए हम पर मुस्कुरा देते हैं.. रात भर बिस्तर पे हुई मस्ती और सहवास आंखों में शरारत के नए एहसास का अनुभव करवतीहै. मजबूत और मर्दाना आदमी जानता है कि अंधेरी रात में और सुहानी और मदमस्त सुबह में अपनी महिलाओं को कैसे संभालना हैये उड़ी उड़ी सी रंगत ये खुले खुले से गेसू
तिरी सुब्ह कह रही है तिरी रात का फ़साना
आपने एकदम सही कहा
चेहरे का सुकून और खुले बालों को बांधना अपने आप कह देता है की रात में गुड नाईट कल रात हो गयी थी,
और इस चेहरे के सुकून के साथ मरद की थकान, और पेट के बल लेटना भी इस बात की गवाही दे रही है