" स्साली कल की लौंडिया तय करेगी की मरद क्या करे,... अगर छरछराने परपराने का ख्याल करे न तो किसी लौंडे की गाँड़ मारी जाए न किसी लौंडिया की,... स्साली तेरे और कितने यार हैं जिनके लिए गाँड़ बचा के रखी है,... होंगे भी तो वो भी बिन मारे नहीं छोड़ेंगे,... चाहे परपराए चाहे छरछराय,... ज्यादा बोलेगी न तो तेरी गाँड़ में, मरवाने के बाद अंजुरी भर मिर्चे के अचार वाला तेल डाल दूंगी, नाचना आंगन में ... पेल बेटा,... "
नई नई छोरी थोड़े तो नखड़े करेगी हीं...
लेकिन ये तो गांड़ मारने वाले और उसमें एक्टिव रोल निभने वाले पर डिपेंड करता है कि...
चाहे लौंडिया कितना भी चीखे चिल्लाए..
पूरा जड़ तक....
और फिर क्रीम का मलहम लगा कर ... राहत...