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बचा के करेगी भी क्या चढ़ती जवानी है अभी तो लुटाने का मौका हैबेटी गरियाते हुए वियाग्रा का डोज दे रही है...
ताकि दुगने जोश से उसका भैया.. उसकी बजा सके...
और माँ बेटे ने तो मिलकर गितवा को बांट लिया...
अब तो उसकी खैर नहीं.....
बचा के करेगी भी क्या चढ़ती जवानी है अभी तो लुटाने का मौका हैबेटी गरियाते हुए वियाग्रा का डोज दे रही है...
ताकि दुगने जोश से उसका भैया.. उसकी बजा सके...
और माँ बेटे ने तो मिलकर गितवा को बांट लिया...
अब तो उसकी खैर नहीं.....
Wo to hai hi.... uske pass kam se kam 3 ched haj aur aadmi k pass 1 hi hathiyaar
Aurat se to bhagwan bhi nahi jeet paye Phir bechare aadmi ki kya aukaat hai ??
एकदम सही कहा आपनेउभरे वक्ष और नितम्भ, खुले बाल, गहरी नाभी, खनखनती चूड़ी , पायल की झंकार आदि हम औरतों के अस्त्र होते हैं जो किसी भी पुरुष को कामवासना के लिए प्रेरित कर देते हैं।
औरत चाहती है वो अपनी बांहों मे कसकर जकड़ हमारे कान के निचे, गर्दन, कंधों पर के रूह की खूसबू को अपनी सांसों मे भर ले और बिस्तर पे ले जाके गचा गच चोद के संतुष्ट कर दे
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भावना भी बहुत उत्तम है और आसन भीऔरत का सम्मान करने में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए जो औरत पति के पाँव छू कर आशीर्वाद लेती है तो पति की भी जिम्मेदारी है की पत्नी के पैरों को उठाकर इसे अपने जांघो के सिंहासन पर जगह दे और उसे प्यार से झूला झुलाते हुए उसके अरमानो को ऊपर उठाकर सिंघासन का चरमसुख दे
और इतना आनंदित कर दे कि वो हर रात बिस्तर में उसका इंतजार करे
are Gaon ki mehman thi phulawa ki nanad to use kuch jor to dikahna tha naa and thanks for gracing the thread and such nice commentsNanad ki to bahut buri halat krdi geeta ke bhai ne. Bilkul rehem nhi kiya
बहुत ही सुन्दर कविताkomaalrani ma'am
दिल को फिर से बारी-बारी
चिटकाई.....
आपकी शब्द है जिनमें चिंगारी ....
जो चढ़ गये हर एक शब्द दिमाग पर
लिए बिना गर्दन को गुरे पढ़ूँ हर रोज
कलम, आज कोमल जी की ही बोले।
जो अगणित शब्द आपके
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं फिर भी मिलते है अपडटे आपके
कलम, आज कोमल जी की ही बोले।
फिकर हर रीडर की
एक चांद एक सूरज
हम रीडर अंधा चकाचौंध का मारे
क्या जाने इतिहास एक लेखीका की
तुम बनी मेरी सहेली
कलम, आज कोमल जी की ही बोले।