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भाग ५०
माँ का नाइट स्कूल
माँ -गीता -अरविन्द
माँ का नाइट स्कूल
माँ -गीता -अरविन्द
Chhutki ki utsukhta. Asli maza to vo bhi le hi3 chuki he. Jija or double jija ke sath. Superb ..माँ का पिछवाड़ा
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गीता और छुटकी दोनों ये सोच सोच के हंस रही थीं,
और गीता ने माँ का एक और किस्सा सुनाया
उस रात के बाद , बल्कि उस रात से ही भैया मेरा अरविन्द माँ की गाँड़ का दीवाना हो गया।
फिर कुछ रूक के छुटकी को चूम के उसकी कच्ची अमिया मसलते गीता ने ज्ञान दिया, " जानती हो ये स्साले लौंडे सब के सब गाँड़ के दीवाने होते हैं,... बस एक बार चखने की देर है और असली चक्कर है लड़की जब मिलती नहीं बल्कि लड़की की लेने के पहले आपस में ही,... तो जो लौंडा लौंडिया की गाँड़ न मारे समझ ले वो स्साला खुद गांडू है,... और अरविंदवा तो क्या हचक के गाँड़ मारता है, दोनों चूँची पकड़ के जब गाँड़ में पेलता है दिन में तारे दिखते हैं और दूसरी बात , गाँड़ मरवाते समय जितना चीखो चिल्लाओगी, तड़पोगी उसके चंगुल से छूटने की कोशिश करोगी मरद को उतना ही मजा मिलता है। वो और दबोच के रगड़ रगड़ के,... "
छुटकी ये सब बातें सुन सुन के खुश हो रही थी और उस के आँख सामने पहले दीदी के नन्दोई से फिर जीजू से गाँड़ मरवाने का सीन घूम रहा था लेकिन वो माँ वाली बात सुनना चाहती थी तो उसने गीता को टोका,
" दी, माँ वाली बात,... "
गीता कुछ देर खिलखिलाती रही फिर बोली माँ की गाँड़ तो भैया ने खूब आसन बदल बदल के , पहले तो निहुरा के और माँ को भी चाहे चुदवाना हो या गाँड़ मराना इसी पोज में सबसे अच्छा लगता है, मैंने खुद अपने हाथ से भैया का खूंटा पकड़ के माँ के पिछवाड़े सटाया और अपने हाथ से ही उनका चूतड़ कस के फैलाया, फिर क्या ताकत से भैया ने धक्का मारा,... पूरा सुपाड़ा एक बार में अंदर, गप्पांक
छुटकी ध्यान से सुन रही थी और गीता ने बात आगे बढ़ाई
" लेकिन मुझे भी तो मजा लेना था तो मैं माँ के आगे आयी और अपनी चिकनी चमेली माँ के मुंह पे ,... माँ ने मुझसे बहुत चटवाया था आज मेरा मौका था और जब कोई मर्द दो औरतों को आपस में मस्ती करते देखता है तो वो और गरम हो जाता है तो वही हालत भैया की हो रही थी मुझे चटवाते देख के वो पूरी ताकत से अपना मूसल माँ की गाँड़ में ठोंक रहा था। लेकिन कुछ देर बाद उसने पोज बदला माँ पीठ के बल और वो जैसे चोदते हैं बस आगे की जगह पीछे का छेद। माँ की दोनों टाँगे भैया के कंधे पर,...
" और दी आप क्या कर रही थीं "
छुटकी ने पूछा
" थोड़ी देर तक तो मैं भैया की बदमाशी देख रही थी फिर मैं भी माँ के ऊपर चढ़ के अपनी चूत उनके मुंह पे रगड़ने लगी और झुक के एक साथ होनी तीन ऊँगली माँ की बुर में पेल दिया और अब माँ के दोनों छेदों की पेलाई हो रही थी, एक तरफ से बेटा एक तरफ बेटी,...
माँ की चुनमुनिया मुझे बहुत प्यारी लगती है तो झुक के मैंने चूसना भी शुरू कर दिया और माँ बेटी 69 की पोज़ में और बेटा माँ की गांड़ मार रहा था। कुछ देर तक तो ऐसे ही
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फिर माँ को अपनी गोद में बिठा के और माँ भी ऐसी एक्सपर्ट की खुद उन्होंने अपने पिछवाड़े का छेद अपने बेटे के खूंटे पे सटा के क्या धक्के मारे,... भैया तो खाली उन्हें गोद में ले बैठा था , माँ खुद ऊपर नीचे होकर बेटे से गाँड़ कुटवा रही थीं और मुझे ऐसे देख रही थीं मानो कह रही हों सीख ले बेटी, बहन भाई के गोद में कैसे मजे लेती है। उसके बाद तो कोई दिन नागा नहीं गया जब भैया ने दिन दहाड़े मेरे सामने माँ की गाँड़ नहीं मारी हो और रात में तो माँ का नाइट स्कूल चलता ही था।