Shetan
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Geeta or arvind ka to ab koi din naga nhi jata, itni aag h dono mभाग ४९ -
मस्ती - माँ, अरविन्द और गीता की
छुटकी भी हंसी में शामिल हो गयी और गीता ने बात पूरी की
" और ये रोपनी वालियां तार मात इनके आगे, शाम के पहले तक गाँव छोड़ अगल बगल के गाँव में सब को मालूम हो गया था ,ये घर घर जाती है और घर की औरतें जो बेचारी घर से बाहर मुश्किल से निकल पाती हैं इन्ही से कुछ किस्से,.... और कुँवारी लड़की अपने भाई से फंसी, फिर तो,...मिर्च मसाला लगा लगा के ,.. और ये रोपनी वालियां खाली मेरे गाँव की तो थी नहीं तो सब अपने गाँव में और जिस गाँव में रोपनी करने गयीं वहां भी , तो चार पांच दिन में गाँव तो छोड़,... आसपास के दस गाँव जवार में, बजार में, सब जगह,... मेरे और भैया के , .. लेकिन एक तरह से अच्छा ही हुआ , भइया की भी झिझक धीरे धीरे खुल गयी"
लेकिन छुटकी का दिमाग कहीं और चल रहा रहा था उसे दीदी की सास और नैना की बात आ रही थी की कैसे सास चिढ़ा रही थी नैना को की इस गाँव की कुल लड़कियां भाई चोद होती है और नैना ने भी माना और की गीता और उसका भाई तो एकदम मर्द औरत की तरह रहते हैं,...
गीता चुप हो गयी थी तो छुटकी ने एक नया प्रसंग छेड़ दिया, छुटकी ने एक बार फिर बात मोड़ दी, दी फिर कभी भैया का माँ के साथ, किसी रात को,...
गितवा खिलखिला के हंसी
" तू भी न पगली कभी एक बार मेरे अरविन्द का खूंटा पकड़ेगी न,... देख के लोग दीवाने हो जाते हैं माँ ने तो अगवाड़े पिछवाड़े दोनों घोंटा था, और रात में बोल रही है तू, रात दिन दोनों टाइम, बल्कि उन दोनों के चक्कर में मैं मैं भी पिसती थी। "
"लेकिन आप तो स्कूल जाती होंगीं " छुटकी ने एक टेढ़ा सवाल पूछ लिया।
गितवा ने खुश होके उसे गले से लगा लिया, और गाल चूमते हुए बोली,... " स्साली छिनार तुझे सब जानना है " फिर आराम से बताना शुरू किया।
" तुझे बताया तो था की स्कूल जाने से पहले माँ पीछे पड़ के,... अगवाड़े पिछवाड़े दोनों छेदो में भैया मलाई भर देता था, एकदम ऊपर तक बजबजाती थी,
मेरी स्साली कमीनी सहेलियां भी पहले से आके, कान पार के मेरी चीखें सुनती थीं, ... और स्कूल पहुँचने के पहले और स्कूल में भी जैसे किसी कुप्पी में क्रीम भरी हो, ऊँगली कर के मेरी बिल में अंदर तक डाल के, घुमा घुमा के अरविन्द भैया की मलाई निकाल के, खुद भी चाटती थीं दूसरी लड़कियों को भी चटाती थीं और कभी कभी अपने होंठों में लगी मलाई से मेरे होंठों पे चुम्मा भी ले लेती थीं , मैं कुछ बोलती तो सब मिल के ,डांटतीं, गरियाती
"..स्साली अकेले अकेले मजा ले रही है, और हम ज़रा सा मलाई चाट रहे हैं तो छिनार की फट रही है , घर जाके भैया से बोल देना फिर से खिला देंगे , लाज लगे तो हम सब बोल देंगे की भैया गीता की मलाई हम सब ने चाट ली, आप फिर से खिला दो बेचारी बहुत भूखी है "
गीता कुछ देर रुक के मुस्कराती रही, फिर बोली,..
" लेकिन होता वही था,... जैसे मैं स्कूल से लौटती भैया जैसे तैयार बैठा हो मलाई खिलाने के लिए , और माँ और उसको उकसाती थीं। "
मतलब, छुटकी बोली, ...उसे तो हाल खुलासा सुनना था। और गीता ने सुनाया भी, स्कूल से आते ही बस्ता उठा के कहीं वो फेंक देती थी और सीधे भैया के पास, और वो भी बिना उसकी स्कर्ट टॉप खोले, सीधे उसके मुंह में अपना खूंटा पकड़ा देता था,... और कुछ देर में माँ भी आ जाती थीं, वो शिकायत की नजर से देखती ( बोल तो सकती नहीं थी अरविन्द ने उसके मुंह में खूंटा अंदर तक पेल रखा होता था, ... "
और माँ अलग बदमाशी पे उतर आतीं
" अरे तो क्या हुआ , तेरा एकलौता सगा भाई है, ... चाट ले चूस प्यार से , अच्छा कपडे,.. चल मैं उतार देती हूँ , मैं हूँ न , ... "
और माँ पहले स्कर्ट चड्ढी निकाल के बिल पे हाथ लगातीं ,...
" देखूं सुबह की मलाई कुछ अगवाड़े पिछवाड़े बची है की नहीं ? स्साली तेरी कमीनी सहेलियां सब चाट गयीं लगता है. एकदम सूखी है मेरे दुलारी बेटी की बुर , चल मैं जरा प्यार से चाट वाट के तू चूसती रह मेरे बेटे का मोटा लंड ,... "
और भैया कस के अपने दोनों हाथ से मेरे सर को अपने मूसल पे दबा देता, माँ की शह मिलने के बाद उसे कौन रोकने वाला था,..
मैं भी सपड़ सपड़ मोटा मूसल मुंह में लेके, थूक से लग के गीला भी हो जाता,...
और साथ में माँ पहले अपने हाथों से मेरी चिकनी चमेली सहलातीं फिर सीधे उनके होंठ, बस हलके हलके होंठों से सहलाती कभी जीभ निकाल के मेरी दोनों फांको पे फिराती, साथ में उनकी साड़ी ब्लाउज भी सरक के नीचे।
माँ की जीभ बहुत ही दुष्ट थी, मेरी कितनी सहेलियों, भौजाइयों की जीभ वहां का स्वाद ले चुकी थी, लेकिन जो अगन माँ की जीभ लगाती थी ,... लेकिन माँ थी बड़ी बदमाश, उसे अगन लगाने की ही जल्दी रहती थी,... बुझाने की एकदम नहीं,... थोड़ी ही देर में भैया का मोटा लंड चूसते चूसते जब माँ की जीभ के असर से मैं झड़ने के कगार पर पहुँच गयी थी,...
उसने जीभ हटा दी,... मैंने मुड़ के देखा,...
माँ मुस्करा रही थी और अब उसकी हथेली उसके अपने भोंसडे पे,
जहाँ से मैं और भैया निकले थे, हलके हलके सहला रही थी, कभी मुझे दिखा के अपनी दोनों फांकों को फैला देती जैसे कह रही लेना है क्या इस रसमलाई का मजा,... खूब गीली हो गयी थी, चाशनी छलछला रही थी, ...
और माँ ने मुझे आँख मार दी,... ( वो तो बाद में मैं समझी की इशारा अरविन्द के लिए था उनके बेटे के लिए की उनकी बेटी की जरा जम के,...
और जब तक समझती समझती, ...
मेरा भाई अरविन्द मेरी दोनों खुली जाँघों के बीच, माँ का थूक और मेरे चूत रस से सनी मेरे गुलाबो को,... और अब वो कस कस के चूस रहा था, लेकिन वो बदमाश उसे तो खाली चोदना आता था, तो बस जीभ अपनी अरविन्द ने मेरी दोनों कसी कसी गुलाबी फांके फैला के उसके बीच कभी अंदर कभी बाहर, मैं मजे से उछल रही थी, मन बस यही कह रहा था ये स्साला मादरचोद बहन चोद अपना लंड पेल दे अपनी बहन की चूत में,..
. लेकिन माँ बेटे को तो बेटी को तड़पाने में ज्यादा मजा आ रहा था, मैं चूतड़ उछाल रही थी माँ को भैया को गरिया रही थी,...दोनों माँ बेटे को एक से एक गन्दी गन्दी गारियाँ जो रोपनी में सीख के आयी थी
Geeta ki maa to sari kalayen nikha degi. Bachhon koमाँ और भैया के साथ मस्ती
स्कूल के बाद
मन बस यही कह रहा था ये स्साला मादरचोद बहन चोद अपना लंड पेल दे अपनी बहन की चूत में,... लेकिन माँ बेटे को तो बेटी को तड़पाने में ज्यादा मजा आ रहा था, मैं चूतड़ उछाल रही थी माँ को भैया को गरिया रही थी,...
माँ मेरी गन्दी गली गालियां सुन के और खुश हो रही थी और मुझे दिखा दिखा के अपने भोंसडे में तीन तीन ऊँगली एक साथ डाल के, उसके चेहरे पर एक खास चमक थी, जो वो बहुत खुश होती थी तब आती थी, ... और फिर उंगलियां निकाल के हथेली से अपनी बुर को माँ कस कस के रगड़ने लगी. माँ की हथेली रस से एकदम गीली, पूरी तरह चमक रही थी और अब माँ मेरे सिरहाने आ गयी और भैया को गरियाते बोली,
" स्साले बहनचोद, तेरी बहिन की तेरी बुआ की फुद्दी मारुं,... मेरी बेटी का मजा अकेले अकेले लेगा "
और जो उनके भोंसडे से पानी निकल के उनके हाथ में लगा था, सब मेरे चेहरे पे, ... फिर कस के मेरे गाल दबा के मुंह मेरा जबरन खुलवा के अपने भोंसडे में से निकली रस से डूबी तीनो उँगलियाँ मेरे मुंह में ठेल दी, मैं गों गो कर रही थी, और एक से एक गाली,
" स्साली छिनारपने में एकदम अपंनी बुआ पे गयी है, अपने भाई का बित्ते भर का लंड घोंट लिया और मेरी ऊँगली में स्साली की गाँड़ फट रही है,... "
और फिर कुछ देर बाद हलक तक ठेल के उन्होंने निकाल लिया और अब अपनी बिल का रस और मेरे मुंह का थूक सब मिला जुला मेरे गाल पे लपेट दिया, बचा खुचा मेरी चूँचियों पे और कस कस के दबाने मसलने लगीं,... सच्च में साला कोई गाँव का लौंडा इसी कस के चूँची नहीं दबाता जितना माँ, कहती भी थीं मुझसे, जब मैं शादी में आयी तो तेरी बूआ की चूँची एकदम छोटी छोटी ठीक से दिखती भी नहीं थी, लेकिन मेरी ऐसी भौजाई, ...दबा दबा के मसल मसल के देख एकदम डबल कर दिया, कुछ दिन में ही गाँव लड़कियों में बीस, सब लौंडे उसी के पीछे, गुड़ पे चींटे की तरह से,.. ' और ये बात उन्होंने मुझे बूआ के सामने ही बताई थी और बूआ ने हंस के हामी भी भरी थी,...
मेरी हालत ख़राब हो रही, माँ बेटे दोनों मिल के , दोनों जुबना माँ के हाथ में
और मेरी सहेली बेटे के मुंह में,...
मैं सिसक रही थी, चूतड़ पटक रही थी,
उधर माँ की लीला देख के भैया का खूंटा भी पागल हो रहा था,...
माँ ने मुझसे कहा
" अरे काहें को सिसक रही है ऐसी चोदवास लगी है तो मेरे बेटे का इतना मस्त खड़ा है चढ़ क्यों नहीं जाती काहें को सिसक रही है "
और माँ का इशारा पाके भैया लेट गया, ... लेकिन जब मैं चढ़ने लगी तो माँ ने फिर टोक दिया,...
ऐसे नहीं मेरी ओर मुंह कर के,...
माँ एक बार फिर भैया के पायताने पहुंच गयी थी,...
चढ़ी तो मैं कित्ती बार थी अरविन्द भैया के खूंटे पे पर हर बार उसी के मुंह की ओर मुंह करके , ये पहली बार हो रहा था कि,...मैं बजाय भइया की ओर मुंह करने के उसके चेहरे की तरफ पीठ कर के उसके खूंटे पर चढ़ी होऊं बहुत मुश्किल थी, अरविन्द भैया का इत्ता मोटा लेकिन माँ और भैया ने मिल के,... फिर एक बार जब सुपाड़ा अंदर हो जाता है तो लड़की को चुदने से कौन बचा सकता है ,.. और भैया तो वैसे बौरा रहा था और मेरी सहेली में भी आग लगी थी खूब उछल उछल के में चुदवा रही थी, भैया मेरी कमर पकड़ के हचक हचक के पेल रहा था ,
और माँ सामने मेरे बैठी, मुस्करा रही थी , चार पांच मिनट तो ऐसे चला फिर मुझे माँ की बदमाशी का अंदाज हुआ , ये पोज उसने क्यों बोला था,...
माँ अपनी बेटी की कसी टीनेज चूत में अपने बेटे का मोटा लंड अंदर बाहर होते साफ़ साफ़ देख रही थी,... और देख के अपनी बुर सहला रही थी, मस्ती के मारे माँ की हालत ख़राब थी, लेकिन माँ ने जो हरकत की उससे मेरी हालत खराब हो गयी।
" क्या किया माँ ने " उत्सुकता से छुटकी ने पूछा और गीता ने स्कूल से लौटने के बाद का किस्सा जारी रखा।
Bechari geeta to akele pad gayi, dono ke bich me. Halat kharab krdi. Bahut mast komal jiमाँ
माँ अपनी बेटी की कसी टीनेज चूत में अपने बेटे का मोटा लंड अंदर बाहर होते साफ़ साफ़ देख रही थी,... और देख के अपनी बुर सहला रही थी, मस्ती के मारे माँ की हालत ख़राब थी, लेकिन माँ ने जो हरकत की उससे मेरी हालत खराब हो गयी।
" क्या किया माँ ने " उत्सुकता से छुटकी ने पूछा और गीता ने स्कूल से लौटने के बाद का किस्सा जारी रखा।
" अरे यार, मैं भैया के मुंह की ओर पीठ कर के,... तो मेरी चूत उसमें से अंदर बाहर होता भैया का मोटा खूंटा, एकदम माँ की आँखों के सामने,... तो बस माँ सरक के भैया की दोनों खुली जाँघों के बीच,... मैं तो टांग फैला के अरविन्द के ऊपर चढ़ी थी, उसकी ओर पीठ किये और माँ मेरे सामने,... और कुछ देर तक तो मेरी फैली एकदम खुली दोनों फांको को उँगलियों से सहलाती रहीं,...
फिर झुक के लपर लपर मेरी चूत चाटने लगीं, कभी चूत का दाना जीभ की टिप से छू के सहला देतीं तो कभी चाटते चाटते सीधे अपने बेटे का लंड भी, ... बस थोड़ी देर में मेरी हालत खराब होने लगी,... और फिर मुझे छोड़ के भैया के पीछे पड़ गयीं,... गप्प से भैया का रसगुल्ला उनके मुंह में और लगी चुभलाने,... लेकिन उनकी उँगलियाँ खाली थीं न , तो बस अंगूठे और तर्जनी के बीच मेरी क्लिट,
भैया की हालत खराब, वो नीचे से पूरी तेजी से धक्के मारने लगा और हर धक्के के साथ मेरी भी हालत खराब हो रही थी जब उसका मोटा तगड़ा लंड मेरी कसी चूत में दरेरता रगड़ता फाड़ता घुसता,... मस्ती से आँखे बंद हो रही थी मैं भी उछल उछल के
और ऊपर से अब माँ ने क्लिट कस के चूसनी शुरू कर दी थी, अंदर से अरविन्द भैया का लंड बाहर से माँ की जीभ,... बस मैं झड़ने के कगार पर पहुँच गयी, ... और माँ ने हल्के से मेरी क्लिट काट ली
बस मैंने झड़ना शुरू कर दिया,... झड़ती रही झड़ती रही,... मेरी पूरी देह काँप रही थी, पर भैया के धक्के रुक नहीं रहे थे , मेरा झड़ना रुकता फिर थोड़ी देर में कांपना शुरू हो जाती, ... न माँ रुक रही थी न भैया,... पर कुछ देर में जो खूंटा मेरे अंदर गड़ा धंसा मजा दे रहा था अब वही दर्द दे रहा था , बस लग रहा था भैया थोड़ी देर के लिए निकाल ले, पर चोदते समय मरद न सुनते है न सोचते हैं,
पर माँ तो माँ होती है , उन्होंने खुद भैया का खूंटा पकड़ के मेरी बिल से बाहर कर दिया , लेकिन भैया को कोई परेशानी नहीं थी. माँ ने सीधे वो लम्बा मूसल अपने मुंह में वो चूसने के साथ साथ मुठिया भी रही थी। भैया के गोद में बैठी बैठी मैं माँ और भैया का खेल तमाशा देख रही रही थी , मेरा झड़ना रुक गया था।
मैं भैया की गोद में दुबकी बैठी थी, थोड़ी थकी, थोड़ी मस्तायी,... पलकें मेरी झुकी थीं, आधी बंद आँखे मुस्करा रही थीं,...
लेकिन भैया अभी भी,...बेचारा झड़ा तो था न, ... वो अपनी गोद में कस के मुझे दबोचे मेरे जुबना को हलके हलके सहला रहे थे,... और उनका मुन्ना अभी भी थोड़ा फनफनाया, बौराया, भूखा उसके मुंह से निवाला निकल गया था,
पर माँ की शरारतें,... अभी भी जारी थीं अपने बेटे के मोटे मस्त लौंड़े को बिन पकडे, कभी अपनी लम्बी उँगलियों से उस मोटे खूंटे के बेस पे खुरच देतीं तो कभी दोनों रसगुल्लों को सहला देती तो कभी पकड़ के कस के दबा देतीं, पल भर की देरी थी वो जोश से उछलने लगा. अंगूठे से कभी उस लंड के साइड पे रगड़तीं तो कभी सहलाने लगती।
भैया सारी मस्ती मेरे दोनों जुबना को दबा के रगड़ के मसल के उतार रही था, और मैं भी अब माँ की बदमाशी देख देख के भैया का मोटा फनफनाता लंड देख के और भैया की उंगलियों के असर से पिघल रही थी, मन कर रहा था भैया बस पेल दे, और माँ कौन जो बेटी की मन की हाल बिन बोले ने समझे,... ले,किन अभी वो मुझे तड़पाने पे लगी थी। भैया का पूरा खड़ा लंड पकड़ के वो उसका मोटा सुपाड़ा मेरी रसीली गीली चाशनी में डूबी फांकों पे रगड़ने लगी और जब फ़ुदद्दी खुद फुदकने लगी, मटर का दाना पूरा तना खड़ा मेरी हालत बता रहा था.
माँ ने अपने बेटे का, अरविन्द भैया का लंड पकड़ के उसका सुपाड़ा मेरी क्लिट पे रगड़ना शुरू किया, और मेरी हालत ख़राब, मैं सिसक रही थी,
" अरे स्साली चीख काहें रही है मेरे बेटे का मोटा लंड चाहिए तो खुल के मांग ले न " माँ ने भैया का सुपाड़ा मेरी बिल पे रगड़ते हुए चिढ़ाया।
" तो दे काहें नहीं देती अरे तु तो घोंट नहीं रही है तो अपनी बेटी की बुर में ही,... बस एक बार माँ "
मैं तड़प के बोली और माँ ने खुली फांको के बीच सुपाड़ा सेट कर दिया,... भाई तो तड़प ही रहा था नीचे से चूतड़ उठा के उसने कस के पेल दिया,
गच्चाक, पूरा सुपाड़ा अंदर, माँ भी अपने बेटे का लंड अब पकड़ के अपनी बेटी की बिल में ठेल रही थी, बेटी भी ऊपर से पुश कर रही थी देखते देखते आधा सा ज्यादा नाग बिल के अंदर, और हम भाई बहन चुदाई का मजा लेने लगे।
मैं भैया की गोद में भैया की ओर पीठ किये बैठी मस्ती से अरविन्द भैया से चुदवा रही थी, बस माँ ने सीधे मेरे होंठो को अपने होंठों के बीच, क्या मस्ती से वो चूस रही थी, फिर माँ की जीभ मेरे मुंह के अंदर और जैसे मेरी चूत अरविन्द भैया के मोटे लंड का रस ले रही थी वैसे मेरा मुंह अब माँ के जीभ का रस ले रहा था, जिस मस्ती और ताकत से माँ का बेटा मेरी बुर चोद रहा था उससे दूनी ताकत से उसकी माँ की जीभ मेरा मुंह चोद रही थी।
और अब माँ के दोनों हाथ मेरे जोबन पे ,... बताया था न चूँची दबाने में,... माँ गाँव के लौंडों से भी दस हाथ आगे थी. लेकिन अब मैं पीछे नहीं रहने वाली थी और मैं भी अपने दोनों हाथों से माँ की बड़ी बड़ी खूब कड़ी कड़ी चूँचिया खुल के मसल रही थी,
हम लोगों की मस्ती से अरविन्द भैया की भी हालत खराव अब वो भी पूरी ताकत से गोद में बैठी अपनी बहन को मुझे हचक के पूरी ताकत से चोद रहा था,...
माँ ने फिर बदमाशी का लेवल बढ़ाया और अपना एक हाथ सीधे मेरी क्लिट पे और अंगूठे और तर्जनी के बीच ले के कस के मसलने ले दूसरा हाथ मेरा निपल को मसल रहा था और भैया का हर धक्का अब मेरी बच्चेदानी पर पड़ रहा था, और मैंने झड़ना शुरू कर दिया लेकिन न माँ ने मेरी क्लिट रगड़ाई कम की न भैया ने चुदाई की तेजी कम की और मैं बार बार झड़ रही थी,
पर कुछ देर बाद माँ को दया आ गयी और उन्होंने भैया का मोटा खूंटा मेरी बिल से निकाल के अपने मुंह में और मुझे भी इशारा किया,...
माँ अब अरविंद भैया को छोड़ के मेरे पीछे पड़ी। गपागप सटासट गपागप सटासट अरविन्द भैया का लंड मेरी बिल में जा रहा था मैं मस्ती में लील रही थी, मैं चुद रही थी मेरा सगा भाई चोद रहा था और माँ देख रही थी, लेकिन माँ से देखा न गया और सीधे मेरे साथ वो भी चालू हो गयी.
Complete story ka intejar haiनीचे देवर और भाभी के बीच इंटरकोर्स के दौरान चैट के कुछ अंश दिए गए हैं। आपकी प्रतिक्रिया जानना अच्छा लगेगा…
आह आ,,आ,,आह आराम से चोदो देवर जी आह आह बहुत दर्द हो रहा है, मेरी तो गांड फटी जा रही है, ऊफ़्फ़फ़ .. आज तो मेरी जान ही निकल रही है "
★ भाभी तुझे तो दर्द में मज़ा आता है ★
" आह उफ्फ्फ इतना भी दर्द ना दो राजा कि सुबह बैठा भी ना जाये, थोड़ा सरसों का तेल लगा ले ताकि दर्द ना हो "
देवर जी जब तेरे लंड पर बैठ उछलने लग जाऊं तो मेरी लटकती चुंचियो को सहलाया कर,इनको खूब दबाया कर, इनको पीया कर ओर हाथों से इन पर थपेड़े मारता मेरी चुंचियो की निप्पलों को छेड़ा कर,
इससे क्या होगा
मुझे मज़ा आयेगा, जब मुझे मज़ा आयेगा तो तुझे भी तो मज़ा दूँगी, ले अब वही कर जो बताया है "
हाय देवर जी तुम्हारा लोड़ा तो बहुत मस्त है,चूसकर मज़ा तो लेने दो, ऐसे लंड की बहुत प्यासी हूँ,आहह राजा तेरा टोपा तो बड़ा मस्त है पूरा गले तक जा रहा है, चुत में जायेगा तो पता नही कहाँ तक जायेगा और क्या क्या करेगा"
भाभी खोल दो अपनी सलवार
देवर जी पहली बार चुद रही हूँ तुमसे बड़ा मोटा है... जरा धीरे से घुसाना
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Bahut khoob
कितना प्यारा है अरविंद भैयाBechari geeta to akele pad gayi, dono ke bich me. Halat kharab krdi. Bahut mast komal ji
ekdm adbhut pyaar hai Bhai Behan kaGeeta or arvind ka to ab koi din naga nhi jata, itni aag h dono m
arushi ji ka koyi jaavaab nahi vo do chaar lines men vo baat kah deti hain to poori stories men log nahi kh pateComplete story ka intejar hai