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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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Bahut garam update maza hi aa gayaमलाई मक्खन -ननद के पिछवाड़े
" अरविन्द भइया और जोर से मार स्साली की कल तो चली ही जायेगी, इतने दिन से नौटंकी कर रही थी स्साली,... फाड़ के चीथड़े कर दे इसकी गाँड़ "
और ये कह के मैंने भैया को चूम लिया बस जैसे किसी ने एक्सीलेरेटर पर पूरी ताकत से पैर रख दिया हो, भैया ने मेरे चुम्मी का और जोश से जवाब दिया और दूनी तेजी से फच्चर फच्चर,... ननद की गाँड़ में और देखा देखी मैंने एक ऊँगली और ठेली, और चारो ऊँगली उसकी बुर में गोल गोल, अंगूठे से क्लिट और एक हाथ पीछे कर के उसकी बड़ी बड़ी चूँची दबा मसल रही थी, दूसरी चूँची चमेलिया के कब्जे में
और अबकी जब फुलवा की ननद झड़ी तो मैं रुकी नहीं बल्कि और जोर से,... थोड़ी देर में ही दो बार, तीन बार,... झड़ झड़ के वो थेथर हो गयी थी लेकिन न भैया ने गाँड़ मारने की रफ्तार की न चमेलिया ने उसके मुंह पे अपनी गाँड़ रगड़ने की,...
ननद की कसी गाँड़ में अपने भाई के मोटे मूसल के अंदर बाहर होते देखने का मज़ा ही कुछ और है। लेकिन मेरे मन में एक और शरारत आयी मैंने झुक के भैया के बांस के थोड़े से हिस्से को पकड़ के गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया जैसे कोई मथानी चल रहा हो और उसका असर ननद के पिछवाड़े वही होता जो मथानी चलने का होता है,...
तबतक चमेलिया भी उतर के आ गयी, और वो काम उसने अपने जिम्मे ले लिया और मैं एक बार फिर से ननद को झाड़ने,... और अब जब वो झड़ी तो फिर झड़ती रही देर तक और साथ में भैया भी ,
चमेलिया गोल गोल घुमाती रही और भैया का खूंटा पकड़ के सीधे फुलवा की ननद के मुंह की ओर
लेकिन फुलवा की ननद कम खिलाडी नहीं थी, वो समझ रही थी चमेलिया का करने वाली है उसकी गाँड़ से निकला सब कुछ उसी के मुंह में,...
फिर सब चिढ़ातीं उसको,... कैसा स्वाद लगा,... पूछतीं,...
उसने कस के मुँह भींच के बंद कर लिया, लेकिन अपनी भौजाई की फुलवा की गाँव वालियों को उसने कम समझा था, गितवा थी न उसके साथ. वो भी कम जब्बर नहीं थी.
बस गितवा ने झट से पूरी ताकत से एक हाथ से ननद के नथुने भींच लिए और दूसरे हाथ से गाल कस के दबा दिया और लगी गरियाने,
" खोल ससुरी, हमरे भैया के आगे बुर खोलने में लाज नहीं, गाँड़ फैलाने में शरम नहीं और साली तोर सारी बहिन महतारी को अपने भैया से चोदवाउ, .... मुंह खोलने में छिनरपना,... खोल नहीं तो मार मार के,... "
सांस ननद के लिए लेना मुश्किल हो गया था, एक पल के लिए उसने जरा सा होंठ खोला होगा, बस गीता ने उसके दोनों गालों को इत्ती कस के दबाया की मुंह उसने चियार दिया और चमेलिया तो तैयार बैठी बस फुलवा की ननदिया की गाँड़ से निकला लिथड़ा चुपड़ा सुपाड़ा उसने अंदर ठेल दिया,... और बस एक बार मरद का सुपाड़ा अंदर जाने की देर होती है उसके बाद तो बस, कउनो छेद हो वो बिना पूरा पेले छोड़ता नहीं और अरविंदवा तो पंचायती सांड़,
और मुंह भी फुलवा की ननद का जो महीने भर से नौटंकी कर रही थी गाँड़ मरवाने के नाम पर, उसने भी जोर लगा दिया और सुपाड़ा पूरा अंदर,...----
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तो कैसा लगा ये अपडेट
फुलवा के ननद के पिछवाड़े की सेवा अगले भाग में भी जारी रहेगी और साथ में और भी बहुत कुछ
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भाग ४८ - पृष्ठ 394 रोपनी -फुलवा की ननद
भाग ४९ पृष्ठ ४२० मस्ती -माँ, अरविन्द और गीता की
भाग ५० पृष्ठ ४३५ माँ का नाइट स्कूल
भाग ५१ पृष्ठ ४५६ भैया के संग अमराई में
भाग ५२ पृष्ठ ४७९ गन्ने के खेत में भैया के संग
+1आपका नरेशन और चित्रण एकदम लाजवाब है...
प्रसंग वश आप उनका जिक्र भी करते रहती हैं...
Arey geetwa ki maa bhi yahi chahti hai aakhir naati pote ka lobh haiअब तो भौजी गितवा के भी शादी से पहले बिया के भेजने का जुगाड़ लगाएंगी...
Arvindwa abhi apni maa ka khayal kaha thik se rakh pa raha hai komaalrani ji se kab se gujarish hai ek mega update inn dono ka bhi de dijiye jab geetwa school ya kissi ristedar ke ghar gaye ho taki dono khul ke maza le paaye aur arvind ki maa usko auur acchi tarah se sex education deऔर माँ का भी ख्याल रखता है...
“”भाग ५४
चस्का - स्वाद पिछवाड़े का
ननदिया की हालत ख़राब हो रही थी वो चूतड़ पटक रही थी सिहर रही थी लेकिन जैसे ही वो झड़ने के नजदीक आती मैं रुक जाती और मेरी ये बदमाशियां देख के मेरा अरविन्द भैया भी खूब खुश, एक बार फिर से उसने ननदिया की टाँगे अपने कंधे पे सेट की और फिर क्या जबरदस्त धक्के ननद की गाँड़ में मारने शुरू किये, बचपन से वो गाँड़ मारने का रसिया आज एकदम कसी कच्ची कली मिली थी और वो भी अपनी सगी बहन के सामने उसकी ले रहा था था,...
" अरविन्द भइया और जोर से मार स्साली की कल तो चली ही जायेगी, इतने दिन से नौटंकी कर रही थी स्साली,... फाड़ के चीथड़े कर दे इसकी गाँड़ "
और ये कह के गितवा बोली और भैया को चूम लिया बस जैसे किसी ने एक्सीलेरेटर पर पूरी ताकत से पैर रख दिया हो, भैया ने चुम्मी का और जोश से जवाब दिया और दूनी तेजी से फच्चर फच्चर,... ननद की गाँड़ में और देखा देखी गितवा ने एक ऊँगली और ठेली, और चारो ऊँगली उसकी बुर में गोल गोल, अंगूठे से क्लिट और एक हाथ पीछे कर के उसकी बड़ी बड़ी चूँची दबा मसल रही थी, दूसरी चूँची चमेलिया के कब्जे में
और अबकी जब फुलवा की ननद झड़ी तो गितवा रुकी नहीं बल्कि और जोर से,... थोड़ी देर में ही दो बार, तीन बार,... झड़ झड़ के वो थेथर हो गयी थी लेकिन न भैया ने गाँड़ मारने की रफ्तार की न चमेलिया ने उसके मुंह पे अपनी गाँड़ रगड़ने की,...
ननद की कसी गाँड़ में अपने भाई के मोटे मूसल के अंदर बाहर होते देखने का मज़ा ही कुछ और है। लेकिन गितवा के मन में एक और शरारत आयी झुक के भैया के बांस के थोड़े से हिस्से को पकड़ के गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया जैसे कोई मथानी चल रहा हो और उसका असर ननद के पिछवाड़े वही होता जो मथानी चलने का होता है,...
तबतक चमेलिया भी उतर के आ गयी, और वो काम उसने अपने जिम्मे ले लिया और गितवा एक बार फिर से ननद को झाड़ने,... और अब जब वो झड़ी तो फिर झड़ती रही देर तक और साथ में भैया भी ,
चमेलिया गोल गोल घुमाती रही और भैया का खूंटा पकड़ के सीधे फुलवा की ननद के मुंह की ओर
लेकिन फुलवा की ननद कम खिलाडी नहीं थी, वो समझ रही थी चमेलिया का करने वाली है उसकी गाँड़ से निकला सब कुछ उसी के मुंह में,... फिर सब चिढ़ातीं उसको,... कैसा स्वाद लगा,... पूछतीं,... उसने कस के मुँह भींच के बंद कर लिया, लेकिन अपनी भौजाई की फुलवा की गाँव वालियों को उसने कम समझा था, गितवा थी न उसके साथ. वो भी कम जब्बर नहीं थी.
बस गितवा ने झट से पूरी ताकत से एक हाथ से ननद के नथुने भींच लिए और दूसरे हाथ से गाल कस के दबा दिया और लगी गरियाने,
" खोल ससुरी, हमरे भैया के आगे बुर खोलने में लाज नहीं, गाँड़ फैलाने में शरम नहीं और साली तोर सारी बहिन महतारी को अपने भैया से चोदवाउ, .... मुंह खोलने में छिनरपना,... खोल नहीं तो मार मार के,... "
सांस ननद के लिए लेना मुश्किल हो गया था, एक पल के लिए उसने जरा सा होंठ खोला होगा,
बस गीता ने उसके दोनों गालों को इत्ती कस के दबाया की मुंह उसने चियार दिया और चमेलिया तो तैयार बैठी बस फुलवा की ननदिया की गाँड़ से निकला लिथड़ा चुपड़ा सुपाड़ा उसने अंदर ठेल दिया,... और बस एक बार मरद का सुपाड़ा अंदर जाने की देर होती है उसके बाद तो बस, कउनो छेद हो वो बिना पूरा पेले छोड़ता नहीं और अरविंदवा तो पंचायती सांड़, और मुंह भी फुलवा की ननद का जो महीने भर से नौटंकी कर रही थी गाँड़ मरवाने के नाम पर, उसने भी जोर लगा दिया और सुपाड़ा पूरा अंदर,...
फुलवा की ननद ने दूसरी नौटंकी चालू कर दी,... आँख बंद कर ली, .. लेकिन जब तक खुद अपने आँख से न देखे की उसके मुंह में क्या जा रहा है क्या चाट रही है क्या चुपड़ा,...
और अब चमेलिया चालू हो गयी, उसके हाथ तो खाली हो गए थे और गारी देने में उससे आगे खाली उसकी माँ थी पूरे गाँव में,...
पहले तो उसने कस के नन्द के निपल मरोड़ने शुरू किये फिर गरियाना
" अरे छिनार रंडी की जनी. आँख खोल तोहरी गाँड़ का ही तो माल है, अभी मेरे पिछवाड़े का तो अंदर तक जीभ डाल डाल के चाट रही थी चूस थी तो कउनो बात नहीं और अपने बारी में,... खोल स्साली वरना मार मार के तोहार चूँची और चूतड़ दोनों लाल कर दूंगी ,"
गितवा को अब नथुने दबाने में मजा आने लगा था उसने वही काम किया और अब तो मुंह में मोटा मूसल धंसा,
झट से उसने आँखे खोल लीं और अब चमेलिया और गितवा दोनों चिढ़ाने लगी,
" अरे लजा काहे रही हो तोहरे हैं , देख लो कौन रंग हो गया का का,... बस थोड़ी देर में चिकना चुपड़ा कर दो पहले जैसा, चाट चाट के तो फिर निहुरा के, कल भिन्सारे तो जाना ही है ये भी स्वाद ले लो "
और अब अरविन्द भैया भी मूड में आ गया था, कस के फुलवा की ननद का सर पकड़ के उसके मुंह में ठेलते बोला,
" अरे आधे तीहे में का मज़ा, अपने मायके जाके शिकायत करोगी, भौजी के गाँव में कंजूसी कर दिया,... "
बेचारी फुलवा की ननद बोल तो सकती नहीं थी मुंह में ठूंसा हुआ, अब वो भी चूसने चाटने लगी, और कुछ देर में ही अरविन्द फुलवा की ननद का मुंह कस कस के चोद रहा था, वो लेटी हुयी और वो ऊपर से चढ़ा,...
अरविन्द फुलवा की ननद का मुंह हचक हचक कर चोद रहा था उसी मूसल से जो थोड़ी देर पहले ही फुलवा की ननद की गाँड़ में जम के मथानी चला रहा था और अब फुलवा की ननद के पिछवाड़े का, उसी के मुंह में
और जब ननद के साथ ये हो रहा हो तो चिढ़ाने छेड़ने का मौका कौन छोड़ता है और गितवा और चमेलिया दोनों ही फुलवा की ननद के पीछे,
" अरे ननद रानी घबड़ा मत, अभी अपने पिछवाड़े का स्वाद चख रही हो तो थोड़ी देर बाद हम दुनो भी अपने अपने पिछवाड़े क स्वाद अच्छी तरह चखाएंगे, ये नहीं कह पाओगी की भौजी के गांव गए और उनकी छुटकी बहिनिया सब खातिर नहीं की "
चमेलिया चिढ़ाते हुए बोली।
गितवा क्यों पीछे रहती, दो दिन रोपनी में रह के फिर रोपनी वालियों से दोस्ती के बाद गारी देने में अब वो भी नंबरी, और सामने ननद हो तो कोई भी बिना गरियाये कैसे बात करेगा, ननद बुरा न मान जायेगी,...
" अरे ननदो आराम से धीरे धीरे चाट चाट के चूस के अच्छी तरह से स्वाद ले लो। अपने मायके जाओगी महतारी पूछेंगी की तोहरे भौजी क बहिन लोग का का खियाईन कैसा स्वाद था तो कैसे बताओगी, आराम से चाटा भैया निकालेंगे नहीं "
फिर गितवा ने अरविन्द की ओर रुख किया और एक असली सगी छोटी बहन की तरह लगी हड़काने,... "
" भैया दो इंच हमरे ननदिया के मुंह से बाहर काहें रखे हो। एकरी महतारी के भोंसडे के लिए लेकिन वो तो कातिक भर गांव क,... पेला पूरा कस के, अरे बेचारी बड़ी दुखी थी। बोल रही थी हम तो सोच रहे थे तोहार भैया, हमरे भैया क सार रोपनी में ही अगवाड़े पिछवाड़े दोनों की रोपनी करेंगे लेकिन मैं तो पिछवाड़ा कोरा का कोरा लेकर जा रही हूँ का मुंह दिखाउंगी अपने गाँव में जा के,... "
बस यह सुन के अरविन्द अलफ़, पूरी ताकत से उसने धक्का मारा और सुपाड़ा सीधे हलक में जा के लगा , और गितवा चमेलिया यही तो चाह रही थीं, दोनों ने कस के फुलवा की ननद का सर पकड़ लिया और अरविन्द पूरा का पूरा बित्ते से बड़ा खूंटा मुंह में पेले हुए और अब उसकी बारी थी फुलवा की ननद को छेड़ने की,
" बहुत भैया क सार बोल रही थी न जा के बोलना अपने भाई से अब ऊ हमार सार हैं, ओनकर बहिनी को चोदा भी गांड भी मारा,... अब आगे से कभी जाना भौजी के गाँव तो उनके भैया को जीजा कह के बोलना "
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भाग ५४
चस्का - स्वाद पिछवाड़े का
ननदिया की हालत ख़राब हो रही थी वो चूतड़ पटक रही थी सिहर रही थी लेकिन जैसे ही वो झड़ने के नजदीक आती मैं रुक जाती और मेरी ये बदमाशियां देख के मेरा अरविन्द भैया भी खूब खुश, एक बार फिर से उसने ननदिया की टाँगे अपने कंधे पे सेट की और फिर क्या जबरदस्त धक्के ननद की गाँड़ में मारने शुरू किये, बचपन से वो गाँड़ मारने का रसिया आज एकदम कसी कच्ची कली मिली थी और वो भी अपनी सगी बहन के सामने उसकी ले रहा था था,...
" अरविन्द भइया और जोर से मार स्साली की कल तो चली ही जायेगी, इतने दिन से नौटंकी कर रही थी स्साली,... फाड़ के चीथड़े कर दे इसकी गाँड़ "
और ये कह के गितवा बोली और भैया को चूम लिया बस जैसे किसी ने एक्सीलेरेटर पर पूरी ताकत से पैर रख दिया हो, भैया ने चुम्मी का और जोश से जवाब दिया और दूनी तेजी से फच्चर फच्चर,... ननद की गाँड़ में और देखा देखी गितवा ने एक ऊँगली और ठेली, और चारो ऊँगली उसकी बुर में गोल गोल, अंगूठे से क्लिट और एक हाथ पीछे कर के उसकी बड़ी बड़ी चूँची दबा मसल रही थी, दूसरी चूँची चमेलिया के कब्जे में
और अबकी जब फुलवा की ननद झड़ी तो गितवा रुकी नहीं बल्कि और जोर से,... थोड़ी देर में ही दो बार, तीन बार,... झड़ झड़ के वो थेथर हो गयी थी लेकिन न भैया ने गाँड़ मारने की रफ्तार की न चमेलिया ने उसके मुंह पे अपनी गाँड़ रगड़ने की,...
ननद की कसी गाँड़ में अपने भाई के मोटे मूसल के अंदर बाहर होते देखने का मज़ा ही कुछ और है। लेकिन गितवा के मन में एक और शरारत आयी झुक के भैया के बांस के थोड़े से हिस्से को पकड़ के गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया जैसे कोई मथानी चल रहा हो और उसका असर ननद के पिछवाड़े वही होता जो मथानी चलने का होता है,...
तबतक चमेलिया भी उतर के आ गयी, और वो काम उसने अपने जिम्मे ले लिया और गितवा एक बार फिर से ननद को झाड़ने,... और अब जब वो झड़ी तो फिर झड़ती रही देर तक और साथ में भैया भी ,
चमेलिया गोल गोल घुमाती रही और भैया का खूंटा पकड़ के सीधे फुलवा की ननद के मुंह की ओर
लेकिन फुलवा की ननद कम खिलाडी नहीं थी, वो समझ रही थी चमेलिया का करने वाली है उसकी गाँड़ से निकला सब कुछ उसी के मुंह में,... फिर सब चिढ़ातीं उसको,... कैसा स्वाद लगा,... पूछतीं,... उसने कस के मुँह भींच के बंद कर लिया, लेकिन अपनी भौजाई की फुलवा की गाँव वालियों को उसने कम समझा था, गितवा थी न उसके साथ. वो भी कम जब्बर नहीं थी.
बस गितवा ने झट से पूरी ताकत से एक हाथ से ननद के नथुने भींच लिए और दूसरे हाथ से गाल कस के दबा दिया और लगी गरियाने,
" खोल ससुरी, हमरे भैया के आगे बुर खोलने में लाज नहीं, गाँड़ फैलाने में शरम नहीं और साली तोर सारी बहिन महतारी को अपने भैया से चोदवाउ, .... मुंह खोलने में छिनरपना,... खोल नहीं तो मार मार के,... "
सांस ननद के लिए लेना मुश्किल हो गया था, एक पल के लिए उसने जरा सा होंठ खोला होगा,
बस गीता ने उसके दोनों गालों को इत्ती कस के दबाया की मुंह उसने चियार दिया और चमेलिया तो तैयार बैठी बस फुलवा की ननदिया की गाँड़ से निकला लिथड़ा चुपड़ा सुपाड़ा उसने अंदर ठेल दिया,... और बस एक बार मरद का सुपाड़ा अंदर जाने की देर होती है उसके बाद तो बस, कउनो छेद हो वो बिना पूरा पेले छोड़ता नहीं और अरविंदवा तो पंचायती सांड़, और मुंह भी फुलवा की ननद का जो महीने भर से नौटंकी कर रही थी गाँड़ मरवाने के नाम पर, उसने भी जोर लगा दिया और सुपाड़ा पूरा अंदर,...
फुलवा की ननद ने दूसरी नौटंकी चालू कर दी,... आँख बंद कर ली, .. लेकिन जब तक खुद अपने आँख से न देखे की उसके मुंह में क्या जा रहा है क्या चाट रही है क्या चुपड़ा,...
और अब चमेलिया चालू हो गयी, उसके हाथ तो खाली हो गए थे और गारी देने में उससे आगे खाली उसकी माँ थी पूरे गाँव में,...
पहले तो उसने कस के नन्द के निपल मरोड़ने शुरू किये फिर गरियाना
" अरे छिनार रंडी की जनी. आँख खोल तोहरी गाँड़ का ही तो माल है, अभी मेरे पिछवाड़े का तो अंदर तक जीभ डाल डाल के चाट रही थी चूस थी तो कउनो बात नहीं और अपने बारी में,... खोल स्साली वरना मार मार के तोहार चूँची और चूतड़ दोनों लाल कर दूंगी ,"
गितवा को अब नथुने दबाने में मजा आने लगा था उसने वही काम किया और अब तो मुंह में मोटा मूसल धंसा,
झट से उसने आँखे खोल लीं और अब चमेलिया और गितवा दोनों चिढ़ाने लगी,
" अरे लजा काहे रही हो तोहरे हैं , देख लो कौन रंग हो गया का का,... बस थोड़ी देर में चिकना चुपड़ा कर दो पहले जैसा, चाट चाट के तो फिर निहुरा के, कल भिन्सारे तो जाना ही है ये भी स्वाद ले लो "
और अब अरविन्द भैया भी मूड में आ गया था, कस के फुलवा की ननद का सर पकड़ के उसके मुंह में ठेलते बोला,
" अरे आधे तीहे में का मज़ा, अपने मायके जाके शिकायत करोगी, भौजी के गाँव में कंजूसी कर दिया,... "
बेचारी फुलवा की ननद बोल तो सकती नहीं थी मुंह में ठूंसा हुआ, अब वो भी चूसने चाटने लगी, और कुछ देर में ही अरविन्द फुलवा की ननद का मुंह कस कस के चोद रहा था, वो लेटी हुयी और वो ऊपर से चढ़ा,...
अरविन्द फुलवा की ननद का मुंह हचक हचक कर चोद रहा था उसी मूसल से जो थोड़ी देर पहले ही फुलवा की ननद की गाँड़ में जम के मथानी चला रहा था और अब फुलवा की ननद के पिछवाड़े का, उसी के मुंह में
और जब ननद के साथ ये हो रहा हो तो चिढ़ाने छेड़ने का मौका कौन छोड़ता है और गितवा और चमेलिया दोनों ही फुलवा की ननद के पीछे,
" अरे ननद रानी घबड़ा मत, अभी अपने पिछवाड़े का स्वाद चख रही हो तो थोड़ी देर बाद हम दुनो भी अपने अपने पिछवाड़े क स्वाद अच्छी तरह चखाएंगे, ये नहीं कह पाओगी की भौजी के गांव गए और उनकी छुटकी बहिनिया सब खातिर नहीं की "
चमेलिया चिढ़ाते हुए बोली।
गितवा क्यों पीछे रहती, दो दिन रोपनी में रह के फिर रोपनी वालियों से दोस्ती के बाद गारी देने में अब वो भी नंबरी, और सामने ननद हो तो कोई भी बिना गरियाये कैसे बात करेगा, ननद बुरा न मान जायेगी,...
" अरे ननदो आराम से धीरे धीरे चाट चाट के चूस के अच्छी तरह से स्वाद ले लो। अपने मायके जाओगी महतारी पूछेंगी की तोहरे भौजी क बहिन लोग का का खियाईन कैसा स्वाद था तो कैसे बताओगी, आराम से चाटा भैया निकालेंगे नहीं "
फिर गितवा ने अरविन्द की ओर रुख किया और एक असली सगी छोटी बहन की तरह लगी हड़काने,... "
" भैया दो इंच हमरे ननदिया के मुंह से बाहर काहें रखे हो। एकरी महतारी के भोंसडे के लिए लेकिन वो तो कातिक भर गांव क,... पेला पूरा कस के, अरे बेचारी बड़ी दुखी थी। बोल रही थी हम तो सोच रहे थे तोहार भैया, हमरे भैया क सार रोपनी में ही अगवाड़े पिछवाड़े दोनों की रोपनी करेंगे लेकिन मैं तो पिछवाड़ा कोरा का कोरा लेकर जा रही हूँ का मुंह दिखाउंगी अपने गाँव में जा के,... "
बस यह सुन के अरविन्द अलफ़, पूरी ताकत से उसने धक्का मारा और सुपाड़ा सीधे हलक में जा के लगा , और गितवा चमेलिया यही तो चाह रही थीं, दोनों ने कस के फुलवा की ननद का सर पकड़ लिया और अरविन्द पूरा का पूरा बित्ते से बड़ा खूंटा मुंह में पेले हुए और अब उसकी बारी थी फुलवा की ननद को छेड़ने की,
" बहुत भैया क सार बोल रही थी न जा के बोलना अपने भाई से अब ऊ हमार सार हैं, ओनकर बहिनी को चोदा भी गांड भी मारा,... अब आगे से कभी जाना भौजी के गाँव तो उनके भैया को जीजा कह के बोलना "
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चस्का - स्वाद पिछवाड़े का
ननदिया की हालत ख़राब हो रही थी वो चूतड़ पटक रही थी सिहर रही थी लेकिन जैसे ही वो झड़ने के नजदीक आती मैं रुक जाती और मेरी ये बदमाशियां देख के मेरा अरविन्द भैया भी खूब खुश, एक बार फिर से उसने ननदिया की टाँगे अपने कंधे पे सेट की और फिर क्या जबरदस्त धक्के ननद की गाँड़ में मारने शुरू किये, बचपन से वो गाँड़ मारने का रसिया आज एकदम कसी कच्ची कली मिली थी और वो भी अपनी सगी बहन के सामने उसकी ले रहा था था,...
" अरविन्द भइया और जोर से मार स्साली की कल तो चली ही जायेगी, इतने दिन से नौटंकी कर रही थी स्साली,... फाड़ के चीथड़े कर दे इसकी गाँड़ "
और ये कह के गितवा बोली और भैया को चूम लिया बस जैसे किसी ने एक्सीलेरेटर पर पूरी ताकत से पैर रख दिया हो, भैया ने चुम्मी का और जोश से जवाब दिया और दूनी तेजी से फच्चर फच्चर,... ननद की गाँड़ में और देखा देखी गितवा ने एक ऊँगली और ठेली, और चारो ऊँगली उसकी बुर में गोल गोल, अंगूठे से क्लिट और एक हाथ पीछे कर के उसकी बड़ी बड़ी चूँची दबा मसल रही थी, दूसरी चूँची चमेलिया के कब्जे में
और अबकी जब फुलवा की ननद झड़ी तो गितवा रुकी नहीं बल्कि और जोर से,... थोड़ी देर में ही दो बार, तीन बार,... झड़ झड़ के वो थेथर हो गयी थी लेकिन न भैया ने गाँड़ मारने की रफ्तार की न चमेलिया ने उसके मुंह पे अपनी गाँड़ रगड़ने की,...
ननद की कसी गाँड़ में अपने भाई के मोटे मूसल के अंदर बाहर होते देखने का मज़ा ही कुछ और है। लेकिन गितवा के मन में एक और शरारत आयी झुक के भैया के बांस के थोड़े से हिस्से को पकड़ के गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया जैसे कोई मथानी चल रहा हो और उसका असर ननद के पिछवाड़े वही होता जो मथानी चलने का होता है,...
तबतक चमेलिया भी उतर के आ गयी, और वो काम उसने अपने जिम्मे ले लिया और गितवा एक बार फिर से ननद को झाड़ने,... और अब जब वो झड़ी तो फिर झड़ती रही देर तक और साथ में भैया भी ,
चमेलिया गोल गोल घुमाती रही और भैया का खूंटा पकड़ के सीधे फुलवा की ननद के मुंह की ओर
लेकिन फुलवा की ननद कम खिलाडी नहीं थी, वो समझ रही थी चमेलिया का करने वाली है उसकी गाँड़ से निकला सब कुछ उसी के मुंह में,... फिर सब चिढ़ातीं उसको,... कैसा स्वाद लगा,... पूछतीं,... उसने कस के मुँह भींच के बंद कर लिया, लेकिन अपनी भौजाई की फुलवा की गाँव वालियों को उसने कम समझा था, गितवा थी न उसके साथ. वो भी कम जब्बर नहीं थी.
बस गितवा ने झट से पूरी ताकत से एक हाथ से ननद के नथुने भींच लिए और दूसरे हाथ से गाल कस के दबा दिया और लगी गरियाने,
" खोल ससुरी, हमरे भैया के आगे बुर खोलने में लाज नहीं, गाँड़ फैलाने में शरम नहीं और साली तोर सारी बहिन महतारी को अपने भैया से चोदवाउ, .... मुंह खोलने में छिनरपना,... खोल नहीं तो मार मार के,... "
सांस ननद के लिए लेना मुश्किल हो गया था, एक पल के लिए उसने जरा सा होंठ खोला होगा,
बस गीता ने उसके दोनों गालों को इत्ती कस के दबाया की मुंह उसने चियार दिया और चमेलिया तो तैयार बैठी बस फुलवा की ननदिया की गाँड़ से निकला लिथड़ा चुपड़ा सुपाड़ा उसने अंदर ठेल दिया,... और बस एक बार मरद का सुपाड़ा अंदर जाने की देर होती है उसके बाद तो बस, कउनो छेद हो वो बिना पूरा पेले छोड़ता नहीं और अरविंदवा तो पंचायती सांड़, और मुंह भी फुलवा की ननद का जो महीने भर से नौटंकी कर रही थी गाँड़ मरवाने के नाम पर, उसने भी जोर लगा दिया और सुपाड़ा पूरा अंदर,...
फुलवा की ननद ने दूसरी नौटंकी चालू कर दी,... आँख बंद कर ली, .. लेकिन जब तक खुद अपने आँख से न देखे की उसके मुंह में क्या जा रहा है क्या चाट रही है क्या चुपड़ा,...
और अब चमेलिया चालू हो गयी, उसके हाथ तो खाली हो गए थे और गारी देने में उससे आगे खाली उसकी माँ थी पूरे गाँव में,...
पहले तो उसने कस के नन्द के निपल मरोड़ने शुरू किये फिर गरियाना
" अरे छिनार रंडी की जनी. आँख खोल तोहरी गाँड़ का ही तो माल है, अभी मेरे पिछवाड़े का तो अंदर तक जीभ डाल डाल के चाट रही थी चूस थी तो कउनो बात नहीं और अपने बारी में,... खोल स्साली वरना मार मार के तोहार चूँची और चूतड़ दोनों लाल कर दूंगी ,"
गितवा को अब नथुने दबाने में मजा आने लगा था उसने वही काम किया और अब तो मुंह में मोटा मूसल धंसा,
झट से उसने आँखे खोल लीं और अब चमेलिया और गितवा दोनों चिढ़ाने लगी,
" अरे लजा काहे रही हो तोहरे हैं , देख लो कौन रंग हो गया का का,... बस थोड़ी देर में चिकना चुपड़ा कर दो पहले जैसा, चाट चाट के तो फिर निहुरा के, कल भिन्सारे तो जाना ही है ये भी स्वाद ले लो "
और अब अरविन्द भैया भी मूड में आ गया था, कस के फुलवा की ननद का सर पकड़ के उसके मुंह में ठेलते बोला,
" अरे आधे तीहे में का मज़ा, अपने मायके जाके शिकायत करोगी, भौजी के गाँव में कंजूसी कर दिया,... "
बेचारी फुलवा की ननद बोल तो सकती नहीं थी मुंह में ठूंसा हुआ, अब वो भी चूसने चाटने लगी, और कुछ देर में ही अरविन्द फुलवा की ननद का मुंह कस कस के चोद रहा था, वो लेटी हुयी और वो ऊपर से चढ़ा,...
अरविन्द फुलवा की ननद का मुंह हचक हचक कर चोद रहा था उसी मूसल से जो थोड़ी देर पहले ही फुलवा की ननद की गाँड़ में जम के मथानी चला रहा था और अब फुलवा की ननद के पिछवाड़े का, उसी के मुंह में
और जब ननद के साथ ये हो रहा हो तो चिढ़ाने छेड़ने का मौका कौन छोड़ता है और गितवा और चमेलिया दोनों ही फुलवा की ननद के पीछे,
" अरे ननद रानी घबड़ा मत, अभी अपने पिछवाड़े का स्वाद चख रही हो तो थोड़ी देर बाद हम दुनो भी अपने अपने पिछवाड़े क स्वाद अच्छी तरह चखाएंगे, ये नहीं कह पाओगी की भौजी के गांव गए और उनकी छुटकी बहिनिया सब खातिर नहीं की "
चमेलिया चिढ़ाते हुए बोली।
गितवा क्यों पीछे रहती, दो दिन रोपनी में रह के फिर रोपनी वालियों से दोस्ती के बाद गारी देने में अब वो भी नंबरी, और सामने ननद हो तो कोई भी बिना गरियाये कैसे बात करेगा, ननद बुरा न मान जायेगी,...
" अरे ननदो आराम से धीरे धीरे चाट चाट के चूस के अच्छी तरह से स्वाद ले लो। अपने मायके जाओगी महतारी पूछेंगी की तोहरे भौजी क बहिन लोग का का खियाईन कैसा स्वाद था तो कैसे बताओगी, आराम से चाटा भैया निकालेंगे नहीं "
फिर गितवा ने अरविन्द की ओर रुख किया और एक असली सगी छोटी बहन की तरह लगी हड़काने,... "
" भैया दो इंच हमरे ननदिया के मुंह से बाहर काहें रखे हो। एकरी महतारी के भोंसडे के लिए लेकिन वो तो कातिक भर गांव क,... पेला पूरा कस के, अरे बेचारी बड़ी दुखी थी। बोल रही थी हम तो सोच रहे थे तोहार भैया, हमरे भैया क सार रोपनी में ही अगवाड़े पिछवाड़े दोनों की रोपनी करेंगे लेकिन मैं तो पिछवाड़ा कोरा का कोरा लेकर जा रही हूँ का मुंह दिखाउंगी अपने गाँव में जा के,... "
बस यह सुन के अरविन्द अलफ़, पूरी ताकत से उसने धक्का मारा और सुपाड़ा सीधे हलक में जा के लगा , और गितवा चमेलिया यही तो चाह रही थीं, दोनों ने कस के फुलवा की ननद का सर पकड़ लिया और अरविन्द पूरा का पूरा बित्ते से बड़ा खूंटा मुंह में पेले हुए और अब उसकी बारी थी फुलवा की ननद को छेड़ने की,
" बहुत भैया क सार बोल रही थी न जा के बोलना अपने भाई से अब ऊ हमार सार हैं, ओनकर बहिनी को चोदा भी गांड भी मारा,... अब आगे से कभी जाना भौजी के गाँव तो उनके भैया को जीजा कह के बोलना "
8,86,500
स्वाद पिछवाड़े का -फुलवा की ननद
फिर गितवा ने अरविन्द की ओर रुख किया और एक असली सगी छोटी बहन की तरह लगी हड़काने,... "
" भैया दो इंच हमरे ननदिया के मुंह से बाहर काहें रखे हो। एकरी महतारी के भोंसडे के लिए लेकिन वो तो कातिक भर गांव क,... पेला पूरा कस के, अरे बेचारी बड़ी दुखी थी। बोल रही थी हम तो सोच रहे थे तोहार भैया, हमरे भैया क सार रोपनी में ही अगवाड़े पिछवाड़े दोनों की रोपनी करेंगे लेकिन मैं तो पिछवाड़ा कोरा का कोरा लेकर जा रही हूँ का मुंह दिखाउंगी अपने गाँव में जा के,... "
बस यह सुन के अरविन्द अलफ़, पूरी ताकत से उसने धक्का मारा और सुपाड़ा सीधे हलक में जा के लगा , और गितवा चमेलिया यही तो चाह रही थीं, दोनों ने कस के फुलवा की ननद का सर पकड़ लिया और अरविन्द पूरा का पूरा बित्ते से बड़ा खूंटा मुंह में पेले हुए और अब उसकी बारी थी फुलवा की ननद को छेड़ने की,
" बहुत भैया क सार बोल रही थी न जा के बोलना अपने भाई से अब ऊ हमार सार हैं, ओनकर बहिनी को चोदा भी गांड भी मारा,... अब आगे से कभी जाना भौजी के गाँव तो उनके भैया को जीजा कह के बोलना "
फुलवा की ननद की हालत खराब थी, कलाई इतना मोटा जड़ तक, हलक तक घुसा था. आँखे उबली पड़ रही थीं चेहरा लाल, सांस जैसे अटकी, वो तो चमेलिया और गितवा कस के उसका सर दबोचे थीं वरना वो झटका मार के,
और अरविन्द पूरा मुंह में ठेले , बोल रहा था,
" अरे हम तो कब का तोहार गाँड़ मार लेते तुंही स्साली नौटंकी, छुआते चिल्लाती थी बहुत दर्द हो रहा था जान निकल गयी छोड़ दा तोहें फुलवा भौजी क कसम "
और कौन छोटी बहन छोड़ती है मौका, बस गनीमत थी, उसने अरविन्द के कान का पान नहीं बनाया, हड़काते हुए बोली,
" भैया, तभी तुमको गाँव भर की लड़कियां बुद्धू समझती हैं,... अरे गौने क दुल्हिन, महतारी बाप इतनी मुश्किल से दान दहेज़ दे के भेजते हैं, चलते समय भेंटतें हुए महतारी गले लग के समझाती है, बेटी ढीली रखना कम दर्द होगा, और टांग खुद ही फैला देना, जेठानी कडुवा तेल लगा के भेजती है देवरानी को पहले से,...
और वो भी घूँघट पलटने से पहले इन्तजार करती है की लहंगा कब पलटेगा,
लेकिन हजार नखड़ा साली पेलती है, आज नहीं, लाज लगती है , थक गयी हूँ सोने दो,... तो ये ससुरी भी तो ससुरारी आयी थी, अपने भैया के ही सही तो गौने क दुल्हिन टाइप,... लेकिन कौन दूल्हा छोड़ता है गौने की रात,... बिना पेले,... चलो आज सूद समेत गाँड़ मारना, रोज तुम्हे भैया क सार यही मुँह से बुलाती थी न तो पहले मुंह क हाल चाल लो,.. चोद छिनार क "
गीता का इतना कहना काफी था,... अरविन्द ने हलक से थोड़ा सा पीछे खींचा, सिर्फ सुपाड़ा अंदर था और क्या धक्का मारा जैसा धक्का उसने फुलवा की ननद की चूत फाड़ते समय मारा था रोपनी में गन्ने के खेत में,...
फुलवा की ननद की हालत खराब थी, मुंह गाल गला सब दर्द कर रहा था, लेकिन अरविन्द जबरदस्त मुंह चुदाई कर रहा था पर गितवा से नहीं रहा गया उसने अरविन्द को इशारा किया और उसने खूंटा बाहर निकाल लिया,
लेकिन चमेलिया,... बोली
" हे दीदी की ननद, खूंटा बहुत चूस ली अब चला दुनो रसगुल्ला चूसा , अरे जो मलाई तोहरे गाँड़ि में गयी कटोरी भर यहीं बनती है और उसका सर पकड़ के
फुलवा की ननद अरविन्द के बॉल्स चूस रही थी।
पंद्रह बीस मिनट तक लगातार मुंह चुदाई से फुलवा की ननद की हालत खराब लेकिन उससे ज्यादा हालत खराब थी गितवा के भाई के मूसल की,
चूस चूस के चाट चाट के फुलवा की ननद ने उसे एकदम पागल कर दिया था, और अब की जैसे ही चमेलिया और गितवा ने हाथ पकड़ के उसे खड़ा किया, वो खुद ही आम के उस पेड़ के नीचे निहुर गयी, जहाँ पहली बार गितवा की उसके भाई अरविन्द ने खड़े खड़े ली थी,...
और कोई जवान होती लड़की निहुरि हो तो कौन मरद छोड़ देगा।
और अरविंदवा तो और,....
बस पीछे से चाप दिया उसने, लेकिन पिछवाड़े नहीं अगवाड़े, फुलवा की ननद की बुरिया में, ले धक्के पे धक्का, बुर चोदाई शुरू कर दी,...
फुलवा की ननद सोच रही थीं एक बार फिर कहीं गाँड़ न मारी जाए , उसने राहत की सांस ली, दर्जनो बार तो अरविंदवा से चुदवा चुकी थी, पेलवाया तो उसने भौजी के गाँव में आस पास के पुरवा में ना जाने कितनों से उसने मरवाया होगा लेकिन जो बात गितवा के खसम से पेलवा के,...
फुलवा की ननद खुद ही आगे पीछे धक्के लगा के, और भौजी के मायके वाला हो या मायके वाली गरियाई न जाय तो बहुत नाइंसाफी होगी और अब पिछवाड़े का दर्द कुछ कम भी हो रहा था,... वो अरविन्द से बोली,
" हे गितवा क भतार अपनी बहिन को चोद चोद के ये गुन ढंग सीखे हो की तोहार महतारी चुदवा चुदवा के सिखाई हैं "
जवाब में अरविन्द ने उसकी दोनों छोटी छोटी चूँचियाँ कस के पकड़ के वो धक्का लगाया की सीधे बच्चेदानी की जड़ तक जा के लगा, और बोला,...
" अगली बार फुलवा क सास को लेके आना अपनी महतारी को, तोहरे सामने चोद के गाभिन कर देब, नौ महीने बाद तोहरे छोट बहिन बियायेंगी"
और फिर एक के बाद एक धक्के, ... लेकिन तबतक चमेलिया भी खड़ी हो गयी और अरविन्द के पीछे जा के कभी अपने गदराये जोबन अरविन्द के पीठ में रगड़ती, कभी जीभ से उसके कानों में सुरसुरी करती, तो कभी खूंटे के बेस के ऊँगली से सहलाती,...
अरविन्द की मस्ती से हालत खराब को एक को चोद रहा था दूसरी पीछे खड़ी मस्ता रही थी और गीता उसकी सगी छोटी बहन खूब खुश, अपने भैया की आँखों में आँखे मिला के मुस्करा रही थी,
लेकिन असली खेल कुछ और था चमेलिया ने इसी बीच फुलवा की ननद का ब्लाउज उठा के अपनी दो उँगलियों में लपेटा,
अरविन्द पूरा लंड ननद की बुरिया में ठोंक के रुक गया था और चमेलिया की ओर देख रहा था,... चमेलिया ने एक झटके में ब्लाउज में लपेटी अपनी दो उंगलिया ननद की गाँड़ में एक धक्के में पेल दी, क्या स्साला कोई मर्द पेलेगा, पूरी जड़ तक और गोल गोल घुमाने लगी, कभी चम्मच की तरह नकल मोड़ के गांड की अंदरूनी दीवालों में करोच करोच के, खुरच खुरच के,..
और कोई समझे न समझे, गितवा समझ गयी थी और खिलखिला रही थी ,
ननद रानी के पिछवाड़े जो उसकी भैया की थोड़ी बहुत मलाई बची थी वही चमेलिया साफ़ कर रही थी जिससे अरविन्द का लंड सूखी सूखी गाँड़ में दरेरता रगड़ता जाए और पहली बार नहीं तो भी काफी दर्द हो, ...
गितवा ने अरविन्द के कानों में कुछ कहा, जैसे ही चमेलिया ने अपनी दोनों ऊँगली बाहर निकाली, बस गितवा ने ननद रानी की बुरिया में घुसे अपने भैया के लंड को बाहर निकाल के सीधे ननद की गाँड़ के अंदर और जब तक वो समझे
गप्पाक, ...सुपाड़ा पहले ही धक्के में अंदर
“”अमराई में मस्ती
अबकी एक बार फिर गीता फुलवा की ननद से अपनी बुर चटवा रही थी उसके ऊपर चढ़ी
और उसने इशारे से अरविन्द को बुलाया,... आधे घंटे से ये सब खेल तमाशा देख के उसकी हालत ख़राब
और गप्प से अरविन्द का लंड उसकी सगी छोटी बहन ने गप्प कर लिया.
------गितवा ने कितनी बार भैया का गन्ना चूसा होगा और अब तो खुले में भी, लेकिन अपनी दो दो सहेलियों के सामने, दिन दहाड़े अमराई में चूसने का मज़ा वो पहली बार ले रही थी लेकिन उसका उसे कोई फर्क नहीं पड़ा बस वो मस्ती से अपनी बूर फुलवा की ननद के मुंह पे कस के रगड़ते अपने सगे भाई का लंड कस कस के चूसने में मगन थी, ...
" हे अकेले अकेले " चमेलिया ने चिढ़ाया, और जैसे कोई सहेली लॉलीपॉप चूसते हुए सहेली की ओर बढ़ा देती है गितवा ने भी चमेलिया की ओर, थोड़ी देर दोनों बारी बारी से फिर तो साथ साथ, सुपाड़ा चमेलिया के मुंह में तो साइड से गितवा चाट रही है।
चूस चूस के जब गितवा को फुलवा की ननद ने झाड़ दिया तभी गितवा उसके ऊपर से उठी। गितवा और चमेलिया दोनों चार चार बार झड़ चुकी थी लेकिन फुलवा की ननद को एक बार भी नहीं झड़ने दिया दोनों सहेलियों ने
फुलवा की ननद बोली भी,... कमीनियों एक बार तो मुझे झाड़ दिया होता पागल हो रही है मेरी चुनमुनिया,... तो हंस के गितवा ने चिढ़ाया,
" अरे तो हमरे अरविन्द भैया का लंड भी पागल हो रहा है तेरी गाँड़ के लिया मरवाय लो,... "
और अबकी खड़े खड़े, चमेलिया और गितवा दोनों ने पकड़ के फुलवा की ननद को आम के पेड़ से सटा के,,
चल पकड़ ले पेड़, गितवा बोली, एकदम वैसे ही जैसे उसके भैया ने इसी पेड़ के सहारे उसे पहली बार पेला था. फरक ये था की गितवा ने अपने अरविन्द भैया का खूंटा पकड़ के फुलवा की ननद के पिछवाड़े वाले छेद पे सेट किया, ... और क्या ताकत थी क्या धक्का मारा भैया ने की फुलवा की ननद की चीख पहले धक्के में ही गूँज उठी पूरी अमराई में
ओह्ह्ह उईईई नहीं फट गयी ,... वो रो रही थी
" स्साली नौटंकी, फट तो तेरी उस दिन रोपनी में ही गयी थी, भौजी के गाँव आयी थी तो क्या कोरी ले के आयी थी कोरी ले के जाती अरे तेरी फुलवा भौजी का गाँव है और दो बार गाँड़ भी मरवा चुकी है अभी भी रो रही है "
चमेलिया ने चिढ़ाया, ...
लेकिन बात असल ये थी की अबकी अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों साथ साथ रगड़ा जा रहा था पिछवाड़े तो मोटे लंड का धक्का खा रही थी लेकिन वो बात नहीं छेद बने इसी काम के लिए होते हैं, इसी के लिए तड़पते तरसते हैं लेकिन उसकी दोनों चूँचियाँ भी आम के पेड़ की छाल से हर धक्के से रगड़ खा रही थी,
पर चमेलिया चाहती भी यही थी, फुलवा की ननद के देह पे यहाँ से जाने के हफ्ते दस दिन तक निशान रहे और उसके सारे गाँव वालों को मालूम हो जाये, ... खूब चिपका के रगड़ के पूरी ताकत से अरविंद धक्क्के पर धक्के मार रहा था, तीनों लड़कियों की शरारत खास तौर से उसकी सगी छोटी बहन गीता की मस्ती देख के उसकी भी हालत खराब हो रही थी,
दस पंद्रह मिनट ऐसे ही गाँड़ मारने के बाद, ... वहीँ आम की बाग़ में जमीन पे लिटा के पेट के बल, पीछे से उसके ऊपर चढ़ के रगड़ रगड़ के अरविन्द
और गितवा चमेलिया फुलवा की ननद को चिढ़ा रही थीं, उससे उसके माई को बाप को भाई को बहन को खूब गन्दी गन्दी गाली एक से एक दिलवाई दसो बार
,... और तब जाके अरविन्द को बोला और उसने पलट के फुलवा की ननद को करवट कर के,...
और जैसे नाउन शादी में गाँठ जोड़ती है, गितवा ने अपने सगे भाई का खूंटा पकड़ के फुलवा की ननद के पिछवाड़े सटाया और अरविन्द ने जो धक्का मारा की मूसल अंदर।
तीसरी बार अरविन्द ऐसे साइड से फुलवा की ननद के पिछवाड़े झड़ा।