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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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कैसे सरसराते गन्ने के खेतों के बीच में हाथ पकड़ के खींच के ले गया,इतने ऊँचे गन्ने की दो हाथ दूर भी कोई हो पता न चले की कोई लड़की चोदी जा रही है, नीचे मिट्टी, ऊपर आसमान, ... चूतड़ से रगड़ रगड़ के मिटटी का ढेला चूर चूर हो जाता है,...

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Waaah kya explanation diya 🫡
ऐसा वर्णन कहीं और नहीं मिलता... बस कोमल रानी की कृपा है...
 

motaalund

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माँ ने ही भेजा उसे,... गन्ने के खेत में और दस बार निहोरा भी किया, जल्दी कोई नहीं है लौटने की, आज बहुत दिन बाद थोड़ी धूप निकली है,... दो ढाई घंटे के बाद ही आना, थोड़ा घूम टहल के,...

तेरा भाई पागल है, उसे खाना देकर लौट आएगी तो वो काम के चक्कर में खाना भूल जाएगा और शाम को बर्तन लाना भी,... तो तू उसे अपने सामने, अपने हाथ से खिलाना,... और जब खा ले तो उसके बाद ही,... वैसे भी ढाई घंटे तक तो मैं भी नहीं हूँ।
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Geetwa ki maa kafi garam hai 😉😉
गीतवा की माँ को अपने भाई के साथ बिताए दिन याद आ गए होंगे...
तभी बेटी को भी .. और जो कुछ कमी रह गई होगी... वो भी सिखा पढ़ा के..
 

motaalund

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रोज ही तो अपनी बहना की चूँचियों को रगड़ता मसलता था, चूसता था, काटता था, फिर भी जब भी उन्हें चोली में बंद देखता था उसका हाथ खुजलाने लगता था,...


गन्ने के खेतवा में घुसते खुदे मन करता है नाड़ा खोल दें,


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Mast 👌👌👌
माहौल हीं ऐसा होता है...
कि नाड़ा के साथ-साथ सबकुछ खुलने लगता है...
 

motaalund

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ढेरो किस्से जो गीता ने सुने थे अपनी सहेलियों से सब याद आ रहे थे, सोच सोच के उसकी बुर पनिया रही थी, बस,यही मन कर रहा था आज उसका भाई अरविन्द इसी खेत में उसे पटक कर चोद दे तो कल वो भी अपनी सहेलियों को किस्से सुनाएगी,...



🔥🔥
हाँ.. सहेलियों के किस्से सुन सुन के मन तो उसका भी ललच रहा होगा...
 

motaalund

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और सौ डेढ़ सौ कदम अंदर घुसने के बाद, एक जगह दिखी जहाँ से लगता है २०-२५ गन्ने किसी ने तोड़ लिए हों,... थोड़ी सी खुली जगह, ... वहां पर गन्ने की सूखी पत्तियां, और मिट्टी,... अरविन्द कुछ सोचता, गीता ने झट पेटीकोट में खोंसी अपनी साड़ी खींच के उतार दी और वहीँ मिट्टी पे बिछाती हुयी बोली,

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Saree khol ke khud geetwa ne mood bana diya arvind ka 😂😉
मूड तो दोनों का...
लेकिन बीच में थोड़ी सी जगह रोपनी के समय हीं जान-बूझ के छोड़ी जाती थी...
 

motaalund

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" अपने हाथ से खिला रही हूँ , इसलिए की तुम पहले तो अपना हाथ गन्दा करोगे, फिर उसी हाथ से जगह जगह छुओगे " और उन्ही साफ़ हाथों से उसका भइआ अरविन्द अपनी बहन पे हाथ साफ़ कर रहा था.

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Bahut garam 🔥🔥🔥🔥🔥🔥
ये गीता अपनी साफ सफाई के लिए कर रही थी... आखिर बिना मिसवाए.. रगड़वाए.. मसलवाए... मजा जो नहीं आता...
 

motaalund

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और अब भैया से नहीं रहा गया, इस गन्ने के खेत में उसने कितनी कुंवारियों की झिल्ली फाड़ी थी, हर दूसरे तीसरे किसी न की किसी को अपना मोटा गन्ना खिलाता था, लेकिन उससे अब रहा नहीं जा रहा था , पहली बार उसकी सगी बहन उसके नीचे,...

गप्प से उसने पहले एक ऊँगली बहन की बुर में पेल दी,... बुर एकदम मस्ती से लसलसा रही थी,... वो समझ गया जमीन जुताई के लिए तैयार है, इतनी नमी आ गयी है इसमें

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Bahut garam kya likha hai aapne komaalrani ji maza hi aa gaya
जो गन्ने का रस सबको नीचे के मुँह से..
अब वही रस बहिनिया भी.. गन्ने के खेत में मोटे गन्ने का गाढ़ा रस...
 

motaalund

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गीता ने खुद ही अपनी गोरी गोरी लम्बी लम्बी टाँगे उठा के अपने भैया के कंधे पर रख दी, अपनी केले के तने की तरह की चिकनी, मांसल जाँघे फैला दी,

ये कंधे पे पैर चढ़ा के .. साथ में चूमते हुए .. चोदने का मजा.. कई गुना बढ़ जाता है...
 
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motaalund

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वैसे गन्ने के खेत में लड़कियों, औरतों की चीख आम बात थी, बगल के खेत में काम करनेवालियां मुस्कराने लगती, अगल बगल देखतीं कौन इस समय नहीं नजर आ रही है,... और जब थोड़ी देर बाद वो लड़की टांग छितराये कहरती, चिलखती बाहर निकलती तो हंसी और चिढ़ाना शुरू हो जाता, मजा आया गन्ना खाने में, खाली घोंटी हो की चुसवाया भी गन्ना



🔥🔥🔥🔥🔥
यही डायलॉग्स तो आग लगा देती है....
 

motaalund

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दस बीस धक्के और अबकी जो सुपाड़े तक निकाल के अरविन्द ने पेला पूरी ताकत से तो लंड पूरा अंदर और सुपाड़े ने बहन की बच्चेदानी पे वो जबरदस्त ठोकर मारी की गीता की देह तूफ़ान में पत्ते की तरह कांपने लगी, वो गहरी गहरी साँसे ले रही थी, ... जोबन दोनों पथरा गए थे,

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Bahut kamuk 🔥🔥🔥
जोबन तो पथरा गए...
लेकिन लंड भी स्टील रॉड....
 
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