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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९८

अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, मजे ले, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
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veerpal

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veerpal


Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में​

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komaalrani

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छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

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यह कहानी सीक्वेल है, मेरी एक छोटी सी लेकिन खूब मज़ेदार और गरमागरम होली की कहानी, मज़ा पहली होली का ससुराल में, जी अभी उसकी लिंक भी दूंगी , उसके पहले पेज को रिपोस्ट भी करुँगी, लेकिन उसके पहले इस कहानी की हलकी सी रूपरेखा, जिस कहानी से जुडी है ये कहानी दो चार लाइनें उसके बारे में,

तो इस कहानी में, जुड़ाव बनाये रखने के लिए, पहली कहानी के दो चार प्रसंग, जिनसे छुटकी का और इस कहानी के जुड़े चरित्रों का जुड़ाव है वो पूर्वाभास के तौर पर दूंगी, जिससे छुटकी और उसके जीजा की होली, कैसे और क्यों आयी छुटकी अपनी दीदी के गाँव में , वो सब कुछ कुछ साफ़ हो जाए,

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हालांकि मैं तो चाहूंगी की इस होली में आप मूल कहानी को भी एक बार पढ़ लें, अगर पढ़ी हो तो भी तो थोड़ी फगुनाहट, होली का सुरूर चढ़ जाएगा, लेकिन चलिए मैं दो चार बातें उस कहानी के बारे में भी बात देती हूँ, जिस का यह सीक्वेल है.

मज़ा पहली होली का ससुराल में, शादी के बाद की मेरी पहली होली की कहानी है , इनकी भी। मेरी ससुराल में ननदों , ननदोई, देवरों और सास के साथ कैसी पहली होली हुयी और इनकी अपनी ससुराल में सालियों, सलहज, और सास के साथ कैसी होली पड़ी दोनों ही. चलिए पहले पात्र परिचय करा दूँ, फिर आगे की बात , तो ससुराल में मेरे ये है और इनकी दो बहनें , एक शादी शुदा जो होली में नन्दोई जी के साथ अपने मायके आयी थीं, मेरी ही समौरिया, और दूसरी छोटी ननद , जो मेरी छोटी बहन, छुटकी जैसी ही. देवर कोई नहीं है, लेकिन होली में तो सारा गाँव नयी भौजाई के लिए देवर हो जाता है, और मेरी जेठानी और सास। मायके में मेरी माँ, और दो छोटी बहने, मंझली जो बोर्ड का इम्तहान दे रही थी और छुटकी, उससे छोटी।

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तो पहले दिन की होली मैंने अपनी ससुराल में मनाई और उसी शाम को ट्रेन से हम लोग इनकी ससुराल को चल दिए, और अगली सुबह वहां मेरी दोनों छोटी बहने इनसे होली खेलने के लिया एकदम बौराई थीं, और मेरी सगी तो नहीं लेकिन सगी से बढ़कर, भाभी, इनकी सलहज भी अपने नन्दोई का साथ दे रही थी। तो ससुराल में पहले दिन ही इन्होने अपनी मंझली साली का नेवान कर दिया, रात में सास के साथ सफ़ेद पिचकारी वाली होली खेली, और अगले दिन छुटकी की दो सहेलियां आयी थीं, उन दोनों के साथ, ... छुटकी बहुत घबड़ा रही थी, लेकिन उसकी भाभी,... अपने नन्दोई के साथ मिलकर तो होली में किस साली की बचती है, अगर ननदोई सलहज एक साथ हो जाएँ तो उसकी भी नहीं बची.

ये चाह रहे थे की छुटकी हम लोगों के साथ चले, और इनके साथ मेरे नन्दोई भी, मैंने छुप के दोनों का पूरा प्रोग्राम सुना था. पर इनकी सास तो अपने दामाद से भी दो हाथ आगे थीं , वो खुद,... तो दो दिन एक रात जो ससुराल में इन्होने बितायी होली की मस्ती के साथ, और अगली रात को जो हम इनके गाँव लौटे तो साथ में इनकी छोटी साली भी,

बस तो ये कहानी उसी ट्रेन यात्रा से शुरू होती है,...

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तो आशा रहेगी, मुझे आपके साथ की, प्यार की दुलार की और आपके कमेंट्स की , जो हर कथा यात्रा के लिए पाथेय की तरह है,....

तो बस शुरू करती हूँ और सबसे पहले जिस कहानी का यह सीक्वेल है उसका पहला पन्ना , एक झलक के तौर पर,

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Erotica - मजा पहली होली का ससुराल में

मजा पहली होली का, ससुराल में मुझे त्योहारों में बहुत मज़ा आता है, खास तौर से होली में. पर कुछ चीजें त्योहारों में गड़बड़ है. जैसे, मेरे मायके में मेरी मम्मी और उनसे भी बढ़ के छोटी बहनें कह रही थीं कि मैं अपनी पहली होली मायके में मनाऊँ. वैसे मेरी बहनों की असली दिलचस्पी तो अपने जीजा जी...
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पूर्वाभास - पृष्ठ १ और २

भाग १ -पृष्ठ ५ छुटकी - होली, दीदी की ससुराल में

भाग २
पृष्ठ ८ छुटकी -बंधे हाथ, ट्रेन में

भाग ३ पृष्ठ १३ चाय चाय

भाग ४,
पृष्ठ १९ छुटकी का पिछवाड़ा और नन्दोई जी का इरादा

भाग ५ - पृष्ठ २२ गोलकुंडा पर चढ़ाई- चलती ट्रेन में

भाग ६ --पृष्ठ २९ -३० रात भर ट्रेन में, सटासट,...

भाग ७ पृष्ठ ३५ रेल में धक्क्म पेल

भाग ८ पृष्ठ ४० छुटकी पहुंच गयी जीजा के गाँव


भाग ९ -पृष्ठ ४६ मेरी सास

भाग १० --पृष्ठ ५० ननद, नन्दोई और छुटकी का पिछवाड़ा


भाग ११ - पृष्ठ ५३ सासू , ननदिया ( नैना ) का महाजाल

भाग १२ - पृष्ठ ५८ दो बहेलिये ( सासू और नैना ननदिया)

भाग १३ -पृष्ठ ६२ पूरा गाँव,... जीजा

भाग १४ पृष्ठ ६६ देवर मेरे

भाग १५ पृष्ठ ७२ चंदू देवर

भाग १६ -पृष्ठ ७७ फागुन का पहला दिन- देवर भौजाई

भाग १७ -पृष्ठ ८१ छुटकी - प्यार दुलार और,...

भाग १८ - पृष्ठ ८७ चुन्नू की पढ़ाई

भाग १९ - पृष्ठ ९१ ननदों भौजाइयों की रंगभरी कबड्डी

भाग २० -पृष्ठ ९३ छुटकी की हालचाल

भाग २१ - पृष्ठ ९९ छुटकी पर चढ़ाई -

भाग २२ पृष्ठ १०३ रात बाकी

भाग २३ पृष्ठ १०९ नई सुबह

भाग २४ पृष्ठ ११३ देवर भाभी की होली

भाग २५
पृष्ठ १२१ छोटा देवर - कैसे उतरी नथ चुन्नू की


भाग २६
पृष्ठ १२७ पिलानिंग - कच्ची ननदों की लेने की

भाग २७ पृष्ठ १३२ और छुटकी की होली



भाग २८ पृष्ठ १३६ - किस्सा इन्सेस्ट यानी भैया के बहिनिया पर चढ़ने का-
उर्फ़ गीता और उसके भैया अरविन्द का


भाग २९ पृष्ठ - १४५ इन्सेस्ट का किस्सा -तड़पाओगे, तड़पा लो,... हम तड़प तड़प के भी

भाग ३० पृष्ठ १५२ किस्सा इन्सेस्ट का, भैया और बहिनी का -( अरविन्द -गीता ) दूध -मलाई
भाग ३१ पृष्ठ १६५ किस्सा इन्सेस्ट का,-रात बाकी बात बाकी


भाग ३२ पृष्ठ १७८ इन्सेस्ट गाथा अरविन्द और गीता,-
सुबह सबेरे

भाग ३३ पृष्ठ २०० अरविन्द और गीता की इन्सेस्ट गाथा सांझ भई घर आये
भाग ३४ पष्ठ २१४ इन्सेस्ट कथा - चाची ने चांदनी रात में,...
भाग ३५ पृष्ठ २२५ फुलवा

भाग ३६ - पृष्ठ २३६ इन्सेस्ट किस्सा- मस्ती भैया बहिनी उर्फ़ गीता -अरविन्द की

भाग ३७ - पृष्ठ २५० इन्सेस्ट कथा - और माँ आ गयीं
भाग ३८ पृष्ठ २६० मेरे पास माँ है
भाग ३९ - पृष्ठ २७१ माँ, बेटा, बेटी और बरसात की रात
भाग ४० पृष्ठ २८६ इन्सेस्ट गाथा - गोलकुंडा पर चढ़ाई -भाई की माँ के सामने
भाग ४१ पृष्ठ ३०३ इन्सेस्ट कथा - मामला वल्दियत का उर्फ़ किस्से माँ के
भाग ४२ पृष्ठ ३१७ इन्सेस्ट कथा माँ के किस्से,
भाग ४३ पृष्ठ ३२९ इन्सेस्ट कथा- माँ के किस्से, मायके के
भाग ४४ पृष्ठ ३४१ रिश्तों में हसीन बदलाव उर्फ़ मेरे पास माँ है

भाग ४५ पृष्ठ ३४८ गीता चली स्कूल

भाग ४६ पृष्ठ ३६३ तीन सहेलियां खड़ी खड़ी, किस्से सुनाएँ घड़ी घड़ी

भाग ४७ पृष्ठ ३७५ रोपनी

भाग ४८ - पृष्ठ 394 रोपनी -फुलवा की ननद

भाग ४९ पृष्ठ ४२० मस्ती -माँ, अरविन्द और गीता की

भाग ५० पृष्ठ ४३५ माँ का नाइट स्कूल

भाग ५१ पृष्ठ ४५६ भैया के संग अमराई में

भाग ५२ पृष्ठ ४७९ गन्ने के खेत में भैया के संग


भाग ५३ - पृष्ठ ४९ ४ फुलवा की ननद

भाग ५४ पृष्ठ ५०६ स्वाद पिछवाड़े का

भाग ५५ पृष्ठ ५२१ माँ








आगे भी बेहतरीन अपडेट आते रहेंगे
 

veerpal

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एक बार तो लगा कि मेरे सामने ही घटनाएं घट रही हैं, इतना लिखने के लिए कितना सोचना पड़ता होगा,मेरी समझ से तो परे है,

आपको मेरा नमन इस अपडेट को लिखने के लिए
खबर









गीता रुक गयी और फिर बोली,

" बाऊ जी जब गए तो पांच छह महीने पहले तक हर हफ्ते शुक्र के दिन वहां से फोन आता था , मैं भी बात करती थी खुस थे , ... लेकिन बाद में बोले की कउनो खेला होने वाला है बहुत मकान और न जाने का का बन रहा है, तो काम ख़तम होने के बाद ही,... आ पाएंगे ,... लेकिन पांच महीने से कोई फोन भी नहीं आया, गाँव के एक दो लोगों से माँ ने बात की तो वो लोग समझाये की काम ज्यादा होने पे फोन रखवा लेते है , कुछ नहीं होगा पर,... "


गीता के चेहरे पर फिर झाईं सी छा गयी और वो रुक गयी,...

बोलने की कोशिश की पर आवाज नहीं निकल पायी। आवाज रुंध सी गयी, दो तीन बार के बाद धीमे धीमे वो बोली,...

माँ के जाने के कुछ दिन पहले,... चार पांच दिन पहले,... मुझे नहीं दिखाया,... भैया एक अखबार कहीं से लाया था, दो दिन पुराना, ... कमरा बंद कर के माँ को दिखाया,... मुझे माँ के जाने के बाद पता चला,... भैया ने ही बताया,... ४१ लोगों की फोटो छपी थी,... बाउ जहाँ गए थे,... वहां जहाँ मैचवा,... और बहुत काम हो रहा था,... का नाम, हाँ क़तर,... वो लोग जो वहां काम करते हुए,... नहीं रहे,...


गीता फिर चुप हो गयी,... फिर अब उसने बोलना शुरू किया तो नहीं रुकी,...

बहुत खराब खबर थी,... पास के गाँव की दो औरतों ने,... एक को तो मैं जानती भी थी,... सिन्दूर पोंछ लिया, चूड़ी तोड़ दिया,...बिदा होके गौने आयी थी तो मैं गयी थी, गौने के दस दिन के अंदर ही,... उसका मरद, वही बाबू जी वाली एजेंसी से ही,... साल भर हुआ होगा,... बोल के गया था जल्दी आयंगे,... हम लोग चिढ़ाते भी थे की जब अबकी आएंगे तो नौ महीने बाद सोहर होगा,... लेकिन,... लेकिन अखबार में फोटो आयी।




वहां कोई बिल्डिंग गिरी थी और भी कुछ कुछ गड़बड़ हुआ था, ... लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा था, कोई खोज खबर नहीं,... अब उस अखबार वाले ने कहीं से पता कर के जितना मिला,... लेकिन,... बाउ जी की फ़ोटो उसमें नहीं थी,...


भैया तो तब भी डरा सहमा,... जिनसे अखबार ले आया था वो उससे बोले थे,... की अरे सबकी फोटुवा अखबार वाले को थोड़ी मिली होगी, ... जिसका पता नहीं चल रहा, समझो,...

मैं जान रही थी मामला कुछ सीरियस है,... मैं भी दरवाजे से चिपकी,... माँ की आवाज सुनाई पड़ी , एकदम जोर से भैया से,... नहीं नहीं तोहरे बाउजी को कुछ नहीं होगा, देखो अखबार में उनकी फोटो नहीं है, .. कउनो मुसीबत तो है, लेकिन देखना वो आएंगे जरूर आयंगे,... मैं हूँ न सावित्री,... सत्यवान को ले आउंगी,... इतना बरत पूजा , झूठ नहीं जायेगी,...

मैं जाउंगी उन्हें लाने,...

और जब वो बाहर निकलीं,... तो उन्होंने भैया को कहीं भेज दिया,... मेरा डरा सहमा घबड़ाया चेहरा देख के पहले तो बस वो मुझे देखती रहीं,... फिर उन्होंने मुझे भींच लिया और जैसे बाँध टूट पड़ा,... बस हिचक हिचक के,... उनकी साड़ी, मेरी फ्राक,... उनके आंसुओं से,... और बिना कुछ समझे,... माँ की आंखों से ये आंसू मैं पहली बार देख रही थी,... मैं भी रोने लगी, देर तक तक हम दोनों माँ बेटी एक दूसरे को दबोचे जैसे एक दूसरे का संबल बने आंसू बहाते रहे,... वो डर जो वो भैया से तो छुपा ले गयी थी पर मुझसे नहीं,... और जब चुप हुईं तो भी मुझे भींचे, सुबक सुबक के बोलती रहीं,...

" तु मत घबड़ा, मैं हूँ न,... बचपन से तुझे,... मैं रहूंगी न,... और तेरा भाई भी,... तुम दोनों को परेशान होने की बात नहीं,... वो आयेंगे,... कुछ नहीं होगा,... मैं रहूंगी न,... "

मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था बस जब मैं छोटी थी, बिजली कड़कती, कोई जोर से बोलता तो बस माँ की गोद में चिपक जाती,... बस उसी तरह चिपकी,...



गीता ने अबकी जब बोलना बंद किया तो छुटकी की भी समझ में नहीं आरहा था क्या कहे,... कई बार हिम्मत बंधाना भी बड़ा फर्जी लगता है, शब्द से ज्यादा चुप्पी ही सहारा देती है,...

बात फिर से गीता ने ही शुरू की,...

शाम को चाचा का फोन आया,... भाई ने उठाया था,...

अबकी छुटकी ने हिम्मत कर पूछा क्या बोला था चाचा ने वो बंबई में,...



" हाँ, बंबई से,... " गीता बोली, फिर साफ़ किया,... जब से बाउ जी खुद चले गए थे वो लड़को की टीम लेकर,... उनका बंबई वाला हिसाब किताब,... गड़बड़ा रहा था जिसको सम्हाल के बोले थे वो कुछ न कुछ बहाना बना के तो माँ ने चाचा से कहा,... फिर महीने दो महीने के लिए चाचा बंबई का काम धाम देखने लगे , कभी कभी आते,... तो वही माँ को फोन किये थे की उनसे ठीक से सम्हल नहीं रहा है और एक बात और बताये की वो जो एजेंसी वाला सऊदी या पता नहीं कहाँ का है वो फोन किया था... जबसे अखबार में सब फोटो छपी है वहां भी बहुत हल्ला है,...

की बाउजी ठीक हैं,... बकी अभी मैचवा सब होने वाला है दुनिया भर के अखबार टीवी वाले ,... तो तीन चार महीना और जो लोग यहाँ से गए थे उन सब लोगों को एक जगह रखा है , लेकिन ऐसी जगह की कोई मिल न पाए और वो बात भी नहीं करवा पायेगा, हाँ तीन महीना के बाद,....

और साथ में एजेंसी का जो बाउ जी का हिस्सा है वो किसी को वो चाहता है ,... "

गीता रुक गयी, फिर थोड़ा सा मुस्करा के बोली,... माँ भले गाँव की हैं लेकिन बड़ी समझदार वो समझ गयीं की चाचा क्या कहना चाहते हैं

वो खुद बोलीं, " अरे वो एजेंसी जिस को देना चाहता है जिस भाव देना चाहता है दे दो अब ऐसा काम नहीं करना है , लेकिन एक बार बोल देना की आपको उनसे बात करवा दे,... जरूरत हो तो आप चले जाओ,... कह देना की सब कागज हमारी भौजी के पास है और वो कही हैं की बिना उनसे बात किये,... और मैं आ जाउंगी आठ दस दिन में , बंबई का काम देखने, आप चले जाओ,... में सब सम्हाल लूंगी, वहां का भी,... इतने दिनों से सब खेती बारी अकेले देख ही रही हूँ कुछ भी हो अपने भैया का पता जरूर लगा के आना, और मुझसे कुछ छिपाना मत तोहरी भौजी में बहुत हिम्मत है. हम आ रहे हैं बंबई। "
 

veerpal

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M sirf apke liye XF ka app install kiya hu. Mene apki kayi story padhi Or muje jab b time milta hai m apki story jrur pdta. Apki lekhan kala m wo jaadu ki ek scene m mera hatiyaar khada ho jata Or jab tk use apka naam leke nichod n deta man n lgta. Such btau tho apka naam leke ab tk kitni bar use mutiya hai.
Aap jis andaaj se pura scene byaan krti Or paarivarik rishto m jis trah sangam krati ho wo adbhut hai.
Muje apki saari story padhi hai agr koi story idhr nhi hai or kahi hai tho plss uske baare m btana.
Love u komal bhabi
फिर तो आप महान है
 

motaalund

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Thanks so much it was the last day of Nanad of Phulwa so i thought ki she should be fully satisfied,
ये सही किया... फुलवा की ननद के लिए यादगार तो होगा हीं...
हम सब पाठकों के लिए भी यादगार बना दिया...
 

motaalund

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आपकी कहानी एक कंप्लीट इंटरटेनर की तरह है...
एक एक बात की डिटेल...
यहाँ तक की सेक्स सीन ... चीखो पुकार...
एकदम आँखों के सामने सारा दृश्य कौंधने लगता है....
अब तक तो तीन पुरुष और एक स्त्री में फोरसम पढ़ते आया था ... लेकिन तीन स्त्री और एक पुरुष...
एकदम उत्कृष्ट लेखन...
बांधकर रख दिया आपने...
और फुलवा की ननद को छोड़ने जाने पर फुलवा से भी मुलाकात.... क्या कुछ क्विकी... आखिर उसके होने वाले बच्चे की माँ जो है....
साथ हीं सब चीजों की डिटेल भी...
माइंडलेस कहानी के बजाय.. एक सार्थक.. मनोरंजन से भरपूर...
 

motaalund

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कमेंट के बिना कहानी ऐसे लगती है जैसे किसी सूने एकदम खाली हॉल में कोई गा रहा हो

में समझ सकती हूँ बिना श्रोता के उस की क्या हाल होती होगी।
आपकी मेहनत... आपकी कहानियों में झलकती है...
और बरबस हीं मुझे आपके कहानी पर कमेंट करने के लिए... मजबूर होना पड़ा...
आपने भी ऐसी कई कहानियां देखी होंगी... आधी अधूरी.. बिना सिर पैर के...
लेकिन आपकी कहानी पढ़ कर संतुष्टि भी मिली और आस पास के परिवेश पर आपकी पकड़ का भी भान हुआ...
 

motaalund

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सजा बामशक्क़त
मशक्कत तो करनी पड़ेगी...
लेकिन ननद को नहीं... सजा देने वाले को करनी पड़ेगी....
 

motaalund

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हां

लेकिन ऐन मौके पर मुझे

और

और


और लिखकर बाकी कुछ सुधी पाठकों की कल्पना पर छोड़ना पड़ा, वरना तो मैं विस्तार से रॉकी के मिलन का सचित्र वर्णन प्रस्तुत करती, लेकिन नियम हैं तो

सारा सीन डेवेलप करने के बाद भी जैसी पुरानी फिल्मों में दो फूलो को हिला के मिला के काम चला लिया जाता था बस उसी तरह से काम चला लिया
प्रतीकात्मक ... लेकिन इच्छा का कोई ओर छोर नहीं है...
 

motaalund

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Erotica - रंग -प्रसंग, कोमल के संग

शीला भाभी और गुड्डी - “पागल हो गए हो क्या? इत्ती देर से कंप्यूटर में घूर रहे हो। इत्ते प्यार से किसी लड़की को घूरते तो कब की पट जाती। चलो खाना लगाने जा रही हूँ। कुछ खा पी लो ताकत आ जायेगी। शाम को तेरा माल आ रहा है कुश्ती लड़ने के लिए तैयार हो जाओ…” और कौन होगा गुड्डी थी। “अरे यार सिर में...
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शीला भाभी और गुड्डी -

update posted, please read, like and comment
पट के नीचे भी आ गई होती...:):)
 
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