- 22,308
- 58,080
- 259
भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, मजे ले, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, मजे ले, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
Last edited:
खबर
गीता रुक गयी और फिर बोली,
" बाऊ जी जब गए तो पांच छह महीने पहले तक हर हफ्ते शुक्र के दिन वहां से फोन आता था , मैं भी बात करती थी खुस थे , ... लेकिन बाद में बोले की कउनो खेला होने वाला है बहुत मकान और न जाने का का बन रहा है, तो काम ख़तम होने के बाद ही,... आ पाएंगे ,... लेकिन पांच महीने से कोई फोन भी नहीं आया, गाँव के एक दो लोगों से माँ ने बात की तो वो लोग समझाये की काम ज्यादा होने पे फोन रखवा लेते है , कुछ नहीं होगा पर,... "
गीता के चेहरे पर फिर झाईं सी छा गयी और वो रुक गयी,...
बोलने की कोशिश की पर आवाज नहीं निकल पायी। आवाज रुंध सी गयी, दो तीन बार के बाद धीमे धीमे वो बोली,...
माँ के जाने के कुछ दिन पहले,... चार पांच दिन पहले,... मुझे नहीं दिखाया,... भैया एक अखबार कहीं से लाया था, दो दिन पुराना, ... कमरा बंद कर के माँ को दिखाया,... मुझे माँ के जाने के बाद पता चला,... भैया ने ही बताया,... ४१ लोगों की फोटो छपी थी,... बाउ जहाँ गए थे,... वहां जहाँ मैचवा,... और बहुत काम हो रहा था,... का नाम, हाँ क़तर,... वो लोग जो वहां काम करते हुए,... नहीं रहे,...
गीता फिर चुप हो गयी,... फिर अब उसने बोलना शुरू किया तो नहीं रुकी,...
बहुत खराब खबर थी,... पास के गाँव की दो औरतों ने,... एक को तो मैं जानती भी थी,... सिन्दूर पोंछ लिया, चूड़ी तोड़ दिया,...बिदा होके गौने आयी थी तो मैं गयी थी, गौने के दस दिन के अंदर ही,... उसका मरद, वही बाबू जी वाली एजेंसी से ही,... साल भर हुआ होगा,... बोल के गया था जल्दी आयंगे,... हम लोग चिढ़ाते भी थे की जब अबकी आएंगे तो नौ महीने बाद सोहर होगा,... लेकिन,... लेकिन अखबार में फोटो आयी।
वहां कोई बिल्डिंग गिरी थी और भी कुछ कुछ गड़बड़ हुआ था, ... लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा था, कोई खोज खबर नहीं,... अब उस अखबार वाले ने कहीं से पता कर के जितना मिला,... लेकिन,... बाउ जी की फ़ोटो उसमें नहीं थी,...
भैया तो तब भी डरा सहमा,... जिनसे अखबार ले आया था वो उससे बोले थे,... की अरे सबकी फोटुवा अखबार वाले को थोड़ी मिली होगी, ... जिसका पता नहीं चल रहा, समझो,...
मैं जान रही थी मामला कुछ सीरियस है,... मैं भी दरवाजे से चिपकी,... माँ की आवाज सुनाई पड़ी , एकदम जोर से भैया से,... नहीं नहीं तोहरे बाउजी को कुछ नहीं होगा, देखो अखबार में उनकी फोटो नहीं है, .. कउनो मुसीबत तो है, लेकिन देखना वो आएंगे जरूर आयंगे,... मैं हूँ न सावित्री,... सत्यवान को ले आउंगी,... इतना बरत पूजा , झूठ नहीं जायेगी,...
मैं जाउंगी उन्हें लाने,...
और जब वो बाहर निकलीं,... तो उन्होंने भैया को कहीं भेज दिया,... मेरा डरा सहमा घबड़ाया चेहरा देख के पहले तो बस वो मुझे देखती रहीं,... फिर उन्होंने मुझे भींच लिया और जैसे बाँध टूट पड़ा,... बस हिचक हिचक के,... उनकी साड़ी, मेरी फ्राक,... उनके आंसुओं से,... और बिना कुछ समझे,... माँ की आंखों से ये आंसू मैं पहली बार देख रही थी,... मैं भी रोने लगी, देर तक तक हम दोनों माँ बेटी एक दूसरे को दबोचे जैसे एक दूसरे का संबल बने आंसू बहाते रहे,... वो डर जो वो भैया से तो छुपा ले गयी थी पर मुझसे नहीं,... और जब चुप हुईं तो भी मुझे भींचे, सुबक सुबक के बोलती रहीं,...
" तु मत घबड़ा, मैं हूँ न,... बचपन से तुझे,... मैं रहूंगी न,... और तेरा भाई भी,... तुम दोनों को परेशान होने की बात नहीं,... वो आयेंगे,... कुछ नहीं होगा,... मैं रहूंगी न,... "
मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था बस जब मैं छोटी थी, बिजली कड़कती, कोई जोर से बोलता तो बस माँ की गोद में चिपक जाती,... बस उसी तरह चिपकी,...
गीता ने अबकी जब बोलना बंद किया तो छुटकी की भी समझ में नहीं आरहा था क्या कहे,... कई बार हिम्मत बंधाना भी बड़ा फर्जी लगता है, शब्द से ज्यादा चुप्पी ही सहारा देती है,...
बात फिर से गीता ने ही शुरू की,...
शाम को चाचा का फोन आया,... भाई ने उठाया था,...
अबकी छुटकी ने हिम्मत कर पूछा क्या बोला था चाचा ने वो बंबई में,...
" हाँ, बंबई से,... " गीता बोली, फिर साफ़ किया,... जब से बाउ जी खुद चले गए थे वो लड़को की टीम लेकर,... उनका बंबई वाला हिसाब किताब,... गड़बड़ा रहा था जिसको सम्हाल के बोले थे वो कुछ न कुछ बहाना बना के तो माँ ने चाचा से कहा,... फिर महीने दो महीने के लिए चाचा बंबई का काम धाम देखने लगे , कभी कभी आते,... तो वही माँ को फोन किये थे की उनसे ठीक से सम्हल नहीं रहा है और एक बात और बताये की वो जो एजेंसी वाला सऊदी या पता नहीं कहाँ का है वो फोन किया था... जबसे अखबार में सब फोटो छपी है वहां भी बहुत हल्ला है,...
की बाउजी ठीक हैं,... बकी अभी मैचवा सब होने वाला है दुनिया भर के अखबार टीवी वाले ,... तो तीन चार महीना और जो लोग यहाँ से गए थे उन सब लोगों को एक जगह रखा है , लेकिन ऐसी जगह की कोई मिल न पाए और वो बात भी नहीं करवा पायेगा, हाँ तीन महीना के बाद,....
और साथ में एजेंसी का जो बाउ जी का हिस्सा है वो किसी को वो चाहता है ,... "
गीता रुक गयी, फिर थोड़ा सा मुस्करा के बोली,... माँ भले गाँव की हैं लेकिन बड़ी समझदार वो समझ गयीं की चाचा क्या कहना चाहते हैं
वो खुद बोलीं, " अरे वो एजेंसी जिस को देना चाहता है जिस भाव देना चाहता है दे दो अब ऐसा काम नहीं करना है , लेकिन एक बार बोल देना की आपको उनसे बात करवा दे,... जरूरत हो तो आप चले जाओ,... कह देना की सब कागज हमारी भौजी के पास है और वो कही हैं की बिना उनसे बात किये,... और मैं आ जाउंगी आठ दस दिन में , बंबई का काम देखने, आप चले जाओ,... में सब सम्हाल लूंगी, वहां का भी,... इतने दिनों से सब खेती बारी अकेले देख ही रही हूँ कुछ भी हो अपने भैया का पता जरूर लगा के आना, और मुझसे कुछ छिपाना मत तोहरी भौजी में बहुत हिम्मत है. हम आ रहे हैं बंबई। "
फिर तो आप महान हैM sirf apke liye XF ka app install kiya hu. Mene apki kayi story padhi Or muje jab b time milta hai m apki story jrur pdta. Apki lekhan kala m wo jaadu ki ek scene m mera hatiyaar khada ho jata Or jab tk use apka naam leke nichod n deta man n lgta. Such btau tho apka naam leke ab tk kitni bar use mutiya hai.
Aap jis andaaj se pura scene byaan krti Or paarivarik rishto m jis trah sangam krati ho wo adbhut hai.
Muje apki saari story padhi hai agr koi story idhr nhi hai or kahi hai tho plss uske baare m btana.
Love u komal bhabi
ये सही किया... फुलवा की ननद के लिए यादगार तो होगा हीं...Thanks so much it was the last day of Nanad of Phulwa so i thought ki she should be fully satisfied,
साथ हीं सब चीजों की डिटेल भी...आपकी कहानी एक कंप्लीट इंटरटेनर की तरह है...
एक एक बात की डिटेल...
यहाँ तक की सेक्स सीन ... चीखो पुकार...
एकदम आँखों के सामने सारा दृश्य कौंधने लगता है....
अब तक तो तीन पुरुष और एक स्त्री में फोरसम पढ़ते आया था ... लेकिन तीन स्त्री और एक पुरुष...
एकदम उत्कृष्ट लेखन...
बांधकर रख दिया आपने...
और फुलवा की ननद को छोड़ने जाने पर फुलवा से भी मुलाकात.... क्या कुछ क्विकी... आखिर उसके होने वाले बच्चे की माँ जो है....
आपकी मेहनत... आपकी कहानियों में झलकती है...कमेंट के बिना कहानी ऐसे लगती है जैसे किसी सूने एकदम खाली हॉल में कोई गा रहा हो
में समझ सकती हूँ बिना श्रोता के उस की क्या हाल होती होगी।
मशक्कत तो करनी पड़ेगी...सजा बामशक्क़त
प्रतीकात्मक ... लेकिन इच्छा का कोई ओर छोर नहीं है...हां
लेकिन ऐन मौके पर मुझे
और
और
और लिखकर बाकी कुछ सुधी पाठकों की कल्पना पर छोड़ना पड़ा, वरना तो मैं विस्तार से रॉकी के मिलन का सचित्र वर्णन प्रस्तुत करती, लेकिन नियम हैं तो
सारा सीन डेवेलप करने के बाद भी जैसी पुरानी फिल्मों में दो फूलो को हिला के मिला के काम चला लिया जाता था बस उसी तरह से काम चला लिया
पट के नीचे भी आ गई होती...Erotica - रंग -प्रसंग, कोमल के संग
शीला भाभी और गुड्डी - “पागल हो गए हो क्या? इत्ती देर से कंप्यूटर में घूर रहे हो। इत्ते प्यार से किसी लड़की को घूरते तो कब की पट जाती। चलो खाना लगाने जा रही हूँ। कुछ खा पी लो ताकत आ जायेगी। शाम को तेरा माल आ रहा है कुश्ती लड़ने के लिए तैयार हो जाओ…” और कौन होगा गुड्डी थी। “अरे यार सिर में...
xforum.live
शीला भाभी और गुड्डी -
update posted, please read, like and comment
आप दोनों एक दूसरे से इंस्पिरेशन लें और हमें मजेदार कहानियों से रूबरू करवाते रहें..heading of this part is again inspired by your story, thanks so much