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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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वाह कोमल जीसेकेंड राउंड ख़तम, (सेकेंड राउंड स्कोर - भौजाई ५ , ननद ३ )
छुटकी का ऐंकल होल्ड
लेकिन गुलबिया कनखियों से नीता को देख रही थी वो चंदा के साथ,... बस तेजी से उसने कन्नी काटी और नीता को छुआ नहीं बल्कि हलके से धक्का दिया, वो चंदा के ऊपर,... और उसके पैर में मोच थी तो सम्हलने के लिए उसने नीता को पकड़ा, ... वो साइड खाली हुयी और गुलबिया वापस,...
सिर्फ हम लोगों ने ही नहीं बाहर बैठी भौजाइयां भी अब हल्ला करने लगी, ननदों को जोर जोर से गरियाने लगीं।
सेकेंड राउंड ख़तम होने के पहले हमने एक प्वाइंट और
बेला को छुटकी ने पटखनी दी।
छुटकी की ख़ास बात यही थी की रेडर यानी हमला करने में जितनी अच्छी थी उतनी ही डिफेंड करने में और ये छुटकियाँ, बेला, कम्मो, पायल, ये सब तो उस की उमर की ही थीं,... राउंड ख़तम होनेवाला था, इसलिए नैना ने बेला को सिखा पढ़ा के भेजा था की गुलबीया और चमेलिया उसे पीछे से दबोचेंगी तो उन दोनों से बची रहे,... और ज्यादा अंदर ना जाए, प्वाइंट स्कोर करने के चक्कर में न पड़े,...
मैं चाहती थी ये राउंड ख़तम होने के पहले हम लोग कम से कम एक प्वाइंट और पा ले,... दो राउंड ख़तम होने के बाद का इंटरवल थोड़ा बड़ा था मेरी बड़ी उमर की जेठानिया थोड़ी सांस ले लें, और ये हाफ टाइम भी होता तो इस समय तक हम आगे बढे होते तो मोटिवेशन भी हमारी टीम का बढ़ा रहता।
बेला तेजी से अंदर आई पर वो गुलबिया, चमेलिया, चननिया और रमजानिया पर निगाह रखे थी की वापसी के समय वो सब हाथ बांध के चेन की तरह खड़ी हो जाएंगे, ... इसलिए वो फिरकी की तरह कभी दाएं कभी बाएं और लाइन से बहुत अंदर नहीं जा रही थी. पर पल भर के लिए उसकी निगाह छुटकी पर से हटी , वह मेरे और मिश्राइन भाभी के पीछे कार्नर की ओर खड़ी थी बायीं ओर, ...
मोहिनी भाभी ने दायीं ओर से बेला को गरियाया,
" अरे आ गयी चुदवाने ननद रानी, घबड़ा मत आराम आराम से पेलेंगे,... "
बाहर से सब भौजाइयों ने भी नारा लगाना शुरू किया
बेला को पेला, सटासट सटासट, ... पूरा डंडा ढकेला फटाफट, फटाफट,...
और गुलबिया भी मोहिनी भाभी के साथ दायीं ओर से बढ़ी,... बस वो बायीं ओर से मुड़ी और जैसे स्लिप का फील्डर एकदम पहले से अंदाज लगा के डाइव मार के कैच करता है,
छुटकी ने भी उसी तरह,
छुटकी का 'ऐंकल होल्ड ' ने ही उसे रीजनल रैली में बेस्ट डिफेंडर का वार्ड दिलाया था अंडर १५ में,... और डाइव मार के उसने बेला का टखना पकड़ लिया, बेला ने पूरी ताकत लगाई छुड़ाने की , और ये समझ के की छुड़ा नहीं पाती हूँ तो लाइन पार कर जाऊं, लाइन की ओर झपट्टा मारा,... पर छुटकी की बड़ी बहन मैं थीं न. उसके ठीक सामने मैं आगयी और अपनी बॉडी से उसे ब्लाक कर दिया, दोनों बहनों का जोर, .... अब वो समझ गयी थी की उसका लाइन पार करना असंभव है,... तबतक मोहिनी भाभी जिन्होंने गुलबिया के साथ हांका कर के उसे हम लोगों की ओर धकेला था, बस पीछे से कस के अपने दोनों हाथों बेला के जोबन पकड़ लिए और गाल पे चूमते बोलीं,
काहो बेला रानी कैसे कैसे दबवायी हो जोबन तो जबरदस्त है,...
मोहिनी भाभी से एक बात मैंने होली में सीखी थी,...
ननदों के कपडे उतारते नहीं है, बस फाड़ देते हैं,... और मोहिनी भाभी ने जबतक बेला सम्हले टॉप के चीथड़े चीथड़े कर के नंदों की ओर चैलेन्ज देती बोलीं
" अगली बार जिसको फड़वाना हो आ जाये,... "
बाहर बैठी मेरी एक जेठानी ने कच्ची कलियों से कहा अरे तुम लोग भी जिसको जिसको फड़वाना हो अपना नाम लिखवाओ, अबकी हर साल की तरह नहीं होगा, ... सब नंदों की फटेगी आज,...
तबतक गुलबिया, चमेलिया और चननिया ने पकड़ के बेलवा को लिटा दिया था, चननिया उसके मुंह पे चढ़ के चूत अपनी चटा रही थी, मोहिनी भाभी बेला के दोनों जोबन का रस ले रही थी एक हाथ से दायीं चूँची मसल रही थी, दूसरी को मुंह में ले चूस रही थीं और हथेली से चूत पे रगड़ रही थीं,...
बेला जमीन पर हाथ पटक कर अपनी हार मान गयी पर कच्ची ननद पा के कौन भौजाई छोड़ती हाँ उसी समय ब्रेक की सीटी बच गयी तो बेला बाहर, हाँ कपडा एक सूत नहीं बचा था।
और एक बात और सब नंदों में सबसे कच्ची उमर की बेला ही थी, छुटकी से भी छोटी कम से पांच छह महीना बल्कि ज्यादा, और जब उसका टॉप फटा तो उसके बस उभरते हए उभार देख के हम सब भौजाइयों की गीली हो गयी, अरे कच्ची अमिया के लिए जैसे मर्द बौराते हैं उससे काम खराब हालत हम औरतों की नहीं होती खास तौर से बढ़ती उमर की, मोहिनी भाभी ने पहले ही आंक लिया था और इशारे में मुझे बता दिया था, चड्ढी भी उन्होंने ही फाड़ी , खूब गोरी चिकनी, और मुश्किल से बस झांटे आनी शुरू हुयी थीं, कच्चे उभार चिकनी चूत,... यहाँ तक की मिश्राइन भाभी भी,
लेकिन बेला दो चक्कर में बच गयी, एक तो हम लोगों ने तय कर लिया था की कच्ची कलियों की ऊँगली नहीं करेंगे ( अगले दिन उन्हें उसके सगे, और सगे न हुए तो चचेरे भाइयों से जिसको भी वो राखी बांधती होंगी,... उन्ही से फड़वाएंगे।
दूसरे, उस की रगड़ाई ढंग से हो पाती उसके पहले राउंड ख़तम होने की सीटी बज गयी पर आउट तो वो ही गयी थी, उनकी ओर से पांच
रेनू, कजरी, नीलू, नीता और बेला
और हमारी ओर से तीन , रज्जो भाभी, मंजू भाभी और दूबे भाभी।
और सबसे बड़ी बात वो चौकड़ी टूट गयी थी। अब सिर्फ लीला अकेले थी गीता कभी आगे बढ़ के तो कभी उसके साथ और उसकी एक सहेली थी तो लेकिन आधी ताकत से खेल रही थी। और हमारी टीम में ८ लेकिन अब हमारी टीम में लोग थक रहे थे सिवाय छुटकी मेरे और गुलबिया चमेलिया के।
हम लोग अभी दो प्वाइंट से आगे थे लेकिन प्रैक्टिकली ३ प्वाइंट से ,
ननदों की टीम में ११ में से ५ खिलाड़ी अब गेम से बाहर थे,... फर्स्ट राउंड में ही छुटकी ने रेनू को बैक किक या म्यूल किक से उन्ही के पाल्हे में मारा था। उसके और बाद कजरी जब हमारी ओर आयी तो उसकी भौजी गुलबिया ने ही। रमजनिया ने नीलू को और गुलबिया ने नीता को उन्ही के इलाके में जाके मारा था और अभी छुटकी ने ऐंकल टैकल कर के बेला को,...
पर हमारे भी ३ खिलाड़ी बाहर हो गए थे,... रज्जो और दूबे भाभी ननदों के इलाके में जाके पकड़ी गयी थीं और मुझे नैना से बचाने के चक्कर में मंजू भाभी गेम से बाहर हो गयी थी.
पर उनकी टैकल करने वाली एक खिलाड़ी चंदा अब मोच से घायल थी और आधी से भी कम ताकत से खेल रही थी। इसलिए हम लोगों को क्लियर अडवांटेज था।
बहुत बहुत आभार, पहली लाइक पहला कमेंट आपका,वाह कोमल जी
शानदार, लाजवाब और जीवंत हमेशा की तरह।
सादर
सचमुच... जैसे हम दर्शक दीर्घा में बैठे.. सबकुछ अपनी आँखों के सामने घटता हुआ देख रहे हों....वाह कोमल जी वाह
कबड्डी का खेल जीवंत हो गया। आपकी विषय पर पकड़ का तो जवाब ही नहीं। बिल्कुल सजीव वर्णन कर देती है, ऐसा कि जैसे सब कुछ आंखों के सामने ही चल रहा हो।
अब तो अपडेट दर अपडेट का ही इंतजार है।
सादर