paarth milf lover
I m a big big milf and shayari lover💕♥️
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Ye Aaj kal AI wale bhi apni marwane pe tule hai kisi ki bhi koi bhi image create kr de rhe hai
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क्या बात है arushi_dayal ji, fantasticघर में छोटी बहन जब जवान हो गई
भाई की नियत उस पे बेईमान हो गई
घूर घूर देखता था उसकी चुचिया
जानते हुए बहन भी नादान हो गई
अपने अंगवस्त्रो पे देख सफेद सुखे दाग
भोली सी बहन सुबह परेशान हो गई
चुपके से देखा फिर भाई को हिलाते हुए
साइज उसका देख के हेरान हो गई
बदल गया फिर बहन और भाई का रिश्ता
बिस्तर में जब बहन भाई पे मेहरबान हो गई
Kamaalपहला पन्ना- मज़ा पहली होली का ससुराल में,
( जिसका यह सीक्वेल है )
मजा पहली होली का, ससुराल में
( इस कहानी के सभी पात्र वयस्क हैं और सभी चित्र इंटरनेट से लिए गए हैं यदि किसी को कोई आपत्ति हो तो टिप्पणी कर सकता है। अंडर एज सेक्स न सिर्फ इस फोरम के नियमों के खिलाफ है बल्कि वैधानिक रूप से भी निषिद्ध है , और मैं वयक्तिगत रूप से भी इसे नहीं पसंद करती।)
मुझे त्योहारों में बहुत मज़ा आता है, खास तौर से होली में.
पर कुछ चीजें त्योहारों में गड़बड़ है. जैसे, मेरे मायके में मेरी मम्मी और उनसे भी बढ़ के छोटी बहनें कह रही थीं
कि मैं अपनी पहली होली मायके में मनाऊँ. वैसे मेरी बहनों की असली दिलचस्पी तो अपने जीजा जी के साथ होली खेलने में थी.
परन्तु मेरे ससुराल के लोग कह रहे थे कि बहु की पहली होली ससुराल में हीं होनी चाहिये.
मैं बड़ी दुविधा में थी. पर त्योहारों में गड़बड़ से कई बार परेशानियां सुलझ भी जाती हैं. इस बार होली २ दिन पड़ी.
मेरी ससुराल में 17 मार्च को और मायके में 18 को.
मायके में जबर्दस्त होली होती है और वो भी दो दिन. तय हुआ कि मेरे घर से कोई आ के मुझे होली वाले दिन ले जाए और ‘ये’ होली वाले दिन सुबह पहुँच जायेंगे. मेरे मायके में तो मेरी दो छोटी बहनों नीता और रीतू के सिवाय कोई था नहीं.
......
मैं फ्लैश बैक में चली गई.
सुहागरात के चार-पांच दिन के अंदर हीं, मेरे पिछवाड़े की... शुरुआत तो उन्होंने दो दिन के अंदर हीं कर दी थी.
सुहागरात के चार-पांच दिन के अंदर हीं, मेरे पिछवाड़े की... शुरुआत तो उन्होंने दो दिन के अंदर हीं कर दी थी.
मुझे अब तक याद है, उस दिन मैंने सलवार-सूट पहन रखा था, जो थोड़ा टाईट था और मेरे मम्मे और नितम्ब खूब उभर के दिख रहे थे. रानू ने मेरे चूतड़ों पे चिकोटी काट के चिढ़ाया,
“भाभी लगता है आपके पिछवाड़े में काफी खुजली मच रही है. आज आपकी गांड़ बचने वाली नहीं है, अगर आपको इस ड्रेस में भैया ने देख लिया...”
“अरे तो डरती हूँ क्या तुम्हारे भैया से? जब से आई हूँ लगातार तो चालू रहते है, बाकी और कुछ तो अब बचा नहीं......
ये भी कब तक बचेगी?”
चूतड़ मटका के मैंने जवाब दिया.
और तब तक ‘वो’ भी आ गए. उन्होंने एक हाथ से खूब कस के मेरे चूतड़ को दबोच लिया
और उनकी एक उंगली मेरे कसी सलवार में, गांड़ के क्रैक में घुस गई.
उनसे बचने के लिये मैं रजाई में घुस गई अपनी सास के बगल में.....
‘उनकी’ बगल में मेरी जेठानी और छोटी ननद बैठी थी. वह भी रजाई में मेरी बगल में घुस के बैठ गए
और अपना एक हाथ मेरे कंधे पे रख दिया.
छेड़-छाड़ सिर्फ कोई ‘उनकी’ जागीर तो थी नहीं. सासू के बगल में मैं थोड़ा सेफ भी महसूस कर रही थी
और रजाई के अंदर हाथ भी थोड़ा बोल्ड हो जाता है.
मैंने पजामे के ऊपर हाथ रखा तो उनका खूंटा पूरी तरह खड़ा था. मैंने शरारत से उसे हल्के से दबा दिया और उनकी ओर मुस्कुरा के देखा.
बेचारे.... चाह के भी..... अब मैंने और बोल्ड हो के हाथ उनके पजामे में डाल के सुपाड़े को खोल दिया. पूरी तरह फूला और गरम था. उसे सहलाते-सहलाते मैंने अपने लंबे नाख़ून से उनके पी-होलको छेड़ दिया.
जोश में आ के उन्होंने मेरे मम्मे कस के दबा दिए.
उनके चेहरे से उत्तेजना साफ़ दिख रही थी. वह उठ के बगल के कमरे में चले गए जो मेरी छोटी ननद का रीडिंग रूम था. बड़ी मुश्किल से मेरी ननद और जेठानी ने अपनी मुस्कान दबायी.
“जाइये-जाइये भाभी, अभी आपका बुलावा आ रहा होगा.”
शैतानी से मेरी छोटी ननद बोली.
हम दोनों का दिन-दहाड़े का ये काम तो सुहागरात के अगले दिन से हीं चालू हो गया था.
पहली बार तो मेरी जेठानी जबरदस्ती मुझे कमरे में दिन में कर आई और उसके बाद से तो मेरी ननदें और यहाँ तक की सासू जी भी.......बड़ा खुला मामला था मेरी ससुराल में......
एक बार तो मुझसे ज़रा सी देर हो गई तो मेरी सासू बोली,
“बहु, जाओ ना... बेचारा इंतज़ार कर रहा होगा...”
“ज़रा पानी ले आना...” तुरन्त हीं ‘उनकी’ आवाज सुनाई दी.
“जाओ, प्यासे की प्यास बुझाओ...”
मेरी जेठानी ने छेड़ा.
कमरे में पँहुचते हीं मैंने दरवाजा बंद कर दिया.
उनको छेड़ते हुए, दरवाजा बंद करते समय, मैंने उनको दिखा के सलवार से छलकते अपने भारी चूतड़ मटका दिए.
फिर क्या था.? पीछे आके उन्होंने मुझे कस के पकड़ लिया और दोनों हाथों से कस-कस के मेरे मम्मे दबाने लगे.
और ‘उनका’ पूरी तरह उत्तेजित हथियार भी मेरी गांड़ के दरार पे कस के रगड़ रहा था. लग रहा था, सलवार फाड़ के घुस जायेगा.
मैंने चारों ओर नज़र दौडाई. कमरे में कुर्सी-मेज़ के अलावा कुछ भी नहीं था. कोई गद्दा भी नहीं कि जमीन पे लेट के.
मैं अपने घुटनों के बल पे बैठ गई और उनके पजामे का नाड़ा खोल दिया. फनफ़ना कर उनका लंड बाहर आ गया.
सुपाड़ा अभी भी खुला था, पहाड़ी आलू की तरह बड़ा और लाल.
मैंने पहले तो उसे चूमा और फिर बिना हाथ लगाये अपने गुलाबी होठों के बीच ले चूसना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे मैं लॉलीपॉप की तरह उसे चूस रही थी और कुछ हीं देर में मेरी जीभ उनके पी-होल को छेड़ रही थी.
उन्होंने कस के मेरे सिर को पकड़ लिया. अब मेरा एक मेहन्दी लगा हाथ उनके लंड के बेस को पकड़ के हल्के से दबा रहा था और दूसरा उनके अंडकोष (Balls) को पकड़ के सहला और दबा रहा था. जोश में आके मेरा सिर पकड़ के वह अपना मोटा लंड अंदर-बाहर कर रहे थे.
उनका आधे से ज्यादा लंड अब मेरे मुँह में था. सुपाड़ा हलक पे धक्के मार रहा था. जब मेरी जीभ उनके मोटे कड़े लंड को सहलाती और मेरे गुलाबी होठों को रगड़ते, घिसते वो अंदर जाता.... खूब मज़ा आ रहा था मुझे. मैं खूब कस-कस के चूस रही थी, चाट रही थी.
उस कमरे में मुझे चुदाई का कोई रास्ता तो दिख नहीं रहा था. इसलिए मैंने सोचा कि मुख-मैथुन कर के हीं काम चला लूं.
पर उनका इरादा कुछ और हीं था.
“कुर्सी पकड़ के झुक जाओ...” वो बोले..
मैं झुक गई.
............................
तो कुछ ऐसे हुयी थी,इस कहानी की शुरुआत जिसका सीक्वेल मैं पेश कर रही हूँ, पर उसके पहले पूर्वाभास, उस कहानी के कुछ वो प्रसंग जहाँ छुटकी का जिक्र आया है, सभी नहीं बस कुछ, और अगर डिसजवाईंटेड लगे तो मैं मूल कहानी के पेज नंबर का सन्दर्भ भी साथ साथ देने की कोशिश करुँगी, जिससे सुधी पाठक पाठिकाओं को लिंक बैठाने में कोई मुश्किल ने हो.
Story k beech Mai photo aag ka kaam kr rhi hai...की बुरी हालत
मुझसे नहीं रहा गया , मैंने एक हाथ उसकी चड्ढी के ऊपर से ,... पहले हलके हलके सहलाया फिर कस के दबोच लिया उसकी नन्ही चुनमुनिया को ,
बुदबुदा रही थी , एकदम गीली , और फिर ऐसे मौके पर ऊपर झाँपर से क्या मजा लेना , ...
मैंने ऊँगली अंदर तो नहीं डाली लेकिन मेरी हथेली कस के उसकी गीली गुलाबो को कस कस के दबाने लगी , रगड़ने लगी , ...
और फिर सिर्फ तर्जनी फुद्दी के दोनों पपोटों के बीच हलके हलके रगड़ना शुरू किया और साथ में हम दोनों कभी उसके निप्स को फ्लिक करते जीभ से कभी होंठों से कस कस के चूसते ,
बेचारी की हालत खराब , ....
और मुझसे भी नहीं रहा गया , मैंने उसकी चड्ढी सरका कर नीचे , ऐसी उम्र वाली की बुर का मजा एकदम खोल कर लेने का अलग ही है ,
ट्रेन अपनी रफतार से चली जा रही थी , बीच बीच में कभी धीमी होती। चारो ओर अँधेरा था बस रुपहली चांदनी कभी कभी छलक कर केबिन में आ जाती , छोटे स्टेशनों पर गाडी को रुकना नहीं था , और कहीं एक दो मिनट के लिए किसी स्टेशन पर रुकी तो हम लोग नहीं रुके छुटकी रगड़ाई करने से ,
छुटकी जोर जोर से चीख रही थी , छोड़िये न , प्लीज थोड़ी देर के लिए छोड़िये न ,.... ओह्ह ओह्ह उफ़ , ... छोडो , छोड़ो ,...
" हे क्या कह रही है , गाडी चल रही है साफ़ सुनाई नहीं दे रहा , ... क्या कह रही है , चोदो , अरे अपने जीजू से बोलो न , अभी चोद देंगे , ... तेरी ऐसी साली को मना करने की हिम्मत है उनकी ,"
अपनी छोटी बहन के उभारों से होंठ हटाते मैंने उसे चिढ़ाया , ....
और वो गुस्से से अलफ़ ,
" आप भी न , इतना कस कस , ... वहां तो इतना दर्द हो रहा है , जान निकली जा रही है , अब तक चिलख रहा है , जैसे किसी ने मिर्चा कूट दिया हो , ... अभी तो छूने की हिम्मत नहीं पड़ रही है और आप चुदवाने की बात कर रही है ,..... "
और मैंने छुटकी को छोड़ दिया ,
लेकिन उठते हुए , मैंने उनका शार्ट खींच के ट्रेन के डिब्बे के फर्श पर ,... आखिर मेरी बहिनिया की गुलाबो एकदम खुल गयी है तो उन्ही का खूंटा क्यों परदे में रहे , .... पूरा बित्ते भर का मोटा लंड टनटनाया फनफनाया बाहर ,
" अरे चल बुरिया में दर्द हो रहा है तो मुंह से तो चूस सकती है न , ले ज़रा स्वाद ले अपने जीजू का ,... "
और अपने हाथ से उनके मोटे खूंटे को छुटकी के होंठों के बीच , गप्प से सुपाड़ा गप्प कर लिया उस टीनेजर ने ,...
और मैं छुटकी की दोनों टांगो के बीच उसके छोटे छोटे चूतड़ उठाकर दूसरी बर्थ पर रखी एक तकिया मैंने उसके चूतड़ के नीचे , ... और फिर कस के दोनों जाँघों को फैलाते हुए ,
सच में बुर की बुरी हालत थी , ,
एकदम लाल ,
रगड़ने घिसने का साफ़ साफ़ निशान था और छूते ही , जैसे कोई कच्चे घाव को छू ले , वैसे सिहर पड़ती थी वो ,...
असल में उसकी भाभी , इनकी सलहज , रीतू भाभी ने ,... इनके पहाड़ी आलू ऐसे मोटे सुपाड़े पर बस जैसे कोई बच्चे को नजर बचाने के लिए दिठौना लगा दे बस उतना सा , ... मेरे बहुत कहने पर उसे थोड़ा सा फैला दिया सुपाड़े पर ,
इनका काम तो हो गया थोड़ी चिकनाई सुपाड़े पर थी ,
लेकिन ऐसे थोड़े ही हुआ , ....
मैंने इस बेचारी किशोरी के होंठों के बीच अपनी मोटी मोटी चूँची ठेल रखी थी
और ऐसे बैठी थी की उसके दोनों हाथ मेरे पैरों से दबे ,
उसकी रीतू भाभी ने पहले तो अपने दोनों अंगूठों से उसकी बिलिया फैलाई , अपने नन्दोई का सुपाड़ा सटाया और फिर कस के ,... उसकी दोनों जाँघे फैलायीं और उन्होंने भी पूरी ताकत से पेल दिया ,
पूरी गाँव में चीख सुनाई दी ,... और यही तो रीतू भाभी चाहती थीं पूरे गाँव को मालूम हो जाये की छुटकी की फट गयी ,...
तो बुर की बुरी हालत तो होनी ही थी,...
Ufffजुगल बंदी
और फिर मैं और मेरे साजन की जुगल बंदी शुरू हो गयी ,
मैं उनकी साली की चूत चूस रही थी और वो उसकी चूँची , दूसरा जोबन अब उनके हाथों में था और कस के रगड़ा मसला जा रहा था ,
छुटकी के उछलने कूदने की चिंता न मुझे थी , न उन्हें इतनी कस के उसी की ब्रा से उन्होंने अपनी साली के हाथों को डिब्बे की खिड़की से बाँध रखा था
थोड़ी देर में उसकी बुर एकदम पनिया गयी थी बस , अगर वो अपने जिज्जा के लंड से चुदने से घबड़ा रही थी तो मेरी जीभ थी न ,...
दोनों अंगूठों से मैंने उस कली की कली को फैलाया और मेरी पूरी जीभ अंदर ,
और जीभ की टिप से चूत की अंदरूनी दीवालों को , क्या कोई मर्द बुर चोदेगा जिस तरह से मेरी जीभ चोद रही थी ,साथ में मेरे होंठ कस कस के निचले होंठ चूस रहे थे ,
खूब खेली पक्की छिनार भी पांच छह मिनट में इस चुसाई में पानी छोड़ देती और ये तो नयी बछेड़ी थी , ...
ऊपर से उसके जिज्जा भी साथ साथ उसके निप्स कभी होंठों से चूसते कभी जीभ से जोर जोर से फ्लिक करते
चार पांच मिनट में वो कगार पर पहुँच गयी , ... बस मैं थोड़ी देर और चूसती तो वो पानी छोड़ देती , जोर जोर से वो सिसक रही थी चूतड़ पटक रही थी ,
मैंने ' उनकी ' ओर देखा , और उन्होंने जोर से सर हिला के मना कर दिया
और बस उसने झड़ना शुरू ही किया था की हम दोनों ने उसे छोड़ दिया
और उन्होंने कचकचा के अपनी साली के निप्स काट लिए ,
झड़ना रुक गया और दर्द के मारे चीख निकल गयी उसकी ,...
हम दोनों ने उसे छोड़ दिया , एक दो मिनट बाद जब वो साँसे लेने के लायक होई तो एक बार मैं फिर से ,
और अबकि जीभ से चपड़ चपड़ चाट रही थी अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर।
कुछ देर बाद फिर छुटकी की वही हालत होने लगी , मैं उसको तड़पा रही थी बार बार कगार तक ला कर छोड़ रही थी , उसकी क्लीट एकदम कड़ी , ... फूली ,...
मैं बस अब जीभ की टिप से सीधे क्लिट को सहला रही थी , और जैसे ही उसने झड़ना शुरू किया मैंने कचकचा के क्लिट काट ली , ... और वो एकदम से चीख पड़ी
पौन घंटे तक , ... छह सात बार वो आलमोस्ट झड़ने के कगार पर पहुंचा के हम दोनों ने उसे रोक दिया ,
मैं उनकी बदमाशी समझ रही थी ,
होली के पहले वाली रात को भी तो उन्होंने मेरे साथ यही किया था ,...
सारी रात चोदा था छह सात घंटे , सच में बड़ी ताकत है इनमें ,...
लेकिन मुझे झड़ने नहीं दिया , खुद ही सिर्फ दो बार झड़े ,... एक बार मेरी बुर में और एक बार सुबह ,... जब ननद दरवाजा खटखटा रही थी , मुझे होली खेलने के लिए निकालने के लिए ,... उस समय वो मेरी गाँड़ में झड़ रहे थे , ....
उसका मतलब मैं सुबह समझी , होली खेलते , ... बस मन कर रहा था कोई मुझे झाड़ दे , मेरी ननद , नन्दोई , देवर कोई भी ,...
तो बस कल सुबह यही हालत इस गौरेया की भी होगी , जब हम लोग इनके मायके पहुंचेंगे , मेरी छुटकी बहिनिया एकदम गर्मायी होगी ,
वो एकदम थेथर हो चुकी थी अब तो बस दो तीन मिनट मैं उसकी चूत चूसती तो वो झड़ने के कगार पर पहुंच जाती , ...
जैसे मेरी ऊँगली लगेगी तो भी वो झड़ जाएगी
गाड़ी धीमे हो रही थी , स्टेशन की लाइट दिख रही थी , लग रहा था कोई बड़ा स्टेशन आ रहा है , ... गाड़ी कुछ देर तक यहाँ रूकती , ...
मैंने इनकी ओर देखा छुटकी की ओर इशारा कर के , ... उसकी ब्रा से तो उसके हाथ बंधे थे और चड्ढी नीचे पड़ी थी , ... और खिड़की खूली हुयी थी
उन्होंने आँख से इशारा कर के मना कर दिया , तब भी मैंने चादर से उसे आधा तिहा ढक दिया और खुद उनकी शर्ट पहन ली , ...
इन्होने भी शार्ट अपना ऊपर चढ़ा लिया , गाडी रुक गयी थी ,... कोई बड़ा स्टेशन था ,
चाय चाय की आवाज करता कोई लड़का हमारी खिड़की के पास बार बार चक्कर लगा रहा था ,...
Thanks so much, i am sure kahani aapko acchi lagegi, aur aapke likes aur comments is baat ka ahsas dilate rahenge, thanks againKamaal
Bilkul 8 page tk padha hai baaki ka reply aage padhne pr krta rahunga..Thanks so much, i am sure kahani aapko acchi lagegi, aur aapke likes aur comments is baat ka ahsas dilate rahenge, thanks again
Thanks so much for nice words and kahani to abhi shuru huyi hai train men saali ke saath poore coach men koyi aur nahi darwaja anadr se bandStory k beech Mai photo aag ka kaam kr rhi hai