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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
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ननद की सास, और सास का प्लान
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Thanks so much
Thanks so muchMere dimag me bhi Arvind aur Geeta hi the jab maine lines likhi
Yess... its neck to neck fight...बहुत बहुत धन्यवाद और मैं भी यही चाहती हूँ, ऐसा मैच चल रहा हो तो दर्शक तो आने ही चाहिए,,. जितने लोग पोस्ट को पढ़ें, अपना मत दें तभी कुछ नया करने का मज़ा आता है।
मैच टक्कर का है, हर बार ननद जीतती थीं इस बार भी आसानी से वो विजय दूसरी ओर नहीं जाने देंगी।
इस बार मैं वीर अफ़ग़ान की "काफिर" पढ़ रहा था..आप कुछ उन विरले मित्रों में है जो मेरी हर कहानी को न सिर्फ पढ़ते हैं बल्कि विस्तार से कमेंट भी करते हैं , एक शब्द है ' बतकही' आपके कमेंट पढ़ने और उनका जवाब देने में वैसा ही सुख मिलता है,...
कभी कभार ही इन्तजार करना पड़ता है लेकिन अगली पोस्ट के पहले हर बार आपकी सम्मति मिल जाती है ,
मंजू भाभी .. नैना के सारे ट्रिक्स से अवगत थीं...और इस राउंड में जैसा आपने पढ़ ही लिया
नैना ने भाभियों की टीम के कप्तान को ही आउट कर दिया, निशाना तो कहीं और था पर मंजू भाभी ने खुद को सैक्रिफाइस कर के,... और डिफेंड करने में गितवा भी,...
साथ में खुल के खेलने का मौका...ननद भाभी का रिश्ता मुझे सबसे मीठा लगता है,
फिर होली का मौका रंगपंचमी तक जहाँ होली चलती है, ... इसलिए यह प्रसंग प्रस्तुत करने के लिए मैंने कोशिश की,... और इसमें एक टेढ़ी बात थी
२२ चरित्र दोनों और के ११ -११
सबका नाम ही नहीं पहचान और एक खेल के अंदर भी खेल के बाहर भी एक अलग पहचान,
प्रसंग के अनुसार कविताओं के उत्तम प्रयोग द्वारा न्यूनतम शब्दों में ढालना...आरुषि जी के लिए और उनकी रचनाओं के लिए तो हम सबका सपोर्ट और चाह हमेशा बनी रहेगी,
और इस मामले में मैं थोड़ा सेल्फिश भी हूँ आरुषि जी की कवितायेँ और चित्र पढ़ने का मौका मिलता रहेगा, मैंने कई पोस्ट्स की हेडिंग भी उनकी कविताओं से ली हैं,... और कभी कभी जब इस थ्रेड पर आ जाती हैं तो उनके सम्पर्क से कुछ सृजनात्मकता भी मेरी बढ़ जाती है।
फिर तो मार लीजिए बाजी....एकदम मिश्राइन भाभी, दूबे भाभी और मंजू भाभी के अनुभव और धैर्य का साथ बहुत जरूरी था
खुद को आउट करा के मंजू भाभी ने आखिरी मिनट में नैना के दांव को सेकंड राउंड में फेल करा दिया,
दूबे भाभी अपने से आधी से भी कम उमर की लड़कियों से जूझते हुए भी हारते हारते, चंदा के दाएं पैर पर गिर के उसकी ताकत तो आधी ही की नैना का डिफेन्स कमजोर कर दिया ,
और गुलबिया चमेलिया और छुटकी जोश से भरपूर.
हर मौसम का अपना मजा...नहीं नहीं रंगो की बरसात सिर्फ,
इस कहानी में मौसम होली का है , रंग पंचमी चल रही है, होली दो तीन दिन पहले ही हुयी है तो बारिश मुश्किल है, और फसल भी कट के खलिहान में भी नहीं आयी आम के बौर सब झड़ जाएंगे,...
और जोरू का गुलाम में तो मौसम ही बारिश का है,... इनकी बर्थडे १ जुलाई को पड़ी थी, सात आठ दिन बाद इनकी सास आयीं , दस पंद्रह दिन रहीं और उन के जाने के बाद मायके वहां भी आठ दस दिन जोड़ लीजिये, ... फिर वहां से आये अभी हफ्ता भर भी नहीं,... इस बारिश के प्रसंग में के शुरू में भी लिखा है भादों सावन से दूबर नहीं होगा,... इसलिए वहां भादों चल रहा है और यहाँ रंगपंचमी, दोनों के अलग अलग मजे हैं