रिमझिम गिरे सावन...
सचमुच लाजवाब...भाई भी जानता है इस ना में हाँ है और भैया की तारीफ़ भी,
क्या अंदाज है आपका आरुषि जी।
और फिर अगले दिन भाईयों के साथ भी...एकदम और मुकाबला सगी ननद भौजाई का था, गुलबिया और कजरी
फिर कजरी की फट चुकी है, भले ही एकाध बार ही सही तो कोई रोक टोक भौजाइयों पर भी नहीं,... घर में होली में ननद की रगड़ाई तो होती ही रहती है, लेकिन खुले आसमान के नीचे, मैदान में अमराई में, गांव की सब औरतों, लड़कियों के सामने वो दिन दहाड़े
मजा ही अलग है
Complacent team mostly looses.एकदम नंदों की ओर से भी तो नैना है न जबरदस्त व्यूह रचा है
ऊपर से न जाने कितने सालों से हर बार ननदें ही जीतती हैं, भौजाइयां तो लड़ने के पहले ही हार मान लेती थी इस बार मुकाबला कर रही हैं और आगे हैं
जो छुटकी कच्ची कलियाँ टाइप ननदें है वो बहुत तेज हैं दौड़ने में भागने में जिनके जोबन बस आ ही रहे हैं , लौंडो को अपने पीछे भगा भगा के पक्की हो गयी हैं
इसलिए मजा भी इसी बात का है टक्कर का, कभी बाजी इधर तो कभी उधर
टीम वर्क है...सबका रोल है, मिश्राइन भौजी में अनुभव है हिम्मत बंधाती है , ननदों की हर चाल को अच्छी तरह से समझती हैं
चमेलिया, गुलबिया, चननिया देह की करेर हैं, पकड़ सँड़सी ऐसी, ताकत भी छलक रही है,...
मोहिनी और रज्जो भाभी भी अभी लड़कोर नहीं है, जोश भी बहुत है,
रमजनिया को सब ननदों के राज मालूम है
इस तरावट से हीं चेहरे पर निखार आ जाती है...