चोद कर, कर दो मुझे बेहाल सी...
चोद कर, कर दो मुझे बेहाल सी...
इसी तूफान में कश्ती डुबोना है...
यही तो जोश-खरोश और हलचल बढ़ा देती है..
छुटकी खुशियाँ बांटती है...
पसंद .. अरे बहुत पसंद आ रही है....बहुत लोगों का इन्सेस्ट के लिए मनुहार था,... मैंने एक दो बार वादा भी किया था इसलिए अरविन्द -गीता का प्रसंग
और एक बार कहानी मुड़ जाती है तो फिर वापस बिना उस बात को कहे,... और आप ने कहा भी था कबड्ड़ी के इस प्रसंग के लिए,
लेकिन मुझे विश्वास है ननद भौजाइयों की यह बराबर की टक्कर आपको पसंद आ रही होगी , बस एक राउंड और फिर जीत का जश्न
अब ये जश्न ननदें मनायनेगीं या भाभियाँ एक दो पोस्ट के बाद पता चलेगा क्योंकि जिंदगी और कहानी में कुछ भी हो सकता है।