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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
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ननद की सास, और सास का प्लान
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No one can beat experience.जी इसलिए इस मैच में तीसरे राउंड में अगर दो की बढ़त थी तो पूरा टीम एफर्ट था, अगर मंजू भाभी पल भर चूकतीं तो मैं मैच से बाहर थी,
दूबे भाभी ने आउट होते होते भी चंदा के ऊपर भहरा कर, उसकी ताकत आधी कर दी।
जब कजरी को चमेलिया और गुलबिया मिल के पलट नहीं पा रही थीं मिश्राइन भाभी ने ही जुगत बताई।
रमजनिया ने नीलू को ठिकाने लगाया।
और भूले बिसरे यादों को ताजा कर देती हैं...मैं कहानियों के बहाने, कभी कोई प्रसंग जोड़ कर उन रीत रिवाजों को, लोक गीतों को कुछ कुछ ताजा करने की छोटी सी कोशिश करती हूँ,...
कच्ची अमिया वाली हीं ज्यादा विख उगल रही हैं...और अब तो बाहर बैठी भौजाइयाँ भी जो मैच के पहले ही हिम्मत हार जाती थीं इस बार भी वही सोच रही थीं , वो भी कुछ हम लोगों की बढ़त देख कुछ बगल में बैठी उछलती हुयी कच्ची अमिया वाली ननदों को देख के जोश में आ रही थी,
जीत का फायदा तो सारी भौजाइयों को मिलेगा वो भी साल भर अगली रंग पंचमी तक
ऐसा न कहिये , अगली पोस्ट के पहले आपकी हाजिरी जरूरी है,
थोड़ा बहुत इन्तजार तो ठीक है लेकिन,
आरुषि जी की प्रतिभा अद्वितीय है....एकदम सही कहा आपने ये लाइने आरुषि जी पर ही एकदम फिट बैठती हैं।
जीत के जोश में ननदें होश खो बैठती हैं...सही कहा आपने मोच के बावजूद चंदा में बड़ी ताक्त थी। चंदा और लीला को पार कर के लौटना हमारी टीम के लिए मुशिकल हो रहा था, और वहां जो मोहिनी भाभी की, दूबे भाभी की रगड़ाई हुयी, तो नैना के पाले में जाने के पहले भी हमारी टीम वालियां हिचकचा रही थीं
tit for tat जवाब देना होगा...इतने सालों से ऐसी ही थोड़े जीत रही हैं
और आज उनका जोश और दूना है,... हल्ला कर के वो न भौजाइयों की टीम की हिम्मत गिरा रही हैं बल्कि बाहर बैठी भौजाइयों
यही आपसे आशा थी कि एक तरफा के बजाय.. एकदम टक्कर का गेम....एफएम अब मैच किधर भी जा सकता था, भौजाइयां अब थकने भी लगी थीं। अगर इस समय मैच नहीं पलटा तो भौजाइ टीम की हिम्मत भी टूट जाती।
जोश के साथ जोर की भी जरूरत है....इस रगड़ाई से न सिर्फ टीम में बल्कि सपोर्ट्स में भी जोश आ गया।