- 22,186
- 57,701
- 259
भाग ६२ फाइनल राउंड
( तीसरे राउंड के बाद - भौजाइयां ६ - ननदें ४ )
१०,४३, ९५९
तीसरा राउंड खतम हो चुका था, एक बार फिर हम लोग दो से आगे हो गए थे, बस एक राउंड और,...
लेकिन तीसरे राउंड में ननदों ने एक बार बराबरी कर ली, और उनका डिफेंस बहुत तगड़ा था वो तो तीसरे राउंड के अंत में लीलवा,... लीलवा तगड़ी भी थी, फुर्तीली भी और दिमाग भी उसका बहुत तेज चलता था,...
और उसके रहते बाहर हल्ला कर रही ननदों में जोश भी बहुत था,
पर छुटकी ने सिर्फ पकड़ने में पर बाद में रगड़ाई भी करने में, और मिश्राइन भाभी की चाल थी, जो छुटकी को उन्होंने चुना,... और ललकारा, हे छुटकिया आज जरा यह लीलवा क माँ बहिन सब चोद दे, मालूम हो जाए ननदन को तोहार ताकत और जोश,
मिश्राइन भाभी थीं ने इशारे से चमेलिया गुलबिया की जोड़ी को आगे बढ़ने से रोक दिया और छुटकी को इशारा किया, आगे का काम तेरे हवाले, तेरी भी तो ननद लगेगी।
छुटकी मिश्राइन भाभी को देख के मुस्करायी,... जैसे कोई शेरनी अपनी शाविका को शिकार करना सिखाती है उसी तरह मिश्राइन भौजी छुटकी को ननदों का शिकार करना सिखा रही थीं,...
छुटकी ने पल भर में लीलवा की शलवार का नाड़ा खींच के निकाल लिया, मुट्ठी में लपेटा और भौजाइयों की ओर,... एक हमारी पड़ोसन ने लपक लिया और लहरा के ननदों को दिखा के बोलने लगी,
" अभी तुम सब की भी शलवार, चड्ढी इसी तरह खुलेगी और इसी से हाथ बांधा जाएगा "
छुटकी के हाथों की फुर्ती से बिजली मात खा रही थी, जब तक लीलवा पैर से पैर फंसा के शलवार उतरने से रुके, सररर छुटकी ने दोनों हाथों से खींच के मिश्राइन भाभी को जीत की ट्राफी की तरह से उछाल दिया,...
लेकिन मैं समझ रही थी लीलवा इत्ते दिन से मैच खेल रही वो क्या करेगी, वो अपनी दोनों टांगों को फंसा के पलटी मारने की कोशिश करेगी, जिससे छुटकी उसकी बुर को हाथ न लगा सके,... बस मैं लीला ननद की दोनों टांगों के अपनी टाँगे फैला के बैठ गयी और मेरा एक हाथ लीला की एक जांघ के दबोचे और दूसरी पर चमेलिया पूरी ताकत से, गुलबिया ने अपने दोनों हाथों से लीला के जबरदस्त जोबन को दबौच कर उसे जमीन से चिपका रखा था, अब लाख उछले लीला रानी बिना लीले बच नहीं पाएंगी,...
बाहर से भौजाइयां नारा लगा रही थीं,
अरे लीला, कुछ आज लीला, कुछ काल्ह लीला, लीला लीला,....
छुटकी अपनी हथेली से लीला की बिल रगड़ रही थी और थोड़ी देर में लीलवा पनियाने लगी,...
एकदम एक्सपर्ट भौजाइ की तरह छुटकी ननद को गीली कर रही थी, फिर दो उंगलिया मुंह में और सीधे एक झटके में लीला की बिल के अंदर,...
बाहर से एक भौजाई चिल्लाई,...
अरे छुटकी ये स्साली कातिक में कउनो कुत्ता नहीं छोड़ती, एक दो ऊँगली से का होगा ससुरी का,... और छुटकी की तीसरी ऊँगली भी अंदर, फिर जिस तेजी से अंदर बाहर कर रही थी, गोल गोल घुमा रही थी किसी चार बच्चो की माँ की भी हालत खराब हो जाती, साथ ही छुटकी ने अपना अंगूठा लीला की क्लिट पे लगा के रगड़ना शुरू कर दिया,...
और छुटकी लीलवा की बुर में ऊँगली करते हुए बाहर बैठी नंदों को, ... जो अबतक बहुत हल्ला कर रही थीं, गरिया रही थीं, कोई भौजाई पकड़ी जाती तो गारी दे दे कर, उन नंदों को अब चिढ़ा रही थी, ललकार रही थी,...
" अरे काहें चुपाय गयी, मुंहवा में कोई घोटाय दिया का,... जैसे तोहरी बहिनी को हां रहा है न बस थोड़ी देर और,... ऊँगली नहीं सीधे मैं मुक्का अंदर करुँगी, कोहनी तक,... घबड़ा मत जैसे लीला ननदिया को ऊँगली पेल रही हूँ बस दो चार दिन और हम सबके मायके से भाई आ आ के,... अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों,... अपने भैया से बहुत चुदवायी होगी अब हमरे भैया आके पलेंगे न तो पता चलेगा,... "
लीला काँप रही थी
पर घडी चल रही थी साढ़े तीन मिनट हो गए थे,... और अब चमेलिया भी मैदान में आ गयी बस उसने अपना मुंह लगाया और कस के क्लिट चूसने लगी , और गुलबिया जो दोनों जुबना दबोचे थी उसके निपल पकड़ के रंगड़ने मसलने लगी,... मिश्राइन भाभी ने छुटकी को इशारा किया अपनी ऊँगली फैला के और कैंची के फाल की तरह छुटकी ने ऊँगली फैला दी, लीला की बुर में और बुर के अंदर करोचने लगी,
और अचानक जिस तरह से लीला उछली मैं समझ गयी, छुटकी को उसका जी प्वाइंट मिल गया बुर के अंदर, और छुटकी भी समझ गयी बस वहीँ अंदर ऊँगली से उसने रगड़ना शुरू कर दिया,.... अब जबकि दुबारा लीलवा उछली तो मैंने छुटकी को ननद के चूतड़ की ओर इशारा किया और अब छुटकी की दो ऊँगली गाँड़ के अंदर,... पूरे दो पोर,...
बस लीला ने झड़ना शुरू कर दिया,... मैं कस के उस के दोनों पैर जकड़े हुए थी, मेरी सबसे छोटी बहन जिसे देख के मेरी ससुराल में सब ललचा रहे थे, वो, छुटकी लीलवा की बुर और गाँड़ दोनों में एक साथ ऊँगली कर रही थी.
, अब चननिया ने लीलवा के हाथ छोड़ दिए मैं भी हट गयी , जिससे सब ननदें भौजाइयां लीलवा की हालत और छुटकी की ताकत देख लें,...
बाहर बैठी सब ननदों को मालूम हो गया था छुटकी की ताकत की अकेले लीलवा ऐसी खेली खायी की दोनों ओर, बुर और गाँड़ में ऊँगली पेले हुए थी, जड़ तक, मेरी जेठानियाँ सब खुश होके प्यार से दुलार से मेरी छोटी बहन की कलाई की ताकत देख रही थीं, आखिर उन की भी तो छोटी बहन थी।
पांच मिनट होते होते लीलवा चार बार झड़ चुकी थी, वो लीलवा जिसको झड़ाने में इस गाँव के बड़े बड़े चुदक्क्ड़ मर्दों का पसीना छूट जाता था, छुटकी ने उसे झाड़ झाड़ कर थेथर कर दिया था।
जब हम सब ने छोड़ दिया तो भी उसे उठने में दिक्कत हो रही थी मैंने और चमेलिया ने उसे पकड़ के उठाया,... अब वो छुटकी को मुस्करा के देख रही थी,... बस मुस्कराती छुटकी ने लीलवा की बुर से निकली तीन उँगलियाँ उसकी मुंह में,... अरे चाट ला चासनी, जिसको चाटने के लिए यह गाँव क कुल लौंडे बेचैन रहते हैं,...
लीलवा भी कम नहीं थी जैसे कोई मोटा लौंड़ा चूसे उस तरह छुटकी की उँगलियाँ चूस रही थी, और जैसे ही वो उठी छुटकी ने लीलवा की गाँड़ से निकली ऊँगली उसके मुंह में ठेल दी
इहो तो तोहरे देह क हो ,...
तीसरा राउंड ख़तम हो चुका था,...
बस एक राउंड और ,... ननदों की टीम में अब चार बची थीं ,, नैना, गीता, कम्मो और पायल,... जो चार लड़कियां उनकी असली डिफेंडर थीं अब गायब हो गयी थीं.
भाभियों की टीम में अभी भी छः बची थी मैं मिसराइन भौजी, छुटकी, चमेलिया, गुलबिया और चननिया।
लेकिन मैं और मिश्राइन भाभी जानती थीं असली परेशानी,...
( तीसरे राउंड के बाद - भौजाइयां ६ - ननदें ४ )
१०,४३, ९५९
तीसरा राउंड खतम हो चुका था, एक बार फिर हम लोग दो से आगे हो गए थे, बस एक राउंड और,...
लेकिन तीसरे राउंड में ननदों ने एक बार बराबरी कर ली, और उनका डिफेंस बहुत तगड़ा था वो तो तीसरे राउंड के अंत में लीलवा,... लीलवा तगड़ी भी थी, फुर्तीली भी और दिमाग भी उसका बहुत तेज चलता था,...
और उसके रहते बाहर हल्ला कर रही ननदों में जोश भी बहुत था,
पर छुटकी ने सिर्फ पकड़ने में पर बाद में रगड़ाई भी करने में, और मिश्राइन भाभी की चाल थी, जो छुटकी को उन्होंने चुना,... और ललकारा, हे छुटकिया आज जरा यह लीलवा क माँ बहिन सब चोद दे, मालूम हो जाए ननदन को तोहार ताकत और जोश,
मिश्राइन भाभी थीं ने इशारे से चमेलिया गुलबिया की जोड़ी को आगे बढ़ने से रोक दिया और छुटकी को इशारा किया, आगे का काम तेरे हवाले, तेरी भी तो ननद लगेगी।
छुटकी मिश्राइन भाभी को देख के मुस्करायी,... जैसे कोई शेरनी अपनी शाविका को शिकार करना सिखाती है उसी तरह मिश्राइन भौजी छुटकी को ननदों का शिकार करना सिखा रही थीं,...
छुटकी ने पल भर में लीलवा की शलवार का नाड़ा खींच के निकाल लिया, मुट्ठी में लपेटा और भौजाइयों की ओर,... एक हमारी पड़ोसन ने लपक लिया और लहरा के ननदों को दिखा के बोलने लगी,
" अभी तुम सब की भी शलवार, चड्ढी इसी तरह खुलेगी और इसी से हाथ बांधा जाएगा "
छुटकी के हाथों की फुर्ती से बिजली मात खा रही थी, जब तक लीलवा पैर से पैर फंसा के शलवार उतरने से रुके, सररर छुटकी ने दोनों हाथों से खींच के मिश्राइन भाभी को जीत की ट्राफी की तरह से उछाल दिया,...
लेकिन मैं समझ रही थी लीलवा इत्ते दिन से मैच खेल रही वो क्या करेगी, वो अपनी दोनों टांगों को फंसा के पलटी मारने की कोशिश करेगी, जिससे छुटकी उसकी बुर को हाथ न लगा सके,... बस मैं लीला ननद की दोनों टांगों के अपनी टाँगे फैला के बैठ गयी और मेरा एक हाथ लीला की एक जांघ के दबोचे और दूसरी पर चमेलिया पूरी ताकत से, गुलबिया ने अपने दोनों हाथों से लीला के जबरदस्त जोबन को दबौच कर उसे जमीन से चिपका रखा था, अब लाख उछले लीला रानी बिना लीले बच नहीं पाएंगी,...
बाहर से भौजाइयां नारा लगा रही थीं,
अरे लीला, कुछ आज लीला, कुछ काल्ह लीला, लीला लीला,....
छुटकी अपनी हथेली से लीला की बिल रगड़ रही थी और थोड़ी देर में लीलवा पनियाने लगी,...
एकदम एक्सपर्ट भौजाइ की तरह छुटकी ननद को गीली कर रही थी, फिर दो उंगलिया मुंह में और सीधे एक झटके में लीला की बिल के अंदर,...
बाहर से एक भौजाई चिल्लाई,...
अरे छुटकी ये स्साली कातिक में कउनो कुत्ता नहीं छोड़ती, एक दो ऊँगली से का होगा ससुरी का,... और छुटकी की तीसरी ऊँगली भी अंदर, फिर जिस तेजी से अंदर बाहर कर रही थी, गोल गोल घुमा रही थी किसी चार बच्चो की माँ की भी हालत खराब हो जाती, साथ ही छुटकी ने अपना अंगूठा लीला की क्लिट पे लगा के रगड़ना शुरू कर दिया,...
और छुटकी लीलवा की बुर में ऊँगली करते हुए बाहर बैठी नंदों को, ... जो अबतक बहुत हल्ला कर रही थीं, गरिया रही थीं, कोई भौजाई पकड़ी जाती तो गारी दे दे कर, उन नंदों को अब चिढ़ा रही थी, ललकार रही थी,...
" अरे काहें चुपाय गयी, मुंहवा में कोई घोटाय दिया का,... जैसे तोहरी बहिनी को हां रहा है न बस थोड़ी देर और,... ऊँगली नहीं सीधे मैं मुक्का अंदर करुँगी, कोहनी तक,... घबड़ा मत जैसे लीला ननदिया को ऊँगली पेल रही हूँ बस दो चार दिन और हम सबके मायके से भाई आ आ के,... अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों,... अपने भैया से बहुत चुदवायी होगी अब हमरे भैया आके पलेंगे न तो पता चलेगा,... "
लीला काँप रही थी
पर घडी चल रही थी साढ़े तीन मिनट हो गए थे,... और अब चमेलिया भी मैदान में आ गयी बस उसने अपना मुंह लगाया और कस के क्लिट चूसने लगी , और गुलबिया जो दोनों जुबना दबोचे थी उसके निपल पकड़ के रंगड़ने मसलने लगी,... मिश्राइन भाभी ने छुटकी को इशारा किया अपनी ऊँगली फैला के और कैंची के फाल की तरह छुटकी ने ऊँगली फैला दी, लीला की बुर में और बुर के अंदर करोचने लगी,
और अचानक जिस तरह से लीला उछली मैं समझ गयी, छुटकी को उसका जी प्वाइंट मिल गया बुर के अंदर, और छुटकी भी समझ गयी बस वहीँ अंदर ऊँगली से उसने रगड़ना शुरू कर दिया,.... अब जबकि दुबारा लीलवा उछली तो मैंने छुटकी को ननद के चूतड़ की ओर इशारा किया और अब छुटकी की दो ऊँगली गाँड़ के अंदर,... पूरे दो पोर,...
बस लीला ने झड़ना शुरू कर दिया,... मैं कस के उस के दोनों पैर जकड़े हुए थी, मेरी सबसे छोटी बहन जिसे देख के मेरी ससुराल में सब ललचा रहे थे, वो, छुटकी लीलवा की बुर और गाँड़ दोनों में एक साथ ऊँगली कर रही थी.
, अब चननिया ने लीलवा के हाथ छोड़ दिए मैं भी हट गयी , जिससे सब ननदें भौजाइयां लीलवा की हालत और छुटकी की ताकत देख लें,...
बाहर बैठी सब ननदों को मालूम हो गया था छुटकी की ताकत की अकेले लीलवा ऐसी खेली खायी की दोनों ओर, बुर और गाँड़ में ऊँगली पेले हुए थी, जड़ तक, मेरी जेठानियाँ सब खुश होके प्यार से दुलार से मेरी छोटी बहन की कलाई की ताकत देख रही थीं, आखिर उन की भी तो छोटी बहन थी।
पांच मिनट होते होते लीलवा चार बार झड़ चुकी थी, वो लीलवा जिसको झड़ाने में इस गाँव के बड़े बड़े चुदक्क्ड़ मर्दों का पसीना छूट जाता था, छुटकी ने उसे झाड़ झाड़ कर थेथर कर दिया था।
जब हम सब ने छोड़ दिया तो भी उसे उठने में दिक्कत हो रही थी मैंने और चमेलिया ने उसे पकड़ के उठाया,... अब वो छुटकी को मुस्करा के देख रही थी,... बस मुस्कराती छुटकी ने लीलवा की बुर से निकली तीन उँगलियाँ उसकी मुंह में,... अरे चाट ला चासनी, जिसको चाटने के लिए यह गाँव क कुल लौंडे बेचैन रहते हैं,...
लीलवा भी कम नहीं थी जैसे कोई मोटा लौंड़ा चूसे उस तरह छुटकी की उँगलियाँ चूस रही थी, और जैसे ही वो उठी छुटकी ने लीलवा की गाँड़ से निकली ऊँगली उसके मुंह में ठेल दी
इहो तो तोहरे देह क हो ,...
तीसरा राउंड ख़तम हो चुका था,...
बस एक राउंड और ,... ननदों की टीम में अब चार बची थीं ,, नैना, गीता, कम्मो और पायल,... जो चार लड़कियां उनकी असली डिफेंडर थीं अब गायब हो गयी थीं.
भाभियों की टीम में अभी भी छः बची थी मैं मिसराइन भौजी, छुटकी, चमेलिया, गुलबिया और चननिया।
लेकिन मैं और मिश्राइन भाभी जानती थीं असली परेशानी,...
Last edited: