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मैं कहानियों के बहाने, कभी कोई प्रसंग जोड़ कर उन रीत रिवाजों को, लोक गीतों को कुछ कुछ ताजा करने की छोटी सी कोशिश करती हूँ,...अब तो आपाधापी में सबकुछ कहीं खो सा गया है...
मैं कहानियों के बहाने, कभी कोई प्रसंग जोड़ कर उन रीत रिवाजों को, लोक गीतों को कुछ कुछ ताजा करने की छोटी सी कोशिश करती हूँ,...अब तो आपाधापी में सबकुछ कहीं खो सा गया है...
और अब तो बाहर बैठी भौजाइयाँ भी जो मैच के पहले ही हिम्मत हार जाती थीं इस बार भी वही सोच रही थीं , वो भी कुछ हम लोगों की बढ़त देख कुछ बगल में बैठी उछलती हुयी कच्ची अमिया वाली ननदों को देख के जोश में आ रही थी,जीतने के बाद तो अगला पिछला कसर सब एक बार में...
ऐसा न कहिये , अगली पोस्ट के पहले आपकी हाजिरी जरूरी है,हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक...
एकदम सही कहा आपने ये लाइने आरुषि जी पर ही एकदम फिट बैठती हैं।यही बात आपके लिए भी कहना चाहता हूँ...
लेकिन शायद आप जैसे शब्दों का चयन मैं नहीं कर सकता ..
इसलिए उपरोक्त कथन आपके लिए मेरी तरफ से भी...
सही कहा आपने मोच के बावजूद चंदा में बड़ी ताक्त थी। चंदा और लीला को पार कर के लौटना हमारी टीम के लिए मुशिकल हो रहा था, और वहां जो मोहिनी भाभी की, दूबे भाभी की रगड़ाई हुयी, तो नैना के पाले में जाने के पहले भी हमारी टीम वालियां हिचकचा रही थींलंगड़ी घोड़ी भी लगता है काबू से बाहर हो रही है...
और नैना की तो जम रगड़ाई होनी चाहिए...
इतने सालों से ऐसी ही थोड़े जीत रही हैंये छुटकियन तो सिर पर चढ़ कर मूत रही हैं...
इनको भी तनी खारा पानी...
साथ में मलाई भी...
एफएम अब मैच किधर भी जा सकता था, भौजाइयां अब थकने भी लगी थीं। अगर इस समय मैच नहीं पलटा तो भौजाइ टीम की हिम्मत भी टूट जाती।उफ्फ... ननदें भी पूरा जोर लगा रही हैं...
बराबरी के बाद तो हौसले और बुलंद हो गए...
इस रगड़ाई से न सिर्फ टीम में बल्कि सपोर्ट्स में भी जोश आ गया।मोहिनी भाभी का जबरदस्त बदला लिया...
अब चंदा जीवन भर इस कबड्डी को याद रखेगी...
और अभी नैना और गीता उधर बची है। और उस राउंड में भौजाई लोग भी थकी रहेंगी दिन भर घर का काम चूल्हा चक्की और रात भर पति की सेवाचौथे राउंड में तो पार्टियां अपना पूरा दम-खम लगा देगी...
ये तो और excitement से भरपूर होगा...
I agree with you.AI के बजाय नेचुरल फोटोज ज्यादा अच्छे लगते हैं...