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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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एकदम सही कहा आपने लेकिन ऑल इन फेमिली।तेजी से खून खराबा होने वाला है
Awesome super duper gazab madak shilajiti updateUpdate 69 posted, please read, like, enjoy, and share your comments.
अरे वाह तो भौजी पार्टी का खेल शुरू हो गया. छिनार नांदिया को अपने भैया नांदिया के भैया. फिर बने सैया के खुटे पर बैठने को. सही जा रही हो कोमलजी. प्लीज इस वाले सीन को थोड़ा और बड़ा जरूर करना. इसे पढ़ने मे ज्यादा मज़ा आ रहा है.भाग ६९
पिलानिंग कल की,ननदों की
12,26,775
कुछ भौजाइयां भी अपने अपने घर के ओर, पर हम आठ दस लोग दूबे भाभी के घर रुक गए कल का प्लान बनाने। मैं, मंजू भाभी, दूबे भाभी, रज्जो और मोहिनी भाभी, चमेलिया, गुलबिया, रामजानिया और दो चार और लोग।
अब लग रही थी थकान, सब को भी मुझे थोड़ी और, सुबह सुबह चंदू देवर ने चोद चोद करके थेथर कर दिया था, जिस मूसल के आगे चार बच्चों की माँ भोंसड़ी वाली चिल्लाती थी, उसे दो बार मैंने घोंटा, पूरे जड़ तक वो भी हँसते मुस्कराते, अपने देवर की माँ बहिन गरियाते,... लेकिन उस के बाद जो निकली तो मेंड़ पर सीधे पैर नहीं पड़ रहे थे, फिर चुन्नू और उसके बाद कब्बडी और उसके बाद की मस्ती, और कल रात में भी कहाँ, ये भी और ननदोई जी भी, अगवाड़ा पिछवाड़ा कुछ नहीं बचा था,... थकान के बावजूद, मैं मुस्करा उठी,...
दूबे भाभी मुझे मुस्कराते देख के मुस्करा उठीं,... बोलीं अभी सब थकान दूर हो जायेगी,... उनके घर बाहर एक कूंवा था, कूंवा क्या कुइंया उसी ओर चरखी लगी थी,... चमेलिया से दूबे भाभी बोलीं,
" सब को एक एक डोल नहलवा दो "
बाद में पता चला की मान्यता यही थी जो ननदें,. मेरी जेठानियाँ घर गयीं थीं सब पहले नहा के ही कुछ और,... कबड्डी के मैदान की मस्ती और देवी के दरसन के बाद का असर,... लेकिन बाद में मेरे समझ में असर धुलता नहीं था,... वो रोम रोम में होकर देह में घुल जाता था, हाँ वो सब नशा थोड़ा कम हो जाता था तो रोज मर्रा की जिंदगी की ओर लौटना शुरू हो जाता था,
और जब सिर्फ भौजाइयां हों या एक दो बियाहिता ननदें,... तो मजाक का असर एकदम नए लेवल पर पहुँच जाता है, बजाय गरियाने और चिढ़ाने के सीधे देह के स्तर पर और अब सब के चिढ़ाने का सेंटर मैं ही थी, ... और सबसे ज्यादा मेरी दोनों पक्की सहेलियां, चमेलिया और गुलबिया यहाँ तक की दूबे भाभी भी ,...
कपडे तो किसी के ठीक से नहीं बचे थे, कुछ कबड्डी में फटे कुछ कबड्डी के बाद और कुछ ननदों को चुसवाने चटवाने में उतर गए, बस किसीकी फटी साड़ी का टुकड़ा किसी ने बस लपेट लिया था, बाग़ से निकलने के पहले और यहाँ नहाने के पहले वो सब भी उतर गए,... दूबे भाभी ने चमेलिया से कहा, मेरी ओर इशारा करके,
' अरे नयकी के बुर महरानी में एक डोल पानी डाल दो, बहुत गरमाई है "
चमेलिया ये मौका क्यों छोड़ती, और मैं भी,... मैंने जाँघे अच्छी तरह फैला दीं और चमेलिया डोल का पानी सीधे जांघों के बीच डालती मुझे चिढ़ाते दूबे भाभी से बोली,
" ये हमरी जेठानी और तोहरी देवरानी क बुर महारानी का गरमी कल जब देवरन का पानी से नहाइएं न तब सांत होई। आठ दस देवरन क मलाई पड़ी ऊपर तक बजबजायी न तभी कुछ ठंडक पहुंची "
" अरे हमार एकलौती देवरानी, तोहरे मुंह में घी गुड़,... हमार देवर रोज तोहें रगड़े,... कउनो दिन बिन मलाई के न जाये"
मैं चमेलिया से हँसते हुए बोली। मेरे बगल में मोहिनी भाभी को गुलबिया पानी डाल के नहला रही थी,... मैंने सीधे अपनी जेठानी की बिल में रगड़ते हुए गुलबिया से कहा,
" तू पानी डाल हम दोनों की जेठानी है, मैं रगड़ रगड़ के नहला दे रही हूँ " और दो ऊँगली अंदर घुसेड़ दी.
रमजानिया दुबे भाभी को नहला रही थी, उनकी बिल पे हथेली से रगड़ती चिढ़ा रही थी, आज तो ननदन क ऊँगली गयी है,... कल देवर क लंड जाएगा,...
मैंने भी छेड़ा, वैसे तो उमर में हम लोगों से काफी बड़ी थीं, मेरी सास से दो चार साल ही छोटी होंगी,... पर मज़ाक के मामले में एकदम समाजवाद चलता है,...
" भौजी आप सबसे बड़ी हैं,... तो आप पहले बता दीजिये कौन देवर पसंद है, हम लोग उधर मुंह भी नहीं करेंगे सीधे चढ़ा देंगी,... "
" अरे नयको इहो पूछने की बात है,... भौजी सबसे बड़ी हैं तो जिसका सबसे बड़ा होगा, सबसे कड़ा होगा,... बस उसी को चढ़ा देंगे और जो सबसे छोटी होगी,... " रज्जो भाभी ने बोला
लेकिन कहीं वो मेरा नाम न ले लें तो मैं उनकी बात बीच में काट दी और बोली,
" सही कहा आपने, चमेलिया सबसे छोट है, गाँव में हमारी अकेली देवरानी, हमरे बाद गौने उतरी है है,... ओहि के जिम्मे ये काम रहेगा, देवरन क नाप जोख कर के,... सीधे हम सबकी जेठानी के ऊपर,... "
चमेलिया ने एक डोल पानी सीधे दूबे भाभी के जांघ के बीच में डाला और बोली मंजूर,
"अपने जेठानी के लिए ये कौन बड़ा काम है, और एक से का होगा, तीनो छेद के लिए तीन पकड़ के लाऊंगी,... जैसे आज ये पानी जा रहा है वैसे कल हमरे देवरन क मलाई से नहलाईब,..."
मोहिनी भाभी सबसे पहले नहां के निकली, ... अभी कुछ सरम लाज का मामला नहीं था, मर्दों को आने में अभी भी घंटे दो घंटे की देर थी, सास सब, उन को हाँक के मेरी सास हम लोगों की छावनी ले गयी थीं अभी गाँव में हमी लोग थे,... मोहिनी भाभी का घर दूबे भाभी के घर से एकदम सटा था वो आधी बाल्टी गरम गरम चाय, ... और हम सब लोगों के लिए साड़ियाँ ले आयीं,...
हम सब लोग दूबे भाभी के घर में नहा के पहुंचे थे की थोड़ी देर में गुलबिया और मोहिनी भाभी चाय और कपडे,... कपडे में सिर्फ साड़ी थी,... बस हम सब लोगों ने देह में लपेट लिया,... चाय पी के फुर्ती आ गयी,...
पहला सवाल ये था की कौन कौन आएगा, कल
सबसे पहले मंजू भाभी ने बोला की वो नहीं आ पाएंगी,
मुझे पहले लगा शायद चुन्नू के चक्कर में, जैसे मैंने बेला की गाँठ चुन्नू से जोड़ने का तय किया था,.... वो अकेला लड़का था जिसे वो बचपन से राखी बांधती थी, न बेला का कोई भाई, न चुन्नू की कोई बहन,... और रिश्ते में चचेरी बहन ही लगती थी,.... दोनों सुकुवार,... तो जब मैंने मंजू भाभी से पूछा की कल चुन्नू को ले आऊं,... तो मुझे बहुत जोर की डांट पड़ गयी, वो एकदम असली जेठानी के रूप में आ गयीं। बोलीं तोहार देवर है की नहीं
सम्हल के बोली मैं,...एकदम है। आज ही तो मैंने उस हाईस्कूल वाले की नथ उतारी थी सुबह सुबह।
" तो मुझसे काहे पूछ रही है ? " मुस्कराते हुए बोलीं फिर जोड़ा लेकिन तोहरे हवाले रहेगा, तोहार जिम्मेदारी,...
मैं समझ गई उनकी बात और हँसते हुए बोली, आप चिंता मत करिये, कल वो लौंडे से पूरा मरद बन जायेगा,... असली सांड़ "
लेकिन मंजू भाभी के न आने का कारण दूसरा था वो उन्होंने मुझे बाद में अलग से फुसफुसा के बताया,...
" कल तोहरे जेठ आ रहे हैं तिझहरिया में, और यह गाँव के मर्दों को तो तुम जानती ही हो उन्हें एक ही चीज चाहिए और सब के सब एकदम सांड़ हैं,... और वो तो महीने में एक बार आते हैं चार दिन की छुट्टी इकट्ठे लेते हैं,... पहले पूछ लेते हैं की मेरी वो पांच दिन वाली छुट्टी तो नहीं चल रही है और आते ही चालू तो कल दिन में थोड़ा सो लूंगी उनके आने के पहले, तुम हो, दूबे भाभी हैं कल देख लेना। "
तो हमारी कबड्डी टीम के ११ में से ५ कल नहीं आने वाले थे, ...
६ जो आने वाले थे, दूबे भाभी, मोहिनी और रज्जो भाभी, मैं, चमेलिया और गुलबिया।
छुटकी के आने का सवाल ही नहीं था न तो वो भाभी थी न ननद और वैसे भी उसका दूसरा प्रोग्राम चल रहा था, मंजू भाभी मेरे जेठ के आने की तैयारी करेंगी। चननिया पहले ही चली गयी बगल के गाँव में किसी की भैंस बियाने वाली थी आज रात बिरात। रमजानिया को भी कुछ काम था, वो आएगी लेकिन आधे एक घंटे में उसे जाना था, उस की भी कहीं बुलाहट थी.
हाँ बाकी भौजाइयों में कुछ के आने की बात थी लेकिन दूबे भाभी बोली, उनकी चिंता हम लोग न करें कुछ न कुछ सबसे बाद में उनके बारे में सोच लेंगे, लेकिन पहले ननद और देवर,
हाँ .. अब तो ननदों की उनके भाईयों द्वारा ...A
Ab to kal ka intejar hai
खास दिन है रेनू और कमल के लिए... तो खास प्लानिंग और इंतजाम तो करनी हीं पड़ेगी..Kabbadi ke baad ab yahan bhi jabardast planning
अब गाव की सारी सास भी तो गाव की बहु ही तो हुई. उनको तो ख़ुशी होंगी ही. पर रिस्ता यहाँ सास बहु का भी है. और ऐसे मे कोमलजी बहुरिया से वो गरियाने वाली शरारत ना करवाए ऐसा हो ही नहीं सकता. मज़ा आ गया.रेनू और कमल
लेकिन घर पहुँचने के पहले ही मेरी मुलाकात हो गयी, रेनू की चाची और कमल की माँ से,...
वैसे तो उन का घर पूरब पट्टी में था और दूबे भाभी के घर से मेरे घर के रस्ते में नहीं पड़ता लेकिन मैं रज्जो भौजी को घर छोड़ते हुए जा रही थी और रज्जो भौजी का घर रेनू के घर के बगल में ही था, उन्होंने बोला भी था की सुबह वो रेनू को ले के आएँगी, बस , तो बस जैसे ही मैं रज्जो भौजी के घर से निकली उसी समय. रेनू की चाची, निकली,
घर, चूल्हा तो एक ही था,
मुझसे ज्यादा भेट मुलाकात नहीं थी लेकिन पहचानती तो थी ही. लगती तो मेरी सास ही थीं,... झुक के मैंने उनका पैर छूने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने पकड़कर उठा लिया और अँकवार में भर लिया,...
जबरदस्त जोबन, खूब गोरी, लम्बी मेरी इतनी हो होंगी, ५-५ के आस पास, और बहुत हंसमुख,... और अपने उभारों से मेरे उभारों को दबातीं खुश होके बोलीं,...
" आज बहुत दिन बाद तू यह गाँव का बहुओं क नाम ऊपर कर दी ,.... "
( भौजाइयों की जीत से सासें भी बहुत खुश थीं, आखिर वो भी तो हम सब की तरह इस गाँव की बहू ही थीं ) और उनके होंठ मेरे गालों से चिपक गए, जैसे हम दोनों न जाने कब की सहेली हों,... और उनकी ख़ुशी का कारण उनकी अगली बात से पता चला गया,...
" सुना है तोहार ननदिया, रेनू ( उनकी जेठानी की बेटी ) पहले राउंड में आउट हो गयी,... बहुत बोलती थी हमको कबड्डी का ये दांव आता है , वो दांव आता है दो चार भौजाई को तो अकेलवे,... "
" आपका आसीर्बाद,... " मैं सिर्फ इतना ही बोली।
लेकिन बात उनकी सही थी, नंदों की टीम की दांव पेंच के लिहाज से सबसे तगड़ी खिलाड़ी वही थी, हर साल जीत दिलवाने में गितवा के साथ उसका भी बड़ा हाथ रहता था, और ये बात हम सब लोगों को मालूम भी थी लेकिन हल ढूंढा छुटकी ने जिसने पहले राउंड में ही जब वह नंदों के पाले में गयी, झप्पटा मार कर पीछे अपनी एड़ी से छू के उसे आउट कर दिया था।
और बाद में नैना ने असली किस्सा खोला उसके कटखने चचेरे भाई कमल का, की रेनू ने उसके सामने शलवार का नाड़ा खोलने से मना कर दिया है इसलिए वो कटखना हो गया है।
पर कल के लिए प्लान मेरा यही थी की उसी कमल से उसकी बहन रेनू की नथ उतराई करवाई जाए , वो भी सब ननदों, भौजाइयों के सामने। लेकिन उसके लिए जरूरी था कल कमल, रेनू के चचेरे भाई का आना,.. नैना ने तो मुझे बोला था की वो खुद उससे बोल देगी कल की होली के लिए बगिया में पहुँचने के लिए, पर उसकी माँ मिल गयी थीं तो मैंने सोचा मैं भी बोल ही दूँ,...
" और हमार देवर कहाँ है, कल आना जरूरी है बगिया में "
" अरे नयकी भौजी क महक लग जाये तो आस पास के गाँव क देवर पहुँच जाये, वो तो पहुंचेगा ही " मुस्करा के रेनू की चाची बोलीं।
बहू और सास में भी खुल के मजाक चलता था, और होली का असर तो अभी चल ही रहा था मैंने उन्हें छेड़ते हुए कहा,...
" एकदम, और हमार देवर कहीं अपने महतारी के भोंसडे में जा के छिपेगें न तो वहां से भी हाथ डाल के निकाल के ले आउंगी, ... "
उन्होंने मजाक के जवाब में कस के मेरे गाल पकड़ के मीड दिए और मेरी महतारी अपनी समधन को एक खूब गंदी सी गाली दी। और बात रेनू की ओर मुड़ गयी, जो नैना का शक था वो एकदम सही निकला, ... चचेरे क्या एक तरह से सगे ही हुए दोनों, बाप तो एक ही है,.... और रेनू की चाची ने सब किस्सा साफ़ साफ़ बता दिया।
कमल के बाबू, रेनू के चाचा तो अपनी भौजाई का खेत अपनी शादी के पहले से जोतते थे, और रेनू की चाची को भी इसमें कुछ बुरा नहीं लगता था। रेनू के बाबू अकसर बाहर रहते थे साल डेढ़ साल में आते। खेत, घर सब एक , चूल्हा एक, तो जब कुछ बांटा नहीं था तो,... लेकिन देवरानी, कमल की माँ , जेठानी के पहले बियाई,
( देवर भौजाई का चक्कर चलता तो लेकिन कुछ कुछ सावधानी बरतते थे , एक दो बार पेट भी गिरवाया ) . कमल पेट में बहुत उत्पात मंचाता था और हुआ भी बड़ी मुश्किल से, और उसके बाद डाक्टरनी ने बोल दिया की अब दूसरा बच्चा नहीं हो सकता,... कमल घर का अकेला लड़का, बंश का दीपक , देवरानी जेठानी के बीच में अकेला,... तो मनबढ़ तो होना ही था। लेकिन जैसे जैसे बड़ा हुआ उसकी जिद्द की उसके कोई बहन क्यों नहीं है,... चार साल का था जिद्द कर बैठा,...
मेरी समझ में कुछ कुछ आने लगा था फिर भी मैंने बात को आगे बढ़ाते हुए पूछा, तो फिर क्या आपके जेठ आये,...
रेनू की चाची बड़ी जोर से हंसी, बोली, आके भी का करते, उनके बस का कुछ था नहीं और फिर उनका शौक भी अलग था, आगे का नहीं पीछे का, वो भी लड़कों के साथ,... और मारने का नहीं,..."
" .... मरवाने का " हँसते हए मैंने उनकी बात पूरी की,... ये बात मुझे भी मालूम थी की कौन गाँव ऐसा होगा जिसमें चिकने लौंडे या लौण्डेबाज न हों,... तो रेनू की चाची ने आगे बात बढ़ाई,...
" तो एक दिन वो जिद्द कर रहा था तो मैंने उसे उसकी ताई की ओर लुहका दिया , और उनसे बोली भी,... देखिये आपका दुलरुआ है आप ही इसकी इच्छा पूरी करिये,... मुझे तो डाक्टरनी ने बोल ही दिया है कुछ हो नहीं सकता। आपके देवर इतनी मेहनत करते हैं लेकिन कुछ होना जाना नहीं हैं , हाँ अगर आप चाहें,... "
कमल को गोद में लेके प्यार करते वो बोलीं , " अरे अब हमार कुल दीपक कउनो चीज चाहें और हम मना कर दें, ... उसका तेल बुकवा वही सब करती हैं, ... '
मैंने फिर छेड़ा, और नूनी खोल के तेल लगाना भी,... पकड़ के सु सु कराना वो भी।
हँसते हुए वो बोली एकदम और अभी भी मैं कमल के सामने भी उनसे बोलती हूँ , इसकी नूनी जब थी तब तो आपने सबसे पहले पकड़ा सहलाया था , तेल लगा लगा के बड़ा किया ,... लेकिन बात ये हुयी की सावन लग गया था, बहुत दिन से मैं मायके नहीं गयी थी, तो मैं कमल को लेकर महीने भर के लिए मायके चली गयी, और लौटी तो जेठानी हमारी उलटी करती मिलीं, रोज खट्टा मांगती। "
" तो सावन जबरदस्त बरसा, रोपनी अच्छी हुयी, देवर ने भौजी के खेत में पूरी मेहनत की,... " मैंने मुस्कराकर रेनू की चाची से कहा।
" एकदम, ... दिन रात मेहनत की, और अबकी सब पानी खेत में ही जा रहा था और उस समय तो गोली वोली का भी ज्यादा जमाना नहीं था। तो नतीजा अच्छा निकला। " हँसते हुए वो बोलीं।
आएगी.. आएगी... आएगी...Kab ayegi yeh raat, ab intejar nhi hota
लाजवाब...