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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Shetan

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दीवाल -

भाई बहिन के बीच में
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रेनू की चाची ने जो ये आँखों देखा हाल सुनाया, वो बगल के कमरे में थीं और वहां से सब कुछ दिख रहा था,... तो मैंने पूछा

" लेकिन फिर तो ललिया को खुश होना चाहिए था न गाँड़ तो कभी न कभी फटती ही, लेकिन वो तीन बार झड़ी, तो किस बात का गुस्सा , उसे तो खुश होना चाहिए था? " मैं बोली



" स्साली नौटंकी, असल में तोहरे देवर ने ,... रेनू की चाची, ... कमल की माँ बोलते बोलते रुक गयीं और फिर हंसने लगी, मुश्किल से हंसी रुकी तो बोली,

"तोहरे देवर ने गंडिया से निकाल के आपन खूंटा स्साली के मुंह में बस वो मुंह बंद कर ली,...एकदम जोर से भींच ली,... "
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" काहें,... अरे माल मसाला तो ससुरी के गांड का तो साफ़ कौन करता हमरे देवर का मूसल ? मैं भी बोली।

" यही तो, रेनू की चाची बोलीं, फिर जोड़ा, जब कमलवा से नहीं रहा गया तो एक चांटा कस के उसके गाल पे,... "

" यही देवर हमारे गलती कर गए,... " मैं बड़ी सीरियस हो के बोली।

अब रेनू की चाची भी चुप, मेरी ओर देखने लगीं, मैं बोली,...

" देवर जी को कम से कम चार चांटे मारने चाहिए थे, वो भी पूरी ताकत से, दोनों गालों पर दो दो , हफ्ते भर गाल सूजा रहता, लाल लाल बंदर के पिछवाड़े की तरह तो अगली बार खूंटा पिछवाड़े से बाद में बाहर निकलता स्साली मुंह पहले खोलती, झोंटा पकड़ के चार लगाते,... "

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अब वो मुस्करायीं बोली, तू हो असली भौजी देवर की, लेकिन स्साली एक चांटे में ही मुंह खोल दी, लंड पूरा घोंटी भी, चाटी भी चूसी भी एकदम चिक्कन।

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लेकिन रेनू की चाची ने बताया ललिया की असली बदमाशी कैसे उसने रेनू को भड़काया मेरे देवर, कमल के खिलाफ। तीन चार बातें थीं।

रेनू की चाची का चेहरा एकदम राख हो गया था, रुंआसा, मुंह लटक आया,... मुश्किल से मुंह से उनके निकला,

स्साली, मुँहझौंसी, कलमुंही, हमरे बेटवा बिटिया दोनों क जिन्नगी, सात पुश्त ओकर,...

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फिर उन्होंने बताया की ललिया ने कैसे रेनू और रेनू के भाई के बीच अम्बुजा सीमेंट टाइप दीवाल खड़ी की, वो भी फेविकोल का जोड़ लगा के जिसे खली भी न तोड़ सके, ...

खेल तमाशा तो सब ही देख रहे थे, दिन का टाइम,...

रेनू की माँ रसोई में थी, दिखाई ज्यादा नहीं पड़ रहा था लेकिन सुनाई सब पड़ रहा था, और सुन के खुश हो रही थीं ललिया की चीख, कमल की गालियां और जो चांटे वो मार रहा था उसकी आवाजें,... और वो रेनू की माँ भी, कलावती के साथ वो भी तो पीछे पड़ी थी रेनू के भाई के की ललिया क पिछवाड़ा अब जरूर बेधना, बहुत छिनरापना कर रही है, और एक बार घुस जाएगा पिछवाड़े तो खुदे निहुर के हाथ से पकड़ के पीछे भी सटवायेगी,

रेनू की चाची, कमल की माँ, अपने कमरे में, लेकिन एक खुली खिड़की से सब कुछ देख रही थीं, एक एक चीज तभी तो उन्होंने सब कुछ इतना डिटेल में बताया,... हाँ वो दोनों के पिछवाड़े के साइड में थी, तो कमल और ललिया के उनके देखने का चांस नहीं था,.. और वो ललिया की कच्ची कोरी गाँड़ में घुसता रेनू के भाई का मोटा खूंटा देख देख के खुस हो रही थी, कैसी जबरदस्त मस्त गाँड़ मार रहा है रेनू का भाई,...

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लेकिन ये किसी को नहीं मालूम था की रेनू भी घर में है,... वो तब ही आयी थी जब कमल ने ललिया के पिछवाड़े अपना मोटा खूंटा ठोंकने की कोशिश की थी,...


ललिया की ह्रदय विदारक चीख, आधे गाँव ने सुना होगा,... तो रेनू क्यों नहीं सुनती,...

बस एक छेद, छेद क्या बिलुक्का था बड़ा सा,.. जो रेनू के भाई ने अपने कमरे से अपनी बहन के कमरे में तांक झाँक करने के लिए बनाया था, और रेनू को पता चल गया था. बस वो कपडे बदलती तो ठीक उसी छेद के सामने, उस ेभी अपने भैया को तड़पाने में ललचाने में मजा आता था,... उसी छेद के सामने खड़ी होकर हर टीनेज लड़की की तरह अपने जोबन मुट्ठी में दबा के देखती कित्ते बड़े हो रहे है ,... और वो भी तब जब उसे मालूम होता की कमल बगल के कमरे में है और तांक झाँक कर रहा है, ....

हाँ बाद में कमरा खोलने के पहले एक कलेण्डर टांग देती ठीक उसी छेद के ऊपर, जिससे माँ या चाची को उस छेद का भेद न पता चले।
Amezing komalji. Khub jabardast create kiya he. Ye vo thoda guddi ki mahtari jesa kissa laga. Par fir bhi difrant shararat se bhara huaa superb

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Shetan

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हदस गयी रेनू
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किसी को नहीं मालूम था की रेनू भी घर में है,...

वो तब ही आयी थी जब कमल ने ललिया के पिछवाड़े अपना मोटा खूंटा घोंटने की कोशिश की थी,... ललिया की ह्रदय विदारक चीख, आधे गाँव ने सुना होगा,... तो रेनू क्यों नहीं सुनती,... बस एक छेद, छेद क्या बिलुक्का था बड़ा सा,.. जो रेनू के भाई ने अपने कमरे से अपनी बहन के कमरे में तांक झाँक करने के लिए बनाया था, और रेनू को पता चल गया था. बस वो कपडे बदलती तो ठीक उसी छेद के सामने, उसे भी अपने भैया को तड़पाने में ललचाने में मजा आता था,... उसी छेद के सामने खड़ी होकर हर टीनेज लड़की की तरह अपने जोबन मुट्ठी में दबा के देखती कित्ते बड़े हो रहे है ,...


और वो भी तब जब उसे मालूम होता की कमल बगल के कमरे में है और तांक झाँक कर रहा है, .... हाँ बाद में कमरा खोलने के पहले एक कलेण्डर टांग देती ठीक उसी छेद के ऊपर, जिससे माँ या चाची को उस छेद का भेद न पता चले।


तो सहेली की चीख सुनते ही उसने कैलेंडर उतार फेंका, और आँखे जो देख रही थीं, रेनू का चेहरा गुस्से से लाल,... उसकी सहेली उसके भाई के बारे में बहुत कुछ बोलती थी लेकिन वो इस हद तक होगा, सोच नहीं सकती थी।


बेचारी ललिया, आंसू की धार रुक नहीं रही थी, भैया ने उसका झोंटा पकड़ रखा था, अपने दोनों हाथों से कस के दबोच रखा था और अंदर,... सहेली उसकी चिल्ला रही थी मना कर रही थी, फिर भी वो,... अपने नाख़ून उन्होंने कस के रेनू की सहेली की चूँची में गड़ा दिए, .... ललिया की चीख रुक नहीं रही थी,... फिर चांटो की आवाज,... एक एक पल वो देख रही थी,... लेकिन सबसे ज्यादा उसे गुस्सा आया जब भैया ने अपना वो,... क्या क्या लगा था, ललिया के मुंह में, बस एक पल की देर हुयी और क्या तगड़ा चांटा भैया ने उसे मारा,... मुंह घूम गया बेचारी का ,


रेनू ने जो देखा था, शायद कुछ दिन में भूल जाती लेकिन ललिया थी न, और उसने छेद से झांकती रेनू की आँखें देख ली थी,

इसलिए और जोर से चोकर रही थी, टेसुए बहा रही थी और जब दर्द ख़तम भी हो गया था, मजे से धक्के ले रही थी , खुद ही चूत और गांड सिकोड़ रही थी, तब भी रेनू की आंखे देख कर जोर जोर से सुबकने लगती।


और ललिया, जान बुझ के बजाय घर जाने के, कमल की रगड़ाई के बाद जब बड़ी मुश्किल से सीधी हुयी तो नाटक करती, बड़ी मुश्किल से दीवार पकड़ के रेनू के कमरे में,... देखा रेनू की माँ ने भी था , उसे रेनू के कमरे में ,... लेकिन उनको, रेनू की चाची सबको अंदाजा यही था की रेनू घर में नहीं है। पर ललिया को तो मालूम ही था उसे ही तो दिखा दिखा के वो बिलख रही थी.

और कमरे में घुसते ही कटे पेड़ ऐसी वो गिर पड़ी, बड़ी मुश्किल से रेनू उसकी सहेली ने उठाया, और फिर ललिया जोर जोर से सुबकने लगी, दर्द तो कब का ख़तम हो गया था लेकिन नाटक सिर्फ नाटक,...


लेकिन उसके बाद साली ने जो नाटक फैलाया, हमार बिटिया जिंदगी भर के लिए हदस गयी, रेनू की चाची बस रोयीं नहीं,

मैं भी चुप रही, फिर हिम्मत कर बोली, क्या हुआ,...

' सलवार, ललिया क सलवार,... " मुश्किल से रेनू की चाची बोलीं,... और फिर फफक कर,..

मैंने कुछ नहीं कहा, कुछ देर रुक के रेनू की चाची ही बोलीं,...

' ललिया की सलवार में खून था,... जैसे रेनुआ उसको खड़ा की, सलवार ललिया की सरक के नीचे आ गयी,... "


" अरे पहली बार गाँड़ मरवाई थी, तो थोड़ बहुत गांड कहीं छिली होगी, दो चार बूँद खून निकलना,... " मैंने रेनू की चाची को समझाने की कोशिश की पर वो नहीं मानी बोलीं,

" नहीं ज्यादा था, गांड से निकल कर,... शलवार में नीचे तक बहा था, और यह देख के हमारा बिटिया, रेनुआ डर के सफ़ेद हो गयी, उसके मुंह से बोली नहीं निकली। दो दिन खाना नहीं खाया, मैंने, मेरी जेठानी उसकी माँ, कलावती ने बहुत समझाया,... ये खून वाली बात तो हफ्ते भर बाद पता चली। दो ढाई हफ्ते रेनू अपने भाई से बोली नहीं,... "


रेनू की चाची धीरे धीरे बोल रही थीं, पहली बार ये अपने दिल की बात किसी से बाँट रही थीं। मैं सोच रही थी, फिर समझ गयी, मुस्कारते हुए मैंने समझाया,

" गलती स्साली ललिया की थी, गाँड़ मरवाते समय गाँड़ ढीली करनी चाहिए थी,... फिर जब देवर मेरा बाहर खींच रहा था, गाँड़ क छल्ला में ही तो असली मजा असली दर्द है,... उसी टाइम वो भींच ली होगी,... तो बेचारा मेरा देवर का करता, लंड अपना काट के उस स्साली की गाँड़ में छोड़ देता, चमड़ी छिल गयी होगी। गाँड़ मारते समय कौन मर्द स्साला दरद का छिलने का ध्यान रखता है, ये सब सोचे न तो न कउनो लौंडिया की गाँड़ मारी जाए न लौंडे की। देवर के हमरे कउनो गलती नहीं। फिर दो चार बूँद भी होगी खून की तो खड़ी होने पे नीचे ही गिरेगी, सलवार में लग के कपडे के सहारे, थोड़ी देर में चोट अपने आप ठीक हो जाती है, जब ललिया रेनू के पास गयी तो ललिया स्साली की गाँड़ में खून बह थोड़े ही रह होगा, हाँ एकाध थक्का लगा होगा स्साली की गाँड़ में, मतलब चोट सूख गयी होगी। उसका तो एक ही इलाज था दुबारा पहली बार से भी कस के गांड मारी जाती, हाँ एकाध दिन दिसा मैदान में थोड़ी दिक्कत होती, जब जोर लगाती तो हमरे देवर की याद आती। "



रेनू की चाची खुल के हंसी, मुझे एक बार फिर से अँकवार में भर के बोलीं, बहुरिया हो तो तोहरे जस और भौजाई हो तोहरे जस,... देवर क साथ हरदम देने वाली।
फिर उन्होंने खून का राज खोला,

नहीं वो गाँड़ से नहीं निकला था, गांड से तो दो चार बूँद खून वो शलवार में चिपक जाता और इतनी देर में तो सूख जाता,... बहुते चालाक थी, पता नहीं कउनो चूड़ी तोड़ के या किसी चीज से रेनुआ के कोठरी में घुसने के पहले, शलवार सरकाय के पिछवाड़े चूतड़ में या जांघ में जहाँ दिखे नहीं, फाड़ ली थी, और जानबूझ के शलवार रेनुवा के सामने खोल के गिरायी जिससे ताजा खून और भरभरा के बहता देखेगी तो जिन्नगी भर के लिए हदस जायेगी।


फिर उन्होंने ललिया की और चाल बतायी,...

ललिया ने रेनू को समझा दिया था की रेनू का भाई तो असल में रेनू की गाँड़ मारने के चक्कर में था, बोल रहा था आपन बुर बचा के रखी हैं न स्साली तो आज उस की गाँड़ फाड़ के चीथड़े चीथड़े कर दूंगा, पूरे गाँव में मशहूर हो जाएगी, स्साली,... लेकिन ललिया बोली की नहीं भैया रेनू तो फूल अस कोमल है, तू हमार मार ला, हमरे सहेली को छोड़ दा।
Wow navi nakor pichhvade ka kissa chhinar nandiya ka. Par amezing khud se kabul karvane ka maza. Amezing

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Shetan

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ललिया की चाल

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रेनू की चाची खुल के हंसी, मुझे एक बार फिर से अँकवार में भर के बोलीं, बहुरिया हो तो तोहरे जस और भौजाई हो तोहरे जस,... देवर क साथ हरदम देने वाली।

फिर उन्होंने ललिया की और चाल बतायी,...

ललिया ने रेनू को समझा दिया था की रेनू का भाई तो असल में रेनू की गाँड़ मारने के चक्कर में था, बोल रहा था आपन बुर बचा के रखी हैं न स्साली तो आज उस की गाँड़ फाड़ के चीथड़े चीथड़े कर दूंगा, पूरे गाँव में मशहूर हो जाएगी, स्साली,... लेकिन ललिया बोली की नहीं भैया रेनू तो फूल अस कोमल है, तू हमार मार ला, हमरे सहेली को छोड़ दा।


और रेनू ने दो दिन तक मारे गुस्से के खाना नहीं खाया, ... महीनों अपने भाई से बोली नहीं,...

रेनू की चाची थोड़ी देर चुप रहीं, फिर आगे का हाल उन्होंने सुनाया, लेकिन ललिया ने खाली रेनू के दिल में आग नहीं लगाई, पूरे गाँव की लड़कियों ख़ास तौर से नयी नयी जवान होती लड़कियों को उसने ऐसा भड़काया, सबसे बोलती

" अरे रेनुआ के भाई के चक्कर में मत पड़ना,... वो स्साला नोचता ज्यादा है चोदता कम है। देख मेरे गाल पे, पूरी देह पे कैसा काट के,... अरे वो तो मेरी सहेली का भाई है इसलिए में कभी कभी,... अगर मैं न दूँ तो वो मेरी सहेली की पिटाई करेगा,..."
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किसी से कहती,

"अरे यार सोच न घर में उसके माल है मस्त, इत्ती बुरी भी नहीं है अभी कुँवारी है, तब भी वो उसे नहीं चोदता, क्यों ? अरे स्साले का या तो खड़ा नहीं होता होगा या कुछ बात होगी की घर में माल रहते हुए, ... वो भी कोरी कुँवारी,..."

और सब लड़कियां औरते तेरे देवर को चिढ़ाती,

"अरे कोरी कुँवारी चाहिए तो पहले रेनुआ की सील तोड़ के आओ, फिर हम सब अपने हाथ से नाड़ा खोल देंगे,... "


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और तोहार देवर रेनुआ के पीछे पड़ गया,.... घर का माल घर में

रेनू की चाची की बात बीच में काट के मैं बोली,...


सही तो कहता है मेरा देवर, ... न उसका छोट न पतला, ऐसा तगड़ा औजार और घर का माल बाहर किसी से,... हाँ इ बार फड़वा ले, गाँड़ मरवा ले,... उसके बाद,..


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अब बात काटने की जिम्मेदारी रेनू की चाची पर थी, ... वो बोलीं

तोहार सोच और तोहरे देवर की और हम देवरान जेठान की,... लेकिन रेनुआ के मन में वो ललिया अस बिष बेल बो के गयी है,... हमरे बिटिया और बेटवा दोनों क जिन्नगी, यही खेलने खाने की उम्र और इसी में,... गाँव क कुल लड़कियां लड़के मजे लेते हैं और ये दोनों,... जब रेनुआ नहीं मानी की सबसे पहले तोहार देवर तो वो बोल दिया की ठीक है जउन कूंवा से हम पानी नहीं पी सकते वहां पे और किसी को झाँकने भी नहीं देंगे और रेनुआ क माई क पाला पोसा, देह का तगड़ा है, कउनो क हिम्मत नहीं पड़ती है,


" देवर हमार एकदम ठीक कहते हैं और ओह कूंवा क पानी पिएंगे वो मन भर कर,... सबसे पहले उहे "


मैंने अपना फैसला सुना दिया लेकिन एक बात और मुझे पूछनी थी, जो नैना ने बताया था की चार चार बच्चों की माँ, भोंसड़ी वाली भी चिल्लाती हैं रेनू के भाई के नीचे आने के बाद, दो दिन तक टांग फैला के चलती है "

और रेनू की चाची थोड़ी हंसी, मुस्करायीं। कौन माँ अपने बेटे की बड़ाई सुन के नहीं खुश होगी। बोलीं,

" बात तो सही है काफी हद तक। तोहार देवर है तो जब्बर, और हमसे ज्यादा हमरी जेठानी, रेनू क माई क हाथ है कउनो खास बुकवा, मालिश, ... थोड़ा बड़ा हो गया था, टनटनाने लगा था तब भी,... बड़ा भी है तगड़ा भी लेकिन तू खुद सोचो, कउनो क लौंड़ा हो , का बच्चे से बड़ा होगा या मोटा होगा? नहीं न। तो जौनो भोंसडे से बच्चे निकल चुके हों, ... वो अगर चिल्लाय,... तो साली नौटंकी है न। हाँ दर्द होगा बात सही है, लेकिन वही दर्द में तो मजा है। पर वो सब कुछ ज्यादा इसलिए चिल्लाती हैं, जिससे तोहार देवर और गाँव क बाकी लौंडे समझे की चार बच्चे निकालने के बाद भी उनकी टाइट है,... और कोई बात नहीं लेकिन नुक्सान ये होता की नयी उमर वाली वो सब जो न जाने कितनी बार गन्ने के खेत में नाड़ा खोल चुकी हैं, स्कर्ट फैला चुकी हैं, और लीलवा पहले जहर बो गयी है की कमल मारता है पीटता है वो हदस जाती है,..."
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लेकिन मेरे दिमाग में कुछ और चल रहा था। मेरे सवाल का जवाब मिल चुका था।

वो ललिया गयी कहाँ ,...

और रेनू की चाची ने बोला की महीने दो महीने के अंदर परधानी का इलेक्शन हुआ, पुरनके परधान से मिलके पटवारी खूब चांदी काट रहा था, लेकिन नयके ने शिकायत लगा दी और रातोरात पटवारी का पास के गाँव में तबादला हो गया।


" अरे वो ललिया स्साली मिलती न कभी, तो अबकी ओकर गांड मैं मारती कोहनी तक हाथ डार के अबकी सच में खून खच्चर होता और ओहि से सच उगलवातीं अपने देवर के सामने " मैंने अपने मन की बात बोल दी।

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रेनू की चाची हंसने लगीं, बोलीं

का पता तोहरे मन की हो जाए, ओकरे बाप क केस वेस खतम हो गया है, वो परधान भी हट गया है , तहसीलदार भी ललिया की बिरादरी का , तो हो सकता है पटवारी क लौंडिया दो तीन महीने में,... आये जाए अगर ओकर किस्मत,...

लेकिन एक बार फिर वो उदास हो गयी थीं, बहुत धीमी आवाज में बोली

लेकिन तोहरे देवर की किस्मत तो बिगड़ी गयी न, अइसन सोना अस देह सांड़ अस ताकत,.. और महीना दो महीना में कउनो काम वाली, घास वाली , कभी वो भी नहीं, .... हरदम उदास रहता या गुस्से में,.... बहुत चिंता है।

और वो चुप हो गयीं।
Convention to pura jabardast he. Par ye pine amezing fantasy create ki he. Kya ward use kiye he.

रेनू की चाची की बात बीच में काट के मैं बोली,...

सही तो कहता है मेरा देवर, ... न उसका छोट न पतला, ऐसा तगड़ा औजार और घर का माल बाहर किसी से,... हाँ इ बार फड़वा ले, गाँड़ मरवा ले,... उसके बाद,..

Aur chal vala kissa to superb amezing he

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Shetan

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रेनू -कमल --

किस्सा भाई बहन का


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लेकिन एक बार फिर वो उदास हो गयी थीं, बहुत धीमी आवाज में बोली

लेकिन तोहरे देवर की किस्मत तो बिगड़ी गयी न, अइसन सोना अस देह सांड़ अस ताकत,.. और महीना दो महीना में कउनो काम वाली, घास वाली , कभी वो भी नहीं, .... हरदम उदास रहता या गुस्से में,.... बहुत चिंता है।

और वो चुप हो गयीं।
मैंने रेनू की चाची से पूछा, " और ये सब किस्सा ललिया का पता कैसे चला और फिर ललिया दुबारा हमरे देवर से मिली, का "


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वो हलके से मुस्करायीं और चिढ़ाती हुयी बोली,

" यह गांव क खूंटा क मज़ा जो एक बार ले लिया वो कहाँ जाएगा, अरे कुछ तो आपन छोट बहिन भी ले आती हैं,... ललिया थी रंडी पक्की छिनार, तो जान बूझ के घर आना बंद कर दिया, रेनुआ के साथ एक दो बार आयी भी तो ऐसे चलती थी की गांड में अभी भी खपच्ची घूसी हो. लेकिन कमल के साथ एक दिन भी जो नागा किया हो, गाँव में लड़का लड़की के मिले के जगह क कौन कमी,... कभी गन्ने के खेत में, तो कभी बँसवाड़ी के पीछे, और गाँड़ खुद कह के मरवाती थी,... "

मैं ध्यान से सुन रही थी और रेनू की चाची कमल की बात बता रही थीं ललिया के साथ कैसे कैसे, उन्होंने आगे बात बढ़ाई,

" और ललिया जो चारो ओर सब लड़कियों में कमल के बारे में फैलाई थी तो कउनो लड़की उस से बात करे को न तैयार, चुदवावे को तो छोड़ दो,... और ललिया जब जहाँ कमल कहे वहां आने को तैयार, दिन दहाड़ें, आधी रात,... तो कमल को लगता की पूरी दुनिया में उसकी हितवा वही है, और चुदवाती भी खूब मजे से थी,... गाँड़ भी बिना नागा,... उधर रेनू भी लीलवा को पक्की सहेली और कमल को दुश्मन माने बैठी थी, दोनों लीलवा के खिलाफ एक बात सुनने को तैयार नहीं,...

तो पता कैसे चला, मेरी समझ में नहीं आया, मैंने पूछ ही लिया,...

" अरे बताया तो उसका बाप, पटवरिया गाँव से दुरदुरा के निकाला गया, परधान के बदलने पर,... तो ओहि दिन जिस दिन बाप बेटी गाँव छोड़े,... लीलवा को उसका ग्वाला भी, पहले गाय दूहता था फिर लीलवा को,.. तो लीलवा ने उसी ग्वाले के आगे सब उगल दिया, बाद में जब लगा की गड़बड़ हो गया तो उसे सब कसम धरायी, लेकिन हम सबको सक तो था ही, तो वही कलवतिया, ... बाप बेटी के जाने के दस पन्दरह दिन बाद उसी ग्वाले से,... और उसने सब किस्सा बताया तो उसकी चाल समझ में आयी लेकिन जो बिस बेल बो के गयी थी वो पनप ही गयी। "

रेनू की चाची ने बताया फिर एकदम चुप, चेहरा झांवा,... बस रो नहीं रही थीं।फिर बहुत धीरे धीरे बोलीं, रेनुआ वो अब एकदम चुप्प, कतो गाना रतजगा होता है तो वहां भी नहीं जाती, मैं सोचती हूँ सादी बियाह होगा गौना होगा तो वहां भी कैसे, ऐसी हदसी डरी घबड़ायी रहेगी तो कैसे और कमल की भी हालात, अइसन सोना अस देह, जांगर ताकत लेकिन हम लोगन तो तो पूरे घर पे जैसे गरहन ,
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लेकिन में बोली थोड़ा हड़का के और मुस्करा के

" देवर किसका है "

" तुम्हारा " वो बोली,

" देवर मेरा, भौजी मैं,... उसकी तो चिंता मैं करुँगी आप क्यों चिंता कर रही है " मैं हंस के बोली।
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और वो भी खिलखिला के बोलीं, " बात तेरी एकदम सही है तेरा देवर तेरे हवाले "

" तो मेरा एक काम कर दीजियेगा, मेरे देवर को बोल दीजियेगा,...कल ठीक साढ़े दस बजे आम वाली बगिया में पोखर के बगल में पहुँच जाए, न एक मिनट पहले न एक मिनट बाद, हाँ और आपकी बिटिया रेनू को इसकी कानो कान खबर न हो की मेरा देवर वहां आएगा। लेकिन ये बताइये,... की बाकी सास लोग तो गाँव छोड़ के छावनी गयी हैं मजे करने के लिए , आप ने कोई यार बुलाये हैं का,... जो आप नहीं गयी। "

मारे ख़ुशी के उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और मेरी माँ को गरियाते बोलीं " एकदम पक्की छिनार क बेटी हो,... पैदायसी रंडी होगी तोहार महतारी अरे हम मायके जाएंगे , कल भिसारे के पहले ही,... फिर एक दो दिन बाद,... "

उनकी बात काट के मैं बोली, ...

" अरे तो हमरे देवर के मामा क पिचकारी अकेले अकेले काहें पकड़ियेगा, अपनी जेठानी को रेनुवा क माई को भी साथ ले जाइये,... और खबरदार जो हफ्ता भर से पहले लौंटी, ... और लौटिएगा, तो हमार देवर और तोहार बिटिया रेनुआ एक बिस्तर में मिलेंगे,... चिपका चिपकी करते, जो कातिक में कुत्ता कुतिया की हाल होती है न वो नंबर भी डंका देंगे दोनों,... बस हमार देवर कल पहुँच जाये। "



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एक बार फिर उन्होंने अँकवार भरा , असीसा की तोहरे मन की कुल बात पूरी हो, .. ननद देवर तोहरे मर्द सब पर तोहार हुकुम चले,...

और अभी तो पहले मेरी मन की ये इच्छा पूरी होनी थी मेरे साजन मेरी ननद के ऊपर,... लेकिन मैं कुछ और सोच रही थी,

रेनू और कमल के बारे में कैसे कहानी बदलती है,

सबसे पहले मैं सोच रही थी स्साली रेनुआ हाईस्कूल पास कर गयी साल भर पहले और अभी तक फटी नहीं, यहाँ तो लड़कियां हाईस्कूल के पहले ही सब पढाई पढ़ लेती हैं, गन्ने के खेत का सब पाठ लौंडे पढ़ा देते हैं, ...झांटे बाद में आती हैं लौंड़ा पहले ढूंढती है,... पता चला की उसका भाई कमल, एकदम कटखना कुत्ता, कोई उसकी बहन की ओर नजर उठा के भी देख ले तो उसकी आँख फोड़ने को तैयार, एक ने खाली छेड़ दिया था तो उसका हाथ तोड़ दिया,

मेरी समझ में नहीं आ रहा था की लंका में ये विभीषण कैसे , यहाँ तो सब भाई पहले घर के माल पे, ... और ये लट्ठ लेकर रखवाली कर रहा है,... बाल ब्रह्मचारी,

और नैना ने बात साफ़ की

कोई ब्रह्चारी नहीं है स्साला नंबरी चोदू है, गदहे ऐसा लंड है इसलिए रेनुआ भड़कती है, और उसने बोल रखा है की कुछ भी हो रेनुआ चढ़ेगी तो सबसे पहले उसके खूंटे पे। कितनी काम वाली घास वाली चोद चुका है, सब बताती है की चोदने में पूरा सांड़ है , खाली औजार ही नहीं बित्ते भर का ताकत भी कमर में जबरदस्त है,... लेकिन आराम आराम से नहीं, गाली दे दे के , रगड़ के पेलता है।

लेकिन पूरी कहानी रेनू के चाची ने साफ़ की

और बस कल सुबह रेनू और कमल की गाँठ जुड़वानी है , देवर को ननद पर चढाने से बड़ा पुण्य काम भौजाई के लिए क्या होगा।


और अब बात अगले दिन की, मेरी सारी गाँव भर की नंदों ने मनाया,


मेरा भाई मेरी जान,...

जिसके जिसके सगे भाई थे, छोटे बड़े, सब चढ़े अपनी बहनों पर कच्ची कलियाँ हो, बिन ब्याही चुदी ननदें हो या ब्याही और गौना न हुआ, साजन के पहले भाइयों ने नंबर लगाया, कुछ ने सीधे, कुछ ने धोखे से कुछ ने जबरदस्ती, लेकिन सबका पानी बच्चेदानी तक गया,... और जिसके सगे नहीं थी, तो चचेरे, नहीं तो उसी पट्टी के जिसको वो राखी बांधती थी, सबके सामने भैया भैया बोलती थीं, उन सब के संग जम के चुदेया हुयी और वो भी बीच गाँव में सब भौजाइयों के सामने,...

न कोई ननद बची न बिन ब्याहा देवर,

सब ने होली के संग राखी मनाई,
Ab jab dewar ko bhouji ke hawale de hi diya to kahena hi kya. Amezing. Har nandiya ka esa hi hal hona he. Bhouji party ka ashirvad mil gaya he.

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Rajizexy

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भाग ७१ - किस्सा रेनू और कमल का

ललिया ने लील लिया पिछवाड़े


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ललिया निहुर के,... दिन दहाड़े रेनू के घर में,... पांच दिन की माहवारी वाली छुट्टी के बाद आयी थी, चूत में आग लगी थी, आज कुछ भी हो जाये, उसे रेनू के भाई से चुदवाना ही था,... वो मारता था, काटता था, गरियाता था, लेकिन वैसा चुदवैया बीस गाँव में नहीं था, जब दरेररता, रगड़ता पेलता था तो जान निकल जाती लेकिन मजा भी जबरदस्त मिलता था और उस मजे के लिए कोई भी लड़की कुछ भी करेगी, ... और ललिया उस दिन कुछ ज्यादा ही गरमायी थी ( माहवारी ख़तम होने के बाद सब लड़कियों , औरतों की यही हालत होती है, बस लम्बा मोटा चाहिए )


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तो रेनू के भाई, कमल को उकसा रही थी, ललचा रही, चिढ़ा रही, सुपाड़ा घुसने के बाद ही लंड को कस कस के चूत में भींच रही थी,... खुद रेनू के भाई कमल का हाथ कमर पर से खींच के अपने कच्चे टिकोरों पे, जो कमल के के नाख़ून और दांतों के निशानों से भरा पड़ा था, जो ललिया के लिए मेडल की तरह था, गाँव के सांड़ के संग मस्ती का निशान।

और कमल भी कई दिनों से भूखा था, कसी चूत के लिए,... वो भी हचक हचक के चोद रहा था,...


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लेकिन बीच बीच में उसकी निगाह ललिया के गोल दरवाजे पर पड़ती थी, खूब कसा चिपका भूरा भूरा छेद, ... छेद क्या बस एकदम दरार सी वो भी इस लिए की जब ललिया निहुरी थी, खूब कस के टांगो को पूरी तरह फैला के, जाँघे एकदम खुली,... तो भरे भरे चूतड़ों के बीच वो दरार हल्की सी खुली,...


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और सुबह सुबह कलवतिया ने उसे खूब चढ़ाया था, ...

" अरे आज पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम हो रही होगी, आज एकदम गर्मायी होगी तोहार दुलहिनिया, पटवारी की लौंडिया,... ससुरी पता नहीं कौन कौन गाँव से चूत मरवा के आयी है यहाँ, लेकिन पिछवाड़ा तो अभी कोरा है न, बस खुले छेद का मजा बहुत ले लिए हो,... बंद छेद में घात लगाओ आज,... चार दिन गाँव में लंगड़ा लंगड़ा के चले तो पता चलेगा गाँव भर को की पटवारी की लौंडिया रेनू के भाई से गाँड़ मरवा के आयी हैं,... और ये मत कहना की उससे पूछते हो वो मना कर देती है,...बिना जबरदस्ती के गाँड़ कभी नहीं मारी जाती चाहे चिकना कल क लौंडा हो या कोई खेली खायी लौंडिया, पहली बार तो जबरदस्ती करनी ही पड़ती है, हाँ एक बार फाड् दोगे अच्छी तरह से तो खुदे चियार कर,... छोड़ना मत आज पिछवाड़ा, चिंचियाने देना स्साली को,... "


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रेनू की चाची और माँ भी आँगन में बैठी थी और वो भी मुस्करा के कलावती को और बढ़ावा दे रही थीं, फिर रेनू की माँ भी कलावती की भाषा बोलने लगीं,

अपनी देवरानी से,

" अरे हम बचपन से तेल लगा लगा के इसको नूनी से एतना जबरदस्त बांस किये हैं, खोल के तेल चुआते थे की डबल साइज का सुपाड़ा हो,... इतना बुकवा मालिश के बाद,... अगर तुम पूछोगे तो तोहरे से ज्यादा हमार बेज्जती,... महीने भर से ऊपर खुदे आती है दिन दहाड़े निहुर जाती,.... है और गाँड़ मरवाने के नाम पर,... स्साली नौटंकी, अरे हमको मालूम नहीं है का, केतना छिनरपन करती है केतना पिराता है,.... और दर्द होगा तो होगा, जितना चिल्लाएगी उतना हमार और तोहार महतारी क सीना डबल होगा, साइज बड़ी होने से अक्ल नहीं बढ़ती, वो तोहें चरा रही है, कलवतिया सही कह रही है, ... "


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रेनू की चाची भी हंसने लगी और अपनी जेठानी से बोलीं, ...दीदी अब तोहार बात तो ये आज तक नहीं टाले है,...


रेनू के भाई को वो सब बातें बार बार याद आ रही थीं,... दोनों चूँची पकड़ के चोद रहा था, उसकी माँ बहन गरिया रहा था, और ललिया भी उसी भाषा में जवाब दे रही थी, चुदवाती हुयी कभी वो चूत भींचती कभी खुद पीछे धक्के मारती,...

रेनू के भाई कमल से अब नहीं रहा जा रहा था, उसने एक ऊँगली बस पिछवाड़े की दरार पर लगाई और उसका लंड एकदम पागल हो गया उसको रेनू की माँ की बात याद आ गयी , उसने तय कर लिया आज कुछ हो जाए, ललिया गाँड़ मरवा के जायेगी,... और ऊँगली लगते ही ललिया गिनगीना गयी,... वो भी कभी कभी सोचती बेचारा उसकी सहेली का भाई है रोज रोज मांगता है दे दे न,... पर कमल को चिढ़ाया उसने,...

" हे बहुत मन कर रहा है स्साले तेरा,... दे दूंगी यार,... अबे स्साले, लेकिन तेरे घर में मस्त माल है, तेरी बहन रेनू एकदम कच्ची कोरी, मेरी समौरिया, मेरी पक्की सहेली, ... दोनों छेद अबतक सील बंद,... स्साले जिस दिन तू गाँड़ मार लेगा न,... मेरी सहेली की मैं खुद अपने दोनों चूतड़ फैला के, गाँड़ का छेद खोल के तेरे इस मूसल पे बैठ जाउंगी,... मार लेना मन भर के, पहले अपनी बहिनिया की गाँड़ मार ले,... तेरी महतारी का भोंसड़ा नहीं है मेरी गाँड़, जो आसानी से चला जाएगा, बड़ी मेहनत लगती है,... "

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अब इससे ज्यादा कोई उकसाता,... कमल ने दोनों अंगूठों से पूरी ताकत उसकी गाँड़ फैलाई।

ललिया को उस दिन दुबारा चोद रहा था वो, उसकी मलाई सब ललिया की बुर में, कुछ उस मलाई से कुछ ललिया की बुर की चाशनी से लंड भी चिकना हो गया था,... और बिना कुछ बोले अपना मोटा सुपाड़ा ललिया की हल्की सी खुली गाँड़ में सटा दिया,... दोनों अंगूठे से जोर से फ़ैलाने पर छेद थोड़ा सा खुल गया था,... सुपाड़े का टच होते ही गाँड़ में ललिया और गिनगीना गयी , अभी भी उसे लग रहा था की कमल उसकी गाँड़ नहीं मारेगा,... उसने फिर रेनू का नाम लेके चिढ़ाया,...

" अबे स्साले,... तेरी बहन की फुद्दी मारुं,... अबे बस एक बार मेरे सामने रेनुआ की गांड मार ले इसी आंगन में, ... उसके बाद चाहे जित्ती बार मेरी मारना, चाहे जहाँ मारना,.. रेनुआ की अपनी किसी जीजा के लिए बचा के रखी है "

बस, कमल ने पूरी ताकत से पेल दिया,... एक धक्का दो धक्का, चौथे धक्के में पूरा का पूरा सुपाड़ा ललिया की गाँड़ में गप्प,...

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मारे दर्द के ललिया की चीख भी निकल नहीं पायी, वो जैसे एकदम बेहोश सी,... कस के दोनों हाथों से उसने पलंग का सिरहाना पकड़ के रखा था, चेहरा एकदम सफ़ेद,... मिनट भर तक वो हिल भी नहीं पायी ऐसा करारा धक्का था,...

फिर उसकी कर्ण भेदी चीख गुंजी,... बहुत तेज कोई आवाज नहीं सिर्फ चीख जैसे किसी हिरणी को भाले ने बेंध दिया हो,.... दीवालों को भेद दे ऐसी चीख, और देर तक गूंजती रही,...

आधे गाँव में तो पहुंची ही होगी,...

रेनू की माँ, पास में ही रसोई में थीं, दाल चढ़ा रखी थी, खूब जोर से मुस्करायीं, दिल गदगद,... ससुरी बहुत छनछनाती थी, अब पता चला, मन ही मन बोलीं,

पेल साली को पूरी ताकत से,... लौंडिया का काम चीखना है,... अरे पहले गौने की रात की रगड़ाई के बाद अगले दिन दुल्हिन अपने आप बिस्तर से उठ गयी तो माना जाता की गौने की रात ठीक से नहीं हुयी,... कम से कम दो तीन ननद आती थी,... पकड़ के बिस्तर से उठाने के लिए,.... और उन्ही के कंधे के सहारे,...सांझ तक टांग जमीन पर ठीक से नहीं पड़ती थी,... चार दिन बाद जब चौथी में मायके वाले आते थे तो उनके सामने भी दीवाल का सहारा लेकर धीरे धीरे, हर कदम पर चिल्ख होती,... और ननदें भाइयों को चिढ़ाती,... और आज कल की लौंडिया चुदवाती कम हैं चिल्लाती ज्यादा,... मर्द कौन जो जबरदस्ती न करे,...

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और उस चीख का असर रेनू के भाई पर भी हुआ, लंड एकदम पत्थर का हो गया,... यही आवाज सुनने के लिए तो कान तरह रहे थे, बस जैसे पंचायत का सांड़ नयी नयी बछिया को छापता है, अपने दोनों आगे के पैरों से, बस उसी तरह, रेनू के भाई कमल ने ललिया को, रेनू की सहेली को दबोच लिया,... एक बार सुपाड़ा स्साली की गाँड़ में घुस गया बस आप लाख चूतड़ पटके,... बहुत नौटंकी पेलती थीं,... न अब उसने फिर पूरी कमर का जोर लगा के ठेलना शुरू किया,... बड़ी टाइट गाँड़ थी, स्साली की, इतनी गाँड़ उसने मारी थी, इस ललिया से कम उमर वालों की भी, लेकिन ऐसी मेहनत,... उसने फिर जोर लगाना शुरू किया,...

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" ओह्ह उह्ह्ह नहीं भैया,... हाथ जोड़ रही हूँ , निकाल लो, जान चली जाएगी,... नहीं जाएगा अंदर,... " ललिया रो रही थी सुबक रही थी,...

" स्साली छिनरपन" कमल जोर से बोला, और दो हाथ उसके चूतड़ पे जोर से लगाए, चूतड़ पर कमल के दो लाल फूल खिल गए, लेकिन न ये ललिया के लिए नयी बात थी न कमल के लिए,...

" स्साली निकाल तो लूंगा ही, तेरी गाँड़ में अपना लंड थोड़े ही छोड़ दूंगा,... और नहीं जाएगा अंदर जो बोल रही है तो पेलना किसको है मुझे की तुझे. स्साली गाँड़ ढीली कर ,... "

दो हाथ और चूतड़ पर, ... पहले से भी जबरदस्त,... एक हाथ कमर पर और दूसरा कस के चूँची को निचोड़ते हुए, नाखून धँसाते हुए,... उसने पूरी ताकत से लंड अंदर ठेला, बड़ी मुश्किल से किसी तरह दरेरते, रगड़ते, छीलते, जरा जरा सा उसका कलाई ऐसा मोटा लंड एकदम कसी टाइट गाँड़ में धंस रहा था.

ललिया, सुबक रही थी, उसके आंसू गालों को भिगो रहे थे,... सुबकते हुए कभी कभी उसके होंठों से चीख निकल ही जाती थी,

" ओह्ह उफ्फ्फ, उफ्फ्फ्फ़ नहीं, आह आह्ह्ह्हह, जान गयी, अब नहीं बचूंगी,... मेरे भैया रुक जाओ बस एक मिनट " और फिर रुलाई जोर से चालू,

रेनू की माँ बार बार कमरे की ओर देखतीं, मुस्करा रही थीं, दाल चूल्हे से उतारते सोच रही थीं, साली, बिना रोई रोहट के पता ही नहीं चलता की पहली बार गाँड़ मारी जा रही है,... बस दो चार बार गाँड़ मरवा लेगी, तो खुदे, ये कमलवा बहुत सोझ है, चलो कुछ तो सद्बुद्धि आयी,... और इतना पाल पोष के इसलिए थोड़ी बड़ा किये थे की, लौंडिया कुल चूतड़ मटकाये के ललचाये के चली जायँ,...
Awesome super duper gazab updates
Studded with exquisite marvelous gifs.
👌👌👌👌👌👌
✔️✔️✔️✔️✔️
🌟🌟🌟🌟
💯💯💯
 

motaalund

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Ekdam aapne sahi pakdi uski chaalaki, dard se jyada vo chhilaati thi, jisase renu dar jaaye aur apne bhayi se door rahe,.... aur Laliya akele Kamal se maje loote.

uski chikhen dard ki nahi chaalaki ki thin , Renu ko darvaane ke liye,... aur use uske bhaai se door rakhne ke liye,..agar kahin bhayi bahan ka chaakar chaalu ho jaata to Kamal apni behen renu se hi Chipaka rahata na ki lalilya ke saath jo pata nahi kiytanon ke saath,


aapne ekdm sahi samjha

Thanks so much
ललिया की चढ़ती जवानी..
मांगे कमाल का गाढ़ा पानी...
पूरे देह पर चुदाई की निशानी...
लेकिन करे रेनुआ के लिए परेशानी..
हदसा के कर दे बेईमानी....
 

motaalund

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ये दर्द नहीं ललिया की चालाकी थी,

जोर जोर से चीख कर रो कर, कमल की बहन रेनू को डराने की, जिससे वो हदस जाए और कमल से दूर रहे।

और कमल मजबूरन सिर्फ ललिया के साथ ही मजा ले। जितना दर्द होता था उससे ज्यादा चीखती थी, और ऐसा दर्द होने के बाद भी बार बार खुद आती थी,...
इस चालाकी को बुर, गांड, मुँह .. सबमें घुसा देना चाहिए...
ताकि दुबारा वो किसी और के साथ ऐसा ना करे....
 

motaalund

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Great, u r very knowledgeable 👌👌👌
सही कहा..
खास कर किसी भी सीन के निरूपण में जान डाल देती हैं...
ऐसा लगता है सारे पात्र जीवंत हो उठे हैं...
 
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motaalund

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Laliya ne khoob chalaki dikhai.....apne to maze le liye lekin Renu ko nahi lene dena chahti thi
उसकी चालाकी तो यही है कि कमल अगर एक बार रेनुआ की ले लेगा तो फिर ललिया की ओर झांकेगा भी नहीं...
इसी कारण इतना त्रिया चरित्र दिखा रही है...
 
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