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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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कोमल जीरेनू -कमल --
किस्सा भाई बहन का
लेकिन एक बार फिर वो उदास हो गयी थीं, बहुत धीमी आवाज में बोली
लेकिन तोहरे देवर की किस्मत तो बिगड़ी गयी न, अइसन सोना अस देह सांड़ अस ताकत,.. और महीना दो महीना में कउनो काम वाली, घास वाली , कभी वो भी नहीं, .... हरदम उदास रहता या गुस्से में,.... बहुत चिंता है।
और वो चुप हो गयीं।
मैंने रेनू की चाची से पूछा, " और ये सब किस्सा ललिया का पता कैसे चला और फिर ललिया दुबारा हमरे देवर से मिली, का "
वो हलके से मुस्करायीं और चिढ़ाती हुयी बोली,
" यह गांव क खूंटा क मज़ा जो एक बार ले लिया वो कहाँ जाएगा, अरे कुछ तो आपन छोट बहिन भी ले आती हैं,... ललिया थी रंडी पक्की छिनार, तो जान बूझ के घर आना बंद कर दिया, रेनुआ के साथ एक दो बार आयी भी तो ऐसे चलती थी की गांड में अभी भी खपच्ची घूसी हो. लेकिन कमल के साथ एक दिन भी जो नागा किया हो, गाँव में लड़का लड़की के मिले के जगह क कौन कमी,... कभी गन्ने के खेत में, तो कभी बँसवाड़ी के पीछे, और गाँड़ खुद कह के मरवाती थी,... "
मैं ध्यान से सुन रही थी और रेनू की चाची कमल की बात बता रही थीं ललिया के साथ कैसे कैसे, उन्होंने आगे बात बढ़ाई,
" और ललिया जो चारो ओर सब लड़कियों में कमल के बारे में फैलाई थी तो कउनो लड़की उस से बात करे को न तैयार, चुदवावे को तो छोड़ दो,... और ललिया जब जहाँ कमल कहे वहां आने को तैयार, दिन दहाड़ें, आधी रात,... तो कमल को लगता की पूरी दुनिया में उसकी हितवा वही है, और चुदवाती भी खूब मजे से थी,... गाँड़ भी बिना नागा,... उधर रेनू भी लीलवा को पक्की सहेली और कमल को दुश्मन माने बैठी थी, दोनों लीलवा के खिलाफ एक बात सुनने को तैयार नहीं,...
तो पता कैसे चला, मेरी समझ में नहीं आया, मैंने पूछ ही लिया,...
" अरे बताया तो उसका बाप, पटवरिया गाँव से दुरदुरा के निकाला गया, परधान के बदलने पर,... तो ओहि दिन जिस दिन बाप बेटी गाँव छोड़े,... लीलवा को उसका ग्वाला भी, पहले गाय दूहता था फिर लीलवा को,.. तो लीलवा ने उसी ग्वाले के आगे सब उगल दिया, बाद में जब लगा की गड़बड़ हो गया तो उसे सब कसम धरायी, लेकिन हम सबको सक तो था ही, तो वही कलवतिया, ... बाप बेटी के जाने के दस पन्दरह दिन बाद उसी ग्वाले से,... और उसने सब किस्सा बताया तो उसकी चाल समझ में आयी लेकिन जो बिस बेल बो के गयी थी वो पनप ही गयी। "
रेनू की चाची ने बताया फिर एकदम चुप, चेहरा झांवा,... बस रो नहीं रही थीं।फिर बहुत धीरे धीरे बोलीं, रेनुआ वो अब एकदम चुप्प, कतो गाना रतजगा होता है तो वहां भी नहीं जाती, मैं सोचती हूँ सादी बियाह होगा गौना होगा तो वहां भी कैसे, ऐसी हदसी डरी घबड़ायी रहेगी तो कैसे और कमल की भी हालात, अइसन सोना अस देह, जांगर ताकत लेकिन हम लोगन तो तो पूरे घर पे जैसे गरहन ,
लेकिन में बोली थोड़ा हड़का के और मुस्करा के
" देवर किसका है "
" तुम्हारा " वो बोली,
" देवर मेरा, भौजी मैं,... उसकी तो चिंता मैं करुँगी आप क्यों चिंता कर रही है " मैं हंस के बोली।
और वो भी खिलखिला के बोलीं, " बात तेरी एकदम सही है तेरा देवर तेरे हवाले "
" तो मेरा एक काम कर दीजियेगा, मेरे देवर को बोल दीजियेगा,...कल ठीक साढ़े दस बजे आम वाली बगिया में पोखर के बगल में पहुँच जाए, न एक मिनट पहले न एक मिनट बाद, हाँ और आपकी बिटिया रेनू को इसकी कानो कान खबर न हो की मेरा देवर वहां आएगा। लेकिन ये बताइये,... की बाकी सास लोग तो गाँव छोड़ के छावनी गयी हैं मजे करने के लिए , आप ने कोई यार बुलाये हैं का,... जो आप नहीं गयी। "
मारे ख़ुशी के उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और मेरी माँ को गरियाते बोलीं " एकदम पक्की छिनार क बेटी हो,... पैदायसी रंडी होगी तोहार महतारी अरे हम मायके जाएंगे , कल भिसारे के पहले ही,... फिर एक दो दिन बाद,... "
उनकी बात काट के मैं बोली, ...
" अरे तो हमरे देवर के मामा क पिचकारी अकेले अकेले काहें पकड़ियेगा, अपनी जेठानी को रेनुवा क माई को भी साथ ले जाइये,... और खबरदार जो हफ्ता भर से पहले लौंटी, ... और लौटिएगा, तो हमार देवर और तोहार बिटिया रेनुआ एक बिस्तर में मिलेंगे,... चिपका चिपकी करते, जो कातिक में कुत्ता कुतिया की हाल होती है न वो नंबर भी डंका देंगे दोनों,... बस हमार देवर कल पहुँच जाये। "
एक बार फिर उन्होंने अँकवार भरा , असीसा की तोहरे मन की कुल बात पूरी हो, .. ननद देवर तोहरे मर्द सब पर तोहार हुकुम चले,...
और अभी तो पहले मेरी मन की ये इच्छा पूरी होनी थी मेरे साजन मेरी ननद के ऊपर,... लेकिन मैं कुछ और सोच रही थी,
रेनू और कमल के बारे में कैसे कहानी बदलती है,
सबसे पहले मैं सोच रही थी स्साली रेनुआ हाईस्कूल पास कर गयी साल भर पहले और अभी तक फटी नहीं, यहाँ तो लड़कियां हाईस्कूल के पहले ही सब पढाई पढ़ लेती हैं, गन्ने के खेत का सब पाठ लौंडे पढ़ा देते हैं, ...झांटे बाद में आती हैं लौंड़ा पहले ढूंढती है,... पता चला की उसका भाई कमल, एकदम कटखना कुत्ता, कोई उसकी बहन की ओर नजर उठा के भी देख ले तो उसकी आँख फोड़ने को तैयार, एक ने खाली छेड़ दिया था तो उसका हाथ तोड़ दिया,
मेरी समझ में नहीं आ रहा था की लंका में ये विभीषण कैसे , यहाँ तो सब भाई पहले घर के माल पे, ... और ये लट्ठ लेकर रखवाली कर रहा है,... बाल ब्रह्मचारी,
और नैना ने बात साफ़ की
कोई ब्रह्चारी नहीं है स्साला नंबरी चोदू है, गदहे ऐसा लंड है इसलिए रेनुआ भड़कती है, और उसने बोल रखा है की कुछ भी हो रेनुआ चढ़ेगी तो सबसे पहले उसके खूंटे पे। कितनी काम वाली घास वाली चोद चुका है, सब बताती है की चोदने में पूरा सांड़ है , खाली औजार ही नहीं बित्ते भर का ताकत भी कमर में जबरदस्त है,... लेकिन आराम आराम से नहीं, गाली दे दे के , रगड़ के पेलता है।
लेकिन पूरी कहानी रेनू के चाची ने साफ़ की
और बस कल सुबह रेनू और कमल की गाँठ जुड़वानी है , देवर को ननद पर चढाने से बड़ा पुण्य काम भौजाई के लिए क्या होगा।
और अब बात अगले दिन की, मेरी सारी गाँव भर की नंदों ने मनाया,
मेरा भाई मेरी जान,...
जिसके जिसके सगे भाई थे, छोटे बड़े, सब चढ़े अपनी बहनों पर कच्ची कलियाँ हो, बिन ब्याही चुदी ननदें हो या ब्याही और गौना न हुआ, साजन के पहले भाइयों ने नंबर लगाया, कुछ ने सीधे, कुछ ने धोखे से कुछ ने जबरदस्ती, लेकिन सबका पानी बच्चेदानी तक गया,... और जिसके सगे नहीं थी, तो चचेरे, नहीं तो उसी पट्टी के जिसको वो राखी बांधती थी, सबके सामने भैया भैया बोलती थीं, उन सब के संग जम के चुदेया हुयी और वो भी बीच गाँव में सब भौजाइयों के सामने,...
न कोई ननद बची न बिन ब्याहा देवर,
सब ने होली के संग राखी मनाई,
Wah komalji naya kissa. Nai nandiya. Amezing. Aur vo bhi kissa kache raste ka. Maza aa gaya. Please is kisse ko thoda aage aur likhna bahot mazedaar he.भाग ७१ - किस्सा रेनू और कमल का
ललिया ने लील लिया पिछवाड़े
12,65,355
ललिया निहुर के,... दिन दहाड़े रेनू के घर में,... पांच दिन की माहवारी वाली छुट्टी के बाद आयी थी, चूत में आग लगी थी, आज कुछ भी हो जाये, उसे रेनू के भाई से चुदवाना ही था,... वो मारता था, काटता था, गरियाता था, लेकिन वैसा चुदवैया बीस गाँव में नहीं था, जब दरेररता, रगड़ता पेलता था तो जान निकल जाती लेकिन मजा भी जबरदस्त मिलता था और उस मजे के लिए कोई भी लड़की कुछ भी करेगी, ... और ललिया उस दिन कुछ ज्यादा ही गरमायी थी ( माहवारी ख़तम होने के बाद सब लड़कियों , औरतों की यही हालत होती है, बस लम्बा मोटा चाहिए )
तो रेनू के भाई, कमल को उकसा रही थी, ललचा रही, चिढ़ा रही, सुपाड़ा घुसने के बाद ही लंड को कस कस के चूत में भींच रही थी,... खुद रेनू के भाई कमल का हाथ कमर पर से खींच के अपने कच्चे टिकोरों पे, जो कमल के के नाख़ून और दांतों के निशानों से भरा पड़ा था, जो ललिया के लिए मेडल की तरह था, गाँव के सांड़ के संग मस्ती का निशान।
और कमल भी कई दिनों से भूखा था, कसी चूत के लिए,... वो भी हचक हचक के चोद रहा था,...
लेकिन बीच बीच में उसकी निगाह ललिया के गोल दरवाजे पर पड़ती थी, खूब कसा चिपका भूरा भूरा छेद, ... छेद क्या बस एकदम दरार सी वो भी इस लिए की जब ललिया निहुरी थी, खूब कस के टांगो को पूरी तरह फैला के, जाँघे एकदम खुली,... तो भरे भरे चूतड़ों के बीच वो दरार हल्की सी खुली,...
और सुबह सुबह कलवतिया ने उसे खूब चढ़ाया था, ...
" अरे आज पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम हो रही होगी, आज एकदम गर्मायी होगी तोहार दुलहिनिया, पटवारी की लौंडिया,... ससुरी पता नहीं कौन कौन गाँव से चूत मरवा के आयी है यहाँ, लेकिन पिछवाड़ा तो अभी कोरा है न, बस खुले छेद का मजा बहुत ले लिए हो,... बंद छेद में घात लगाओ आज,... चार दिन गाँव में लंगड़ा लंगड़ा के चले तो पता चलेगा गाँव भर को की पटवारी की लौंडिया रेनू के भाई से गाँड़ मरवा के आयी हैं,... और ये मत कहना की उससे पूछते हो वो मना कर देती है,...बिना जबरदस्ती के गाँड़ कभी नहीं मारी जाती चाहे चिकना कल क लौंडा हो या कोई खेली खायी लौंडिया, पहली बार तो जबरदस्ती करनी ही पड़ती है, हाँ एक बार फाड् दोगे अच्छी तरह से तो खुदे चियार कर,... छोड़ना मत आज पिछवाड़ा, चिंचियाने देना स्साली को,... "
रेनू की चाची और माँ भी आँगन में बैठी थी और वो भी मुस्करा के कलावती को और बढ़ावा दे रही थीं, फिर रेनू की माँ भी कलावती की भाषा बोलने लगीं,
अपनी देवरानी से,
" अरे हम बचपन से तेल लगा लगा के इसको नूनी से एतना जबरदस्त बांस किये हैं, खोल के तेल चुआते थे की डबल साइज का सुपाड़ा हो,... इतना बुकवा मालिश के बाद,... अगर तुम पूछोगे तो तोहरे से ज्यादा हमार बेज्जती,... महीने भर से ऊपर खुदे आती है दिन दहाड़े निहुर जाती,.... है और गाँड़ मरवाने के नाम पर,... स्साली नौटंकी, अरे हमको मालूम नहीं है का, केतना छिनरपन करती है केतना पिराता है,.... और दर्द होगा तो होगा, जितना चिल्लाएगी उतना हमार और तोहार महतारी क सीना डबल होगा, साइज बड़ी होने से अक्ल नहीं बढ़ती, वो तोहें चरा रही है, कलवतिया सही कह रही है, ... "
रेनू की चाची भी हंसने लगी और अपनी जेठानी से बोलीं, ...दीदी अब तोहार बात तो ये आज तक नहीं टाले है,...
रेनू के भाई को वो सब बातें बार बार याद आ रही थीं,... दोनों चूँची पकड़ के चोद रहा था, उसकी माँ बहन गरिया रहा था, और ललिया भी उसी भाषा में जवाब दे रही थी, चुदवाती हुयी कभी वो चूत भींचती कभी खुद पीछे धक्के मारती,...
रेनू के भाई कमल से अब नहीं रहा जा रहा था, उसने एक ऊँगली बस पिछवाड़े की दरार पर लगाई और उसका लंड एकदम पागल हो गया उसको रेनू की माँ की बात याद आ गयी , उसने तय कर लिया आज कुछ हो जाए, ललिया गाँड़ मरवा के जायेगी,... और ऊँगली लगते ही ललिया गिनगीना गयी,... वो भी कभी कभी सोचती बेचारा उसकी सहेली का भाई है रोज रोज मांगता है दे दे न,... पर कमल को चिढ़ाया उसने,...
" हे बहुत मन कर रहा है स्साले तेरा,... दे दूंगी यार,... अबे स्साले, लेकिन तेरे घर में मस्त माल है, तेरी बहन रेनू एकदम कच्ची कोरी, मेरी समौरिया, मेरी पक्की सहेली, ... दोनों छेद अबतक सील बंद,... स्साले जिस दिन तू गाँड़ मार लेगा न,... मेरी सहेली की मैं खुद अपने दोनों चूतड़ फैला के, गाँड़ का छेद खोल के तेरे इस मूसल पे बैठ जाउंगी,... मार लेना मन भर के, पहले अपनी बहिनिया की गाँड़ मार ले,... तेरी महतारी का भोंसड़ा नहीं है मेरी गाँड़, जो आसानी से चला जाएगा, बड़ी मेहनत लगती है,... "
अब इससे ज्यादा कोई उकसाता,... कमल ने दोनों अंगूठों से पूरी ताकत उसकी गाँड़ फैलाई।
ललिया को उस दिन दुबारा चोद रहा था वो, उसकी मलाई सब ललिया की बुर में, कुछ उस मलाई से कुछ ललिया की बुर की चाशनी से लंड भी चिकना हो गया था,... और बिना कुछ बोले अपना मोटा सुपाड़ा ललिया की हल्की सी खुली गाँड़ में सटा दिया,... दोनों अंगूठे से जोर से फ़ैलाने पर छेद थोड़ा सा खुल गया था,... सुपाड़े का टच होते ही गाँड़ में ललिया और गिनगीना गयी , अभी भी उसे लग रहा था की कमल उसकी गाँड़ नहीं मारेगा,... उसने फिर रेनू का नाम लेके चिढ़ाया,...
" अबे स्साले,... तेरी बहन की फुद्दी मारुं,... अबे बस एक बार मेरे सामने रेनुआ की गांड मार ले इसी आंगन में, ... उसके बाद चाहे जित्ती बार मेरी मारना, चाहे जहाँ मारना,.. रेनुआ की अपनी किसी जीजा के लिए बचा के रखी है "
बस, कमल ने पूरी ताकत से पेल दिया,... एक धक्का दो धक्का, चौथे धक्के में पूरा का पूरा सुपाड़ा ललिया की गाँड़ में गप्प,...
मारे दर्द के ललिया की चीख भी निकल नहीं पायी, वो जैसे एकदम बेहोश सी,... कस के दोनों हाथों से उसने पलंग का सिरहाना पकड़ के रखा था, चेहरा एकदम सफ़ेद,... मिनट भर तक वो हिल भी नहीं पायी ऐसा करारा धक्का था,...
फिर उसकी कर्ण भेदी चीख गुंजी,... बहुत तेज कोई आवाज नहीं सिर्फ चीख जैसे किसी हिरणी को भाले ने बेंध दिया हो,.... दीवालों को भेद दे ऐसी चीख, और देर तक गूंजती रही,...
आधे गाँव में तो पहुंची ही होगी,...
रेनू की माँ, पास में ही रसोई में थीं, दाल चढ़ा रखी थी, खूब जोर से मुस्करायीं, दिल गदगद,... ससुरी बहुत छनछनाती थी, अब पता चला, मन ही मन बोलीं,
पेल साली को पूरी ताकत से,... लौंडिया का काम चीखना है,... अरे पहले गौने की रात की रगड़ाई के बाद अगले दिन दुल्हिन अपने आप बिस्तर से उठ गयी तो माना जाता की गौने की रात ठीक से नहीं हुयी,... कम से कम दो तीन ननद आती थी,... पकड़ के बिस्तर से उठाने के लिए,.... और उन्ही के कंधे के सहारे,...सांझ तक टांग जमीन पर ठीक से नहीं पड़ती थी,... चार दिन बाद जब चौथी में मायके वाले आते थे तो उनके सामने भी दीवाल का सहारा लेकर धीरे धीरे, हर कदम पर चिल्ख होती,... और ननदें भाइयों को चिढ़ाती,... और आज कल की लौंडिया चुदवाती कम हैं चिल्लाती ज्यादा,... मर्द कौन जो जबरदस्ती न करे,...
और उस चीख का असर रेनू के भाई पर भी हुआ, लंड एकदम पत्थर का हो गया,... यही आवाज सुनने के लिए तो कान तरह रहे थे, बस जैसे पंचायत का सांड़ नयी नयी बछिया को छापता है, अपने दोनों आगे के पैरों से, बस उसी तरह, रेनू के भाई कमल ने ललिया को, रेनू की सहेली को दबोच लिया,... एक बार सुपाड़ा स्साली की गाँड़ में घुस गया बस आप लाख चूतड़ पटके,... बहुत नौटंकी पेलती थीं,... न अब उसने फिर पूरी कमर का जोर लगा के ठेलना शुरू किया,... बड़ी टाइट गाँड़ थी, स्साली की, इतनी गाँड़ उसने मारी थी, इस ललिया से कम उमर वालों की भी, लेकिन ऐसी मेहनत,... उसने फिर जोर लगाना शुरू किया,...
" ओह्ह उह्ह्ह नहीं भैया,... हाथ जोड़ रही हूँ , निकाल लो, जान चली जाएगी,... नहीं जाएगा अंदर,... " ललिया रो रही थी सुबक रही थी,...
" स्साली छिनरपन" कमल जोर से बोला, और दो हाथ उसके चूतड़ पे जोर से लगाए, चूतड़ पर कमल के दो लाल फूल खिल गए, लेकिन न ये ललिया के लिए नयी बात थी न कमल के लिए,...
" स्साली निकाल तो लूंगा ही, तेरी गाँड़ में अपना लंड थोड़े ही छोड़ दूंगा,... और नहीं जाएगा अंदर जो बोल रही है तो पेलना किसको है मुझे की तुझे. स्साली गाँड़ ढीली कर ,... "
दो हाथ और चूतड़ पर, ... पहले से भी जबरदस्त,... एक हाथ कमर पर और दूसरा कस के चूँची को निचोड़ते हुए, नाखून धँसाते हुए,... उसने पूरी ताकत से लंड अंदर ठेला, बड़ी मुश्किल से किसी तरह दरेरते, रगड़ते, छीलते, जरा जरा सा उसका कलाई ऐसा मोटा लंड एकदम कसी टाइट गाँड़ में धंस रहा था.
ललिया, सुबक रही थी, उसके आंसू गालों को भिगो रहे थे,... सुबकते हुए कभी कभी उसके होंठों से चीख निकल ही जाती थी,
" ओह्ह उफ्फ्फ, उफ्फ्फ्फ़ नहीं, आह आह्ह्ह्हह, जान गयी, अब नहीं बचूंगी,... मेरे भैया रुक जाओ बस एक मिनट " और फिर रुलाई जोर से चालू,
रेनू की माँ बार बार कमरे की ओर देखतीं, मुस्करा रही थीं, दाल चूल्हे से उतारते सोच रही थीं, साली, बिना रोई रोहट के पता ही नहीं चलता की पहली बार गाँड़ मारी जा रही है,... बस दो चार बार गाँड़ मरवा लेगी, तो खुदे, ये कमलवा बहुत सोझ है, चलो कुछ तो सद्बुद्धि आयी,... और इतना पाल पोष के इसलिए थोड़ी बड़ा किये थे की, लौंडिया कुल चूतड़ मटकाये के ललचाये के चली जायँ,...
Are bap re. Ye sirf thukai nahi rondai bhi he. Chhinar ka khub bura hal kiya he. Amezing.ललिया पर चढ़ाई
गोलकुंडा विजय
रेनू की माँ बार बार कमरे की ओर देखतीं, मुस्करा रही थीं, दाल चूल्हे से उतारते सोच रही थीं, साली, बिना रोई रोहट के पता ही नहीं चलता की पहली बार गाँड़ मारी जा रही है,... बस दो चार बार गाँड़ मरवा लेगी, तो खुदे, ये कमलवा बहुत सोझ है, चलो कुछ तो सद्बुद्धि आयी,... और इतना पाल पोष के इसलिए थोड़ी बड़ा किये थे की, लौंडिया कुल चूतड़ मटकाये के ललचाये के चली जायँ,...
कमल रुक गया, थोड़ा सा पीछे भी खींचा, दर्जनों लौंडो की तो वो,... भले किसी लड़की की गाँड़ पहली बार,... लेकिन बनावट तो वही,...असली लड़ाई तो अब होगी, गाँड़ का छल्ला, एक बार गाँड़ का छल्ला पार हो जाये, फिर भले स्साली लाख नौटंकी करे,...
ललिया को भी एक पल आराम हो हो गया था,... धीरे धीरे गांड को सुपाड़े की आदत हो रही थी, मसल्स फ़ैल गयी थीं,... और अब कमल धक्के भी नहीं मार रहा था, लेकिन उस बेचारी को क्या मालूम था की असली लड़ाई अभी बाकी है,...
कमल ने दोनों हाथों से ललिया की पतली सी कमर पकड़ी और फिर पूरी ताकत से जो धक्का मारा,
पहली बार का दर्द तो कुछ भी नहीं था,... इसके आगे,... आँखों के आगे अँधेरा छा गया, जैसी बिजली गिरी हो उसके ऊपर,....
लेकिन लंड गाँड़ के छल्ले के पार था,...
ओह्ह्ह उफ्फ्फ आ आह आआ आआ आ आ ,.... जैसे किसी मेमने की गर्दन भोंथरे चाकू से रेती जा रही हो, दर्द भरी आवाज,... ... एक तिहाई लंड अंदर घुस गया था,... और अब रेनू के भाई ने लंड ठेलना रोक दिया, बस कभी झुक के उसकी चूँची चूसता, गाल चूमता, पीठ सहलाता,...
दो चार मिनट के बाद दर्द दूर तो नहीं हुआ लेकिन ललिया को उस दर्द की आदत पड़ने लगी, ... और उसी समय मारे आदत के जैसे चढ़वाते समय वो मारे बदमाशी के अपनी चूत भींच लेती थी, अपने यार का लंड निचोड़ लेती थी,... और उसका यार मारे मस्ती के पागल होके तूफानी चुदाई करता था,... बस अपने आप उसकी चूत के साथ गाँड़ भी भिंच गयी,...
उसी समय कमल लंड बाहर खींच रहा था, अगला धक्का मारने के लिए और गाँड़ का छल्ला जो टाइट हुआ, मोटा सुपाड़ा उसी में फंस गया, फिर तो अंदर की चमड़ी, छिली, खिंची,... लेकिन कमल ने जोर से बाहर खींच के जो धक्का मारा,
ललिया ने अभी भी गांड ढीली नहीं की थी, पर कमल की कमर की ताकत,… और लंड तो गांड में ही था,... बस भचाक से छल्ला दुबारा पार और जो छिली जगह थी वो जब मोटे कड़े सुपाड़े से रगड़ी गयी, जैसे किसी कच्ची अमिया वाली की जहाँ झिल्ली फटी हो वहीँ से रगड़ रगड़ के बार बार मोटा मूसल जाए,... उससे भी सौ गुना ज्यादा दर्द,...
जैसे छिली हुयी जगह पर किसी ने लाल मिर्च छिड़क दी हो. लेकिन अब कमल को फर्क नहीं पड़ रहा था, उसपर कसी गाँड़ मारने का भूत सवार हो गया था, बस पूरी ताकत से वो पेल रहा था, ठेल रहा था, पांच सात मिनट की मेहनत के बाद बांस पूरा अंदर था।
ललिया चीख रही चिल्ला रही थी बिसूर रही थी,...
रसोई में बैठीं रेनू की माँ सुन रही थीं, और खुश हो रही थी, जो इतना काली गाय का दूध पिलाया अपने हाथ से चमड़ा खोल के तेल लगाया, सब सुफल हो रहा था, बस किसी दिन रेनुआ के साथ भी,... अरे गौने की रात दुल्हिन कितना चिल्लाती है टांग पटकती है और अगले दिन खुद ही सांझ से जम्हुआई आने लगती है , उसी को जल्दी होती है,
कमल के लिए पहली बार यह नहीं था की ललिया चीख चिल्ला रही हो,... लेकिन अक्सर वो नाटक करती थी, कमल को उकसाने के लिए और आज भी वो वही सोच रहा था, दोनों हाथों से एक बार छोटी छोटी अमिया पकड़ के दबा रहा था मसल रहा था, निपल पकड़ के नोच रहा था और उसका बित्ते भर का लम्बा मोटा लंड, ललिया की गांड में जड़ तक धंसा था, धीरे धीरे उसने आधा लंड बाहर निकाला फिर पूरी ताकत से पेल दिया,
ललिया की चीख जो अब तक धीमी पड़ गयी थी, दुबारा तेज हो गयी,
अरे कोई बचाओ, जान गयी, नहीं बचूंगी, अरे मर गयी,... "
जितना वो जोर से चीखती उसके दूनी जोर से रेनू का भाई उसकी गाँड़ मार रहा था , अब तक न जाने कितने लौंडों की उसने गाँड़ मारी थी, पर जो मजा आज आ रहा था वैसा कभी नहीं आया था, कलावती सही कहती थी,... धीरे धीरे थक कर ललिया की आवाज बैठ गयी,... और कमल ने अपनी दो ऊँगली एक साथ ललिया की बुर में अंदर पेल दिया , फिर तो गाँड़ से लंड बाहर होता,... दोनों ऊँगली अंदर, ... लंड गांड में ऊँगली अंदर, थोड़ी देर बाद लंड और ऊँगली दोनों एक साथ अंदर बाहर
अब ललिया सिसक रही थी, हां , करो न उफ़ उफ़ आह उह्ह्ह
और रेनू के भाई ने रफ़्तार दूनी कर दी गाँड़ मारने की भी बुर चोदने की भी, एक साथ दोनों छेदों की रगड़ाई हो रही थी, और वही हुआ जो होना था, ललिया बड़ी तेजी से झड़ने लगी, लेकिन उसकी सहेली का भाई रुका नहीं हाँ धीमा जरूर हो गया, ... और जब ललिया झड़ कर थेथर हो गयी, तो उसकी बुर से कमल ने दोनों ऊँगली निकाल कर ललिया के मुंह में, ललिया को उसकी बुर का रस चटा दिया, और वो छिनार शौक से चाट रही थी,...
गाँड़ मारने की रफ्तार दुबारा बढ़ी तो ललिया कभी चीखती, कभी सिसकती और अबकी बिना बुर छुए, ऊँगली से न लंड से , सिर्फ गाँड़ मार मार कर रेनू के भाई ने अपनी बहन की सहेली को झड़ने की कगार पर पहुंचा दिया,... बुर कभी सिकुड़ती कभी फैलती, कमल रुका नहीं बस पेलता रहा धकेलता रहा, ठेलता रहा,
और ललिया झड़ने लगी, आज तक कभी ऐसी नहीं झड़ी थी, वो पागलों की तरह सिसक रही थी, चूतड़ मचका रही थी,... लेकिन थी तो वो पक्की छिनार, ... जब झड़ना रुका तो ललिया ने फिर रेनू के भाई को रेनू का नाम लेकर हलके से छेड़ा,...
"अब तो रेनुआ की गाँड़ मार ले स्साले, कहो तो मैं सिफारिश लगाऊं तेरी,..."
रेनू का नाम सुनते ही रेनू का भाई, कमल एकदम पागल,... अभी तक अपने दोनों पैरों को ललिया के पैरों के बीच में डाल कर उसकी दोनों टांगों को उसने फैला दिया था जिससे गाँड़ खूब चौड़ी हो जाये और मोटा लंड आसानी से,... लेकिन अब दोनों पैर बाहर और कस के कमल ने ललिया के पैर कैंची की फाल की तरह अपने पैरों के बीच डालकर बांध दिया और कस के भींच लिया।
ललिया के दोनों पैर एकदम चिपक गए, गाँड़ का छेद भी सिमट गया,... संकरा हो गया, लेकिन बांस बराबर लंड तो अंदर था ही,... और अब एक बार फिर से जब दरेरते, रगड़ते छीलते लंड अंदर बाहर होना शुरू हुआ तो लगा कीलंड हर धक्के से चमड़ी अंदर की छिल रही है, लहर पर लहर दर्द की,...
कमल ने किसी तरह से अपने बांस को खींच के गाँड़ के छल्ले के बाहर,... ललिया ने एक पल के लिए सांस ली राहत की,... लेकिन असली हमला बाकी था,... कमल ने कस के दोनों जुबना पकड़ा और पूरी ताकत से भाला ढकेल दिया,
ओह्ह उन्हह नहीं नहीं,... वो फिर सुबक रही थी, टांग फ़ैलाने की कोशिश कर रही थी लेकिन कमल ने कस के भींच रखा था, और पेले जा रहा था, गांड के एंड रकि चमड़ी छिले तो छिले उसको परवाह नहीं,... और लंड पूरा घुसा ही नहीं था की ललिया की गाँड़ और बुर दोनों दुबकने लगी, ... कभी फैलती कभी सिकुड़ती और जैसे ही लंड अंदर जड़ तक घुसा जोर की ठोकर उसने मारी, ललिया अपने कंट्रोल में नहीं थी, उसकी गांड जोर जोर से सिकुड़ रही थी, साथ में बुर भी.
पहली दो बार से भी तेज वो झड़ रही थी, और गाँड़ के सिकुड़ने फैलने का नतीजा हुआ की कमल भी एकदम जड़ तक गाँड़ में झड़ने लगा, और देर तक बार बार , रुक रुक कर, कटोरी भर से ज्यादा मलाई, ललिया की गाँड़ में,...
रेनू की चाची ने जो ये आँखों देखा हाल सुनाया, वो बगल के कमरे में थीं और वहां से सब कुछ दिख रहा था,.