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भाग ७१ - किस्सा रेनू और कमल का
ललिया ने लील लिया पिछवाड़े
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ललिया निहुर के,... दिन दहाड़े रेनू के घर में,... पांच दिन की माहवारी वाली छुट्टी के बाद आयी थी, चूत में आग लगी थी, आज कुछ भी हो जाये, उसे रेनू के भाई से चुदवाना ही था,... वो मारता था, काटता था, गरियाता था, लेकिन वैसा चुदवैया बीस गाँव में नहीं था, जब दरेररता, रगड़ता पेलता था तो जान निकल जाती लेकिन मजा भी जबरदस्त मिलता था और उस मजे के लिए कोई भी लड़की कुछ भी करेगी, ... और ललिया उस दिन कुछ ज्यादा ही गरमायी थी ( माहवारी ख़तम होने के बाद सब लड़कियों , औरतों की यही हालत होती है, बस लम्बा मोटा चाहिए )

तो रेनू के भाई, कमल को उकसा रही थी, ललचा रही, चिढ़ा रही, सुपाड़ा घुसने के बाद ही लंड को कस कस के चूत में भींच रही थी,... खुद रेनू के भाई कमल का हाथ कमर पर से खींच के अपने कच्चे टिकोरों पे, जो कमल के के नाख़ून और दांतों के निशानों से भरा पड़ा था, जो ललिया के लिए मेडल की तरह था, गाँव के सांड़ के संग मस्ती का निशान।
और कमल भी कई दिनों से भूखा था, कसी चूत के लिए,... वो भी हचक हचक के चोद रहा था,...

लेकिन बीच बीच में उसकी निगाह ललिया के गोल दरवाजे पर पड़ती थी, खूब कसा चिपका भूरा भूरा छेद, ... छेद क्या बस एकदम दरार सी वो भी इस लिए की जब ललिया निहुरी थी, खूब कस के टांगो को पूरी तरह फैला के, जाँघे एकदम खुली,... तो भरे भरे चूतड़ों के बीच वो दरार हल्की सी खुली,...

और सुबह सुबह कलवतिया ने उसे खूब चढ़ाया था, ...
" अरे आज पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम हो रही होगी, आज एकदम गर्मायी होगी तोहार दुलहिनिया, पटवारी की लौंडिया,... ससुरी पता नहीं कौन कौन गाँव से चूत मरवा के आयी है यहाँ, लेकिन पिछवाड़ा तो अभी कोरा है न, बस खुले छेद का मजा बहुत ले लिए हो,... बंद छेद में घात लगाओ आज,... चार दिन गाँव में लंगड़ा लंगड़ा के चले तो पता चलेगा गाँव भर को की पटवारी की लौंडिया रेनू के भाई से गाँड़ मरवा के आयी हैं,... और ये मत कहना की उससे पूछते हो वो मना कर देती है,...बिना जबरदस्ती के गाँड़ कभी नहीं मारी जाती चाहे चिकना कल क लौंडा हो या कोई खेली खायी लौंडिया, पहली बार तो जबरदस्ती करनी ही पड़ती है, हाँ एक बार फाड् दोगे अच्छी तरह से तो खुदे चियार कर,... छोड़ना मत आज पिछवाड़ा, चिंचियाने देना स्साली को,... "

रेनू की चाची और माँ भी आँगन में बैठी थी और वो भी मुस्करा के कलावती को और बढ़ावा दे रही थीं, फिर रेनू की माँ भी कलावती की भाषा बोलने लगीं,
अपनी देवरानी से,
" अरे हम बचपन से तेल लगा लगा के इसको नूनी से एतना जबरदस्त बांस किये हैं, खोल के तेल चुआते थे की डबल साइज का सुपाड़ा हो,... इतना बुकवा मालिश के बाद,... अगर तुम पूछोगे तो तोहरे से ज्यादा हमार बेज्जती,... महीने भर से ऊपर खुदे आती है दिन दहाड़े निहुर जाती,.... है और गाँड़ मरवाने के नाम पर,... स्साली नौटंकी, अरे हमको मालूम नहीं है का, केतना छिनरपन करती है केतना पिराता है,.... और दर्द होगा तो होगा, जितना चिल्लाएगी उतना हमार और तोहार महतारी क सीना डबल होगा, साइज बड़ी होने से अक्ल नहीं बढ़ती, वो तोहें चरा रही है, कलवतिया सही कह रही है, ... "

रेनू की चाची भी हंसने लगी और अपनी जेठानी से बोलीं, ...दीदी अब तोहार बात तो ये आज तक नहीं टाले है,...
रेनू के भाई को वो सब बातें बार बार याद आ रही थीं,... दोनों चूँची पकड़ के चोद रहा था, उसकी माँ बहन गरिया रहा था, और ललिया भी उसी भाषा में जवाब दे रही थी, चुदवाती हुयी कभी वो चूत भींचती कभी खुद पीछे धक्के मारती,...
रेनू के भाई कमल से अब नहीं रहा जा रहा था, उसने एक ऊँगली बस पिछवाड़े की दरार पर लगाई और उसका लंड एकदम पागल हो गया उसको रेनू की माँ की बात याद आ गयी , उसने तय कर लिया आज कुछ हो जाए, ललिया गाँड़ मरवा के जायेगी,... और ऊँगली लगते ही ललिया गिनगीना गयी,... वो भी कभी कभी सोचती बेचारा उसकी सहेली का भाई है रोज रोज मांगता है दे दे न,... पर कमल को चिढ़ाया उसने,...
" हे बहुत मन कर रहा है स्साले तेरा,... दे दूंगी यार,... अबे स्साले, लेकिन तेरे घर में मस्त माल है, तेरी बहन रेनू एकदम कच्ची कोरी, मेरी समौरिया, मेरी पक्की सहेली, ... दोनों छेद अबतक सील बंद,... स्साले जिस दिन तू गाँड़ मार लेगा न,... मेरी सहेली की मैं खुद अपने दोनों चूतड़ फैला के, गाँड़ का छेद खोल के तेरे इस मूसल पे बैठ जाउंगी,... मार लेना मन भर के, पहले अपनी बहिनिया की गाँड़ मार ले,... तेरी महतारी का भोंसड़ा नहीं है मेरी गाँड़, जो आसानी से चला जाएगा, बड़ी मेहनत लगती है,... "

अब इससे ज्यादा कोई उकसाता,... कमल ने दोनों अंगूठों से पूरी ताकत उसकी गाँड़ फैलाई।
ललिया को उस दिन दुबारा चोद रहा था वो, उसकी मलाई सब ललिया की बुर में, कुछ उस मलाई से कुछ ललिया की बुर की चाशनी से लंड भी चिकना हो गया था,... और बिना कुछ बोले अपना मोटा सुपाड़ा ललिया की हल्की सी खुली गाँड़ में सटा दिया,... दोनों अंगूठे से जोर से फ़ैलाने पर छेद थोड़ा सा खुल गया था,... सुपाड़े का टच होते ही गाँड़ में ललिया और गिनगीना गयी , अभी भी उसे लग रहा था की कमल उसकी गाँड़ नहीं मारेगा,... उसने फिर रेनू का नाम लेके चिढ़ाया,...
" अबे स्साले,... तेरी बहन की फुद्दी मारुं,... अबे बस एक बार मेरे सामने रेनुआ की गांड मार ले इसी आंगन में, ... उसके बाद चाहे जित्ती बार मेरी मारना, चाहे जहाँ मारना,.. रेनुआ की अपनी किसी जीजा के लिए बचा के रखी है "
बस, कमल ने पूरी ताकत से पेल दिया,... एक धक्का दो धक्का, चौथे धक्के में पूरा का पूरा सुपाड़ा ललिया की गाँड़ में गप्प,...

मारे दर्द के ललिया की चीख भी निकल नहीं पायी, वो जैसे एकदम बेहोश सी,... कस के दोनों हाथों से उसने पलंग का सिरहाना पकड़ के रखा था, चेहरा एकदम सफ़ेद,... मिनट भर तक वो हिल भी नहीं पायी ऐसा करारा धक्का था,...
फिर उसकी कर्ण भेदी चीख गुंजी,... बहुत तेज कोई आवाज नहीं सिर्फ चीख जैसे किसी हिरणी को भाले ने बेंध दिया हो,.... दीवालों को भेद दे ऐसी चीख, और देर तक गूंजती रही,...
आधे गाँव में तो पहुंची ही होगी,...
रेनू की माँ, पास में ही रसोई में थीं, दाल चढ़ा रखी थी, खूब जोर से मुस्करायीं, दिल गदगद,... ससुरी बहुत छनछनाती थी, अब पता चला, मन ही मन बोलीं,
पेल साली को पूरी ताकत से,... लौंडिया का काम चीखना है,... अरे पहले गौने की रात की रगड़ाई के बाद अगले दिन दुल्हिन अपने आप बिस्तर से उठ गयी तो माना जाता की गौने की रात ठीक से नहीं हुयी,... कम से कम दो तीन ननद आती थी,... पकड़ के बिस्तर से उठाने के लिए,.... और उन्ही के कंधे के सहारे,...सांझ तक टांग जमीन पर ठीक से नहीं पड़ती थी,... चार दिन बाद जब चौथी में मायके वाले आते थे तो उनके सामने भी दीवाल का सहारा लेकर धीरे धीरे, हर कदम पर चिल्ख होती,... और ननदें भाइयों को चिढ़ाती,... और आज कल की लौंडिया चुदवाती कम हैं चिल्लाती ज्यादा,... मर्द कौन जो जबरदस्ती न करे,...

और उस चीख का असर रेनू के भाई पर भी हुआ, लंड एकदम पत्थर का हो गया,... यही आवाज सुनने के लिए तो कान तरह रहे थे, बस जैसे पंचायत का सांड़ नयी नयी बछिया को छापता है, अपने दोनों आगे के पैरों से, बस उसी तरह, रेनू के भाई कमल ने ललिया को, रेनू की सहेली को दबोच लिया,... एक बार सुपाड़ा स्साली की गाँड़ में घुस गया बस आप लाख चूतड़ पटके,... बहुत नौटंकी पेलती थीं,... न अब उसने फिर पूरी कमर का जोर लगा के ठेलना शुरू किया,... बड़ी टाइट गाँड़ थी, स्साली की, इतनी गाँड़ उसने मारी थी, इस ललिया से कम उमर वालों की भी, लेकिन ऐसी मेहनत,... उसने फिर जोर लगाना शुरू किया,...

" ओह्ह उह्ह्ह नहीं भैया,... हाथ जोड़ रही हूँ , निकाल लो, जान चली जाएगी,... नहीं जाएगा अंदर,... " ललिया रो रही थी सुबक रही थी,...
" स्साली छिनरपन" कमल जोर से बोला, और दो हाथ उसके चूतड़ पे जोर से लगाए, चूतड़ पर कमल के दो लाल फूल खिल गए, लेकिन न ये ललिया के लिए नयी बात थी न कमल के लिए,...
" स्साली निकाल तो लूंगा ही, तेरी गाँड़ में अपना लंड थोड़े ही छोड़ दूंगा,... और नहीं जाएगा अंदर जो बोल रही है तो पेलना किसको है मुझे की तुझे. स्साली गाँड़ ढीली कर ,... "
दो हाथ और चूतड़ पर, ... पहले से भी जबरदस्त,... एक हाथ कमर पर और दूसरा कस के चूँची को निचोड़ते हुए, नाखून धँसाते हुए,... उसने पूरी ताकत से लंड अंदर ठेला, बड़ी मुश्किल से किसी तरह दरेरते, रगड़ते, छीलते, जरा जरा सा उसका कलाई ऐसा मोटा लंड एकदम कसी टाइट गाँड़ में धंस रहा था.
ललिया, सुबक रही थी, उसके आंसू गालों को भिगो रहे थे,... सुबकते हुए कभी कभी उसके होंठों से चीख निकल ही जाती थी,
" ओह्ह उफ्फ्फ, उफ्फ्फ्फ़ नहीं, आह आह्ह्ह्हह, जान गयी, अब नहीं बचूंगी,... मेरे भैया रुक जाओ बस एक मिनट " और फिर रुलाई जोर से चालू,
रेनू की माँ बार बार कमरे की ओर देखतीं, मुस्करा रही थीं, दाल चूल्हे से उतारते सोच रही थीं, साली, बिना रोई रोहट के पता ही नहीं चलता की पहली बार गाँड़ मारी जा रही है,... बस दो चार बार गाँड़ मरवा लेगी, तो खुदे, ये कमलवा बहुत सोझ है, चलो कुछ तो सद्बुद्धि आयी,... और इतना पाल पोष के इसलिए थोड़ी बड़ा किये थे की, लौंडिया कुल चूतड़ मटकाये के ललचाये के चली जायँ,...
ललिया ने लील लिया पिछवाड़े
12,65,355

ललिया निहुर के,... दिन दहाड़े रेनू के घर में,... पांच दिन की माहवारी वाली छुट्टी के बाद आयी थी, चूत में आग लगी थी, आज कुछ भी हो जाये, उसे रेनू के भाई से चुदवाना ही था,... वो मारता था, काटता था, गरियाता था, लेकिन वैसा चुदवैया बीस गाँव में नहीं था, जब दरेररता, रगड़ता पेलता था तो जान निकल जाती लेकिन मजा भी जबरदस्त मिलता था और उस मजे के लिए कोई भी लड़की कुछ भी करेगी, ... और ललिया उस दिन कुछ ज्यादा ही गरमायी थी ( माहवारी ख़तम होने के बाद सब लड़कियों , औरतों की यही हालत होती है, बस लम्बा मोटा चाहिए )

तो रेनू के भाई, कमल को उकसा रही थी, ललचा रही, चिढ़ा रही, सुपाड़ा घुसने के बाद ही लंड को कस कस के चूत में भींच रही थी,... खुद रेनू के भाई कमल का हाथ कमर पर से खींच के अपने कच्चे टिकोरों पे, जो कमल के के नाख़ून और दांतों के निशानों से भरा पड़ा था, जो ललिया के लिए मेडल की तरह था, गाँव के सांड़ के संग मस्ती का निशान।
और कमल भी कई दिनों से भूखा था, कसी चूत के लिए,... वो भी हचक हचक के चोद रहा था,...

लेकिन बीच बीच में उसकी निगाह ललिया के गोल दरवाजे पर पड़ती थी, खूब कसा चिपका भूरा भूरा छेद, ... छेद क्या बस एकदम दरार सी वो भी इस लिए की जब ललिया निहुरी थी, खूब कस के टांगो को पूरी तरह फैला के, जाँघे एकदम खुली,... तो भरे भरे चूतड़ों के बीच वो दरार हल्की सी खुली,...

और सुबह सुबह कलवतिया ने उसे खूब चढ़ाया था, ...
" अरे आज पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम हो रही होगी, आज एकदम गर्मायी होगी तोहार दुलहिनिया, पटवारी की लौंडिया,... ससुरी पता नहीं कौन कौन गाँव से चूत मरवा के आयी है यहाँ, लेकिन पिछवाड़ा तो अभी कोरा है न, बस खुले छेद का मजा बहुत ले लिए हो,... बंद छेद में घात लगाओ आज,... चार दिन गाँव में लंगड़ा लंगड़ा के चले तो पता चलेगा गाँव भर को की पटवारी की लौंडिया रेनू के भाई से गाँड़ मरवा के आयी हैं,... और ये मत कहना की उससे पूछते हो वो मना कर देती है,...बिना जबरदस्ती के गाँड़ कभी नहीं मारी जाती चाहे चिकना कल क लौंडा हो या कोई खेली खायी लौंडिया, पहली बार तो जबरदस्ती करनी ही पड़ती है, हाँ एक बार फाड् दोगे अच्छी तरह से तो खुदे चियार कर,... छोड़ना मत आज पिछवाड़ा, चिंचियाने देना स्साली को,... "

रेनू की चाची और माँ भी आँगन में बैठी थी और वो भी मुस्करा के कलावती को और बढ़ावा दे रही थीं, फिर रेनू की माँ भी कलावती की भाषा बोलने लगीं,
अपनी देवरानी से,
" अरे हम बचपन से तेल लगा लगा के इसको नूनी से एतना जबरदस्त बांस किये हैं, खोल के तेल चुआते थे की डबल साइज का सुपाड़ा हो,... इतना बुकवा मालिश के बाद,... अगर तुम पूछोगे तो तोहरे से ज्यादा हमार बेज्जती,... महीने भर से ऊपर खुदे आती है दिन दहाड़े निहुर जाती,.... है और गाँड़ मरवाने के नाम पर,... स्साली नौटंकी, अरे हमको मालूम नहीं है का, केतना छिनरपन करती है केतना पिराता है,.... और दर्द होगा तो होगा, जितना चिल्लाएगी उतना हमार और तोहार महतारी क सीना डबल होगा, साइज बड़ी होने से अक्ल नहीं बढ़ती, वो तोहें चरा रही है, कलवतिया सही कह रही है, ... "

रेनू की चाची भी हंसने लगी और अपनी जेठानी से बोलीं, ...दीदी अब तोहार बात तो ये आज तक नहीं टाले है,...
रेनू के भाई को वो सब बातें बार बार याद आ रही थीं,... दोनों चूँची पकड़ के चोद रहा था, उसकी माँ बहन गरिया रहा था, और ललिया भी उसी भाषा में जवाब दे रही थी, चुदवाती हुयी कभी वो चूत भींचती कभी खुद पीछे धक्के मारती,...
रेनू के भाई कमल से अब नहीं रहा जा रहा था, उसने एक ऊँगली बस पिछवाड़े की दरार पर लगाई और उसका लंड एकदम पागल हो गया उसको रेनू की माँ की बात याद आ गयी , उसने तय कर लिया आज कुछ हो जाए, ललिया गाँड़ मरवा के जायेगी,... और ऊँगली लगते ही ललिया गिनगीना गयी,... वो भी कभी कभी सोचती बेचारा उसकी सहेली का भाई है रोज रोज मांगता है दे दे न,... पर कमल को चिढ़ाया उसने,...
" हे बहुत मन कर रहा है स्साले तेरा,... दे दूंगी यार,... अबे स्साले, लेकिन तेरे घर में मस्त माल है, तेरी बहन रेनू एकदम कच्ची कोरी, मेरी समौरिया, मेरी पक्की सहेली, ... दोनों छेद अबतक सील बंद,... स्साले जिस दिन तू गाँड़ मार लेगा न,... मेरी सहेली की मैं खुद अपने दोनों चूतड़ फैला के, गाँड़ का छेद खोल के तेरे इस मूसल पे बैठ जाउंगी,... मार लेना मन भर के, पहले अपनी बहिनिया की गाँड़ मार ले,... तेरी महतारी का भोंसड़ा नहीं है मेरी गाँड़, जो आसानी से चला जाएगा, बड़ी मेहनत लगती है,... "

अब इससे ज्यादा कोई उकसाता,... कमल ने दोनों अंगूठों से पूरी ताकत उसकी गाँड़ फैलाई।
ललिया को उस दिन दुबारा चोद रहा था वो, उसकी मलाई सब ललिया की बुर में, कुछ उस मलाई से कुछ ललिया की बुर की चाशनी से लंड भी चिकना हो गया था,... और बिना कुछ बोले अपना मोटा सुपाड़ा ललिया की हल्की सी खुली गाँड़ में सटा दिया,... दोनों अंगूठे से जोर से फ़ैलाने पर छेद थोड़ा सा खुल गया था,... सुपाड़े का टच होते ही गाँड़ में ललिया और गिनगीना गयी , अभी भी उसे लग रहा था की कमल उसकी गाँड़ नहीं मारेगा,... उसने फिर रेनू का नाम लेके चिढ़ाया,...
" अबे स्साले,... तेरी बहन की फुद्दी मारुं,... अबे बस एक बार मेरे सामने रेनुआ की गांड मार ले इसी आंगन में, ... उसके बाद चाहे जित्ती बार मेरी मारना, चाहे जहाँ मारना,.. रेनुआ की अपनी किसी जीजा के लिए बचा के रखी है "
बस, कमल ने पूरी ताकत से पेल दिया,... एक धक्का दो धक्का, चौथे धक्के में पूरा का पूरा सुपाड़ा ललिया की गाँड़ में गप्प,...

मारे दर्द के ललिया की चीख भी निकल नहीं पायी, वो जैसे एकदम बेहोश सी,... कस के दोनों हाथों से उसने पलंग का सिरहाना पकड़ के रखा था, चेहरा एकदम सफ़ेद,... मिनट भर तक वो हिल भी नहीं पायी ऐसा करारा धक्का था,...
फिर उसकी कर्ण भेदी चीख गुंजी,... बहुत तेज कोई आवाज नहीं सिर्फ चीख जैसे किसी हिरणी को भाले ने बेंध दिया हो,.... दीवालों को भेद दे ऐसी चीख, और देर तक गूंजती रही,...
आधे गाँव में तो पहुंची ही होगी,...
रेनू की माँ, पास में ही रसोई में थीं, दाल चढ़ा रखी थी, खूब जोर से मुस्करायीं, दिल गदगद,... ससुरी बहुत छनछनाती थी, अब पता चला, मन ही मन बोलीं,
पेल साली को पूरी ताकत से,... लौंडिया का काम चीखना है,... अरे पहले गौने की रात की रगड़ाई के बाद अगले दिन दुल्हिन अपने आप बिस्तर से उठ गयी तो माना जाता की गौने की रात ठीक से नहीं हुयी,... कम से कम दो तीन ननद आती थी,... पकड़ के बिस्तर से उठाने के लिए,.... और उन्ही के कंधे के सहारे,...सांझ तक टांग जमीन पर ठीक से नहीं पड़ती थी,... चार दिन बाद जब चौथी में मायके वाले आते थे तो उनके सामने भी दीवाल का सहारा लेकर धीरे धीरे, हर कदम पर चिल्ख होती,... और ननदें भाइयों को चिढ़ाती,... और आज कल की लौंडिया चुदवाती कम हैं चिल्लाती ज्यादा,... मर्द कौन जो जबरदस्ती न करे,...

और उस चीख का असर रेनू के भाई पर भी हुआ, लंड एकदम पत्थर का हो गया,... यही आवाज सुनने के लिए तो कान तरह रहे थे, बस जैसे पंचायत का सांड़ नयी नयी बछिया को छापता है, अपने दोनों आगे के पैरों से, बस उसी तरह, रेनू के भाई कमल ने ललिया को, रेनू की सहेली को दबोच लिया,... एक बार सुपाड़ा स्साली की गाँड़ में घुस गया बस आप लाख चूतड़ पटके,... बहुत नौटंकी पेलती थीं,... न अब उसने फिर पूरी कमर का जोर लगा के ठेलना शुरू किया,... बड़ी टाइट गाँड़ थी, स्साली की, इतनी गाँड़ उसने मारी थी, इस ललिया से कम उमर वालों की भी, लेकिन ऐसी मेहनत,... उसने फिर जोर लगाना शुरू किया,...

" ओह्ह उह्ह्ह नहीं भैया,... हाथ जोड़ रही हूँ , निकाल लो, जान चली जाएगी,... नहीं जाएगा अंदर,... " ललिया रो रही थी सुबक रही थी,...
" स्साली छिनरपन" कमल जोर से बोला, और दो हाथ उसके चूतड़ पे जोर से लगाए, चूतड़ पर कमल के दो लाल फूल खिल गए, लेकिन न ये ललिया के लिए नयी बात थी न कमल के लिए,...
" स्साली निकाल तो लूंगा ही, तेरी गाँड़ में अपना लंड थोड़े ही छोड़ दूंगा,... और नहीं जाएगा अंदर जो बोल रही है तो पेलना किसको है मुझे की तुझे. स्साली गाँड़ ढीली कर ,... "
दो हाथ और चूतड़ पर, ... पहले से भी जबरदस्त,... एक हाथ कमर पर और दूसरा कस के चूँची को निचोड़ते हुए, नाखून धँसाते हुए,... उसने पूरी ताकत से लंड अंदर ठेला, बड़ी मुश्किल से किसी तरह दरेरते, रगड़ते, छीलते, जरा जरा सा उसका कलाई ऐसा मोटा लंड एकदम कसी टाइट गाँड़ में धंस रहा था.
ललिया, सुबक रही थी, उसके आंसू गालों को भिगो रहे थे,... सुबकते हुए कभी कभी उसके होंठों से चीख निकल ही जाती थी,
" ओह्ह उफ्फ्फ, उफ्फ्फ्फ़ नहीं, आह आह्ह्ह्हह, जान गयी, अब नहीं बचूंगी,... मेरे भैया रुक जाओ बस एक मिनट " और फिर रुलाई जोर से चालू,
रेनू की माँ बार बार कमरे की ओर देखतीं, मुस्करा रही थीं, दाल चूल्हे से उतारते सोच रही थीं, साली, बिना रोई रोहट के पता ही नहीं चलता की पहली बार गाँड़ मारी जा रही है,... बस दो चार बार गाँड़ मरवा लेगी, तो खुदे, ये कमलवा बहुत सोझ है, चलो कुछ तो सद्बुद्धि आयी,... और इतना पाल पोष के इसलिए थोड़ी बड़ा किये थे की, लौंडिया कुल चूतड़ मटकाये के ललचाये के चली जायँ,...
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